Saturday, October 27, 2012

नन्हे की चिट्ठी



आज उसे तीन पत्र मिले, पिछले दिनों छाये उदासी के बादल छंट गए हैं और जो कुछ बचे थे बरस भी गए हैं. प्रेम मन को हल्का कर देता है. प्रेक्टिकलस् की तारीखें आ गयी हैं, अब जनवरी के अंतिम सप्ताह में होंगें. अब ठंड भी कम हो गयी है, धूप निकलती है पर वह तो धूप में बैठ नहीं पाती, उसने सोचा अब अगले वर्ष बैठेगी धूप में अपने ‘उनके’ साथ अपने घर में. इस डायरी में कुछ लिखने की आदत सी हो गयी है, यह उसने दी थी न, उसकी यादें जो हैं इसके साथ..और कभी उसने यह जानना चाहा कि वह क्या करती थी उसके बिना तो..आज मंझले भाई का पत्र मिला. बड़ी बुआ व फुफेरे भाई का नए वर्ष का कार्ड आया है, वही लिखाई, वही शब्द, वही तरीका इतने सालों में कुछ भी नहीं बदला है क्या उसमें ?

दस बजे हैं, अभी कालेज के लिए तैयार होना है. मौसम आज फिर बहुत ठंडा है. सुबह सिर धोया, कपड़े भी चार-पांच दिनों बाद. नन्हे को नहलाया, कल रविवार है शायद समय न मिल पाए. मकान मालकिन के पिता जी की तबियत ज्यादा खराब हो गयी है, उनके यहाँ चुप्पी छायी है. लगता है उनका अंत समय निकट है.
कल की आशंका सही निकली, सुबह नौ बजे वृद्ध सिधार गए, पूरा घर क्रन्दन से भरा हुआ  है. उनके घर में छोटे से बड़े सभी रो रहे हैं. औरतें ज्यादा रो रही हैं, सबसे छोटी नातिन के रोने की आवाज यहाँ तक आ रही है, उन्हें गंगा जी ले जाया रहा है, औरतें व बच्चे ऊपर आ रहे हैं, सीढियों पर रुदन कैसे गूंज रहा है, इसके सिवा कर भी क्या सकते हैं मृत्यु के सम्मुख. कल रात भर कोई नहीं सोया, सभी रोगी को घेर कर बैठे रहे जैसे मृत्यु को उनके पास नहीं आने देंगे पर...ऐसा भी कहीं होता है. नन्हा यहीं कमरे में है सुबह से, आज वह कालेज नहीं गयी, ननद बैंक गयी है. वह पापा को चिट्ठी लिख रहा है, “पापा, आप जल्दी से आ जाइये, मैं आपको बहुत याद करता हूँ, और आपका भी मन वहाँ पर नहीं लगता होगा. और आप  इस समय क्या कर रहे हैं, हम आपको चिट्ठी लिख रहे हैं ममा की तरफ से, उनका भी मन नहीं लगता है आपके बिना. प्रीति के नाना जी की तबियत ज्यादा खराब हो गयी है इसलिए हम ज्यादा नहीं बोल रहे हैं, आप ठीकठाक से हैं न पापा?

आज वह कालेज गयी पर दो बजे ही लौट आई, कल फार्म जमा करना है, जून के मित्र से नाम बदलवाने के लिए अफिडेविट बनवाने के लिए भी कह दिया है, विवाह पूर्व का नाम अब नहीं भरा जायेगा, उनके घर गयी, रंग-रोगन चल रहा था, अगले महीने उनके यहाँ विवाह है. जून का पत्र आज नहीं आया, मंझले भाई को भेजा पार्सल भी कहीं रास्ते में रह गया है.

आज कालेज में विशेष काम नहीं हुआ, फार्म वापस कर दिया गया पूरा करने के लिए, पर इंटरमीडियेट का रोल नम्बर वह नोट करके ले ही नहीं गयी थी, अब कल जाकर सिन्हा मैम की डांट खानी पडेगी. दो महिलायें आयीं थीं आज कक्षा में किसी रिसर्च वर्क के लिए, दो टेस्ट दिए, ‘मनोवैज्ञानिक परीक्षण’. एक तो वह दिन, ऊपर से जून का खत नहीं आया, फिर नन्हा भी पूर्ण स्वस्थ नहीं दिख रहा, बात कुछ जम नहीं रही है, पर...इतनी जल्दी परेशान नहीं होना चाहिए. आज आया है उनका खत बाईस नम्बर का और उसने भी इसी नम्बर का खत पोस्ट किया.



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