आज बुधवार है, पिछले बृहस्पतिवार
उसे सर्दी लगी, जो जुकाम और कमजोरी में बदल कर सोमवार को भागी और इतवार की रात
नन्हें को भी उससे सर्दी लग गयी. दिन भर स्वस्थ रहता है पर रात को उसका जुकाम बढ़
जाता है. ठंड भी तो कितनी बढ़ गयी है, पिछले दो-तीन दिनों से लगातार होती वर्षा के
कारण. पर सोम, मंगल को भी डायरी न उठाने का कारण है जून की अनुपस्थिति, दो दिन के
लिये वे खरसांग गए थे, कल शाम ही वापस आये हैं, कल दीवाली है इसलिए. वैसे भी वहाँ
अभी कार्य नहीं था, एक बार फिर जाना होगा तीन-चार दिन के लिए. सुबह के समाचारों में
अभी-अभी हुए आतंकवादियों के हमले के बारे में बताया जा रहा है. पता नहीं कब छूटेगा
भारत इनके चंगुल से.
आज इंदिरा गाँधी का जन्मदिन है, अगर वह होतीं तो...कितने हफ्तों बाद डायरी
उठाई है. सब कुछ व्यवस्थित लग रहा है. बस वह जून का पहले की तरह ध्यान नहीं रख
पाती, नन्हें के साथ व्यस्त रहती है, उनके पास शाम का कुछ खाली समय रहता है,
जिसमें कुछ कर सकते हैं उसने सोचा, वह उनसे किसी नए कार्य को शुरू करने की बात
कहेगी. नन्हा आज देर से उठा अभी उसका स्नान नही हुआ है, वही रात का कुरता पहने है,
अच्छा लगता है उसमें वह, शाम को उसकी वह बंगाली मित्र आपने माँ-पापा के साथ आ रही
है. अब नन्हे ने ऊं ऊं शुरू कर दिया है.
नवम्बर का आखिरी दिन. सर्दियाँ अपने पूरे शबाब पर हैं. सुबह का सूरज बहुत
सुखदायी है और गुलाब ज्यादा लाल हो गए हैं. अब जून को ठंड लग गयी है. धूप तेज
हो गयी है वह बाहर से उठकर बरामदे में आ गयी. कल बड़े भाई का जन्मदिन है, उसने मन
ही मन उन्हें शुभकामना दी.
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