नया वर्ष आया और पांच सूरज
दिखा भी गया, आज छह तारीख है, दोपहर को सोयी नहीं आज, कितने सारे काम हो गए. कपड़े
प्रेस किये, साड़ी को फाल लगायी और अब सोच रही है कि शाम को नाश्ते में कुछ ऐसा बनाये जो पहले कभी न बनाया
हो. नन्हा खेल कर थक कर सो गया है.
दिन की शुरुआत सामान्य ढंग से, मौसम अच्छा था, कल दिन भर छाए बादलों की तुलना
में बिल्कुल उल्टा यानि धूप निकली थी. दोपहर का खाना उसने अकेले ही खाया, जून अपने
साथ किन्हीं मित्र को लाए थे, उनके जाने के बाद वह नन्हें को सुलाने का प्रयत्न कर
रही थी कि पास में रहने वाली एक नवविवाहिता परिचिता आ गयी, उसके ही शहर की रहने
वाली है, शायद छोटी बहन के साथ पढ़ी भी हो. पूरी दोपहर उसी के साथ बातें करते बीती,
नन्हा खेलने में मग्न हो गया. अब बैठने भी लगा है, कुछ महीनों में चलना भी सीख
जायेगा और फिर बोलना भी. उसके जाने के बाद ही सोया. जून के आने पर भी वह सो रहा
था. वह घूमने गए हैं. घर से पत्र आया है, छोटा भाई जयपुर चला गया है. पिता जी का
भी तबादला पुराने शहर हो गया है.
मौसम आज भी खुशगवार, दोपहर पूर्व सोनू को लेकर पार्क में गयी तो धूप बहुत तेज
थी. लौटते समय उसकी समान उम्र के दो बच्चों से मिली, रिक्की के सर में दायीं ओर चोट लग
गयी है, ऊपर से पता नहीं चलता अंदरूनी चोट है उसकी माँ ने बताया, नन्हा भी दो-तीन
बार गिर चुका है, उसका ख्याल रखना होगा, उसने मन में तय किया.
क्रमशः
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