Monday, July 23, 2012

गणपति बप्पा मोरया


कल बड़ी भाभी व माँ का पत्र आया, पता चला कि उसके सूट का माप खो देने के कारण दर्जी ने सूट सिले ही नहीं थे. अब माप फिर से दिया है सो सिलने पर वे भेज देंगी. उसके बाएं हाथ पर घमौरी हो गयी है, देखने में तो भद्दी लगती ही है, जलन भी होती है, उसे याद आया बचपन में सारे बदन पर बहुत घमौरियाँ निकलती थीं, बारिश में खूब नहाते थे तब, या बर्फ रगड़ते थे सब बच्चे.

नन्हे के माथे व बाँहों पर भी पहले लाल घमौरी निकल आयी थी अब ठीक हो गयी है. अब वह सहारे से चलने भी लगा है और सब बातें समझता है, एक मिनट भी स्थिर होकर बैठना नहीं चाहता अब. बस अभी बोल नहीं पाता. एक घंटा आया के साथ खेल कर वह थक गया होगा सो, सो गया, उसका सारा काम भी तब तक आराम से हो गया. अगले महीने वे शिलांग जायेंगे, तीन दिनों के लिये गेस्टहाउस में एक कमरा बुक करने को जून ने कल फोन पर कहा.

वही कल का समय है, अभी-अभी धोबी आकर कह गया है कि पूजा पर बख्शीश के लिये धोती लेगा, पांच रूपये दे देंगे उसे, उसने सोचा. माली ने वह पौधा गमले में लगा दिया है और खार भी सभी क्यारियों में डाल दी है. कल जून के दफ्तर में एक मीटिंग थी किसी अशोभनीय बात को लेकर, इतने बड़े पदों पर होते हुए लोग कैसे छोटे काम कर जाते हैं. आजकल वह एक रोचक किताब पढ़ रही है “The Festival Death”

कल गणेश चतुर्थी का अवकाश था जून के ऑफिस में. पड़ोस वाले घर में उड़िया समाज एकत्र हुआ था पूजा व भोज के लिये, कितना एका है यहाँ कुछ प्रदेशों के लोगों में, जैसे उड़िया, तेलेगु, तमिल आदि. कितनी जल्दी बीत गया यह सप्ताह, पता ही नहीं चला, कल फिर इतवार है, प्रथम प्रतिश्रुति का दिन.
  

2 comments:

  1. मुझे याद है हम बच्चे गाचनी मिट्टी मला करते थे घमोरियों से राहत पाने के लिये.

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  2. हाँ,मुझे भी याद आया, गाचनी यानि मुल्तानी मिट्टी जो आजकल कैलेमाइन लोशन के रूप में बाजार में मिलती है

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