मार्च महीने का आरम्भ हो चुका
है. कल इतवार था, उन्होंने कुछ वक्त घर की सफाई में लगाया, कुछ टीवी देखने में और कुछ
घूमने में. उनकी प्रिय सड़क जिस पर अमलतास के कई पेड़ हैं, नन्हें के और भी फोटो
उतारे. अब रील खत्म हो गयी है, इसी माह बन कर भी आ जायेगी शायद. लंच में वेज पुलाव
बनाया और रायता. अभी सुबह ही है, सोनू के लिये अभी दिन नहीं हुआ है, शांत घर में
रसोईघर से बूंद-बूंद पानी टपकने की आवाज आ रही है. आज जून को घर से समाचार अवश्य
मिलेगा, कितना प्रसन्न होगा वह, और नूना भी उसे प्रसन्न देखकर.
कल रात ही उन्होंने लाउडस्पीकर पर घोषणा सुनी थी पर भाषा समझ में न आने के
कारण समझ नहीं पाए थे. सुबह मालूम हुआ कि सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक ‘बंद’
है, यानि दफ्तर, बाजार सब बंद. दोपहर के बारह बजे हैं, दोनों सोये हैं, उसे भूख
लगी है पर जून के उठने पर ही वे भोजन करेंगे, जो वह अभी बनाने वाली है. आज सुबह से
ही तेज हवा चल रही है बाहर.
आखिर चिर प्रतीक्षित पत्र व तार दोनों मिल गए, जून कितना खुश रहता है अब पहले
की तरह. कल रात वे बहुत हँसे यूहीं छोटी-छोटी बातों पर, उसके जीवन में कितना रस
घुल गया है उसके साथ से, कितना ख्याल रखता है वह उसका और नन्हें का. कल उन्होंने
सभी आये हुए खतों के जवाब दे दिए. उसकी एक सखी उसके भाई के शहर जा रही है, उसने उससे
कहा है कि वह भैया-भाभी से मिलने जाये वह एक पत्र व छोटा सा उपहार भेजेगी उनके
लिये. महीना शुरू हुए चार दिन हो गए हैं पर अभी तक इस माह की तनख्वाह नहीं मिली
है, सो दूधवाले, महरी किसी को भी पैसे नहीं दिए हैं. हिंदी पत्रिका ‘वामा’ में एक प्रश्नावली है लिखना
छोड़ वह उसी को पढ़ने व उत्तर देने लगी.
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