Friday, July 20, 2012

गोलगप्पों का कार्यक्रम


देखते-देखते पूरा एक माह बीत गया. नन्हे का जन्मदिन आया और उससे एक दिन पहले माँ-पापा व छोटा भाई आये थे. उनका आना उन्हें बहुत आनंदित कर गया व उन्हें भी उनका घर देखकर अच्छा लगा. जन्मदिन की पार्टी भी अच्छी रही और उसके बाद वे जगह-जगह घूमने गए, तिनसुकिया, ज्योति होटल, ड्रिलिंग साईट. पापा दिगबोई भी देख आये. एल.पी.जी. प्लांट, ओ.सी.एस. सभी दिखाए उन्होंने. पापा ने कितनी अच्छी बातें बतायीं और माँ ने भी सुनाई अपनी कहानी. छोटा भाई भी कहता रहा बीच-बीच में आपने बैंक के अनुभव, खट्टे-मीठे. और अब वे लोग चले गए हैं, पीछे रह गयी हैं स्मृतियाँ ! जो उनके मनों में सदा सजीव रहेंगी. कल सभी को पत्र भी लिखे. लगता है नन्हे का इरादा आज देर तक सोने का है, वर्षा दो दिन लगातार होकर अभी-अभी रुकी है. सो जून बाइक से ऑफिस चले गए हैं, अभी सात भी नहीं बजे हैं, उसे ढेरों काम करने हैं.

ग्यारह बज चुके हैं, आज जून बस से गए हैं सो आने में देर होगी. उसके सुबह के सभी आवश्यक कार्य हो चुके हैं, आज भी सुबह से बादल बने हैं पर लगता है दिन में मौसम स्वच्छ रहेगा. कल शाम भी तेज वर्षा के कारण वे न घूमने जा सके न ही बाजार. आज सुबह जून से वह बेबात ही गुस्सा हो बैठी, और पता नहीं क्यों दाल में अदरक भी डाल दी जबकि उसे अदरक नापसंद है.

आज भी सुबह-सुबह उसने डायरी खोली है. दिन भर तो किस तरह बीत जाता है पता ही नहीं चलता. कल उसने अपना वजन देखा कितनी तेजी से बढ़ रहा है, नियमित व्यायाम की आदत नहीं रही थी, फिर से डालनी होगी.

उस समय नन्हा उठ गया आजकल बहुत बातें करता है, हर वक्त चाहता है उसी को खिलाते रहें, देखते रहें, सुनते रहें, शाम के समय कुछ ज्यादा ध्यान चाहता है. अभी जून के आने में एक घंटा है. सुबह हुई वर्षा के कारण गोलगप्पों का कार्यक्रम तो स्थगित कर दिया था उन्होंने पर अब अच्छी खासी धूप निकल आयी है. पिछले कई दिनों से वे किसी परिचित के घर नहीं गए हैं सामाजिक शिष्टाचार के अंतर्गत. आजकल वह एक किताब पढ़ रही है- The President’s child अच्छी है, Fay Weldom की लिखी  हुई.


 

1 comment:

  1. उन सभी का आभार जो इसे पढेंगे...

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