Friday, July 6, 2012

खेल-खिलौने


कल जून के साथ एक छोटी सी दुर्घटना घट गयी, उसकी बाइक मोड़ते समय फिसल गयी. जल्दी आ गए थे वे, नूना उस समय बाहर वाले कमरे में कपड़े प्रेस कर रही थी. नन्हा पास ही खेल रहा था कि देखा उसके दायें बाजू में पट्टी बंधी है, पर उसने कहा मामूली खरोंच है और उसके बाद आज सुबह तक रोज की तरह सभी कार्य किये. कल तक तो वे बिल्कुल ठीक हो जायेंगे. कल घर से चिट्ठी आयी, सबसे मीठी चिट्ठी माँ का होती है, अब उनकी यात्रा में केवल पांच दिन रह गए हैं.

लगभग एक माह पश्चात उसने पुनः डायरी खोली है. कुछ दिन यात्रा में निकल गए कुछ उसकी तैयारी में फिर वापस आकर पुनः घर सहेजने में. नन्हा आज पांच माह का हो गया उसे ट्रिपल एंटीजन व पोलियो की तीसरी खुराक देने आज अस्पताल ले गए थे. सुबह जब वापस आया तो ठीक था पर दोपहर से ही बेहद परेशान है. पहली बार इतना रोया है. जून उसे इस हालत में छोड़कर ऑफिस भी नहीं जाना चाहते थे. इस समय सोया है. जो भी घर में आता है उसे देखकर बहुत खुश होता है. सभी के बुलाने पर हंस देता है, अपनी प्यारी सी हँसी. उसे कुछ होता है तो वे दोनों कितने परेशान हो जाते हैं. लगता है उसका पेट भी ठीक नहीं है. कल परसों उसे आलू खिलाया था व बिस्किट भी, शायद इसी का असर होगा, अभी तक तो वह सिर्फ दूध व सेरेलक पर था.

आज नन्हा ठीक है, कल रात वह कई बार उठा पर जल्दी ही सो जाता था. इस समय पेट के बल लेट कर सामने पड़े खिलौने को पकड़ने की कोशिश कर रहा है, इस तरह लेटने से वह जल्दी ही थक जाता है. अब वह सीधा होकर सर्वोत्तम से छीना-झपटी कर रहा है, पढ़ने का या कुछ भी करने का उसका एक ही तरीका है, वस्तु को सीधे मुँह में ले जाना ऐसा न कर पाने पर शोर मचा कर गुस्सा दिखाता है. सोया रहे तो उठते ही खिलौना उठा लेता है. वे यदि दूसरे कमरे में हुए तो उसके खिलौने की आवाज से ही समझ जाते हैं कि वह उठ गया है.
क्रमशः

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