Tuesday, July 31, 2012

तेरी गठरी में लागा चोर



पहले कामना, फिर पूरी न होने पर क्रोध अथवा पूरी हो जाने पर मोह, यही कारण है जो मानव को बुराई की ओर अग्रसर करता है. उसने मन ही मन गीता में पढ़ा यह वचन दोहराया. आज सुबह से बल्कि कल शाम से ही बादल बने हुए हैं पर बरस नहीं रहे. कल शाम वे घर पर बिना ताला लगाये लगभग एक घंटा घर से बाहर रहे, ईश्वर की कृपा से कुछ हुआ नहीं पर मन में एक डर अवश्य था, पिछले दिनों दूसरी नयी कालोनी में हुई चोरी की बात सुनकर, जिसमें कपड़े, गहने, बिस्तर सहित चोर खाने-पीनेकी वस्तुएं तक ले गए. क्या इन चोरों के पास हृदय नाम की कोई चीज नहीं होती, दूसरे को इतना नुकसान पहुँचा कर स्वयं धनवान बनने की सोचना ! चोरी से बढ़कर कोई दुष्कर्म नहीं.
उन्होने फिरसे पत्रिका क्लब खोलने का निर्णय लिया है. कल लाइब्रेरी से दो पुस्तकें और लायी है और दो पत्रिकाएँ भी. कल भाई-भाभी व माँ-पापा के पत्र मिले. नन्हा अब काफी बातें करने लगा है, बहुत से नए शब्द सीखे हैं उसने, अभी मुस्कुराते हुए उठेगा और उसके गले में बाहें डाल देगा फिर तुतलाते हुए कुछ बोलेगा आटो, या स्कूटर या फिर पापा.

टीवी का एंटीना तो लग गया पर दो घंटे काम करने के बाद फिर से तस्वीर गायब है. कल शाम की फिल्म शायद ही देख पाएँ. जून, पीछे वाले पड़ोसी और अन्य तीन-चार लोग थे कितनी मुश्किलों के बाद इतनी भारी रॉड को उठाकर वे सीधा खड़ा कर पाए और फिर जून छत से ही नहीं उतर पा रहा था. उसके बाद सबने एक और घर में लगाया अब तीसरी जगह लगाने गए हैं. नन्हा गली के उस ओर दाईं ओर के घर में गया है, वहाँ एक छोटी लड़की है आठ-दस साल की जो उसके साथ खूब खेलती है, तभी वह कुछ लिखने बैठी है. कल शाम से ही बिजली नदारद थी, अँधेरे में खेलते-खेलते नन्हा परेशान हो गया था बहुत झुंझला उठा था, ऐसे में जून भी उसे सम्भाल नहीं पाते. आज उसने पत्रों के जवाब दिए. वर्षा रुकने का नाम ही नहीं ले रही, लगता है महरी आज भी काम करने नहीं आयेगी.



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