मौसम ने फिर करवट ली है. कल
दोपहर बाद से वर्षा आरम्भ हुई जो आज सुबह भी हो रही थी, शाम को कुछ देर के लिए
थमी, वे घूमने गए, सामने वाली उड़िया पड़ोसिन ने उसका गुलाबी सूट अच्छा सिला है, वही
पहना था. नन्हा नींद में कोई स्वप्न देख कर शायद डर गया था, रोने लगा वह स्नानघर
में थी. फिर सो गया. आज उसने टाटा भी किया और फूल भी बोला, और भी कई शब्दों की नकल
करता है कभी-कभी जैसे दादा, नाना, मामा. पापा अभी नहीं बोल पता. माँ के पत्र का
जवाब उसने दे दिया है, जैसे इतने दिन बीत गए वैसे कुछ दिन और हैं उनके आने में.
परसों उन्होंने नन्हें के जन्मदिन के लिये मेहमानों की सूची बनायी और मीनू भी. जून
कहते हैं उसे स्टेशन नहीं जाना चाहिए पता नहीं गाड़ी कितनी लेट हो. आज कल आम बहुत
सस्ते हैं वे रोज ही लाते हैं.
उसने लिखा, “न तो वह, वह है जो होना चाहती है और न ही वह जो वह वास्तव में है.
एक मिश्रण है इन दोनों का, मिलावट जो आजकल हर शै में है, उसमें भी है शायद औरों
में भी हो पर इस वक्त बात सिर्फ उसकी हो रही है”. जीवन चाहे कैसा भी हो मुस्कुराने
की गुंजाइश तो हमेशा ही रहती है. कल छोटी ननद का पत्र आया था, वह बीए प्रथम वर्ष
में दाखिला ले रही है. कभी वे भी थे विद्यार्थी, भला था वह जीवन.. लिखते-लिखते
उसकी नजर सोनू पर गयी जो मस्ती से बिछौने पर खेल रहा था.
आप सभी पाठकों का आभार जिन्होंने इसे पढ़ा
ReplyDelete