अभी-अभी वे लोग घर वापस आये हैं,
इतवार की अलसाई सी दोपहरी है. गए थे किसी परिचित के घर, पर वे भी शायद इसी तरह कहीं
निकले हुए थे, थोड़ा सा घूमघाम कर वापस आ गए. नन्हा रास्ते में ही सो गया था. जून
सोने जा रहे हैं. नूना को कोई काम नजर नहीं आ रहा था, सोचा डायरी ही लिखे. आज ठंड
भी ज्यादा नहीं है. कौवे की आवाज बार-बार आ रही है और शायद कोई नल भी ठीक से बंद
नहीं हुआ है पानी टपकने की आवाज भी रह रह कर आ रही है. और सब शांत है उसके मन की
तरह. कोई उद्वेग नहीं, कोई हिलोर नहीं. सोया हुआ कितना अच्छा लगता है मानव, उसने
दोनों को सुख की नींद सोये हुए देखा. कल उसके सर में दर्द था, लगभग हर माह ऐसा
होता है. आज वह ठीक है. ज्यादा काम जून ने ही किया. महरी भी छुट्टी पर है, ठंड भी
कल ज्यादा थी, सूर्य के दर्शन तो आज हुए हैं, आज भी धूप आंखमिचौली खेल रही थी.
यहाँ घर पर धूप बस दो बजे तक ही रहती है, उसके बाद न आगे न पीछे. दिसम्बर का एक दिन
और शेष है फिर आरम्भ होगा नया वर्ष.
वर्ष का अंतिम दिन. मौसम अच्छा है, धूप कितनी सुहा रही है, कच्ची और गुनगुनी
धूप. सोनू नींद में कुनमुना कर फिर सो गया है. आज से एक सप्ताह के लिये क्लब में
कार्यक्रम है पर वे नन्हें के साथ बहुत देर नहीं रुक सकते वहाँ. जून आज पहले अर्ध
में दफ्तर नहीं गया, वर्ष के अंत में सभी बची-खुची छुट्टियाँ खत्म करते हैं. उनकी घड़ी
में अलार्म नहीं है सो नींद भी आज छह बजे के बाद खुली. कल नए वर्ष के तीन गुलाबों
वाले कार्ड मिले. धूप फिर चली गयी है सो बाहर बैठने से कोई लाभ नहीं वह उठकर अंदर
चली गयी.
No comments:
Post a Comment