कल रात हुई वर्षा के कारण
सुबह शीतल है और सुखद है पौधौं के पास बैठना, सभी कुछ धुला-धुला सा लगता है.
पक्षियों का कलरव वातावरण में चेतना भर रहा है. कल रात लगभग साढ़े नौ बजे एक घोषणा
हुई थी, पिछले तीन दिन से पहले बंद फिर घेराव के कारण कितनी हानि और कष्ट होता रहा
है लोगों को, अवश्य ही उसी सिलसिले में यह घोषणा हुई होगी. सोनू और जून अभी सोये
हैं, नन्हें ने आज सुबह ही सुबह बिस्तर गीला कर दिया है, जून का गला पिछले तीन-चार
दिनों से खराब है, नाक भी बंद है, पर वह इलाज नहीं कराते. कल शायद घर से पत्र आये
और उनके आने की खबर मिले. तभी उसे लगा कि इन सामान्य बातों के अलावा कुछ लिखना
चाहे तो कितना प्रयास करना पड़ेगा. उसका दायरा भी तो कितना सीमित हो गया है. जब नए
अनुभव नहीं होंगे तो नए विचार कहाँ से आएँगे. पर इतनी पत्रिकाएँ पढ़ती है उसका कुछ
तो असर होना चाहिए था. पड़ोस के घर में जिस बिल्ली ने तीन बच्चे दिए थे, कल रात वह दही
जूठा कर गयी है जबकि कल ही उन्होंने दूध न पीकर अधिक दही लगाया था. वह कहते हैं न
बिल्ली के भाग से छींका फूटा.
अभी सुबह के पांच भी नही बजे हैं और वातावरण में इतनी गर्मी है. रात भर ही
रहती आयी है. आकाश पर थोड़े से बादल हैं भी तो छितराए हुए, हवा का नाम नहीं. कल भाई
का पत्र आया माँ पापा जुलाई में आ रहे हैं. नन्हें के जन्मदिन से एक दिन पहले. कल
जून तिनसुकिया गए थे, उनके जूतों ने बिल्कुल ही जवाब दे दिया है. सामने वाले घर की
उड़िया वासिनी घूमने के लिये निकली है, व्यायाम का यह भी एक तरीका है. आज भी दोनों
बाप-बेटे सोये हैं. कल शाम वह अपनी बंगाली मित्र के घर गयी वह एक किताब पढ़ रही है ‘exodus’ बाद
में वह भी पढ़ेगी. अभी तो जाकर अमिताभ बच्चन का इंटरव्यू पढ़ेगी जो ‘धर्मयुग’ में
छपा है. पर इसके पहले व्यायाम.
तेज धूप निकली है आज, इतनी कि धूप में चावल बना लो चाहे तो चाय बना लो. रात को
स्वप्न में उसने पापा, मम्मी व छोटी बहन को देखा. वह स्वयं बी.एड. की पढ़ाई के लिये
हॉस्टल जा रही है. उसने सोचा जब नन्हा बड़ा हो जायेगा तभी आगे की पढ़ाई के बारे में
सोच सकती है.
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