आज सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म
दिवस है. जिनका जन्म पटना में माता गूजरी देवी के घर हुआ था. टीवी पर समाचारों में
देखा व सुना. दिन में बाजार गयी माँ के साथ, एक किताब खरीदी, बेबी हेल्थ गाइड,
किताब हिंदी में है पर नाम अंग्रजी में है, यह दोनों भाषाएँ घुलमिल गयी हैं एक दूसरे
में. बाजार से एक रील बॉक्स भी लिया, महरी के लिये धोती व साडी तथा खुद के लिये एक
पर्स भी. शाम को गाजर का हलुआ बनाया जैसे बनारस में वे सासु माँ बनाती हैं. बच्चों
की एक फिल्म जब वह टीवी पर देख रही थी तो मन कह रहा था शायद जून भी यही फिल्म देख
रहा हो.
आज उसका खत आ गया, कोलकाता से लिखा
हुआ. उसका स्वेटर बनने वाला है. छोटा भाई कल चला गया, दीदी व बच्चों के लिये उपहार
भेजे हैं, अगले महीने मिलने भी जाना है. सुबह पहली बार नींद जल्दी खुल गयी, कितना
अँधेरा था, सभी तो इस वक्त रोज ही उठ जाते हैं. कल रात भी नींद नहीं आ रही थी. जून
ने खत में लिखा है, “हर हाल में खुश रहना सीखो”, जब उसे यहाँ रहना ही है तो क्यों न
खुशी-खुशी रहे, दोपहर को दादी जी ने भी एक उदाहरण देकर समझाया कि खुश रहना सीखो.
फिर कितने तो काम हैं करने को. उदास होने का समय ही न बचे ऐसी दिनचर्या बनानी
चाहिए. कल अवश्य ही वह गमले ठीक करेगी. किताबें पढ़ना शुरू करेगी. इतने दिन तो बीत
ही गए उसने सोचा मात्र तीन-चार हफ्ते ही तो और उसे जून से अलग रहना है. हो सकता है
जून फरवरी में ही आ जाये तो कितना अच्छा होगा.
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