भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की बीसवीं पुण्य तिथि. दोपहर को नूना ने टीवी पर एक फिल्म में उनकी आवाज सुनी. अमोल पालेकर का एक कार्यक्रम देखा “आ बैल मुझे मार”, शाम को देखा एक नाटक, ‘काठ की गाड़ी’ जो बहुत ही मार्मिक था, उदासी भरा एक गीत हो जैसे. अपने सामने किसी ऐसे रोगी को देखकर क्या वह सामान्य रह पायेगी उसने सोचा. कौन जाने ? फिर भी कई भ्रम तो टूटते हैं ऐसे नाटक देखकर. आज जून ने भी टीवी देखा होगा, वह जरूर उस वक्त उसे याद कर रहा होगा, वह कैसे दिन बिताता होगा, वह उसे एक बार देखना चाहती थी पर कैसे? उसने आज खत लिखा होगा जो अगले हफ्ते किसी दिन मिलेगा. दवा लेनी आज भी शुरू नहीं की, अब कल से अवश्य लेनी है. कल घर में दोसा बनेगा, शकुंतला से दाल-चावल पिसवाये हैं आज. पिता भी आज घर पर थे, नवनीत का दीवाली विशेषांक उन्हें अच्छा लगा.
रविवार को वे दिन भर साथ रहा करते थे, उसने सुबह उठते ही सोचा, दोसे ठीक वैसे ही बनाये जैसे वह सीखकर आयी थी दक्षिण भारतीय मित्र से. सुबह हल्की वर्षा हुई, काफ़ी ठंड थी, वह होता तो कहता शाल लेकर बैठो. आज उसे वापस जाना है. आज राष्ट्रीय युवा दिवस है विवेकानंद का जन्म दिवस...
No comments:
Post a Comment