आज फिर वह मोरान गया है, शाम को लौट आयेगा. कल ही जाना था पर नूना के कारण उसे मना कर देना पड़ा. उसने कहा कि जनवरी में एक महीने के लिये उसे फील्ड में रहना पड़ सकता है तो नूना को वाराणसी में छोड़कर आयेगा. कहने में यह बात जितनी सीधी और आसान लगती है उतनी है नहीं, नूना ने कह तो दिया कि ठीक है वह रह जायेगी, पर किस तरह रह पायेगी और वह भी तो उसे अपने से दूर नहीं रखना चाहता. देखें क्या होता है उसने सोचा. यदि वह हर हफ्ते आकर उससे मिल जाये तो वह यहाँ अकेले रह सकती है. वह उसे फोन तो करेगा ही, दिन में दो चार बार न सही एकबार ही सही. पर वाराणसी और असम के मध्य तो काफ़ी दूरी है.
दोपहर को उसकी एक बंगाली मित्र मिलने आयी थी, वे दो घंटे साथ रहे. कुछ ही दिनों में वह यहाँ से जाने वाली है. फिर वह अकेली रह जायेगी ऐसे दिनों में जब जून घर पर नहीं रहता है. रात आठ बजे तक वह आयेगा, उसकी तबीयत आज ठीक है दवा लेना भूल गयी थी याद आया तो उसने दवा ली और खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.
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