आज वसंत पंचमी है, ऋतुओं का राजा वसंत ! उसका आगमन हो
और अंतर पुलक से न भरा हो, यह हो ही नहीं सकता. आज मौसम भी सुहावना है, दिन में
धूप खिली थी और इस समय चाँद उगा है, तारे भी टिमटिमा रहे हैं. आज उसका खत आया है,
लिखा है, वह जल्दी आयेगा और उसे भी नूना की तरह कभी-कभी रात को देर तक नींद नहीं
आती. उसने सोचा, क्या पता वह कब आ जाये, और कहे, “चलो, घर चलो”.
और एक दिन वह सुबह सोकर उठी तो देखा
कि जून आ गया है. उसी दिन शाम को वे सहारनपुर गए और उसके अगले दिन वाराणसी के लिये
रवाना हो गए. दो दिन वहाँ रहकर कल ही वे अपने
घर आ गए हैं. वह बहुत खुश है.
मार्च का आरम्भ हो चुका है, आजकल
उसे लिखने का समय कम मिलता है. कितनी व्यस्त रहती है वह अपने छोटे से परिवार में.
नया मेहमान आने में चार महीने से भी कम समय रह गया है. जून उसका बहुत ख्याल रखता
है बहुत सारी पौष्टिक वस्तुएं लाकर रख दी हैं. दूध भी दिन में तीन-चार बार पीने को
कहता है. कल कह रहा था कि वह बहुत दुबली है, खुश रहे तो जल्दी तंदरुस्त हो जायेगी,
यूँ वह खुश तो रहती है इतने दिनों के अलगाव के बाद वे साथ हैं. उसने गिना पूरे ४९
दिन वे दूर थे. कल शाम वे पड़ोस के दो परिवारों से मिलने गए. पुनः नन्ही बिट्टू से
मिलकर उन्हें बहुत अच्छा लगा.
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