Monday, April 9, 2012

गुलदान में फूल


वह बहुत खुश है, फोन पर जून ने कहा है कि वह आ रहा है. पर जिस कार्य के लिये वे लोग गए थे वह तो अधूरा ही रह गया है, फिर भी वह खुश है क्यों कि इतने दिन बाद वे साथ होंगे. उसने सोचा, कोई अच्छा सा नाश्ता बनाये अगले ही पल विचार आया अभी पांच भी नहीं बजे हैं और उसे आने में दो घंटे से भी ज्यादा लगेंगे सो खाना ही बनाएगी. पुलक भरे मन से उसने फटाफट काम करना शुरू किया और दो सब्जियां बना डालीं. आज कई पत्र भी आये हैं पर उसने एक भी नहीं पढ़ा है अब दोनों साथ-साथ पढेंगे. खाना बन गया तो समय काटना कठिन हो गया तो उसने गुलदान में फूल सजाये, फिर स्वेटर बुनने बैठ गयी.
 



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