Tuesday, August 27, 2013

तीसरी कसम


Today is her birthday, oh God ! how long she has lived on this beautiful earth ! so many years and so many memories of those years, some good and ofcourse some  not  so  good. It is 9 a m  and  she has got  birthday wishes from her friend and didi. When she gotup in the morning  jun  gave her  a nice greeting card and a chocklate with lots of love. He is so loving and caring always but sometimes she can’t see this, perhaps she remains aloof or may be she takes it as naturally as their being together. Last night in a dream she saw father also wishing her good. When there are so many people how can be she lonely ever. Nanha wished her also but he is too lazy to make a card. Today weather is excellent and they will have some mouth watering dishses in dinner.

आज सुबह जागरण भी देखा और सुना, आचार्य ने मैं औए मेरा के बंधन से मुक्त होने की बात कही. तृष्णा के त्याग की और आसक्ति से मुक्ति की भी. बातें सुनने में तो बहुत अच्छी लगती हैं पर सदियों से मन मैं, मेरा के समीकरण में लिप्त है. उससे निकल पाना दुष्कर लगता है. जन्मदिन के दिन ऐसी दुर्बलता क्या ठीक है ? बल्कि उसे तो प्रण लेना चाहिए कि अनावश्यक तृष्णाओं के जाल से दूर रहकर अनासक्त भाव से जो मार्ग में आए उसे साधित करते हुए अपना जीवन व्यतीत करे अर्थात अपने कर्त्तव्यों का पालन करे, व्यर्थ की चिंताओं और प्रपंचों में न पड़े. मन को विकारों से धीरे-धीरे दूर करते हुए वर्तमान में जीना सीखे.

कल रात्रि वे देर से सोये, जन्मदिन का विशेष डिनर (मलाई कोफ्ते भी थे) खाते-खाते ही दस बज गये, फिर छोटी बहन और उसके पति से बात की. छोटी बहन ने बताया वह ‘ए आर ओ’ बन गयी है, शायद इसका अर्थ असिस्टेंट रीजनल ऑफिसर होता हो या कुछ और मेडिकल लाइन से सम्बन्धित. सोते-सोते ग्यारह बज गये, नतीजा सुबह नींद देर से खुली और अभी तक रात के भारी खाने का असर बाकी है, हर ख़ुशी की कीमत चुकानी पडती है. कल छोटे भाई का फोन भी आया. बड़े भाई के यहाँ उसने स्वयं ही किया पर घंटी बजती रही किसी ने उठाया नहीं, शायद गर्मी और बिजली न रहने के कारण वे लोग बाहर निकल गयर होंगे. बड़े शहरों में रहने के कुछ फायदों के साथ नुकसान भी हैं. नन्हा इस समय story book पढ़ रहा है जबकि उसका बहुत सा गृहकार्य शेष है. मौसम आज मेहरबान है, कुछ देर पहले एक फोन आया, एक महिला ने अपनी बारहवीं में पढ़ रही बेटी को गणित पढ़ाने के लिए कहा है.

जून का प्रथम दिन..यानि गर्मी के एक और महीने की शुरुआत. उसने काश्मीर फ़ाइल का एक अंक देखा, अछ अलग, वहन शांति पूर्ण चुनाव हो गये हैं और मतदान का प्रतिशत भी अच्छा रहा है. आज टीवी पर ‘तीसरी कसम’ फिल्म दिखायी जाएगी, राजकपूर की पुरानी फिल्म जिसके गाने बहुत अच्छे हैं. आज फिर वर्षा हो रही है, नन्हे के जाते ही शुरू हो गयी, वह न छाता लेकर गया है न बरसाती ही, जुकाम से पहले ही परेशान है, अभी कुछ देर पहले फोन पर बताया कि दोस्त के यहाँ से छाता लेकर जा रहा है, उसकी आवाज फोन पर बहुत मीठी लगती है. कल वे दिगबोई और फिर तिनसुकिया गये, ट्रिप अच्छा रहा पर शाम को लौटकर थकान महसूस हो रही थी. उसके साथ ऐसा ही होता है, कार से उतरते वक्त तक थकन का नामोनिशान भी नहीं होता पर कपड़े बदलते-बदलते ही पता चलता है कि दिन भर कितना चले.


आज ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ है, एक वक्त था जब पर्यावरण शब्द का अर्थ खोजने के लिए शब्दकोश खोलना पड़ता था, आज बच्चे-बच्चे को इसका अर्थ ज्ञात है. जब पहली बार यह शब्द सुना था अर्थ जानकर एक कविता लिखी थी, काले, धूसर पहाड़ों की, जो पेड़ कटने से अपनी हरियाली खो चुके हैं, किसी ‘डाल्यु के दड्गया’ के लिए यानि पेड़ों का दोस्त. उसके सामने आज एक पीला होता हुआ पौधा है, जो कभी एकदम हरा था, आज उसे बचाने का प्रयास कर रही है, शायद फिर से उसमें नई पत्तियां आने लगें. उनका पुराना मनी प्लांट भी सूख रहा है उसका भी नवीकरण करना है यानि पीली पत्तियों और सूखी टहनियों को तोडकर हरे भरे पत्तों को रखना है. 

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