Wednesday, August 14, 2013

आखिर किसे दें वोट


वे यात्रा से कुछ दिन पहले वापस लौट आये, अप्रैल के भी दस दिन बीत गये हैं, परसों बैसाखी है, आज बहुत दिनों बाद कुछ लिख रही है वह, हर दिन सुबह  कोई न कोई काम आ जाता था और दोपहर को याद ही नहीं आया...लेकिन कलम हाथ से खिसका जा रहा है, अर्थात लिखाई बिगड़ी जा रही है, लगता है शुभ मुहूर्त अभी नहीं आया है.

१९ अप्रैल. आज नन्हे ने पहली बार उसके सामने जानबूझ कर झूठ बोला, पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया, उसकी आदतें कुछ बदलती जा रही हैं. रोज सुबह  की घबराहट और सुबह का मूड, शायद वह बड़ा हो रहा है, किशोरावस्था की शुरुआत है यह, धीरे-धीरे दुनियादारी सीखता जायेगा या फिर बच्चे भी उतने निर्दोष और भोले नहीं होते जितना लोग उन्हें समझते हैं, उसके अपने बचपन की कुछ घटनाएँ जो आज तक उसे याद हैं, इसका प्रमाण हैं. लेकिन वह नन्हे को ऐसा कुछ नहीं करने देगी कि बड़ा होकर वह भी उन बातों को याद करके पश्चाताप करे. आज सुबह ‘जागरण’ में बापू ने ईश्वर के अवतारों के बारे में बताया. ईश्वर बार-बार हंमारी सहायता करते हैं, प्रेरणा देते हैं मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं लेकिन हम कृतघ्न होकर उन्हें धन्यवाद देना तो दूर याद भी नहीं करते.

आज वह बगीचे से तोड़ी शिमला मिर्च की सब्जी बना रही है, किचन से उसकी खुशबू यहाँ तक आ रही है नन्हे का स्कूल बंद है. परसों शाम वे क्लब से आ रहे थे कि असम के मुख्यमंत्री श्री सैकिया जी के देहांत का समाचार मिला, आज उनका अंतिम संस्कार नाजीरा में किया जायेगा, सभी को उनकी असामायिक मृत्यु का दुःख है. तीन दिन बाद चुनाव शुरू हो रहे हैं, पर उसका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है सो वोट देने नहीं जा पायेगी हालाँकि उसका मन बहुत है. पर अभी तक यह तय नहीं कर पायी है अगर जाती तो किसे वोट देती, कांग्रेस या बीजेपी, शायद उस वक्त जो मन में आता वही करती. कल शाम वे एक मित्र के साथ यहाँ से कुछ दूर स्थित एक मन्दिर में गये, मौसम बहुत अच्छा था, ठंडी हवा चेहरे को सहलाती जा रही थी और खेतों में फैली हरीतिमा मन को. मन्दिर जाना और आना अच्छा लगा पर वहाँ पूजा करना उसके बस की बात नहीं है, यह इतना निजी मामला है उसके लिए कि सबके सामने करना कुछ अच्छा नहीं लगता. इस वक्त नन्हा सामने बैठकर ‘साइंस वर्कबुक’ में अभ्यास कर रहा है पर कितने-कितने प्रश्न पूछता है,, हर दूसरे मिनट में एक प्रश्न उसे भी तभी अच्छा लगता है जब वह खुशदिल रहता है, थोड़ी देर भी चुप हो जाये या गम्भीर तो लगता है पता नहीं क्या कारण है. उसका स्कूल अब कुछ ही दिन और खुलेगा  फिर ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो जायेगा, उन दिनों उसे व्यस्त रखने के लिए उसे कुछ रोचक कामों के बारे में सोचना होगा.

Today again after so many days at 10 am she is with herself alone. Almost all the work is done and all is silent around her. Dada Vasvani told about life after death, He says that there is a thin curtain between living and dead, and he gave an example of a dead mother, who was helping her son. I may be true but till today she has seen dead persons only in dreams. One day when she will be dead she may find the truthfulness of this, and then she will also help others. किन्तु ये बातें अभी यही रहने दें क्योकि अभी कई साल उसे और जीना है, एक जीवित व्यक्ति को मृत्यु कितनी दूर की चीज लगती है. परसों यहाँ चुनाव के कारण छुट्टी है, फिर इतवार है और सोमवार को कोई मुस्लिम त्योहार  है, शायद इस बार ईदुलजुहा है. परसों ही उनके एक मित्र के यहाँ विवाह की वर्षगाँठ में जाना है, उसने सोचा उसके लिए अगर वह एक कविता लिखे तो क्या उसे पसंद आएगी. हफ्तों हो गये कोई अछूता सा अहसास मन को हुए, जैसे.. गन्धराज के फूलों से खुशबू उड़कर हवा को नशीली बना दे, या बादलों के घरौंदों में कोई उड़ता पंछी कैद हो जाये, वह उड़ता पंछी चाँद भी हो सकता है और सूरज भी ! आज दोपहर को कल शाम की तरह उसे लेडीज क्लब के काम के सिलसिले में एक सदस्या के यहाँ जाना है, और वापसी में पैदल आयेगी, ठंडी हवा और हरियाली के  साथ. उसने सोचा, जून अगर उसकी बातें पढ़ लें तो हंसेंगे या फिर वह कुछ समझेंगे ही नहीं, महीनों बीत जाते हैं उन्हें कभी डायरी उठाते, जबकि शुरू-शुरू में वह हर शब्द पर ध्यान देते थे, तब उसे जानने की इच्छा थी पर अब वह उससे जान-पहचान कर चुके हैं, बहुत अच्छी तरह से.



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