कल वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ‘जोरहाट’
गये थे, सुबह सात बजे घर से निकले और रात साढ़े आठ बजे वापस लौटे. दोपहर लगभग पौने
एक बजे वे जोरहट में ONGC के गेस्ट हाउस पहुंचे. पहले BHU की प्रार्थना पढ़ी गयी,
फिर एक-एक करके सभी सदस्यों ने अपने BHU प्रवास के संस्मरण सुनाये, जून ने भी अपना
अनुभव बताया. फिर भोज हुआ, सभी लोग एक दूसरे के लिए कुछ हद तक नये थे. सदा की तरह
वह भीड़ में खुद को अकेला महसूस कर रही थी. पौने तीन बजे वापसी की यात्रा शुरू हुई,
कुल मिलाकर यात्रा अच्छी रही. रात को सोते वक्त अहसास हुआ नौ-दस घंटे बस में बैठे
रहने से हो गयी थकान का, स्वप्न भी वहीं के आते रहे. इस समय नन्हा हिंदी का अभ्यास
कर रहा है और उसने छोटी भांजी के लिए जन्मदिन का कार्ड पोस्ट करने के लिए जून को
दिया है. वह दुबली-पतली, शर्मीली सी लेकिन अपने इरादों की पक्की बालिका है. आज सुबह
देर से उठी तो जागरण नहीं सुन पायी, पर नहा-धोकर जब गीता पाठ करने बैठी तो कुछ
श्लोक पढकर यह महसूस हुआ, जब वह इन बातों का पालन ही नहीं कर सकती तो मात्र पढ़ने
से क्या लाभ है, गीता के उपदेश बहुत महान हैं और उन पर चलना उसके लिए मुश्किल है,
फिर यही संतोष दिया मन को कि बार-बार पढने से स्मरण रहेगा, भीतर चलने वाले द्वंद्व
को जीतने के लिए इन्द्रियों से परे मन और मन से परे बुद्धि, बुद्धि से परे आत्मा
की शरण में जाना होगा.
Today she got two letters,
one from home and other from manjhla bhai, both are written in good spirit and
mood. Father advises us to be healthy and smart and brother says that he is
happy to see our small family living together happily. Yesterday some lady
called her for maths tuition for her daughter. They also went for dinner to a
friend’s place, as usal she made so many things and in large quantity
but…anyway it was
good after a long time to eat together.
आज ‘जागरण’ में सन्त ने
भक्तियोग पर प्रकाश डाला पर यह उसके क्षेत्र की बात नहीं है. कल लाइब्रेरी में health mag में
मानसिक स्थिरता व शांति पाने पर पर एक अच्छा लेख पढ़ा, वही बातें जो गीता या अन्य
धार्मिक पुस्तकों में उसने पढ़ीं हैं उन्हीं को आधार मानकर उसमें सुझाव बताये गये
हैं, बार-बार पढ़ते रहने पर वे उसे याद हो गये हैं, फिर भी कभी कोई बात होने पर
उनका उपयोग नहीं कर पाती है उतनी शीघ्रता से. यूँ अपने आपको नकारने और दोषी बनाने
की प्रवृत्ति भी ठीक नहीं है उस लेख के अनुसार. अपने उन कार्यों को याद करके
जिन्हें कर सकत है स्वयं की सराहना तो कोई करता नहीं. सराहना करने लायक कोई बात
नजर न आये तो ? तो अपने अंदर ऐसा कुछ जागृत
करना होगा कि सराहना की जा सके.
आज दोपहर उसे गणित में ‘सेट
थ्योरी’ पढ़ानी है. मौसम अच्छा है. आज सुबह गीता पाठ करने के बाद ध्यान लगाने का प्रयत्न
किया पर मन है कि कहीं से कहीं पहुंच जाता है और जो बातें उस क्षण से पूर्व उसके
ख्याल में भी नहीं थीं वह सोचने लगता है. हजारों वर्षों से ऋषि-मुनि मन को
नियन्त्रण में रखने के उपाय खोजते आए हैं. सभी धर्मों में संयम पर बल दिया है. कल
उसने टीवी पर ‘सैलाब’ देखा, शिवानी और रोहित की प्रेम कहानी. कल उसकी एक मित्र ने
जगजीत सिंह का कैसेट insight दिया, अभी सुना नहीं है उसने, जगजीत सिंह की आवाज में
बहुत गहराई है. गम की गजल हो या ख़ुशी का नगमा, उनकी आवाज दोनों से इंसाफ करती है.
कल उसने पंकज उद्हास के एक कैसेट ‘कभी खुशबू कभी नगमा’ के बारे में भी सुना, कभी
तिनसुकिया गये तो लायेंगे, उसने सोचा, शायद यहाँ भी मिल जाये पर यहाँ वह बाजार कम
ही जा पाती है. जून आजकल समय से घर लौट आते हैं, इसका अर्थ हुआ कि उनका मन घर में
बहुत लगता है,
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