Wednesday, August 1, 2012

कॉसमॉस के अंकुर


कल रात वह शायद गहरी नींद में थी, नन्हा एक बार कुनमुनाया, उसका बिस्तर गीला था, पर उसके कपड़े व चादर नहीं बदले और कुछ देर बाद जब वह रोया तो देखा उसकी नाक से पानी बह रहा है और खिड़की से आती ठंडी हवा व गीले कपड़ों के कारण वह थोड़ा परेशान है. विक्स लगाकर उन्होंने उसे सूखे में सुलाया, अभी तक तो सोया है, ईश्वर उसे स्वस्थ रखे. जुकाम का रोग उससे दूर ही रहे. उसने शांति से सोये नन्हे को देखकर मन ही मन दुआ की. कल वर्षा की कुछ बूंदें भी उस पर पडीं दो तीन बार, सभी बातों का मिला-जुला असर हुआ लगता है. महरी अब आयी है काम पर, कल क्यों नहीं आयी यह पूछना व्यर्थ है फिर भी पूछना तो होगा ही. और कल उनका टीवी फिर से बोलने लगा बहुत अच्छी तस्वीर भी आती है एकदम साफ, कभी कभी डिस्टर्बेन्स होती है वह संचार केन्द्र से ही होती होगी. जून और उसके मित्रों ने बहुत मेहनत से लगाया एंटीना. कॉसमॉस के अंकुर तो फूट आये हैं पर जीनिया के अभी नहीं, शायद एक दो दिन में निकल आयें.

कल उसकी अंगुली में एक कांटा चुभ गया था जो आज सुबह ऑफिस जाने से पूर्व जून ने निकाल दिया इसी तरह वह हर पल उसकी सहायता को तत्पर रहते हैं, हर छोटे-बड़े कार्य में. गेट की आवाज हुई तो उसे लगा आया आयी है या स्वीपर, पर पड़ोस का गेट खुला था. अभी तक उसने उस घर में आयी नई दुल्हन को नहीं देखा है. कल घर से एक और पत्र आया, पर जिस ट्रंक का वे इंतजार कर रहे हैं, उसके बारे में इस बार भी कुछ भी नहीं लिखा. नन्हा कल दिन भर भी जुकाम से परेशान रहा, अभी सो कर नहीं उठा है. कल शाम टीवी पर रिसेप्शन ठीक नहीं था बल्कि कुछ आ ही नहीं रहा था, सो वे नाटक तो देख ही नहीं पाए सीरियल भी आधा ही देखा. सुप्रिया पाठक पहले उसे अच्छी लगती थी, अब उतनी नहीं, उसकी आवाज भी उसे पसंद नहीं है. ज्ञानयोग से कर्मयोग श्रेष्ठ है, पाँचवा अध्याय पढ़ा आज, पढ़ते समय कभी-कभी मन पता नहीं कहाँ-कहाँ भटक जाता है, फिर से पढ़ती है वह उन लाइनों को.  

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