Friday, March 2, 2018

शक्ति और शक्तिमान



पांच दिनों का अन्तराल ! पिछले दिनों घर में रंग-रोगन का कार्य होता रहा. सारा घर अस्त-व्यस्त सा हो गया था. किचन का सामान बैठक में, इस कमरे का सामान उस कमरे में. पेंट का कार्य पूरा गया है. आज बरामदे के फर्श पर पॉलिश का अंतिम कार्य हो रहा है. नैनी किताबों वाली रैक साफ कर रही है. आज भी दिन भर ही व्यस्तता बनी रही. शाम को योग कक्षा में कुछ नये आसन सिखाने हैं, कुछ पुराने दोहराने हैं. क्लब में पूजा का उत्सव भी है. अब अगले दस दिन सात्विक भोजन ही बनेगा, फिर अष्टमी की पूजा है. उसके पहले व्रत. स्कूल भी बंद है सो सुबह का वक्त उसे लेखन के लिए अधिक मिलेगा. कल तिनसुकिया जाना है. सर्दियों की सब्जियों के लिए बीज लाने हैं. कपड़े सिलने दिए थे वे भी. कल शाम क्लब में ‘तलवार’ दिखाई जाएगी, उसे नहीं देखनी है यह उदास करने वाली फिल्म. दो दिन से पेट कुछ नासाज है, शायद दूध वाली चाय पीने से, आज ग्रीन टी पी है, कहते हैं उसके बड़े फायदे हैं. आज बड़ी भांजी का जन्मदिन है. छोटी ने उसके मेल का अच्छा सा जवाब दिया था कल. तीन दिसम्बर को वह एक और पुत्र की माँ बनने वाली है. विदेश में पहले से ही सब पता चल जाता है, लिंग भी. जून ने कहा वह भी अब क्रोध करने वाले पर करुणा करते हैं. वह अपने विभाग में अनुशासन लाना चाहते हैं. वह एक दृढ़ लीडर की भूमिका निभा रहे हैं. कम्पनी की उन्नति ही उनका एकमात्र लक्ष्य है.

आज साप्ताहिक सफाई का दिन था. जून के दफ्तर में आज प्रधानमन्त्री की ‘स्वच्छ भारत’ योजना के अंतर्गत सफाई अभियान का आयोजन किया गया है. वे लोग डेली बाजार में एक क्षेत्र की सफाई करेंगे और कुछ कूड़े दान लगवाएंगे.

रात्रि के आठ बजने को हैं. टीवी पर भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट मैच आ रहा है. जून भी आज बहुत दिनों बाद लिख रहे हैं. आज शाम उन्होंने सिंधी तरीके से दाल माखनी बनाई, बहुत स्वादिष्ट थी. उसके सिर में हल्का दर्द है, बीच-बीच में बिलकुल गायब हो जाता है, शायद उन क्षणों में उसका साक्षी भाव प्रमुख हो जाता होगा. आज दिन में बगीचे में कुछ देर काम किया. सर्दियों के लिए बगीचा आकार ले रहा है. इस बार वे हैंगिंग गमले भी लाये हैं. उनमें लटकते हुए पिटूनिया के फूल बहुत सुंदर लगेंगे.

शाम के चार बजे हैं. सुबह सामान्य थी. दोपहर को बगीचे में साग के बीज डलवाए. पालक, मेथी, चौलाई, मूली आदि के. दोपहर को कुछ देर सोयी तो स्वप्न में मिट्टी से बनी एक देह को देखा. श्वेत मिटटी की बनी है वह और उसमें चेतना भी है. उठकर ब्लॉग पर बाल्मीकि रामायण की एक छोटी सी पोस्ट लिखी. आज षष्ठी है. दुर्गा माँ की कृपा तो हर पल बनी ही हुई है. प्रकृति ही माँ है. आत्मा की शक्ति ही माँ है. शक्ति और शक्तिमान दो होकर भी एक हैं. भीतर के मौन में जाकर जो शक्ति चेतना में भर जाती है वह माँ की ही शक्ति है. कल दिगबोई जाते समय कम्पनी की एक महिला अधिकारी की मृत्यु हो गयी, दो अन्य घटनाओं में नौ अन्य लोगों की. एक पूरा परिवार तथा उनका एक संबंधी तथा चार एडवोकेट, सभी की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हुई. भाग्य कब किस मोड़ पर क्या दिखायेगा, कोई नहीं जानता. कौन सा कर्म कब उदय होगा और कब किस सुख-दुःख का अनुभव होगा, कोई नहीं कह सकता. शुद्ध चेतना सदा सबकी साक्षी रहती है, उसे कुछ भी स्पर्श नहीं करता.  



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