Friday, June 28, 2019

मेजी की आग



रात्रि के पौने आठ बजे हैं. रात्रि भोजन हो चुका है. कल गायत्री समूह की सदस्याएं 'सत्संग पिकनिक' का आयोजन कर रही हैं. उनके लॉन में ही सब मिलेंगे. सभी अपने घर से कोई पकवान बना कर लायेंगी. भजन, नृत्य, 'सूर्य ध्यान' के बाद भोजन, फिर वे मिलकर नन्हे के विवाह की व अन्य तस्वीरें देखेंगे. हाँ, पहले फूलों को निहारने रोज गार्डन भी जायेंगे. आज सुबह वे टहलने गये तो देखा, बच्चों के पुराने स्कूल का कुछ भाग गिरा दिया गया है. नये स्कूल का मुख्य द्वार अब स्पष्ट दिखाई देता है. शाम को स्कूल की मीटिंग में गयी. क्लब की प्रेसिडेंट काफ़ी बदलाव ला रही हैं. कुछ पुराने लोग जा रहे हैं, नये आ रहे हैं. स्कूल का भविष्य अच्छा नजर आ रहा है. सुबह उसकी एक पुरानी हिंदी की छात्रा अपनी माँ के साथ मिलने आई. कोहिमा स्थित अपने गाँव के चावल लायी थी  और स्थानीय कला का एक लकड़ी का कटोरा. उसने भी उसे एक उपहार दिया. अस्तित्त्व की उपस्थिति का अनुभव आज शाम को योग साधना के दौरान हुआ और सुबह ध्यान में भी. परमात्मा उनके कितने करीब है, उन्हें उसकी प्रतीति करनी है प्राप्ति नहीं, वह तो सदा ही सब जगह है !  

आज का दिन स्मृति पटल पर एक सुखद अनुभव बनकर अंकित हो गया है. उन्होंने ढेर सारी तस्वीरें उतारीं. भजन गाए, ध्यान किया, कई खेल खेले. सभी लोग आये और स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ लाये. उसने विवाह की तस्वीरें दिखाईं तथा वह कविता भी सुनाई जो नन्हे के विवाह के अवसर पर पढ़ी थी. पिताजी से बात की, धूप में बैठे थे. अब उनका स्वास्थ्य ठीक है पहले की अपेक्षा. आज गुरूजी को सुना, 'भक्ति सूत्रों' पर उनकी व्याख्या पहले भी सुनी है. वह बहुत सरल भाषा में बोलते हैं, अध्यात्म को बिलकुल सहज बना दिया है उन्होंने. जून की फरमाइश पर मूड़ी के लड्डू बनाये आज. कल लोहरी है.

आज पूरे उत्तर भारत में लोहरी का उत्सव मनाया जा रहा है. नये वर्ष का प्रथम उत्सव ! उन्होंने भी अग्नि जलाई, एक मित्र परिवार आया था. मूंगफली, फुल्ले, लड्डू, गजक खाने खिलाने का दिन. कल मकर संक्रांति है, यानि पतंग उड़ाने का दिन. कल इतवार है और परसों जून का अवकाश है, वे डिब्रूगढ़ का जगन्ननाथ मंदिर देखने जायेंगे तथा मन्दिर के निकट स्थित पार्क में भी. आज दोपहर को तिनसुकिया गये थे. सुबह नींद खुली पर दस मिनट तक उठने का मन नहीं हुआ, उस समय मन कितना शांत होता है. जब देह बिलकुल निस्पंद होती है, मन भी रुक जाता है. दोपहर को योग दर्शन पुनः पढ़ना आरम्भ किया. चित्त की अवस्थाओं का वर्णन पढ़ा आज.   

आज सुबह टहलने गये तो हर तरफ धुआं था, कोहरा और धुआं मिलकर धुंधलका फैला रहे थे. क्लब में सुबह मेजी जलाई गयी थी, आवाजें आ रही थीं. इस समय शाम के साढ़े पांच बजे हैं. वे भ्रमण पथ पर टहल कर आये हैं. उससे पूर्व गमले से तोड़े एलोवेरा का जूस बनाया लौकी और आंवले के साथ. आधा घंटा बैडमिंटन खेला. नन्हा आज नये घर गया है. दो वर्ष बाद जनवरी तक तो वे वहाँ रह रहे होंगे, यानि बस एक और लोहरी उन्हें असम में मनानी है.  

Wednesday, June 26, 2019

स्पीकिंग ट्री



सुबह के ग्यारह बजने वाले हैं. अभी-अभी पिताजी से बात की, उन्होंने यू-ट्यूब पर बच्चों की कोई फिल्म देखी. स्मार्ट फोन का जादू चल गया लगता है, अब वह व्हाट्स एप भी इस्तेमाल करना सीख गये हैं. सुबह क्लब की एक सदस्या से मिल कर आयी. उन्होंने अपने अभिनय के शौक के बारे में बताया. कह रही थीं, स्टेज की बजाय रिहर्सल के दौरान उन्हें अधिक आनंद आता है. शेष दोनों महिलाओं से फोन पर बात हुई, आज सबके लिए लिखेगी. कल शाम की परांठा पार्टी अच्छी रही. एक सखी की माँ आई हुईं थी, परिवार सहित बुलाया, जून के मित्र भी आये. दोपहर को सब क्लब गये थे, वार्षिक उत्सव था क्लब का आज. साज-सज्जा अच्छी थी. पिछले दिनों मन में जो उहापोह चल रहा था, व्यर्थ था. उनकी कल्पना और स्मृति में डोलने की आदत ही ऊर्जा के सर्वाधिक क्षय का कारण है. जीवन को जैसा वह है वैसा ही स्वीकारने की कला आ जाये तो मन निर्भार रह सकता है. आज अमेजन से मंगवाए 'वाकिंग शू' भी आ गये हैं, सी ग्रीन रंग के बेहद हल्के जूते हैं.

अभी हाथों में जुम्बिश है, अभी कदमों में राहे हैं
अभी है हौसला दिल में, मंजिल पर निगाहें हैं

अभी ग्यारह बजने में आधा घंटा है, हाथ में कलम है, सामने खुला हरा-भरा लॉन और खिली हुई धूप..पेड़ों के पत्तों की सरसराहट, चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई दे रही है. हल्की सी ठंडक भी है, हवा जब छूती है तब ज्ञात होती है. पिताजी से बात की सुबह साढ़े आठ बजे. वह हिंदी के अख़बार से 'ऊर्जा' तथा अंग्रेजी के अख़बार से 'स्पीकिंग ट्री' नोट कर रहे थे. आज का विषय था करुणा, करुणा और प्रेम का अंतर बताया उन्होंने, फिर कहा, ये तो बड़ी-बड़ी बातें हैं, जन्मों लग जाते हैं इनका पालन करने में. विनम्र आत्मा की यही पहचान है, पर उसे उस वक्त जो सही लगा कह दिया, यदि कोई पूरे दिल से इन्हें स्वीकारता है तो वह उस क्षण उस भाव में स्थित ही माना जायेगा. आत्मा जिस क्षण अपने मूल स्वभाव में टिक जाती है, उतनी देर तो वह परमात्मा के साथ एक होती है. साधना का तो कोई अंत नहीं क्योंकि परमात्मा अनंत है. सुबह टहलने गये तो इक्का-दुक्का लोग ही दिखे. वापसी में ऊपर लिखी पंक्तियाँ मन में गूँज उठीं, दोपहर को इसे पूर्ण करेगी. इस वर्ष की पहली कविता होगी यह. कल शाम क्रिया के बाद गले में खराश हुई, रात को नींद भी खुल गयी थी, पहले किसी ड्रामे का शोर आ रहा था, बाद में एक स्वप्न देखकर खुली, जिसमें मिठाइयाँ हैं ढेर सारी, मन भोजन के प्रति कितना आसक्त है, यह इस स्वप्न से ही ज्ञात होता है. साधक को तो किसी भी  वस्तु के प्रति आसक्त नहीं रहना है. रात्रि को सोने से पूर्व का ध्यान पुनः आरम्भ करना होगा, ध्यान यानि अपने स्वरूप में टिकना, अपने भीतर उस मौन का अनुभव करना जो आनंददायक है, तृप्तिदायक है.

सिस्टर निवेदिता



ठंड बढ़ गयी है. आज पहली बार इन सर्दियों में धूप में बैठकर लिख रही है. बाहर निकली तो एक बगुला बैठा था, हल्की सी आहट से ही उड़ गया, कितना संवेदनशील रहा होगा. सुबह उठे तो कोहरा बहुत घना था, तापमान बारह डिग्री था. लेकिन उसी ठंड में वे टहलने गये, आकाश पर तारे थे और सब कुछ शांत था. आज जून को लंच पर घर नहीं आना है, इसलिए किचन बंद है. कल शाम का भोजन भी फ्रिज में पड़ा है. जब भूख ज्यादा सताएगी तभी कुछ खाएगी. पिछले दिनों स्वप्न में खाने-पीने की वस्तुएं देखीं. मन भोजन के प्रति कितना आसक्त रहता है, जब तक देह भाव बना हुआ है भोजन के बिना वे रह सकते हैं, यह विचार भी नहीं आ सकता. वे भूख के बिना भी खाते हैं, केवल स्वाद के लिए भी खाते हैं. चाय से अम्लता होती है, इसका अनुभव होने के बाद भी उसके प्रति मोह बना ही हुआ है. कितने ही साधु-संत ऐसे हुए हैं जिन्होंने क्षुधा पर विजय पायी है. मन निर्विकल्प स्थिति में रहे इसका निर्णय भी अडिग नहीं रहता. पुरानी स्मृतियाँ कब मन को घेर लेती हैं, ज्ञात ही नहीं होता, स्मरण आते ही मन वर्तमान में आ जाता है पर इतनी देर ऊर्जा का व्यर्थ ही अपव्यय होता है. नैनी के बच्चे आंवला चुनने आए हैं, जो घास पर गिरे ही रहते हैं. कल शाम की मीटिंग ठीक थी, अध्यक्षा का भाषण हमेशा की तरह बहुत लम्बा था. अगले हफ्ते वह उन तीन महिलाओं से मिलेगी जिनका विदाई समारोह होना है, सभी के लिए कुछ लिखेगी. मृणाल ज्योति की पत्रिका पढ़ी, और वार्षिक रिपोर्ट भी, आज मीटिंग है, अब शायद कुछ ही समय और वह उनके साथ काम कर पाएगी. सुबह एक सखी को व्हाट्स एप पर संदेश भेजा, उसने कोई इमोजी भेजा जो उसके फोन पर खुल ही नहीं पाया. मन में विचार उठा पता नहीं क्या भेजा है.यही तो माया है, महामाया की उपासना करने से माया के पार जाया जा सकता है.

कुछ देर पहले ठंड थी, कोहरा था और अब सूरज निकल आया है, धूप कितनी भली लग रही है. आज हवा भी चल रही है. सुबह पूजा के बाद जल डालने आई तो सूर्य देव बादलों के पीछे छिपे थे, देखते ही देखते प्रकाश झलकने लगा, एक ही चेतन सत्ता से यह सारा जगत बना है, गुरूजी का यह वाक्य स्मरण हो आया. उनके भीतर जो तत्व है वही सूरज की गहराई में में है, उस तक संदेश पहुँच जाता होगा तत्क्षण ! आज शनिवार है, कल रात सोने में कुछ देर हुई, जून के बहुत पुराने मित्र भोजन के लिए आए थे, लग रहा था पहले के दिन लौट आए हैं. इधर-उधर की बातें भी ज्यादा हुईं. अख़बारों की सुर्खियाँ, राजनीति, कम्पनी की नई नीतियाँ, देश का वातावरण आजकल मिश्रित है.. देश जैसे बंट रहा है, गणतन्त्र में ऐसा होता ही है, सबको अपनी बात कहने का अधिकार है आदि आदि.  क्लब से किसी कार्यक्रम में गाने की आवाजें भी आ रही थीं. सुबह उठने में कुछ देर हुई. आज नये वर्ष का छठा दिन है. पिताजी से बात हुई. उन्होंने अपनी उम्र के कारण होने वाली तकलीफों को ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लेने की बात कही. आत्मा का अल्प मात्र भी अनुभव हुए बिना कोई ऐसा कह नहीं सकता, अपने भीतर शक्ति और शांति के उस अमृत स्तम्भ को पाकर ही कोई निर्भार हो सकता है.

अब दोपहर हो गयी है. धूप में वे अब भी बैठे हैं. लॉन के कोने में, शायद एक दो घंटे और रहेगी धूप. आज लंच में कर्ड-राईस बनाये थे. शाम के लिए बगीचे से मेथी व हरे प्याज के पत्ते तोड़े हैं मकई के आटे में मिलाने के लिए. इस माह गुरूजी के जीवन पर लिखी उनकी छोटे बहन भानु दीदी की पुस्तक प्रकाशित हो रही है. जून ने आज ही आर्डर कर दी है. इंटरनेट पर बनी मित्र वाणी जी की कविता पर अपने विचार अभी तक नहीं लिखे हैं, उन्हें इंतजार होगा, समय कितनी शीघ्रता से गुजर जाता है, वे वहीं खड़े रह जाते हैं. योग सीखने आने वाली एक सखी ने सिस्टर निवेदिता द्वारा लिखी एक पुस्तक उपहार स्वरूप दी है. स्वामी विवेकानन्द के भीतर जगत के कल्याण की कितनी तीव्र पिपासा उनके गुरू ने जगाई थी. जैसे उनके गुरूजी सेवा के लिए प्रेरित करते हैं. उनके कर्म सहज हों, निस्वार्थ हों और कतृत्व अभिमान न हो. मनसा सेवा तो हर क्षण की जा सकती है. जब भी उनके मन अस्तित्त्व के साथ एक हो जाते हैं, वे प्रेम ही तो बहने देते हैं स्वयं के माध्यम से !

Tuesday, June 25, 2019

नया कैलेंडर



आज जून ने यह डायरी भेजी है. इस बार की कम्पनी की डायरी पहले मिल गयी थी, सलेटी रंग की, सुंदर है, पर लिखने का स्थान कम था, एक ही पेज में दो तिथियाँ. अब एक वर्ष बाद अंतिम डायरी मिलेगी कम्पनी की. अगले वर्ष अगस्त में उन्हें विदाई दे दी जाएगी. असम में अब दो वर्ष से भी कम समय रह गया है. इस समय का सदुपयोग करना है, सेवा, सत्संग और साधना के द्वारा. रात्रि के पौने आठ बजे हैं. जनवरी का महीना वैसे ही इतना ठंडा होता है, ऊपर से झीनी-झीनी वर्षा भी हो रही है. सुबह से ही बादल बने थे. दोपहर को बूंदा बांदी हुई, जब सर्वेंट लाइन की महिलाओं को योग सिखा रही थी. एक ने कहा, उनकी माँ ने भी कभी इस तरह नहीं समझाया जैसे वह उन्हें लड़ाई-झगड़े से दूर रहने के लिए कहती है. उसने सोचा, माँ को भी किसी ने नहीं समझाया होगा शायद. सुबह सेक्रेटरी ने उसका नाम क्लब के प्रोजेक्ट स्कूल की कमेटी में सम्मिलित कर दिया. प्रेसिडेंट ने दस बजे मीटिंग के लिए बुलाया, पर स्वयं सवा दस बजे आयीं. भारतीय समय में इतनी देरी को सामान्य मान लिया जाता है, पर उस कारण वापसी में देर हुई. दोपहर को एक वरिष्ठ सदस्या के यहाँ जाना था, उनकी बहन का दामाद अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्री है, जो परिवार सहित असम आया हुआ है. डेढ़ घंटा वहाँ बिताया. वर्षों पूर्व जब वे नासा गये थे, उनके घर भी गये थे, उसने ही उन्हें घुमाया था. शाम को गायत्री समूह की महिलाओं के साथ नियमित योग की साधना, यानि सारा दिन कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला. झींगुर की आवाज आ रही है और कमरे में इतना सन्नाटा है कि घड़ी की टिक-टिक भी स्पष्ट सुनाई दे रही है. पिताजी ने आज स्मार्ट फोन छोटी भाभी को वापस कर दिया है. कुछ दिनों तक व्हाट्स एप पर संदेशों का आदान-प्रदान करने के बाद अब वह उससे विरक्त हो गये हैं, उनका स्वास्थ्य अब ठीक है. टीवी पर तेनाली रामा धारावाहिक आ रहा है, जो रोचक और मनोरंजक भी है.

रात्रि के नौ बजने वाले हैं, यानि सोने से पूर्व आज के दिन की अंतिम घड़ी. जून ने शाम को गाजर का हलवा बनाया है. कल उनके एक मित्र आ रहे हैं गोहाटी से, उन्हें खाने पर बुलाया है. वैसे भी उनके विवाह की वर्षगांठ आने वाली है. दोपहर बाद को ओपरेटिव स्टोर गयी, बीहू के लिए पीठा आदि लिया, सर्दियों के मौसम में तिल खाने की सलाह दी ही जाती है. मन्दिर की साज-सज्जा बदली, ध्यान कक्ष में भी नया कैलेंडर लगाया व नई मूर्तियाँ भी, नये वर्ष का फेर-बदल अभी चल रहा है. आज वर्षा नहीं हुई. आज योग कक्षा में एक साधिका की भांजी भी आई थी, जो बिहार योग स्कूल से योग सीख चुकी है. उसने शिथलीकरण सिखाया और नाड़ी शोधन प्राणायाम भी.

इस समय दोपहर के तीन बजे हैं. वह रात के भोजन की तैयारी कर चुकी है. उनके पूर्व सहकर्मी आयेंगे ऐसा जून ने कहा था पर अब ज्ञात हुआ वह किसी अन्य जगह निमंत्रित हैं. कल दोपहर भी जून का लंच बाहर है, उनके दफ्तर के चार अधिकारी परीक्षा के बाद स्थायी हुए हैं, वे मिलकर पार्टी का आयोजन कर रहे हैं. अब यह भोजन कल रात्रि को खाया जायेगा. कुछ बना हुआ कुछ बनने के लिए तैयार. फ्रिज में रखा हुआ भोजन तो लोग तीन-चार दिन तक भी खाते ही हैं. आज सुबह क्लब गयी, एक स्थानीय क्लब ने उनके क्लब द्वारा चलाई जा रही सिलाई कक्षा के लिए सात सिलाई मशीनें दी हैं, जो उनके यहाँ वर्षों से रखी हुई थीं. कल मृणाल ज्योति में भी मीटिंग है. सुबह एक सखी को पहली बार अपने पति के साथ टहलते देखकर अच्छा लगा, वह वर्षों तक अकेले ही टहलने जाती रही है. उसके लिए उसने मन ही मन शुभकामनायें भेजीं. परमात्मा ही हर आत्मा के द्वारा प्रकट हो रहा है. उन्हें उसके प्रकट होने में बाधक नहीं बनना है. किसी भी तरह की आसक्ति, मोह तथा अहंकार से मुक्त होकर मन को पारदर्शी बनाना है, तभी परमात्मा की ज्योति मन में झलकेगी. वे अकेले ही इस जगत में आते हैं और अकेले ही यहाँ से जाने वाले हैं. मित्रता का भ्रम यदि टूटता है तो वह इसी सत्य की ओर इशारा करता है.

Monday, June 24, 2019

क्रिसमस ट्री



आज क्रिसमस है. हर जगह उत्सव का माहौल है. सुबह बड़े दिन का संदेश सुना था. हर आत्मा को स्वयं पर लगे दाग-धब्बे साफ करने हैं ! न दीन बनना है, न अधीन बनना है, पूर्ण स्वाधीन बनना है. न बेबस, न मजबूर, न असहाय बनना है, जीवन के अंतिम क्षण तक. उम्र चाहे कितनी भी हो, मन को सदा युवा बनाना है. मृणाल ज्योति गयी वह, केक और क्रिसमस ट्री सजाने का कुछ सामान लेकर. पहुँची तो कुछ बच्चे काम में लगे थे, उनके हाथ मिट्टी से सने थे. हाथ धोकर आये, उन्हें संगीत  सुनाया, केक खिलाया, बहुत खुश हुए. जून भी आये बाद में उसे लेने. उन्होंने देखा किस तरह वहाँ  निर्माण कार्य चल रहा है, स्कूल आगे बढ़ रहा है. वहीं से वे नाहरकटिया पुल के नीचे नदी तट पर गये. पानी कम था, लगभग स्थिर ही लग रहा था. किनारे पर काई भी जमी थी. एक-दो पिकनिक पार्टियाँ भी चल रही थीं. इस समय शाम के पांच बजे हैं. कुछ देर पहले वे भ्रमण पथ पर टहलने गये, उससे सटा हुआ  बगीचा गुलाब के फूलों से भरा था. हर रंग के गुलाब थे वहाँ, लाल, गुलाबी, पीले, सुनहरे, नारंगी, हल्के जामुनी, पीच और मैरून !

आज इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद के बारे में एक कार्यक्रम देखा. सत्तर वर्ष की उम्र में वह विदेश गये और सत्तर देशों में गीता का ज्ञान फैलाया. ग्यारह बजने को हैं, आज मौसम खुशनुमा है. खिली-खिली धूप और वातावरण में शांति..ध्यान के बाद मन भी शांत है. पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा. परसों सुबह रात्रि भोज की तैयारी में निकल गयी, दोपहर भोजन बनाने-बनवाने में व शाम खाने-खिलाने में. जून के एक सहकर्मी आये थे परिवार के साथ, तीन बच्चे, तीन बुजुर्ग तथा दो व्यस्क. बहुत अच्छा समय बीता. उसके पूर्व की संध्या को वे संगीत सुनने गये थे, शास्त्रीय गायन व वादन ! उससे पूर्व एक सखी ने विदाई पार्टी में बुलाया था. इस वर्ष के दो दिन शेष हैं. आज वे अरुणाचल प्रदेश जा रहे हैं. नये वर्ष का स्वागत तेजू में करेंगे, जहाँ सूर्य की किरणें सर्वप्रथम उदित होती हैं. जून कुछ देर में आने वाले होंगे. वह बगीचे की धूप में हाथ में डायरी थामे खड़े होकर ही लिख रही है. घास अभी भी भीगी हो शायद, सो वस्त्र खराब होने के भय से नीचे नहीं बैठ रही है, पर धूप इतनी तेज हैं कि नन्ही-नन्ही ओस की बूँदें कब की सूख चुकी होंगी, उसका भय हजार भयों की तरह व्यर्थ ही सिद्ध होगा यदि वह बैठ जाये.

सुबह वे टहलने गये, फूलों की सुगंध जो पहले दूर से ही आ जाती थी, आज निकट से गुजरने पर भी नहीं आयी. उसकी सूंघने की शक्ति पूरी तरह वापस नहीं लौटी है. गले में कभी-कभार खराश भी हो जाती है. खैर, भोजन के प्रति उसकी आसक्ति को छुड़ाने के लिए ही शायद प्रकृति के द्वारा रचा गया यह प्रपंच है. उसे अपना उद्धार करना है. परमात्मा इसमें सहायक है. कोई भी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थति उसे अनंत से जुड़ने से रोक न पाए, अपनी ही नजरों में वह पराजित न बने. मन संकुचित न रहे, निज स्वार्थ से ऊपर उठे. नये वर्ष में यही प्रार्थना लेकर प्रवेश करना है. कुछ भी ऐसा न रहे जो उसे भारी कर दे, रोग का कारण बने. साधना के प्रति श्रद्धा सदा बनी रहे इसका ध्यान रखना है. साधक को ज्ञान प्राप्ति के लिए सदा विद्यार्थी बनकर रहना है. कैवल्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करना है, जब तक कैवल्य की प्राप्ति न हो तब तक विश्राम नहीं, आराम नहीं. जीवन का एक भी पल विवाद में न बीते. शोक और मोह से आत्मा एक क्षण के लिए भी ग्रस्त न हो. परमात्मा उसी हृदय में विराजमान होंगे जो हृदय खाली होगा. संबंधों का बोझ जब तक आत्मा पर है तब तक वह उड़ान नहीं भर सकती. परमात्मा सदा ही उसका रक्षक है. वह भीतर से शिक्षा देता है और बाहर से कृपा रूप में ऐसी परिस्थतियाँ खड़ी करता है कि आत्मा स्वयं की परख कर सके. कितने दाग लगे उसे यह स्पष्ट दिखाई दे. उनकी यात्रा आत्मशुद्धि की यात्रा है. जगत इसमें सहायक होता है, जगत दर्पण है, जिसमें वे अपने ही अक्स को देखते हैं.

Wednesday, June 19, 2019

कच्चे केले का चोखा



रात्रि के आठ बजे हैं. आज सुबह मृणाल ज्योति गयी. नये वर्ष का कैलेंडर और डायरी लेकर गयी थी, और क्लब के कुछ सदस्यों का दिया सामान भी. रास्ते में व्हाट्स एप पर कितने ही सुंदर संदेश पढ़े, जीवन का हर पल शुभ हो, मन अहंकार से मुक्त रहे, न मोह का शिकार हो न दैन्यभाव का. कोई पाखंड जीवन में रहे. योग में स्थित रहे बुद्धि और आत्मभाव कभी भी विस्मृत न हो. योग की महिमा को स्वयं जानकर व अनुभव करके वे अन्यों को भी बताएं. परस्पर आदान-प्रदान से प्रीति भी बढ़ती है.

सुबह के सवा आठ बजे हैं. सुबह से सुवचनों को सुनकर मन-प्राण शांति का अनुभव कर रहे हैं. आत्मा सदा ही परमात्मा के सान्निध्य में है. मन जो आत्मा रूपी सागर की ही एक लहर है सदा अपना राग अलापता रहता है. यदि उसे यह ज्ञात हो जाये कि उसका मूल अनंत है तो वह अपनी क्षुद्रता को भूल जायेगा और अपने भीतर ही विश्राम का अनुभव कर लेगा. अनंत स्वरूप का विस्मरण ही उन्हें दुःख की ओर ले जाता है तथा मन में कामना का उदय होना ही उसे विस्मृत करा देता है. कामना पूर्व संस्कार से उत्पन्न होती है. भीतर जो संस्कार हैं उनसे मुक्त होने का उपाय ध्यान है और समाधि का अनुभव. मन जब तक भय, लोभ, ईर्ष्या और द्वेष के संस्कारों  से मुक्त नहीं होगा, तब तक कोई न कोई संस्कार सिर उठाता रहेगा और आत्मा व्यर्थ ही दुखी होती रहेगी. जिसका खामियाजा देह को भी उठाना पड़ता है. विनाशकाले विपरीत बुद्धि होती है सो उस वक्त ज्ञान की बाते भी नहीं भातीं.

रात्रि के पौने आठ बजे हैं. सोनू से बात हुई. उसने पिता जी व मंझले भाई से बात की, वह रिश्ते निभाना जानती है. दीदी वहाँ पहुँच गयी हैं. दो दिन रुकेंगी, फिर बड़े भाई आ जायेंगे. सभी भाई-बहन मिलजुल कर पिताजी की देखभाल कर रहे हैं. आज काव्यालय पर लिखा. जून कल गोहाटी जा रहे हैं. दोपहर को देर से आये. आयकर भरने के लिए सीए के साथ घंटों बैठे रहे, अभी भी काम पूरा नहीं हुआ है. अख़बार वाले ने टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की जगह आज टेलीग्राफ दे दिया है, बहुत दिनों बाद जम्बल पहेली हल की.

हर दिन पूर्व से अलग होता है. हर दिन की शुरुआत भी अलग होती है और समाप्ति भी. आज का दिन फोन पर सबसे बातें करते ही बीता है. सुबह पांच बजे से थोडा पहले उठी. टहलने गयी. गुरूजी को सुना, ज्ञान प्राप्ति के चार साधन-विवेक, वैराग्य, षट सम्पत्ति व मुमुक्षत्व ! मन प्रसन्न हो गया. पिताजी से बात हुई. कल रात उन्हें फिर तेज दर्द हुआ. लगता है दिल की ही समस्या है उन्हें. दीदी, बड़े भाई, दोनों भाभियों सभी से बात हुई. वृद्धावस्था में व्यक्ति कितना असहाय हो जाता है. आगे कोई मार्ग नहीं सूझता. देह साथ नहीं देती. ऐसे में घर वालों का साथ ही उसका सम्बल होता है. उसे भी एक बार वहाँ जाना है, पर उससे पूर्व स्वयं को पूर्ण स्वस्थ करना होगा. इस समय काफ़ी ठीक है.

सुबह ग्यारह बजे जून आ गये थे. लंच में उनकी पसंद की कढ़ी बनाई. उससे पूर्व साप्ताहिक सफाई. सुबह रोज की तरह थी पर एक खास बात हुई. कल रात पहले समाचार सुनते हुए, फिर सर्वेंट लाइन में होते झगड़े की आवाजों के कारण देर से सोयी. सुबह नींद खुली तो झट उठने का मन नहीं हुआ. स्वप्न और जागरण के मध्य की स्थिति थी कि अचानक सिर के पीछे किसी के श्वास लेने की आवाज आई और अगले ही क्षण ऐसा लगा जैसे जून रजाई ओढ़कर धीरे से आकर लेट गये. उसे आश्चर्य हुआ, दरवाजे पर ताला लगा है, वह अंदर कैसे आये, आंख खुल गयी और वहाँ कोई नहीं था, स्वप्न टूट गया. कितना सजीव था वह दृश्य, कितना वास्तविक लग रहा था. इसी तरह जो उन्हें  जगते हुए वास्तविक लगता है एक स्वप्न ही है ऐसा ही तो संत कहते हैं. रात्रि के पौने नौ बजे हैं, टीवी पर तारक मेहता..आ रहा है. डिनर में मकई की रोटी के साथ कच्चे केले का चोखा बनाया. नैनी ने मेथी काट दी है, कल सुबह उड़द दाल की बड़ी बनानी है.


Saturday, June 15, 2019

ग्लैडियोली के बल्ब



पिछले महीने के दूसरे सप्ताह में उसने इस डायरी में लिखा था, फिर महीना समाप्त होने तक बंगलौर में किसी और कापी में लिखा, पर वे पन्ने कहीं खो गये. इस माह के प्रथम सप्ताह में अस्वस्थता के कारण कुछ नहीं लिखा. जिस दिन बुखार हुआ, उन्हें अगले दिन बंगलूरू से वाराणसी की यात्रा पर निकलना था, वहाँ एक दिन रुके और अगले दिन इलाहाबाद, छोटे भाई की बिटिया का विवाह संस्कार था. छह दिन बाद लौटे, तब भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं था. इस समय भी सिर भारी है और खांसी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है. उसके ही कृत्यों का फल है यह रोग. मन यदि तनाव से ग्रस्त रहेगा, शंका से ग्रस्त रहेगा तो...साधना और सत्संग से दूर विवाह की गहमा गहमी और चकाचौंध..ऊपर से रोज ही गरिष्ठ भोजन, तीन हफ्तों से बाहर का खाना...आधी-अधूरी नींद..ऊपर-ऊपर से कुछ भी कारण रहा हो, असली कारण तो कर्म फल ही है, यह उसे ज्ञात है. मन में उठा हर नकारात्मक भाव देह पर किसी न किसी रूप में तो प्रकट होगा ही. आज शाम को यहाँ नन्हे के विवाह का स्वागत समारोह है, जिसके लिए कार्ड्स देने में उन्होंने इतने दिन लगाये थे.

आज छोटे भांजे का जन्मदिन है. भोपाल में रहकर वह लॉ कालेज में दाखिले के लिए तैयारी कर रहा है. छोटी ननद ससुराल गयी है, उसके ससुर जी का स्वर्गवास हो गया है. कल उन्हें गोहाटी जाना है, परसों शाम को विवाह का स्वागत समारोह वहाँ भी है.

समारोह अच्छी तरह सम्पन्न हो गया, नन्हा वापस वहीं से वापस बंगलौर चला गया, अब घर पहुंचने वाला होगा. सोनू वहीं रह गयी है, घर में एक और शादी है, उसमें सम्मिलित होगी. आज हफ्तों बाद वे घर पर बैठकर टीवी पर एक धारावाहिक देख रहे हैं. क्लब से गाने की आवाजें आ रही हैं. कल महिला क्लब का वार्षिक उत्सव है, वे शायद ही जाएँ. उसका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है. जून को किसी कांफ्रेंस में भी भाग लेना है. आज पिताजी से बात हुई, उन्हें चार दिन पूर्व हृदय के पास दर्द हुआ, उसके बाद उन्हें डाक्टर के पास ले गये. आज भी सुबह चक्कर आया तो डाक्टर ने दस दिनों की दवा दी है. दीदी व बड़े भाई से बात हुई, डाक्टर ने उन्हें ठंड से बचकर रहने  को कहा है.

पौने छह बजने वाले हैं शाम के, जून अभी तक नहीं आये हैं. वर्ष का अंतिम माह आ गया है, ठंड अभी तक नहीं बढ़ी है. यह पूरा वर्ष नन्हे और सोनू के विवाह की तैयारी में तथा विवाह समारोह मनाने में ही बीत गया. कल यहाँ के क्लब तथा दिगबोई क्लब की वार्षिक पत्रिका के लिए लेख व कविताएँ भेजी हैं. आज तीन पोस्ट्स भी प्रकाशित कीं. गुलदाउदी की तस्वीर फेसबुक पर डाली. सुबह पिताजी से बात हुई. अपने स्वास्थ्य को लेकर वह काफ़ी सकारात्मक लगे.

शाम के सात बजे हैं. सुबह तारों की छाँव में भ्रमण के लिए गये. नाश्ते में बनारसी चिवड़ा-मटर बनाया. साप्ताहिक सफाई का भी दिन होता है शनिवार. दोपहर को तिनसुकिया गये, शेष बची क्यारियों के लिए फूलों की पौध खरीदी, ग्लैडियोली के बल्ब भी. आज बड़े भाई ने पिता जी के लिए व्हाट्स एप पर एक अकाउंट बनाया है, जिसमें सभी परिवार जनों को शामिल किया है, ताकि उनका हालाल सभी को नियमित मिलता रहे. नन्हे से बात की पता चला वे अपने दफ्तर में हैकाथन करवा रहे हैं, वह आज रात भर दफ्तर में ही रुकने वाला है. उसने बताया, सोनू के घर पर मेहमान आने शुरू हो गये हैं, बहुत बड़ा परिवार है उनका.   
 

Friday, June 14, 2019

वस्त्रों पर सिलवटें



आज उच्च स्तरीय कमेटी के लिए नये अतिथि गृह में विशेष भोज का आयोजन किया गया है. उन्हें भी जाना है. सभी उच्च अधिकारी भी उपस्थित होंगे. सुबह चार घंटे उनमें से एक विशिष्ट महिला अतिथि के साथ बिताये, साथ में क्लब की प्रेसिडेंट भी थीं और एक अन्य अधिकारी की पत्नी. उन्हें लेकर ड्रिलिंग साइट पर भी गये. तेल के कुँओं की ड्रिलिंग कैसे होती है, नजदीक से देखा, समझा. आज सुबह उनके लिए एक कविता लखी थी. उनके पति देश के जाने-माने वैज्ञानिक हैं, उनकी उम्र सत्तर पार कर चुकी है पर अभी तक कार्यरत हैं. क्लब की प्रेसिडेंट के साथ काम करना अच्छा लग रहा है, वह काफ़ी जानकारी रखती हैं और कम्पनी को अपने परिवार की तरह मानती हैं.

आज सुबह शीतल थी पर अब धूप निकली है. बंगाली सखी से बात हुई. वे लोग पुरानी बातों को दिल से लगाकर बैठे हुए हैं, कहने लगी, समय के साथ भी कुछ घाव भरते नहीं हैं. उसकी आवाज आज दो बार ऊँची हुई, एक बार फोन पर उस बात करते हुए दूसरी बार नैनी को समझाते हुए, जिसे 'हाँ' बोलने की आदत है, बिना बात को समझे 'हाँ' बोल देती है. उसे जो क्रोध अथवा रोष बंगाली सखी से बात करके हुआ संभवतः वही नैनी पर उतर गया और फिर मन खाली हो गया. स्वयं को जाने बिना कैसे रहते होंगे लोग, अब आश्चर्य होता है. कुछ देर पहले मृणाल ज्योति से आयी है, वहाँ एक नया दफ्तर बन गया है. अब नई कक्षाओं के लिए जगह मिलेगी. स्कूल आगे बढ़ रहा है, अल्प ही सही उसका कुछ योगदान है इसमें. अगले शनिवार को वे इस समय बंगलौर में होंगे, उसके बाद लगभग एक महीना एक स्वप्न की भांति बीत जायेगा. आज ब्लॉग पर अभी तक तो कुछ नहीं लिखा है. अब जो भी सायास होता है वह नहीं भाता, जो सहज ही होता है, वही ठीक है.

कल दिन भर व्यस्तता बनी रही. सुबह स्कूल, वापस आकर क्लब, शाम को पहले योग कक्षा, फिर क्लब. कार्यक्रम सभी बहुत अच्छे थे, वे जल्दी घर आ गये. जून ने दो बार फोन किया. परसों रात को स्वप्न देखा था, वह आँखें बंद करके उसके साथ चल रही है. एक स्थान पर जाकर आँख खोलती है तो घुप अँधेरा है. वह उससे कहती है, यह रास्ता ठीक नहीं है, वापस चलो. उसने हामी भरी. फिर वह उस पर भरोसा करके आँख मूंद लेती है पर जब वे लक्ष्य पर पहुंचते हैं तो वहाँ का दृश्य ही अलग है. वह पूछती है, मार्ग नहीं बदला था, वह कहता है, नहीं. यह स्वप्न क्या बताता है...

कल कुछ नहीं लिखा. आज यात्रा से पहले का अंतिम दिन है. जून आज घर जल्दी आ गये हैं. मौसम बदली भरा है. मौसम में फेरबदल तो चलता रहता है पर आत्मा का मौसम सदा एक सा रहता है. जैसे पानी पर लकीर हो उतनी ही देर यदि मन का मौसम बदले तो ही मानना चाहिए कि मन आत्मा में स्थित है. मन आत्मा में रहकर यदि व्यवहार करना सीख जाये तो मुक्त ही है. मन पहले से ज्यादा सजग है और दृढ़ भी. आवरण और विक्षेप घट रहे हैं, सतोगुण बढ़ रहा है. तमो और रजो गुण से मुक्त होकर सतोगुण से भी पार जाना है. आज एक स्वामी जी से सुना, वस्र्त्रों को प्रेस करने से न उन्हें कुछ मिलता है न कुछ खोता है. वस्त्र पर सिलवटें मिट जाती हैं. सिलवट जो कुछ भी नहीं हैं, मिट जाती हैं. आत्मा में न कुछ जोड़ा जा सकता है न कुछ घटाया जा सकता है. मन रूपी सिलवट मिट जाती है, जो है ही नहीं. आज नन्हे और सोनू से बात की. वे योग और आहार के द्वारा अपना वजन घटा रहे हैं.   

Thursday, June 13, 2019

जुकिनी की पौध





पौने तीन बजने वाले हैं, माली की प्रतीक्षा है. आज सुबह नर्सरी गयी थी, फूल गोभी, पत्ता गोभी, व ब्रोकोली की पौध लायी, शिमला मिर्च, बैंगन व जुकुनी की भी. उसे फोन किया, कहने लगा, आ रहा है. तीन बजे से योग कक्षा आरम्भ हो जाएगी. आज सुबह मृणाल ज्योति में भी बच्चों को योग कराया. नैनी ने बताया उसका पति गलत संगत में पड़ गया है. लोग अपना जीवन स्वयं ही बर्बाद करते हैं. एक बार कुसंगति में पड़ जाने पर उससे निकलना कितना कठिन होता है. आज नन्हे व सोनू के लिये लिखी कविता टाइप की है. अभी कुछ शेष है, उसे सुंदर फॉण्ट में प्रिंट करके ले जाना है. कल शाम को दो अध्यापिकाएं आयीं, टाइनी टॉट्स के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में निमंत्रित करने के लिए, एक डिनर तथा एक लंच भी है.

रात्रि के आठ बजे हैं आज 'टुबड़ी' है, गुरु नानक देव का जन्मदिन. सुबह पिताजी को उनके जन्मदिन की बधाई दी. छोटी भाभी ने बहुत अच्छी तरह से उनका जन्मदिन मनाया. केक बनाया, फूल और स्वेटर उपहार में दिए. व्हाट्स एप पर उनकी आवाज में बधाई का उत्तर दिलवाया. जून को एक सहकर्मी के यहाँ जाकर एक प्रेजेंटेशन तैयार करने का अवसर मिला. सभी पब्लिक सेक्टर्स की कम्पनी के अनुसन्धान विभागों को जोड़ने के लिए भूमिका बनाने का कार्य करने एक उच्च स्तरीय कमेटी कमेटी आ रही है. उसे ही देना है. आज वह कविता पूरी हो गयी, कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी है, जून इसे प्रिंट करके ला देंगे. आज भी योग वसिष्ठ पर स्वामी अनुभवानंद जी का प्रवचन सुना. मन जब अपने स्वरूप में देर तक टिकने लगता है. एक सहज प्रकाश की नदी में डूबता-उतराता है और नील अम्बर में निर्बाध उड़ता है. जीवन मुक्त इसी को कहते हैं. आत्मा और परमात्मा का भेद भी है और अभेद भी, ज्ञान और भक्ति का अनोखा का संगम ! जीवन कितना सुखद हो सकता है, इसे आत्मज्ञानी ही जान सकता है !

शाम के सवा चार बजे हैं. नवम्बर की हल्की ठंडी शाम है. अभी से पश्चिम के आकाश में लालिमा छा गयी है, यहाँ दिसम्बर आते-आते तो चार बजे अँधेरा ही हो जाता है. महीनों बाद झूले पर बैठकर लिख रही है. जून अभी आये नहीं हैं, दोपहर को भी देर से आये, एक सरकारी कमेटी के कुछ लोग आने वाले हैं, उसी की तैयारी चल रही है उनके विभाग में. आज सुबह टहलने गये तो हल्का अँधेरा था, वापस आते-आते सुरमई उजाला हो गया, हवा में फूलों की गंध घुली थी. पहले गाँव के स्कूल गयी, बच्चों को संगीत की धुन पर व्यायाम करना अच्छा लगा, फिर मृणाल ज्योति. विवाह के कार्ड्स भी दिए. उसके बाद एक अध्यापिका के साथ 'विश्व विकलांग दिवस' के सिलसिले में चार स्कूलों में गयी, उन्हें तीन दिसम्बर पर लगाने के लिए बैज व बुक मार्क दिए. इससे मिलने वाले धन का उपयोग विशेष बच्चों के लिए किया जायेगा.   


Tuesday, June 11, 2019

पिटुनिया के फूल



आज बड़े भाई से बात हुई, बुआ व मामी जी से भी. सबको विवाह के लिए निमन्त्रण दिया. फुफेरे भाई ने कहा, वह कार्यक्रम बनाकर बतायेगा. मंझली भाभी से बात की, वह बेटी को लेकर परेशान हैं. आज से मात्र एक महीना शेष है विवाह के दिन में. आज भी वे कार्ड्स बांटने जायेंगे. परसों मुख्य अधिकारी के यहाँ से शुरुआत की. उसके बाद छह घरों में गये. पटवारी, पॉल, फूकन, बनर्जी, एक तमिल परिवार, और शर्मा परिवार में. कल भी पांच मित्रों के यहाँ गये, मराठी, बंगाली, मारवाड़ी, दो असमिया, व ब्राह्मण परिवार में, एक तरह से यहाँ पूरा भारत बसता है. हर प्रदेश के लोग यहाँ रहते हैं. सभी ने दीवाली की मिठाई खिलाई. एक परिवार में उनकी बेटी से मिले जिसने कानून में पढ़ाई पूरी कर ली है और अब एक लॉ कालेज में पढ़ाने जा रही है. सभी के घर सुसज्जित थे. सबसे सुंदर थे दो बंगाली सखियों के घर. उनके घरों की सज्जा देखने लायक थी. सुंदर फर्नीचर तथा सुंदर बगीचे रहने वालों के कलात्मक मिजाज की खबर दे रहे थे. अगले वर्ष उनमें से एक के पति रिटायर हो रहे हैं, तथा दो अन्य के इसी वर्ष. उनके लिए विवाह से लौटने के बाद कुछ लिखेगी.

दस बजने को हैं, आज भोजन पहले ही बना लिया है ताकि आराम से एक घंटा बैठकर लेखन कार्य किया जा सके. कल शाम भी वे कालोनी के दस परिवारों के यहाँ कार्ड्स देने गये. एक का घर बंद था. आज शाम को भी जाना है.

आज बड़े भांजे का जन्मदिन है, इस बार बंगलूरू में उसके साथ रहने का अवसर मिला. मिलनसार है, काम में हाथ बंटता है. सीधा-सरल स्वभाव है उसका. भगवान उसे शक्ति और ज्ञान का वरदान दे ! जून का स्वास्थ्य ठीक नहीं है पर अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण वह किसी समस्या को खुद पर हावी नहीं होने देते हैं. आज शाम को अपने दफ्तर में काम करने वाली एक कर्मचारी को बुलाया है. जो कुछ परेशान है, घर से दूर अकेले रहती है, अपने शहर में तबादला करवाना चाहती है. उसे समझना और समझाना है. कल शाम भी वे कुछ मित्रों के घरों में कार्ड्स देने गये, अच्छा लग रहा है. एकाध दिन और जाना होगा. शाम को बहुत दिनों बाद बेक्ड सब्जी बनाने वाली है. आज से एलोवेरा जूस बनाना भी आरंभ करना है. इस वर्ष आंवले काफी हुए हैं बगीचे में. कुछ महीने चलेंगे.

कल कुछ नहीं लिखा और आज इस समय शाम के पांच बजे हैं, जून गोहाटी गये हैं, परसों लौटेंगे. आजकल उसे न ही फोटोग्राफी का शौक रहा है, न ही व्हाट्स एप पर संदेश भेजने का, न ही लोगों से बात करने का. वैराग्य बढ़ रहा है, सब कुछ व्यर्थ प्रतीत होता है. आज सुबह जून की बात का जवाब भी ठीक से नहीं दिया. माली को भी उसकी गलती के लिए सुनाया. हर बार वह वही गलती करता है. कल रात भी नींद ठीक नहीं आई, परसों भी. शायद देर तक जगने के कारण ही, समय से सो जाना ही उचित है. नींद पूरी न होने पर ऐसे लक्षण होने स्वाभाविक हैं. आज दोपहर को बारह-तेरह बच्चे ही आये. कल स्कूल जाना है और नर्सरी भी, जहाँ से फूलों की पौध लानी है. 

तीन बजने को हैं, यानि योग कक्षा का समय. अभी-अभी वर्षा शुरू हो गयी है. महिलाओं की संख्या कम हो सकती है. आज नर्सरी गयी थी. छह गमले खरीदे और कैलेंडुला, पिटुनिया, डहेलिया, सिल्विया और इंका की पौध. सर्दियों में फूलों से भर जायेगा बगीचा..अभी तक तो बरसात का मौसम ही चल रहा है. मृणाल ज्योति से फोन आया, बौद्धिक अक्षमता पर योग, संगीत या व्यायाम का कितना और क्या असर पड़ता है, इस पर कुछ लिखने को कहा है. उसने इसके बारे में नेट पर पढ़ा. दुनिया में बहुत जगह लोग ऐसे व्यक्तियों और बच्चों को योग सिखा रहे हैं. कल शाम को 'सीता' पुस्तक से प्रेरित होकर नन्हे और सोनू के लिए कविता लिखनी आरंभ की है. आज उसे आगे बढ़ाना है.  


स्वप्न और जागृत



आज दीदी के विवाह की सालगिरह है. उनसे बात की तो पता चला पार्टी शाम को है, बड़ी बिटिया आएगी, जो उनके ही शहर में रहती है, बाकी बच्चे तो समुद्र पार विदेशों में हैं. कल छोटी ननद के विवाह की रजत जयंती थी, बधाई दी तो पता चला, वे लोग आगरा में थे. बड़ी ननद से भी भांजी के घर आने के बारे में हुई, शायद उसे अच्छा न लगा हो, बच्चों के जीवन की हलचल से माता-पिता अछूते कैसे रह सकते हैं. जीवन में कभी-कभी कठोर निर्णय भी लेने पड़ते हैं. परमात्मा की इस सृष्टि में प्रतिपल विनाश भी घटता है. वे त्याग के महत्व को नहीं समझते तभी तो इतनी चिंता घेरे रहती है. उसके द्वार पर खाली होकर ही जाया जा सकता है. वह इतना अपार है कि उसे स्थान तो चाहिए. कल जो कविता ब्लॉग पर पोस्ट की थी, आज दो अन्य स्थानों पर प्रकाशित हुई है. कितनी कविताएँ अभी उसके भीतर हैं व्यक्त होने की प्रतीक्षा में...

आज सुबह कैसा स्वप्न देखा. एक बड़े से हॉल में लोग बैठे हैं. वह एक मंच पर है, उसके हाथ में माइक है. कोई साधु आते हैं. लोग उनके दर्शन करते हैं. बाद में उसे बोलने को कहते हैं. वह बोल रही है. शायद गुरूजी के यहाँ आने की स्मृति ही स्वप्न बनकर प्रकट हुई है. कल वे बंगलूरू की एक और यात्रा पर जा रहे हैं.

शाम के सवा चार बजे हैं. एक सप्ताह बाद वे घर लौट आये हैं. इतने दिनों बाद अपने घर में, कमरे में बैठकर टीवी पर 'वैदिक चैनल' में सुंदर वचनों को सुनने का अवसर मिला है. जून बाजार से सब्जियां व फल ले आये हैं.

आज मौसम ज्यादा गर्म नहीं है. सुबह तो हवा में हल्की ठंड भी थी. आज मृणाल ज्योति गयी, उसके पहले एक परिचिता के यहाँ, उसकी सासूजी का श्राद्ध था, जब वे नहीं थे. वहीं पता चला स्कूल की प्रिंसिपल अस्वस्थ हैं और वाइस प्रिंसिपल का पुत्र भी अस्पताल में है. स्कूल गयी तो दो अन्य वरिष्ठ टीचर भी किसी कारण वश नहीं थे. स्कूल के संस्थापक मिले, कहने लगे, एक दिन तो सब कोई चले ही जायेंगे, कोई सदा के लिए रहने वाला नहीं है. विशेष बच्चों का स्कूल चलाना इतना सरल कार्य नहीं है. क्लब की सेक्रेटरी का फोन आया, शाम को मीटिंग है. इसलिए आज दोपहर को ही उसने योग के लिए साधिकाओं को बुलाया है.

आज सुबह दस मिनट देर से उठी. रात को होश की साधना करते-करते सोयी थी. जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति में खोयी आत्मा अपने सच्चे स्वरूप को विस्मृत कर देती है और माया के जाल में फंस जाती है. साक्षी भाव टिक नहीं पाता देर तक. भीतर के अहंकार की गंध ही बाहर क्रोध के रूप में प्रकट होती है. जब तक भीतर अहंकार है तभी तक दुःख है. ईर्ष्या, द्वेष तथा अन्य विकार भी तभी तक हैं. जब भीतर और बाहर सम हो जाएँ तब ही वे सुरक्षित हैं. परमात्मा साक्षी है, वह अपने से भी निकट है. वही तो है भीतर. वह जैसे होकर भी नहीं है, पर सब कुछ है, वैसे ही आत्मा शून्य भी है और पूर्ण भी. पूर्णता का अनुभव तभी हो सकता है जब शून्यता का अनुभव हो जाता है. न होना जब स्वभाव का अंश हो जाता है, जब भीतर असंगता छा जाती है. बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ पोस्ट किया.



Monday, June 10, 2019

जीवन का अंत



दो दिनों का अन्तराल ! परसों लक्ष्मी पूजा का अवकाश था, वे सुबह-सुबह फोटोग्राफी के लिए निकट के एक गाँव में गये. जून ने कमल के फूलों के सुंदर चित्र लिए. आज शनिवार है. सुबह टाइनी टॉटस की मीटिंग में शामिल हुई, शाम को क्लब में मीटिंग है. प्रेसिडेंट बहुत अच्छा बोलती हैं, पर कुछ अधिक ही. वह निरंतर काम में व्यस्त रहती हैं, ऊर्जावान हैं. दोपहर को प्रेस जाना है. मृणाल ज्योति से फोन आया, 'विश्व विकलांग दिवस' के लिए पेपर कार्ड या बुक मार्क बनाने के लिए सुझाव माँगा है. एक परिचिता की माँ अस्पताल में दाखिल हैं, एक के पति की ओपन हार्ट सर्जरी हुई है दिल्ली में.  जून को यात्रा से लौटने के बाद से सर्दी लगी है व गले में खराश है. उसे भी आज पाचक लेना पड़ा है. कल लोभ के कारण खान-पान  में परहेज नहीं रखा. मिठाई खाई, स्कूल में प्रसाद भी लिया और लाल चाय. क्लब में भी औपचारिकता वश कुछ खाना पड़ा. शरीर किसी का भी हो बद परहेजी उसे जरा भी नहीं भाती. नैनी आज अपनी बेटियों के स्कूल की मीटिंग में गयी. सरकारी स्कूल में पढ़ाई को लेकर माता-पिता व शिक्षक पहले से सजग हुए हैं. मोदी सरकार की पहल से कई सुधार देश में हो रहे हैं.  

आज सुबह तैरने गयी. कोच ने आज दोनों हाथों को लगातार चलाने के लिए कहा. तैरना अपने आप में एक सुखद अनुभव है. नाक से पानी आ रहा है, पर कुछ देर में अपने आप ठीक हो जायेगा. वापस आई तो जून ने उपमा लगभग बना ही लिया था. आज बगीचे में गोबर की खाद डलवाने का दिन था. ड्राइवर अपनी बड़ी गाडी लेकर आया था. दोनों माली अन्य दो मजदूरों को लेकर सुबह से शाम तक चार बार में पूरे वर्ष के लिए गोबर ले आये हैं. मृणाल ज्योति के एक कर्मचारी के द्वारा एक दुखद समाचार मिला, स्कूल के एक अध्यापक ने आत्महत्या कर ली है, जो कई दिनों से अस्वस्थ था और छुट्टी पर था. उस क्षण उसका यह वाक्य जैसे असत्य प्रतीत हुआ. मन उसे स्वीकारने को तैयार नहीं था. पर खबर देने वाले ने कहा, मृतक की भाभी ने उन्हें यह सूचना दी है. उसने भाभी का नम्बर लिया, बात की. उसने कहा, सुबह वे उठे तो अध्यापक बिस्तर पर नहीं था. आज उसके भाई उसे लेकर स्कूल आने वाले थे. उसे ढूँढ़ते हुए वे गाय बाँधने के स्थान पर गये तो  वह मृत अवस्था में मिला. पुलिस आयी, शव को पोस्टमार्टम के लिये ले जाया गया है. पिछले कई महीनों से वह अस्वस्थ था. पहले उसकी आँख में कुछ समस्या हुई थी फिर मोटरसाईकिल से गिर जाने के कारण हाथ की हड्डी टूट गयी, यहाँ इलाज भी ठीक से नहीं हुआ. पटना जाकर दुबारा ऑपरेशन हुआ, शायद वह भी ठीक से नहीं हो पाया हो. दुखी होकर उसने अपनी जान ही लेली. स्कूल की सभी अध्यापिकाएं और अध्यापक दुखी हैं और शायद वे भी यही सोच रहे होंगे की काश समय रहते बात कर लेते और उसका दुःख बाँट लेते. उसने लगभग एक वर्ष पूर्व अपनी समस्याओं से उसे अवगत कराया था. उसके बाद ही सभी अध्यापकों के लिए एक कार्यक्रम भी हुआ था, वह खुश था. ऐसा उसने जाहिर भी किया था. पर वह शायद स्कूल में अलग-थलग पड़ गया था. स्कूल में हो रहे बदलावों को भी स्वीकार नहीं पाया था. जो भी हुआ हो पर अब वह उनके मध्य नहीं है. उसने प्रार्थना की, वह जहाँ भी रहे, परमात्मा उसे शांति प्रदान करें.   
 
आज भी धूप तेज है. मृणाल ज्योति से फोन आया, एक अध्यापिका दो सौ दीये बिक्री के लिए उनके घर रखवाना चाहती है, उसने 'हाँ' कह दी है. दीपावली तक अथवा तो उसके पूर्व ही बिक जायेंगे. कोई आये या जाये, संसार अपनी गति से चलता रहता है. दोपहर को बड़ी ननद का फोन आया. उसकी बड़ी बिटिया को ससुराल में कुछ समस्या हो गयी है. बात बढ़ गयी है. वह कह रही थी, नन्हा उसे जाकर ले आये. जून ने मना कर दिया पर बाद में पता चला नन्हा और सोनू दोनों उसे लेने गये थे. उनसे ही बात की, वे लोग घर पहुँच गये थे. भांजी के जीवन में जो भी उलझन है शायद अब उसका कोई हल निकल आये. अब व्हाट्स एप पर संदेश भेजने का मन नहीं होता. इतने सारे ग्रुप हो गये हैं और इतना समय भी व्यर्थ ही जाता है. कल जून ने विवाह के कार्ड्स पर पते के लेबल चिपकाये. अभी कुछ दिनों तक यह कार्य चलेगा. बंगलूरू से वापस आने पर वे कार्ड्स वितरण का कार्य आरंभ करेंगे.

Saturday, June 8, 2019

नवरात्रि की पूजा


साढ़े दस बजे हैं सुबह के. आज टीवी पर 'मन की बात' आने वाला है. प्रधानमन्त्री को सुनना सदा ही अच्छा लगता है. उनके वचन प्रेरणादायक होते हैं. सकारात्मक सोच, इच्छाएं, आशाएं, आकांक्षाएं, अपेक्षाएं तथा शिकायतें साझा करने का मंच है यह. सरकार तक अपनी बात पहुँचने का एक साधन है. देश के सामान्य जन तक पहुंचने का भी. आज वे भी 'स्वच्छता ही सेवा' के तहत दोपहर को दो घंटे श्रमदान करने वाले हैं. अभी कुछ देर पूर्व ही बगीचे से आये. आज सुबह चार कमल के फूल खिले, हरे पत्तों में खिले गुलाबी फूल..उसने तस्वीर उतारी और व्हाट्स एप पर भेजी. नन्हे ने बताया उसकी योग शिक्षिका पिछले इक्कीस वर्षों से अपने घर में नवरात्रि पर पूजा कर रही हैं, इस बार जिसमें उन्होंने पांच सौ मूर्तियाँ सजाई थीं. मोदी जी जनता को प्रेरित कर रहे हैं कि पूरे भारत का भ्रमण करें और अपने राज्य के सात मुख्य स्थानों की सूची बनाएं. खादी को भी बढ़ावा देना चाहिए.

शाम होने को है. कुछ देर पहले नैनी ने बताया, घर के सामने एक कार दुर्घटना हुई दोपहर को. दोनों कारों के शीशे टूट गये तथा यात्रियों को चोट भी आई. थोड़ी सी असावधानी कितने बड़े दुःख का कारण बन जाती है. छोटी बहन ने एक मेल लिखा है ब्लॉग पर उसकी पोस्ट के जवाब में. उसे जॉब के लिए बुलावे की प्रतीक्षा है. भूतकाल में कितनी ही बार उसने जॉब के प्रति अरुचि दिखाई है. शायद वही कर्म सामने आ रहा है. एक तरह से उसने स्वयं ही जॉब नहीं करना चाहा था, मिले हुए काम को बार-बार छोड़ा भी था. शाम को वे बाजार गये. नवरात्रि पर बच्चों को देने के लिए उपहार खरीदे और  मृणाल ज्योति के लिए 'डा. राधाकृष्णन' की तस्वीर, शिक्षक दिवस के लिए. आज क्लब में कई मुख्य अधिकारी आये हैं, नुमालीगढ़ के एमडी का विदाई समारोह है. रात को देर तक चलते हैं ऐसे कार्यक्रम, वे नहीं जा रहे हैं.

आज दुर्गा सप्तमी है. शाम को वे पूजा देखने गये. काली बाड़ी, सेटलमेंट एरिया, बी-टाइप पूजा, नेपाली पूजा सभी देखीं. दो वर्षों बाद ये सब स्मृतियों में ही रह जाएँगी. दोपहर को सर्वेंट लाइन की महिलाओं को योग कराया, एक ने कहा, सब खुश हैं कि पूजा है, पर उसका मन ठीक नहीं है. हो सकता है एक घंटे अभ्यास के बाद बाद में उसे अच्छा लगा हो. आज सुबह जून के दफ्तर में सीएमडी की विजिट थी, सुबह उन्होंने कहा, एक गुलदस्ता चाहिए. उसने बगीचे से फूल तोड़े और गुलदस्ता बना दिया. कम्पनी के लिए इतना सा काम करके ख़ुशी हुई. कल ही तो कम्पनी के हिंदी अनुभाग ने वर्षों तक हिंदी पत्रिका में लिखने के लिए उसे सम्मानित किया था. यात्रा की तैयारी हो गयी है. कल जाना है.

 अक्तूबर का तीसरा दिन. मौसम अभी भी गर्म है. सखी की बिटिया के विवाह का उत्सव निर्विघ्न सुसम्पन्न हो गया. कल सुबह सात बजे वे वापसी के लिए चल पड़े थे. उसने ढेर सारी मिठाई दी थी, दोपहर को बच्चों व महिलाओं को बांटी योग के बाद. सुबह एक हफ्ते बाद तैरने गयी. शाम होने को है. कुछ देर में जून आ जायेंगे, फिर संध्या का कार्यक्रम आरंभ होगा. फल, बगीचे में टहलना, थोड़ी फोटोग्राफी, योग को समर्पित एक घंटा, रात्रि भोजन और अंत में विश्राम. कल 'लक्ष्मी पूजा' का अवकाश है, शाम को नैनी के यहाँ पूजा होगी, इस दिन वे पत्तों, फूलों की माला के साथ सब्जियों और फलों से मालाएं बनाकर मन्दिर को सजाते हैं. उन्हें तिनसुकिया जाना है. विवाह के कार्ड्स के लिए पारदर्शी आवरण लेने. शनिवार और इतवार को सम्भवतः कार्ड्स बांटने जायेंगे. आज ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखा, कल भी शायद समय नहीं मिलेगा. दो हफ्ते बाद एक और यात्रा पर निकलना है. आने वाले दो-तीन महीने भिन्न प्रकार की व्यस्तता में बीतेंगे. परमात्मा की कृपा का अनुभव निरंतर करते हुए हर पल को उपहार की तरह स्वीकारना है. परसों महिला क्लब में तीन वरिष्ठ महिलाओं का विदाई कार्यक्रम है, उसने तीनों के लिए कुछ लिखा है.