Monday, July 30, 2018

मछलियों की बारिश



आज क्लब में मीटिंग है, ‘काव्य पाठ’ प्रतियोगिता भी है. निर्णायकों के लिए उपहार आ चुके हैं और प्रतिभागियों के लिए पुरस्कार लेने वह एक सखी के साथ को-ओपरेटिव गयी, जहाँ पुरस्कार पैक भी हो रहे हैं. इस सखी के दांत में दर्द था उसका रक्तचाप भी बढ़ा हुआ है. वे अपने तन की देखभाल अच्छी तरह नहीं करते, तभी वह उनके लिए दर्द का कारण बनता है. उसकी कमर का घेरा इस ड्रेस में स्पष्ट नजर आ रहा है, आधा घंटा टहलना उपयुक्त रहेगा तैयार होने से पूर्व. अभी कुछ देर पूर्व उसने रसीद स्कैन की जो ट्रेजरर को देनी है, तीन-चार महीने में तो पैसे मिल ही जायेंगे, कार्यक्रम अच्छा होना चाहिए. इस महिला को पैसे देने में बहुत तकलीफ होती है, वह चाहती है क्लब में कोई खर्च ही न हो. कल एक सदस्या का फोन आया, उसने ‘मातृ दिवस’ पर एक गीत लिखा है, जो क्लब के कार्यक्रम में प्रस्तुत करना चाहती है. आज ब्लॉग पर ‘अयोध्या काण्ड’ का सैतींसवा सर्ग लिखा, कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है.

आज मौसम कितना अच्छा है, मंद पवन का स्पर्श और झूले पर बैठकर लिखना एक सुखद अनुभव है. वर्षों बाद मुरारी बापू की कथा सुनी, आज ही ब्लॉग पर पढ़ा कि पहले कैसे सुनती थी. सीता जी का पालन-पोषण महलों में हुआ था पर वह वन में भी कितनी प्रसन्न हैं, क्योंकि वह बचपन से ही प्रकृति के सान्निध्य में पली-बढ़ी थीं. बचपन में दिए संस्कार जीवन भर साथ चलते हैं. आज सुबह एक वरिष्ठ सदस्या का फोन आया, कल उसके कहने पर उन्होंने कविता पाठ में भाग लिया, पर उन्हें कहा गया, निर्णायक महोदय को संबोधित करने के कारण उनके अंक कम हो गये और पुरस्कार नहीं मिला. एक सखी का फोन आया, उन वरिष्ठ सदस्या ने उसे स्टेज के सामने जाकर एक महिला का फोटो खींचने के लिए, फटकारा, प्रेम भरा उलाहना ही रहा होगा. महिला क्लब भी राजनीति का अखाड़ा बन गया है क्या, खैर, उसे क्या फर्क पड़ता है, बल्कि एक कविता का जन्म हो गया उनसे बातचीत के बाद. कल के कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत भी था, सुगम संगीत भी और पश्चिमी संगीत भी.

एक सखी का फोन हृदय को सुखद अहसास से भर गया जो वर्षों पहले यहाँ से चली गयी थी, वे लोग दुबारा यहाँ आ रहे हैं. एक अन्य सखी से वर्षों बाद फेसबुक पर पुनः मुलाकात हुई. नन्हे की मित्र से बात हुई, हिंदी की किताबें ‘रश्मिरथी’ और ‘मधुशाला’ के बारे में राय पूछ रही थी, किसी को उपहार में देनी हैं. दोपहर के तीन बजे हैं, न ठंडा न गर्म, न वर्षा..बल्कि वसंत का मौसम ! शाम को क्लब में युवा गायक ‘पापोन’ का कार्यक्रम है, पर वे तेज आवाज में संगीत नहीं सुन सकते. दोपहर को अभ्यास के समय ही ड्रम की आवाज क्लब से घर तक आ रही थी. उसका गीत मोबाइल पर सुन रही है, आवाज तो अच्छी है उसकी, ‘बर्फी’ में भी उसने गाया है. कल रात तेज वर्षा के कारण बोगेनविलिया जो गुलमोहर पर टिका था, गिर गया, कुछ भाग ही गिरा है, मुख्य भाग अभी भी शेष है. आकाश से मछलियाँ गिरने का एक वीडियो देखा, गूगल में पढ़ा, वर्षा में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है. सदियों से ऐसा होता आया है, पहले समुद्र से वे ऊपर जाती हैं फिर नीचे आती हैं.

Tuesday, July 24, 2018

फूलों की माला



रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं, समाचारों में देश के कई राज्यों में बढती हुई गर्मी के समाचार आ रहे हैं, जबकि यहाँ असम में तेज वर्षा हो रही है. इसके पूर्व ‘सिया के राम’ देखा. शिवानी को सुनते हुए रात्रि भोजन किया. शाम को वर्षा रुकी तो कुछ देर ड्राइव वे पर ही टहलते रहे. आज से उज्जैन में ‘सिंहस्थ कुम्भ’ आरम्भ हो रहा है, आज दस लाख लोगों ने स्नान किया शिप्रा नदी में. नर्मदा और शिप्रा का संगम है उज्जैन में. समाचारों में सुना, प्याज की फसल इतनी हो गयी है कि दाम बहुत घट गये हैं.
आज एक बार फिर अनुभव हुआ कि स्वयं के संस्कारों को स्वीकारना जिसने सीख लिया, वही अन्यों के संस्कारों को भी स्वीकार कर सकता है. जो भी और जैसे भी संस्कार उन्हें मिले हैं, कर्मों को दोहराते रहने से बने हैं. यदि उनको बदलने में उन्हें इतना वक्त लगता है तो वे दूसरों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उनके एक या दो बार कहने से वे बदल जायेंगे. सबकी गहराई में जो बेशर्त प्रेम का झरना बह रहा है उसे बहने देने का एकमात्र यही उपाय है कि हरेक को वह जैसा है वैसा ही स्वीकार लिया जाये और फिर उसके वास्तविक रूप से उसका परिचय कराया जाये ! जब वे स्वयं का निरीक्षण करते हैं और उस पर निर्णय सुनाते हैं तो भीतर एक संघर्ष चलता है, जिसका परिणाम कभी सुखद नहीं हो सकता. वे इस दुनिया में अपने मूल स्वरूप को अनुभव करने तथा उसे व्यक्त करने के लिए आए हैं. उसकी झलक उन्हें कई बार मिलती रही है, स्वयं को अन्यों से ऊंचा बनाने के चक्कर में वे अपनी ही नजरों में छोटे बनते जाते हैं ! वे अपनी शक्ति को उन बातोँ में खर्च करते हैं जो उनके ही विरुद्ध हैं, ख़ुशी भी एक ऊर्जा है और जितना वे इसका निर्माण करते हैं, उतना यह उन्हें स्वस्थ करती है. प्रेम, विश्वास ये सभी सकारात्मक ऊर्जाएं हैं, जिनका निर्माण उन्हें करना है और बाहर व्यक्त करना है. भीतर की वृत्ति यदि श्रेष्ठ हो तो दृष्टि भी पावन हो जाती है.

आज रविवार है, दिन में वर्षा कम हुई थी, रुकी थी पर इस समय रात्रि के साढ़े आठ बजे पुनः मूसलाधार वर्षा आरम्भ हो गयी है. ‘सिया के राम’ देखना शुरू ही किया था, जिसमें जटायु की कथा दिखाई जा रही थी, कि टीवी पर सिगनल आना बंद हो गया. सब्जी बाड़ी से तोड़ी सब्जियाँ आज भोजन का अंग बनीं, सुबह हरे प्याज की रोटी, शाम को सहजन की सब्जी. दोपहर को नन्हे से बात हुई, वह नया बेड खरीद रहा है. दीदी ने बताया, उनके  छोटे पुत्र ने अपनी नयी कम्पनी शुरू की है. बड़ी नन्द की जेठानी को फोन किया, उनके पुत्र के विवाह में उन्होंने बुलाया था, पर वे जा नहीं पाए.
कल शाम की योग कक्षा में एक नयी साधिका आई, उसे वर्षों से पीठ में दर्द है, कोई आसन नहीं कर सकती. शाम को बंगाली सखी के यहाँ गयी, उसने विदेश से लाया एक छोटा सा उपहार दिया और आलू परांठा खिलाया. टीवी पर सुंदर संदेश सुना, ‘रहमदिल, देह अभिमान से मुक्त, एक रस, सभी के प्रति जिसमें सद्भावना हो, चाहे वे विरोधी ही क्यों न हो, ऐसे सद्गुणों से सजी आत्मा, परमात्मा के गुणों की याद दिलाती है. देवताओं के गले में जो फूलों की माला पहनाई जाती है, वह वास्तव में उनकी गुण माला होती है. देने की भावना सदा बनी रहे. स्वयं को देवता रूप में तैयार करना है. जब मूर्ति तैयार हो जाती है तो उसको दर्शन देने के लिए खोल दिया जाता है. साधक भी जब तैयार हो जाता है तो पर्दा खुल जाता है. परमात्मा की कृपा सहज ही बरसने लगती है, जब कोई इस पथ पर चलता है और पूर्णता प्राप्त होने पर संसार भी कृपा करने लगता है’. आज सुबह स्कूल जाते समय सड़क के दोनों ओर पानी ही पानी दिखाई दिया, हजारों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. बंगलूरू में सूखा पड़ रहा है, वहाँ वर्षा नहीं हुई है पिछले कई दिनों से.

Monday, July 23, 2018

सादिया देहलवी की किताब



कल रात्रि व परसों भी अद्भुत अनुभव हुए. जैसे ही किसी वस्तु का विचार आया, वह वस्तु साकार हो उठी, दिखने लगी, रंग भी स्पष्ट थे. आज संगीत का सुंदर अनुभव हुआ. उनके भीतर कितने राज छिपे हैं. आज भी मूसलाधार वर्षा हो रही है. मौसम ठंडा हो गया है. शाम को एक जून के एक सहकर्मी आ रहे हैं, गोल-गप्पे खाने, अपनी नन्ही बिटिया के साथ. कल राम नवमी थी, शाम को ‘राम ध्यान’ करवाया. ध्यान ही सिखाता है कि उनका असली घर उनके होने में है. एक खास तरह से होने में, वे अपने वास्तविक स्वरूप को व्याप्त रहें उस तरह होने में ! उन्हें खुद पर भरोसा करना सीखना है और खुद से प्रेम करना भी. इसी तरह सभी के भीतर उस असीम सत्ता का अनुभव करना है, तब सभी आपस में जुड़े हैं.

अवकाश समाप्त हो गया है, किन्तु आज असम बंद के कारण स्कूल नहीं खुला. एक अध्यापिका पति की सेवा निवृत्ति के बाद यहाँ से जा रही है, उससे मिलने चली गयी. विद्यालय के पुस्तकालय के लिए उसने कुछ पुस्तकें दी हैं. वापसी में गेस्ट हॉउस के बगीचे में उगे सुंदर फूलों के चित्र उतारे, बंगाली सखी के घर भी गयी, वह हाल ही में विदेश घूम कर आई है. जून के एक सहकर्मी को खेलते समय कंधे में चोट लग गयी, एक महीने से प्लास्टर लगा था, अब पता चला आपरेशन करवाना पड़ेगा. छोटी सी भूल कभी-कभी कितने विकराल दुख का कारण बन जाती है.

आज भी दिन भर वर्षा होती रही. सुबह वे टहल कर आये ही थे कि बूँदें पड़नी शुरू हो गयीं, इसी तरह स्कूल में भी योगकक्षा के समय वर्षा रुकी रही, मैदान में बच्चे एकत्र हो सके. नैनी ने पूरे दस दिनों के बाद आज से काम पर आना शुरू कर दिया है. शाम को मालिन को उसका मेहनताना देने के लिए बुलवाने बाहर गयी तो देखा वह स्वयं ही आ गयी थी, विचार भी संदेशा पहुँचा देते हैं. पिछले कुछ दिनों से सूफिज्म पर ‘सादिया देहलवी’ की किताब पढ़नी शुरू की है, अच्छी लग रही है. आज एक महिला दर्जिन ने आकर एक प्रार्थना पत्र दिया, क्लब के एक प्रोजेक्ट में उसे सिलाई सिखाने का काम चाहिए, प्रेसिडेंट के आने पर उनके घर भिजवा देगी. नन्हे से उसने कहा, तो वह मान गया, कालेज के अनुभवों पर कुछ लिखेगा, पर उसे इसके लिए समय निकालना होगा.

आज भी वर्षा सुबह से थमी नहीं है, वे प्रातः भ्रमण के लिए भी नहीं जा पाए. प्राणायाम के बारे में सुना, नाश्ते के बाद छाता लेकर ट्रैक पर टहलने गयी. दोपहर को ओशो से ‘ताओ’ के बारे में सुना. क्लब की एक सदस्या से प्रतियोगिता के लिए हिंदी कविता लिखने के लिए कहा, तथा काव्य पाठ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भी. इस समय संध्या के पांच बजे हैं, वर्षा तेज हो गयी है, जून अभी तक नहीं आये हैं. उसका मन एक अजीब सी मस्ती में डूबा हुआ है, वर्षा पर दो कवितायें भी लिखीं, कल पोस्ट करेगी. बूंदों के रूप में परमात्मा की कृपा ही मानो बरस रही है ! प्रकृति रहस्यमयी है, न धरती कुछ करती हुई प्रतीत होती है न ही अम्बर और दोनों के मध्य जल की धाराएँ प्रवाहित होने लगती हैं. जल जो सागरों से उठा होगा चुपचाप जाने किन हवाओं ने उसे यहाँ तक पहुँचाया होगा और किन नदी-नालों से होता हुआ एक दिन पहुँच जायेगा सागरों तक पर मध्य में कितनों की तृषा शांत करेगा, कितनों की क्षुधा भी, धरती को उर्वरा बनाकर और पोखरों को जल से भरकर, जाने कैसा अनुबंध है धरती और अम्बर में, परमात्मा भी जनता है या...वही कर रहा है यह सब !

Friday, July 20, 2018

रामानुजन् पर किताब



पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा. आज वर्षा थमी है, पिछले दिनों आँधी-तूफ़ान और तेज वर्षा होती रही. आज रविवार है और ऐसा कम ही होता है कि रविवार की सुबह दस बजे तक वे सुबह का सारा काम निपटा चुके हों. जून बाजार जाकर साप्ताहिक खरीदारी भी कर आये हैं. कल दोपहर दो बजे उसे ‘मृणाल ज्योति’ जाना था, जून देर से घर लौटे, भोजन करके उठे तो एक बज कर दस मिनट हो चुके थे. कुछ देर आराम करने के लिए लेटे तो उसकी आँख लग गयी और जब उन्होंने उठाया तो दो बजकर दस मिनट हो गये थे. पहली बार किसी कार्यक्रम में देर से पहुंची, सभी प्रतीक्षा कर रहे थे, सामने बैठाया. कार्यक्रम अच्छा रहा. शाम को महीनों बाद पहले की तरह संध्या की, पहले भजन फिर ध्यान. जब से उसने योग कक्षा आरम्भ की है, यह क्रम टूट ही गया था. सुबह एक योग साधिका अपने पुत्र को लेकर आई थी. पुत्र को नेति क्रिया सीखनी थी व मालिश करना भी, उसके शरीर में जरा भी लोच नहीं है, नीचे बैठ नहीं सकता. वर्ष में एक बार दीपावली के दिन ही तेल लगाते हैं वे लोग, ऐसा माँ ने कहा. 
आज भी दिन भर बादल बरसते रहे. प्रातः भ्रमण भी नहीं हुआ. रात को तेज वर्षा के कारण टीवी का ट्रांसमिशन रुक गया. ग्यारह बजे गृह प्रवेश की पूजा के लिए क्लब के प्रोजेक्ट स्कूल जाना है. स्कूल की नई इमारत में पूजा है. वर्षों पहले नन्हे ने इसी किंडरगार्टन स्कूल में अपनी शिक्षा का आरम्भ किया था. पुस्तकालय में नई किताबें आई हैं, वह दो किताबें लायी है, पहली गूगल के सीईओ के बारे में है तथा दूसरी महान गणितज्ञ रामानुजन के बारे में. रामानुज की पुस्तक बहुत रोचक है. कल केरल में एक दुर्घटना के कारण कितने ही जीवन नष्ट हो गये. कल आतिशबाजी देखने का आनंद उठाने के लिए आये लोगों को आज चिता में शरण लेनी पड़ी है, जीवन कितना विचित्र है.

परसों से तीन दिनों का बीहू का अवकाश प्रारम्भ हो रहा है. सुबह उठने से पहले स्वप्न में देखा, एक श्वेत-श्याम चित्र दीवार पर लटका है. चेहरा थोड़ा जाना-पहचाना है, हँसती हुई तस्वीर है, दांत भी दिख रहे हैं. पूछा कौन है, उत्तर मिला, वह स्वयं ही है. मृत्यु के बाद यह तस्वीर लटकाई गयी है. साइड में एक और भी तस्वीर थी पर देखा ही नहीं उसकी तरफ, किस कदर खुद में ही खोया रहता है हर इन्सान. नींद मृत्यु की निशानी है, यह गुरू माँ से सुना था, पर ‘जगाने के लिए मृत्यु का स्मरण’ कितना अच्छा स्वप्न दिखाया आत्मा ने. उसके पूर्व भी एक स्वप्न चल रहा था. जिसमें एक छोटा सा बच्चा है, जो एक दुकान में होता है, वे दुकानदार से उसे ले लेते हैं. बाहर आकर वह रोने लगता है तो उसे कई बातें याद दिलाते हैं. एक बार पहले भी वह घर आकर रह चुका था. स्वप्नों की दुनिया कितनी विचित्र है.
आज बीहू के अवकाश का दूसरा दिन है. कल नवरात्रि का व्रत किया था, आज कन्या पूजन है. जून ने हलवा बनाया और चने भी उबाल दिए, शेष कार्य उसने किया. कन्याओं के साथ बालक भी आये और कुल पचीस बच्चे हो गये. उन्हें प्रसाद खाते देखकर अच्छा लग रहा था, जैसे भगवान को भोग लग गया हो. पहली बार पूरी ओलिव आयल में बनायीं, बहुत स्वादिष्ट थीं. नैनी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, मालिन ने आकर घर का काम संभाला है. आज एसी में से एक गंध आ रही है, मकैनिक को बुलाना पड़ेगा.

Monday, July 16, 2018

सुपर ब्रेन योगा



आज वह अपनी नई पड़ोसिन से मिलने गयी, जो एक मृदुभाषी, थोड़े भारी तन वाली आकर्षक सांवली महिला हैं. थोड़ी देर बाद ही वह चाय, मिठाई, काजू और नमकीन ले आयीं और खाने का आग्रह करने लगीं. उनका घर कलात्मक साजसज्जा से सुशोभित है. वे लोग ब्राह्मण हैं, पूजा घर भी सुंदरता से सजाया गया है. कह रही थीं, रोज पूरे नियम से पूजा करती हैं. अब तक के कार्यकाल में दस घर बदल चुके हैं वे लोग. चार वर्षों के लिए वह राजस्थान में थीं, वहाँ के महिला क्लब की सेक्रेटरी भी थीं, अपने कार्यकाल में उन्होंने एक पत्रिका भी प्रकाशित करवाई. उनकी दो पुत्रियाँ हैं, एक पढ़ रही है और दूसरी एम टेक करने के बाद जॉब में है, वह पीएचडी भी करना चाह रही थी, पर किसी कारण वश यह सम्भव नहीं हुआ. पुत्रियों के बारे में बताते समय उनका मुख गर्व से दमक रहा था. इसी तरह पहले लोग केवल पुत्रों के बारे में बात करते थे. कुछ वर्ष वे लोग उड़ीसा में भी रहे. उन्होंने गोहाटी और कोलकाता में रहने वाले अपने दो भाइयों के बारे में भी बताया, एक का पुत्र बंगलूरू में स्टार्टअप चला रहा है और दूसरे का आईआईटी में इंजीनियरिंग कर रहा है. उनके पति के चार भाई हैं, बड़े भाई जब हाईस्कूल में थे अचानक उनकी आँखें चली गयीं, पर पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, डाक्टरेट करके प्रोफेसर भी बने. एक बहन थी पिछले वर्ष जिसकी मृत्यु हो चुकी है. बातें करते-करते जब घड़ी की ओर देखा तो जून के आने का समय हो गया था, उन्हें अपने घर आने का निमन्त्रण देकर वह लौट आई.
आज वे मतदान देने गये. सौ नंबर कमरे में उनका बूथ था, उस समय भीड़ जरा भी नहीं थी. पहले जून गये फिर वह. उनके आगे भी कोई नहीं था और पीछे भी कोई नहीं, जबकि अन्य कमरों के आगे लंबी लाइनें लगी थीं. वोट देने के बाद बाजार से फल खरीदे और जून के एक सहकर्मी के यहाँ गये, जिनकी माँ की पिछले हफ्ते मृत्यु हो गयी थी. यहाँ के रिवाज के अनुसार तेहरवीं से पहले जो भी जाता है, वह कुछ न कुछ लेकर जाता है. हर रिवाज के पीछे कोई न कोई कारण होता है, शायद दुःख को बांटने का एक तरीका है यह प्रथा. कल शाम एक पुराने मित्र परिवार को भोजन पर बुलाया था, पुरानी यादें ताजा करते समय मन कैसा बच्चों जैसा हो जाता है, बिना बात ही खुशी बना लेता है. कल रात  एक स्वप्न में देखा, वह एक बस में बैठी है, पर रास्ते में उतर जाती है, छोटा भाई आगे निकल जाता है. एक अन्य स्वप्न में किसी पुराने जन्म की स्मृति थी, जिसमें इस जन्म का एक संबंधी उस जन्म में भी होता है. उनके जो संस्कार गहरे होते हैं, अगले जन्म तक चलते चले जाते हैं. उसके भीतर जो लोभ की प्रवृत्ति है अथवा संदेह की, वह भी लगता है, पुरानी है, जिसके कारण कभी-कभी भीतर संदेह जगता है. उनकी आँखों पर जिस रंग का चश्मा लगा होता है, वे उसी से दुनिया को देखते हैं.
शाम के साढ़े पांच बजे हैं. वर्षा हो रही है बाहर, सो लगता है, दिन से सीधे ही रात हो गयी है. गुलजार की कुछ कविताएँ पढ़ीं आज, बहुत सुंदर हैं, सहज, सरल और दिल को छूने वाली कविताएँ ! सुबह मृणाल ज्योति गयी, ‘सुपर ब्रेन योग’ करवाया, कान पकड़ के उठक-बैठक को आजकल इसी नाम से पुकारा जाता है..अच्छा व्यायाम है, शाम को महिलाओं को भी करवाएगी. कल दोपहर भी जाना है, ‘बाल सुरक्षा समिति’ की पहली मीटिंग है जिसकी वह भी सदस्या है. जून के दफ्तर के एक उच्च अधिकारी की पत्नी को फोन किया, उनके लिए एक कविता लिखी है, वे लोग तीन दशक से अधिक कार्य करने के बाद यहाँ से जा रहे हैं. शनिवार को क्लब की एक अन्य सदस्या की भी विदाई है, एक परिवार तबादले पर जा रहा है. जीवन इसी आने-जाने का नाम ही तो है. उसका मोबाईल फोन ठीक से काम नहीं कर रहा, अच्छा ही है एक तरह से, भला हुआ मेरा चरखा टूटा..कबीर का पद है न जो आबिदा ने गाया है. फोन के कारण कितना समय व्यर्थ जाता है आजकल. नैनी कह रही है, इस बार पूजा में उसे साड़ी की जगह सूट चाहिए. अभी छह महीने शेष हैं पूजा आने में. मन तो कल्पनाएँ करता ही रहता है. अच्छ है कि उसका मन भी कल्पनाशील है.

Wednesday, July 11, 2018

किन्डल पर रामायण



कल रात्रि चेतना सघन थी, जो भी विचार आता था, मूर्त रूप होकर दिखने लगता था. कल दोपहर भी कितने अद्भुत दृश्य दिखे. छत की दीवार से लटकते हल्के बैंगनी रंग के फूलों की झालरें..तथा तेज हवा में उड़ते पत्ते, वृक्षों की डालियाँ, धूल तथा हवा का शोर भी कितना स्पष्ट था. अद्भुत है उनके भीतर का संसार ! सुबह उठी तो मन उत्साह से भरा हुआ था. वे टहलने गये, फिर स्कूल गयी, बच्चों ने ध्यान किया, उससे पूर्व ॐ की ध्वनि सुनाई दी तो वे सहज ही शांत हो गये. घर लौटी तो नैनी घर में काम कर रही थी, पर पीछे का दरवाजा पूरा खुला था, उसने नैनी को फटकारा, पर भीतर तब भी सन्नाटा था. ब्लॉग पर पोस्ट डालने के बाद कुछ देर किन्डल पर पढ़ने का विचार आया, पिताजी बाल्मीकि रामायण की बहुत तारीफ कर रहे थे. छोटी बहन भाई के घर पहुंच गयी है. वे उसे पुरानी तस्वीरें दिखा रहे हैं, जो वह व्हाट्सएप पर डाल रही है. अभी कुछ देर पहले घर के सामने के हैलीपैड पर एक हेलिकॉप्टर उतरा, फिर उड़ गया, उसका शोर इतना अधिक था कि घरों से लोग निकल कर देखने आ गये. ‘पवन हंस’ नाम है शायद इसका. जून के दफ्तर में एक टेंडर के कारण काफी हलचल है. बात दिल्ली तक जा पहुँची है, आज उन्हें मंत्री के पीए का फोन आया था, जाने क्या हल निकलता है. व्यक्ति के अहंकार के कारण ही ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि उनका वास्ता मंत्रालय से पड़ा है. उच्च अधिकारी भी दबाव में हैं.

मार्च का अंतिम दिन ! सुबह सामान्य थी, रात्रि को हुई वर्षा के कारण हल्की ठंडक थी, पर बादलों के पीछे से सूरज झांक रहा था. जून कल रात किसी सोच में मग्न थे पर सुबह सहज थे. वह अपने दफ्तर में चल रहे एक केस के कारण पिछले दो माह से व्यस्त हैं. सब कुछ को किसी खास कोण से देखा जाये तो सही जान पड़ता है. हर मानव को प्रकृति आगे बढ़ने का अवसर देती है. यदि जीवन में संघर्ष न हो तो विकास भी नहीं होगा, हाँ, विकास तभी सही होगा जब तथाकथित संघर्ष के पार कोई जाना सीख ले. आज भाई के घर पूजा हो गयी होगी और वे आगे यात्रा पर निकल गये होंगे. आज भी ब्लॉग पर दो पोस्ट प्रकाशित कीं, उसकी एक नई फेसबुक मित्र इन रचनाओं में काफी रूचि ले रही हैं. उसे ब्लॉग की पोस्ट फेसबुक पर भी पोस्ट करनी चाहिए ऐसा भांजे ने कहा था.

जून आज कुछ परेशान लगे. जो स्वाभाविक है, उन्हें अनजान व्यक्तियों से फोन पर व्यर्थ के आक्षेप सुनने पड़ रहे हैं. पर वह जरा भी क्रोधित नहीं होते, क्रोध से कोई हल नहीं होने वाला, यह वह जानते हैं. यदि किसी के पास धन हो क्या वह भूखा रहेगा, वस्त्र हों तो क्या वह ठंड में काँपेगा, फिर मानव क्यों अशांत रहे जब उसके भीतर शांति का अपार स्रोत है. आत्मा के रूप में उसे आनंदका स्रोत मिला है और वह दुखी है..आश्चर्य ही हो सकता है यह देखकर. जब भी कोई दुखी होता है, अपनी क्षमता का अनादर ही कर रहा होता है. किन्तु वे अपने कार्य के प्रति समर्पित थे, अब उसमें कुछ तो बदलाव आएगा ही, जीवन हर पल नया है, कब कौन सा मोड़ सामने आएगा, कौन जानता है. नन्हे से बात की, वह भी किसी केस का सामना कर रहा है. किसी मरीज का डाटा लीक हो गया. रात को एक-दो बजे तक घर पहुंच रहा था. आज सुबह वह उठी तो कितने अद्भुत दृश्य दिखे, वाणी भी दिखी, लिखी हुई ! रात की कोख से सुबह का जन्म होता है, नींद के आगोश से जागरण का !  

Monday, July 9, 2018

फूलों के रंग



पिछले दिनों काफी घूमना हुआ, कई परिजनों से भेंट हुई. बड़े भाई के साथ कुछ दिन बिताये. परसों दिल्ली से वह लौटी तो घर में एक मेहमान मिला, छोटी ननद का छोटा पुत्र यानि उसका भांजा, जो वार्षिक परीक्षाओं के बाद कुछ दिनों के लिए यहाँ घूमने आया है. जून उसी दिन गोहाटी चले गये. आज वह वापस आ रहे हैं, पर कल उन्हें पुनः जाना है. यह किशोर सभी कार्य धीरे-धीरे करता है, और इसका बड़ा भाई उतनी ही शीघ्रता से. सुबह चार बजे उठाने को उसने कहा था, पर साढ़े पांच बजे उठा, वे ट्रैक पर टहलने गये, जिसके निकट स्थित गुलाब का बगीचा फूलों से भर गया है. कल शाम वे मृणाल ज्योति गये, स्कूल आगे बढ़ रहा है. भांजा भी गया था, चुपचाप बैठकर किताब पढ़ता रहा. बिस्किट ले गया था, पर बांटे नहीं उसने, उसके कहने पर शायद बाँट भी देता, वे देकर आ गये. आज नैनी की जगह मालिन काम कर रही है. नैनी अस्पताल में है, उसका तीसरा बच्चा जन्म लेने को है, सब कुछ ठीक से हो जायेगा, उसने मन ही मन प्रार्थना की. शनिवार को साप्ताहिक सफाई का दिन है, सफाई कर्मचारी दीवारों और छत के जाले साफ कर रहा है.

कल हफ्तों बाद ब्लॉग पर लिखा. परमात्मा इस अस्तित्त्व की समग्र ऊर्जा का नाम है. जिसके पूर्व न कोई कारण है न कोई आशय. वह बस है जो इस विराट आयोजन के रूप में प्रकट हो रहा है. वह पूर्ण है और शून्य भी, वह अनंत है और अति सूक्ष्म भी, वह दूर भी है और निकट भी, वही सब कुछ हुआ  है पर वह कुछ भी नहीं है. जन्म से पूर्व और मृत्यु के बाद वे उसी असीम के साथ एकाकार हो जाते हैं. यह सृष्टि वर्तुलाकार है, सारा ब्रह्मांड किसी केंद्र का अनुगमन कर रहा है. इस जगत में विरोध नहीं है, सारे विपरीत एक दूसरे के पूरक हैं. जो भी विरोध नजर आता है वह अज्ञान के कारण ही है. कितना रहस्यमय है यह ज्ञान, जो समझकर भी समझाया नहीं जा सकता, योग वसिष्ठ में जब मुनि राम को कहते हैं, कुछ हुआ ही नहीं, ब्रह्म अपने आप में स्थित है, तो उनका मन अचरज से भर गया था. किशोर मेहमान को ध्यान के बारे में जानना अच्छा लग रहा है, वह कितने ही प्रश्न पूछता है. सुबह योगासन भी करता है. परसों उसके माँ-पापा आ रहे हैं, जिनके साथ वे होली का त्योहार मनाएंगे और कहीं घूमने भी जायेंगे, लिखने का समय तब नहीं मिलेगा.

मेहमान कुछ दिन रहे और चले भी गये. इस बार होली का त्योहार उन्होंने फूलों के रंगों से मनाया. पलाश और गुड़हल के फूलों से बनाया गीला रंग, हल्दी व आटे से सूखा रंग, हर्बल गुलाल तो मंगाया ही था. आज एक सप्ताह बाद डायरी खोली है. मौसम बादलों भरा है. सुबह छाता लेकर प्रातः भ्रमण किया, फिर भी हल्की सी फुहार पीठ और चेहरे को भिगो रही थी, जो ठंडक से भरने के बावजूद भली लग रही थी. सुबह स्कूल गयी, प्रिंसिपल के कहने पर बच्चों को ध्यान कराया, पता नहीं उन्हें कितना भाता है, आसन तो यकीनन उन्हें भाते थे. क्लब की सेक्रेटरी बाहर गयी हैं, इस महीने उसे ही मासिक बुलेटिन बाँटना है, जून ने बारह क्षेत्रों के लिए सदस्याओं की संख्या के अनुसार बंडल बनाने में उसकी सहायता की, सुबह अपने ड्राइवर से ही ही वे उन्हें भिजवा भी देंगे. इसी हफ्ते क्लब का एक कार्यक्रम भी है, इस वर्ष का अंतिम व सबसे बड़ा आयोजन.

आज भी सुबह से घनघोर घटा छायी है, दिन में रात होने का आभास करा रही है. मौसम इतना ठंडा हो गया है कि स्वेटर जो धोकर रख दिए थे, पुनः निकालने पड़े हैं. सुबह नयी पड़ोसिन को फोन किया, वह सदा अपने घर आने का निमन्त्रण देती थीं. उन्होंने कहा दोपहर को तीन बजे वह उसका स्वागत कर सकती हैं, अर्थात वह खाली हैं. कल शाम को योग कक्षा में एक साधिका ने ध्यान की जगह ज्यादा आसन कराने को कहा. कुछ न करने से कुछ करना ज्यादा अच्छा लगता है सभी को, कुछ न करना ज्यादा कठिन भी है और ध्यान है कुछ भी न करना. अगले महीने मंझले भाई की बिटिया की सगाई होनी है और सम्भवतः इसी वर्ष विवाह भी हो जायेगा. छोटी बहन आज भारत आने वाली है. कल भाई के यहाँ पूजा है, वे तैयारी में लगे होंगे, उसने फोन किया तो उन्होंने नहीं उठाया.