Saturday, August 31, 2013

ताय कांडू yani taekwondo


‘दिल का मरहम कोई न जाने जो जाने सो ज्ञानी’

दिल का प्याला कभी छलक उठता है
और कभी खाली हो जाता है
दूर समुन्दर में कभी दिखते कभी छिप जाते
जहाज के प्रकाश की तरह
वह एक जादूगर जो छिपा है
सात पर्दों के पीछे
चुपचाप हँसता रहता है
या शायद उसकी हँसी भी रूठ जाती हो
दिल के टूटने की आवाज पर
जो वह हजार पर्दों के पीछे भी सुन सकता है !

आज मौसम ठंडा है, कल दोपहर जब वे एक और मित्र के यहाँ थे, वर्षा की मधुर झंकार सुनाई दी और तीन बजे तक बिजली भी आ गयी थी. आज शनिवार है, पिछले दो शनिवारों को नन्हे ने कोई विशेष डिश बनाने में सहायता की थी, आज भी वह तरला दलाल की किताब से कोई नई रेसिपी खोज रहा है.

टीवी पर खबरें सुनकर उसने सोचा, राजनीति यानि राज करने की नीति, राज यानि शासन और नीति यानि कुछ नियम अथवा आचार संहिता, जिसके अनुसार राज चलाया जाना चाहिए. पर राजनीति शब्द का गलत अर्थ निकाला जाता है जब उसे आज के हालात में देखा जाये, राजनीति यानि जोड़-तोड़ करके पाई गयी सत्ता का दुरूपयोग !

शाम के छह बजने को हैं, जून क्लब गये हैं, नन्हा पढ़ाई कर रहा है. वह स्कूल से आकर तायकांडू देखने एक अन्य स्कूल में गया था, आजकल वह सुबह साढ़े चार बजे उठकर क्लब तायकांडू सीखने जाता है. उसके साथ वे भी उठ जाते हैं, कुछ देर टहलते हैं, फिर समाचार देखते हुए चाय, उसके बाद जागरण. आज स्वीपर से घर का जाला आदि साफ करवाया, घर साफ-सुथरा, भला सा लग रहा है. दोपहर को हिंदी पढ़ाने गयी, लौट कर नाश्ता बनाने के बाद एक घंटा बगीचे में काम किया. कल उसने धूप की कामना की थी, जिससे आज गुलदाउदी के पौधे लगा सके, अब आज धूप न निकलने की कामना है ताकि नन्हे पौधे धूप में कुम्हला न जाएँ. इन फूलों का जिक्र आते ही उसे बंगाली सखी याद आया ही जाती है, पता नहीं वह उसे याद करती है या नहीं. सुबह से वह व्यस्त रही है फिर भी एक खालीपन का अहसास मन पर छाया हुआ है. पिछले दो तीन दिनों से जून कोई पत्रिका भी नहीं ला रहे हैं जिसे पलटकर दिल का खालीपन को भर लिया जाये, पर यह खालीपन उस एक की प्रतीक्षा में है वह उसका खुदा जाने कहाँ है ? घर से खत आया है, माँ ने लिखा है, उन्हें खुशी है कि उसकी दिनचर्या व्यस्त है. कल लेडीज क्लब की मीटिंग में गयी थी, वहाँ कुछ खास नहीं हुआ पर घर आई तो नन्हे और जून ने जिस तरह स्वागत किया वह मन को छू गया. फिर ‘हम पांच’, सैलाब और समाचार के बाद जब आँख बंद कर लेटी तो मन में क्लब की बातें ही थीं.


Thursday, August 29, 2013

बिजली चली गयी


आज उसने सुना, तटस्थ भाव या साक्षी भाव से सुख-दुःख को भोगना ही सम्यक प्रज्ञा है. आरम्भ में बाधाएँ तो आएँगी ही, लेकिन होश सहित श्रद्धा के बल पर और ज्ञान के बल पर इस पथ पर बढ़ा जा सकत है. अनंत मैत्री, अनंत करुणा, अनंत मुदिता, अनंत उपेक्षा, ये चार गुण साथ में लेकर यदि श्रद्धा करें तो ही सच्ची श्रद्धा है, यानि विवेक युक्त श्रद्धा.

आज धूप बहुत तेज है, और अभी-अभी बादल के एक टुकड़े ने सूरज को ढक लिया है, शीतलता यहाँ तक महसूस हो रही है. इस हफ्ते सात पत्र मिले हैं, जवाब देने के लिए कम से कम एक घंटा तो लगेगा.

नन्हे की टेनिस कोचिंग के कारण वह इतनी सुंदर सुबह का आनन्द उठा पा रही है. आज सुबह साढ़े चार बजे ही उठ गया और आधे घंटे में तैयार होकर नन्हा चला गया है. बादल जो कल शाम से बनने शुरू हुए थे, अभी भी है, रात भर बरस चुके हैं सो मौसम में ठंडक है. आज उसकी एक मित्र का जन्मदिन है, कल रात नींद आने तक कुछ पंक्तियाँ उसके लिए मन में गढ़ रही थी-

आँखें हंसती रहें लब मचलते रहें
गीत अधरों से यूँ ही झरते रहें

दुःख की छाया न ही गम अँधेरा कभी
कदम दर कदम फूल खिलते रहें

सुख में शामिल सदा दुःख में भी साथ हों
सिलसिले दोस्ती के यूँ चलते रहें

खुशनुमा ही रहे हर दिवस इस तरह
बरस दर बरस वह चहकते रहें

जिन्दगी का हर इक रुख हो रोशन सदा
दिल में चाहत के दीपक जलते रहें

हमसफर साया बन के सदा साथ हो
चाहे मौसम फिजां के बदलते रहें

आज सुना, “अनित्य के प्रति जो आकर्षण है उसे तोड़ने के लिए उसका दर्शन करते करते ही नित्य तक पहुंचा जा सकता है. देखना जानने की क्षमता पैदा करता है. नित्य अवस्था में न तो उत्पाद होता है न क्षय होता है. स्थूल से सूक्ष्म तक आने के बाद उसका भी अतिक्रमण हो जाये”.

कल आखिर विश्वास मत पारित हो गया और देवेगौडा सरकार ने संसद में पूर्णमत हासिल कर लिया यानि अब हमारी एक अदद सरकार है. आज फिर मौसम बेदर्द होकर तपन बरसा रहा है, वे लोग जो बंद कमरों में पंखों और कूलरों के सामने रहते हैं उन्हें शिकायत करने का क्या हक है, जब हजारों लाखों लोग खुले आसमान के नीचे अपनी रोज़ी कमाने को विवश हैं.

आज उसने सुना, ‘अनुभूतियों से सच्चाई जानना ही धर्म ध्यान है. अपने भीतर उठने वाले विकारों पर तुरंत रोक लगाना और उन्हें जड़ से उखाड़ कर फेंकने को ही उपशमन कहते हैं. दमन नहीं चाहिए. जो क्षण अविद्या में बीतता है, विकारों का संवर्धन होता ही जाता है. मानस में एक विकार जागा तो उसके फल के साथ उस विकार का बीज भी आता है, और अज्ञान के कारण हम उसे सींचते रहते हैं. हमारे विकारों के दो सेनापति हैं, राग और द्वेष जिन्हें खत्म करना है ताकि हम अपने शिव को मंगल को न कुचल डालें. ध्यान जब जागता है तो हमारे पुराने कर्मों का बल समाप्त होता जायेगा और मन करुणा से भर जाता है. पुराने समाप्त हो गये नये बनते नहीं यही तो मुक्त अवस्था है. लेकिन बुद्धि के बल पर इसे समझने से कोई लाभ नहीं, होश में रहकर ही आग का मुकाबला पानी से करते हैं. अंदर तक स्वभाव बदलने के लिए अभ्यास करना होगा, अपने भीतर होने वाली संवेदनाओं के प्रति सजग रहने का अभ्यास नहीं किया तो स्वभाव वैसे का वैसा रहेगा. प्रज्ञ प्रत्यक्ष ज्ञान है”.

पिछले कई दिनों से मौसम बहुत गर्म है, पसीने से तर हैं वे लोग. कल रात बिजली चली गयी थी और इस समय भी वही हाल है, इस खिड़की के पास बैठकर कभी-कभी हवा का एक झोंका आकर गर्दन को छू जाता है. अभी जून को फोन किया तो वह कहने लगे आज दिन में करेंट जायेगा यह तो पता था पर कब आयेगा यह पता नहीं. देखें तब तक उनका क्या हाल होता है, ये नन्हे के शब्द हैं. कल रात वे एक मित्र के यहाँ सोये वहाँ बिजली थी, उनके घर की चाबी उनके पास थी. आज दोपहर को वे “एक बन्दर होटल के अंदर” देखने वाले थे और पीटीवी पर दायरे भी देखना  था पर अब बिजली के बिना सारे कार्यक्रम धरे रह गये हैं. पर उन्हें बिजली पर इतना निर्भर नहीं होना चाहिए, उन लोगों की तरफ देखना चाहिए जिन्हें ये सब सुविधाएँ नहीं मिलती हैं, या फिर बड़े शहरों में जहाँ बिजली अक्सर जाती ही रहती है.
  





Tuesday, August 27, 2013

तीसरी कसम


Today is her birthday, oh God ! how long she has lived on this beautiful earth ! so many years and so many memories of those years, some good and ofcourse some  not  so  good. It is 9 a m  and  she has got  birthday wishes from her friend and didi. When she gotup in the morning  jun  gave her  a nice greeting card and a chocklate with lots of love. He is so loving and caring always but sometimes she can’t see this, perhaps she remains aloof or may be she takes it as naturally as their being together. Last night in a dream she saw father also wishing her good. When there are so many people how can be she lonely ever. Nanha wished her also but he is too lazy to make a card. Today weather is excellent and they will have some mouth watering dishses in dinner.

आज सुबह जागरण भी देखा और सुना, आचार्य ने मैं औए मेरा के बंधन से मुक्त होने की बात कही. तृष्णा के त्याग की और आसक्ति से मुक्ति की भी. बातें सुनने में तो बहुत अच्छी लगती हैं पर सदियों से मन मैं, मेरा के समीकरण में लिप्त है. उससे निकल पाना दुष्कर लगता है. जन्मदिन के दिन ऐसी दुर्बलता क्या ठीक है ? बल्कि उसे तो प्रण लेना चाहिए कि अनावश्यक तृष्णाओं के जाल से दूर रहकर अनासक्त भाव से जो मार्ग में आए उसे साधित करते हुए अपना जीवन व्यतीत करे अर्थात अपने कर्त्तव्यों का पालन करे, व्यर्थ की चिंताओं और प्रपंचों में न पड़े. मन को विकारों से धीरे-धीरे दूर करते हुए वर्तमान में जीना सीखे.

कल रात्रि वे देर से सोये, जन्मदिन का विशेष डिनर (मलाई कोफ्ते भी थे) खाते-खाते ही दस बज गये, फिर छोटी बहन और उसके पति से बात की. छोटी बहन ने बताया वह ‘ए आर ओ’ बन गयी है, शायद इसका अर्थ असिस्टेंट रीजनल ऑफिसर होता हो या कुछ और मेडिकल लाइन से सम्बन्धित. सोते-सोते ग्यारह बज गये, नतीजा सुबह नींद देर से खुली और अभी तक रात के भारी खाने का असर बाकी है, हर ख़ुशी की कीमत चुकानी पडती है. कल छोटे भाई का फोन भी आया. बड़े भाई के यहाँ उसने स्वयं ही किया पर घंटी बजती रही किसी ने उठाया नहीं, शायद गर्मी और बिजली न रहने के कारण वे लोग बाहर निकल गयर होंगे. बड़े शहरों में रहने के कुछ फायदों के साथ नुकसान भी हैं. नन्हा इस समय story book पढ़ रहा है जबकि उसका बहुत सा गृहकार्य शेष है. मौसम आज मेहरबान है, कुछ देर पहले एक फोन आया, एक महिला ने अपनी बारहवीं में पढ़ रही बेटी को गणित पढ़ाने के लिए कहा है.

जून का प्रथम दिन..यानि गर्मी के एक और महीने की शुरुआत. उसने काश्मीर फ़ाइल का एक अंक देखा, अछ अलग, वहन शांति पूर्ण चुनाव हो गये हैं और मतदान का प्रतिशत भी अच्छा रहा है. आज टीवी पर ‘तीसरी कसम’ फिल्म दिखायी जाएगी, राजकपूर की पुरानी फिल्म जिसके गाने बहुत अच्छे हैं. आज फिर वर्षा हो रही है, नन्हे के जाते ही शुरू हो गयी, वह न छाता लेकर गया है न बरसाती ही, जुकाम से पहले ही परेशान है, अभी कुछ देर पहले फोन पर बताया कि दोस्त के यहाँ से छाता लेकर जा रहा है, उसकी आवाज फोन पर बहुत मीठी लगती है. कल वे दिगबोई और फिर तिनसुकिया गये, ट्रिप अच्छा रहा पर शाम को लौटकर थकान महसूस हो रही थी. उसके साथ ऐसा ही होता है, कार से उतरते वक्त तक थकन का नामोनिशान भी नहीं होता पर कपड़े बदलते-बदलते ही पता चलता है कि दिन भर कितना चले.


आज ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ है, एक वक्त था जब पर्यावरण शब्द का अर्थ खोजने के लिए शब्दकोश खोलना पड़ता था, आज बच्चे-बच्चे को इसका अर्थ ज्ञात है. जब पहली बार यह शब्द सुना था अर्थ जानकर एक कविता लिखी थी, काले, धूसर पहाड़ों की, जो पेड़ कटने से अपनी हरियाली खो चुके हैं, किसी ‘डाल्यु के दड्गया’ के लिए यानि पेड़ों का दोस्त. उसके सामने आज एक पीला होता हुआ पौधा है, जो कभी एकदम हरा था, आज उसे बचाने का प्रयास कर रही है, शायद फिर से उसमें नई पत्तियां आने लगें. उनका पुराना मनी प्लांट भी सूख रहा है उसका भी नवीकरण करना है यानि पीली पत्तियों और सूखी टहनियों को तोडकर हरे भरे पत्तों को रखना है. 

Monday, August 26, 2013

देवेगौड़ा जी का शासन



सुबह सोकर उठी तो मन में फिर वही बातें घूम गयीं, समूह गान तथा skit... कल दीदी का खत आया, बहुत अच्छा लगा उसे, बुआ जी के बारे में उनके विचार पढकर और भी अच्छा..बचपन की यादें कभी-कभी वर्तमान पर भी हावी हो जाती हैं.. सुबह गोयनका जी फिर समझा रहे थे, अनुभूति के स्तर पर किया गया दर्शन ही मुक्ति की ओर ले जायेगा. मानव के कर्मों का फल ही उसे निरंतर सुख या दुःख के रूप में मिलता है, दैहिक या वाचिक कर्मों का ही नहीं मानसिक कर्मों का भी क्यों कि हर क्षण मानव जो भी है अपने मन का प्रतिबिम्ब ही है, मन में कोई दूषित विचार आया नहीं कि दुःख का एक बीज रोपित हो गया. हमारे सारे सुख-दुःख परछाई की तरह हमारे साथ चलते हैं और उनका उद्गम है मन. आँखें बंद करती है तो स्वयं को एक उहापोह में घिरा पाती है, एक तनाव भी, जो इस कार्यक्रम की सफलता-असफलता को लेकर है और एक उलझन भी कि इस टीम वर्क में उसका कितना योगदान होना चाहिए. एक क्षण को यही लगता है कि सारी बागडोर अपने हाथों में संभाल लेना ही ठीक है या सिर्फ सुपरविजन ! देखें क्या होता है, मूक भाव से सारी घटनाओं का निरिक्षण व दर्शन करना भी तो उसके मन का काम है.

और कल उनकी skit हो गयी, उसकी एक भूल के कारण एक छोटा सा दृश्य नहीं हो पाया, जिसके लिए वह कल शाम से ही परेशान है, लगता है इस बार उन्हें पुरस्कार वितरण समारोह में जाने की जरूरत नहीं है, वैसे भी जून कल शाम को मोरान जा रहे हैं. नन्हा कम्प्यूटर क्लास में गया है. और कल शाम से अचानक शुरू हुई वर्षा के कारण उसका मन भी शांत है, आज से उसने घर की सफाई का काम भी शुरू किया है, खतों के जवाब भी देने हैं, आज बच्चे भी पढ़ने आएंगे यानि सारा दिन व्यस्त रहेगी जो ठीक ही है, जून की कमी उतनी नहीं खलेगी. कल शाम से एक विचार मन में यह भी आ रहा है कि प्रेम उसके जीवन से भाप बनकर उड़ गया है, जून के लिए या संसार में किसी के लिए भी. दो दिनों के लिए जून दूर गये हैं तो इसकी भी परीक्षा हो जाएगी.

जून का फोन आया तो वे सो ही रहे थे, उनके बिना न तो वे खाना ही ठीक से खा सके और नींद भी रात को खुलती रही. कल दिन भर की तरह आज भी टीवी पर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में हुई बहस सुनी. बीजेपी और यूनाइटेड फ्रंट दोनों दो अलग-अलग ध्रुवों पर खड़े हैं और कोई भी दूसरे को समझना नहीं चाहता सिर्फ राजनीति के लिए राजनीति कर रहे हैं ये लोग, देश के लिए क्या अच्छा है यह नहीं सोचते. अब तक तो मतदान भी हो गया होगा और बीजेपी हार गयी होगी. देश में बहुत सारे लोगों के चेहरे उतर गये होंगे. जगजीत सिंह का कैसेट बज रहा है अभी तक एक साथ बैठकर पूरा नहीं सुन पाई है, उसने सोचा अब जून का इंतजार करते-करते सुनना अच्छा लगेगा.


कल जून पूरे छह बजे आये, INSIGHT पूरा सुन लिया सबसे अच्छे लगे दोहे और यह गजल, ‘’बदला न अपने आपको जो थे वही रहे...’’जून आए तो घर जैसे उत्साह से भर गया. आज दोपहर को वह ढेर सारा सामान ले आए उसके जन्मदिन के लिए और कल चप्पल भी लाये थे बहुत सुंदर चप्पल है अब उसके पैर उन निशानों से बच जायेंगे जो हवाई चप्पल पहनने से पड़ने लगे हैं. कल आखिर अटल बिहारी वाजपेयी जी को इस्तीफा देना पड़ा और अब देवगौड़ा जी को सरकार बनाने का निमन्त्रण दिया गिया है. १२ जून तक उन्हें सरकार बनानी है इस बीच में न जाने कितने मतभेद उभरेंगे. धर्मयुग में पढ़ा, इन्सान रोटी, पूजा और प्यार एक साथ चाहता है, सच ही है भोजन इन्सान की सबसे बड़ी जरूरत है और प्यार के बिना वह अधूरा है. श्रद्धा या पूजा इसे आदमी से इन्सान बनती है. श्रद्धा यानि अच्छाई के प्रति आस्था, उस परम शक्ति के प्रति आस्था जिसने इस सुंदर ब्रह्मांड की रचना की है. कल उसका जन्मदिन है पर जाने क्यों इस बार पहले की सी उत्सुकता या उछाह नहीं है, शायद बढ़ती हुई उम्र का तकाजा या..भय. उम्र मन की गिनी जाये तो अभी मन इतना तो बड़ा हुआ नहीं कि जन्मदिन की ख़ुशी मनाना ही भूल जाये. 

Thursday, August 22, 2013

नाटक की रिहर्सल



दस बजे हैं, वर्षा है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही. आज सुबह समाचारों में सुना, आन्ध्र प्रदेश में लू से कुछ लोग मर गये, यहाँ उन्हें स्वेटर निकलने पड़ रहे हैं. दिल्ली में ओले पड़ते रहे पूरे बीस मिनट तक, सडक पर snow fall जैसा  दृश्य बन गया था प्रकृति के विभिन्न रूप एक साथ देखने को मिलते हैं भारत में. आज वह  लिखने में ध्यान केन्द्रित नहीं कर पा रही है, नन्हा भी यहीं है और एक के बाद एक सवाल पूछे जा रहा है, आलू इतने छोटे क्यों हैं ? इससे भी छोटे मिलते हैं ? कल शाम उसी परिचिता से बात हुई, वह दोपहर को तीन-चार बच्चों को लेकर आयेगी skit की प्रैक्टिस के लिए. केंद्र में बीजेपी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति ने सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है, सारे देश के लोगों की जो एक इच्छा थी कि एक बार बीजेपी को मौका मिलना ही चाहिए, पूरी हो गयी. असम विधान सभा में एजीपी की सरकार बनेगी, कहीं फिर से वह आतंक तारी न हो जाये जो ४-५ वर्ष पहले यहाँ छाया हुआ था.

आज सुबह वर्षा बहुत तेज हो रही थी जब बच्चे पढ़ने आये, children meet के कारण सुबह आते हैं आजकल, कल रात देर तक वह एक सवाल हल करती रही थी उनके लिये, पर उन्होंने वह स्वयं ही हल कर लिया था. नन्हा कम्प्यूटर क्लास से आकर खुश था, he is really enjoying this class. इस समय दोनों पिता-पुत्र क्लब गये हैं, वह बगीचे में काम कर रही थी. नैनी और उसके दो बच्चे भी उसके साथ बगीचे की सफाई कर रहे थे. बच्चे अपने घर की, घर में लगे आम, बेर के पेड़ों की, पिता की, नानी की बातें कर रहे थे, उन्हें सुनकर यही लगता है, उनका पहले का जीवन अच्छा बीता है, अब भी खुश रहते हैं ये लोग, कभी-कभी माँ परेशान रहती है जो स्वाभाविक है, पति ने दूसरी शादी कर ली है और वह तीन बच्चों को लेकर घर छोड़ आयी है. रोज सुबह ‘जागरण’ सुनने-देखने के बाद भी कभी-कभी वह भी अपने मन पर नियन्त्रण नहीं कर पाती है और न जाने क्या–क्या सोचने लगती है. गोयनका जी ठीक ही कहते हैं, यह मन अंदर से बड़ा बेचैन है, बड़ा अशांत है, कैसी-कैसी गांठें पड़ी हैं, कभी राग कभी द्वेष, कभी कामना के बंधन में जकड़ा न स्वयं सुखी होता है न दूसरों को सुखी करता है. यदि कोई प्रतिक्षण इस पर नजर न रखे तो मौका मिलते ही यह कहीं से कहीं भाग जाता है, मरकट राज की तरह इस डाल से उस डाल उछलता रहता है, कभी चोट खाता है तो कभी कोई मीठा फल मिल गया तो उछल पड़ता है. यह मन बड़ा ही चंचल है पर इसे बस में तो रखना ही होगा. अध्यात्म मार्ग पर चलने वाले को तो इसे साधना ही होगा.

मौसम आज भी वही है बादलों भरा. नन्हा कम्प्यूटर क्लास गया है, जून फील्ड गये हैं. उनके नाटक की रिहर्सल ठीक चल रही है पर अभी समूह गान के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है. बच्चों में भी उत्साह की कमी नहीं है. सुबह-सवेरे ‘जागरण’ में इतनी अच्छी बातें सुनीं कि उसका मन अभी तक उनमें डूबा हुआ है. बाहरी कर्मकांड को त्याग कर आन्तरिक प्रवृत्तियों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है. मन जो सदा किसी न किसी जोड़-तोड़ में लगा रहता है उसको  स्थिर करने की, शांत चित्त होने की प्रक्रिया ही धर्म है. धर्म को आचरण में लाने का सबसे अच्छा उपाय है कि अपने मन पर नजर रखी जाये, सद्विचार हों, धार्मिकता स्वयंमेव आ जाएगी.

कल बंद था, उल्फा ने बंद कॉल किया था और इसीलिए बंद पूरी तरह सफल था. वे लोग अलबत्ता साइकिलों से घर से निकले, पर जिस कार्य के लिए गये वह  सफल नहीं हो पाया, अभी तक तो ऐसा लग रहा है जिस गाने का अभ्यास बच्चे कर रहे थे, वह शायद नहीं हो पायेगा. सुबह से शायद इसी कारण या मौसम के कारण वह कुछ झुंझला रही है पर उसी क्षण गोयनका जी के शब्द याद आ जाते हैं और मन को समझा लेती है. जून की फरमाइश पर साम्भर व नारियल चटनी बनाई है, इडली अभी बनानी है. दोपहर को एक जगह फिर रिहर्सल के लिए जाना है, कल की तरह सारी शाम भी उसी में जाएगी. उसने सोचा, अगले वर्ष से कम से कम वह तो इस रिहर्सल आदि से दूर ही रहेगी. इस हफ्ते खतों के जवाब भी नहीं दे सकी, और भी कई  काम इन पिछले दिनों नहीं हो पाए, और तो और इस वक्त भी मन में उन्हीं बातों की पुनरावृत्ति हो रही है, जो सुबह  से इस कार्यक्रम के सिलसिले में फोन पर की हैं. मन के आगे चारा है और जुगाली किये जा रहा है. परसों से कार्यक्रम शुरू हैं यह एक अच्छी बात है. इतवार को अंतिम दिन होगा, उस रात वे किसी नये सफर की कहानी सोचकर सोयेंगे. नन्हे का गृहकार्य जो बीच में ही रुक गया है शुरू हो जायेगा और शामों को उनका टीटी खेलना भी, लाइब्रेरी से किताबें बदलना और घर आकर एक साथ बैठकर कोई बोर्ड गेम खेलना भी. कितनी जल्दी इन्सान एक चीज से बोर हो जाता है. 










Monday, August 19, 2013

आचार्य गोयनका जी


“दुनिया को एक बच्चे की निगाह से देखने की कोशिश यानि एक नजर जो कौतूहल से भरी हो और उन छोटी-छोटी बातों और चीजों के लिए तारीफ से भरी हो जिन्हें बड़े नजरंदाज कर जाते हैं”. पीटीवी पर उसने यह टिप ऑफ़ the week सुना, अच्छा है. कल से चुनावों के परिणाम आने का सिलसिला जारी है, कांग्रेस पिछड़ रही है बीजेपी उभर रही है लेकिन यही लग रहा है कोई पार्टी स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं कर पायेगी. कल दोपहर दो बच्चे पढ़ने आये और एक घंटा कैसे बीत गया पता ही नहीं चला, अपने समय और शक्ति का सही उपयोग ! शाम को वापस आकर नन्हे के साथ बैडमिन्टन खेला, फिर वहीं लॉन में ही जून के साथ ठंडी हवा में टहलते हुए दिन भर की बातों का जायजा और अगले दिन की प्लानिंग...

जून आज मोरान गये हैं, सुबह से वर्षा हो रही है. एकबार उसके मन में आया फोन करके पुरानी पड़ोसिन को घर आने को कहे, पर कल शाम ही उससे हिन्दू-मुस्लिम पर बहस हो गयी. कल शाम को जाने क्यों उसे पाक पत्तन, मिंटगुमरी की याद हो आयी, अपने उस सपने की भी जिसमें वह पाकिस्तान गयी है. रात को सपने भी इसी से सम्बन्धित आते रहे, वे एक बड़े हॉल में हैं, आधे में हिन्दू और आधे में मुस्लिम, दोनों एक बड़े तनाव से गुजर रहे हैं. फिर नींद खुल जाती है और दहशत से मुक्ति मिलती है. पता नहीं वह दिन कब आयेगा जब लोगों के दिलों की नफरत दूर होगी. शताब्दियों पूर्व मुस्लिम इस मुल्क में आये और शासक बन कर रहे, यही कारण था कि हिन्दू-मुस्लिम कभी एक नहीं हो पाए. हालाँकि कितने कवियों, शायरों व विद्वानों ने एकता की बात की और किसी हद तक दोनों ने एकदूसरे को अपना लिया पर मनों की मलिनता गयी नहीं है. लेकिन वह शुरू से उस मुल्क से जुड़ी है, एक सपना है कि कभी न कभी वह  वहाँ जाएगी. आज शुक्रवार है यानि बदलते मौसम का दिन. पिता की डायरी में कुछ प्रेरणास्पद बातों को पढ़ा, पूरा खजाना है उसमें ऐसी बातों का जो दिल को गहरे तक छू जाती हैं. उन्हें लिखेगी इसके बारे में. कल जून से क्रोशिये का धागा भी मंगवाया है, टीवी देखते समय हाथ खाली रहें तो कुछ अजीब सा लगता है.

आज महीनों बाद ‘आधा चाँद’ देखा, इतना छोटा सा देश है पर वहाँ इतनी शायराएँ हैं और उन्हें टीवी के जरिये लोगों तक पहुंचाया भी जाता है, डीडी पर ऐसा कार्यक्रम कभी नहीं देखा. आज धूप निकली है, वर्षा में लगातार भीगते पेड़-पौधे धूप का स्पर्श पाकर सूखने का प्रयास कर रहे हैं, उनके भुट्टे भी लगभग तैयार हैं. आज का tip of the day है, दिन भर में कम से कम एक बात को बर्दाश्त करें, यानि आपको वह बात बुरी भी लग रही तो अपना क्रोध जाहिर न करें. कल शाम एक परिचित ने फोन किया children meet के लिए एक skit लिखने को कह रही है, उसने ‘हाँ’ कह दी है, उसे यकीन है, खोजकर या स्वयं लिखकर वह दे देगी. उसे कुछ काम चाहिए.

कल रात जून और नन्हा star trek देख रहे थे और वह पढ़ रही थी, thought verses action, अच्छा लगा. ‘आपकी सरकार’ में कई राजनेताओं के विचार सुने, अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी.

आज सुबह नींद जल्दी खुली थी पर आलस्य वश (जो चित्त की दुर्बलता है)  नहीं उठी, फिर जून ने उठाया. ‘जागरण’ में आचार्य गोयनका जी ने श्वास को देखते हुए मन को विकारों से मुक्त करने का उपाय विस्तार से बताया, अंत में धर्म की परिभाषा दी-

धर्म न हिन्दू बुद्ध है, धर्म न मुस्लिम जैन
धर्म हृदय की शुद्धता, धर्म हृदय का चैन

जो इतनी सरल है कि कोई भी उसे समझ सकता है, और इतनी कठिन है की उसका सार अंतर में उतारने में किसी को वर्षों लग जाएँ. कल शाम से वर्षा हो रही है, बगीचे में कोई काम नहीं हो पा रहा है. कल जून उन्हें दफ्तर ले गये, कम्प्यूटर पर गेम खेला व पेंटिंग का अनोखा अनुभव लिया, कम्प्यूटर पर काम करते समय लगता है, किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गये हैं, जून पिछले कई दिनों से कम्प्यूटर लेने के विषय में जानकारी इक्कट्ठी कर रहे हैं. कल वह वैक्यूम क्लीनर के लिए तिनसुकिया फोन भी करते रहे पर नहीं मिला. दोनों घरों पर फोन करने का प्रयास भी किया पर निराशा ही मिली. उसका ध्यान इन सब बातों की ओर नहीं जाता, उसके भीतर विचारों की एक अनोखी दुनिया है.


Saturday, August 17, 2013

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय


कल वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ‘जोरहाट’ गये थे, सुबह सात बजे घर से निकले और रात साढ़े आठ बजे वापस लौटे. दोपहर लगभग पौने एक बजे वे जोरहट में ONGC के गेस्ट हाउस पहुंचे. पहले BHU की प्रार्थना पढ़ी गयी, फिर एक-एक करके सभी सदस्यों ने अपने BHU प्रवास के संस्मरण सुनाये, जून ने भी अपना अनुभव बताया. फिर भोज हुआ, सभी लोग एक दूसरे के लिए कुछ हद तक नये थे. सदा की तरह वह भीड़ में खुद को अकेला महसूस कर रही थी. पौने तीन बजे वापसी की यात्रा शुरू हुई, कुल मिलाकर यात्रा अच्छी रही. रात को सोते वक्त अहसास हुआ नौ-दस घंटे बस में बैठे रहने से हो गयी थकान का, स्वप्न भी वहीं के आते रहे. इस समय नन्हा हिंदी का अभ्यास कर रहा है और उसने छोटी भांजी के लिए जन्मदिन का कार्ड पोस्ट करने के लिए जून को दिया है. वह दुबली-पतली, शर्मीली सी लेकिन अपने इरादों की पक्की बालिका है. आज सुबह देर से उठी तो जागरण नहीं सुन पायी, पर नहा-धोकर जब गीता पाठ करने बैठी तो कुछ श्लोक पढकर यह महसूस हुआ, जब वह इन बातों का पालन ही नहीं कर सकती तो मात्र पढ़ने से क्या लाभ है, गीता के उपदेश बहुत महान हैं और उन पर चलना उसके लिए मुश्किल है, फिर यही संतोष दिया मन को कि बार-बार पढने से स्मरण रहेगा, भीतर चलने वाले द्वंद्व को जीतने के लिए इन्द्रियों से परे मन और मन से परे बुद्धि, बुद्धि से परे आत्मा की शरण में जाना होगा.

Today she got two letters, one from home and other from manjhla bhai, both are written in good spirit and mood. Father advises us to be healthy and smart and brother says that he is happy to see our small family living together happily. Yesterday some lady called her for maths tuition for her daughter. They also went for dinner to a friend’s place, as usal she made so many things and in large quantity but…anyway it was good after a long time to eat together.

आज ‘जागरण’ में सन्त ने भक्तियोग पर प्रकाश डाला पर यह उसके क्षेत्र की बात नहीं है. कल लाइब्रेरी में health mag में मानसिक स्थिरता व शांति पाने पर पर एक अच्छा लेख पढ़ा, वही बातें जो गीता या अन्य धार्मिक पुस्तकों में उसने पढ़ीं हैं उन्हीं को आधार मानकर उसमें सुझाव बताये गये हैं, बार-बार पढ़ते रहने पर वे उसे याद हो गये हैं, फिर भी कभी कोई बात होने पर उनका उपयोग नहीं कर पाती है उतनी शीघ्रता से. यूँ अपने आपको नकारने और दोषी बनाने की प्रवृत्ति भी ठीक नहीं है उस लेख के अनुसार. अपने उन कार्यों को याद करके जिन्हें कर सकत है स्वयं की सराहना तो कोई करता नहीं. सराहना करने लायक कोई बात नजर न आये तो ? तो अपने अंदर ऐसा कुछ  जागृत करना होगा कि  सराहना की जा सके.

आज दोपहर उसे गणित में ‘सेट थ्योरी’ पढ़ानी है. मौसम अच्छा है. आज सुबह  गीता पाठ करने के बाद ध्यान लगाने का प्रयत्न किया पर मन है कि कहीं से कहीं पहुंच जाता है और जो बातें उस क्षण से पूर्व उसके ख्याल में भी नहीं थीं वह सोचने लगता है. हजारों वर्षों से ऋषि-मुनि मन को नियन्त्रण में रखने के उपाय खोजते आए हैं. सभी धर्मों में संयम पर बल दिया है. कल उसने टीवी पर ‘सैलाब’ देखा, शिवानी और रोहित की प्रेम कहानी. कल उसकी एक मित्र ने जगजीत सिंह का कैसेट insight दिया, अभी सुना नहीं है उसने, जगजीत सिंह की आवाज में बहुत गहराई है. गम की गजल हो या ख़ुशी का नगमा, उनकी आवाज दोनों से इंसाफ करती है. कल उसने पंकज उद्हास के एक कैसेट ‘कभी खुशबू कभी नगमा’ के बारे में भी सुना, कभी तिनसुकिया गये तो लायेंगे, उसने सोचा, शायद यहाँ भी मिल जाये पर यहाँ वह बाजार कम ही जा पाती है. जून आजकल समय से घर लौट आते हैं, इसका अर्थ हुआ कि उनका मन घर में बहुत लगता है,



Friday, August 16, 2013

बुद्ध पूर्णिमा


आज उनके यहाँ फोन लग गया, पीएंडटी फोन. अब जब चाहें जिससे चाहे बातें कर सकते हैं. कल शाम उसकी एक परिचिता ने फोन करके पूछा, क्या वह उनके स्कूल में एक महीने के लिए हिंदी पढ़ाने के लिए तैयार है, वह खुद एक महीने के लिए घर जा रही हैं और कोई टीचर नहीं है उनकी कक्षा लेने के लिए. पर उसे सम्भव नहीं लगता, सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक उसे घर से बाहर रहना होगा, जून के लिए खाना सुबह से बना कर रख जाना होगा, फिर घर की सफाई और सारे काम... वह कभी राजी नहीं होंगे.

कल दोपहर बाद वह कुछ परेशान थी, उसकी एक सखी ने शाम को आने के लिए कहा था, उसने सारी तैयारी कर ली थी पर अचानक उसका फोन आया वे नहीं आ पायेंगे, तो उसके सब्र का बांध टूट गया और वह जानती है यह सिर्फ उसी घटना के कारण नहीं था बल्कि पिछले दिनों का मन में एकत्र गुबार था. उसे यह अहसास हो रहा था कि वह कुछ भी ऐसा नहीं कर पा रही है जो उसकी दृष्टि में सार्थक हो. एक अजीब से खालीपन का अहसास और एक ऐसी भावना जो तब उत्पन्न होती है जब अपने कुछ भी न होने का अहसास होता है. उस दिन उसकी इतनी इच्छा होते हुए भी जून उसके साथ वोट डालने नहीं गये, उनका नाम थो था ही, पर कहने पर नाराज हो गये. उसे लगता है उनके बीच एक रिश्ता भय का है जो और सारे रिश्तों पर हावी हो जाता है. वह उसे कभी उदास या कमजोर नहीं देख पाते, उनके सामने उसे सदा ही खुश और बहादुर नजर आना है. उन्हें किसी को परेशान देखकर सांत्वना देना या समझाना नहीं आता, बल्कि खुद भी परेशान हो जाते हैं, शायद यही फर्क है स्त्री और पुरुष में, लेकिन वह उसे और नन्हे को बहुत चाहते हैं, जैसे वे दोनों उन्हें.

आज सुबह दादा वासवानी ने बहुत विनम्रता पूर्वक बहुत सुंदर ज्ञान दिया. उनकी मुस्कान अप्रतिम है और शब्द उनके मुख से ऐसे झरते हैं जैसे बहुमूल्य मोती. उन्होंने कहा, अगर कोई स्वस्थ और प्रसन्न रहना चाहता है तो उसे अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखना होगा, नकारात्मक भावनाएं जीवन को अभिशाप बना देती हैं. उस दिन जून ने भले ही उसे नाराज होकर समझाया पर उसे उस भाव दशा से बाहर निकल लाये, उसने मन ही मन उन्हें धन्यवाद दिया. इस बार की यात्रा से वापस आते समय पिता ने उसे कुछ कापियां तथा नोटबुक्स दी थीं, उनमें से एक उसने आज पढ़ी, उसमें विचारों और सुझावों का एक खजाना है. विभिन्न विषयों पर छोटे-छोटे अनुच्छेद लिखे हैं. मनुष्य विचारों का एक पुतला ही तो है, जैसा कोई सोचता है वैसा ही वह हो जाता है. स्वस्थ रहने के लिये स्वस्थ विचार होने चाहिए. यह शत-प्रतिशत सही है क जिस दिन उसके मन में द्वेष के विचार पनपते हैं तो मन उखड़ा-उखड़ा सा रहता है और जब कभी प्रकृति की सुन्दरता को देखकर कोई अच्छा सा विचार, चाहे एक क्षण के लिए ही क्यों न हो, आता है, तो मन कैसे खिल जाता है

आज बुद्ध पूर्णिमा है, नन्हा अभी तक सो रहा है, जून टीवी पर गुड मोर्निंग इंडिया दख रहे हैं, विनोद दुआ ने यह कार्यक्रम शुरू किया है कुछ दिनों से. सुबह जागरण में ‘गिरी महाराज’ से सुना, जीवन में संयम होना चाहिए. पूरे वक्त उसे अपनी वाचालता का स्मरण होता रहा, पता नहीं क्यों उसे लगता है जब वे किसी के यहाँ गये हों या कोई उनके यहाँ आया हो तो चुप बैठना अच्छा नहीं है, और वह माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए अपनी तरफ से किसी विषय या व्यक्ति  पर बातचीत शुरू कर देती है. पर हर बार पछतावा होता है, किसी व्यक्ति के पीछे उसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए या फिर अपनी निजी बातें भी हरेक को बताने की क्या आवश्यकता है. सिर्फ बोलने के लिए बोलना तो असंयमित होना ही कहा जायेगा. वह वादे क्योंकि निभाती नहीं इसलिए वादा नहीं करेगी पर यह प्रयास अवश्य करेगी कि भविष्य में सोच-समझ कर ही बोले.



Wednesday, August 14, 2013

आखिर किसे दें वोट


वे यात्रा से कुछ दिन पहले वापस लौट आये, अप्रैल के भी दस दिन बीत गये हैं, परसों बैसाखी है, आज बहुत दिनों बाद कुछ लिख रही है वह, हर दिन सुबह  कोई न कोई काम आ जाता था और दोपहर को याद ही नहीं आया...लेकिन कलम हाथ से खिसका जा रहा है, अर्थात लिखाई बिगड़ी जा रही है, लगता है शुभ मुहूर्त अभी नहीं आया है.

१९ अप्रैल. आज नन्हे ने पहली बार उसके सामने जानबूझ कर झूठ बोला, पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया, उसकी आदतें कुछ बदलती जा रही हैं. रोज सुबह  की घबराहट और सुबह का मूड, शायद वह बड़ा हो रहा है, किशोरावस्था की शुरुआत है यह, धीरे-धीरे दुनियादारी सीखता जायेगा या फिर बच्चे भी उतने निर्दोष और भोले नहीं होते जितना लोग उन्हें समझते हैं, उसके अपने बचपन की कुछ घटनाएँ जो आज तक उसे याद हैं, इसका प्रमाण हैं. लेकिन वह नन्हे को ऐसा कुछ नहीं करने देगी कि बड़ा होकर वह भी उन बातों को याद करके पश्चाताप करे. आज सुबह ‘जागरण’ में बापू ने ईश्वर के अवतारों के बारे में बताया. ईश्वर बार-बार हंमारी सहायता करते हैं, प्रेरणा देते हैं मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं लेकिन हम कृतघ्न होकर उन्हें धन्यवाद देना तो दूर याद भी नहीं करते.

आज वह बगीचे से तोड़ी शिमला मिर्च की सब्जी बना रही है, किचन से उसकी खुशबू यहाँ तक आ रही है नन्हे का स्कूल बंद है. परसों शाम वे क्लब से आ रहे थे कि असम के मुख्यमंत्री श्री सैकिया जी के देहांत का समाचार मिला, आज उनका अंतिम संस्कार नाजीरा में किया जायेगा, सभी को उनकी असामायिक मृत्यु का दुःख है. तीन दिन बाद चुनाव शुरू हो रहे हैं, पर उसका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है सो वोट देने नहीं जा पायेगी हालाँकि उसका मन बहुत है. पर अभी तक यह तय नहीं कर पायी है अगर जाती तो किसे वोट देती, कांग्रेस या बीजेपी, शायद उस वक्त जो मन में आता वही करती. कल शाम वे एक मित्र के साथ यहाँ से कुछ दूर स्थित एक मन्दिर में गये, मौसम बहुत अच्छा था, ठंडी हवा चेहरे को सहलाती जा रही थी और खेतों में फैली हरीतिमा मन को. मन्दिर जाना और आना अच्छा लगा पर वहाँ पूजा करना उसके बस की बात नहीं है, यह इतना निजी मामला है उसके लिए कि सबके सामने करना कुछ अच्छा नहीं लगता. इस वक्त नन्हा सामने बैठकर ‘साइंस वर्कबुक’ में अभ्यास कर रहा है पर कितने-कितने प्रश्न पूछता है,, हर दूसरे मिनट में एक प्रश्न उसे भी तभी अच्छा लगता है जब वह खुशदिल रहता है, थोड़ी देर भी चुप हो जाये या गम्भीर तो लगता है पता नहीं क्या कारण है. उसका स्कूल अब कुछ ही दिन और खुलेगा  फिर ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो जायेगा, उन दिनों उसे व्यस्त रखने के लिए उसे कुछ रोचक कामों के बारे में सोचना होगा.

Today again after so many days at 10 am she is with herself alone. Almost all the work is done and all is silent around her. Dada Vasvani told about life after death, He says that there is a thin curtain between living and dead, and he gave an example of a dead mother, who was helping her son. I may be true but till today she has seen dead persons only in dreams. One day when she will be dead she may find the truthfulness of this, and then she will also help others. किन्तु ये बातें अभी यही रहने दें क्योकि अभी कई साल उसे और जीना है, एक जीवित व्यक्ति को मृत्यु कितनी दूर की चीज लगती है. परसों यहाँ चुनाव के कारण छुट्टी है, फिर इतवार है और सोमवार को कोई मुस्लिम त्योहार  है, शायद इस बार ईदुलजुहा है. परसों ही उनके एक मित्र के यहाँ विवाह की वर्षगाँठ में जाना है, उसने सोचा उसके लिए अगर वह एक कविता लिखे तो क्या उसे पसंद आएगी. हफ्तों हो गये कोई अछूता सा अहसास मन को हुए, जैसे.. गन्धराज के फूलों से खुशबू उड़कर हवा को नशीली बना दे, या बादलों के घरौंदों में कोई उड़ता पंछी कैद हो जाये, वह उड़ता पंछी चाँद भी हो सकता है और सूरज भी ! आज दोपहर को कल शाम की तरह उसे लेडीज क्लब के काम के सिलसिले में एक सदस्या के यहाँ जाना है, और वापसी में पैदल आयेगी, ठंडी हवा और हरियाली के  साथ. उसने सोचा, जून अगर उसकी बातें पढ़ लें तो हंसेंगे या फिर वह कुछ समझेंगे ही नहीं, महीनों बीत जाते हैं उन्हें कभी डायरी उठाते, जबकि शुरू-शुरू में वह हर शब्द पर ध्यान देते थे, तब उसे जानने की इच्छा थी पर अब वह उससे जान-पहचान कर चुके हैं, बहुत अच्छी तरह से.



Monday, August 12, 2013

सफर का सफर


आज नन्हे का पहला इम्तहान है सोशल स्टडी, जिसे वे इतिहास और भूगोल के नाम से पढ़ा करते थे. कल शाम को वह थोड़ा सा घबरा गया था, और रात को सो नहीं पा रहा था. उसे परीक्षा की महत्ता का अहसास हो रहा था, पर आज सुबह सामान्य था, उसने इतना तो पढ़ा ही है कि सभी प्रश्नों के उत्तर दे सके और कोई कमी रह भी गयी तो उसमें उतना ही दोष उनका भी है, उसे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर उसकी सहायता करेगा. वह इतना मासूम और प्यारा है और उनके जीवन को खुशियों से भर दिया है उसने, ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार उनके लिए. उसके मन की सारी दुआएं उसके साथ हैं और सिर्फ उसी के साथ नहीं हर उस बच्चे के साथ जो परीक्षा में बैठ रहा है, उन्हें उनकी मेहनत का सुपरिणाम मिले, आमीन ! अभी जून ने भी फोन करके पूछा, उनका दिल भी नन्हे के आस-पास ही है आज, मौसम आज ठंडा है, रात से ही वर्षा हो रही है.

दस बजने वाले हैं, अभी-अभी उसने उनके मैगजीन क्लब की Sunday पत्रिका का एक अंक देख-पढकर रखा है, अच्छी पत्रिका है, काफी कुछ पढने को है पर आभी उसके पास समय नहीं है, और लंच के बाद जून वापस ले जायेंगे. अभी भोजन भी पूरा नहीं बना है और उनकी पसंद के अनुसार चटनी भी बनानी है, माली ने जो पुदीना लगाया था काफी फ़ैल गया है और करी पत्ते के पेड़ में भी कोमल, हरे, नये पत्ते आ रहे हैं, हरी मिर्च भी लगनी शुरू हो गयी है. मौसम आज भी कल जैसा ही है, वर्षा कुछ देर पहले ही थमी है. कल नन्हे का पहला पेपर अच्छा हुआ और आज वह बिलकुल सामान्य था, कल रात भी आराम से सोया.

Today’s discourse of Dada Vasvani was very very useful after the India’s defeat in yesterday’s match and incidents during last one hour. He says that 92% of our worries are only due to trivial matters that matters which are of no concerns to us. SO she is not unhappy at all. Victory and defeat are woven in a cycle and come after one another. Today again weather is cloudy; it has too cold after three days of continuous raining. Nanha is preparing for tomorrow’s  exam, she finished that book ”The Dangerous Fortune” today morning.

सुबह-सुबह पानी फिर ठंडा लगने लगा है, दिसम्बर-जनवरी की तरह. बादलों के कारण दिन भर घर में बिजली जलानी पडती है. कल सुबह नन्हा सोकर उठा तो कहने लगा अभी शाम है या सुबह कुछ पता ही नहीं चल रहा. आज उसका अंग्रेजी का पेपर है. कल दोपहर तक ही पढ़ाई हो चुकी थी. शाम को जून के खेलने जाने पर कुछ देर पढने-पढ़ाने के बाद वे एक खेल खेलने लगे, स्पेलिंग का खेल, नन्हे को बहुत मजा आ रहा था. ट्रेन में भी वे ये खेल खेल सकते हैं. घर जाने में एक हफ्ते से भी कम समय रह गया है. पिछले दिनी माँ-पापा और छोटी बहन के पति के पत्र आये, जून फोन से ही बात कर लेंगे अब जवाब देने का समय नहीं रह गया है. अब और क्या लिखे... उसका ध्यान घड़ी की ओर था, एक हफ्ता या उससे भी अधिक समय हो गया शुक्रवार को ९.३० का कोई प्रोग्राम देखे. कल रात एकाएक नींद खुली उससे पहले सपने में हसीना मुइन को देख रही थी.
जून ने दफ्तर से लौट कर बताया, दीदी भी परिवार सहित उसी दिन दिल्ली पहुंच रही हैं.

बात यह है कि आदमी या तो शायर होता है या नहीं होता है.

उसे जाते हुए तकना है और खामोश रहना है
और उसके बाद अपने आप से तकरार करना है

आज ‘आधा चाँद’ में दो शायराओं से मुलाकात की. एक का नाम शाइस्ता था और दूसरी का नाम थोड़ा मुश्किल सा था. बेहद अच्छा और उसकी रूचि का है यह कार्यक्रम. मन को प्रेरणा देता है और आत्मा को सुकून. शायरी जीवन का फूल है और जो इसकी खुशबू को अपने दिल में समो लेता है वह कभी तन्हा नहीं रहता, वह खुशबू उसके साथ रहती है, इर्दगिर्द लिपटी हुई सी. जैसे किसी खुदा के बंदे को उसकी लौ घेरे रहती है.

मैं नर हूँ तुम नारायण हो
मैं हूँ संसार के हाथों में संसार तुम्हारे हाथों में

आज सुबह किन्हीं सन्त के मधुर वचनों को सुनकर नर में नारायण को देखने की शिक्षा प्राप्त हुई है. बचपन में कभी यह भजन सुना था. आज क्रिकेट का फाइनल है, श्रीलंका और आस्ट्रेलिया के मध्य, श्रीलंका के जीतने के आसार अधिक है.

आज नन्हे की अंतिम परीक्षा है, शाम को उन्हें एक सहभोज में जाना है, जून ने कहा है वह उसकी सहायता करेंगे उनके हिस्से का भोजन बनाने में.

 कल का सहभोज अच्छा रहा, आज एक और मित्र के यहाँ जाना है.

आज नन्हे को बुखार हो गया है ओर कल उन्हें सफर पर निकलना है.

सफर का दिन यानि suffer के दिन शुरू हो गये हैं.



होलिका दहन


पिछले तीन दिनों से डायरी नहीं खोल सकी. कल सुबह घर की सफाई, दोपहर गुझिया बनाने, शाम नन्हे को पढ़ाने तथा देर शाम वासन्ती पूजा में बीती. कल शाम का होलिका दहन का अनुभव चिर स्मरणीय रहेगा. आग की ऊंची उठती लपटें और उसके चारों ओर घेरा बनाकर खड़े लोगों के ख़ुशी से चमकते चेहरे. और बाद में एक साथ बैठकर भोजन वह भी हाथ से खाना, उसे बहुत आनन्द आया. सोने में ग्यारह बज गये, दिन भर की थकन के कारण फौरन नींद आ गयी. और सबसे बड़ा कारण था उसके मन की अद्भुत शांति जो ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है उसके लिए. जून ने भी कल पूरे उत्साह के साथ भोजन परोसने के काम में भाग लिया. घर आकर वह प्लास्टिक के ग्लास भी खोजकर ले गये. परसों वे तिनसुकिया गये, सभी के लिये उपहार लेने, जून का मन बेहद उदार है, उसे एक गाउन भी दिलाया, सफेद रंग पर नीले बिदुओं वाला. सुबह टीवी पर होली के उपलक्ष में एक प्रोग्राम देखा, ‘मौसम रंगों का’, उसमें सात देवरों की भाभी ने एक अच्छी कविता सुनाई.

होली आकर चली गयी, उसने सभी के लिए हर साल की तरह टाईटिल लिखे और सुनाये. दो दिन स्वीपर नहीं आया उसने ज्यादा पी ली थी, इस उत्सव का यह सबसे बुरा अंग है. आज सुबह उसने सुना दादा अन्यों को समझने की कला पर बोल रहे थे, मन में एक तीव्र उत्कंठा होनी चाहिए तभी सम्बन्ध अच्छे होंगे, अन्यथा सतही ही रहेंगे. कल रात तेज तूफान आया, उस समय जून टीवी पर ‘फ़िल्मी चक्कर’ शौक से देख रहे थे..
Women’s day ! today again Dada vasvani talked about the art of understanding and gave practical suggestions, like – learning the art of listening, art of appreciation and then not try to get others feel low, all these things are interrelated and teaches the art of understanding. These days each one wants someone who understands him/her, and to get that someone first one has to forget himself and understand other with an ardent desire and then it will come to him automatically. Such person is humble, he lives with humility. He does not has ego. Then only without  arguing others he can develop a relationship with others.

इस घड़ी कुछ कहने की कुछ लिखने की इच्छा, जिसे प्रेरणा भी कहते हैं और मूड भी, सुगबुगा रही है, जून का फोन आया है कि वह देर से आएंगे सो अभी एक घंटे का एकांत है, नितांत निजी एकांत और मौसम भी सुहाना है, उसका प्रिय मौसम, बरसात की रिमझिम लिए ठंडा-ठंडा सा, जिसमें अपने ही गालों को अपने हाथ बर्फ से ठंडे लगते हैं, सांसों की गति थोड़ी सी तेज जरुर होगी, ऐसी ही कैफियत होती होगी जब शेर होता है, मगर वह गजल लिखने नहीं जा रही है. क्योंकि हदों में बंधकर रहने और कहने के लिए जो सलाहयित चाहिए वह शायद उसमें नहीं है, या फिर अभी मूड नहीं है. अभी तो वह एक ऐसी कविता लिखना चाहती है जिसमें उन भावों की झलक हो जो हर सुबह जागरण देखते सुनते वक्त मन में उठते हैं, इस ब्रह्मांड के रचेता उस महान जादूगर के प्रति श्रद्धा के भाव !

अल्लाह की बनाई इस कायनात में
हर तरफ हजारों रंग बिखरे पड़े हैं
मौजुआत की कमी नहीं इजहारे फन चाहिए
दिलों को थोड़ी –थोड़ी देर, ठहर कर धड़कन चाहिए
नामालूम सा कोई वाकया कब फसाना बन जाये
पत्थर को तराश कर बना दे हीरा ऐसी लगन चाहिए
अंदर एक सागर बहता है कोई मोती ढूँढ़ कर लाये तो
जाने का भीतर जज्बा हो ऐसा कोई शख्स चाहिए