Tuesday, April 29, 2014

लोक कथाओं का संसार


Health is wealth इस बात का सही मूल्यांकन एक फ्लू का मरीज ही कर सकता है, जब जिन्दगी एक बिस्तर तक ही सीमित रह गयी हो. मुँह का स्वाद इतना कड़वा हो चुका हो कि चाय, दूध, कॉफ़ी और सूप का अंतर ही पता न चले. सुबह कब हुई, दोपहर कब शाम में ढल गयी, जगती-सोती आँखों को इसकी खबर ही न हो. लोगों से मिलना-जिलना दुश्वार हो जाये. कभी यह डर कि उतरा हुआ चेहरा देखकर आईने से ही बैर न हो जाये. आज पांचवा दिन है उसके बुखार का, मुख का स्वाद इस वक्त बेहद कड़वा है, कसैलेपन की हद तक कड़वा. छाती में जैसे कुछ अटका हुआ है. दोपहर को लगा था जैसे इस कैद से छुटकारा मिलने ही वाला है, भगवान करे यह सच ही हो. Indian Folk Tales पिछले दो-तीन दिनों से पढ़ रही है, बड़ी मजेदार कहानियाँ हैं, कोई-कोई तो इतनी अच्छी कि बस.. जून आज सुबह भी कल की तरह जल्दी आ गये थे, उसे दाल का पानी दिया, खाना बनाया और सुबह-सुबह नन्हे को स्कूल भेजा. दुनिया वैसे की वैसे चल रही है बस कमी है तो उसकी शक्ति की जो बुखार ने छीन ली है. कल शाम दीदी का फोन आया वह ठीक से बात कर सकी बिना यह जाहिर किये कि वह अस्वस्थ है. ऐसा क्यों  है, आखिर वह किसी को बताने से क्यों डरती है, क्या इसके पीछे वह उस रात को माँ-पापा के बीच हुई बात है जो उसने सुनी थी. इस तरह की होने के कारण उसे सहना भी पड़ता है अकेले-अकेले, नहीं, जून और नन्हे के साथ !

आज वह ठीक है, कल शाम को बुखार उतर गया था, जून ने जब देखकर बताया कि थर्मामीटर का पारा ९८.६ पर रुका है तो पहले उसे विश्वास ही नहीं हुआ था पर उस वक्त से अब तक फिर नहीं चढ़ा है. स्वाद अभी भी कड़वा है और कमजोरी भी, पर पहले की तुलना में तो यह कुछ भी नहीं. अभी कुछ देर पहले दो सखियों के फोन आये, दोनों को जन्मदिन की पार्टी में पता चला. आज नन्हा घर पर ही था, सुबह खाना बनाने में उसका बड़ा हाथ था. दोपहर को उसके लिए खीरे पर नमक, काली मिर्च, अमचूर और नींबू का रस डालकर लाया कि “अब आपके मुंह का स्वाद बिलकुल ठीक हो जायेगा.” शाम को जून के साथ ‘रिश्ते’ में एक अच्छी कहानी देखी जिसमें हीरो रेस्तरां में सामने बैठी लडकी को देखकर कल्पनाओं में खो जाता है और उसी सपने में उससे शादी भी कर लेता है. जून ने आज मक्खन में आलू-पनीर की सब्जी बनाई है, वह उसे काजू, बिस्किट, दूध खिला-पिला कर जल्दी से ठीक कर देना चाहते हैं. परसों नन्हे के स्कूल का वार्षिक दिवस है, वे दिगबोई जायेंगे. आज उसने एक अंग्रेजी उपन्यास पढ़ना शुरू किया जो वर्षों पहले पढ़ा था. सुबह से एक भी folk tale नहीं पढ़ी.

पिछले दो दिन पूरी तरह आराम किया फिर भी अभी खांसी ठीक नहीं हुई है, सो आज भी घर पर ही रहेगी, संगीत क्लास अगले हफ्ते से ही शुरू होगी. साढ़े आठ बजने को हैं, जून हिदायत देकर गये हैं कि वह ज्यादा काम न करे, वह चाहते हैं कि पूरी तरह स्वस्थ हो जाये तभी अपनी सामान्य दिनचर्या अपनाये.

कल शाम वह बहुत दिनों बाद टहलने गयी, मौसम में हल्की ठंडक थी, शेफाली के फूलों की हल्की गंध भी थी. लोगों के झुंड पूजा देखने जा रहे थे. आज भी पूजा की छुट्टी है. नन्हे का स्कूल शनिवार को खुलेगा, जून का दफ्तर भी, यानि अगले तीन दिन उनके पास हैं अपनी मनमर्जी के मुताबिक बिताने के लिए. कुकर में काले चने उबालने के लिए रखे हैं, गैस कम करने के बावजूद कुकर की सीटी है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही, कभी-कभी सामान्य सी लगने वाली बात भी कितना irritate कर जाती है. अभी कपड़े धोने हैं और सब्जी बनानी है. जब भी वह काले चने की सब्जी बनाती है तो ननद व सासु माँ के बनाने का ढंग याद आ जाता है. ढेर सारे प्याज, पिसे हुए अलग और कटे हुए अलग, जीरा भी पिसा होने के साथ-साथ साबुत भी, ढेर सारा धनिया पाउडर, और उबने के बाद चनों को मसाले में भूनना. उसका तरीका बिलकुल आसान है. कल सुबह ससुराल से फोन आया था, उनके पत्र उन्हें मिल रहे होंगे पर जवाब फोन से ही देते हैं. छोटी बहन के फोन का भी उसे इंतजार था. आज सुबह उठी तो मन में कोई उत्साह नहीं था, एक नये दिन का स्वागत करे ऐसा कुछ भी नहीं था, बल्कि यह भावना थी कि एक और पहाड़ सा दिन, फिर धीरे-धीरे दिनचर्या शुरू की तो रूचि जगने लगी और यह बात भी याद आई कि इतना व्यस्त रहना चाहिए कि यह सब सोचने का वक्त ही न मिले, पर मन तो हर वक्त अपने साथ रहता है जो यह याद दिलाता रहता है.




Monday, April 28, 2014

पहला सुख निरोगी काया




They were going through a village, jun, nanha and nuna. Road was muddy and dark, she said jun to lit his torch but it gave dim light. There was a shop nearby, they returned and she does not know why only she went to the shopkeeper and asked for two small cells, it took only five minutes but when she came back there was no sign of either of them. she searched for sometime then asked one armyman, he just laughed and said, he has note down the complaint and will find them, but she said, she wants them now, immediately, then she saw some villagers and one woman, they all were scared of something, the woman directed one autorikshwa and one big bundle there. It sped and then she awoke. It was a dream only but the shopkeeper the road were so vivid to her. Perhaps terrorists kidnapped them but she was trying to find them calmly.

She is feeling feverish. It started yesterday morning but she kept going, took bath(special for Sunday) put henna in her hair and when Jun came back from garage after giving his new car the first free servicing, he sensed that she was not well and after that both of them took care for her. But today in the morning she felt good and sent them off to school and office, again took bath, did ironing and read for sometime but now her eyes are aching, body feels hot and morning breeze feels cool. Today is her music class day but she does not think,  will be able to practice or go there. It will be first time in last one year to remain absent due to health reason. Nanny is doing house work silently and she has not spoken a single word since jun left. Mouth feels tasteless and throat is not clear, saw some red spots in the morning, hope there is nothing serious and she will be her own in a couple of days. Just now she remembered God but she thinks she is capable of doing without him !

Today again she is not well, jun took temp before leaving, it was 99.8 . throat is soar, and they are planning to go for homeopathic medicine. Antibiotic does not suit her. Nanha went school taking the tiffin of ‘sevien’ which jun made, he gave her tea, biscuits, cashews, medicine, milk, dalia and hot water before going and so many instructions. She took bath and then tried to read but due to aching eyes could not read the book but read the mind, there were so many thoughts of past illness, of relatives, friends and of course present illness. It is  a temporary phase and after one week or so she will forget it like anything, so why to worry. Life is like this, so many ‘high and low’ are part of it. When she was well, sometimes she felt guilty for not utilizing the time but now helpless.. and only thing she wants is health !

Today is birthday of there family friend’s son. But she can not attend it due to ill fated illness. It all started on Sunday and now it is Wednesday ! two  days  were bit normal but yesterday and today she is literally on bed. Cold has increased with sneezing and all. Last night she could not sleep well and neither jun. he gave her medicine. Now  he is making soup for them.


विश्वकर्मा पूजा का भोज


Today again she is alone at home at this hour, Nanha and Jun both went to their respective destinations at 6.30 am. Weather is hot and she is feeling it. It is hot and stuffy so is her mind and so are her clothes. Mind is not as fresh and spirit is not as calm, something is troubling her either it is heat or something concerned with mind. But just she read, mind is not everything, also read some useful ways to avoid worries and start living meaning fully. But all the kings horses and all the king’s men can not join her broken heart… Last night she saw a dream, mother is going and she gave her pink sari, and one more thing in the dream was about the women of the house, they all used to show their gratitude by wailing when their men brought them new clothes, men were so puzzeled they stopped bringing any new garments. It was a strange dream.

उम्र के इतने पतझड़ देखने के बाद (वसंत भी तो) भी आज तक वह यह नहीं समझ पायी कि उसे क्या करना चाहिए या उसे क्या पसंद है या वह क्या अच्छी तरह कर सकती है, एक उहापोह की स्थिति हर वक्त मन में बनी रहती है, लगता है जैसे जो कुछ वह कर रही है अर्थयुक्त नहीं है बल्कि कुछ और है जिसे करने पर उसे पूर्ण संतुष्टि का अहसास होगा. यह अहसास भी सताता है कि अपने समय का सदुपयोग नहीं कर रही है, कर पा रही है. पढ़ाना उसे पसंद है और नन्हे को पढ़ाने का समय भी तय किया है लेकिन वह उन लोगों को पढ़ाना चाहती है जिनके पास साधन नहीं हैं. पर कहते हैं न कि इच्छा यदि दृढ़ हो, इरादे मजबूत हों तो राह खुदबखुद निकल आती है, उसके इरादे पानी के बुलबुलों की तरह होते हैं. उस दिन अपने आप से वादा किया कि रोज कुछ न कुछ लिखेग पर कल तो सारी दोपहर ‘करीब’ देखने में लगा दी. अच्छी फिल्म है शुरू में कुछ खास जम नहीं रही थी पर बाद में सभी का अभिनय अच्छा था. सही है कि टीवी और फिल्में वास्तविकता से दूर सपनों की दुनिया में ले जाती हैं, कल्पना की दुनिया में.. जहाँ सिर्फ ख्याल ही ख्याल होते हैं, हकीकत में होने वाले काम नहीं होते. पर वे ख्याल कभी-कभी असली जिन्दगी में काम भी तो आते हैं, प्रेम करना सिखाते हैं, जीने का नया अंदाज भी !


आज सुबह वे उठे तो वर्षा हो रही थी, बिजली चमक रही थी और बादल गरज रहे थे, मौसम मोहल हो गया है. कल शाम वे एक मित्र के यहाँ गये, जन्मदिन का उपहार बच्चों को दिया और कुछ देर बैठे, सखी ने पूछा क्या लिख रही हो, वह इतना ही बता पायी डायरी नियमित लिखती है. कल जून के दफ्तर में पूजा का भोज-प्रसाद ग्रहण करके वे दो बजे घर लौटे. वहाँ कई महिलाओं से कई दिन बाद मुलाकात हुई, इस तरह के get-together में बातचीत बड़ी formal सी ही रहती है फिर भी अच्छा लगता है लोगों के हाव-भाव देखना उन्हें सुनना. नन्हा देर से आया, उसकी वैन का ड्राइवर ज्यादा पी लेने के कारण अपनी चाबी खो बैठा था. इस पूरे इलाके में विश्वकर्मा पूजा पर पीने का रिवाज है, ड्राइवर अपनी गाड़ी की पूजा करते हैं और खुद ‘पानी’ पी लेते हैं. नन्हे का गणित का टेस्ट कल बेहतर हुआ, आज फिर उसका टेस्ट है, इस स्कूल में जाने के बाद से गणित में उसकी रूचि बढ़ी है. अपने इर्द-गिर्द नजर डाले तो ऐसा लगता है कि चीजों को सतही तौर पर जानना और उनमें गहरे उतरना दोनों बिलकुल अलग-अलग बातें हैं, गहरे उतरने में खतरा है पर असली स्वाद वहीं है, जीवन की तल्खियाँ हों या उम्मीदें, दोनों को आखिरी घूँट तक महसूस करना ही सच्चा जीवन है, उसने सोचा, यदि मन की बात माननी ही है तो इस कदर माने कि खुद को भूल जाए.

Saturday, April 26, 2014

जार्ज बर्नार्ड शा की सीख


‘हर पल अपने विचारों पर नजर रखना अर्थात यह ज्ञात होना कि मन क्या सोच रहा है, ध्यान की पहली सीढ़ी है. ध्यान से जीवन में गहराई आती है. जीवन का ध्येय है सत्य की खोज !  लेकिन सत्य क्या है ? उसकी खोज क्यों करनी है ? यह जगत क्या है ? क्यों है ? इस तरह के प्रश्नों के हल ढूँढने के बजाय क्या उन्हें इस जग में रहकर जीवन को और सुंदर बनाने का ही प्रयत्न नहीं करना चाहिए, जीवन में सुन्दरता तभी आ सकती है जब मन प्रेम से ओत-प्रोत हो, कोई दुर्भावना न हो, कहीं अन्तर्विरोध न हो. जैसी सोच हो वही कर्मों में झलके और वही वाणी में, लोग किसी भी प्राणी या वस्तु के प्रति भी हिंसक न हों और यह सब स्वतः स्फूर्त हो न कि ऊपर से ओढ़ा गया. जब फूल खिलता है तो उसके पास जाकर पंखुड़ियों को खोलना नहीं होता, नदी पर्वतों से उतरती है तो अपना मार्ग स्वयं ढूँढ ही लेती है. ऐसे ही उनके मनों में शुभ संकल्प उठें अपने आप, जीवन के कर्त्तव्यों को नियत करें और उन्हें पूर्ण करें’.

कल नूना की डायरी पर अचानक नजर पड़ गयी तो जून ने यह सब पढ़ा था, कुछ-कुछ उसकी  समझ में आया पर ज्यादा नहीं. आज सुबह पांच बजे का अलार्म सुनते ही वह उठ गया, यह वही जून है जो कुछ वर्षों पहले साढ़े छ बजे भी उठा करता था कभी-कभी, और दौड़ते-भागते बस पकड़ता था. अब समर्पित है अपने काम के प्रति, परिवार और मित्रों के प्रति भी. कल शाम नन्हे की क्लास के कारण वे एक मित्र के यहाँ नहीं गये. दफ्तर से घर लौटा तो नूना उदास थी, पता चला, दोपहर को पहले तो उसकी संगीत अध्यापिका आ गयीं, वह उनके सामने नर्वस हो गयी, दरअसल वह जल्दी आ गयी थीं और वह तैयार नहीं थी, दूसरी बार उनकी पड़ोसिन आई थीं सिन्धी कढ़ाई सीखने, नन्हा और वह एसी चलाकर बैठे थे, सो उन्हें दरवाजे की घंटी की आवाज सुनाई ही नहीं दी, शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि उनके घर से कोई इस तरह बिना मिले वापस गया हो. उसने सुझाव दिया कल वह खुद ही उनके यहाँ चली जाये और वह मान गयी.

कल रात फिर वर्षा हुई सो मौसम ठंडा है, जून ने उठते ही कहा, कितना अच्छा मौसम ! नूना ने अपनी असुविधा ( गार्डन में काम के कारण) देखते हुए कहा, अच्छा नहीं है. पर इसकी जरूरत नहीं थी क्यों कि मौसम को जैसा होना है वह वैसा ही रहेगा, उनकी सुविधा-असुविधा का ख्याल रखकर तो वह स्वयं को नहीं बदल लेगा. नूना ने दीवाली की सफाई की शुरुआत कर दी है, आज दोनों गुसलखाने साफ़ करवा रही है. सारी बाल्टियाँ, मग, दीवारें, दरवाजे सभी कुछ. उसने मन ही मन सोचा, सिविल विभाग में बेड रूम में पेंटिंग करवाने के लिए भी कहेगा. आज उसे पड़ोसिन के यहाँ भी जाना है, सिन्धी टाँके का आखिरी स्टेप सिखाने. उसने बताया, आज सुबह से वह अपने विचारों पर नजर रखने का काम कर रही है, देखा कि कभी अतीत और कभी भविष्य में झूलता रहता है मन, टिकता नहीं कहीं भी. एक बात भी उसने आज सीखी ‘जार्ज बर्नार्ड शा’ से, वह हर दिन पांच पेज लिखते ही थे सो आज से वह भी नियमित आसन, संगीत और डायरी के साथ साथ नियमित लिखने का भी अभ्यास करेगी, रोज पांच पेज ?   

आज धूप तेज है, कल सुबह उन्होंने धूप लगाने के लिए गद्दे, तकिये बाहर निकाले ही थे कि आधे घंटे में ही बादल छा गये और जल्दी-जल्दी सभी सामान उन्हें वापस रखना पड़ा. उसका दफ्तर आज बंद है, कुछ सामान पीछे आंगन में रखा है, नूना के साथ शर्त लगाई थी कि आज मौसम खुश्क रहेगा या नम, और लगता है वह हार गयी, पर उसे पता है हार की बात पर यही कहेगी, हारने में भी अपना एक मजा है. उसे उससे क्रॉस वर्ड हल करवाने में भी बहुत आनन्द आता है, शायद वह जानती है, अपने आप वह यह काम कभी नहीं करेगा. उसके दफ्तर में पूजा है, पहले सोचा था वे नहीं जायेंगे, पर दफ्तर का मामला है, उसने नूना से फोन करके कहा, उसे पनीर की डिश बनानी होगी, वह झट मान गयी, शायद कल्पना में यह भी देख लिया हो कि उसकी बनाई सब्जी की सभी तारीफ़ कर रहे हैं. जून ने कई बार ध्यान दिया है, वह हर समय किसी न किसी कल्पना में खोयी रहती है, टीवी देखती है तो उसमें ड़ूब ही जाती है, पात्र उसे बाँध लेते हैं, कहती है, लोगों की मासूमियत, जो उनके चेहरों पर झलक आती है, गहरे जज्बात और एक दूसरे की बात सुनने की तौफीक, उसे पसंद है, उसने पूछा यह तौफीक क्या होती है, तो कहने लगी शायद सलाहियत..उस समय जून यदि कुछ कहे तो वह उसको सुनाई नहीं देता. सुबह जब वह उसे विदा करने आती है तो गेट खोलने व बंद करने का काम करती अवश्य है पर बहुत जल्दी में रहती है, शायद यह काम उसे पसंद नहीं, उसने सोचा, कहीं यह उसका वहम ही न हो.
 





Thursday, April 24, 2014

सरसों का तेल - कितना असली


आज भी मौसम गर्म है. अभी सुबह के साढ़े आठ ही हुए हैं और चेहरा पसीने से भीग रहा है, पर यह धूप कितनों के लिए राहत का साधन भी तो बनी होगी. जून ने आज सुबह पूसी को याद किया, उसे भी वह कई बार याद आती है. आज ही के दिन एक हफ्ता पहले उनका ड्राइवर उसे छोड़ आया था पर यह उनका सीक्रेट है और उन तीनों ने इसे किसी को भी न बताने का फैसला किया है. एक सखी ने उस दिन पूछा था, कल दूसरी ने पूछा फिर भी वे चुप रहे. इसका अर्थ हुआ वे बात को छुपाने में कामयाब हो ही जायेंगे. धीरे-धीरे उनकी तरह लोगों को भी उसकी याद नहीं आयेगी. जहां भी होगी वह ठीक होगी, ईश्वर सबका मालिक है. उसे भी सहारा देगा ही, यूँ भी वह हफ्ता-हफ्ता भर उनके यहाँ से गायब रही थी, अपना गुजरा स्वयं करती रही होगी, इसी तरह आगे भी कर लेगी. कल गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया, आज फिर जाना होगा जून को, उसने अपने लिए कपड़ा लाने को कहा था, पर समझ नहीं पा रही, उसे कैसा कपड़ा चाहिए, जून को कंफ्यूज्ड कर दिया. जब वे मशीन लेने जायेंगे तब स्वयं ही खरीदेगी. घर जाकर भी कटपीस की दुकान से कुछ और, जो धीरे-धीरे सिले जायेंगे. भविष्य की कल्पनाएँ मोहक हैं, वर्तमान भी शांत व सुखद है. आज मंगल है पर खत लिखने का मंगल अगले हफ्ते होगा. आज BAB का दिन है, रिया का दुःख कब कम होगा ? होगा भी या नहीं ?

कल रात जून के सिर में दर्द था, कल सुबह उन्हें फिर तिनसुकिया जाना पड़ा, धूप बहुत तेज थी और घर के कुछ सामान खरीदने के लिए तेज गर्मी में उन्हें एक घंटा घूमना पड़ा. शाम को काफी थके हुए थे फिर भी उसे बाजार ले गये और नन्हे को कम्प्यूटर क्लास में छोड़ने गये फिर लेने भी. सुबह जब उठे थे तो हल्के बादल थे पर अब फिर धूप उतनी ही तेज हो गयी है. नन्हा सुबह  समय से उठकर स्कूल गया, उसके टेस्ट भी ठीक हो रहे हैं. नूना की तबियत भी ठीक है, सिवाय कुछ दिनों की असुविधा के, यूँ आजकल पहले का सा दर्द नहीं होता, कुछ वर्षों बाद शायद अगले छह-सात वर्षों में उसमें कई परिवर्तन आयेंगे पर उसके लिए अभी से परेशान होने या सोचने की आवश्यकता वह नहीं समझती. समय के साथ-साथ सब कुछ अपने आप बदलेगा जैसे सितम्बर आते ही शेफाली के पेड़ों से खुशबू आने लगती है. पेड़ों को भी बदलते मौसम का अहसास हो जाता है. पूसी की याद आज फिर आई एक बार तो जून को फोन भी किया पर वह मिले नहीं, मन को कठोर कर उसे भूल जाना ही बेहतर है. शामों को जून से होने वाली बहसें, हर समय दरवाजा बंद रखने की फ़िक्र और भी कई छोटी-छोटी बातें !

आज नन्हे का स्कूल बंद था, ‘माधव देव’ की जयंती के उपलक्ष में. शंकर देव के बारे में वह थोड़ा  बहुत जानती है पर ‘माधव देव’ का बस नाम ही सुना है. नाश्ते में ‘दूध-चिवड़ा’ बनाया, खाने में साम्भर, आजकल सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. आलू-प्याज तो बाजार से गायब ही हो गये हैं. ऐसा लगता है, BJP सरकार इस विषय में कुछ भी नहीं कर रही है. सरसों के तेल में मिलावट के केस बढ़ते ही जा रहे हैं. जून ने आज उनके दफ्तर में होने वाली विश्वकर्मा पूजा के लिए स्वीकृति रूप में पैसे दे दिए पर वे शायद ही जाएँ. सुबह-सुबह एक और ऐसी घटना हुई जिसका उल्लेख करना उचित होगा, उनकी नैनी का बेटा घर में स्वयं को बंद करके तोड़-फोड़ करने लगा, घर के शीशे के गिलास और कप तोड़ दिए उसे पूजा के लिए जींस पैंट चाहिए और उसका टीवी ठीक होना चाहिए यह दो मांगें थीं जिनके कारण उसे डांट पड़ी और उसने इस तरह उसका बदला लिया. उसे वर्षों पहले अपनी चूडियाँ तोड़ना और भाई का ट्रांजिस्टर तोडना याद आ गया, नासमझी में लोग अपना ही नुकसान कर जाते हैं और साथ ही गुस्सा करके अपने शरीर और मन को तो यन्त्रणा दे ही रहे होते हैं. नन्हा आज सुबह से ही व्यस्त है, पढ़ाई, टीवी, कम्प्यूटर और थोड़ी देर व्यायाम, अपने समय को बाँट लिया है उसने. उसके सामने भी अख़बार, पत्रिकाएँ और हारमोनियम हैं.
 


Wednesday, April 23, 2014

हार्डी बॉयज के कारनामे


आज आसू ने ‘असम बंद’ का आह्वान किया है सो जून का दफ्तर बंद है और नन्हे का स्कूल भी. सुबह वे पौने छह बजे उठे, उसने खिड़की से झाँका, मौसम आज भी अच्छा है, न तेज धूप न गर्मी और न ही लगातार वर्षा से कीचड़, बादल बने हुए हैं हल्के-हल्के. कल उसने छोटी बहन को एक पत्र लिखा, एक ससुराल में. वह यह लिख ही रही थी कि बाहर वर्षा की झड़ी लग ही गयी. नन्हा अभी-अभी शिकायत लेकर आया कि पापा ने लाइब्रेरियन सर से कह दिया, उसे एजुकेशनल बुक्स भी दिया करे तो उन्होंने story books देना बंद ही कर दिया है. उसे hardy boys पढ़ने का मन है पर वह यह नहीं जानता कि किसी के मन की इच्छा हमेशा पूरी नहीं सकती और जो सच्चाई है उसे स्वीकार लेना चाहिए. आज नैनी बहुत गुस्से में थी, उसे अपनी बेटी के पैर में चोट लगने से इतना दुःख पहुंचा है कि अपनी सोचने-समझने की ताकत ही भूल गयी, आये दिन छुट्टी मांगने पर जब उसको डांट दिया तो काम छोड़ने पर ही उतारू हो गयी, ये लोग भले पैसे-पैसे को मुहताज रहें पर किसी की बात नहीं सुन सकते, इसे स्वाभिमान नहीं मूर्खता ही कहेंगे. कल उसने सिन्धी कढ़ाई का एक और नमूना सीखा, पड़ोसिन की वजह से उसका ज्ञान भी बढ़ रहा है. कल मेहमानों के लिए उसने बड़े मन से भोजन बनाया था. जून ने बहुत दिनों बाद उसके बनाये भोजन की तारीफ़ की.

उसने पढ़ा, “We all want a state of permanency. We want certain desires to last for ever, we want pleasure to have no end. Which means that we are seeking a lasting, continuous life in the stagnant pool. We refuse to accept life as it is in fact.”

जिंदगी हसीन तोहफों से भरी हुई है, अब कल की बात लें, दोपहर को तेज बिजली कडकी, इतनी तेज की वे सभी काँप गये पर उसने गिरकर भी  किसी का विशेष नुकसान नहीं किया, बस उनके रिसीवर व स्पाइक बस्टर का फ्यूज उड़ गया, पास में एक पेड़ के दो टुकड़े हो गये, गैस पाइप से रिसती गैस में आग लगी जो बड़ी आसानी से बुझा दी गयी. वर्षा अभी भी थमी नहीं है. टीवी पर खबरें आ रही हैं, काश्मीर में तरक्की का काम जोर-शोर से चल रहा है. प्रधान मंत्री ने फिर कहा है, Kashmir भारत का अटूट अंग है. उसने सोचा, एक न एक दिन थक हार कर पाकिस्तान आतंकवाद का रास्ता छोड़ ही देगा, तब तक मुश्किलें सहनी होंगी, अपने देश की अखंडता बनाये रखने के लिए कितने लोगों ने अपनी जानें दी हैं और कितनों को अभी और देनी हैं !

आज तेज धूप निकली है, कई हफ्तों की लगातार वर्षा के बाद सभी ने धूप का स्वागत बाहें फैला कर किया होगा, बाढ़ में फंसे लोगों ने भी और सीलन भरे घरों के वासियों ने भी. पेड़ों, पत्तियों, लॉन की घास सभी को तो पानी के साथ साथ धूप भी चाहिए. जून भी बहुत खुश हैं. कल दोपहर लगभग तीन बजे ( तीन बजने से पांच मिनट पूर्व) उनकी नई मारुती ८०० p red यानि मैरून रंग की गाड़ी आ गयी. वह बहुत देर तक उसकी सफाई में लगे रहे. ३००किमि के लम्बे सफर से कीचड़ मिट्टी से भरे रास्तों (सड़क कहना तो नाइन्साफी होगी) से गुजरकर सही सलामत ड्राइवर इशाक आले उसे लाया था, ढेर सारी मिट्टी उसके पहियों और बॉडी पर लगी थी. शाम को वे उसमें सवार होकर मित्रों से मिलने गये, नन्हा अपने मित्र की जन्मदिन की पार्टी में गया था.


आज इतवार की सुबह उठते ही जून फिर नई कार को सजाने में जुट गये, कारपेट, रबर मैट्स आदि लगाये फिर गैराज में जाकर मड गार्ड भी, उन्होंने कहा, कल तिनसुकिया जाकर नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा, वे उसके लिए सूट का प्लेन कपड़ा भी लायेंगे जिस पर उसका सिन्धी कढ़ाई करने व शीशे लगाने का विचार है.  उनका फोन अभी तक ठीक नहीं हुआ है, सो घर पर खबर नहीं दे पाए हैं. बहुत दिनों बाद खाने में आज दाल-चावल खाए, बचपन की याद ताजा हो आई, 

Friday, April 11, 2014

अंकल चिप्स कहाँ हैं


कल नन्हा स्कूल से आया तो प्रसन्न था. वे बहुत दिनों बाद शाम को घर से निकले. एक मित्र के यहाँ भी जाना था, उनके बेटे की जीभ घर में खेलते वक्त गिर जाने से कट गयी थी. रात की तेज वर्षा के कारण मौसम आज ठंडा है, उसने खिड़की से देखा, माली सिल्विया और गुलदाउदी के पौधों के लिए क्यारी बना रहा है. कल्पना में उसने खिलते हुए फूलों को देखा और एक मुस्कान अंतर को भर गयी. कल दोपहर उसकी पड़ोसिन आई थी, आज सम्भवतः फिर आयेगी, उसका मिठाई तोड़ना, गिलास में हाथ डालकर धोना, बिना बात ही हँसना और...उसकी ग्रामीण बैक ग्राउंड का परिचायक लगा, खैर...अपना-अपना स्वभाव है. कल रात जून ने अपनी बचत का रिकार्ड उससे डायरी में लिखवाया, उसके पूर्व शाम को बाहर जाते समय साड़ी पहनने पर (एक पुरानी सिंथेटिक साड़ी) जून और नन्हे ने उसे जब टोका तो उसने व्यक्ति की आजादी पर छोटा सा भाषण सुना दिया फिर रात को जब नन्हे को जून ने अपने कमरे में जाने को कहा तो वह चुप हो गया और सोने जाने तक कोई बात नहीं की, नूना को अच्छा नहीं लगा और फिर बाल मनोविज्ञान पर कुछ बातें उसने जून को बतायीं, वह चुपचाप सुनते रहे, नन्हे का उदास हो जाना उन्हें भी खलता है सुबह उसके स्कूल जाने तक वह बहुत प्यार से उससे बातें करते रहे, प्यार करना ज्यादा आसन है बजाय गुस्सा करने के क्योंकि गुस्सा करने वाला खुद ज्यादा परेशान होता है.

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिख सकी, शनि की सुबह कपड़ों की सिलाई (पुराने कपड़ों की) में व्यस्त रही, इतवार का दिन तो कई और कामों में कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता. कल रात बेहद गर्मी थी, उसके सर में हल्का दर्द हुआ अभी भी हल्का-हल्का सा भारी है सर. ptv की एंकर ने अपना ख्याल रखने व मुस्कुराते रहने की हिदायत के साथ अपना कार्यक्रम समाप्त किया है. वहाँ शरीयत का कानून लागू होने से ptv के कार्यक्रमों पर अभी तक तो कोई असर नहीं पड़ा है. उसने शाम को मीटिंग में साथ जाने के लिए पड़ोसिन से बात की, मोज़े बन गये हैं यह भी उस सखी को बताया. कल वे बाजार गये, नैनी के लिए साड़ी खरीदी वायलेट रंग की फिर कादम्बिनी ली, प्रवेश में अपनी कुछ कविताएँ भेजना चाहती है.

Today is first day of Sept ! Jun went to Moran this morning to come back at 6 in the evening. She is feeling a sense of freedom to do any thing at any time till Nanha comes from school. There are so many things to do- music, letter writing, TV, stitching,  exercise and cooking, also she can do some new things like painting if time permits. she  learned two beautiful lessons from the two books which she reads these days after bath. One is – Don’t expect gratitude, it is rare like rose and ingratitude is like weed, it is everywhere. Second is – Do whatever you like with whole heart otherwise not do it. Yesterday’s meeting was successful . Dance drama cultivated by DR Sharma  was very good and she liked the tea also. Today she talked to ma-papa, they are going to sister’s place this month. She will be meeting them in year end.


आज सुबह अलार्म बजते ही जून रोज की तरह फौरन उठ गये और बहुत पहले जैसे वह करते थे फिर पांच मिनट लेटे रहकर उठे. वह खुद भी उठकर बिस्तर के पैताने पर बैठ गयी यूँ ही, रात को देखे सपनों का जायजा लेने, फिर उठी तो ब्रश करने के बजाय बाथरूम में ही दिमाग में आई इधर-उधर की बातों को सोचती रही. सुबह सोकर उठो तो दिमाग एकदम खाली होना चाहिए, साफ-स्वच्छ, पर नहीं, बीती रात की कोई बात पता नहीं क्यों किसी छेद से घुसकर कुरेदती रहेगी फिर एक बार जो ब्रश किया तो सुबह के कामों में व्यस्त हो गयी, बस सुबह के वे ५-७ मिनट यूँ ही गंवा दिए. कल से इस बात का ध्यान रखेगी, फिर जून ने जब कहा कि कल वह ऑफिस की चाबी ले जाना भूल गये तो बजाय उस बात को सुन लेने के उन्हें नसीहत देने लगी जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी, नन्हे के स्कूल चले जाने के बाद जून जब तक कार की प्रतीक्षा कर रहे थे वह वहीं बैठी रही अपना कर्त्तव्य समझकर, तभी उसमें स्नेह नहीं था, सो उन्हें कह भी दिया कि उसका काम छूट रहा है. togetherness की फीलिंग नहीं थी जिसमें मात्र साथ रहना ही भला लगता है, ड्यूटी समझ के कोई किसी का ख्याल रखे तो उसे विवशता ही कहा जायेगा न, सो अभी सुबह के मात्र पौने नौ ही हुए हैं और दिल है कि इतनी सारी खताएं कर चुका है या वह करवा चुकी है. आज शाम को एक सखी आ रही है उसकी माँ भी, जो उसी की तरह दुबली-पतली ही होंगी गोरी और नाजुक या...? नन्हा आजकल स्वस्थ व खुश है इतवार की शाम वह फिर रूठ गया था क्योंकि अंकल चिप्स नहीं लाकर दिए थे ! 

Wednesday, April 9, 2014

नामघर का पुजारी


कल शाम जब जून ऑफिस से आए तो अभी तीन ही बजे थे, नन्हा भी उसी वक्त आ गया, उन्होंने रोज की तरह चार बजे तक नाश्ता खत्म किया. जून को डेंटिस्ट के पास जाना था और नन्हे को कम्प्यूटर क्लास, उसे किचन में काम था. सभी कुछ ठीक था फिर शाम पौने छह बजे वह क्लब गयी, लौटी तो उसकी आँखों में दर्द था, नन्हा आया तो उसका चेहरा उतरा हुआ था. कार न होने के कारण उसे साइकिल से जाना पड़ा था, थकान से या अन्य किसी कारण से वह ठीक महसूस नहीं कर रहा था. सुनकर नूना का दर्द और बढ़ गया और बिना डिनर खाए वे तीनों ही जल्दी सो गये. सुबह वह तो ठीक थी पर नन्हे को हल्का बुखार था.

आज इतवार को ‘नामघर’ से कुछ लोग चंदा मांगने आये, उन्होंने लाल गमछा ओढ़ा हुआ था, हाथ में कुछ पारंपरिक वाद्य यंत्र भी थे, श्वेत वस्त्र धारण किये हुए थे. जून ने उनमें से एक का नमस्कार सुनते ही कहा, ‘हम चंदा नहीं देते’. पर वापस आकर उन्हें लगा चार-पांच व्यक्ति घर-घर जाकर इस तरह क्यों मांग रहे हैं, जबकि कोई उन्हें कुछ देने को तैयार नहीं है. वह पहले कभी इतना सोचते नहीं थे. आज सुबह उठकर उन्होंने सारे घर का जाला भी साफ किया वैक्यूम क्लीनर की सहायता से. सुबह दोनों घरों पर बात की, माँ से बात करके उसे लगा वह कुछ उदास हैं, ननद से बात करके महसूस किया, उसमें काफी आत्मविश्वास है.

सुबह नन्हा उठा तो डल था, शनिवार को स्कूल नहीं गया था, पर आज उसका टेस्ट है, कल जिसकी तैयारी भी की थी. उसे लगा वह थोड़ी तकलीफ सह सकता है. ईश्वर उसे शक्ति देगा और वह स्वस्थ होकर घर आएगा, लिखते हुए उसने सोचा, जून भी नन्हे के बारे में ही चिंतित होंगे, सुबह वह उसे स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे पर उसने कई तरह से उन्हें समझाया, फिर बाद में महसूस भी किया वह कोई बच्चे तो नहीं, पर क्या कई बार बड़ों को भी सलाह की जरूरत नहीं पड़ जाती.

कल वे नन्हे को होमोयोपथिक डाक्टर के पास ले गये. उसे AC चलाकर सोने के लिए मना किया है. कल ‘गणेश पूजा’ के कारण जून के दफ्तर में छुट्टी थी. एक पुराने मित्र को लंच पर बुलाया था, इतवार की शाम वे अचानक मिलने आ गये थे, जून जब उन्हें छोड़ने गये तो ‘हल्दीराम की सोनपापड़ी’ का एक डिब्बा उन्होंने दिया. जो फ्रिज में रखने के बाद कैसे चिपक सी गयी है. रात्रि को उसे पहले तो गर्मी के कारण नींद नहीं आई फिर परेशान करने वाले स्वप्न देखती रही, नन्हे के स्वास्थ्य को लेकर हुई चिंता के कारण आये सपने. मेडिकल गाइड में ‘ब्रोंकाइटिस’ के बारे में कल काफी कुछ पढ़ा था, वही सत्य होकर रात को भयानक लग रहा था. सुबह के सारे कार्य करते और दो लेख पढ़ने के बाद जिनमें से एक डेल कार्नेगी का था और दूसरा जे कृष्णामूर्ति का, मन कुछ संयत हुआ है. दोनों के विचार प्रेरणा देते हैं, जीवन को बहुत करीब से देखने की, सही मायनों में जीने की और मानसिक आवश्यकता को भी पूर्ण करते हैं अर्थात कुछ सोचने को विवश करते हैं. नन्हा कल से बेहतर है. आज दोपहर को उनके बाएं तरफ की पड़ोसिन आएगी, उससे सिन्धी कढ़ाई का टांका सीखने, जो उसे भी पुनः याद करना पड़ेगा. अभी तो उसे कपड़े धोने हैं, BPL वाशिंग मशीन के सौजन्य से. कल शाम बच्चों ने एक प्रश्नावली दी working mothers vs house wives, जो उसकी जगह नन्हा ही भर देगा.

कल समाचारों में सुना, मिलावटी सरसों का तेल खाने से कुछ लोगों की मृत्यु हो गयी और कितने ही अस्पताल में हैं. उसे आश्चर्य हुआ, अल्प लाभ के लिए कुछ व्यापारी कितना नीचे गिर जाते हैं. कल शाम जून के एक मित्र आये उनके कम्प्यूटर पर कुछ cd चलाकर देखने जो उनके यहाँ नहीं चल पा रहे हैं, उसे बुनते देखकर कहा, सर्दियों की तैयारी शुरू हो गयी. मोज़े जो उसने पिछले हफ्ते शुरू किये थे अभी तक नहीं बन पाए हैं, घर में बच्चा अस्वस्थ हो तो सारा ध्यान उधर ही रहता है फिर आजकल वे टीवी बहुत कम देखते हैं, पिछले साल टीवी देखते उसने बुनने का काफी काम किया था. जून ने उसके नाम से दो ड्राफ्ट भेजे हैं फिक्स्ड डिपाजिट के लिए, वह उसे पिछले पन्द्रह वर्षों में की गयी हर छोटी-बड़ी बचत के बारे में बताना भी चाहते हैं.





Tuesday, April 8, 2014

गैराज की सफाई


कल दोपहर पेड़ काटने वाला आदमी काम बीच में ही छोडकर चला गया था, बिना खाए-पिए लगातार छह घंटे वह काम करता रहा. यही तो है भारत का आम आदमी, मजदूर और किसान, इनके विकास के लिए सरकार करोड़ों रूपये खर्च करती है पर इनकी हालत वही रहती है. कल शाम को लाइब्रेरी में ‘२१सवीं सदी में प्रवेश’ पर एक किताब देखी, दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो सारी सुख-सुविधाओं के बीच रहकर भी ग्लोब के दूसरे सिरे पर रहने वाले एक गरीब किसान की पीड़ा का अनुभव कर सकते हैं, यह दुनिया ऐसे ही व्यक्तियों के कारण तो चल रही है और यह ख़ुशी की बात है कि ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा होती जा रही है. कल घर से माँ का पत्र आया है, लिखा है छोटी बहन उन्हें बुला रही है पर वह अभी जा नहीं सकतीं. काश ! वह स्वयं कुछ दिनों के लिए उसके पास रह पाती पर यहाँ  नन्हे और जून का काम उसके बिना नहीं चलने वाला है.

नौ बजने को हैं, सुबह सुहानी थी, शीतल हवा और आकाश पर बादलों के बिखरे रंग उसे मोहक बना रहे थे. इस समय वह पहले पहर के मध्य में पहुंच चुकी है. आज गैराज साफ करवाया और ड्राइव वे भी. कल जून ने अपनी कार बेच दी यानि उनकी मारुति ८०० किन्हीं ठेकेदार महोदय को. अब उन्हें नई कार के लिए १५-२० दिन तक इंतजार करना है हो सकता है एक महीना भी. स्कूल से लौटकर जब नन्हे ने यह समाचार सुना तो वह बहुत नाराज हो गया था, उसे लगा आधे घंटे में सामान्य हो गया है. लेकिन बाद में जब उसे गृहकार्य करने को कहा तो उसने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया, शाम को एक मित्र परिवार आया तो जून ने उसे डांट कर पढ़ने बैठने को कहा, उसे लगा न चाहते हुए भी उसे अनुशासन सिखाने के लिए उन्हें ऐसा करना ही पड़ा. Today she read the second lesson of ‘Stop worrying and start living by Dale Carnegie. writer advises to accept the worst and then to think clearly instead of worrying when one faces any problem. कल रात स्वप्न में एक कहानी का प्लाट मिला. नायिका अपने छोटे भाई के साथ उसके कालेज जा रही है. रस्ते में पांच-छह असामाजिक तत्व उनके पीछे हो लेते हैं. एक जगह किसी वजह से उन्हें रुकना पड़ता है. बहुत bold होने का अभिनय करती हुई वह झूठमूठ में नशा करती है और उन्हें अपनी बातों में फंसा लेती है. किसी नशीले द्रव्य के अपने पास होने का भ्रम उन्हें दिलाती है अब सभी उसकी रक्षा का उपाय सोचने लगते हैं साथ चल पड़ते हैं, पर वह अभी भी खतरे से बाहर नहीं है, आगे का स्वप्न कुछ याद नहीं है. कल दोपहर जो कहानी उसने लिखी उसका अंत अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है. नीतेश ने अपने गुम होने की खबर स्वयं ही दी थी जब उसे मामा पर शक हुआ कि उसके पिता को धमकी भरे पत्र वह भेज रहे हैं. मामा सिर्फ अपना मान रखने के लिए रिपोर्ट लिखने व विज्ञापन देने की बात स्वीकारते हैं. लिखना उसे बीच में रोकना पड़ा, दरवाजे की घंटी बजी थी.



कौसानी के पर्वत


आज कृष्ण जन्माष्टमी भी है और जून का जन्मदिन भी, सुबह से वर्षा हो रही है, वे सुबह साथ-साथ उठे पर वह उसे तत्क्ष्ण शुभकामना देना भूल गयी. ब्रश करने के बाद कम्प्यूटर में कल बनाये कार्ड को दिखाकर उन्हें बधाई दी. तभी पिता का फोन भी आया, वे दशहरे पर ही यहाँ आना चाहते हैं, और जून के अनुसार इतने कम दिनों के दिनों के लिए उनका आना उचित नहीं है पर नूना को लगता है उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार निर्णय लेने की आजादी होनी चाहिए. कुछ देर पहले उस सखी का फोन आया जिसने स्कूल जाना शुरू किया है, आज स्कूल बंद है. अभी-अभी वह बातूनी सखी आई थी, आत्मविश्वास से भरी हुई, नीले रंग का सूट पहने लम्बे बालों को एक रबर बैंड से बांधे, लाल बिंदी माथे पर, उसे देखकर अच्छा लगा. कामकाजी महिलाओं के व्यक्त्तित्व में एक खास बात( जो सबमें नहीं भी आती) होती है, उसमें है. तीन दिन बाद  नन्हे का स्कूल खुल रहा है, उसका कुछ project कार्य अभी भी शेष है. आज उसने music India CD का रिव्यु पढ़ा, जिसमें सभी रागों का विवरण है साथ ही प्रख्यात शास्त्रीय गायकों की आवाज भी, उसने सोचा, भविष्य में कभी वे खरीदेंगे. कल पन्द्रह अगस्त है, जिसे कल शाम छोटी सी पार्टी रखकर वे मनाना चाहते हैं. जून का जन्मदिन अपने तौर पर, किन्तु  देश की आजादी की वर्षगाँठ वे सबके साथ मिलजुल कर मनाएंगे. आजकल यहाँ अल्फ़ा की गतिविधियाँ बढ़ गयी हैं, कुछ आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं. कल ‘पूर्ण असम बंद’ है, कैसा विरोधाभास है.

पिछले दो दिन व्यस्तता में बीते, परसों वे सुबह से ही शाम के डिनर की तयारी में जुटे थे. नन्हे ने डाइनिंग टेबल सजाई, घर विशेषतौर पर ड्राइंग रूम अच्छा लग रहा था. दोपहर से ही खाने की तैयारी शुरू कर दी थी क्योंकि दोपहर बाद ‘विवेकानन्द’ फिल्म देखनी थी, फिल्म अच्छी थी, गीत भी सुमधुर थे, भक्तिरस में डूबे हुए भजन. नन्हा अब बड़ा हो रहा है उसे भी फिल्म अच्छी लगी. कल शाम उसने एक कार्यक्रम भी देखा self management पर, उसे समझ में आया कि स्वयं को कैसे मेंटली और इमोशनली  संयत करना है. गर्मी की छुट्टियों के बाद आज उसका स्कूल खुला है, नूना बहुत दिनों के बाद घर में अकेली है, उसका साथ बहुत अच्छा लगता था, उन दिनों जब जून भी नहीं थे, वह उससे घंटों बातें करता था. जून और नन्हा इन दोनों के साथ उसका मन इस कदर जुड़ा हुआ है कि...
आज सुबह नैनी की बेटी को लेकर वे अस्पताल गये, उसे टिटनेस का टीका लगवाना था, पिछले चार-पांच  दिनों से उसके पैर में चोट लगी थी, पर घाव सूखने के बजाय पैर ही सूज गया है. जून के आने का वक्त हो रहा है, उन्हें बाजार होते हुए आना है पर बरसात है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. परसों शाम उनकी पार्टी अच्छी रही पर कल सुबह सोकर उठी तो गले में खराश थी, कई बार गरारे किये काफी राहत मिली, आज संगीत कक्षा में भी जाना है.

असमिया सखी ने कुछ देर पूर्व बड़े अधिकार से अपनी बिटिया के लिए मोज़े बुनने को कहा, सुबह जून के जाने के बाद IGNOU के प्रसारण में शिशु गृह के नन्हे-मुन्नों को देखकर पहले ही उसका मन वात्सल्य भाव से परिपूर्ण था. छोटे-छोटे कदम उठते मासूम बच्चे अपनी गतिविधियों से सभी को मोहित कर लेते हैं. उसने सोचा आज ही वह बुनना शुरू कर देगी. कई दिनों के बाद उसकी दिनचर्या पहले की भांति नियमित हुई है. कल दिन भर वर्षा होती रही, इस वक्त भी आकाश में बदली तो है. नन्हा कल स्कूल से आकर खुश था, बहुत दिनों बाद उसके साथ कल ‘वाटर पेंट’ किया, बच्चों के साथ कितना कुछ दोहरा लेते हैं माता-पिता, जो बरसों पहले सीखा तो होता है पर मन के किसी कोने में जंग खा रहा होता है. कल वह लाइब्रेरी से तीन किताबें लायी है, उसने ध्यान दिया, किचन को छोड़कर उनके घर के हर कमरे में किताबें हैं.

आज सुबह से कामों का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह दोपहर जून के जाने के बाद फिर से जारी किया जो अब जाकर खत्म हुआ है, यानि दोपहर के काम शाम पर टल गये और दोपहर सुबह को समर्पित हो गयी. सुबह उसकी छात्रा आयी थी, सार-लेखन व संवाद लेखन के बारे में जानने, एक पुस्तक भी ले गयी है इसका अर्थ है बाद में भी कभी आएगी ही. उसे अच्छा लगा, सम्बन्ध एकदम से टूट जाएँ तो ज्यादा खलता है धीरे-धीरे रेखाएं धूमिल पड़ें तो सहना सरल होता है.

Live in today ! Because past is but a dream and future is just a vision, who learns to live moment to moment is free of worries ! they started their day at 5 in the morning. Yesterday she did an experiment, tried to make curd with the help of a silver coin but pusi the cat drank milk kept for setting curd. She might have come through a window which had remained opened by mistake.

नन्हे और जून के जाने के बाद उसने प्रतिदिन की तरह टीवी चलाया तो ignou के प्रसारण में ‘कौसानी-एक यात्रा वृतांत’ आ रहा था. अल्मोड़ा के आस-पास ही है कौसानी, बेरहमी से काटे जा रहे जंगलों के कारण ही भूस्खलन की घटनाएँ गढवाल में बढ़ गयी हैं. कल ही दो सौ लोगों के दबकर मरने की खबर पिथौरागढ़ से आई थी और आज रुद्रप्रयाग में भी ३७ लोग चट्टानों के नीचे दब गये, जो पहाड़ इतने सुंदर लगते हैं वे इतने निर्मम भी हो सकते हैं. 

Saturday, April 5, 2014

गोद्ज़िला का सीडी


आज वर्षा नहीं हो रही है, वातावरण में उमस सी है. सुबह साढ़े चार बजे वे उठे, उसने पढ़ाया, जून बाहर से अमरूद तोड़ कर लाये, पता नहीं किसने लगाया होगा यह वृक्ष जिसके मीठे फल वे खा रहे हैं. वर्षों बाद उनका लगाये नींबू, संतरे व आड़ू के पेड़ भी किसी और को फल देंगे. ध्यान के लिए आजकल सुबह समय निकालना मुश्किल होता है, सो मन किसी न किसी बात पर पल भर के लिए ही सही झुंझला जाता है, स्वयं को समझाना कितना मुश्किल है !

कल सुबह एक मित्र परिवार आया था, उन्हें घर जाना था, जाने से पूर्व नाश्ता यहीं करवाया तथा साथ ले जाने के लिए कुछ बनाकर भी उसने दिया. दोपहर को KSKT देखी, अंत बहुत दर्दनाक है, लेकिन दोनों के परिवार वालों को यही सजा मिलनी चाहिए थी. उसके एक दांत में अमरूद का बीज फंस जाने से दर्द हो रहा था, आज एक्सरे कराने जाना है. पर उसे लगता है, एक दांत निकलवाने के बाद भी यह दर्द पूरी तरह से चला जायेगा ऐसा नहीं है, इसलिए उसे सही देखभाल और सफाई के द्वारा ही दांतों को ठीक रखना चाहिए. कल शाम वे क्लब गये, रेफरेंस बुक्स की प्रदर्शनी लगी थी, इतनी मोटी-मोटी किताबें और दाम सैकड़ों, हजारों में..वे सिर्फ देखकर आ गये. वैसे भी कम्प्यूटर आ जाने के बाद वैसी किताबों की आवश्यकता नहीं रह जाती. नन्हा कल शाम बेहद चुप-चुप था, बाद में गोद्ज़िला का CD देखते देखते ही सामान्य हो गया, उसका उदास चेहरा नूना से देखा नहीं जाता. शायद ऐसा ही जून को उन दिनों लगता होगा जब विवाह के बाद शुरू-शुरू में घर की याद आने से वह  चुप हो जाती थी और उन्हें उसकी चुप्पी नागवार गुजरती थी. जो प्रेम करते हैं वे प्रियपात्र की उदासी को सहन नहीं कर सकते. जून को इस माह के अंत तक एक पेपर लिखकर भेजना है. व्यस्तता उन्हें प्रसन्न रखती है.

उसे आश्चर्य हुआ कि तिथियों के मामले में इतनी लापरवाह कैसे हो गयी, उसने जून से कहा परसों पन्द्रह अगस्त है सो आज ही उन्हें मित्रों को उस दिन लंच के लिए निमंत्रित कर देना चाहिए. डायरी खोली तो पता चला अभी चार दिन हैं पन्द्रह अगस्त आने में. नन्हा अपना प्रिय कार्यक्रम ‘डिजनी आवर’ देख रहा है. उसने कुछ देर पूर्व लाला हरदयाल की पुस्तक में पढ़ा, धर्म के नाम पर हजारों लोग मारे गये, धर्म ने लाभ के बजाय हानि ही पहुंचाई है. मानव रहस्य दर्शी है, और भगवान से बड़ा रहस्य कौन है, इसलिए तो इतने सारे धर्मों का उदय हुआ. वह खुद भी तो प्रकृति की इस अनुपम सुन्दरता को देखकर इस विशाल ब्रह्मांड को बनाने वाले के प्रति श्रद्धा से भर जाती है. उसका भगवान इस संसार का नहीं है, वह तो ऊर्जा का अंतिम स्रोत है जिससे यह सब हुआ है.


आज उसकी छात्रा ने कहा, अब वह नहीं आयेगी, पिछले दो वर्षों से हिंदी पढ़ाने का क्रम अब टूट जायेगा. उसे वाकई अच्छा लगा, हिंदी व्याकरण का ज्ञान इसी कारण उसे भी हुआ. उसके मन में एक स्वप्न है हफ्ते में दो दिन ही सही छोटी-छोटी लडकियों को पढ़ाये, यह कार्य उसके मन का होगा और इससे समय के सदुपयोग के साथ आत्म संतोष भी मिलेगा. अगले हफ्ते से नन्हे का स्कूल भी खुल रहा है. उसे कम्प्यूटर कोर्स करने का भी मन है. काम करना और अर्थपूर्ण काम करना उसकी जरूरत है सही मायनों में जीवन कार्य का ही दूसरा नाम है.

Friday, April 4, 2014

आंधी और तूफान


पिछले दो-तीन दिनों से वह ‘महिलाओं के लिए लेखन’ पुस्तक पढ़ती रही है पर प्रश्नोत्तर लिखने बैठी तो बात आगे नहीं बढ़ रही है. आज पड़ोसिन ने अपने घर आने का निमन्त्रण दिया है शाम को वह उन्हें क्लब भी ले जाएगी. क्लब में फिल्म है. उसे लेडीज क्लब की तरफ से पुराने वस्त्र एकत्र करने का काम सौंपा गया है, दोपहर को एक परिचित महिला आयीं कुछ वस्त्र लेकर, वह सामान्य वस्त्रों में थी, उसे उलझन में देखकर शायद..कुछ देर रुककर ही वह चली गयीं. जून होते तो वह इस समय ‘हिंदी कक्षा’ में होती, घर से बाहर निकलना कुछ करना अच्छा लगता है उसे. उसने सोचा उस सखी ने अच्छा निर्णय लिया, कामकाजी महिला की समस्याएं भी कम नहीं होतीं पर जीवन है तो समस्याओं से घबराना कैसा. फ़िलहाल तो वह अपनी मर्जी की जिन्दगी अपने तौर पर जी रही है. कहीं नौकरी करने का एक अर्थ गुलामी स्वीकार करना भी होगा, उसका वक्त उसका नहीं रहेगा, मन का चैन...उसे लगा शायद मन का चैन बढ़ जाये ? आखिर घर से बाहर जाना काम करना अच्छा लगता है !

जून का फोन आज सुबह आया, उसे लगा, उनकी आवाज में उदासी की छाप थी, पहले की तरह उत्साह से भरी आवाज नहीं थी, शायद उन्हें घर की याद आने लगी है. वे भी तो उनका इंतजार कर रहे हैं, उनकी उपस्थिति की यहाँ बहुत आवश्यकता है. मिलने वाले सभी सोचते हैं कि वे अकेले हैं और सदा ही सहायता करने की अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं और वह अपने स्वभाव के अनुसार किसी पर, किसी भी तरह से निर्भर होना नहीं चाहती.

It is 2 pm Nanha went for computer class in rain taking an umbrella, he is such a nice, energetic and lively person. He remains happy all the time these days busy in his project work, computer and watching TV cheerfully. He remembers papa often and always asks about phone calls he made.

Jun has come back but he is not well. Yesterday when he entered the house his face was totally white and very week. He was suffering from fever since last few days and he did not tell her. He wanted to save them from suffering so he suffered alone. She did not like it but appreciated his love for them. Today he went to dept but came back around 10, now taking rest. Nanha is busy doing his work, only fifty present of which is done till now. Yesterday was last meeting of the out going committee. Secretary asked her to stay for photo session but she had to come back with jun and Nanha they were waiting for her in lounge.

आज अगस्त का प्रथम दिन है, वर्षा सुबह से थम-थम कर हो रही है. शाम को वे तीनों बाजार गये उनके देखते-देखते ही काले घने बादल छा गये पहले आंधी शुरू हुई फिर वर्षा. वे किसी तरह कार तक पहुंचे और घर आये. जून अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए हैं. किसी भी बात का जवाब हाँ, हूँ या कम से कम शब्दों में देना पसंद करते हैं. घर जाकर अस्वस्थ हो जाना उन्हें रास नहीं आया, किसी को भी नहीं आएगा. पिछले शनिवार को उसने एक कहानी शुरू की थी जो अभी तक अधूरी है.

Today she got up before 5, her student came and solved the questions she gave her, she was suffering from cold as usual, then at six jun and Nanha awoke, they ate breakfast and jun went to office, Nanha was writing today's news, but it seems he is again asleep. She is not feeling cheerful this morning. Last night they came back from a friend’s party at 10 pm, food was good but something went wrong when she gave flowers to him, they all felt awkward perhaps she should not take flowers for them ever. Nanha is reading one novel by Ian Flaming it also disturbs her but she should keep one thing in mind that one is responsible for her/his state of mind and should not brood over petty things, but should overcome them as soon as they come.


कल दिन भर वह नन्हे को उसके कार्य में सहायता करने में व्यस्त रही. शाम को जून अपने पुराने मूड में आ गये थे, खुशदिल और ऊपर तक प्रेम से लबरेज. उनकी तबियत अब जाकर पूरी तरह ठीक हुई है. उनका जन्मदिन इसी महीने आने वाला है, उसे उनके लिए उपहार लेना है. आज सुबह से कुछ भी सार्थक नहीं किया है  सिवाय अख़बार में काश्मीर में पुनः बढ़ती हुई हिंसा के समाचार पढ़ के. हाँ, पत्रों के जवाब के साथ पहली बार एक अंग्रेजी पत्रिका का क्रॉसवर्ड भी भर कर भेजा. कुछ देर Kane and able भी पढ़ी, हिंदी फिल्मों की तरह कहानी में जाने-पहचाने मोड़ आते हैं, लगभग समाप्त हो गयी है किताब पर उसे अच्छी नहीं लगी बहुत, सीधी सपाट किताब है.  

Thursday, April 3, 2014

शरलक होम्स के कारनामे


कुछ देर पूर्व एक सखी का फोन आया, कल से वह पढ़ाने जा रही है, खुश है, फ़िलहाल प्राइमरी सेक्शन को पढ़ाना होगा. कल से उसके जीवन में एक परिवर्तन आएगा, छह घंटे उसे घर से बाहर रहना होगा. जून की आज भी फील्ड ड्यूटी है. नन्हे को आज भी कम्प्यूटर क्लास जाना है, उसे encyclopedia में ‘कोलस्ट्रोल’ पर एक लेख मिल गया है जो उसे biology project work के लिए लिखना है. कल एक सखी से बात की, पर उसका ‘कोरस प्रतियोगिता’ के बारे में एक भी सवाल न पूछना उसे अच्छा नहीं लगा. फिर स्मरण हो आया, किसी की कोई बात अच्छी लगना या न लगना यह उसकी समस्या है, और वह क्यों व्यर्थ ही अपनी समस्या को बढाये, सो वह कोई अपेक्षा नहीं रखेगी and she will not judge any body.

जून अभी-अभी तिनसुकिया चले गये हैं और वहाँ से रात की ट्रेन से घर के लिए रवाना होंगे. यूँ लग रहा है जैसे उसके मन का एक कोना खाली हो गया है, कोई कुछ ले गया है छीनकर, जून का साथ जो पोर-पोर में समाया हुआ है वह कैसी कसक जगा रहा है मन में, मन जो रुआंसा सा हो गया है. मगर आने वाले आठ-दस दिन उसे उनके बिना रहना ही होगा, सुखद स्मृतियों के साथ..मौसम बहुत अच्छा हो गया है, उसने सोचा लाइब्रेरी जाना चाहिए या यूँ ही टहलने तो दीवाना दिल कुछ तो संभल जायेगा. आज सुबह वे साथ-साथ उठे, दोपहर को साथ-साथ भोजन किया, आज का साथ पिछले कई वर्षों के साथ से ज्यादा मोहक लग रहा है, क्यों कि उनके मन उसे पूरी तरह महसूस कर अपने में समो लेना चाहते थे. प्रेम एक निहायत ही खूबसूरत व पाक जज्बा है जो दो दिलों को एक-दूसरे के लिए धड़कने पर विवश कर देता है, ऐसा ही प्रेम वह इस वक्त महसूस कर रही है.

आज उसे नींद नहीं आ रही, नई-नई मिली आजादी का जश्न मन के साथ-साथ आँखें भी मना रही हैं. जब तक नींद न आए तब तक सोया न जाये यह नियम क्रन्तिकारी तो नहीं पर जोशीला तो है. मन जोश से भर जाये ऐसा कई दिनों से नहीं हुआ, तेज संगीत पर थक जाने तक थिरकने का ख्याल भी तो कब से नहीं आया, न ही बादलों को बरसते देख मन में कविता जगी. जिन्दगी एक रस्म की तरह निभती चली जा रही है, लोग मिलते हैं, इधर-उधर की बातें होती हैं, मौसम के ऊपर कभी एक दूसरे के जीवन के बारे में, पर ऊपरी-ऊपरी सतह तक, कभी अंदर उतर कर झाँकने की कोशिश भी करें तो एक गर्म हवा का झोंका चेहरे को झुलसा डालेगा ऐसा तेजी से आता है कि चार कदम पीछे लौटना पड़ता है. हरेक अपनी-अपनी सलीब ढोये आगे बढ़ रहा है. कुछ पल रुककर बातचीत कर लेते हैं लोग, कुछ पलों के लिए कंधों का बोझ हल्का लगता है फिर वही यात्रा. लेकिन क्या ये कुछ पल भी जरूरी नहीं हैं, सतही ही सही कोई चीज तो है ही जो लोगों को जोड़ती है और अगर किसी का दिल साफ है, शफ्फाफ है, खुद पर भरोसा है, मजबूत है तो अपनी शर्तों पर जियेगा. अगर ऐसा नहीं है तो वह किसी पर विश्वास नहीं कर पायेगा, तो जीने का सही तरीका अपने अंदर की ताकत से उपजता है.

अभी कुछ देर पहले जून का फोन आया, उसे लगा, चाहे वह यहाँ से दूर हैं पर उनका दिल यहीं है. कल उसके सिर में दर्द हो गया था, नन्हे ने दवा दी. सुबह वह सोच रही थी कि जून ने उससे एक बार भी  अपने साथ जाने के लिए नहीं कहा, पर अब उसे लग रहा है, वह उन्हें यात्रा की तकलीफ से बचाना चाहते थे. आज उसने गुलदाउदी के लिए गमले साफ करवाए. नन्हे के साथ बाजार गयी, उसने मेहमानों के लिए समोसे खरीदे, एक सखी ने कहा था शाम को आयेगी, पर जब वह चाय बनाने के लिए उठी तो वे कहने लगे, उन्हें जल्दी जाना है, वह तो पहले से ही प्रसन्न नहीं थी, उनकी यह बात उसे और परेशान कर  गयी. बाद में सोचा कि उन्हें कोई आवश्यक कार्य होगा याकि लोग भिन्न समय पर भिन्न व्यवहार करेंगे ही. वह इतनी संवेदनशील है कि पलक झपकने मात्र से ही कुम्हला जाती है. उसने सोचा उसे मजबूत बनना होगा.

शाम को उन्होंने कुछ पहेलियाँ हल कीं फिर लाइब्रेरी गये, नन्हे ने ‘शरलक होम्स’ की एक किताब ली, उसे डिटेक्टिव नॉवल पढना बहुत अच्छा लगता है. नूना को भी फेलूदा की कहानियाँ अच्छी लगती हैं. जून का फोन आज आ सकता है, अब वह मात्र एक हफ्ते के लिए दूर हैं, अगले हफ्ते वे साथ होंगे, A happy family !




Tuesday, April 1, 2014

लैब में पानी


कल शाम ही वे वहाँ गये, उस आलीशान फ्रिज को देखने. जो बहुत सुंदर है और बहुत सारे काम भी करता है जैसे कि बर्फ फ्रीजर में जमने नहीं देता, खाने के पौष्टिक तत्व कायम रखता है, सब्जियां सूखी रहती हैं और नीचे वाली पानी की ट्रे आगे से ढकी है. पहले क्लब में कोरस का रिहर्सल भी हुआ, उसे असमिया गाना सीखने में थोड़ी भी परेशानी नहीं हो रही है., मुख्य गायिका इतनी मधुर आवाज में इतनी सहजता से गाती हैं कि कोई भी उनके साथ गा सकता है. आज मौसम सुबह से साफ और सूखा है, शाम को क्लब में फिल्म है और रिहर्सल भी.

कल उसे क्लब से आने में देर हो गयी जून को अच्छा नहीं लगा, नूना ने उसे एक पत्र लिखा, सारी बातें साफ हो गयीं. इतवार को वे मोरान गये थे, उस दिन मोरान के स्वच्छ गेस्ट हाउस में बैठे कई बातें मस्तिष्क में आ रही थीं घर को और सुंदर बनाने की. सबसे पहला चरण था सफाई और सबसे अंतिम भी सफाई. परिणाम, घर पहले से काफी सुंदर नजर आता है. नन्हे ने कोरस में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के नाम कम्प्यूटर पर टाइप कर के सेव कर दिए थे, जून उसे फ्लॉपी में ले गये हैं प्रिंट करने के लिए. कुछ देर पहले मुख्य गायिका का फोन आया, कहा, बहुत काम है, क्लब के कर्मचारी का भी फोन आया, उसे अपने साथ एक और आदमी चाहिए, बहुत काम है. पिछले कई दिनों से उसका हिंदी का कार्य भी आगे नहीं बढ़ा है, इस वर्ष तो कोर्स पूरा करना कठिन लगता है. अभी तक उसके पहले पेपर का जवाब भी नहीं आया है. कल नन्हे का जन्मदिन है इस बार वह पार्टी नहीं चाहता, बल्कि बचत करना चाहता है ताकि बाद में CD खरीद सके.

पिछले तीन दिन वह व्यस्त थी, शनि को सुबह, दोपहर, शाम तीनों पहर क्लब गयी. कोरस  कम्पीटिशन ‘स्वरांजलि’ सम्पन्न हो गया. एक सदस्या ने उसे पहनने के लिए सुंदर मेखला चादर दिया था, कई लोगों ने तारीफ की. प्रेसीडेंट ने भी. सब कुछ स्वप्न सा अलग रहा था. जैसे वह  कोई और थी. सारा दृश्य किसी काल्पनिक कहानी का भाग था. क्लब की लाइब्रेरी से कुछ किताबें भी लायी है बहुत दिनों बाद, एक परिचिता ने एक किताब का सुझाव दिया था, Kane and Able by Jeffrey Archer, जरूर अच्छी होगी. नन्हा अपनी छुट्टियाँ अपनी तरह से बिता रहा है, प्रोजेक्ट कार्य धीरे-धीरे चल रहा है. कल उन्हें ‘देशराग’ पर आधारित गाने की धुन सिखाई गयी, इस हफ्ते वह ठीक से अभ्यास करके जाएगी. कल प्रवीन सुल्ताना को कहते सुना ‘रियाज करो और राज करो’, सो अगर उसे गाना सीखना है तो अभ्यास नियमित ही करना होगा !

कल रात दो बजे होंगे जब जून के दफ्तर की सिक्युरिटी से फोन आया, कि एक लैब में, जो उनके ही नियन्त्रण में है, पानी का एक नल खुला रह गया है. उस वक्त तो वह वहाँ नहीं गये पर सुबह पौ फटते ही गये तो पता चला कि एक पाइप ही फट गयी है जिसके कारण पानी पूरी तेजी से छत से टकरा कर सारे इंस्ट्रूमेंट्स व पंखे, लाइटस को भिगोता हुआ निचे गिर रहा है. एक घंटा तो उस वाल्व को ढूंढने में लग गया जिससे पानी का आना बंद हो सकता था. जून को घर आने में छह बज गये और फिर फील्ड ड्यूटी थी सो लंच टाइम पर घर नहीं आ सके. उसे छोटी बहन की याद हो आयी जिसकी पांच-छह बार नाईट ड्यूटी लग चुकी है. उसको पत्र लिखा है पर पता नहीं पोस्टल स्ट्राइक कब खत्म होगी.    





दिनकर की कविता


एक सखी ने कहा था कि बालिकाओं के लिए ‘प’ अक्षर से कुछ नाम सोच कर रखे, उसने शब्दकोश की सहायता से कुछ नाम लिखे पर बाद में उन्हें पंडित जी से पता चला नाम ‘प’ से नहीं रखना है. आज सुबह घर से फोन आया, वे लोग घर बदल रहे हैं, एक नये इलाके में दो कमरों का मकान लिया है. बाद में जून ने बहन से भी बात की, पिता की आवाज की गम्भीरता से वह परेशान हो गये थे, वहाँ जाने की बात कर रहे थे, अपने कर्त्तव्य का बोध उन्हें सदा ही रहता है पर बिना रिजर्वेशन के जाना आसान नहीं है. आज भी वर्षा हो रही है सुबह से ही, जबकि उत्तर भारत गर्मी से तप रहा है. उसने सोचा, वे अपने जीवन के बेहतर वर्ष यहाँ बिता रहे हैं बिना किसी तकलीफ के, इसके लिए उन्हें ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए. कल उसने वह लेख मीटिंग में पढ़ दिया, तारीफ भी सुनने को मिली पर सेक्रेटरी ने कुछ नहीं कहा, शायद उन्हें अपना जिक्र न किया जाना खल गया हो, हर वक्त कोई हर एक को तो खुश नहीं रख सकता, कुछ भी हो मीटिंग अच्छी रही, दो मेम्बर्स ने अच्छी कविताएँ पढ़ीं, एक की कविता स्तरीय अंग्रजी में थी.

कल वह रिपोर्ताज और यात्रा लेखन के बारे में पढ़ती रही, इस कोर्स से उसे कई बातों की जानकारी हो रही है, पत्र पत्रिकाएँ, अख़बार महत्वपूर्ण हैं यह तो शुरू से ही मालूम था पर किस तरह और कितने महत्वपूर्ण हैं इसकी जानकारी हुई, कैसे लेखक और पत्रकार अख़बारों के लिए लिखते हैं इसके साथ और भी कई बातें. जून अगले माह दस दिनों के लिए घर जा रहे हैं, नन्हे का स्कूल कल से ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो रहा है, उसे ढेर सारा गृहकार्य मिलेगा, सो दस दिन व्यस्तता में ही बीत जायेंगे.

आज सुबह-सुबह जून नन्हे पर बरस पड़े, उसे आधे घंटे तक प्यार से उठाने के बाद उनका धैर्य जवाब दे गया. नन्हे को सुबह गहरी नींद आती है, रात को जल्दी सोने के लिए कहें तो सुनता नहीं है, वह बड़ा हो रहा है और सोचता है कि अब उसे अपने मन के मुताबिक जीने की छूट होनी चाहिए. जून बाद में बहुत परेशान थे, नन्हा भी उदास होकर स्कूल गया है वापस आने तक शायद भूल चुका होगा. जब वह छोटा था आधे घंटे में ही डांट भूल जाता था और पहले की तरह हँसने-खेलने लगता था पर अब उसे सामान्य होने में वक्त लगता है, शायद यह भी उम्र का एक हिस्सा है. आज उसके स्कूल में आखिरी दिन है, कल से छुट्टियाँ हैं लेकिन समय पर उठाना, व्यायाम करना, पढ़ाई करना, खेलने जाना, कम्प्यूटर क्लास जाना सभी उसे समय पर करने होंगे. जिन्दगी में एक लय हो तभी सारे कार्य हो पाते हैं और सब कुछ बिखरा-बिखरा सा नहीं लगता. आज कई दिनों के बाद धूप निकली है. कल शाम वह कोरस की प्रैक्टिस के लिए गयी थी, असमिया गाना है, धुन ज्यादा कठिन नहीं है, लेकिन नन्हे और जून को कुछ दिन शाम को अकेले घर पर रहना होगा. आज सुबह घर से फोन आया, पिता खुश लग रहे थे, उन्होंने उसे एक महीने बाद जन्मदिन की बधाई दी. जून पिछले तीन-चार दिनों से उनके लिए परेशान थे.

जुलाई का पहला दिन, सुबह ही तेज वर्षा हुई, कालिदास की याद हो आयी. अब धूप निकली है जैसे कि इस अम्बर पर कभी बादल थे ही नहीं. आज सुबह उसने पढ़ने आयी छात्रा को जयशंकर प्रसाद की कविता का अर्थ बताया, वह दिनकर की कविता का अर्थ भी पूरी तरह नहीं समझ पायी थी, नूना स्वयं ही नहीं समझ पायी थी इस तरह कि उसे समझा सके, उसे लगा आधुनिक कवि थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कहना चाहते हैं, भावों को दुरूह बना देते हैं या फिर वे ही शब्दों के पीछे उन अर्थों को तलाशते हैं जो शायद वहाँ नहीं हैं. कल भी वह रिहर्सल के लिए गयी, पर दो घंटों में मात्र आधा घंटा ही गाने का अभ्यास हुआ. कोरस प्रतियोगिता की तैयारी उस तरह नहीं हो पा रही है जैसे होनी चाहिए, आकर्षक पोस्टर पर लोगों को आकर्षित करने के लिए इनामों का जिक्र होना चाहिए साथ ही एंकरिंग के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए पर यह सब करेगा कौन, सेक्रेटरी शायद यह सोचती नहीं. आज एक सखी का फोन आया उन्होंने अट्ठाईस हजार से ज्यादा का फ्रिज लिया है, उसे देखने जाना होगा.