Friday, April 27, 2018

शिवसूत्र



दोपहर के तीन बजे हैं. धूप अब कुछ ही देर की मेहमान है, इस समय ठंड ज्यादा नहीं है पर शाम होते न होते तापमान गिर जाता है. वह गुलाब और जरबेरा के मध्य हरी घास पर बैठी है. मालिन बगीचे में झाड़ू लगा रही है और उसकी बेटी क्यारियों में पानी डाल रही है. उसके इर्दगिर्द श्वेत धुंए सा पारदर्शी कोई आवरण छाया हुआ है जो गतिमान है तथा जिसके भीतर से देखने पर सामान्य दिखने वाली घास भी अति प्रकाशवान व सुन्दर हो जाती है. परमात्मा की लहर जैसे उसे छूकर जाती है, कितना दयालु है वह ! आज सुबह प्रार्थना की, वह उसे धैर्यवान बनाये, धैर्य की कमी के कारण उसे न जाने कितनी बार कितनी परेशानी उठानी पड़ी है. धैर्य की कमी का सीधा सा अर्थ है उस पर भरोसा न होना. कर्ता भाव जगते ही तो अधैर्य का जन्म होता है. शास्त्रीय ज्ञान को जीवन में उपयोग न कर सके तो उसका होना न होना बराबर ही है. लोभ की वृत्ति से भी छुटकारा पाना है. सद्गुरू के वचन सुनती है तो लगता है सब याद है पर वह मात्र स्मृति ही बन कर न रह जाये, जीवन में पग-पग पर उसका उपयोग हो सके.

संध्या के साढ़े पांच बजे हैं. आज का दिन कितना अलग रहा. सुबह देर से उठी, कल रात को क्लब से देर तक गाने की आवाजें आ रही थीं, देर से सोयी, वैसे भी जबसे जून गये हैं, रात्रि को सोने में देर हो ही जाती है. दोपहर को ग्यारह बजे क्लब गयी, इतने वर्षों में पहली बार बीहू पर होने वाले खेल देखे. पारंपरिक भोजन किया, जो स्वादिष्ट था और गर्म था. आलू पिटकी, केले के फूल की सब्जी, पालक पनीर, दाल बड़ा और दो तरह के चावल और दाल. वापस आकर बच्चों के लिए चने बनाये और उन्हें भी खेल खिलाये. जून आज रामेश्वरम गये हैं, शाम तक तमिलनाडू में अपने निवास पर आ जायेंगे, और दो दिन बाद यहाँ. आज ‘शिवसूत्र’ पर लाई किताब पढ़ी. ओशो का प्रवचन डाऊनलोड किया इसी विषय पर, कल सुनेगी. उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनी है. सद्गुरू ने भी शिवसूत्र पर प्रवचन दिए हैं, पहले टीवी पर सुन चुकी है. सुबह पुनर्जन्म पर एक टेलीफिल्म देखी. शाम को क्लब जाना था, फिर एक सदस्या के घर, इस बार के क्लब के वार्षिक उत्सव में वे एक ‘वाल मैगजीन’ प्रकाशित करने वाले हैं, वह बहुत रुची से बना रही है. सब मिलाकर तीन घंटे वहीं लग गये. दो दिन बाद उन्हें यात्रा पर निकलना है. नैनी की बेटी कई बार कह चुकी है, उसे नृत्य के लिए बुलाये, बच्चों को नाचना अच्छा लगता है और उनके साथ नाचना उसे भी ! अब सोमवार को ही सम्भव होगा या फिर कोलकाता से आने के बाद.

सुबह भी काफी कोहरा था, एक छोटी सी यात्रा की राजगढ़ की आज. मृणाल ज्योति ने विशेष बच्चों एक लिए अपने स्कूल की एक शाखा वहाँ खोली है, उसी का समारोह था. दोपहर ढाई बजे वह लौटी और उसके कुछ देर बाद जून भी आ गये. ढेर सारा सामान लाये हैं हमेशा की तरह. तमिलनाडू के चेट्टीनाड से तीन साड़ियाँ भी. बगीचे से मेथी, फूल गोभी व हरे प्याज तोड़े, और रात के भोजन में उसका पुलाव बनाया, जून को बहुत पसंद है.

आज सुबह अँधेरे में खिड़की का पर्दा हटाते समय एक फ्रेम टूट गया, एक पिछले हफ्ते टूटा था, इसी तरह पर्दे के ही कारण. उसे प्रकाश कर लेना चाहिए सुबह उठते ही कमरों में, जैसे भीतर प्रकाश न हो तो मन में अँधेरा छा जाता है, वैसे ही बाहर भी प्रकाश अति आवश्यक है. आज मृणाल ज्योति जाना था, कम्पनी के डायरेक्टर्स की पत्नियाँ यहाँ आई हुई हैं, मुख्य अधिकारी की पत्नी उन्हें लेकर जाने वाली थी. वहाँ एक पुरानी परिचिता मिलीं, कुछ वर्ष पूर्व वे लोग यहाँ से चले गये थे, गोरी-चिट्टी हँसमुख और पूर्णतया स्वस्थ नजर आती थीं, पर उन्हें अब कैंसर हो गया है, कृशकाय हो गयी थीं, पर मुस्कान वैसी ही है. बच्चों से मिलकर सभी खुश हुए. वहीं से उसने कुछ उपहार खरीदे. कल उन्हें असमिया सखी के पुत्र, जो नन्हे का मित्र भी है, की शादी में जाना है, नन्हा भी एक दिन के लिए आएगा. अभी पैकिंग शेष है. धूप में बैठकर लिखना अच्छा लग रहा है. पंछियों की आवाजें आ रही हैं तथा घास काटने की मशीन की भी कभी-कभी ! शेष समय मौन है. आज से नैनी की बेटियों ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है, सुबह दोनों चहकती हुईं स्कूल ड्रेस पहनकर आयीं थीं, उसने दोनों की तस्वीर उतारी.   

Wednesday, April 25, 2018

हरी मटर की पौध



रविवार होने के बावजूद आज सुबह भी वे भोर होने से पहले ही उठ गये, अँधेरे में ही टहलने गये, पूरे रास्ते में इक्का-दुक्का लोग नजर आए. सुबह की योग कक्षा में सूर्य नमस्कार और सूर्य ध्यान करने व कराने के बाद मन कितना प्रफ्फुलित हो गया था. नाश्ते की तैयारी उसने पहले से कर दी थी. जून ने तंदूर लगा दिया, गर्मागर्म आलू का परांठा और दही का नाश्ता किया. उसके बाद आरम्भ हुआ सभी से फोन पर बातचीत का सिलसिला. हर इतवार को वे सबसे पहले पिताजी से बात करते हैं, उनसे बात करना सदा ही अच्छा लगता है. फिर बहनों से और उसके बाद किसी और से. बड़ी भांजी डाईटीशियन का कोर्स करना चाहती है, उसके पति उसे सहयोग कर रहे हैं, जानकर अच्छा लगा. आज क्लब का वार्षिक उत्सव है, दोनों ने बालों में रंग लगाया. लंच के दौरान पिछले कई वर्षों की तरह एक स्टाल पर उसको भी खड़ा होना था. वे दो बजे क्लब गये, सजी-धजी महिलाएं समूहों में बैठी थीं, अभी भोजन में एक घंटे की देरी थी. लोग मस्त थे, सलाद, फ्राई, स्वादिष्ट भोजन, आइसक्रीम सभी कुछ लाजवाब था, पर पीने का चलन इस दिन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है. शाम को ‘महाभारत’ का अगला एपिसोड देखा. रात को मकई की रोटी बनाई बगीचे से तोड़े हरे प्याज और मेथी मिलाकर. इस वर्ष मटर को छोड़कर सभी सब्जियों की काफी अच्छी फसल हुई है. मटर की फलियों को पंछी खा जाते हैं.

नये वर्ष के दस दिन गुजर गये, समय कितनी तेजी से गुजरता है, उनके लक्ष्य पूरे नहीं हो पाते. जीवन कितना कुछ छिपाए है, जो अपरिचित ही रहे जाता है. मौसम आज भी काफी ठंडा है, शाम को जून के एक सहकर्मी भोजन  के लिए आ रहे हैं. ‘सिया के राम’ में आज राम मिथिला की तरफ प्रस्थान करेंगे. हजार बार सुनी यह कथा हर बार नई लगती है. आज दुर्योधन का भी अंत होने वाला है ‘महाभारत’ में, मोह का प्रतीक है यह पात्र, इसका नाश होना ही चाहिए. व्हाट्सएप पर एक छोटी सी लडकी को हनुमान चालीसा गाते हुए सुना आज, तकनीक ने कला को कितना बड़ा फलक दे दिया है, देखते-ही देखते यह वीडियो पूरे भारत में प्रसारित हो जाने वाला है. जून आज देहली गये हैं. कल रात सूक्ष्म देह का अनुभव कितना स्पष्ट हो रहा था. वे सूक्ष्म देह के द्वारा भी स्पर्श का अनुभव करते हैं और देखते हैं, अनोखी है भीतर की दुनिया !

आज लोहरी है, सुबह देर से उठी, गले में हल्की खराश थी. नेति आदि करके स्नान किया तो सोचा, प्रातःभ्रमण तो छूट गया, प्राणायाम ही कर ले, पर सुबह-सुबह ही क्लब की सेक्रेटरी का फोन आ गया, कार्यों की एक लम्बी सूची थी सो नाश्ता करके कम्प्यूटर पर काम करने आ गयी, पर स्क्रीन थी कि खुलने को राजी नहीं थी. कल ही जून के जाने से पहले ही लैन से कनेक्ट करके गये थे आईटी विभाग के कर्मचारी. जून को शायद पासवर्ड का ज्ञान हो, पर वह फ्लाईट में थे. कुछ देर की प्रतीक्षा भी सही नहीं गयी. अधीर मन ने कहा, नन्हे को फोन करो, वह क्या करता, इसी बहाने उससे बात हो गयी. तब तक जून का संदेश देखा फोन पर, समस्या पल में हल हो गयी, पर इतनी देर में जो भीतर उत्तेजना को जन्म दिया उसका असर तो होना ही था. सदा शांत रहने वाला मन यदि थोड़ा सा भी ऊपर-नीचे हो तो असर होता ही है. साधक को तो अति सजग रहने की जरूरत है. सवा ग्यारह कब बज गये पता ही नहीं चला. सेक्रेटरी के साथ कार्ड्स बांटने गयी, सवाा एक बजे लौटी, भोजन करके पुनः तीन बजे गयी. उपहार गिनने का कार्य किया, बाजार गये और लौटे तो साढ़े पांच हो चुके थे. उसके बाद योग कक्षा, संध्या भ्रमण, ‘सिया के राम’, रात्रि भोजन और फिर नींद से पूर्व ध्यान. कोई स्वप्न देखा हो याद नहीं.   

Tuesday, April 24, 2018

सिया के राम



कल रात्रि संदेह के संस्कार को भीतर स्पष्ट देखा, सद्गुरू कहते हैं, विकार को देखना ही उससे मुक्त होने की क्रिया है. व्यर्थ ही मन संदेह से ग्रस्त रहता है, व्यर्थ ही वस्तु, व्यक्ति तथा परिस्थिति के प्रति मन में आशंका होती है, किसी से मिलने जाना हो तो मन कहेगा, शायद वह घर पर न हो, अथवा हो तो व्यस्त हो, शायद ऐसा हो शायद वैसा हो..! कितना हल्का लग रहा है भीतर, मन अब अस्तित्त्व के प्रति अर्थात सभी के प्रति विश्वास से भर गया है. सुबह घने कोहरे के मध्य टहलने गये वे. स्नान के बाद सभी के फोन व संदेश आने लगे, आज उनके विवाह की सालगिरह है. दोपहर को क्लब की मीटिंग है, शाम को मेहमान आयेंगे. वह गाजर-ब्रोकोली और पनीर भी बना रही है शेष व्यंजनों के साथ. नन्हे का भी मुबारकबाद का फोन आया, उसे एक अच्छा रसोइया मिल गया है पर दिन में एक ही बार आता है. बड़ी बुआ ने भी शुभकामना दी, अब उनका स्वास्थ्य पहले से काफी ठीक है. पिताजी का फोन आया, ‘सिया के राम’ उन्हें भी अच्छा लग रहा है. वह कह रहे थे, सीता का अभिनय कर रही कलाकार में उन्हें उसकी झलक मिलती है, पिता का हृदय सन्तान के प्रति कितना स्नेह से भरा होता है. पिछले दो-तीन दिनों में ड्राइव-वे पर किसी ने खाली बोतल फेंकी, कांच बिखर गया. जून ने आज शिकायत की है. समाचारों में सुना, पठानकोट में हुए आतंकी हमले में कितने जवान मारे गये, सभी आतंकवादी भी मारे गये. जब से दुनिया बनी है शायद तभी से यह संघर्ष चल रहा है, जैसा संघर्ष मानव के भीतर चलता रहता है !

नकारात्मकता का कीट एक क्षण के लिए सिर उठाता है और ज्ञान का प्रकाश उसे पुनः भाग जाने के लिए विवश करता है. माया का जादू अब और नहीं चल सकता. माया ने बहुत नचा लिया अब भीतर जो स्थिरता डिग-डिग जाती थी, अचल होने लगी है. यूनिवर्स से कितना सुंदर संदेश मिला आज, कुछ बातें तर्क से परे होती हैं. इन संदेशों के लेखक एक आधुनिक संत हैं जो लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, कल का संदेश बिलकुल वही है जो आजकल वह स्वयं भी अनुभव कर रही है. उनकी दुनिया उनके मन का ही खेल है. मन में ड़ू’बे रहकर वे वस्तविकता से दूर ही रह जाते हैं और व्यर्थ ही ऊर्जा गंवाते हैं. जिस क्षण भी वे सत्य से हटते हैं, माया के घेरे में आ जाते हैं. इसीलिए संत कहते आये हैं, ज्ञान का पथ तलवार की धार पर चलने जैसा है. कल शाम का उत्सव अच्छा रहा, उन्होंने शकरकंद भूना और विशेष भोज ग्रहण किया. सुबह मृणाल ज्योति गयी, क्लब के लिए खरीदा गया बड़ा सा कार्पेट लेकर, जिसपर बैठकर बच्चों ने योगासन किये.

चीजें अब स्पस्ट होती जा रही हैं, उनके व्यर्थ के संकल्प ही सबसे बड़ी बाधा हैं. उनकी वाणी की अस्पष्टता ही उनके विकास में बाधा है. मन जितना-जितना शांत होगा, सहजता में रहेगा, वाणी भी सहज होती जाएगी. उसे अपने जीवन में क्या चाहिए, एक सहज मन और स्पष्ट, सुमधुर वाणी, इसके होने पर शेष तो आ ही जायेगा. परमात्मा के प्रति जितना गहन समर्पण भाव होगा, जितना प्रेम होगा उसी अनुपात में मन शांत होगा, उसी अनुपात में व्यर्थ के शब्द मुख से नहीं निकलेंगे. सुबह समय पर उठे, रात देर तक क्लब से गाने की आवाजें आती रहीं, पर नींद कब आ गयी पता ही नहीं चला. भीतर एक होश बना रहा फिर भी कुछ याद नहीं है, टहलने गये तो वापसी में वर्षा आरम्भ हो गयी, लौट कर घर आये ही थे कि वर्षा तेज होने लगी, जैसे उसे पता चल गया हो कि वे सुरक्षित घर लौट आये हैं.     

Friday, April 20, 2018

साबूदाने की खिचड़ी



काले रंग के कवर पर चमकदार लाल रंग से लिखा है तथा पन्नों के सिरों पर सुनहरी रेखा है जो डायरी बंद करने पर स्पष्ट दिखाई देती है. इस वर्ष की उसकी डायरी उनकी कम्पनी से मिली हुई नहीं है, बल्कि जून को एक प्राइवेट तेल कम्पनी द्वारा मिली है. सुबह क्लब की एक सदस्या का फोन आया, उसे एक प्रोजेक्ट की तस्वीरें चाहिए थीं, भेज दीं, ड्राप बॉक्स में सुरक्षित थीं. जून अगले हफ्ते तमिलनाडु जा रहे हैं और तीसरे सप्ताह में उन्हें कोलकाता जाना है, असमिया सखी के पुत्र की शादी में. अभी-अभी उससे फोन पर बात की, विवाह को लेकर कुछ चिंतित थी. जून कल दिन भर कुछ परेशान से थे, आज स्वस्थ हैं. उनमें से हरेक भिन्न है, हरेक एक अपने संस्कार हैं, दो आत्माएं जो साथ चलती हैं उन्हें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए. हर एक की अपनी यात्रा है. परमात्मा उन्हें ज्ञान, प्रेम और शक्ति देता है ताकि वे सुखपूर्वक जीवन की राह पर चल सकें. उन्हें कर्मयोगी बनना है, यानि धर्म में स्थित रहकर कर्म करना है ! जब वे किसी की आलोचना करते हैं, तब स्वयं भी दोषी हो जाते हैं, क्योंकि वह नकारात्मक ऊर्जा जो वे दूसरों को भेज रहे हैं, उनसे ही होकर जानी है, और सबसे पहले उनपर ही असर करेगी ! बाहर से बच्चों के रोने की आवाज आ रही है, सुबह वे आये थे, भजन के साथ नृत्य करने, जब वह रसोईघर में भोजन पका रही थी और देवी के भजन कैसेट द्वारा चल रहे थे. बच्चे भगवान के ज्यादा निकट होते हैं ! जून के एक सहकर्मी ने एक बड़ा सा बूमरैंग भिजवाया है, जो वे आस्ट्रलिया से लाये हैं. उसने सोचा उनकी श्रीमती जी को फोन करके धन्यवाद कहेगी. इस महीने उनके क्लब का ‘सेल’ भी लगने वाला है, मृणाल ज्योति का भी स्टाल लगेगा. वहाँ की एक अध्यापिका ने फोन करके कहा. क्लब की एक सदस्या के पुत्र का जन्मदिन है अगले ह्फ्ते, वह वहाँ मनाना चाहती है, एक अन्य सखी ने कहा, वह भी कुछ भिजवाना चाहती है. उनका जीवन कितने लोगों से जुड़ा होता है ! छोटी भाभी का जन्मदिन है आज, छोटी बहन ने व्हाट्स एप पर गाकर बधाई दी, तो भाभी ने भी गाकर जवाब दिया ! दोपहर को झपकी लगी तो स्वप्न में उसने खुद को बड़े आराम से गाते हुए देखा, सुना !   

साढ़े दस बजे हैं, यानि आधा घंटा है उसके पास खुद से बातें करने के लिए ! सुबह उठी उसके पूर्व ही कोई अलार्म की आवाज सुना गया, कैसे-कैसे अनोखे अनुभव होते हैं तंद्रा में, तारों भरा आकाश, कभी अग्नि की ज्वाला, कोई चित्र दिखेगा किसी व्यक्ति का और किसी जन्म की कोई स्मृति कौंध जाएगी. परमात्मा न जाने कितने तरीकों से अपनी उपस्थिति जताता है. उसकी करुणा अनंत है. उठकर टहलने निकले तो कोहरा था पर जनवरी के हिसाब से ठंड ज्यादा नहीं थी. नाश्ते में सांवक चावल की खीर बनाई. दोपहर के भोजन में साबूदाने की खिचड़ी, उबला कच्चा पपीता, सलाद व बथुए का रायता बना रही है. सभी कुछ पौष्टिक व स्वास्थ्यवर्धक ! कुछ देर पहले बाजार गयी, क्लब के कार्यक्रम के निमन्त्रण पत्रों में लगाने के लिए रिबन खरीदना था. बंगाली सखी को निमन्त्रण देने के लिए फोन किया. दो दिन बाद विवाह की वर्षगांठ है, उसमें वे अग्नि भी जलाएंगे, जैसे रोइंग में सीखी थी. अग्नि के दोनों तरफ नीचे ही बैठने का इंतजाम भी होगा.

शाम होने को है. आज सुबह पुनः एक स्वप्न देखा, किसी पुराने जन्म का स्वप्न था जैसे. वह एक समूह का अंग है, सभी बंगाली में प्रार्थना कर रहे हैं. स्वयं को स्पष्ट मंत्र बोलते हुए सुना, शायद रामकृष्ण परम हंस के आश्रम में थी वह, शायद उनके शिष्यों या भक्तों में से एक, तभी उनके प्रति उसके हृदय में एक गहरा आकर्षण है. टहलने गये वे तो जून को यूनिवर्स से आये नियमित संदेशों के बारे में बताया. इस वर्ष उन्हें जो लक्ष्य निर्धारित करने हैं, कदम दर कदम उन पर चलने के लिए प्रेरित करने वाले संदेश. एक अन्य डायरी में लक्ष्यों के बारे में लिख रही है, पहली बार कोई एक भीतर स्पष्ट जगा है, पहले जहाँ भीड़ थी वहाँ एक प्रकाश का केंद्र बन गया है, जो सदा ही प्रेमस्वरूप है. कल शाम एक सखी को ध्यान के बारे में बताया, ध्यान ही वह ऊर्जा है जिसके लिए गुरूजी कहते हैं, ‘अग्नि की मशाल’ बन जाओ ! प्रतिपल ध्यान ऊर्जा से वे जुड़े रह सकते हैं और उसका उपयोग श्रेष्ठ कार्यों में कर सकते हैं ! आज जून ने कहा, उनकी इस वर्ष की थीम है, ब्लिस, अच्छा लगा, उन्हें एक कार्ड भेजा है विवाह की वर्षगांठ का कार्ड, उनके लिए कविता भी लिखनी है. शाम को क्लब में ‘दिलवाले’ है, उसे प्रेस जाना है.

Tuesday, April 17, 2018

मेथी की बड़ियाँ



नये वर्ष का प्रथम दिन अरुणाचल में आरम्भ हुआ और असम में समाप्त. बोलेरो में की यादगार यात्रा  में चालक ने सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाते उन्हें सुरक्षित घर पहुंचा दिया. पत्थरों, कच्चे रास्तों और नदियों को पार करते हुए वे दोपहर तक घर पहुंचे. नये वर्ष की पूर्व संध्या पर नये लोगों से मुलाकात हुई. वह मोटी सी अरुणाचली महिला जो पीकर चहक रही थी और वह शांत सी महिला जो  अपने पुत्र को गोदी में सुलाए बैठी थी. अरुणाचल के वर्तमान संसद सदस्य और भूतपूर्व मुख्यमंत्री से बातचीत, सभी कुछ स्मृतियों में कैद हो गया है. वापस आकर बंगाली सखी से फोन पर बात की. पिछले हफ्ते तोड़ कर रखे  केले, जो सभी पक गये थे, बाँट दिए. कुछ अभी भी शेष हैं. जो आनंद बाँट कर खाने में है, वह स्वयं खाने में कहाँ ? कुछ वस्त्र भी निकले हैं, जो दे देने हैं.   

शाम को ध्यान करने बैठी तो मन तंद्रा में चला गया. चौंक कर उठी, मुख पर शीतल जल के छींटे मारे. ध्यान और नींद में एक समानता है. दोनों में चेतन मन शांत हो जाता है और बातें अचेतन मन में चली जाती हैं. सब काम करते हुए भी सजगता कायम रहे इसका ध्यान रखना है, व्यर्थ के संकल्प ही व्यर्थ कर्मों को जन्म देते हैं. कर्मों से सुख पाने की इच्छा भी बांधती है. पानी जैसा मन स्वयं को नीचे बनाये रखने के लिए कई जाल फैलाता है, पर उन्हें आत्मा रूपी अग्नि बनकर ऊपर ही जाना है.

सुबह वे टहलने गये तो हल्का अँधेरा था और हल्का कोहरा भी, पर इस वर्ष ज्यादा ठंड नहीं है, सो सुबह के भ्रमण में व्यवधान नहीं आया है. वापस आते समय कम्पनी के मुख्य अधिकारी व उनकी पत्नी मिले, अच्छा लगा. वैसे भी उस समय मिलने वाले लोग बहुत कम होते हैं. आज मंझले भाई व छोटी ननद का जन्मदिन है, उन्हें मुबारकबाद दी. भाई जहाँ है, तापमान शून्य से पन्द्रह डिग्री कम है. कमरे में हीटर जलाने के बाद -२ डिग्री तक आ जाता है. इतनी ठंड में भी वहाँ जीवन चल रहा है. मानव की सहनशीलता व क्षमता की कोई सीमा नहीं है. ननद ने नया दफ्तर ज्वाइन किया है, उसके बैंक में सभी ने मिलकर केक मंगाया व जन्मदिन मनाया. कल वापसी की यात्रा में वे तिनसुकिया होते हुए आये, मेथी लाये. आज सुबह मेथी की बड़ी बनाकर सुखाने के लिए रखी हैं. जून ने ही सारी तैयारी की. मेथी की बड़ी उनकी प्रिय खाद्य वस्तु है. इतवार को अक्सर लंच में इसका मेथी पुलाव बनाते हैं, और इतवार की सुबह यदि दक्षिण भारतीय नाश्ते का मन हो तो वे इडली बनाने में दक्ष हैं. शाम को एक परिचित दम्पति अपने पुत्र के विवाह का निमन्त्रण पत्र देने आये, अगले महीने रिसेप्शन है. गुलाबी रंग का कार्ड बहुत सुंदर है, उनका पुत्र स्कूल में नन्हे का सहपाठी था. नन्हा कूर्ग के पास किसी स्थान पर मित्रों के साथ घूमने गया है. शाम को ‘मृणाल ज्योति’ की मीटिंग थी. दस दिनों बाद कन्या छात्रावास का उद्घाटन है. तीसरे सप्ताह में उत्तर-पूर्व सम्मेलन है, जहाँ अन्य राज्यों से विशेष बच्चों के लिए बनी संस्थाओं के प्रमुख आएंगे.