Tuesday, November 27, 2018

गैस भरा गुब्बारा



कल रात्रि वे बारह घंटों से भी कुछ अधिक लंबी हवाई यात्रा के बाद बंगलूरू पहुंचे. कोलकाता में काफी देर रुकना पड़ा. नन्हा उन्हें लेने आया था. घर पर दोनों ननदों के बच्चों ने स्वागत किया. इस समय दोपहर का लंच तैयार है, दोनों भाई-बहन किसी संबंधी के यहाँ गये हैं. वे दोनों नन्हे के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. कल रात्रि विचित्र स्वप्न देखा. जिस जगह पर कोई सोता है, उस स्थान का असर भी स्वप्नों पर पड़ता है. हर जगह का वातावरण भिन्न प्रकार की ऊर्जाओं से भरा होता है. एक स्वप्न में देखा, गुब्बारा फुलाने की एकल प्रतियोगिता हो रही है. नारंगी रंग का एक गुब्बारा उसके पास भी है, जो सबसे ज्यादा फूल जाता है. उसका गुब्बारा सबसे बड़ा है पर गाँठ नहीं लगी थी. एक बच्चा जीत जाता है, तभी विजेता के लिए एक बहुत बड़ा हॉट एयर बैलून हवा में छोड़ा जाता है. जो पहले ऊपर जाता है, फिर किसी ऊंची मंजिल पर स्थित घर से टकरा जाता है. वहाँ कुछ टूट-फूट भी होता है. रंग, रौशनी और उत्सव का स्वप्न अंत में विनाश पर समाप्त होता है. एक स्वप्न में सड़क पर नृत्य करते युवा दिखते हैं.

सुबह पांच वे बजे उठे, पांचवी मंजिल से उतरकर नीचे टहलने गये भी गये. हवा ठंडी थी और झूमते हुए फूल मोहक प्रतीत हो रहे थे. साढ़े नौ बजे अस्पताल गये, लौटते-लौटते तीन बज गये. जून के पैर में आज प्लास्टर लग गया है. अब उन्हें दो हफ्ते बाद फिर से अस्पताल जाना है. जहाँ पुनः एक्सरे होगा तथा पता चलेगा प्लास्टर कब काटा जायेगा. यहाँ मौसम अच्छा है, शीतल पवन लगभग दिन भर बहती रही. शाम हो गयी है, नीचे से बच्चों के खेलने की आवाजें आ रही हैं.

आज उन्हें यहाँ आये चौथा दिन है. अभी-अभी वह बच्चों के साथ नीचे टहलकर आई है. सभी ने मिलकर योगाभ्यास भी किया. जून को प्लास्टर के कारण अभी तक तो ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है. बड़े भांजे को अगले हफ्ते नौकरी ज्वाइन करनी है. दो हफ्ते तक कंपनी का घर मिलेगा फिर अपने लिए वहीं आसपास कोई घर खोजेगा. आज भांजी भी नौकरी के लिए ऑन लाइन आवेदन पत्र भर रही है. कम से कम सौ जगह आवेदन करेगी तो दो-तीन जगह से जवाब मिलगा. नौकरी मिलना इतना आसान नहीं है. देश भर से बच्चे अपनी किस्मत आजमाने बंगलूरू आते हैं आजकल. नन्हा आज जल्दी घर आ रहा है. रसोइये ने लौकी व बड़ी की सब्जी बनाई है. जून द्वारा किसी बात पर टोके जाने पर उसे अपनी नकारात्मकता आज सुबह स्पष्ट दिखाई दी. पुराने संस्कार घाव की तरह होते हैं, जो हल्की सी चोट लगने से ताजा हो जाते हैं. साधना के द्वारा उन्हें पूरी तरह नष्ट करना होगा !

सुबह के साढ़े दस बजे हैं. इस समय घर में चहल-पहल है. भांजी घर वापस जाने के लिए तैयार है. भांजा अपना नियुक्ति पत्र लेने के लिए पोस्ट ऑफिस से होकर आया है. नन्हा भी काम पर जाने के लिए तैयार है. जून सुबह का सब कार्य निपटा कर सोफे पर अपनी निश्चित जगह पर बैठे हैं. रसोईघर से तरह-तरह के मसालों की ख़ुशबू घर में फ़ैल रही है. मोबाईल पर आचार्य सत्यजित सां ख्य दर्शन पर चर्चा कर रहे हैं. यहाँ नेट की स्पीड काफी तेज है, बिना रुके ही यू ट्यूब पर वीडियो चलता है. नन्हे की मित्र दांत के डाक्टर के पास गयी है. उसकी जॉब पक्की हो गयी है. वह बहुत सन्तोषी है और सबका ध्यान रखने वाली है. उसके चाचा की कुछ माह पहले मृत्यु हो गयी, उसी के बारे में जो बातें उसने बतायीं, उससे पता चला उसे परमात्मा पर पूर्ण विश्वास है. आज मौसम अच्छा है, न ठंड न गर्मी. इसी बात के लिए तो बंगलूरू प्रसिद्ध है. दिन भर जैसा मौसम है, रात को भी वैसा ही रहता है.   


Wednesday, November 21, 2018

गुलदाउदी की कलियाँ



नवम्बर की सुहानी सुबह ! जून बाहर धूप में बैठे हैं, जैसे कभी पिता जी बैठते थे, जब वह छड़ी लेकर चलते हैं तो माँ का स्मरण हो आता है. पहले से बेहतर हैं. आज ही के दिन वे गोहाटी से आये थए, एक सप्ताह उन्हें विश्राम करते हो गया है. अभी कुछ देर में वे बाहर जाने वाले हैं, बैंक, दफ्तर तथा बाजार. नवम्बर का मध्य आ गया है पर अभी भी पंखा चला कर रहना पड़ रहा है. रात्रि में देखे स्वप्न अब याद नहीं रहते, दिन में खुद पर नजर रखने वाला मन रात्रि को भी सजग रहता है. अन्य के संस्कारों के साथ निबाह करना ही सबसे बड़ी साधना है. वे स्वयं के संस्कारों को बदल नहीं सकते और उम्मीद करते हैं कि दूसरे अपने संस्कारों को बदल लेंगे. वे अपने स्वभाव से जैसे ही हटते हैं, खाई या खड्ड में गिरते हैं. हर समस्या का हल आत्मा में है और हर समस्या का जन्म आत्मा से हटने पर है. अभी-अभी जून के पुराने ड्राइवर का फोन आया, उनका हाल-चाल लेने के लिए. नैनी को सुबह आकर ‘हरे कृष्णा’ बोलना सिखाया पर वह भूल जाती है. उसका यह संस्कार नहीं है, परमात्मा का नाम सहज ही अधरों पर आ जाये, इसके लिए कोई प्रयास न करना पड़े तभी सार्थक है. आत्मा में रहना भी ऐसा ही सहज हो जाये तभी बात बनती है.

दोपहर के ढाई बजे हैं. महीनों बाद झूले पर बैठकर लिखने का सुअवसर मिला है. धूप पेड़ों से छनकर आ रही है. हवा में हल्की धुंए की गंध है, कहीं किसी माली ने पत्तों को सुलगाया होगा. बगीचा साफ-सुथरा है, आज के बाद इसे तीन हफ्ते बाद देखेंगे वे, पौधे बड़े हो जायेंगे तब तक, अभी जो नन्हे-नन्हे हैं. गेंदे के फूल शायद तब तक मुरझा जाएँ जो इस समय पूरे निखार पर हैं, गुलदाउदी कलियों से भर जाए. जून इस समय ऑफिस गये हैं. आज उनके यहाँ एक कर्मचारी की विदाई थी. लंच वहीं था. उनको चलने में तकलीफ होती है फिर भी दफ्तर जाते हैं. उनमें जीवट बहुत है, अपने अधिकारों के प्रति भी सजग हैं और कर्त्तव्यों के प्रति भी. आज आचार्य सत्यजित को सुना. कह रहे थे, कोई जिनसे ज्ञान लेता है, उनके पुण्य बढ़ते हैं और लेने वाले का कर्माशय क्षीण होता है. यदि वह उस ज्ञान का उपयोग करे और बांटे तो उसके पुण्य भी बढ़ सकते हैं. मन को सदा समता में रखना तथा आत्मा में स्थित रहना सबसे बड़ी साधना है. जिसे ध्यान में रहना अधिक भाता है, उसके भीतर कैसी सी शांति बनी रहती है किन्तु यदि इस शांति का भी भोग करना उसने आरम्भ कर दिया तो पुण्य क्षीण ही होने लगेंगे. इसे भी साक्षी भाव से स्वीकारना होगा’. कल उन्हें यात्रा पर निकलना है. घर से बाहर ज्यादा सजगता की आवश्यकता है और ज्यादा समझदारी की भी !   

Tuesday, November 20, 2018

वाकिंग स्टिक



जून को छड़ी मिल गयी है, उनके एक सहकर्मी गोहाटी जा रहे थे, उसने उनके साथ भेज दी थी, एक प्रेरणात्मक पत्र भी भेजा उसने, उन्हें अच्छा लगा पढ़कर. छड़ी की सहायता से वह चल पा रहे हैं. घर आने के बाद वह शीघ्र ही ठीक होने लगेंगे. इन्सान को कुछ सिखाने के लिए ही विकट परिस्थितियाँ जीवन में आती हैं. अहंकार का नाश होता है यदि कोई सजग होकर देखे तो और व्यर्थ की भाग-दौड़ से भी बच जाता है. आत्मा को संतुष्ट होने के लिए क्या चाहिए, केवल अपने भीतर डुबकी लगानी है और संतुष्टता उनका जन्मसिद्ध अधिकार ही है. आज वर्षा हो रही है, सम्भवतः इतवार की योग कक्षा में बच्चे कम संख्या में ही आ पायेंगे.

आज सुबह फिर एक विचित्र स्वप्न देखा. जून ट्रेन के एक डिब्बे में हैं. खिड़की पर जाली वाली लकड़ी का दरवाजा है, जिसमें से अंदर देखा जा सकता है. वह देखती है सुंदर लाल वस्त्र पहने छोटा सा बच्चा उनकी गोद में है फिर वह उसे सीट पर बिठाकर उठने लगते हैं और तब मन में एक विचार बार-बार कौंधता ही जाता है. उनकी इच्छा से ही भीतर इच्छा का जन्म होता है तो उससे मुक्त होना है. मुक्ति का मन्त्र जैसे भीतर बज रहा हो. तब स्वर्ग, नर्क, राम राज्य और रावण राज्य सभी कुछ स्पष्ट होने लगता है. उनके मन के विकार ही नर्क के कारण हैं तथा मन की शुद्धता ही स्वर्ग का कारण है. जीवन कितना सुंदर हो सकता है यदि विकारों से मुक्त हो और स्वर्ग मरने के बाद नहीं इसी जीवन में अनुभव किया जा सकता है. कुछ देर पहले जून व नन्हे से बात हुई. उन्हें अपना फोन भी मिल गया है. उससे पूर्व बगीचे में पौधे लगवाये, अभी एक बार और नर्सरी जाना होगा, कुछ पौधे कम पड़ गये हैं. सुबह बंगाली सखी का फोन आया, वह सहानुभूति जता रही थी. उसे लगता है, सकारात्मक सोच रखते हुए प्रेरणा ही देनी चाहिए, पर इसके लिए भीतर आत्मशक्ति का जागरण होना चाहिए. आज सुबह का नाश्ता नैनी ने ही बनाया, शाम को भी उसे कह सकती है, वैसे स्वयं भी कुछ और काम तो नहीं है, सिवाय ‘ध्यान’ और लिखने-पढ़ने के !

पिछले चार दिन डायरी नहीं खोली. सोमवार को नन्हा जून को लेकर आ गया और आज शुक्र की सुबह वापस चला गया. उसने एक आदर्श पुत्र की भूमिका बखूबी निभाई. जून पहले से बेहतर हैं. आज तो नेट पर दफ्तर का काम भी कर रहे हैं. कल शाम उनका चश्मा भी बनकर आ गया है. सोमवार से उनके दफ्तर के लोग एक-एक कर मिलने आ चुके हैं. अगले हफ्ते वह ऑफिस जाने का विचार रखते हैं यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो.

इतवार की शाम, मौसम सुहावना है, बाहर चौदहवीं का चन्द्रमा आकाश में खिला है और नीचे बगीचे में रात की रानी. कल ‘टुबड़ी’ है अर्थात गुरूपर्व या गुरू नानक जयंती. कल बाल दिवस भी है जो उसने बच्चों की दोपहर की कक्षा में आज ही मनाया. इसी शनिवार को उन्हें बंगलूरू की यात्रा पर निकलना है, जहाँ से आगे दुबई भी जाना है. आज पैकिंग का कार्य भी आरम्भ किया. कल ही दुबई ले जाने वाला सूटकेस तैयार किया था. इस बार छुट्टी थोड़ी लम्बी है. आज ही के दिन अगले माह वे वापस आयेंगे. छोटी भांजी भी बंगलूरु पहुंच रही है, और उससे एक दिन पूर्व बड़ा भांजा भी. नन्हे के घर में रौनक होने वाली है. उससे बात हुई तो बताया कि शायद वह दुबई नहीं जा पायेगा, भविष्य ही बतायेगा, क्या होता है. जून का पैर पहले से काफी ठीक है. परसों से वे नियमित ऑफिस जायेंगे और उससे पूर्व कल एक बार कुछ देर के लिए जाकर देखेंगे, कि कितनी परेशानी होती है. कुछ देर पहले बड़ी बुआ जी का फोन आया, वह भी जून का हालचाल ले रही थीं. छोटी ननद को चिकनगुनिया हो गया है, वह अपने बैंक से चार सप्ताह की छुट्टी पर है. बड़ी ननद और ननदोई आए थे उसके यहाँ, आज वापस जा रहे हैं. आज दो हजार का नया नोट भी देखा. काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक होने से बहुत लोगों को परेशानी हो रही है, किन्तु इसका परिणाम अवश्य ही अच्छा होने वाला है. बगीचे में आज काफी काम हुआ, फूलों की पौध अब लग चुकी है, देखभाल की जरूरत है.

Friday, November 16, 2018

फूलों की पौध



शाम के साढ़े पांच बजे हैं. वह ध्यान कक्ष में बैठी है. हल्की सी गंध आ रही है. अब पता नहीं यह गंध कहाँ से आती है, क्यों आती है ? यह कोई रोग है या अस्तित्त्व का प्रसाद...जैसे जो धुन सुनाई देती है वह कोई..सब कुछ एक रहस्य में डूबा हुआ है. आज गैराज से लेकर पीछे के गेट तक का रास्ता बन गया है, काफी टूट-फूट गया था. शायद कल माली कमल कुंड को ठीक करेगा, जिसमें आजकल पानी ठहरता नहीं है, शायद किनारे की दीवार में कोई दरार आ गयी है. नन्हे का फोन जो माह के प्रथम दिन खो गया था, आज मिल गया है. कल उसकी मित्र से बात की. उसने अपने घर में बता दिया है पर वहाँ से कोई जवाब नहीं आया है. आजकल वह नया जॉब भी खोज रही है. जून आज स्टार्टअप इंडिया की मीटिंग में भाग लेने गये हैं, वह कितने सरे कार्यों से जुड़े हुए हैं. उनको इस तरह काम करते देखकर बहुत अच्छा लगता है. आज बहुत दिनों बाद ‘श्रद्धा-सुमन’ ब्लॉग में पोस्ट प्रकाशित की. ‘सिया के राम’ में राम का महाप्रस्थान आज होने वाला है.! सुबह टहलने गयी, ज्ञान, भक्ति तथा कर्मयोग पर चिन्तन करते हुए प्रातः भ्रमण किया. परमात्मा उन्हें कितना प्रेम करता है. उसकी कृपा का अनुभव हर पल होता है ! एक सखी से बात की, छोले-भटूरे बना रही है, दही-बड़े भी जन्मदिन पर !

आज मृणाल ज्योति गयी. महीनों पहले जो स्वप्न देखा था, उसे साकार करने अर्थात टीचर्स के लिए एक वर्कशॉप करने का स्वप्न अंततः सम्पन्न हो गया. जिसका बीज उस दिन पड़ा था जब एक अध्यापक अपनी समस्या लेकर आया था. सभी ने उत्साह से भाग लिया. सुबह पौने नौ बजे वह गयी थी और दोपहर बाद चार बजे लौटी. वापसी में नर्सरी से फूलों की पौध भी ली. कैलेंडुला, कॉसमॉस, डहेलिया, स्टॉक और वरबीना के फूलों से उनका बगीचा अवश्य सुंदर लगेगा. माली कल सुबह लगाएगा. नन्हे से बात हुई, वह अगले हफ्ते जोधपुर व जयपुर जा रहा है, एक मित्र के विवाह में. अगले वर्ष वह भी विवाह बंधन में बंध जायेगा अगर अल्लाह ने चाहा तो..जो भी होगा अच्छा ही होगा. बाल दिवस पर दिगबोई जाना है, विश्व विकलांग दिवस के लिए कुछ स्कूलों में बैज बांटने है. जब वे समाज के लिए कुछ काम करते हैं तो भीतर जिस शांति का अनुभव होता है, वह अनोखी है.

जून का आज शाम को लगभग चार बजे गोहाटी में छोटा सा एक्सीडेंट हो गया. जहाँ पुल समाप्त होता है, वह सड़क पार करने वाले थे, सामने आ रही बस काफी दूर थी, तभी पीछे से एक मोटरसाईकिल आ गयी और वह टकरा कर गिर गये. उनका चश्मा व फोन दोनों टूट गये. कान के पास चोट लगी, एक टांका लगा है तथा पैर में भी चोट आई है घुटने के नीचे. फ्रैक्चर नहीं है, वह किन्हीं अज्ञात लोगों की सहायता से एक क्लीनिक में पहुंचे, जहाँ प्राथमिक चिकित्सा दी गयी, फिर अस्पताल आये. याद नहीं पड़ता पहले कभी उन्हें इस तरह अस्पताल में रहना पड़ा हो. नन्हे से उनकी बात हुई है, वह कल गोहाटी आ रहा है. मना करने कर भी उसका मन नहीं मान रहा. अभी-अभी जून से बात हुई. डाक्टर साहब देखने आये हैं. उनके दो मित्र वहीं बैठे हैं जो रात को वहीं रहने वाले हैं. जीवन में जो भी परेशानी आती है वह कुछ न कुछ सिखाने के लिए ही आती है. उस दिन ग्रे रंग से बात शुरू हुई और उन्होंने ने गोहाटी में उसी रंग की पेंट सिलने दे दी. उसी को लेने गये थे जब यह दुर्घटना हुई. वैसे वह आवाज से ठीक लग रहे हैं. परसों घर आ जायेंगे. कुछ दिन आराम करेंगे तो ठीक हो जायेंगे, चश्मा नया बनवाना पड़ेगा.

Thursday, November 15, 2018

सरदार पटेल की जयंती




आज धनतेरस है, कोऑपरेटिव जाकर नैनी के लिए कुकर खरीदना है तीन लिटर का, आज के दिन  दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. अपने पास अब इतना सामान है कि लगता है, जितना जीवन बचा है आराम से गुजर जायेगा. सुबह सवा चार बजे आँख खुली, अब दिन देर से निकलने लगा है. प्रातः भ्रमण के लिए निकले तो बाहर हल्का कोहरा था. रात्रि को भीतर आग की लपट दिखी. अध्यात्म के साथ-साथ कहीं इसका संबंध स्वास्थ्य से तो नहीं है. दाहिने कान में एक रुनझुन सी ध्वनि  सुनाई दे रही है, कितने आश्चर्यों से भरा है जीवन..आज ही वे घर को कल के लिए सजा रहे हैं, वैसे भी आज से पांच दिनों का उत्सव आरम्भ हो गया है. दोपहर बाद मृणाल ज्योति जाना है. कल शाम योग कक्षा में कितना अनोखा अनुभव था, देह जैसे महसूस ही नहीं हो रही थी. कल दोपहर उस सखी से मिलने गयी जो पति के न रहने पर सदा के लिए अपने गृह स्थान को जा रही है.

आज सरदार पटेल की जयंती है और इंदिरा गांधीजी की पुण्य तिथि ! टीवी पर सुबह से विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है. सरदार पटेल ने देश की एकता बनाये रखने के लिए महान योगदान दिया है. महापुरुषों के जीवन को नई पीढ़ी के सामने रखना चाहिए. १९३० में उन्होंने महिलाओं के आरक्षण की बात कही थी. गाँधी जी ने उनके बारे में कहा है कि अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन में कौन बैठा है यह इस बात से पता चलता है कि विक्टोरिया गार्डन में किसका राज है, जहाँ तिलक की मूर्ति उन्होंने लगाई थी. मोदी जी की वक्तृत्व क्षमता अद्भुत है. सरदार साहब के जीवन के अनोखे प्रसंग वे सुना रहे हैं. वह कह रहे हैं, हर भारतीय को अपना विस्तार करना चाहिए, यह सारा देश उनका है. उन्हें हर प्रदेश की भाषा सीखनी चाहिए, एक-दूसरे से और भी बहुत कुछ सीखना चाहिए. सुबह उठी तो कान फिर बंद था, अस्पताल गयी, मोम जम गया है, इसी वजह से भारी था. कम्प्यूटर भी खराब था जो जून इस समय मकैनिक के साथ बैठ कर ठीक करवा रहे हैं.

वर्ष का ग्याहरवाँ महीना, मौसम अभी भी गर्म है. दो हफ्ते बाद ही ठंड शुरू होगी. सुबह वे समय पर उठे, प्रातः भ्रमण के लिए गये, आकाश पर तारे चमक रहे थे. लोगों के घरों में अभी भी प्रकाश की झालरें लगी थीं. सभी को भाईदूज के संदेश भेजे. मृणाल ज्योति ले जाने के लिए उपहार एकत्र किये. कैलेंडर बदले, शरीर का वजन लिया और इस महीने आने वाले मित्र-संबंधियों के जन्मदिन व विवाह की वर्षगांठ के दिनों का पता लगाया. इस महीने दो सखियों का जन्मदिन है और एक भांजी का, ननद के विवाह की वर्षगांठ भी है. जून परसों गोहाटी जा रहे हैं, उन्हें एक मीटिंग में भाग लेना है. उसे शनिवार को मृणाल ज्योति में प्रोजेक्टर आदि स्वयं ही मैनेज करना होगा. आज कम्प्यूटर भी ठीक हो जायेगा. भाई दूज पर भेजे टीके सम्भवतः अभी नहीं मिले, छोटे भाई ने कहा, उसे भेजने की जरूरत नहीं है, पर दिल है कि मानता नहीं. दोपहर को नर्सरी जाना है, चार तरह की गोभी की पौध लानी है, हरेक के लिए दो क्यारियां हैं. शिमला मिर्च की पौध, आलू व लहसुन के बीज भी लाने को माली ने कहा है.  

उसका कान खुल गया है पर अभी भी पूरी तरह से आवाज सुनाई नहीं देती. दीवाली पर खायी मिठाई और नमकीन का असर है या मन्दाग्नि का, भीतर कफ सूख गया है, कुछ दिन लगातार नेति करने से ठीक हो जायेगा. कम्प्यूटर ठीक हो गया है, पीपीटी भी बन गया है, जून ने वीडियोज के लिंक भी उसमें डाल दिए हैं. आज शाम को एक बार अभ्यास करना ठीक रहेगा. माली वह पौध लगा रहा है जो वह कल लायी थी.

आज बृहस्पतिवार है, साढ़े तीन बजे हैं दोपहर के, जून आज गोहाटी गये हैं, सोमवार को लौटेंगे. तब तक उसे अपने समय व ऊर्जा का भरपूर उपयोग करना है. कुछ देर में बाजार जाना है, शायद ड्राइवर आ गया हो. नन्हे ने लिखा है, उसका फोन कार में छूट गया था, आज मिल जायेगा.