Monday, March 31, 2014

मोती और सीपियाँ


नन्हे के छमाही इम्तहान समाप्त हो गये, कल से फिर पढ़ाई शुरू हो गयी है. कल उसके स्कूल में Founder”s Day मनाया जाएगा. जून सदा की तरह खुशदिल हैं, स्नेह से भरे हुए, नन्हे और उसके लिए हमेशा तत्पर. वर्षा बदस्तूर जारी है, जिससे  मौसम  ठंडा रहता है. इतवार को उन्हने एक मित्र परिवार को बुलाया था, उनके आने की प्रतीक्षा थी, पर किसी कारण से वे नहीं आ पाए, उसे बुरा लगा पर उनसे कह नहीं सकती, शिष्टता का यही तकाजा है. धीरे-धीरे मन खुद ही भूल जायेगा. समाचारों में सुना, तमिलनाडु की तरह पश्चिम बंगाल और बिहार में भी राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग उठने लगी है. गुजरात में तूफान से तबाही मची है.

कल शाम वे Face off का cd लाये, फिल्म की कहानी कुछ अलग सी है, हीरो का चेहरा बदल कर विलेन का चेहरा लगा देते हैं और विलेन हीरो का चेहरा पा लेता है. आजकल वैसे भी तो यही हो रहा है, असली-नकली का भेद पाना बहुत मुश्किल है. उसे लगता है जीवन का एक-एक क्षण कीमती है जैसे माला का हर मोती, पूरे जोशोखरोश के साथ हर नये दिन का स्वागत करेगी जो उसके लिए कितने ही ख़ुशी के पल समेटे हो सकता है.

अभी-अभी आचार्य गोयनका जी का विपश्यना पर प्रवचन सुना, ‘विपश्यना’ साधना की पद्धति है जिसमें मानव अपने चित्त को गहराइयों तक शुद्ध व निर्मल बनता है, मानस में राग और द्वेष के संस्कार पत्थर पर पड़ी लकीरों की तरह गहरे हैं और मानव हर दिन उन्हें और गहरा बनाते जाते हैं. आचार्य कहते हैं साक्षी भाव से उन्हें देखना आ जाये तो जीने की कला आ गयी. लेकिन बुद्धि के स्तर पर इसे समझना एक बात है और अनुभति के स्तर पर उतारना बिलकुल दूसरी बात है. जिसमें ध्यान बहुत सहायक हो सकता है. किसी भी बात का असर मानस पर इतना गहरा न हो कि नींद ही उड़ जाये, कायस्थ होकर कोई इस बात को जितनी जल्दी समझ ले उतना ही अच्छा है.
कल शाम उन्होंने उस फिल्म का बाकी भाग देखा जो परसों शाम को लाये थे, साथ ही क्रीम, चॉकलेट और कोको पाउडर भी लाये थे, बिना सोचेसमझे खर्चा करने पर और यूँ ही दिशाहीन जीये चले जाने पर उस रात वह बहुत परेशान हो गयी थी, जून उसकी बात समझ गये थे और कल का दिन उन्होंने बहुत अच्छी तरह बिताया, शांति और समझदारी के साथ. नन्हे के अंक बहुत अच्छे नहीं आ रहे हैं, और उसे इस बात की फ़िक्र भी है यह अच्छी बात है. कल रात नूना ने वह स्पीच भी लिख ली जो कल की मीटिंग में उसे बोलनी है, कल उनके सत्र की अंतिम मीटिंग है. यकीनन वह सबको पसंद आनी चाहिए. कल भांजे-भांजी के लिए कम्प्यूटर पर बनाये कार्ड्स भेजे, भविष्य में वे कार्ड्स इसी पर बनाया करेंगे.

आज उसने टीवी पर उर्दू कवि कृष्ण अदीम का साक्षात्कार सुना, पहले उनका परिचय, फिर उस परिचय की पुष्टि स्वयं कवि के शब्दों में, फिर उनके संघर्ष का जिक्र किया गया, और आगे की बात कवि के शब्दों में. इसी तरह उनकी शायरी पर चर्चा हुई फिर उनके वर्तमान जीवन का विवरण भी दिया.
तू जो चाहे तो दर्द का मेरे दल्मा ? हो जाये
वरना मुश्किल है की मेरी मुश्किल आसां हो जाये
और
इक जरा सी दस्तक को खिड़कियाँ तरसती हैं
अब तुम्हारे कदमों को सीढ़ियाँ तरसती हैं

सल्तनत बहारों की इनको सौंप दीजे
महके-महके फूलों को तितलियाँ तरसती हैं

क्यों न हम दुआ माँगे दारें निसां ? से
कब से पहली बारिश को सीपियाँ तरसती हैं 

Friday, March 28, 2014

भूपेन हजारिका का जादू


आज विश्व पर्यावरण दिवस है, अमलतास के पीले फूल, गुलमोहर के लाल पुष्प और एक अनजान वृक्ष के गुलाबी कुसुमों ने सारे नगर को एक कैनवास में बदल दिया है. सडकों पर भी फूल बिछे हैं जैसे किस ने रंग छिडक दिये हों. आज नये स्कूल में पहली बार नन्हे को अस्वस्थता के कारण छुट्टी लेनी पड़ी है, जून उसे अस्पताल ले गये और दवा दिलाई. इस वक्त ठीक लग रहा है. ईश्वर उसे सेहत व शक्ति दे जिससे अगले हफ्ते होने वाले इम्तहान अच्छी तरह से दे सके. कल शाम एक परिवार मिलने आया, वृद्ध माता-पिता भी थे, सारी शाम उनके साथ जो बातें कीं रात को सोते वक्त भी मन को खटखटाती रहीं. कल क्लब में भूपेन हजारिका आ रहे हैं. उसने एक सखी को साथ चलने का निमन्त्रण दिया.

आज दिगबोई जाने वाले सभी बच्चों ने व उनके माता-पिता ने सोमवार से होने वाली परीक्षाओं की तैयारी के लिए उनका घर पर रहना ही तय किया सो नन्हा जो आज जाने के लिए तैयार था, उसे घर पर ही रहकर पढ़ने का अवसर मिल गया. इस समय आठ बजे हैं, वह पिछले एक घंटे से आँखों को जबरदस्ती खोलकर geography की work book हल कर रहा है. कल छोटे भाई ने जन्मदिन की बधाई दी, इतने दिनों बाद उसे अपने आप शायद ही प्रेरणा हुई होगी, जरूर किसी ने याद दिलाया होगा. उसका कार्ड तो पहले ही मिल गया था.

कल शाम वे भूपेन हजारिका का कार्यक्रम देखने क्लब गये तो सारी सीटें भर चुकी थीं. कुछ देर जून और उसने खड़े होकर ही देखा फिर जून के एक मित्र ने अपनी सीट उसके लिए छोड़ दी, कल्पना लाजमी भी आई थीं. उसकी परिचिता एक महिला के भजन गायन से शुरुआत हुई, एक अन्य स्थानीय गायक की दो गजलें भी अच्छी थीं- 

अंदर अंदर क्या टूटा है, चेहरा क्यों कुम्हलाया है
तन्हा तन्हा रोने वालों,  कौन तुम्हें याद आया है
और
तू ख्याल है किसी और का, तुझे सोचता कोई और है

डाक्टर भूपेन हजारिका काला कुर्ता, चूड़ीदार पायजामा व टोपी पहने थे. ‘दिल हूम हूम करे’ गाना सुनकर सभी मंत्र मुग्ध हो गये. उनकी कई बातों ने भी लोगों को हंसाया, लोगों की भीड़ देखने लायक थी. पूरा हाल खचाखच भरा था. वे पूरा कार्यक्रम तो नहीं देख पाए, नन्हा घर पर अकेला था, उसे अकेले छोड़कर जाना अच्छा भी नहीं लगा था पर भूपेन हजारिका को देखने का लोभ संवरण नहीं कर पायी.

आज एक सखी ने फोन किया, वह दूधवाले को कह दे कि दोदिन बाद उसे एक लीटर दूध ज्यादा दे, उसकी समझ में यह नहीं आता कि वह उसका भी दूधवाला है फिर वह उसके द्वारा क्यों कहलवाना चाहती है. खैर, वह और उसकी बातें वही जाने. आज भी वर्षा बदस्तूर जारी है पिछले दो-तीन दिनों की तरह. कल नन्हे का पहला पेपर था, परसों रात को उसे नींद नहीं आ रही थी, बच्चों को भी घबराहट का सामना करना पड़ता है पर कल वह ठीक था. कल उसने ड्राइविंग न जानने पर अफ़सोस जाहिर किया तो जून ने मजाक में एक ऐसी बात कही जो उसे अच्छी नहीं लगी. जिस तरह का सवाल उसने पूछा था शायद उसका वही उत्तर वह दे सकते थे. दुनिया में हर कोई सभी कुछ तो नहीं सीख सकता है. फिर भी वह थोड़ा उदास हो गयी.




Thursday, March 27, 2014

गोलगप्पों वाली चाट


रात को बिजली की कड़क और बादलों की गरज से जब नींद खुली तो पाया, मन अगले दिन के बारे में सोच रहा है, जन्मदिन के बारे में. सुबह-सुबह नन्हे ने चॉकलेट और जून ने सुंदर सा ग्रीटिंग कार्ड देकर शुभकामना की. फिर सखियों के फोन आए और दीदी का भी. मौसम सुहावना हो गया है. शाम को गोलगप्पे और मैंगो शेक के साथ चने और आलू की चाट यकीनन अच्छी रहेगी. आज वह बहुत अच्छा महसूस कर रही है, फूल सा हल्का और रुई के फाहों सा नर्म ! इस दिन में कोई बात होती जरूर है आम दिनों से काफी अलग, ख़ुशी जैसे छलकी जाती है. आज कोई भी बात उसे उदास नहीं कर पायेगी, टकराकर वापस लौट जाएगी यदि प्रतिकूल हुई तो और अनुकूल हुई तो उस आवरण को और घना कर देगी जो प्रियजनों ने उसके चारों ओर बना लिया है.

पड़ोसिन ने अपनी बहनों के लिए खरीदी असम सिल्क की साड़ियाँ दिखने के लिए बुलाया है. वह  भी पड़ोसिन से एक उड़िया सांबलपुरी साड़ी मंगा रही है बरसात फिर शुरू हो गयी है, पर वह छाता लेकर जा सकती है. सुबह बड़ी भाभी से बात करने का मन था फोन देखा तो खराब था. इस बार किसी भी भाई से जन्मदिन  पर बात नहीं हो सकी.

टीवी पर वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा बजट प्रस्तुत कर रहे हैं. Only 37% of our land is under direct irrigation. Water, houses, agriculture, roads, foreign investment, provident fund, small scale industries, education all have already been mentioned in his speech. 50% increase is done in education budget. It is a taxpayer friendly and gives proper attention to agriculture. Prices of some articles have increased but price of some have been reduced.

आज बड़ी बहन का जन्मदिन है, उनके साथ-साथ भाई भाभी से भी बात हुई, उस दिन की पार्टी भी अच्छी रही थी, सखी ने गोलगप्पों की तारीफ की, उसे लगा बात सिर्फ भावना की है, जहाँ अपनेपन की शुद्ध प्रेममयी भावना होगी तो वहीं सहजता व सरलता संबंधों में आएगी. कल जून और उसने साथ साथ बजट सुना, कुल मिलाकर बजट अच्छा रहा है. जून उसे मौका ही नहीं देते कि वस्तुओं के दामों में अंतर जान सके, सामान खत्म हो उसके पहले ही ले आते हैं, जैसा उन्होंने अपने घर में पिता को बचपन से करते देखा है. वैसे अब किसी भी परिस्थिति में वे एक-दूसरे के साथ हैं, भरोसा कर सकती है वह पूरी तरह उन पर और अब वह पहले की तरह चुप्पा भी नहीं रहते, उसकी बातें भी सुनते हैं और कभी कोई बात चर्चा के लायक हो चर्चा भी करते हैं, स्वस्थ चर्चा. नन्हा आजकल थका-थका सा रहता है, शायद कम्प्यूटर के सामने देर तक बैठने के कारण ऐसा हो रहा हो, पर उसे समझाना आसान नहीं लगता क्योंकि कम्प्यूटर के सामने बैठना, उस पर खेल खेलना उसे बहुत पसंद है.

दोपहर को DCH का तीसरा पेपर हल करने बैठी तो नहीं कर पायी, थोड़ी सी थकान, कुछ उलझन सी महसूस हो रही थी. उसे लगा, पहले की तरह शामों को या जब भी मन व दिमाग दोनों चुस्त-दुरस्त हों लिखना चाहिए बाद में फेयर कॉपी के लिए दोपहर का समय ठीक है. कल शाम उसने पुरानी कविताएँ छांटनी शुरू की जो लेखन परियोजना के लिए चाहिए, कुछ कविताएँ जो उस वक्त अच्छी लगती थीं काफी बचकानी सी लगीं पर कुछ ऐसी थीं जिन्हें तराशा जा सकता है. कविता की पहली पहचान है भाषा में विसंगति, जहाँ शब्दों के वे अर्थ न निकलते हों जो सामान्यतः होते हैं नहीं तो कविता के गद्य बनने में देर नहीं लगेगी. इस बार जो पुस्तकें लाइब्रेरी से लायी है वे ऐसी नहीं हैं जो Jane Austen की सेंस एंड सेंसिबिलिटी की तरह मन को बाँध कर रख सकें, एक तरह से ठीक ही है, वह ज्यादा समय DCH को दे पायेगी.

आज सुबह ही उसने लॉन की तरफ गहरी नजर से देखा और उन कामों की सूची बनाई जो अगले एक हफ्ते में करने हैं, माली ने आज से ही शुरू कर दिए हैं. बालसम के पौधे फूलों से भर गये हैं. पूसी उन्ही के पास बैठी है पर उसके मुंह से लार टपक रही है, शायद वह अस्वस्थ है. आज बहुत दिनों बाद असमिया सखी से बात हुई, उसने अपने यहाँ आने के लिए कहा और वह पिछले सारे अनुभव भूलकर उसकी छोटी सी बेटी को देखने की इच्छा से भर उठी.





Wednesday, March 26, 2014

आणविक परीक्षण


एक और नये सप्ताह का शुभारम्भ ! मई महीने का अंतिम सप्ताह, आज मौसम फिर साफ है, धूप निकल आयी है, जो एक सखी के अनुसार दो दिनों की वर्षा की बाद भली लग रही है, पर उसे तो वही काले-कजरारे बादलों से घिरा आकाश और ठंडी हवा पसंद है. आज उसे क्लब जाना है शाम की मीटिंग की तैयारी करने. दफ्तर से लौटते समय जून के साथ वापस आएगी.

आज आकाश पर बादल चहलकदमी कर रहे हैं. कल दूसरा पेपर हल करने का प्रयास किया, एक कहानी लिखनी थी, वह तीन सौ शब्दों से ज्यादा नहीं लिख सकी, उन्हें एक हजार शब्दों  की कहानी चाहिए, उसे और श्रम करना होगा और समय देना होगा. सितम्बर से पहले उसे जवाब भेजना है. पिछले दिनों स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण विशेष काम नहीं हो सका, अब से दोपहर को दो घंटे नियमित उसे बैठना होगा. अख़बार और पत्रिकाएँ शाम तक इंतजार कर सकती हैं. घर की सफाई का काम भी एकत्र हो गया है, शनिवार को घर में मेहमान आयेंगे, इसलिए घर बिलकुल साफ-सुथरा होना चाहिए. नन्हे की परीक्षाएं भी अगले महीने शुरू हो रही हैं, शाम को उसे भी वक्त देना जरूरी है. फिर कम्प्यूटर.. और सभी के जन्मदिन भी आ रहे हैं, कार्ड्स भेजने हैं. जीवन कितना व्यस्त रखता है.

कल छोटी बहन का पत्र आया, वह वहाँ खुश है, आर्मी की ड्रेस पहन कर जरुर स्मार्ट दिखती होगी उसे जल्दी ही पत्र लिखेगी. आज हिंदी पढ़ाते समय ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ का एक लेख और ‘बच्चन’ की कविता पढ़ाई, बच्चन मधुशाला का प्रयोग करना नहीं चूकते प्रतीक रूप में. कल शाम मीटिंग में एक सदस्या को विदाई दी गयी, उनका भाषण अच्छा था और उनके गीत भी, उनकी तारीफ़ में कही गयी बातें सुनकर कभी-कभी थोड़ी उलझन हुई, पर तारीफ़ को भी खुले मन से स्वीकार करना सीखना पड़ता है हर इन्सान को. आज नन्हे का संगीत का इम्तहान है, वह गाने ठीक से गा पा रहा है, सिखाया जाये तो बच्चे बड़ों की अपेक्षा जल्दी धुन पकड़ लेते हैं. कल जून आशिकी का vcd लाये थे, पड़ोसी की मदद से कम्प्यूटर पर चल सका, पहले भी एक दो बार वह  मदद कर चुके हैं. कल क्लब में वह भी पड़ोसिन के साथ बैठी थी, वह शांत है और मृदुभाषी भी, उसने सोचा उन्हें चाय पर बुलाना चाहिए.

आज फिर एक चमकदार दिन है, पर अभी तक गर्मी असहनीय नहीं है, देश के कुछ भागों में तापमान ४० डिग्री से ऊपर हो गया है, समाचारों में सुना २४८ लोग गर्मी से मर गये हैं. कल शाम वे एक मित्र के वृद्ध माता-पिता से मिलने गये, वृद्ध दंपति बहुत हंसमुख था, खासतौर पर आंटी बहुत बातें कर रही थीं, वह उनसे पहले भी मिल चुकी है और हर बार उनसे मिलना उसे अच्छा लगता है. टीवी पर ‘जी साहेब’ आ रहा है बहुत रोचक कार्यक्रम है, All four character are very cute, smart, witty and humorous!  कल शाम जून देर से आये, कारण पूछा तो बोले, उसके ही काम से देर हुई. उसका फोटो कम्प्यूटर के स्क्रीन पर लाना चाहते थे, जिसे पहले छोटा करके स्कैन किया फिर फ्लॉपी में सेव किया और घर आकर कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में कॉपी किया. स्क्रीन पर जब नई ड्रेस में उसका फोटो आया तो वाकई अच्छा लगा और खुद पर गरूर भी हो आया कि जून उसे इतना चाहते हैं.

काश्मीर मे हालात बदल रहे हैं, कुछ दिन पहले वहाँ एक फिल्म की शूटिंग भी हुई और टूरिस्ट भी जाने लगे हैं. कल पाकिस्तान में भी पांच एटमी तजुर्बात किये गये और बाद में वहाँ आपात स्थिति लागू कर दी गयी. भारत के आणविक परीक्षणों के जवाब में किये गये इन परीक्षणों का क्या असर होगा यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन बीजेपी की सरकार ने लोगों के मन में एक चेतना का विकास तो किया है चाहे उनका साधन या माध्यम हिंसा पर ही क्यों न आधारित हो, गाँधी के देश में लोग जब एटम बम बनाने से खुश हो सकते हैं तो यह मानकर भी चलना चाहिए कि वे कभी भी इसके उपयोग का खतरा मोल नहीं लेंगे, क्योंकि उसका परिणाम उन्हें स्वयं ही भुगतना पड़ेगा. आज उसे बाजार जाना है, कल के जन्मदिन के लिए.. जन्मदिन के दिन एक विशेष उत्साह रहता ही है, उसका लाभ उठाते हुए.. घर की विशेष सफाई कल होगी. कल उसने दोनों बहनों को पत्र भेज दिए, ऐसा क्यों होता है कि लडकियाँ या बहनें विवाह के बाद भी अपने पुराने संबंधों को कायम रख पाती हैं, माता-पिता से भाई-बहनों से जुड़ाव को महसूस करती हैं पर भाई ऐसा नहीं कर पाते, शायद बचपन से ही उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं सिखाया जाता या वे इतने भावुक नहीं होते, कुछ भी हो वे तीनों आज भी एक-दूसरे की बात समझ पाती हैं, कुछ ऐसा है जो तीनों के दिलों में एक सा धड़कता है, साझा है वह तीनों का. काश ! भाइयों में भी ऐसा होता, हो सकता है वे तीनों भी अपने अंदर ऐसा ही महसूस करते हों !


Tuesday, March 25, 2014

लीची का शरबत


कल उन्हें पता चला कि एक मित्र को vertigo हो गया है, उसने पहली बार यह शब्द सुना था, शायद कान से जुड़ा कोई रोग है. वे लोग देखने गये तो पीने के लिए कोल्डड्रिंक दिया गया, जुकाम होने के बावजूद शिष्टाचार वश उससे मना नहीं किया गया, वैसे ज्यादा ठंडा नहीं था, पर उसके कारण नुकसान तो हुआ ही होगा. गले में दोनों ओर सूजन  हो गयी है और छूने से एक ग्लैंड में हल्का दर्द भी होता है, धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो जायेगा, जून उसकी बीमारी से घबरा जाते हैं.

आज भी वह स्वस्थ नहीं है, बांया गाल फूल गया है, ब्रश करते समय व खाते समय दर्द होता है. आज डॉ को दिखा ही लेना होगा, जून ने परसों भी फोन किया था, पर उसके मना करने पर वे मान गये, उसे यकीन था कि एक-दो दिनों में ठीक हो जाएगी, पर उसके अस्वस्थ रहने से घर का माहौल ही अस्त-व्यस्त हो जाता है. कल शाम एक मित्र परिवार मिलने आया, उन्होंने पहली बार लीची का शरबत बनाया, खुद उसे पसंद नहीं आया, उसकी सखी जान ही नहीं पाई कि वह  अस्वस्थ है, शायद जैमिनी अपनी बीमारी छिपाने में माहिर होते हैं, खास-तौर से उसे तो अपने रोग के बारे में बात करना बहुत खराब लगता है, अस्वस्थ होना एक गुनाह लगता है, मानसिक उदासी हो या शारीरिक परेशानी स्वयं तक ही सीमित रखना ठीक है, जब तक कि ऐसा किया जा सकता हो. जून को लेकिन वह सब कह देती है, उनसे छिपाना मुमकिन भी नहीं है जो चेहरे के एक-एक भाव को पढ़ लेते हैं.

आज शाम लेडीज क्लब की कमेटी मीटिंग है, जो अब मात्र तीन और रह गयी हैं, इसके बाद नई कमेटी बनेगी और उसकी व्यस्तता कम हो जाएगी. जिस वक्त फोन आया, वह बहुत परेशान थी, कुछ देर पहले ही नन्हे पर झुंझलाई थी, अपनी अस्वस्थता से तंग आ चुकी थी, कल अस्पताल से ढेर सारी दवाइयाँ लेकर आई थी, चार-पांच दिन की अस्वस्थता ने ही जब इतना बेचैन कर दिया है तो उनकी मनोस्थिति कैसी होती होगी, जिन्हें मालूम होता होगा कि सारी उम्र उन्हें इसी के साथ जीना है. साढ़े नौ हो गये हैं, उसने पूरा एक घंटा फोन पर बात की होगी, एक-एक करके तीन सखियों से, इधर-उधर की बातें करना यूँ ही बिना किसी वजह के, शायद वह स्वयं को यकीन दिलाना चाहती है कि वह ठीक हो गयी है. शाम को जाना भी है, नई साड़ी में कल शाम फाल लगाई और आज पीको करवाने के लिए दी है. पिछले एक घंटे में कुछ देर पीटीवी पर एक धारावाहिक ‘सियाह सुफेद’ देखा, जिसका मुख्य चरित्र एक काला मन लिए है, उसका बेटा जिसे हीरो भी कह सकते हैं, काला है न सफेद बल्कि सलेटी है पर एक न एक दिन उसे अपना रास्ता चुनना ही पड़ेगा, आदमी या तो अच्छाई के रास्ते पर पूरी तरह चल सकता है या नहीं चल सकता. आज भी धूप उतनी ही तेज है, आज उसे पत्र भी लिखने हैं, सारी दोपहर सामने है और मन में उत्साह भी कि वह स्वस्थ हो रही है.

आज फिर उसे अपनी अस्वस्थता का अहसास हो रहा है, सुबह सेक्रेटरी आई थीं, लेडीज क्लब के बुलेटिन की कॉपी लेने जो उसने कम्प्यूटर पर टाइप किया था. मशहूर संगीतकार मदन मोहन को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित किया गया एक सीडी सुना.

आज स्वस्थ है, बिलकुल ठीक होना कैसा होता है, वह तो भूल ही गयी है, पर अपेक्षाकृत काफी ठीक है, दस बजे संगीत कक्षा में जाना है. आज भी गर्मी पहले सी है, कल शाम बंगाल की खाड़ी में आये तूफान की वजह से ठंडी हवा बहने लगी थी पर बादल भी उसी के साथ हवा हो गये. सवा नौ हुए हैं, थोड़ी देर पहले ही स्वीपर को ढंग से काम न करने पर फटकारा है, कल भी उसने एक बाथरूम बिना धोये ही छोड़ दिया था, शायद बीमारी के कारण, अस्वस्थता हर इन्सान को एक सा दुख देती है, ठीक ही कहा है, अस्वस्थता से बढकर कोई अभिशाप नहीं, कोई गरीबी नहीं, कोई गुनाह नहीं.

And today she could do exercise also. It rained in the night, every thing is clean, cold and wet outside but inside is still stuffy. ‘Teacher’ is being shown on zee tv, one of the good serial. Yesterday could not write, went to see the doctor for pain in arm, then to hindi class and evening was with shahrukh khan and juhi chawla. Secretary  picked her up for going to give fare well bouquet to one lady, (singer and radio artist) she is leaving this place  for ever. In the morning talked to mother who is with younger sister. Sister is happy, she is now captain. Got her letter also, she is very very sensitive and sensible girl. Nuna is proud of her !








बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश


तीन दिन बाद नन्हे को कविता पाठ प्रतियोगिता में भाग लेना है, अभी तक उसने याद नहीं की है, लेकिन वह जानती है आधे घंटे में ही याद कर लेगा, उसकी स्मरण शक्ति अच्छी है. उसका एक मित्र कविता पाठ की तैयारी में नूना से सहयोग लेने आया है, हिंदी जानने वाली महिला के रूप में उसका नाम थोड़ा बहुत लोग जानने लगे हैं. आज वह कम्प्यूटर से सीखी रेसिपी के अनुसार कढ़ी बनाएगी, उन्हें एक सीडी निशुल्क मिला है, ‘कम्प्यूटर एट होम’ जिसमें कई भारतीय व्यंजन है. कल से जून ने उसे कम्प्यूटर पर काम करना सिखाना शुरू किया है. आज दोपहर लंच पर एक मित्र परिवार आ रहा है, वे लोग ट्रेन से दोपहर एक बजे तक पहुंचेंगे. आज सुबह वे छह बजे उठे, पहले ट्रांजिस्टर पर समाचार सुने फिर star पर निनाद  सुना और फिर ‘जी इंडिया’ पर सन्त वाणी सुनी. भारत के कण-कण में, जन-जन के मन में उपनिषदों की वाणी का प्रचार, प्रसार है. यह कोई रहस्य नहीं रह गया है, न ही कभी था, कि मानव का शरीर प्रतिक्षण बदलता रहता है, किन्तु भीतर कुछ है जो कभी नहीं बदलता, वही आत्मा है, और वही परमात्मा का अंश है.

नौ बजने को हैं, पिछले दो दिनों की हलचल के बाद आज घर शांत है, कल ‘बुद्ध पूर्णिमा’ के कारण नन्हा और जून दोनों की छुट्टी थी. शाम को वे क्लब गये extempore speech में नन्हे ने भाग लिया पर कविता पाठ में नहीं ले पाया. बहुत देर हो चुकी थी, और उन दोनों को नींद आने लगी थी. सुबह स्कूल भी जाना है यह कहकर जून थोड़ा नाराज होकर उन सबको घर ले आये, वह भी ठीक से सो नहीं पायी, नन्हे ने तैयारी की थी पर भाग नहीं ले पाया इसी बात का दुःख अलग-अलग तरीके से तीनों ही महसूस कर रहे थे. पर सुबह वे सामान्य थे. उस दिन क्लब से ‘अनिता देसाई’ की एक किताब लायी थी, आधी पढ़ ली है, अच्छी है पर कड़वी सच्चाईयों से भरी हुई, इस दुनिया में हरेक को अपना बोझ स्वयं उठाना पड़ता है. सभी को सहारा नहीं मिलता.

कल बहुत दिनों बाद चचेरे भाई-बहन का पत्र मिला, अच्छा लगा, आजकल पत्र आना एक दुर्लभ घटना हो गयी है. अभी कुछ देर पहले फिर से पढ़ा कि मानव अपने शुद्ध रूप में आत्मा है और सर्वशक्तिमान परमात्मा से अलग नहीं है किन्तु अहम् का पर्दा होने से वह इस संबंध को पहचान नहीं पाता, ध्यान का अभ्यास भी किया पर गहराई तक नहीं पहुंच सकी. अच्छी बातें जो सुनने और पढ़ने में अच्छी लगती है उनका चित्रण साहित्य में किस तरह कर सकती है. जीवन के शाश्वत मूल्यों का चित्रण बिना किसी आडम्बर और शब्दजाल के, स्वाभाविक रूप से. देसाई की किताब के दो पात्रों तारा और विमला में से वह स्वयं को तारा के निकट क्यों पाती है, जबकि वह  किसी भी तरह से आगे नहीं है, कमजोर, डरी-डरी, लाचार, किसी न किसी पर आश्रित अपनी इस छवि से उसे बाहर निकलना ही होगा.


कल से उसे जुकाम ने जकड़ा हुआ है, बदन में हरारत सी महसूस हो रही है, नाक लाल हो गयी है, आँखें भारी सी हैं पर इन सबके बावजूद उसकी जीवनी शक्ति ज्यों की त्यों बरकरार है, यानि अपने रोजमर्रा के कार्यों को करने का उत्साह भी है और इच्छा भी. यह बात अलग है कि थोड़ा धीरे-धीरे ही कर पा रही है. अपनी छात्रा को कम्प्यूटर पर science encyclopedia दिखाया, नये स्वीपर से बाहर का नाला साफ करवाया, वह काम करना ही नहीं चाहता, दीनदास नाम है और शरीर भी मजबूत है पर थोड़ा आलसी है, सभी उतना ही काम करना चाहते हैं जितना करने भर से काम चल जाये. आज सुबह समाचार नहीं सुन पायी. परमाणु विस्फोटों के खिलाफ किस देश ने क्या कहा और कितने प्रतिबन्ध लगाये, आजकल यही तो होता है. कल शाम वे एक मित्र के यहाँ गये वहाँ उनकी अमीर दीदी के किस्से सुनकर (हजारों रूपये के गहने-कपड़े) कैसा तो लगा, वह  कल यूँ ही जुकाम से परेशान थी, फिर बाल भी धुले नहीं थे, साड़ी भी पुरानी पहनी थी. खैर कपड़ों से ही कोई अमीर नहीं बन जाता है, उसे अपनी अच्छी साड़ियाँ संभाल कर रखने के बजाय  पहननी चाहियें इतनी सीख तो मिली. आज मौसम यूँ तो गर्म है पर उसे पंखे की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है शायद हरारत की वजह से. उनके पेड़ में छोटी छोटी अम्बियाँ लगी हैं, एक दो तोड़कर शाम को चटनी बनाएगी, पुदीना भी अभी हरा है और हरी मिर्च के पौधे भी भरे हुए हैं. यानि सभी कुछ ताजा और शुद्ध...

Monday, March 24, 2014

कम्प्यूटर पर रेसिपीज



कल दोपहर हिंदी में सृजनात्मक लेखन के लिए दूसरी कविता लिखी, कविता यदि गढ़ी जाये तो उल्लास के बजाय मन को तनाव से भर देती है. कुछ देर ‘सत्यजित रे’ की पुस्तक पढ़ी. फिर नन्हा स्कूल से आ गया और दोपहर बाद की दिनचर्या में व्यस्त हो गयी. शाम को लाइब्रेरी से ‘अनिता देसाई’ की किताब लायी है. कल घर से पत्र आया है, पर उसके निर्णय के अनुसार जवाब अगले हफ्ते देगी तब तक दूसरा कोई खत भी आ जायेगा. कल शाम जून ने कहा उसे कम्प्यूटर में एक लैटर पैड बना लेना चाहिए पर ऐसा कौन है जिसे वह नियमित पत्र लिखे वह भी अंग्रेजी भाषा में. आज भी गर्मी बहुत है अभी तक उन्होंने टेबल फैन नहीं निकाला है, निकालने पर नैनी का मांगना लाजमी है, उसने कहा है अगले महीने वह पंखा खरीदना चाहती है पर हिसाब लगाकर देखा तो पैसे कम पड़े, उसी में पूरे महीने का खर्च भी चलाना होगा, यूँ उसकी बेटी भी काम करती है. और जून के अनुसार जिसकी जितनी आय होती है उसी में वे गुजारा करना सीख जाते हैं. पर जो समर्थ हैं उन्हें भी तो उनके लिए कुछ सोचना चाहिए. उन्होंने इतना धन लगाकर कम्प्यूटर खरीदा और कुछ सहायता करके पंखा खरीदने में उसकी मदद नहीं कर सकते, जबकि वह काम करके धीरे-धीरे पैसे चुका ही देगी. दीपक चोपड़ा के अनुसार जब इच्छा मन में उत्पन्न हुई है तो उसे ब्रह्मांड की गोद में डाल दो, खुदबखुद पूर्ण हो जाएगी. जैसे आजतक उसके सारे काम होते आए हैं.

कल दिन भर पूसी उसके पीछे-पीछे थी आज सुबह से गायब है, कल जब संगीत कक्षा में गयी तो उसके पीछे वह भी गयी और पूरे समय बाहर बैठी रही. शाम को जून और वह टहलने गये तो पीछे चल दी, जानवरों की भाषा यदि वे समझ पाते तो.. सुबह दो-तीन बार घर में आ गयी और जबरदस्ती उसे बाहर निकाला, मन इतना कठोर हो जाता है जब उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई काम हो रहा हो. दीपक चोपड़ा कहते हैं जब लोग किसी व्यक्ति या परिस्थिति से परेशान होकर कुछ व्यक्त करते हैं या महसूस करते हैं तो यह प्रतिक्रिया उनकी भावनाओं के प्रति होती है और भावनाएं किसी अन्य की गलती से उत्पन्न नहीं हो सकती, उनकी जिम्मेदारी सिर्फ उनकी है, कोई कैसा सोचे यह उसी पर निर्भर करता है. there is always a choice and choice is ours. अपने मूड या अपनी मानसिक स्थिति के लिए किसी अन्य को दोषी या ज्जिम्मेदार ठहरने का किसी को कोई हक नहीं है, क्यों कि यह सत्य नहीं है. आज नन्हे की छुट्टी है, उसे कम्प्यूटर पर ढेर सारे काम करने हैं, सुबह से ही योजनायें बना रहा है.
कल शाम दो सखियाँ आयीं उनका नया टीवी देखने, एक को कम्प्यूटर भी देखना था, उसने अपना रेखाचित्र भी पढ़ने को दिया पर उसके छोटे-छोटे अक्षर वह ठीक से पढ़ नहीं पायी, वैसे भी इतने शोर में कोई गम्भीर बात पढ़ना आसान नहीं था. पर उसकी इच्छा पूर्ण हुई अपने आप ही. आज भी बादलों के कारण गर्मी कम है. आज टीवी पर एक कार्यक्रम देखा, जो दीपक चोपड़ा की उसी किताब पर आधारित था जिसमें आज पढ़ा कि उन्हें अपने आस-पास के लोगों व स्थितियों को वे जैसे हों वैसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए न कि अपना दृष्टिकोण उनपर थोपना चाहिए. जैसे कि उसने सुबह चाय बनाने के तरीके पर जून को टोका. कल नन्हे ने उसका टाइम टेबल कम्प्यूटर पर बनाया, और उन्होंने एक cd देखा जिसमें ढेरों रेसिपीज थीं. computer is real fun !







Friday, March 21, 2014

नये का आगमन


सुबह के सवा आठ बजे हैं, कुछ देर पहले उसने ध्यान करने का प्रयास किया, पर इस सत्य से सामना हुआ कि जब मन में कोई बात हो तो ध्यान बंट जाता है और सफलता नहीं मिलती. उसके मन में दो विचार चल रहे हैं, पड़ोसिन आज शाम को क्लब में होने वाली क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही है उसे फोन करना है और कल हुई बच्चों की क्विज प्रतियोगिता का परिणाम पूछना है. दूसरी बात यह की उसके मुंह का स्वाद कुछ ठीक नहीं लग रहा कुछ चिपचिपा सा..सम्भवतः पाचन क्रिया ठीक न होने के कारण.

आज इतवार है, जून और नन्हा दोनों कम्प्यूटर के साथ व्यस्त हैं, जून के एक केरेलियन मित्र आये हैं, he is computer wizard ! कल वे क्लब गये, पड़ोसिन की टीम चौथे स्थान पर रही, उसने फोन किया, उसकी आवाज में ख़ुशी थी कुछ पाने का उल्लास ! जून प्रिंटर भी ले आये हैं, और दीपक चोपड़ा की किताब से बनाया उसका कैलेंडर दीवार पर लगाने के लिए तैयार है. she knows, laws are too good to apply ! but she will try.

आज उन्हें तिनसुकिया जाना है, नया टीवी खरीदने, कल पुराना ओनिडा सात हजार में बिक गया. कई वर्ष वह उनके साथ रहा, अब किसी और का घर आबाद करेगा. उसे याद है वे पुराने घर में थे, वह उन दिनों घर गयी हुई थी, जून ने पास ही रहने वाले एक दक्षिण भारतीय मित्र से खरीदा था, वे लोग तब कम्पनी छोड़कर जा रहे थे. कल पत्रों के जवाब का दिन है पर पिछले पन्द्रह दिनों से कोई पत्र नहीं आया है, उसने सोचा, अबसे महीने में एक बार ही करेगी पत्र लिखने का काम. आजकल न किसी के पास पत्र का जवाब देने का समय है और न ही पत्र पढने का. माँ-पापा भी उम्र के साथ-साथ सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो रहे हैं. कल शाम वे क्लब नहीं गये, नन्हे को कम्प्यूटर का आकर्षण था और उसे इतवार की शाम का भारीपन लग रहा था. सुबह उठी तो फिर उससे पहले एक स्वप्न चल रहा था, मन एक मिनट के लिए भी शांत नहीं बैठता, नींद में भी नहीं, शायद यही जीवन है. मन का यही काम है कुछ न कुछ बुनते रहना. ध्यान करने बैठी तो वॉयल के कपड़े पर कढ़ाई दिखने लगी. creative mind की यही तो पहचान है. अज नन्हे का तीसरा टेस्ट है, उसे उनसे ज्यादा नये टीवी का इंतजार है.

फिलिप्स का नया टीवी बहुत अच्छा है, देखने में भी और चलाने में भी, आवाज काफी जोरदार है और तस्वीर को कई तरह से एडजस्ट कर सकते हैं, सारा काम रिमोट से होता है. कल वे नन्हे के आने से पहले घर पहुंच गये थे पर टीवी कार से घर में नहीं लाये थे, पर उससे रहा नहीं गया और उसके खाना खाने से पहले ही उन्होंने टीवी चलाया, शाम भर घर में ही रहे, वैसे भी गर्मी बहुत थी. नन्हा पढ़ाई करता रहा वह सुनती रही जून विश्राम करते रहे.कड़कती धूप में टूटी फूटी सडक पर गाड़ी चलाना इतना आसान नहीं था, वापसी में कह रहे थे कि गाड़ी बदलने का वक्त भी आ गया है, शायद इसी वर्ष वे नई कार भी ले लें. आज भी धूप तेज है, माली लॉन में घास काट रहा है, कल कहा था उसने कि सुबह पांच बजे आयेगा ताकि ठंडे वातावरण में ही काम खत्म कर  दे पर शायद उसकी नींद नहीं खुली होगी. कल उसने अपने जन्मदिन के लिए स्वयं ही एक उपहार लिया, नील रंग की तांत की साड़ी ! नन्हे के लिए नाईट ड्रेस और टीवी जो जून ने काफी देखभाल के बाद और मोलभाव के बाद ही लिया. एक दिन एक मित्र के यहाँ बैठे-बैठे ही उनके मन में विचार आया कि पुराना अब निकाल देना चाहिए, हर कार्य पहले एक विचार ही तो होता है.



खलनायक से साक्षात्कार


इस वक्त उसका मन उदास है, उसे जो कार्य सौंपा गया उसे पूरा नहीं कर पायी. उसका सर नीचा हुआ, क्लब के काम को अपना काम न मानकर जो भूल उसने की, उसी का खामियाजा भुगत रही है. अभी-अभी जून का फोन आया, उन्होंने उसका अधूरा कार्य पूरा करवाने की पूरी कोशिश की है. ड्राइवर जो उस दिन पांच एरिया में बुलेटिन नहीं बाँट पाया था आज उसे डांट पड़ी और अब दूसरे ड्राइवर को हाथ वे बुलेटिन भेजे हैं. उसकी मुश्किल थोड़ी आसान हुई है. कल मीटिंग है सो आज शाम तक सभी को सूचना मिल ही जाएगी. कल शाम वे एक मित्र के यहाँ गये, वापस आकर पता चला, नन्हे को ढेर सारे नोट्स उतारने हैं, फिर जून ने कहा फोटोकॉपी कर देंगे, स्कूल में पढ़ाई का बोझ यहाँ से काफी अधिक है. कल उसकी संगीत अध्यापिका ने विलम्बित सिखाया, उसे कठिन लगा.
कल शाम वह परेशान थी कि बुलेटिन नहीं पहुंचे हैं, नन्हा परेशान था कि स्कूल का कार्य शेष है, जून उन दोनों को परेशान देखकर परेशान थे, ऐसा लेकिन बहुत कम ही होता है, वे लोग ज्यादातर समय हँसते-खेलते ही रहते हैं. जब परेशानी हो तो छोटी-छोटी खुशियाँ भी कितनी मायने रखती हैं. लेकिन इतना तो आभास हुआ कि वह कितनी नाजुक है जो थोड़ी सी परेशानी से घबरा जाती है.
कल उसने कुछ नहीं लिखा, सुबह एरिया की महिलाओं को फोन करने में गुजरी और दस बजे बायीं तरफ की पड़ोसिन के यहाँ से होते हुए क्लब गयी. वह उदास थी, घर से खबर आई थी कि उसकी भांजी, जिसने इंजीनियरिंग पास कर ली थी और नौकरी कर रही थी सड़क दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गयी. दोपहर को कुछ देर कम्प्यूटर पर काम करने की कोशिश की. शाम को मीटिंग थी. पूरा दिन व्यस्तता में गुजरा, उसने नया सूट पहना था, नया पर्स लिया और नई चप्पल भी. सेक्रेटरी का फोन आने के बाद थोड़ी परेशान थी पर दीपक चोपड़ा की बात याद आ गयी, किसी भी बात पर हम क्या react करें यह हम पर निर्भर करता है. choice is always ours !  जून ने भी कहा जब कोई सही हो तो offensive नहीं deffensive होना चाहिए, mood change हो गया. words are very powerful ! कल जून बहुत सहयोग कर रहे थे, नन्हा भी क्लब जाते समय उसकी मदद कर रहा था, उसे लगा they are a close knit family and love each other very very much. आज जून ने children’s meet के लिए हिंदी की कविताएँ चुनकर रखने के लिए कहा है. सुबह दीदी और छोटी बहन से बात की, छोटी बहन महाराष्ट् जा रही है.


मई का महीना शुरू हो गया, यानि उसके जन्मदिन का महीना...सुबह जून ने कहा नये सूट के रूप में वह उपहार पहले ही दे चुके हैं, उसने नहीं माना. इतनी उम्र गुजर जाने पर भी मन जन्मदिन मनाने को उत्सुक रहे और उपहार की लालसा भी रखे, क्या यह अजीब नहीं लगता, पर ऐसा ही है और जून भी इस बात को जानते हैं. नौ बजने को हैं, आज सुबह ध्यान करते समय उसे पिछले दिनों सुनी दो मृत्यु की घटनाओं की स्मृति हो पायी, और दो रेखा चित्र अंकित हो गये, लेखन के लिए ऐसी ही स्वतः प्रेरणा की जरूरत होती है. कल हिंदी कविताएँ लिख कर दीं और अंग्रेजी कविताओं के लिए तीन किताबें भी, ईश्वर से भी प्रार्थना है कि तीनों किताबें सही-सलामत वापस लौट आयें. कल से नन्हे के यूनिट टेस्ट शुरू हो रहे हैं, वह काफी उत्साहित है, नये स्कूल में पहली बार सारे टेस्ट देगा और टीचर्स को पता चलेगा कि नये बच्चे कितने पानी में हैं. कल जून उसे हिंदी कक्षा से वापस छोड़ने आये तो वापस नहीं गये, उनके बॉस छुट्टी पर हैं तो वे भी छुट्टी के मूड में आ गये हैं. कल वह हिंदी का दूसरा पेपर हल करती रही, एक प्रश्न अभी शुरू ही नहीं किया, किसी फ़िल्मी खलनायक से साक्षात्कार लेने के लिए प्रश्नों की सूची. इतना कठिन भी नहीं है. इतवार तक फेयर करना शुरू कर देना होगा.

Wednesday, March 19, 2014

सफलता के सात सुनहरे सूत्र


ठंडी हवा शीतलता दे रही है और हरीतिमा आँखों को सुकून. आज श्री अरविंद पर एक कार्यक्रम देखा, विलक्षण प्रतिभा के धनी श्री अरविंद महान चिंतक थे, भारत के प्रति प्रेम से परिपूर्ण, इस देश की यात्रा को आगे ले जाने वाले एक मनीषी ! कल शाम लाइब्रेरी से दो पुस्तकें लायी, तसलीमा नसरीन की ‘लज्जा’ और दीपक चोपड़ा की ‘Seven golden laws for success’. कल शाम ही पहला अध्याय पढ़ा, ध्यान, मौन और दूसरों का आकलन न करने का प्रण, तीन बातों पर जोर दिया है. घटनाओं, मनुष्यों, परिस्थितियों को आंकते चले जाने की आदत ही दुखी रखती है. कल दोपहर अखबर में ‘हरिवंश राय बच्चन’ का एक इंटरव्यू पढ़ा, काट कर फ़ाइल में रखने योग्य है. कल जून नन्हे के स्कूल गये थे, सभी टीचर्स से मिले, सभी ने उसकी तारीफ की तथा उपयोगी सुझाव दिए. हिंदी लेखन के कोर्स में एक प्रश्न प्रेमचन्द की कहानी ‘कफन’ पर है, जून ने कहा है कि वह हिंदी पुस्तकालय से उनकी पुस्तक ला देंगे. जून हमेशा सहायता करने को तैयार रहते हैं. आज वह उसे ‘सैकिया प्रिंटर्स’ भी ले जायेंगे, लेडीज क्लब के बुलेटिन लाने के लिए. आज महादेवी वर्मा की एक कविता पढ़ी, ‘जो तुम आ जाते एक बार’, अज्ञात प्रेमी के लिए उनकी तड़प स्पष्ट शब्दों में व्यक्त है. वह रहस्यमय व्यक्ति या शक्ति, अथवा ईश्वर कोई भी रहा हो, रचने की प्रेरणा उसी ने दी. किसी की प्रतीक्षा, प्रतीक्षा के लिए..जैसे कला कला के लिए.

शमशेर की कविता ‘उषा’ पढ़ाई, कविता अच्छी है, पर सीधी सपाट नहीं, नील जल में झिलमिल गौर देह... का क्या तात्पर्य है, सूरज या सफेद बादल.. सम्भवतः बादल ही. आज सुबह अलार्म सुनते ही उठ बैठे वे. रात को नूना दीपक चोपड़ा की किताब पढकर सोयी थी, सपनों को व्यवस्थित करती रही, वह कहते हैं, हर दिन मिलने वाले हर व्यक्ति को कुछ न कुछ देना चाहिए, चाहे वह एक फूल हो, एक शुभकामना हो अथवा कम्प्लिमेंट ही क्यों न हो ! कुछ देर पूर्व पड़ोसिन से बात हुई, उसकी तबियत फिर खराब है, अस्वस्थ होने को लोग इतना सामान्य क्यों मानते हैं, स्वस्थ रहना, चुस्त रहना तो हर एक का कर्त्तव्य है और जीवन का सबसे बड़ा सुख भी. इस वक्त, इस क्षण में वह स्वयं को बहुत स्पष्ट देख पा रही है, मानसिक स्तर पर कोई उहापोह नहीं है, जीवन से कोई शिकायत नहीं, कोई उलाहना नहीं देना. जो हो रहा है वही होना चाहिए था, इस सृष्टि में हर घटना के पीछे एक कारण है, भविष्य में जो होगा वह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वर्तमान में कोई क्या कर रहा है. यदि वर्तमान संतुष्टि प्रदान करता है, उसे अपने लाभ के लिए साधा जा सकता है. अपने लाभ में अपने परिवेश का, अपने परिचितों का, समाज का सबका लाभ है.

जो क्रम उसने सुबह निर्धारित किया था, अभी तक तो उसके अनुसार चल रही है, आधा घंटा ध्यान, आधा घंटा व्यायाम, आधा घंटा लेखन..इसी बीच दो फोन भी कर लिए. एक सखी से बात की तो लगा...नहीं उसे किसी का मुल्यांकन नहीं करना है, वह जैसी है, वैसी है, और जैसा सोचती है उसे वैसा सोचने का हक है. अंततः आज उनका कम्प्यूटर इंस्टाल हो गया, जून और नन्हा दोनों उसमें व्यस्त हैं, उसे भी बुलाया तो हाथ जोड़कर उसने माउस पर हाथ रखा, हल्के से छूने पर भी स्क्रीन पर चित्र बदल जाते हैं, उसमें वे गीत सुन सकते हैं, चित्र बना सकते हैं, लिख सकते हैं, फिल्म देख सकते हैं, जितने CD उनके पास हैं अभी सारे नहीं देखे हैं. एक नई दुनिया के द्वार उनके लिए खुल गये हैं.

जून को कुछ देर पहले फोन किया, लगा, जैसे कोई उनके पास बैठा था, सो, ‘ठीक है’, ‘हाँ’ के अलावा कोई उत्तर नहीं दे रहे थे. आज एक सखी के विवाह की सालगिरह है, उसके लिए एक कविता लिखने का प्रयास किया. कल सुबह नहाते समय उसकी आंख में रीठे-आंवले का पानी चला गया था, अभी तक हल्का दर्द है. अभी ग्यारह भी नहीं बजे हैं पर धूप इतनी तेज है कि लगता है दोपहर बाद का वक्त हो. आज से खिड़कियाँ खोलकर रखने के दिनों की शुरुआत हो गयी है और  हल्के रंगों के ढीले-ढाले सूती वस्त्र पहनने के दिन भी, जो सर्दियों की शुरुआत में सहेज कर रख दिए गये थे. उसे अचानक महसूस हुआ आज कहीं कुछ छूटा हुआ सा लग रहा है, जैसे कोई बहुत जरूरी बात कहीं रह गयी हो. वर्तमान में रहने के सुनहरे नियम के अनुसार उसे फ़िलहाल तो किचन में जाना चाहिए. खिड़की से गन्धराज के फूलों की और कमरे में रखे गुलाब की बासी मीठी महक हवा में भर गयी है.  



नर्मदा की पावनता - RIVER SUTRA


आज सुबह से उसे असमिया सखी का ख्याल आ रहा है, एक बार फिर वे उसके घर गये और लगा कि वह अपने आप में इस कदर व्यस्त थी कि उन्हें महसूस होने लगा, उनका स्वागत मन से नहीं किया जा रहा है. जीवन में ऐसे क्षण तो आते ही रहते हैं. कभी न कभी अमैत्री का दुःख सभी को उठाना पड़ता है जिसने भी मित्रता का सुख लिया है. उसने कुछ देर पूर्व DCH के पेपर पढ़े, सितम्बर से पूर्व उसे प्रश्नपत्र हल करके भेजना है तथा परियोजना कार्य की रिपोर्ट भी भेजनी है. कल शाम को फोन आया कि सुबह कम्प्यूटर लेने बस स्टैंड जाना है पर जब जून और नन्हा तैयार होकर गये तो पता चला ‘डॉलफिन कोरियर सर्विस’ के दफ्तर में सिर्फ दो ही बॉक्स आये थे, तीसरा बॉक्स जिसमें मुख्य हिस्सा था कम्प्यूटर का, वह लोड करना ही भूल गये थे या किसी और कारण से वह नहीं पहुंचा. यानी एक दिन का और इंतजार.

कल शाम when they came back after evening walk. Nanha told about the phone call, jun confirmed the arrival of computer. They went to fetch it and till 9.30 in the evening installation was not completed. Today again enginer will come  and do the remaining job. She told her friends they said that they will come come to see it. It’s 8 am her student came and they read a poem“प्रेम”  written by  माखन लाल चतुर्वेदी. टीवी पर अटल जी का १६ अप्रैल को असम में ‘नर  नारायण सेतु’ के उद्घाटन के समय दिया गया भाषण आ रहा है. प्राकृतिक सौन्दर्य में तो असम अद्वितीय है ही यहाँ के बीहू नृत्य की बात भी निराली है. अल्फ़ा के कारण फैले आतंकवाद का जिक्र भी उन्होंने किया. कल गीता मेहता की पुस्तक  A River Sutra में संगीत के शास्त्रीय रूप का वर्णन पढकर सारेगामापाधानीसा का वास्तविक अर्थ समझ में आया. सा से नी तक की ध्वनियाँ प्राकृतिक स्वरों से ली गयी हैं. हरेक के लिए एक रंग भी निर्धारित किया गया है. संगीत की साधना और रागों को उनके सही रूप में पकड़ना एक तपस्या ही तो है, एक भी राग यदि सही अर्थों में समझ में आ जाये और उसके रूप का भाव हो तभी संगीत का ज्ञान हो सकता है. Peacock sa - black
calf calling its mother re – twang
Bleating of goat ga – gold
Cry of the Heron ma – white
Song of Nightingale pa – yellow
The neighing of a horse dha – indigo
Elephant's trumpet ni – green

कल कम्प्यूटर इंजीनियर उनका कम्प्यूटर अपने घर ले गये, इन्स्टालेशन में कुछ दिक्कतें आ रही थीं, जिन्हें वह दूर नहीं कर पा रहे थे, अब ३-४ दिन और लगेंगे. उसके बाद ही सही मायनों में उसका आना माना जायेगा. कल स्कूल से आकर नन्हे ने सभी पीरियड्स के बारे में बताया तो उसकी बातों से लग रहा था वह वहाँ की पढ़ाई से संतुष्ट है. अध्यापक कोर्स के अलावा बहुत कुछ बताते हैं. कल हेयर कट के बारे में कहा था, पर क्लब में बारबर नहीं था. सुबह माँ-पापा से बात हुई, उन्हें लगा जून दिल्ली से वहाँ भी जायेंगे, मामी जी भी आई हुई थीं. कल उसने  A river sutra पूरी पढ़ ली, अच्छी किताब है. नर्मदा नदी को इतना पवित्र मानते हैं, उसे मालूम ही नहीं था, गंगा-यमुना के अलावा अन्य नदियों के बारे में वे बहुत कम ही जानते हैं. उसने ध्यान दिया कि जब वह कोई पुस्तक पढ़ती है तो उसे सतही तौर पर ही याद रख पाती है, पुस्तक खत्म करने की जल्दी होती है, आगे क्या हुआ उसे जानने की उत्सुकता. इसलिए बहुत गहरे नहीं उतर पाती. पुस्तक की सुन्दरता को, भावों को तो पकड़ पाती है पर शिल्प पर उतना ध्यान नहीं जाता.  

उनकी कल की शाम हर रोज से अलग थी. जून ऑफिस से आए तो नन्हे ने टीचर का आर्डर बताया You need a hair cut उसे भी होमियो पैथिक डाक्टर के यहाँ जाना था, सो सभी निकल पड़े, एक तो डॉ के यहाँ काफी भीड़ थी दूसरे मंगलवार होने के कारण नाई की एक भी दुकान नहीं खुली थी. नन्हा निराश होकर बैठा था जब वे डॉ के यहाँ से आये, पर अब गाड़ी स्टार्ट ही नहीं हो रही थी. उसका एक फ्यूज उड़ गया था, फोन करके एक मित्र को बुलवाया, वे मकैनिक लेकर आए और गाड़ी ठीक हुई, लौटने में काफी देर हो गयी. आज सुबह ससुराल से फोन आया, पिता अपने किसी परिचित के लिए MBA के बाद होने वाली summer training के बारे में पूछ रहे थे. उनकी आवाज हमेशा उत्साह से भरी रहती है सुनकर अपने में भी ख़ुशी स्वयमेव पैदा हो जाती है. जबकि कभी किसी से बात करने के बाद एक उदासी की लहर छा जाती है.





Monday, March 17, 2014

नीना गुप्ता का धारावाहिक - सांस


आज बीहू है, टीवी पर भारत-आस्ट्रेलिया क्रिकेट पेप्सी कप का फाइनल आ रहा है, भारत के जीतने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं. छुट्टी के दिन सारी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है, देर से उठे, न व्यायाम हुआ न ध्यान... नाश्ते में खीर खायी, लंच में खिचड़ी. सुबह एक स्वप्न देख रही थी, उसका असर देर तक रहा यहाँ तक कि अब भी है, इन्सान कभी-कभी स्वयं के असली रूप को कितना स्पष्ट देख पाता है और अक्सर यह रूप कई परतों में छिपा रहता है. हो सकता है उसकी यह राय हारमोंस के कारण हो, या फिर यही वास्तविक वह है. कल जून एक कैसेट लाये थे “युग पुरुष” नाना पाटेकर और मनीषा कोइराला थे उसमें. फिल्म अच्छी थी मगर उसे लगा, चलेगी नहीं. कल शाम एक मित्र के यहाँ गये, वहाँ गृह स्वामिनी ने पनीर की पूड़ी खिलाई with grated carrot and coriander, स्वादिष्ट थी. वापस आकर ‘सांस’ देखा, नीना गुप्ता अपने ही क्रोध का शिकार बन गयी है, औरतों के साथ यही तो विडम्बना है, अन्याय का विरोध करे तो भी उसकी हार है और न करे तब तो है ही. कुछ देर पहले एक सखी का फोन आया, पर आजकल उसका मन बातें करने का नहीं होता, सम्भवतः आजकल वह स्नेह शून्य हो गयी है, अब हारमोंस को दोष देने का वक्त फिर आ गया है.

आज भी बीहू का अवकाश है, उसकी छात्रा ने तो बल्कि यह कहा कि आज ही बीहू है. बंगाल में आज से नया साल भी शुरू हो रहा है. आज वे जल्दी उठ गये थे, कल जून तिनसुकिया से कम्प्यूटर टेबल के लिए नया टॉप लाये थे, वह भी लगा दिया है. आज लंच में वे तरबूज खाने वाले हैं, इस मौसम का पहला तरबूज ! नन्हा सुबह से अंग्रेजी पढने में लगा है. अगले महीने से उसके यूनिट टेस्ट हैं. उसे home alone देखनी है पर पहले पढ़ाई, फिर फिल्म.. यह तय किया है, थोड़ा मुँह जरुर बनाया उसने पर बाद में समझ गया. नये स्कूल में किताबें भी ज्यादा हैं और पढ़ाई भी. उसकी कुछ किताबें उसे भी रोचक लगीं. कल उसका मन हिंदी लेखन की किताब पढ़ने में नहीं लग रहा था, बार-बार उन्हीं सिद्धांतों को दोहराने से शायद बोरियत महसूस होने लगी थी. कल शाम फिर वर्षा हुई थी पर आज धूप निकली है, मौसम का असर भी इंसानी फितरत पर पड़ता होगा, पड़ता ही है. आज सामान्य महसूस कर रही है. अभी एक घंटा रियाज करना है, किसी को बिना डिस्टर्ब किये घर में रियाज करना भी अपने आप में एक कला है.

जून को कल रात नींद नहीं आई, शायद उसकी वजह से. वह स्वयं तो उनके स्नेह की अधिकारिणी बने रहना चाहती है, प्रेम में हल्के से भी दुराव की पीड़ा क्या होती है उसे उसका मन पहले महसूस कर चुका है, पर कल वह क्यों नहीं समझ पायी. आज उसे संगीत की कक्षा में सुबह ही जाना है. वर्षों बाद अकेले बैठे गाते-गुनगुनाते समय इन अध्यापिका से सीखा संगीत बहुत याद आएगा. कल दूँ भर की कड़ी धूप के बाद शाम को हुई मूसलाधार वर्षा के कारण हवा में ठंडक है. नन्हा आज सुबह जल्दी से उठ गया, जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, जिम्मेदारी समझ रहा है. कल रात स्वप्न में दोनों ननदों को देखा, छोटी ननद दूसरे बच्चे के आने की तयारी कर रही है. एक स्वप्न में देखा एक लडकी उससे एक गीत सीखना चाहती है. जे कृष्णा मूर्ति की पुस्तक पढ़ ली है, उनके अनुसार सचेतन मन से वर्तमान में जीवन जीना चाहिए संवेदन शील मन हो जो पिटी-पिटाई लकीरों पर न चले बल्कि अपना रास्ता स्वयं खोजे.






Friday, March 14, 2014

हनुमान मन्दिर


उसने सोचा, वक्त आ गया है कि कुछ पल बैठकर मन का लेखा-जोखा किया जाये, मन जो इस वक्त शांत है. कल रात को जीजीएम के संदेश का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करते समय आने वाली दिक्कतों से थोड़ा परेशान हो गया था, पर वक्त पर पूरा करके दे सकी इसका श्रेय भी इसी मन को है. जून होते तो रात साढ़े दस बजे तक बैठकर उसे काम नहीं करने देते शायद तब इतनी देर भी नहीं लगती, उसने दो-तीन तकनीकी शब्दों का हिंदी अनुवाद एक मित्र के यहाँ फोन करके पूछा, बाद में पता चला वे लोग पहले पैकिंग करने के कारण देर से भोजन कर रहे थे और उन्हें उठकर फोन रिसीव करना पड़ा. उसे लगा, उन्हें अपने परिचितों को taken for granted नहीं लेना चाहिए. खैर जो हुआ सो हुआ ! कल दोपहर उड़िया पड़ोसिन के साथ भोजन अच्छा लगा, उस सखी की तरह इसने भी उत्तर भारतीय खाना बनाया था, राजमा वाली काली दाल, मिश्रित सब्जी और पनीर दो प्याजा तथा कढ़ी. नन्हा जिस तरह पांच-साथ मिनट में कपड़े बदल कर वहाँ आ गया, देखकर अच्छा लगा. नये स्कूल में पढ़ने जाने से वह होशियार हो गया है स्मार्ट भी. उसने समय देखा, मात्र दो घंटे बचे हैं, समय का नियोजन यदि करे तो आधा घंटा अभ्यास कर सकती है. कल घर से भी फोन आया, उन्होंने भी उनके अकेलेपन को दूर करने के लिए फोन किया, लोगों को उनकी परवाह है, जानकर ख़ुशी होती है.

आज सुबह भी देखा तो पूसी बरामदे में रखी रॉकिंग चेयर पर सोयी थी, रात को किसी वक्त जब जाली से कूद कर आई होगी तो अपने पंजों के दबाव से एक गमला भी उल्टा किया होगा, उसे देखकर क्रोध आया और उसे डांट के भगा दिया पर मन में यह ख्याल भी बना हुआ है कि मूक जानवर भला क्या जाने कि उसके किस काम से कोई खफा है. नन्हे के पैर में कल रात अचानक cramp हो गया, घुटने के पास से दांया पैर मुड़ ही नहीं रहा था, दर्द था, फिर बाद में कुछ राहत मिली तो सो गया पर सुबह तैयार होकर जब स्कूल के लिए निकला तो दर्द फिर आ गया, मना करने पर भी स्कूल तो गया है क्योंकि अगले पांच दिन स्कूल बंद है सो आज जाना ठीक ही था, कल उसने debate के लिए कुछ points लिखवाये पर कापी ले जाना भूल गया. कल रात स्वप्न में जून को देखा, अब यूँ भी अकेले रहना खलने लगा है.

आज जून आने वाले हैं, सो नन्हा और वह उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं, इतवार का सारा कार्य हो गया है. आज सुबह से वर्षा हो रही है, अलार्म भी सुनायी नहीं दिया, कल एक मित्र परिवार के साथ वे हनुमान मन्दिर गये, उनके कारण कभी-कभी मन्दिरों के दर्शन हो जाते हैं, उसे ध्यान के सिवा सब बचकाना लग रहा था पर घर पर अकेले रहने से बेहतर था. ‘हनुमान जयंती’ के उपलक्ष में एक जगह हनुमान पूजा भी देखी.

कल दोपहर दो बजे जून आ गये, साथ-साथ भोजन किया, घर जैसे भर गया. उनके लाये ढेर सारे सामानों से और उनकी बातचीत से. फिर शाम को बाजार गये. नन्हे की कुछ किताबें लेने जब उसका एक मित्र आया तो उसने कुछ नानुकुर की पर नन्हे ने समझाया कि उसे इन किताबों की कोई जरूरत नहीं है, बच्चे कभी-कभी बड़ों को राह पर ले आते हैं. उसका मन संवेदनशील नहीं है, पूसी को भगाया फिर कभी-कभी बेवजह पत्ते भी तोड़ देती है. यूँ ही झुझला जाती है पर जानती है कि यह सब वह कर रही है और ऐसा करना उचित नहीं है लेकिन क्यों कि ऐसा करने से कोई विशेष दुःख उसे नहीं उठाना पड़ता सो इससे परहेज नहीं करती. आज ध्यान में वह अपने विचारों को देख पाई कभी धीरे-धीरे कभी एक के बाद एक आते जा रहे विचार, मन एक पल भी खाली नहीं बैठता, आज जून शायद देर से आयेंगे straight शिफ्ट है. आज बैसाखी है पर सुबह से उत्सव जैसी कोई बात नहीं हुई. यदि मन स्थिरता से युक्त न हो तब उत्सव भी अर्थहीन हो जाता है.