Tuesday, April 28, 2020

एक कप चाय



आज कम्पनी के शेयर होल्डर्स की वार्षिक सभा है, ड्राइवर सुबह ही वह गिफ्ट बॉक्स दे गया जी सभी शेयर धारकों को मिलता है, जिसमें मिठाई, नमकीन, भुजिया, जूस, चॉकलेट सभी कुछ है. सुबह नींद खुलते ही जैसे भीतर किसी ने कहा, चाय में नशा होता है, उस नशे से ही मुक्त होना है. कल या परसों नींद से जगते समय  दूध से आधा भर एक कप दिखाई दिया था. रात को किसी वक्त स्वप्न देखा, वह बाजार गयी है, कैमिस्ट की दुकान पर है, कोई दवा खरीद रही है, कम से कम डोज मांगी है, फिर दुकानदार से पूछा, यह नुकसानदायक है न, वह हामी भरता है. चाय में नशा होता है यह बात इस स्वप्न से जुड़ी है और जुड़े हैं वे चाय के कप, जो नींद में दिखे थे. परमात्मा कितने-कितने उपाय करके उसे इस आदत से, आसक्ति से छुड़ाना चाहता है. उसकी कृपाओं का अंत नहीं. आज पूरे दो हफ्तों बाद कार चलाई, अभ्यास छूट गया है और भीतर एक भय भी समा गया है इसलिये धीरे-धीरे ही चला ही पायी. ब्लॉग पर लिखा, कुछ पढ़ा भी और टिप्पणी की. जून अभी एक घण्टे बाद आने वाले हैं, सर में दर्द हो रहा है शायद निकोटिन के लिए, नौ बजे आधा कप बोर्नविटा लिया था. कल शाम क्लब में वरिष्ठ महिलाओं की मीटिंग थी, लौटते हुए सवा आठ बज गए थे, जून को भी डिनर पर  जाना था, पर वह सबसे मिलकर  जल्दी ही लौट आये. उन्हें भी आधी रात तक जगना पसन्द नहीं है. जीवन जब एक लक्ष्य को सम्मुख रखकर आगे बढ़ता है तो मार्ग में आने वाली बाधा स्वयं ही दूर होने लगती है. वे सत्य के पथ के राही हैं. नन्हे से बात हुई, वह नए घर में था, काम शुरू हो गया है, तीन महीने में उम्मीद है पूरा हो जायेगा. सोनू अपनी सखी से मिलने गयी है, हल ही में जिसके पिता की मृत्यु हो गयी है. सर्वेंट लाइन में झगड़ा हो गया था आज सुबह, कारण पूछा तो पता चला, किसी पियक्कड़ ने नशे में अपनी तीन-चार वर्ष की बेटी को भी दो-चार घूंट पिलाने का प्रयत्न किया. विरोध होने पर झगड़ा बढ़ गया. नरक क्या इससे कुछ अलग होगा. 

टीवी पर इण्डिया-पकिस्ताम मैच हो रहा है. एशिया कप के दावेदार दो देशों के मध्य, हजारों लोग इस मैच को देख रहे हैं. कल से आश्विन माह का आरंभ हो रहा है. पहली बार पितृ पक्ष पर कुछ विशेष जानकारी ली और इसके बारे में लिखा. आज शाम फोन पर ज्ञात हुआ कि पीछे कुछ दिनों से बड़े भाई का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इस समय वह अस्पताल में हैं, ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य प्रदान करें. छोटा भाई भाभी टूर पर हैं, पिताजी अकेले हैं घर पर पर इस उम्र में भी वह अपना सारा काम स्वयं कर लेते हैं. सुबह बंगाली सखी के यहाँ गयी, उसकी माँ को अब वार्ड में शिफ्ट कर दिया  हैं, पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है. 

वही कल का समय है. टीवी चल रहा है पर आवाज बंद है. जून फोन पर बात कर रहे हैं. उसने भी पिताजी से बात की. मंझला भाई वापस आ गया है, बड़े भाई को नर्सिंग होम में दाखिल करवा दिया है. उनको डेंगू बुखार है यह बात पक्की हो गयी है. उनके कान में भी कुछ दिन से समस्या थी पर अब वह ठीक है. भतीजी आज सुबह घर आ गयी है, वह घर से ही काम करेगी, पापा की सेवा भी जितना हो सकेगा, करेगी. जीवन में कभी-कभी बड़े कष्ट का अनुभव करना पड़ता है, ऐसे में भी जो मन की समता बनाये रख सके, वह साधक है. दोपहर को उसने भाई से बात की तो हीलिंग मेडिटेशन करने को कहा, बुखार जब बढ़ जाता है तब तो वह कुछ नहीं कर पाते होंगे. एक योग साधिका को भी बुखार है, उसे भी उसने श्वासों पर ध्यान देने को कहा. शारीरिक रोग उनकी परीक्षा लेने के लिए आते हैं या उनकी ही लापरवाही के कारण, कोई नहीं जानता. कर्मों के फल के रूप में भी रोग आते हैं और बाहरी वातावरण के कारण भी. उनकी मानसिक स्थिति कितनी मजबूत है इस पर भी निर्भर करते हैं. आज शाम को भी फॉलोअप हुआ, दीर्घ सुदर्शन क्रिया के बाद मन कितना शांत हो जाता है. गुरूजी की कृपा का कोई अंत नहीं, घर बैठे ही उन्हें फॉलोअप का वरदान प्राप्त हुआ है. दोपहर को बच्चे व महिलाएं भी आये योग करने, प्रसाद में उन्हें बगीचे का नारियल खिलाया. विज्ञान भैरव पर एक-दो प्रवचन सुने, अद्भुत ग्रन्थ है यह. ध्यान की एक सौ बारह विधियाँ शिव पार्वती को सिखाते हैं. सूत्रों के रूप में नहीं हैं, प्रश्रोत्तरी के रूप में हैं. सुबह क्लब की प्रेसीडेंट से फोन पर काफी देर तक बात हुई स्कूल के बारे में, वह बोलने से थकती नहीं हैं. दोपहर को सिर में हल्का दर्द था, नशा है जानते हुए भी चाय पी. संस्कार को मिटाना परमात्मा के भी हाथ में नहीं है. 

Monday, April 20, 2020

विश्वकर्मा पूजा


रात्रि के आठ बजने वाले हैं, आज विश्वकर्मा पूजा का उत्सव उन्होंने जून के दफ्तर में मनाया. सुबह साढ़े नौ बजे वह उनके एक सहकर्मी की पत्नी के साथ वहाँ पहुँच गयी थी. पूजा दस मिनट पहले ही समाप्त हो चुकी थी, प्रसाद वितरण की तैयारी थी. जाते ही नाश्ते का एक पैकेट मिला. एक मिठाई, एक नमकीन व एक केला. प्रसाद में नारियल व अदरक के टुकड़े मिश्रित अंकुरित मूंग व चने तथा चिनिया केला. पहले तंबोला और लॉटरी निकलने का मजेदार खेल हुआ फिर भोजन, जो बाहर से मंगवाया गया था. घर आकर कुछ देर आराम किया, पर नींद नहीं आ रही थी, मन में उत्सव के विचार आ रहे थे, फिर सुबह सुनी गुरु माँ की बात याद आयी. जप को गहरा करके पैर के अगूँठे तक स्पंदन को महसूस करना है, मन एकाग्र हो जाता है, ऐसा ही हुआ. दोपहर बाद उसी सखी के साथ एक अन्य सखी को देखने अस्पताल गयी. उसकी किडनी में स्टोन है छोटा सा. उसके पति दफ्तर के काम से विदेश  गए हैं, पुत्र भी यूरोप में जॉब के सिलसिले में हैं, तथा ससुर जी दूसरे अस्पताल में एडमिट हैं, उनका आपरेशन हुआ है शायद एक-दो दिनों में घर आ जायेंगे. भगवान सबकी सहायता के लिए किसी न किसी को भेज ही देता है, उनका माली ससुर की सेवा में है और उसकी पत्नी घर की देखभाल कर रही है, पुत्र ससुर जी के लिए भोजन लेकर गया है. शाम को योग कक्षा में एक साधिका ने पूछा, उसके बाएं पैर में दर्द है, क्या करे, तिल के तेल की मालिश से अवश्य ही लाभ होगा, ऐसा उसे बताया. 

रात्रि के आठ बजे हैं, ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में गणेश पूजा का एपिसोड आ रहा है. जिसमें मूसलाधार वर्षा हो रही है. कुछ देर पहले क्लब की अध्यक्षा का फोन आया, कैंटीन में उनके द्वारा मंगाए गए उपहार आ गये हैं. पहली बार ऐसा हो रहा है कि सभी सदस्याओं को वार्षिकोत्सव के बाद उपहार दिए जायेंगे. शाम को बेसिक कोर्स का फॉलोअप था, सुदर्शन क्रिया करायी गयी. दोपहर को अगले महीने होने वाले क्लब के एक कार्यक्रम की तैयारी के लिए मीटिंग थी, परसों कुक को बुलाकर मेनू तय करना है. आज सुबह पीछे वाले घर से लड़कियों के रोने की आवाजें आयीं तो नैनी को भेजकर बुलवाया. दो किशोरी कन्याओं को उनके चाचा ने पिता के कहने पर डंडे से पीटा. उसे भी बुलाया, डांटा। लड़कियों को समझाया, वे दोनों रात भर गांव में कोई कार्यक्रम देखकर सुबह घर लौटी थीं. किशोरावस्था में दोनों ने कदम रखा ही है और मित्र बना लिए हैं. आज माली ने बांस का एक गोल ढाँचा बनाया, जिस पर पॉलीथिन लगाना है. क्यारी में बीज डालकर उसे ढकना होगा वर्षा जल से बचाने के लिए. आज फिर दो ठेले गोबर की खाद के खरीदे बगीचे के लिए. यह वर्ष उनकी खेती-बाड़ी के लिए अंतिम वर्ष है, इसलिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है. 

आज का दिन कुछ अलग था, सुबह-सुबह ही प्रेसीडेंट का फोन आया. साढ़े दस बजे वे उपहार में दिए जाने वाला सामान देखने कैंटीन गए, वहां के लोगों का व्यवहार बहुत शालीन था. एक घंटे के अंदर उन्होंने सामान भिजवा दिया.  दोपहर को मृणाल ज्योति गयी, जहां चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष तथा दो सदस्यों से मिलने का अवसर मिला. जिला बाल वेलफेयर अधिकारी भी आयीं थीं. मीटिंग काफी देर तक चली. वे साढ़े तीन बजे घर लौटे. जून सुबह नौ बजे ही दफ्तर चले गए थे और दोपहर को डिब्रूगढ़. विशेष बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार कितनी सजग है, कई बातों की जानकारी हुई. 

मौसम काफी गर्म है आज, सितम्बर का तीसरा हफ्ता चल रहा है पर अभी तक जून का सा आभास हो रहा है धूप में. आज सुबह कुक आया था अक्टूबर में क्लब के कार्यक्रम में नाश्ते व भोजन का जिम्मा उसे दिया गया है. कुछ देर पूर्व टीवी पर राजस्थान सीकर से गुरूजी का ज्ञान सुना जो वे किसी कालेज के छात्र-छात्राओं को दे रहे थे. सीधी-सरल भाषा में उन्होंने ज्ञान के गहरे सूत्र समझा दिए. उनकी बातें इतनी सरल होते हुए भी कितना गहरा अर्थ लिए होती हैं. दोपहर को हिंदी की कक्षा के लिए मृणाल ज्योति गयी. एक से ग्यारह तक गिनती के साथ कुछ शब्द लिखवाये. मोबाइल पर साइन लेंग्वेज में हिंदी सिखाने का तरीका देखा, उसकी सहायता से पढना आसान हो गया है. 

Friday, April 17, 2020

कैटरी-बिल्लियों का घर


सुबह के साढ़े नौ बजे हैं. आज वर्षा नहीं हो रही है, न ही अभी तक धूप तेज हुई है. बाहर का मौसम अच्छा है वैसे ही मन का मौसम भी ! सुबह उठी तो भीतर ध्यान का प्रयास चल रहा था, अर्थात नींद में भी कोई धारा लगातार चलती रही थी. रात को ध्यान करते-करते ही सोयी थी, शिव सूत्र पर प्रवचन चल रहा था, शायद रात भर मोबाइल ऑन ही रह गया, बैटरी खत्म हो गयी. मन में वृत्ति का प्रवाह अब भी चलता है लेकिन उसे देखते ही विलीन हो जाता है और रह जाती है एक अखण्ड शांति ! उन्हें सदा उसी अपने निराकार स्वरूप में रहना सीखना है, व्यर्थ के संकल्प उनकी ऊर्जा को व्यर्थ करते हैं. एकाग्र मन ही शुद्ध मन है. स्थिर बुद्धि ही विवेक है. परमात्मा की शक्ति है चिति शक्ति और उसका विस्तार है आनंद !  जो प्रकृति के रूप में प्रकट हो रहा है. शिव सूत्र में सोलह कला का एक नया सरल अर्थ सुना, तीनों अवस्थाओं के पन्द्रह भेद और सोलहवां मन. उनके भीतर ही सारे प्रश्नों का अर्थ छिपा है, यदि वे अंतर्मुख होकर स्वयं के सारे आयामों से परिचित होना आरंभ कर देते हैं तो परमात्मा की शक्ति सारे रहस्यों को खोलने लगती है. उनका जीवन एक सहज बहती नदी की धारा की तरह है जिसमें समय के अनुसार परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन इस जीवन का आधार सदा एक रस है, जैसे वह आकाश जिसमें सब कुछ स्थित है. 

सुबह उठी तो सवा पांच हो गए थे. प्रातः कालीन  भ्रमण  पर जाते समय और लौटते समय भी भगवद्गीता का पाठ सुना. अद्भुत वचन हैं कृष्ण के, गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जितनी बार भी पढ़ें या सुनें, नया ही लगता है. मन कृष्णमय हो गया है. जून का वीडियो कॉल आया, वह भुवनेश्वर के उस होटल में ठहरे हैं जहाँ लैगून है, जहाँ वे दोनों कुछ समय पहले ही गए थे. कल वह आ रहे हैं. आज एक पुराने मित्र परिवार से मिलने आएंगे. शनिवार की साप्ताहिक सफाई का कार्य चल रहा है. नैनी को बुखार है, उसकी देवरानी आयी है. कल रात आयी थी तो उसकी आवाज बदली हुई थी, कल दोपहर वह बच्चों को लेकर पैदल ही गणेश पूजा देखने गयी थी वह, खिचड़ी खाने का मन था, पर भीड़ बहुत ज्यादा थी, शरारती भतीजे के कारण भी बहुत परेशानी हुई. अभी उसे देखने गयी तो उसके पति ने कहा, नाश्ता बना रही है, यानि बुखार में भी आराम नहीं है. कल मृणाल ज्योति गयी, मूक-बधिर बच्चों को हिंदी भाषा का ज्ञान देना है, उन्हें चित्रों और इशारों के माध्यम से ही पढ़ाया जा सकता है. वहाँ एक अध्यापिका ने बताया, ट्यूबवेल लगाने के लिए स्थान देखने कम्पनी से कुछ लोग आये थे. स्कूल से लौटकर एक कप कॉफी पीने एक सखी के यहाँ गयी, उसका पुत्र लंदन लेस्टर युनिवर्सिटी पढ़ने जा रहा है, तीन साल का कोर्स है. उससे भी मुलाकात हुई, वह खुस था और समझदार भी बहुत है. इंजीनियरिंग कर चुका है, किन्तु पुनः डिग्री कोर्स करने ही जा रहा है. ज्ञान का कोई अंत नहीं है. अभी-अभी नन्हे और सोनू से बात हुई, उन्होंने अपनी बिल्लियों को दो दिन के लिए कैटरी में रखा है, वहां अन्य दस-बारह बिल्लियां रहती हैं और चिड़िया व तोता भी. सोनू एक पजल बना रही थी जो उसके भाई ने जापान से भेजा था. कल वे दोनों नापा वैली जायेंगे, जहाँ उनके भावी नये घर में आंतरिक सज्जा का काम चल रहा है. 

दोपहर के साढ़े बारह बजने को हैं. इतवार के सारे कार्य हो चुके हैं. पिताजी व बड़ी ननद से फोन पर बात भी हो गयी, छोटी का फोन नहीं लगा. वापसी की यात्रा के लिए जून अब हवाई जहाज में बैठ चुके होंगे. 

Thursday, April 16, 2020

चश्मे की कमानी


बागवानी का सब साजो-सामान तो आ गया है पर इंद्रदेव ज्यादा ही कृपालु हो रहे हैं आजकल, मौसम जब साफ होगा तभी क्यारियाँ बनेंगी. आज दोपहर एक सखी के यहाँ तीज की पूजा में गयी, प्रसाद बहुत स्वादिष्ट था. उसने बताया वे तीन परिवार भूटान की यात्रा पर जा रहे हैं. आज योग कक्षा में गुरूजी की पुस्तक से उनका सन्देश पढ़ा, “यदि तुम ध्यान नहीं कर सकते तो बेवकूफ हो जाओ “ सुनकर सभी साधिकाएँ हँसने लगीं. क्या इससे गुरूजी का तात्पर्य  है कि इस जगत में दो ही सुखी हैं, एक ध्यानी और दूसरा निपट गंवार. जो बुद्धिमान हैं उन्हें दुःख का अनुभव होगा ही. आज बहुत दिनों बाद छोटी बहन से बात हुई, उसने एक सुंदर गीत गाया व्हाट्सएप पर, सुबह नूना ने नृत्य किया, भीतर प्रसन्नता हो तो किसी न किसी तरह बाहर व्यक्त हो ही जाती है. भीतर स्थिरता का साम्राज्य दृढ हो रहा है, गुरु जी कहते हैं, मौन से ही उत्सव का जन्म होता है ! 

कल दिन भर कुछ नहीं लिखा. अभी सुबह के सवा आठ बजे हैं, जून से फोन पर बात हुई, वह टूर पर हैं. चश्मा टूट जाने की बात उन्हें बतायी। उन्होंने बिलकुल सही कहा, वह चश्मे को सावधानीपूर्वक नहीं रखती है. वह बहुत वस्तुओं का महत्व नहीं समझती है, उन्हें ‘टेकेन फॉर ग्रांटेड’ लेती है, पता नहीं हिंदी में इसे क्या कहेंगे. यह स्वभाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वह सत्य को, परमात्मा को भी अपना सहज स्वभाव ही मानने लगी है. भीतर जाकर जिस मौन से मुलाकात होती है, आनंद व शांति का अनुभव होता है वह सत्वगुणजनित भी तो सकती है. परमात्मा तो अनंत है, वह इस छोटे से मन में कैसे समायेगा. जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति व तुरीय, इन चारों को देखने वाला जो आत्मा है, द्रष्टा है, उसमें टिकना है. वह इस समय हाथ से लिख रही है, आँख से देख रही है, यह जाग्रत अवस्था है. यदि लिखते-लिखते कोई भूत या भविष्य का कोई विचार आ जाये और वह उसी में खो जाये तो यह जाग्रत स्वप्न होगा. यदि यह कर्म भी न हो, चिंतन भी न हो तब जाग्रत सुषुप्ति भी घट सकती है और मन बिलकुल खाली हो तब चौथी अवस्था. स्वप्न में मन कैसे-कैसे दृश्य दिखाता है, कल रात्रि वह ध्यान करके सोई थी, एक स्वप्न में मछलियाँ व किसी के कटे हाथ देखे. एक दिन मछली का वीडियो देखा था, और उस दिन स्कूल में पढाते समय एक छात्रा के हाथ देखे जिसमें तीन उँगलियाँ जुड़ी थीं, शायद उसी का प्रभाव हो. सुबह टहलकर लौटी तो माली को बगीचे में सफाई करने को कहा, उसने फूलों वाले पेड़ की छंटाई कर दी, उसे डांटा. उस दिन एक सखी को जब अपने घर के भीतर और बाहर पेड़ कटने की बात से दुःख हो रहा था तो वह उसे समझा  रही थी कि चिंता न करे, पुनः डालियाँ हरी हो जाएँगी. ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’. कुछ देर पूर्व ही चश्मे की कमानी उसकी असावधानी से टूट गयी थी, वह पीड़ा शायद  क्रोध भरे शब्दों में व्यक्त हुई हो, ऊर्जा तो एक ही है उससे कोई भी काम लेना उनके हाथ में है. यदि वे जाग्रत हैं तब, स्वप्न में उन्हें अपनी ऊर्जा पर नियंत्रण नहीं रहता. सुषुप्ति में तो खुद का भी भान नहीं रहता. तुरीय में ऊर्जा अपने आप में ही विश्राम करती है. स्वयं को जानती है. 

कल रात सोने से पूर्व नाईट क्वीन फूल की तस्वीरें उतारी थीं, जिन्हें अभी फेसबुक पर पोस्ट किया. लोग इन तस्वीरों को देखकर प्रफ्फुलित हों इतना ही उद्देश्य है इन्हें प्रकाशित करने के पीछे. इसी तरह ब्लॉग्स पर पोस्ट लिखने के पीछे भी. लोगों को योग सिखाने के पीछे भी यही उद्देश्य है कि उनके जीवन में बदलाव आये, वे सकारात्मक बनें. अपनी भूलों को स्वीकारने की क्षमता उन्हें प्रभु दे तो वे भूलें उनके पथ का दीपक बन जाएँगी, वरना बार-बार वे उन्हीं भूलों को दोहराते रहेंगे. इसी लिए सन्त कहते हैं, भूलें तो करो पर नई-नई, पुरानी को ही न दोहराते रहो. कल शाम एओएल सेंटर गयी, अच्छा लगा, गणेश पूजा का उत्सव था, भजन गाये. दोपहर को घर पर उत्सव मनाया था. नैनी ने गणपति की मूर्ति का बहुत सुंदर श्रृंगार किया. बच्चे बहुत खुश थे, उन्हें प्रसन्न देखकर  उसे जो प्रसन्नता हुई, क्या उसके पीछे अहंकार था, नहीं, केवल परमात्मा का आनन्द था ! सुबह स्थानीय पूजा मण्डप में गयी, विशाल मूर्ति लगाई है वहाँ, बड़े-बड़े मोदक भी थे, सारा वातावरण उल्लासमय था, वहीं से उड़िया समाज की पूजा देखने गयी, पण्डित जी मन्त्र जाप कर रहे थे, जिन्हें सुनने वाला कोई नहीं था. कुछ देर बैठकर वह घर आ गयी. आज दस बजे बाजार जाना है, चश्मा बनवाने. आज हिंदी दिवस है. 

Tuesday, April 14, 2020

फिटबिट का लक्ष्य


आज भारत बंद  के कारण जून दफ्तर नहीं जा पाए और वह स्कूल. दफ्तर का मुख्य द्वार बंद है. स्कूल भी बंद  है. पिछले एक घण्टे से वर्षा हो रही है, माली ने बगीचे में कार्य आरंभ किया ही था कि तेज बूंदें पड़ने लगीं. सुबह चार बजे से कुछ पहले नींद खुली, उसके पहले स्वप्न जैसा कुछ चल रहा था, फिर तारे दिखे और मन में विचार आया, वहीं पहुँच गए जहाँ से चले थे. साधना के आरंभ में ऐसा दृश्य दिखता था तो मन कैसा प्रसन्न होता था पर अब सदा एकरस रहता है. कल दीदी से बात हुई, एक दिन उन्हें सप्तर्षि दिखा बिल्कुल स्पष्ट ! सुदर्शन क्रिया के बाद उन्हें बांसुरी की धुन सुनाई दी थी. उन्होंने कहा कि सम्भवतः उनका यह अंतिम जन्म हो अथवा एकाध जन्म और लेना पड़े. वह देवदूत की बात भी कर रही थीं कि उन्हें सदा कोई अदृश्य सहायता मिलती है, और सम्भवतः वह भी भविष्य में ऐसा ही करें. कल छोटे भाई से भी बात हुई, वह किसी पुस्तक के बारे  में बात कर रहा था. ‘सीक्रेट ऑफ़ द सीक्रेट्स’ उसे घर पर मिल नहीं रही है, शायद किसी ने पढ़ने के लिए ली थी. बहुत दिन पहले वह उसकी एक किताब लायी थी जो इस बार वापस ले जाएगी. अभी-अभी फोन पर जून ने अपने एक सहकर्मी  को कार की दुर्घटना की बात बतायी, एक अन्य मित्र को वह गाड़ी के गैराज में रहने की बात बता रहे थे. उसने उन्हें मना किया, कारण स्वयं के अपमान का नहीं है, बल्कि लोगों को व्यर्थ ही परेशान न करने की भावना है. उसके भीतर की समरसता को अब बाहर की स्थिति, व्यक्ति या वस्तु अब प्रभावित नहीं करते पर औरों के मन की बात वह जान सकती है. उन्हें अच्छा तो नहीं ही लगेगा. डायरी के इस पेज के नीचे लिखी सूक्ति भी इसी बात की गवाही देती है. जो कहती है ‘अपनी चोटों को रेत पर लिखो और अपने लाभों को पत्थर पर’ जून कुछ देर पहले कह रहे थे कि पुलिस यदि साथ दे तो भारत बंद सफल नहीं हो सकता, वही हुआ, उनके एक सहकर्मी का फोन आया  है, उसने कहा, पुलिस आयी है, गेट खुल गया है, वह उन्हें ले जाने आ रहे हैं. 

आज का दिन उसे सदा स्मरण रहेगा. आज पहली बार उनके घर में ध्यान कक्ष में सुदर्शन क्रिया हुई, गुरुजी की आवाज में रिकार्डेड कैसेट जब बज रहा था एक अनोखी प्रसन्नता का अनुभव हो रहा था. शाम को एओएल एक एक टीचर ठीक साढ़े चार बजे पहुँच गए थे, साढ़े छह बजे फॉलोअप समाप्त हो गया. आज छोटे भाई ने एक समाचार भेजा, एक बयासी वर्षीय महिला टीवी पर साक्षात्कार देते हुए मृत्यु को प्राप्त हो गयी, कितनी सहज थी उनकी मृत्यु. परसों गणेश पूजा है, सुबह उड़िया समाज की पूजा में निमन्त्रण है, दोपहर को उनके यहां महिलाएं व बच्चे आएंगे. शाम को हो सका तो सेंटर जाना है, वहां सत्संग है. दोपहर को नैनी ने बताया घर में झगड़ा हुआ है, देवरानी से बोलचाल बंद है. 

आज भी दिन भर झड़ी लगी रही. रात्रि भोजन बाद भ्रमण के लिए बाहर निकले , पांच मिनट  के लिए वर्षा रुकी थी, फिर आरंभ हो गयी. पन्द्रह हजार कदम का फिटबिट का लक्ष्य अधूरा ही रह गया. अब कमरे में ही टहलकर पूरा तो करना है. आज तीसरे दिन बगीचे में उगी तोरई की सब्जी बनाई, बिना किसी रासायनिक खाद के उगी ऑर्गेनिक सब्जी. सर्दियों की फसल के लिए तैयारी शुरू कर दी है. गोबर, चूना, कम्पोस्ट खाद व बांस आदि सभी आ गए हैं और बीज भी. 

Saturday, April 11, 2020

श्वेत गुलाब


पौने ग्यारह बजे हैं. आज का दिन कुछ भारी है शायद या फिर अभी वह अनाड़ी है. आज सुबह कार लेकर गयी, कालोनी में ही एक चक्कर लगाया, वापस आयी तब तक भी ड्राइवर नहीं आया था , सो अकेले ही बाजार चली गयी, ट्रैक्टर को ओवरटेक करते हुए गाड़ी का बायां भाग लग गया. कार को गैराज में ले जाना पड़ेगा. कल रात को नींद खुलती रही, फिटबिट सब खबर रखता है. बहुत दिनों बाद सब्जी में प्याज डाला, कैसी अजीब सी लग रही थी उसकी गंध. सात्विक भोजन खाकर  तन-मन दोनों ही हल्के रहते हैं. एक सीनियर महिला ब्लॉगर ने उसकी तीन पोस्ट्स को ब्लॉग बुलेटिन में जगह दी, इसका अर्थ है उन्होंने अवश्य ही उन्हें ध्यान से पढ़ा भी होगा. इस समय रात्रि के आठ बजे हैं, जून अपने मोबाइल पर व्यस्त हैं. दोपहर को वे गाड़ी बनने के लिए दे आये, दो हफ्तों बाद मिलेगी. अब भविष्य में बहुत सतर्क होकर गाडी को हाथ लगाना होगा, फ़िलहाल कालोनी में चलाना ही ठीक रहेगा. उसके बाद तिनसुकिया गए, छाता बन गया, सब्जियां-फल आदि खरीदे. जून को भी गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने का ज्यादा बुरा नहीं लगा, उन्होंने पहली बार इंश्योरेंस क्लेम किया है. कल स्कूल में मीटिंग ठीक रही, अब कुछ महीने बाद स्टेज बनने का कार्य आरम्भ हो जायेगा. समय का सदुपयोग करना हो तो पुस्तक पढ़ने से अच्छा कौन सा काम हो सकता है, कल वी एस नायपॉल की अच्छी सी पुस्तक लायी थी, पढ़ना आरम्भ किया है. नन्हे व सोनू के चश्मे गाड़ी से सामान निकालते समय मिले, उन्हें याद ही नहीं था कि वहां रखे थे.  

‘इंसान जिसके बारे में सोचता है, वैसा ही बन जाता है’. वे वही बन जाते हैं, जैसा वे बनना चाहते हैं, जैसा वे सोचते हैं. मन की गहराई में जो आकांक्षा बलवती होती है, वह एक न एक दिन मूर्तरूप अवश्य लेती है. वह बचपन से ही अध्यापिका बनना चाहती थी, पढ़ना और पढ़ाना, ये दो ही उसके प्रिय कार्य रहे हैं. परमात्मा ने उसे इस योग्य बनाया है कि वह अन्य लोगों को ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे सकती है. आज यदि वह अपने भीतर जाये तो वहां कोई आकांक्षा नहीं मिलेगी, एक मौन और सन्नाटा ! पर वह मौन रसपूर्ण है, एक सहज शांति उसमें से पल-पल रिसती रहती है. खिड़की से बाहर हरियाली नजर आ रही है, पौधे, वृक्ष कैसे शांत खड़े हैं. हवा का एक कण भी नहीं है, आकाश भी थिर है, वर्षा के बाद का खुला, स्वच्छ आकाश ! दूर से पंछियों की आवाजें आ रही हैं और घास काटने की मशीन की भी. अचानक हवा बहने लगी है और अब श्वेत गुलाब की टहनी हिलकर स्थिर हो गयी है. वह जिस आकाश में स्थित है वह तो सदा ही स्थिर है. मन का आकाश भी सदा अडोल है. उसमें विचारों का स्पंदन होता है, जो साक्षी है वही मन बन जाता है और वही स्वयं में ठहर जाता है. नैनी किचन में काम कर रही है, उसने कहा, शरीर में दर्द है, उसे क्रोसिन की दो टेबलेट दी हैं. आजकल उसके पास सिलाई का काम आ रहा है, शायद झुक कर, देर तक सिलाई करने से ही ऐसा हुआ हो. दो दिन बाद गणेश पूजा है. उसी दिन वे बच्चों को नए वस्त्र देंगे. 

Thursday, April 9, 2020

चिड़िया की कूजन


दोपहर के ढाई बजे हैं, कुछ ही देर में दोपहर की योग कक्षा के लिए महिलाएं आएँगी. कुछ देर पहले दो ब्लॉग्स पर लिखा. कमरे में एसी चल रहा है पर उसकी आवाज को भी चीरते हुए बाहर से चिड़िया की मधुर चहकार आ रही है, भले ही तेज धूप हो पर इसके बावजूद पंछी दोपहर भर  कूजते हैं, विश्राम वे रात को ही करते हैं सूर्यास्त के बाद. कल शिक्षक दिवस सोल्लास मनाया, सुबह मृणाल ज्योति में, दोपहर को बाहर बरामदे में बच्चों के साथ और शाम को गायत्री समूह की योग साधिकाओं के साथ ! गुरूजी के प्रेम का जादू उन पर भी चलने लगा है, कल वे बहुत सुंदर दीपदान लायीं पूजा कक्ष के लिए, साथ ही ढेर सारी खाने की वस्तुएं, उनका उत्साह देखते ही बनता था. एक ने कबीर के दोहे गाए, दूसरी ने अपनी रची दो पंक्तियाँ और एक अन्य ने सुंदर बंगाली भजन गाया।  मन होता है उनके लिए एक कविता लिखे. दोपहर को भी बच्चों ने सुंदर सजावट की. समोसे, केक व कोल्डड्रिंक्स का इंतजाम किया, उन्होंने आपस में पैसे जमाकर के ये सामान खरीदा. उनका भी उत्साह बहुत था. स्कुल में सभी टीचर्स को उपहार अवश्य ही पसन्द आये होंगे. कल जाने पर फीडबैक मिलेगा. जीवन एक उत्सव है , यह गुरूजी का वाक्य सत्य सिद्ध हो रहा है. दोपहर बाद उसने लिखा 

दिलों में प्रेम और उत्साह भरे
चमकते हुए ख़ुशी से आपके चेहरे
चुपके-चुपके से उत्सव का आयोजन
मानो लौट आया हो फिर से बचपन

दीप स्तम्भ सजा थाल में
 भरा मिष्ठान और फूलों-फलों से
चहकते पंछियों से सुमधुर गान
याद आएंगे जब तक हैं प्राण

गुरु का ज्ञान जब फलता है
तभी जीवन में ऐसा फूल खिलता है
मिलन घटता है पावन आत्माओं का
जीवन एक सुवास बन झरता है

वैसे तो कभी न आएगा अब
पतझड़ दिल के मौसम में
यदि कभी भूले से आ भी जाये
तो इस शाम का वसन्त भर देगा उसे
जीवन पथ को प्रकाशित कर देगा
फूलों, दीपों और मिठास से

बनी रहे इसी तरह मुखड़े पर मुस्कान हर पल
भरी रहे जीवन सरिता छल छल
कोई आस न रहे अधूरी, हर साध हो पूरी
क्योंकि खुद को जानकर मिल जाती है
श्रद्धा और सबूरी !

सुबह के पौने आठ बजे हैं, ड्राइवर अभी आने वाला होगा, फिर कार निकालेगी, वैसे अकेले भी जा सकती है पर घर में सफाई का काम चल रहा है. पोहे का नाश्ता किया और केला, जून ने कहा केला खाने से वजन बढ़ता है. वह बंगलूरू में अपना मेडिकल चेकअप कराके आये हैं, उनका वजन ज्यादा है. उन्होंने टहलने का वक्त भी बढ़ा दिया है और लंबा रास्ता लिया है पहले से. वापस आकर भी देह में स्फूर्ति नहीं लग रही थी, तमस का अनुभव हुआ पर प्राणायाम से फर्क पड़ा. कल रात को नींद ठीक से नहीं आयी, जून को एओल के कोर्स में जाने के लिए दुबारा कहा तो वह नाराज हो गए और उनकी नकारात्मक ऊर्जा शायद उसे विचलित कर रही हो, सूक्ष्म स्तर पर ऐसा हो सकता है. कुछ वर्ष पूर्व किसी आवाज ने भीतर से बार -बार कहा था, दूसरे कमरे में सोने जाओ पर वह भीरु आजतक हिम्मत नहीं जुटा पायी, जून क्या सोचेंगे, उन्हें बुरा लगेगा. इसलिए विवाह को बन्धन कहा गया है, एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना होगा. आँखों में नींद का सा अनुभव हो रहा है अब बाहर जाना चाहिए. कल दोपहर बाद मृणाल ज्योति की एक परिचारिका को देखने अस्पताल जा रही थी, एक अध्यापिका से पता चला वह दो दिन पूर्व ही रिलीज हो गयी है. सो पब्लिक लाइब्रेरी चली गयी, एक किताब ली, लाइब्रेरियन ने बताया, माह के अंत में बच्चों की कहानी प्रतियोगिता है, जिसमें कक्षा छह से दस तक के छात्र-छात्राएं भाग लेंगे. उसे हिंदी में निर्णायक के रूप में सहायता करनी है. कल मृणाल ज्योति में मीटिंग है, विधान परिषद के एक सदस्य ने पांच लाख की सहायता का वचन दिया है जिससे स्कूल में एक स्टेज बनेगा, जहां भविष्य में कई कार्यक्रम हो सकते हैं. 

Saturday, April 4, 2020

डॉ राधाकृष्णन का जन्मदिन


परसों दोपहर अचानक एओल के एक स्वामी जी का फोन आया. नेट पर सेवा देने को कह रहे थे. उसे बहुत ख़ुशी हुई. वर्षों पूर्व जब वह असम आये थे उनसे मिले थे. उन्होंने एक फार्म भेजा जिसका कंटेंट एक दूसरे फार्म में भरना था, उसने भर दिया. उन्होंने कहा, अगले दिन यानि कल सुबह वह पुनः अन्य फार्म भी भेजेंगे. पर अभी तक कोई संदेश नहीं आया है, खैर.. परसों और कल सुबह तक मन कितना  प्रसन्न था, गुरूजी के काम में कुछ मदद करने का मौका मिल रहा है , यह विचार मन को उच्च भावों में ले जा रहा था. कल दोपहर एक अन्य बात हुई, लगभग चालीस-पचास मिनट के लिए मन बिलकुल खो गया, गहन सुषुप्ति या समाधि... शाम तक उसका असर रहा. बेवजह ही मन एक गहन प्रसन्नता का अनुभव कर पा रहा था. कल शाम को भजन का कार्यक्रम भी अच्छा रहा. जून ने लड्डू बनाये, उसने उनकी सहायता की, रात्रि भौजन बनाया, सब करते हुए भी कुछ करने का अहसास नहीं हो रहा था, पर रात को नींद वैसी नहीं थी. एक दुःस्वप्न भी देखा. अपने पूर्व संस्कार को पुनः जागृत होते हुए देखा, लगता था मन अब उससे पूर्ण मुक्त हो गया है. प्रेम जब एकाधिकार चाहता है तब विकृत हो जाता है, और इसके मूल में है अहंकार यानि देह को अपना स्वरूप मानना। आत्मा कुछ भी नहीं है तो वह किसी पर क्या अधिकार करेगी, फिर उसके सिवा कुछ अन्य है भी तो नहीं, जब तक मूल ग्रन्थि नहीं कटेगी कोई न कोई विकार जगता ही रहेगा. स्वप्न में भी उस पीड़ा महसूस किया. आज की रात्रि ध्यान में गुजरेगी ऐसा प्रयत्न रहेगा, आगे आने वाली चार रात्रियाँ भी. 

सितम्बर का प्रथम दिन ! यानि आषाढ़ का प्रथम दिन ! सुबह से मूसलाधार वर्षा हो रही है. सफाई कर्मचारी ने फोन किया, बारिश रुकने पर ही आएगा. व्हाट्सअप भी नहीं चल  रहा है और फोन भी आधा चार्ज है, बिजली छह बजे से ही नदारद है, बिजली न होने से घर में अभी भी रात्रि जैसा ही प्रतीत हो रहा था सो वह बाहर बरामदे में आ गयी है. सामने लॉन में पेड़-पौधे, हरी घास सभी भीग कर प्रसन्न हो रहे हैं. कल रात्रि कुछ देर समाचार देखे, जून बाहर गए हैं, उनके रहने पर तो टीवी नौ बजे बन्द हो जाता है. कश्मीर में आतंकवादी पुलिसवालों के परिवार जनों को अगवा करने पर उतर आये हैं. माओवादी प्रधानमंत्री को हटाने की योजनाएं बना रहे हैं. देश में रहकर देश के विरुद्ध कार्य करने वाले जयचंदों की कमी नहीं है. सरकार सभी वर्गों के लिए कितना कार्य कर रही है यह उन्हें नजर नहीं आता. प्रधानमंत्री के लिए कितना कठिन होता होगा हर दिन, उनके लिए तो सभी देशवासियों को शुभकामनायें भेजनी चाहिये. सुबह पौने पांच बजे नींद खुली, उस समय वर्षा रुकी थी, सो टहलने गयी, बाहर ही बैठकर प्राणायाम किया, घर आते ही बिजली चली गयी थी. नाश्ते में मूसली खायी, जून के न रहने पर रोज सुबह यही नाश्ता होता है या कॉर्न फ्लेक्स. अब वर्षा कुछ कम हुई है, नैनी झाड़-पोंछ कर रही है, साप्ताहिक सफाई के लिए स्वीपर भी आ गया है. कुछ देर पहले प्रेसीडेंट का फोन आया, वह कल शाम मेडिकल चेकअप कराकर लौट आयी हैं. दो बार बायोप्सी हुई, काफी तकलीफदेह रहा उनका अनुभव. अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हैं. रिपोर्ट दो दिन बाद आएगी. उम्मीद है सब ठीक होगा. नौ बजे उनके घर जाना है, उसके पूर्व बुखार से पीड़ित योग साधिका के यहां जाया जा सकता है. 

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, आज कुछ लिखने की इच्छा जगी है क्योंकि कल शिक्षक दिवस है. मृणाल ज्योति जाना है, जहाँ कुछ बोलने के लिए भी कहा जायेगा.,  शिक्षक दिवस डॉ राधाकृष्णन,  जो शिक्षाविद तथा दार्शनिक थे, की याद में 1962 से मनाया जाता है. उनका जन्म पांच सितम्बर अठारह सौ अठ्ठासी को हुआ था. वह दो बार भारत के  उप राष्ट्रपति रहे, फिर राष्ट्रपति बने. वह पूरी दुनिया को विद्यालय मानते थे, कहते थे कहीं से भी सीखने को मिले तो उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. एक बार उनके कुछ विद्यार्थी उनका जन्मदिन मनाने के लिए अनुमति लेने गए तो उन्होंने कहा इसे केवल मेरे लिए नहीं सभी शिक्षकों के सम्मान में मनाओ. गूगल से मिली इतनी जानकारी तो बहुत है, शेष दिल में जो विचार उस समय आएंगे, बोल दिए जायेंगे. उसने मन ही मन सोचा, शिक्षक विद्यार्थी का मित्र भी होता है और मार्गदर्शक भी. वह उसे केवल किताबी ज्ञान ही नहीं देता, अपने जीवन से भी बहुत कुछ सिखाता है. वह कभी कठोर भी हो सकता है पर उसका उद्देश्य केवल छात्रों की उन्नति करना और उन्हें बेहतर इंसान बनाना ही होता है. शिक्षक समाज का निर्माण करता है. दस बज गए हैं, अब सोने की तैयारी करनी चाहिए.आज नैनी की छोटी बेटी का जन्मदिन था, उसे एक गमछा दिया व एक बिस्किट का पैकेट. शाम को योग कक्षा में एक साधिका जन्माष्टमी का प्रसाद लायी, धनिये की पंजीरी जिसमें गोंद भी थी, उसने पहली बार खायी. दोपहर को सबने मिलकर गिफ्ट्स पैक किये. आज राधा-कृष्ण के असीम प्रेम व विरह वाला कृष्ण का अंक देखा, कितना गहरा था उनका प्रेम ! प्रेम ही इस जगत का आधार है, यदि प्रेम न हो तो इस जगत में क्या आकर्षण रह जायेगा, प्रेम ही तो ईश्वर है ! कल जून आ रहे हैं, कल इस समय तक तो वे सो चुके होंगे. 

Friday, April 3, 2020

पनियप्पम का स्वाद

सवा तीन बजे हैं दोपहर बाद के, आज का दिन विशेष रहा है अब तक. सुबह योग कक्षा के लिए स्कूल गयी, वापस आकर डिब्रूगढ़, जून ने कम्पनी के परिवहन विभाग के एक व्यक्ति से बात कर ली थी, उन्होंने मोटर वाहन इंस्पेक्टर से बात की, और लाइसेंस के लिए जो भी आवश्यक कार्यवाही थी, उन्हें सामने बैठाकर ही पूरी करवा दी. जिला परिवहन अधिकारी नहीं थे इसलिए कार्ड नहीं मिला. शायद दो-तीन दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस मिल जायेगा. एक नया ड्राइविंग स्कूल भी खुला है यहाँ, उसके बारे में जानकारी दी. जान-पहचान से किस तरह काम आसान हो जाता है. वापस लौटकर भोजन किया, कुछ देर विश्राम फिर क्लब की दो सदस्याएँ आ गयीं, शिक्षक दिवस के लिए उपहार पैक किये. चालीस मिनट में चौंतीस उपहार पैक हो गए. एक ने सेलो टेप काट कर दिया, दो ने पैक किया, टीम वर्क का अच्छा उदाहरण था. उन्हें खाने-पीने का भी कुछ सामान ले जाना होगा. उसने सोचा आखिर जीवन का उद्देश्य क्या है, ऐसा नहीं है कि पहली बार सोचा है, पर हर बार कोई न कोई नया उत्तर भीतर से आता है. आज उसे लगा, वे इस दुनिया में कुछ सीखने और उन्नत होने के लिए ही आये हैं. क्यों न वे आनंद का स्रोत बन जाएँ और अपने इर्द-गिर्द उस ख़ुशी को फैलने दें. परमात्मा हर जगह है पर उसके होने से जगत में क्या अंतर आता है, उसकी उपस्थिति को उन्हें अनुभव करना होता है, जो अज्ञान से ढकी हुई है. वह आनंद स्वरूप है पर जब तक वे प्रसन्न नहीं होंगे उसके होने का प्रमाण कैसे मिलेगा. इस समय पौने ग्यारह बजे है सुबह के. दोपहर का भोजन लगभग बन गया है, आज जून की पसन्द का आलू रायता, सफेद बैंगन और मूंग की खिचड़ी बनी है. शाम को जून के दफ्तर में बैंगलोर से आये दो जन खाने पर आ रहे हैं. वह बेक्ड वेज, भरवां शिमला मिर्च व काले चने की सब्जी बनाने वाली है. जून ने कस्टर्ड सुबह ही बना दिया है. आज नैनी को पूजा के लिए लाये उपहार दे दिए, उसे सूट पसन्द आया है, बच्चों के कपड़े भी उसे अच्छे लगे. कोलकाता में तेज धूप में घूमते हुए उन्होंने ये ख़रीदारी की थी। आज एक घन्टा कार चलाई, एकाध स्थल पर कुछ समस्या हुई पर धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ रहा है. उसने आर्ट ऑफ़ लिविंग की एक स्थानीय टीचर को फोन किया, संदेश भी भेजा, पर शायद वह व्यस्त हैं. योग कक्षा में आने वाली महिलाओं के लिए बेसिक कोर्स करवाने का जो स्वप्न उसने देखा है गुरु जी को समर्पित कर दिया. पिछले दो दिन नहीं लिखा, आज से एओल का कोर्स आरम्भ हो रहा है जिसे उसके कहने पर एओल की एक शिक्षिका अपने घर पर करवा रही हैं. किसी समय उसे भी अन्य लोग कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित करते थे, अब वह दूसरों को कर रही है. कुल छह महिलाएं हैं और तीन उनके घर के निकट की हैं. एक सखी ने पहले हाँ कही थी, पर अब उसके यहाँ मेहमान आने की सम्भावना है, एक अन्य को बुखार हो गया है, कल उसे देखने जाना है. हो सकता है उसके खान-पान में कुछ गड़बड़ हो, उसे अक्सर पेट की समस्या रहती है. कल सुदर्शन क्रिया में वह तथा दो अन्य साधिकाएं भी जाएँगी. आज सुबह जून गोहाटी गए हैं, जाने से पहले पनियप्पम खाया. दक्षिण भारतीय व्यंजन जो खमीर उठा के बनाते हैं, देह में भारीपन लाते हैं. आज फेसबुक पर गुरूजी की तस्वीर प्रकाशित की, कल शाम नैनी ने पूजा घर में सुंदर फूल सजाये थे, तस्वीर सुंदर आयी है. आज सुबह सफाई कर्मचारी की पत्नी फिर आयी थी, उसका पति रात को घर नहीं लौटा, जिस स्त्री के घर वह रात को रुका था, वह सुबह डंडा लेकर पहुँच गयी, पति के बाहर निकलते ही उसे मारा पर आदमी ने उलटे उसे ही मारना शुरू कर दिया. जिस समय वह आयी थी, जून घर आये थे, नाश्ता करके उन्हें निकलना था, उसकी बात वह सुन नहीं पायी. वह बिना कुछ कहे चली गयी. सफाई कर्मचारी ने बाद में यह सब स्वयं बताया. वह एक निर्लज्ज व्यक्ति है जो अपनी बुराई को भी आराम से बताता है, शायद उसकी दृष्टि में वह कुछ गलत नहीं कर रहा. उसे कड़े शब्दों में चेताया तो है पर उस मोटी खाल पर कुछ असर होता नजर नहीं आता. उसकी डांट सुनकर वह हँस रहा था. उसका मुख दूसरी तरफ था पर दर्पण में सब दिखाई पड़ गया. उसने हिन्दू धर्म त्यागकर ईसाई धर्म अपना लिया है, जिसमें शायद उसे सही-गलत का भेद करना भी नहीं सिखाया जाता.