Tuesday, May 26, 2020

नागालैंड फेस्टिवल



आज सुबह वे उठे तो बाहर गहन कोहरा था. इस वर्ष ठंड जल्दी शुरू हो गयी है और ज्यादा भी है. दो वर्ष पहले वे इस समय पंखा चलाते थे, आज ही पुरानी डायरी में कुछ देख रही तो पढ़ा. जून टीवी पर नागालैंड के बारे में यू ट्यूब का एक वीडियो देख रहे हैं, जिसमें ग्रीन विलेज खोनोमा पर एक डाक्यूमेंट्री दिखाई जा रही है. ‘खोनोमा’ एक गाँव है, जहाँ पहले जंगल काटे जा रहे थे तथा शिकार के द्वारा जंगली जानवरों को खत्म किया जा रहा था पर वहां की जनता सजग हो गयी और अब वह स्थान पुनः हरा-भरा हो गया है. इस माह के अंत में वे वहाँ जाने वाले हैं. नागालैंड की यात्रा में उन्हें अपने साथ कुछ रेडी टू ईट वाला भोजन भी ले जाना होगा. वहां शाकाहारी भोजन मिलने में कुछ परेशानी हो सकती है. आज से क्लब के वार्षिक कार्यक्रम के लिए रिहर्सल भी आरंभ हो गयी है. आज बंगाली सखी का जन्मदिन है, दो वर्ष पहले तक वे उनके घर जाकर बधाई देते थे पर आज व्हाट्सएप पर ही शुभकामनाएँ दे दीं. वक्त बदलता है तो लोग भी बदलते हैं और रिश्ते भी बदलते हैं. छोटी बहन के यहाँ दो दिन बाद सत्संग है, गुरूजी के यूएई आने की ख़ुशी में. 

फिर कुछ दिन का अंतराल ! दिन जैसे पंख लगाकर उड़ रहे हैं. इस समय रात्रि के आठ बजे हैं. जून आज देश की राजधानी गए हैं, नन्हा भी जाने वाला था पर अभी तक उसे उस अस्पताल के मैनजमेंट ने डेट नहीं दी जो उनके क्लाइंट हैं. जून ने उसे देने के लिए सामान भी खरीद लिया था, जो अब घर ले आएंगे. गुरूजी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन लिखे उसके कमेंट पर कमेंट किया है यू ट्यूब पर, यह अवश्य ही उनकी टीम ने किया होगा, उनके पास इतना समय नहीं होता होगा, पर वह चाहें तो सब कर सकते हैं. उनकी कृपा का ही फल है कि आज विश्व में लाखों व्यक्ति अध्यात्म से जुड़ रहे हैं. वह कहते हैं, जीवन में जो भी दुःख आता है वह अज्ञान का फल है, उन्होंने कभी न कभी इस दुःख का बीज डाला था. वे जितना-जितना बाहर सुख खोजते हैं भीतर का सुख ढक जाता है. भीतर का सुख भुलाकर जब बाहर से लेने जाते हैं तो इसे ही मोह कहते हैं. सुख के लिए बाहर किसी को दुःख नहीं देना है, संसार की कोई वस्तु इतनी कीमती नहीं है जिसके लिए संसार को दुःख दिया जाये. भीतर का सुख खो न जाये इसके लिए भी सजग रहकर किसी को दुःख न हो जाये, इसका ध्यान रखना है.

नागालैंड की यात्रा से वे लौट आये हैं, यात्रा सुखद थी और यादगार भी. वर्ष का अंतिम महीना आ गया है. देखते ही देखते यह वर्ष भी विदा हो जायेगा. इस महीने कई कार्यक्रम हैं, पहले सप्ताह में घर में डिनर पार्टी है, जो चार परिवार एक साथ मिलकर नागालैंड गए थे, वे सभी एक साथ मिलकर उन तस्वीरों को देखेंगे और एक नागा परिवार को बुलाएँगे जिसने इस यात्रा में उन्हें सहयोग दिया. दूसरे सप्ताह में महिला क्लब का वार्षिक उत्सव है. जिसकी तैयारी में उसे भी काफी समय देना पड़ेगा. उसके अगले दिन ही जून के पूरे विभाग की पिकनिक पार्टी है. उसके तीन दिन बाद उन्हें दुबई की यात्रा पर निकलना है. जहाँ से नए वर्ष के आरंभ  होने के बाद ही लौटना होगा. आज छोटे भाई के विवाह की सालगिरह है. 

कल का पूरा दिन विभागीय पिकनिक के नाम था. वे लोग सुबह जल्दी ही निकल गए थे, नदी किनारे टैंट लगाया, एक मेज भी ले गए थे जिसपर सुबह का नाश्ता लगा दिया गया था. फुटबाल, बैडमिंटन, रस्साकशी आदि खेलने का भी प्रबंध था. नदी में उतरे वे लोग फिर धूप में रेत पर लेटे रहे, कुछ लोगों ने गाने गाये, कुछ ने अभिनय किया. कुछ यूँही टहलते रहे. दोपहर का भोजन एक रेस्तरां वाला लेकर आया, वह अपने साथ ही सब कुछ लाया था बड़ी सी वैन में. दो मेजें जोड़कर उसने लन्च सजा दिया. उसे वह पुराने दिन याद आये जब पूरा भोजन खुद बनाया जाता था, लकड़ी का चूल्हा जलाकर, दो-तीन पत्थर जोड़कर वे चूल्हा बनाते थे. घण्टों खाना बनाने में ही लग जाते थे, पर उस भोजन का स्वाद ही अलग होता था. अब कोई भी यह ज़िम्मेदारी उठाना नहीं चाहता सो बना-बनाया भोजन ही मंगवाना पड़ता है. 

Thursday, May 21, 2020

दीवाली की उजास


आज पूरे नौ दिन बाद डायरी उठायी है. पिछली बार की जो एंट्री है, उसी दिन नन्हा व सोनू आये थे. उसके बाद दिन कैसे बीतते गए, समय का जैसे पता ही नहीं चला. उसी दिन शाम को वे ही उसे महिला क्लब की मीटिंग के लिए छोड़ने गए. अगले दिन उसे स्कूल जाना था. अगले दो दिन जून ने छुट्टी ली थी, उसी दिन उन्होंने दीपावली के विशेष भोज का आयोजन किया था. नन्हे ने छोले बनाये, और उसने ढेर सारे व्यंजन, आखिरी दीवाली थी सो जून ने विभाग के सभी अधिकारीयों को बुलाया था. भाईदूज के दिन वे अरुणाचल प्रदेश में एक सुंदर स्थान नामसाई घूमने गए, एक मोनेस्ट्री, नदी तट सन्तरे के बगीचे और सुंदर पहाड़ी रास्तों पर की गयी वह यात्रा भी अच्छी रही .एक दिन रहकर अगले दिन शाम को लौटे. उसके एक दिन बाद बच्चे वापस चले गए. पटाखे, स्नैक्स, तथा रौशनी की झालरें व ढेर सारी मिठाई लाकर उन्होंने असम में उनकी इस दीवाली को यादगार बना दिया है. अगली दीवाली बंगलूरू में होगी. दीपावली के बाद आज छठ का त्यौहार भी सम्पन्न हो गया. लगभग एक महीने बाद आज एओल के टीचर ने फॉलोअप करवाया. आज उनका जन्मदिन भी था. योग अभ्यास  के बाद उन्होंने ही मिठाई खिलाई. वह बहुत अच्छी तरह से व्यायाम व क्रिया कराते हैं, उन्हें उनका कृतज्ञ होना चाहिए. कल बाल दिवस है, वह क्लब की कुछ अन्य सदस्याओं के साथ मृणाल ज्योति जाएगी. उससे पहले टाइनी टॉटस भी जाना है, उस स्कूल में भी बुलाया है जहाँ वह योग सिखाने जाती है, पर समय निकालना कठिन होगा. कल दोपहर बच्चों के लिए कविता लिखी, नन्हे और सोनू का स्वभाव एक-दूसरे से कितना मिलता है, दोनों का दिल बहुत बड़ा है. ईश्वर उन्हें सदा इसी तरह खुश रखे. दीदी ने भी कविता पढ़कर लिखा है, ‘इसी तरह प्यार बना रहे’. जून आज दोपहर दीदी के यहाँ गए थे, कल अपने काम के बाद पिताजी से मिलने जाएँगे. कल मंझली भाभी का फोन आया, बगीचे में निकले सांप का वीडियो देखकर उन्हें आश्चर्य हो रहा था. परसों शाम को सर्प देखा था. दोपहर को नैनी की बेटियाँ आयीं, कहने लगीं, उन्हें बाल दिवस पर स्कूल में डांस करना है, वह मोबाइल पर गाना बजाकर उन्हें अभ्यास करा दे। उसे आश्चर्य हुआ, आजकल बच्चे सेल्फी ले ले ... जैसे गानों पर स्कूल में नृत्य करते हैं. 

कल बालदिवस के कार्यक्रम दोनों स्कूलों में ठीक रहे. आज देहरादून से दिल्ली आते समय जून के सहयात्री थे, बाबा रामदेव. जून ने उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई और वह भी बाबा के कहने पर, क्योंकि वह संकोच कर रहे थे. एयरहोस्टेस ने खींची तस्वीर. सुबह वह दीदी के यहाँ नाश्ते पर गए थे. मूली व गोभी के परांठे खिलाये उन्होंने. कल वह वापस आ रहे हैं. आज मौसम काफी ठंडा है, तमिलनाडु में आए समुद्री तूफान का असर है शायद. धूप में तेजी नहीं थी. बाहर से नैनी के भतीजे के रोने की आवाज आ रही है, अपनी शैतानियों के कारण उसकी काफी पिटाई होती है, पर वह सुधर नहीं रहा है. शिव सूत्र पुस्तक दो-तीन दिनों से पढ़नी आरंभ की है, सरल शब्दों में गूढ़ विषय को समझाया गया है. वेदांत, योग व शिव सूत्र के अनुसार जगत व परमात्मा की व्याख्या में थोड़ा अंतर है पर मूल बात वही है. 

Tuesday, May 19, 2020

फूलों की रंगोली


आज नवम्बर का प्रथम दिन है, उन्हें यहाँ से जाने में  मात्र दस महीने रह गए हैं. आज उसने चार नए फूल झाड़ू मंगवा लिए हैं, जबकि एक झाड़ू चार महीने तो चल ही जाता होगा, अब कुछ भी मंगाने से पहले सोचना होगा. शाम के साढ़े सात बजने को हैं. आज भजन में कम ही महिलाएं थीं, पर अच्छा लगा. गुरूजी कहते हैं मस्त होकर भजन गाना चाहिए. किसी को यह समझने में पल भर की देर नहीं लगती कि कौन केवल अधरों से गा रहा है और कौन दिल से ! उससे पूर्व बगीचे में मालिन से काम करवाया. माली आज काम पर नहीं आया, उसके हाथ में चोट लगी है, वह डॉक्टर के पास नहीं जा रहा है, रोग बढ़ता जा रहा है. बढ़ई काम कर रहा है, खिड़कियों की जाली कई जगह टूट-फूट गयी है, उसे ही ठीक कर रहे हैं. एक मिस्त्री ने नालियों को ठीक-ठाक किया, लगातार तंबाकू खाता रहा, उसकी क्षमता कम हो गयी है, चीजों को ठीक से नहीं कर पा रहा था. बढ़ई भी बहुत दुबला-पतला है. मजदूरों को इतना श्रम करना होता है पर उन्हें पूरी खुराक नहीं मिलती. 

दोपहर को महिलाओं को योग नहीं करवा पायी, बरामदे में पेंटिग का काम तभी खत्म हुआ था, अब दीवाली के बाद ही  अगला सत्र होगा. ब्लॉग्स पर लिखने बैठी तो ज्यादा नहीं लिख पायी, अब पहले की तरह घँटों कम्प्यूटर पर बैठना नहीं भाता, परिवर्तन स्वाभाविक है. नैनी ने कहा, उसे रंगोली के लिए रंग चाहिए, वह अपने पति से कहकर मंगवा सकती है, उसे पैसे देकर कहा, क्योंकि आज तक कभी भी उसने रंगोली के रंग नहीं खरीदे. वह फूलों से ही रंगोली बनाती है सदा. आज सुबह क्लब की एक सदस्या का फोन आया, वह बहुत प्यार से बात करती है, किसी की वाणी में इतनी मधुरता पता नहीं कहाँ से आ जाती है. किसी के भाव मधुर होते हैं यानि दिल का अच्छा होता है पर वाणी कठोर होती है. किसी के कर्म अच्छे होते हैं. जिसमें सभी कुछ अच्छे हों यानि भाव, वाणी और कर्म ऐसे तो कोई सद्गुरु जैसे बिरले ही होते हैं.  कल की प्रतियोगिता में उस मृदुभाषी महिला ने बहुत सुंदर रंगोली बनाई थी. सुबह छोटी बहन से बात हुई, वह दिसम्बर में उनके आने पर स्वागत की तैयारी कर रही है. 

शाम के साढ़े छह बजे हैं. कल सुबह नन्हा व सोनू आ रहे हैं. उन्हें आज ही आना था पर आज सुबह जब एयरपोर्ट के लिए निकलने से पूर्व वेब चेकिंग करते समय पता चला कि टिकट तो कल की है. कुछ पल के लिए तो निराशा हुई, क्योंकि कितने दिनों से इंतजार था इस दिन का, पर बाद में वे सब खूब हँसे। कल इस समय वे यहाँ होंगे. बाहर बरामदे में रंगोली बन गयी है और दीवाली की लाइट्स भी लग गयी हैं. आज दोपहर मृणाल ज्योति में मीटिंग थी, स्कुल में बाड़ लगानी है. स्कूल की दो शाखाओं में भी काम कैसे आगे बढ़े, इस पर चर्चा हुई. विकलांग दिवस की तैयारियां भी चल रही हैं. परसों उन्होंने चार स्कूलों में जाकर उस दिन पहनने के लिए बच्चों को बैज वितरित किये. अगले हफ्ते दीवाली के बाद कुछ अन्य स्कूलों में जाना होगा. 

बाहर वर्षा हो रही है, दीवाली दो दिन बाद है और मौसम यकायक बदल गया है. पिछले दिनों धूप खिली रही, ऐसे ही मन का मौसम भी बदलता रहता है. संशय के बादल छा जाते हैं तो ज्ञान का सूर्य ढक जाता है. कर्मों का बंधन आगे बढ़ने ही नहीं देता, वे चार कदम आगे बढ़ते हैं फिर छह कदम पीछे लौट आते हैं. जून कोऑपरेटिव गए हैं, वहां से दफ्तर जायेंगे, फिर तिनसुकिया होते हुए डिब्रूगढ़ पहुंच जायेंगे, नन्हा व सोनू दो बजे हवाई अड्डे उतरेंगे, उन्हें लेकर आना है. सुबह नींद खुली उसके पूर्व स्वप्न चल रहे थे, कितने जन्मों के कितने स्वप्न.. मन की गहराई को कोई नाप नहीं सकता. देहाभिमान या देहाध्यास छूटता नहीं या वे छोड़ना ही नहीं चाहते. ध्यान के पलों में लगता है अब सब मिल गया पर जगत में जाते ही सब बिखर जाता है. यह बिखरना भी एक स्वप्न मात्र ही है, यह भाव आ तो जाता है पर मन, बुद्धि पर उतनी देर में जो संस्कार पड़ जाता है, वह भविष्य में पुनः फल देगा, एक दुष्चक्र इस तरह चलता रहता है. सजगता और सजगता इसके शिव कोई साधना नहीं अथवा तो पूर्ण समर्पण .. जो भी हो सब उसी परमात्मा का प्रसाद समझकर स्वीकार करना होगा. मन को खाली रखना होगा

Thursday, May 14, 2020

एकता की मूर्ति

एकता की मूर्ति 


आज पूरे सात दिन बाद यह डायरी खोली है. सिक्किम में नोटपैड ले गयी थी, जिसमें यात्रा विवरण लिखा था. कल से टाइप करना आरंभ हो  सकता है. आज दोपहर छोटा सा एक आलेख लिखा,भाईदूज पर एक कविता भी, और सभी भाइयों को भेजने के लिए लिफाफे तैयार किए. कल रजिस्ट्री करवानी है. शाम को भजन संध्या थी, नैनी ने फूलों से मंदिर सजा दिया था. आज एक नयी साधिका आयी, उसने अपनी मधुर आवाज़ में तीन भजन गाये. सिक्किम से लाये उपहार उसने उन्हें दिए. नैनी को एक माला, वह बहुत खुश थी. शाम को बगीचे से तोड़ी पालक का सूप बनाया और सरसों का साग, इस मौसम की पहली फसल ! फूलों का बगीचा भी काफी साफ-सुथरा मिला जब आज सुबह राजधानी से वे घर लौटे. 

जून का फोन आया अभी, घर में काम करवाने के लिए सिविल डिपार्टमेंट को उन्होंने कहा है, शायद वे लोग देखने आएंगे. दीवाली से पूर्व कुछ टूट-फूट ठीक हो जाये तो घर और अच्छा लगेगा. उसे बंगाली सखी की बिटिया से मिलने जाना था पर अब घर पर ही रहना होगा, वे कभी भी आ सकते हैं. दोपहर को मृणाल ज्योति जाना है. सिर में हल्का दर्द है और गले में खराश... मगर आत्मा उसी तरह प्रसन्न है, अदरक व तुलसी का काढ़ा पीने से अवश्य ही कुछ राहत मिलेगी. 

आज इतवार है, टीवी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम आरम्भ हो गया है. इस महीने के अंतिम दिन देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जा रहा है, साथ ही इस अवसर पर एकता दौड़ का भी आयोजन होगा, उसी दिन स्टेचू ऑफ़ यूनिटी को देश को समर्पित किया जाएगा. गुजरात के केवाडिया में सरदार सरोवर बांध के पास स्थापित की गई लौहपुरुष की 182 मीटर की आदम कद प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को ! कल इन्फैंट्री दिवस भी मनाया गया, जिस दिन सन सैंतालीस में कश्मीर को बचाने के लिए सेना को भेजा गया था. खिलाडियों का जिक्र भी प्रधानमंत्री ने किया, सिक्किम व उत्तरपूर्व का भी. इंदिरा गांधी को उन्होंने याद किया. उसे ‘मन की बात’ सुनना अच्छा लगता है, प्रधानमंत्री जैसे इसके जरिये देशवासियों को देश के बारे में आवश्यक जानकरी देते हैं, ऐसी जानकारी जिसे जानकर देश के प्रति सम्मान और गर्व की भावना सभी भारतवासियों में जगे. 

अभी-अभी योग सत्र समाप्त हुआ, कल महिला क्लब की मीटिंग है, सो सत्र नहीं होगा और परसों क्लब में फिल्म दिखाई जाएगी, कम ही साधिकाएं आएँगी. जून आज हैदराबाद गए हैं, दो दिन बाद लौटेंगे. कल सुबह बाजार जाना है, शाम की मीटिंग के लिए कुछ सामान खरीदने. प्रेसीडेंट का फोन आया था, परसों वह आ रही हैं, तब वह उन्हें क्लब का चार्ज सौंप देगी. सप्ताहांत में नन्हा और सोनू आ रहे हैं. कल से घर पर सिविल का काम भी आरंभ होने वाला है. लकड़ी व् सीमेंट का काम. बाहर के बरामदे में एक दीवार पर माली ने आयल पेंट लगा दिया है, जो बच्चों द्वारा लगाए लाल दागों को छिपाने के लिए लगाया था, पर अब वही भद्दा लग रहा है. जून ने इस कार्य के लिए फोन किया था, शायद कल यह भी हो जाये. कल पिताजी ने पहली बार फेसबुक पर कमेंट किया तथा एक संदेश भी भेजा, उन्हें अब नए-नए कार्य सीखने में रूचि हो रही है. ईश्वर उन्हें सौ वर्ष की आयु दे. अभी तक वे अपना कार्य स्वयं करने में सक्षम हैं. यहाँ तक कि भोजन भी बना लेते हैं. 

Monday, May 11, 2020

बाबा रामदेव के वचन


आज छठा नवरात्र है, आज के दिन देवी कात्यायनी की पूजा होती है. कल वे अष्टमी का व्रत रखेंगे और परसों कन्या पूजन करेंगे. आज जून एक विंड चीटर लाये लाचेन की यात्रा के लिए, जहाँ उन्हें गरदुंम झील देखने जाना है. कल रात्रि बहुत दिनों बाद गहरी नींद आयी, रात्रि विश्राम के लिए है और दिवस काम करने के लिए. सुबह बाबा रामदेव के तेजस्वी वचन सुने, उनके मुख से ज्ञान के मोती ऐसे झरते हैं जैसे वृक्षों से फूल झरते हैं हरसिंगार के, सहज ही. उनके जैसा कर्मयोगी युगों-युगों में कोई बिरला ही होता है. ज्ञान, कर्म और भक्ति की महिमा उन्होंने कुछ शब्दों में ही बता दी. बुद्धि ज्ञान से प्रकाशित रहे, हृदय श्रद्धा से पूरित रहे और हाथ कर्म में रत रहें, तभी जीवन एक सहज प्रवाहित धारा की तरह निरन्तर गतिमय रहेगा. इसके लिए उन्हें हर पल सजग रहना होगा, जीवन भी यही है और साधना भी यही है. आज भी मौसम बादलों से भरा है. नन्हे की फ्लाइट छूट गयी उसे महाराष्ट्र जाना था, सोनू पहले से ही वहाँ थी, अपनी भांजी को देखने. नन्हे ने दूसरी टिकट ली और चला गया, धन से अधिक महत्व उसने रिश्तों को दिया, अच्छा लगा उन्हें. कल पिताजी ने उसे फोन किया, वह नए घर के बारे में भी पूछ रहे थे. उन्हें वे गृहप्रवेश के अवसर पर अवश्य ले जायेंगे. ईश्वर उनकी सहायता करेंगे. एक बार इस घर में भी वे आ पाते तो कितना अच्छा होता, उन्हें तकलीफ होगी यह सोचकर कभी इस बारे में ज्यादा सोचा ही नहीं. आज दोपहर को क्लब में होने वाली प्रतियोगिता के संबंध में मीटिंग है. 

सुबह के नौ बजने वाले हैं, आज देवी के कालरात्रि रूप के पूजन के लिए नवरात्रि का सातवाँ दिन है. सुबह साबूदाने की खीर बनाई थी. शाम को वे पूजा के स्थानीय पंडाल देखने जायेंगे. जून ने छोटी ननद के भतीजे के विवाह आ सगन भेज दिया है, पहले भी एक भीतर किसी ने याद दिलाया था, वह जून से कहना भूल गयी, आज भी क्रिया के बाद यह विचार अचानक आया, उसी समय फोन करके कहा. उनके भीतर कोई शुभचिंतक रहता है जो सदा सही राय देता रहता है. कल रात्रि केवल तीन बार नींद में खलल पड़ा, फिटबिट नींद का सारा हाल बता देता है. एक दिन अवश्य ऐसा होगा, जब रात को जिस करवट सोयी, सुबह उसी करवट में उठेगी. नींद में वे परमात्मा के साथ एक हो जाते हैं. ध्यान में उसकी उपस्थिति को अनुभव करते हैं. आज बड़ी भांजी का जन्मदिन है, उसे व दीदी को बधाई दी. कुछ दिन पहले नैनी के ससुर ने उसे कुछ पैसे रखने के लिए दिए थे, अभी तक वापस लेने नहीं आया है.  कल देवदत्त पटनायक को टीवी पर सुना. वह आत्मज्ञान की बात कह रहे थे. जहाँ अहंकार है वहाँ रणभूमि है, जहाँ आत्मज्ञान है वहाँ रंगभूमि है ! 

आज महागौरी की पूजा की अष्टमी तिथि है. दस बजे बच्चों को बुलाया है. जून के दफ्तर में आज सीधी यानि एक ही शिफ्ट है, शायद लंच के बाद उन्हें न जाना पड़े, गए भी तो जल्दी आ जायेंगे. उसने चने बना लिए हैं, पानी सुखाने के लिए गैस पर रखे थे, कुछ ज्यादा ही सूख गए. आजकल वह शुद्ध वर्तमान में रहने लगी है, सो थोड़ी देर पहले का काम भी याद नहीं रहता. बेहद खतरनाक स्थिति है यह. खैर ! इतने भी नहीं सूखे कि खाये ही न जा सकें, अच्छे ही लगेंगे. शाम को सिक्किम के लिए निकलना है, शायद डिब्रूगढ़ की पूजा के पंडाल भी देख पाएं. पैकिंग हो गयी है, हाथ के बैग में कुछ सामान रखना है. किताबें व डायरी तथा पूजा का सामान. आज सुबह उठी तो कोई स्वप्न चल रहा था, उसके बाल पीछे कसकर बंधे हैं तथा शीशे में अपना चेहरा देख रही है. वे अपने विचारों से ही बनते हैं. बचपन से लेकर कहे गए प्रशंसा के शब्द और अपमान के शब्द वही इन विचारों का स्रोत बनते हैं. 

Wednesday, May 6, 2020

बगिया में घोंघे



आज गाँधी जयंती है. कल रात सोने से पहले उनके बारे में कुछ बातें पढ़ीं, सुनीं.  उनके प्रशंसक भी बहुत हैं और विरोधी भी. उनका व्यक्तित्त्व अनोखा था. चट्टान से भी मजबूत हृदय था उनका ! नैनी ने ध्यान कक्ष में जून द्वारा भेजी उनकी मूर्ति को फूलों से सजा दिया है. दोपहर की योग कक्षा में  महिलाओं और बच्चों को भी सुंदर कहानियाँ व गीत सुनाये, सबने गाँधी जी के प्रिय भजन गाये. महिला क्लब की प्रेसीडेंट का फोन आया, कल दस बजे उसे उनके साथ  बालिका विद्यालय जाना है जहाँ किशोरावस्था की समस्याओं पर एक वर्कशॉप है, जिसमें एक महिला डॉक्टर उनका मार्गदर्शन करेंगी. जिसके बाद उसे कक्षा नौ की छात्राओं को योग सिखाना है.

कल स्कूल में कार्यक्रम अच्छा रहा, दो छात्राएं बाद में उससे मिलने आयीं, कहने लगीं कुछ साल पहले वे सन्डे योग क्लास में आया करती थीं. आज मृणाल ज्योति गयी, हिंदी कक्षा में एक बच्चे  की पेन्सिल बार-बार टूट जाती थी, वह लिख नहीं पा रहा था, उसने शिकायत की तो रुआंसा हो गया. इन बच्चों से सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता, उसे ज्यादा उदार रहना होगा, उनकी अपनी सीमाएं हैं, उसके बावजूद वे पढ़ने आ रहे हैं, सच्चे सिपाहियों की तरह वे डटे हैं. बाद में निदेशक ने कहा तीन दिसम्बर आने वाला है, उस सिलसिले में एक मीटिंग करनी होगी. स्कूल में ही थी, पिताजी का फोन आया, दीदी वहाँ आयी हुईं थीं. उन्हें असम आने का निमन्त्रण एक बार फिर दिया. आज स्टोर की सफाई हो रही है, कल पैंट्री की होगी, दीवाली में एक महीना तीन दिन शेष हैं, देखते-देखते ही बीत जायेंगे. एक सप्ताह यात्रा में ही निकल जायेगा. बगीचे में घोंघे बढ़ गए हैं, जगह-जगह मिट्टी के ढेर लगा दिए हैं. वनस्पति खाकर वे शरीर से मिट्टी निकालते हैं, उनकी प्रकृति भी कितनी विचित्र है. 

आज बैठक की सफाई का कार्य आरम्भ किया है. जून दफ्तर जाने से पूर्व सारे पर्दे उतार गए हैं । मौसम का हाल बताता है कि शनि और रविवार को वर्षा होगी, सो तब तक का इंतजार नहीं किया जा सकता. आज बहुत दिनों बाद असमिया सखी से बात हुई, वे लोग दिसंबर में पोती के अन्नप्राशन के लिए पश्चिम बंगाल आएंगे, वहीं से असम. उनसे मिलना हो सकता था पर दिसम्बर में जून बैंगलोर जाने का कार्यक्रम बना चुके हैं. आज सुबह बगीचे से चौलाई का ढेर सारा साग मिला, जो अपने आप ही उग आया है, गोबर की जो खाद क्यारी में डाली थी शायद उसमें बीज रहे होंगे. डायन्थस के फूलों की पौध लगा दी माली ने आज. दीवाली तक पौधे जड़ पकड़ लेंगे. घर में सिविल का काम होना है, झूले को रंग कराना है. आज दो ठेले गोबर और लिया, अभी कई गमलों और क्यारियों में डालना शेष है. यह अंतिम वर्ष है जब उन्हें बगीचा तैयार करना है, अगले वर्ष इस समय सम्भवतः वे कर्नाटक में होंगे. आज छोटी ननद के विवाह की वर्षगाँठ है कल दीदी के विवाह की, उनके लिए कविता लिखेगी आज दोपहर. विश्व विकलांग दिवस के लिए एक पोस्टर बनाना है इस वर्ष की थीम के अनुसार. हिंदी कहानी प्रतियोगिता  के विजेताओं का चयन भी कर लिया है. निर्णय पब्लिक लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन को सौंपना है. कल प्रेसीडेंट ने अपनी अनुपस्थिति में क्लब की जिम्मेदारी उसे सौंपी। वह इलाज के लिए बाहर जा रही हैं. अभी-अभी एक सखी ने कल शाम अपने घर में होने वाली पूजा में बुलाया है. 

Monday, May 4, 2020

साबरमती आश्रम


शाम के साढ़े सात बजे हैं, जून होते तो इस समय वे भोजन कर  चुके होते और ठंडी हवा में टहल रहे होते. उसे अभी भूख का अहसास नहीं हो रहा है, सो डायरी उठा ली है. कुछ देर पहले एक पारा की काली बाड़ी का समूह पूजा का चंदा लेने आया, कल दो समूह आये थे. ज्यादा दिन नहीं शेष हैं दुर्गा पूजा के महोत्सव में, जो असम में भी उसी जोश से मनाई जाती है जितनी बंगाल में. इस बार अष्टमी की पूजा करके वे सिक्किम घूमने जा रहे हैं. आज शाम सेक्रेटरी ने कार्यक्रम के दिन बनने वाले भोजन के लिए सामान की लिस्ट भेज दी, जिसे वह कोऑपरेटिव में दे देगी, सामान एक दिन पहले ही लेंगे. उनका एक कमरा सदस्याओं को दिए जाने वाले उपहारों के कार्टन से भर गया है, धीरे-धीरे वे बांटे जा रहे हैं. अभी भी सौ से ऊपर ही शेष हैं. शाम को बच्चों की एक घंटे की फिल्म देखी, कल्पना की ऊँची उड़ानें थी उसमें. उससे पूर्व ‘फूलों की घाटी’ पर वर्षों बाद स्मृति के आधार पर एक कविता लिखी. एक बार फिर वहाँ जाना है. कॉलेज में, नहीं स्कूल में थी शायद ग्याहरवीं या बारहवीं में, विद्यार्थियों और अध्यापकों के साथ गयी थी. कितनी लंबी यात्रा उन्होंने पैदल तय की थी, बर्फ की शिलाओं पर चलकर, कभी नदी पार की, भीगते हुए, ओलों की मार झेलते हुए, एक गुफा में रहकर रात गुजारी थी, जहाँ बिस्तर के नाम पर बोरियाँ बिछी थीं. कितनी अनोखी यात्रा थी वह. फूलों की घाटी जब दूर से दिखी तो कदम वहीं थम गए थे, नदी की चमकती हुई एक पतली सी धारा निकट ही बह रही थी, जिसका जल स्फटिक सा शुद्ध था, शीतल स्पर्श था उसका, उसका वह प्रथम दर्शन आज तक याद है, जबकि यह बात दशकों पुरानी है. आज सुबह छोटी बहन से बात की, उसे ध्यान के अनुभव के बारे में बताया. उसने बताया वह चोर-सिपाही खेलना चाहती थी पर याद ही नहीं आया कैसे खेलते हैं यह खेल. बचपन में उन्होंने अनेकों बार खेला है. इस समय कितनी मीठी एक गन्ध महसूस हो रही है, चंपा के फूलों की सी मीठी गंध... परमात्मा अदृश्य रहकर अपनी उपस्थिति का इजहार करता रहता है. जून आज जयपुर पहुंच गए हैं. कल वह साबरमती आश्रम गए थे, तकली भी काती उन्होंने, अपनी गाडी में पूरी टीम को घुमाया जो उनके साथ गयी थी. अभी-अभी एक और पूजा का चंदा वाले लोग आये. 

आज का इतवार बीतने को है, रात्रि के पौने आठ बजे हैं. सुबह साढ़े चार बजे उठी, पानी आदि पीकर तैयार हुई तो बजाय टहलने जाने के ड्राइविंग का अभ्यास किया, दो-तीन  जगह रुककर उगते हुए सूर्य की तस्वीरें भी उतारीं। दो-तीन जगह गाड़ी बंद भी हुई, उस दुर्घटना के बाद भीतर डर बैठ गया है. वापस आकर टहलने गयी, लौटकर माली से काम करवाया. उसने गुलाबों की कटिंग की और लॉन की घास काटी. नाश्ते में उपमा बनायी, जून के नहीं रहने पर उसका मनपसन्द नाश्ता यही है. दोपहर को बच्चों के साथ ‘स्वच्छता अभियान’ का आयोजन किया. उन्होंने तीन-चार सड़कें चुनीं, हर बार से कूड़ा कम एकत्र हुआ, शायद लोग सजग हो रहे हैं. वापस आकर ‘स्वच्छता ही सेवा’ पर ड्राइंग बनवाई, बच्चों को बहुत आनंद आया, शाम के सवा पांच बजे वे लोग वापस गए. दोपहर को बंगाली सखी का फोन आया, उसने परसों माँ के श्राद्ध पर बुलाया है.  बड़ी ननद ने माँ-पिता जी के श्राद्ध के बारे में पूछा. उसने कहा, अमावस्या के दिन वे बच्चों को भोजन कराएंगे. इडली, सांबर, सिंधी कढ़ी, त्रिदाल और सूजी का हलवा, सभी कुछ दोनों को पसंद था. महीने का अंतिम दिन था सो उसने सभी का हिसाब कर दिया, पेपर वाले ने अभी बिल नहीं दिया. उसने सोचा, जितने लोग उनके जीवन में सहायक बनकर आते हैं, उनका शुक्रगुजार उन्हें होना चाहिए. एक तरह से परमात्मा ही सबका सहायक बनता है भिन्न-भिन्न रूपों में आकर, फिर भी लोग एक-दूसरे के कारण पीड़ित हैं. एक न एक दिन तो सबको समझना ही होगा, ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं. आज भी बच्चों की एक फिल्म देखी, आदिवासी बच्चे की कहानी, जो जंगल का राजा है, किसी भी जानवर को अपना मित्र बना लेता है. 

अक्तूबर का आरंभ हो गया है. सुबह प्रातः भ्रमण हुआ पर साधना का समय नहीं था, स्कूल जाना था. बच्चों को ध्यान का अभ्यास कराया, भीतर से शब्द जैसे अपने आप ही प्रगट हो रहे थे. वापस आकर अस्पताल जाना था, सन्डे योग कक्षा के  एक बच्चे को देखने, घर में बैठकर पढ़ाई कर रहा था, शायद चक्कर आ गया और गिर गया, घुटने का जोड़ हिल गया. ऐसा उसने बताया, पर उसे लगता है जरूर कोई और बात है, इन बच्चों के घरों में लड़ाई-झगड़ा होना आम बात है, जरूर पिटाई खाते समय गिरा होगा. आज से दीवाली की सफाई का काम भी आरम्भ कर दिया है. सबसे पहले पूजा कक्ष और फिर ध्यान कक्ष. गांधी जी भी स्वच्छता के बहुत बड़े हामी थी, कल उनका जन्मदिन है, डेढ़ सौवां जन्मदिन. साबरमती आश्रम में गाँधी जी पर चर्चा हो रही है. युवाओं में उनके प्रति जो रोष है, उसका भी जिक्र हुआ. गांधीजी के बारे में आज की पीढ़ी कितना कम जानती है, सुनी-सुनाई बातों से वे अपनी राय बना लेते हैं. 

Sunday, May 3, 2020

ओस की बूँदें



आज दिन भर व्यस्तता बनी रही, इस समय टीवी पर कोई हास्य धारावाहिक चल रहा है पर आवाज बन्द है, जून की फोन पर बात चलती रहती है. कल उन्हें एक हफ्ते के लिए अहमदाबाद व जयपुर जाना है. पैकिंग कल शाम को ही कर ली थी. आज शाम हेयर कट के लिये रखी थी, उनके छोटे या बड़े सभी काम योजना बद्ध होते हैं. उसके भी जाने की बात थी पहले पर इन दिनों उसके पास भी कई काम हैं. शाम को स्कूल में मीटिंग थी. उससे पूर्व क्लब की सेक्रेटरी के साथ गिफ्ट बांटने के लिए सूची बनाने का काम था. दोपहर को मृणाल ज्योति में हिंदी कक्षा लेने गयी.  पांच विद्यार्थी हैं दो छात्रायें और तीन छात्र, वे बोल नहीं सकते पर आपस में सब कुछ कह-सुन लेते हैं. उनके चेहरों की मुस्कान कुछ अलग ही होती है, वह जितना हो सके इशारों व चित्रों के माध्यम से से उन्हें हिंदी लिखना-पढ़ना सिखा रही है. सुबह ड्राइविंग का अभ्यास किया एक योग साधिका को देखने गयी जो कुछ दिन से अस्वस्थ है, वह बहुत कमजोर लग रही थी. इसी तरह दिन कुछ न कुछ करते बीत गया. जून लन्च पर नहीं आये, उनके दफ्तर में एक लैब अटेंडेंट का विदाई समारोह था. बड़े भाई का बुखार आखिर उतर गया, मंझले भाई का फोन आया, वह बहुत खुश था, भाभी ने बहुत सहायता की. छोटी बहन ने कहा वह डेंगू पर एक कविता लिखे. दोपहर को पुराना माली आया. कहने लगा, उसके पास फोन आया, आपका इनाम निकला है, अपना अकॉउंट नम्बर भेज दीजिये. वह पूछ रहा था, भेजे कि नहीं. वे लोग आधार नम्बर भी मांग रहे थे, उसे मना किया. कल ही उसके पास केबीसी की तरफ से एक फोन आया, कि उसका चुनाव हुआ है, यकीन नहीं हुआ उसे, क्योंकि कभी कोशिश ही नहीं की थी. सोनू ने बताया, वह फोन असली नहीं था. 

आज सुबह बेहद सुहानी थी, सितम्बर समाप्त होने को है, मौसम में हल्की ठंडक बढ़ गयी है. उसे पंछियों की आवाजों ने जगाया, लगा जैसे वे भोर होने का एलान कर रहे थे और कह रहे थे, मानव कुदरत की इस नेमत से खुद को वंचित क्यों रखता है, जब पेड़, पंछी, हवाएं और आसमान सभी सूरज का स्वागत कर रहे हैं तब वह घर में मुंह ढक के सोया रहता है. वह झट बगीचे में गयी, लॉन की ह्री शीतल घास का स्पर्श अनोखा था और हल्की धुंध ने जैसे वातावरण को तिलस्मी बना दिया था. देखते-ही देखते सूरज ऊपर आ गया और ओस की बूंदें विलीन होने लगीं. दोपहर पूर्व  लेखन कार्य को आगे बढ़ाया, फिर योग कक्षा में पेट की चर्बी कम करने के व्यायाम कराए, आजकल कमर जैसे कमरा होती जा रही है. शाम को भजन संध्या थी. आज उसे मिलाकर पूरी एक दर्जन साधिकाएं थीं. उसने खजूर का प्रसाद दिया, एक महिला मीठी इडली बनाकर लायी थी, चावल, दूध, नारियल, चीनी व इलाइची पाउडर से बनी, बहुत स्वादिष्ट थी. जून अहमदाबाद पहुँच गए हैं. 

आज का दिन भी व्यस्तता से भरा था. सुबह के सारे कार्य, भृमण, साधना, नाश्ता आदि करते करते नौ बज गए. उसके बाद कार का अभ्यास. दोपहर को स्कूल व लेखन कार्य कर ही रही थी कि एक सखी का फोन आया, बंगाली सखी की माँ का देहांत हो गया, कई दिनों से बीमार थीं, अस्पताल में थीं. उससे मिलने गयी, कई लोग थे वहाँ, सखी बहुत उदास थी, जो स्वाभाविक ही था. कहने लगी, भाई ने अभी फौरन आने को मना किया है वह चौथ तक घर पहुँच जाएगी.  कुछ देर बैठकर वह वापस आ गयी. शाम को क्लब में मासिक कार्यक्रम था, पूजा का माहौल बन गया था. नृत्य, भजन, गीत सभी कुछ देवी को समर्पित थे फिर स्किट भी हुआ. पड़ोसिन के साथ पैदल चलकर घर आ गयी. हील की चप्पल  और साड़ी पहनकर आना थोड़ा कठिन तो है पर दूरी ज्यादा नहीं है, दस-बारह मिनट ही लगते हैं. वापस आकर पड़ोसिन ने अपने मन की बात कही, उन्हें दुःख था कि पिछले महीने क्लब का एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रेसीडेंट ने उन्हें धन्यवाद नहीं दिया, वह बहुत उदास थीं. उसने कहा, सम्भवतः ज्यादा व्यस्त रहने के कारण वह भूल गयी हों, जानबूझ कर वह कभी ऐसा नहीं करेंगी . ‘सम्मान पाने की आशा ही दुःख का कारण है’, उसने यह सूक्ति लिखी व्हाट्सएप सन्देश में. शायद वह समझ जाएँगी, उन्हें ज्यादा दुःख भी हो सकता है, पर यदि वह इस पर विचार करेंगी तो इस बात का सत्य समझ में आएगा.