Thursday, March 9, 2023

ब्रह्म कमल की भीनी गंध

आज ईवी के लिए चार्जिंग स्टेशन लग गया, टाटा मोटर्स ने लगाया है। सप्ताह के अंत तक गाड़ी के आने की सम्भावना है। नन्हे का मंगाया रंगों का डिब्बा आ गया, ब्रश, व ट्रे भी हैं, जिनसे वह खुद असेंबल किए जहाज़ पर रंग करने वाला है। उसे भी एक चित्र बनाने की प्रेरणा हो रही है। उसने उसके लिए नया मॉनिटर और एक पुराने कंप्यूटर का सेटअप कर दिया है, कल से वह उस पर ही लिखेगी।’मन की बात’ में मोदी जी ने और कई प्रेरणास्पद बातों के अलावा कहानी सुनाने की कला पर ज़ोर दिया और एक कहानी भी सुनायी। नन्हा व सोनू दही व बैगन की बनी एक विशेष सब्ज़ी लाए थे, उन्होंने काले चने व पूड्डू बनाये। एक नयी फ़िल्म देखी ‘एनोला होम्स’ अच्छी लगी, जो शरलक होम्स की बहन है और उसकी तरह जासूस भी। शाम को सद्गुरू को सुना जो जीवन के बारे में, अंतर्दृष्टि और चेतना के बारे में बता रहे थे। देवों के देव में महादेव व सती के विवाह का एपिसोड देखा। शिव को ज्ञात है कि भविष्य में क्या लिखा है, पर उसे रोका नहीं जा सकता। वह सती को यह अधिकार देते हैं कि वह अपने निर्णय स्वयं ले। उनके आपसी विवाद और  मनुहार की कथाएँ बहुत रोचक हैं। 


गैराज में रखे गमलों में श्वेत बड़ा सा नाइट क्वीन फूल खिल गया है, जिसे ब्रह्म कमल भी कहते हैं, सिर्फ़ रात को खिलता है और सुबह होने से पूर्व मुरझा जाता है। भीनी-भीनी गंध होती है। उसने कहीं पढ़ा था कि ब्रह्म कमल के फूल में ब्रह्मा और नारायण का वास है, और इसके कारण नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है व सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। जहाँ यह होता है, वहाँ सुख, समृद्धि और सौभाग्य भी बना रहता है सुबह से कई बार वर्षा हुई। सुबह घर से चार कदम दूर थे कि बूँदे गिरने लगीं, जैसे उनके घर पहुँचने का इंतज़ार ही कर रही थीं। प्रकृति कई बार उनका साथ देती है । नन्हे को बुख़ार हो गया है, गंध आ रही है सो कोरोना नहीं है। फिर भी उसने टेस्ट कराने के लिए रक्त का सेंपल दिया है। जून कह रहे हैं वह दिन भर उसके बारे में ही सोचते रहे। शाम को फ़ोन पर बात की तो वह सामान्य लग रहा था। सोनू ने आधे दिन की छुट्टी ले ली है, वह उसका ध्यान रख रही है। उसने एक ब्लॉगर लेखिका की एक पुस्तक मँगवायी है,अटकन-चटकन, अच्छी लग रही है। 


अक्तूबर का महीना यानि पूजा का महीना शुरू हो गया है। मौसम काफ़ी गर्म था आज। शाम को पिताजी से बात हुई, वह कारवां पर पुराने हिंदी गाने सुन रहे हैं, कह रहे थे उन्होंने गांधी जी की पोती का साक्षात्कार भी सुना। उसने भी आज सुबह बापू और शास्त्री जी के विचारों और उनके दर्शन के बारे में सुना। एक कविता लिखी और एक छोटा सा आलेख भी। नन्हे का करोना टेस्ट नेगेटिव आया है, उसे सर्दी-जुकाम ही था। वह काफ़ी आराम महसूस कर रहा था, जैसे सिर से कोई भूत उतर गया हो। आज देवों के देव में सती ने आत्मदाह कर लिया, शिव अत्यंत दुखी हैं, वह अपना ईश्वरत्व भुला बैठे हैं। वह एकांत में चले गए हैं। नंदी ने पत्थर के बैल का रूप धर लिया है और वह उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। एक वही है जिसने उन्हें कभी नहीं छोड़ा। 


आज रविवार है, सुबह दो घंटे माली से पौधों की देखभाल करवाने में लगाए। नन्हा व सोनू आज नहीं आए, सोनू की तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही थी। कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या विश्व में साढ़े तीन करोड़ से अधिक हो गयी है। मृतकों की दस लाख से ज़्यादा। शाम को गुरु जी का कराया ध्यान बहुत प्रभावशाली था। हृदय क्षेत्र में ध्यान करने पर कैसी शून्यता का अनुभव होता है। शिव सूत्रों में भी ध्यान के कितने तरीक़े मिल जाते हैं। आजकल लाओत्से तथा बुद्ध पर लिखी एक पुस्तक भी पढ़ रही है। जीवन एक अनुभव का नाम है, और उनकी ज़िम्मेदारी है कि इस अनुभव  को लाजवाब बनाएँ। दीपक चोपड़ा की बातें जैसे दिमाग़ की खिड़की खोल देती हैं। आत्मा में ही सारा विश्व स्थित है। शरीर आत्मा की चेतन शक्ति से स्वस्थ रह सकता है। 


Friday, February 10, 2023

बिजली की कार


सुबह अभी अंधेरा ही था जब वे प्रातः भ्रमण से लौट आए। योग साधना के बाद दीपक चोपड़ा का ‘चेतना’ के बारे में एक बहुत अच्छा वीडियो सुना।मुख्य विषय था कि यह जगत किस पदार्थ से बना है और चेतना क्या है ? कह रहे थे, उनके पाँच वर्ष के पोते ने उन्हें एक बार यूनिवर्स के बारे में बताया था कि वह दूसरे आयाम से बना है। आगे जे कृष्णामूर्ति का ज़िक्र किया और आइंस्टीन व टैगोर के मध्य हुए एक वार्तालाप का ज़िक्र भी किया, जब १९३० में वे दोनों मिले थे; जिसमें टैगोर कहते हैं, मनुष्य का व्यक्तित्व अनंत ब्रह्मांड को समाहित करता है। ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता है जो मानव व्यक्तित्व द्वारा समाहित नहीं किया जा सकता है, और यह साबित करता है कि ब्रह्मांड का सत्य मानव का सत्य है। नाश्ता करते समय महादेव का अगला अंक देखा, कथा अत्यंत रोचक होती जा रही है। सती ने उन्हें स्वीकार कर लिया है पर महादेव ने अभी तक सती को नहीं स्वीकारा है. 

कल रात ओशो की किताब पढ़ी थी, सुबह तक उसकी सुवास शेष थी, जो एक कविता की शक्ल में प्रकट हुई.  ‘माँ’ पर  लिखी एक कविता भी आज पोस्ट की। मंझली भांजी का जन्मदिन है, कुछ पंक्तियाँ उसके लिए भी लिखीं. किसान आंदोलन पर दो वीडियो देखे, एक पक्ष में दूसरा विपक्ष में. हरियाणा व पंजाब की सरकारों को मंडी से बहुत आमदनी होती है, इसलिए वे इस बिल का विरोध कर रहे हैं, अन्य कोई राज्य यह विरोध नहीं कर रहा है. आज ‘कोना’कार वाले टेस्ट ड्राइव के लिए आये थे, सब ठीक था पर दो-तीन जगह हंप पर गाडी नीचे से टकराई. यह गाड़ी कोरिया की है, अभी वे तय नहीं कर पाए हैं कि कौन सी कार खरीदें. आज नंन्हा एक नया बोर्ड गेम लाया, ‘युद्धभूमि’, बहुत सरल है, बच्चों का कोई खेल हो जैसे. वह कई पार्ट्स जोड़कर  एक प्लेन बना रहा है, उस पर पेंट करने के लिए रंग और ब्रश मंगवाए हैं. दोपहर को वह ममेरी बहन का सामान लेकर आया, उसे स्टोर में रखवा दिया है. कोरोना के कारण कई बच्चे घर से काम करने के कारण अपने-अपने घरों को वापस जा रहे हैं. अब सम्भवतः वह अगले वर्ष के प्रारम्भ में लौटेगी. चार बजे वह बाइक से वापस गया तो रास्ते में बारिश आ गयी. कार होती तो भीगने से बच गया होता. 

रात्रि भ्रमण के लिए निकले तो देखा खेल के मैदान में बड़ा सा स्क्रीन लगाकर आई पी एल मैच दिखाया जा रहा था. कुछ लोग कृत्रिम घास पर नीचे बैठे थे, कुछ खड़े थे. उनके वृद्ध पड़ोसी भी बहुत रूचि से हर मैच देखते हैं, चाहे वह दिन या रात में किसी भी वक्त हो, क्रिकेट, फुटबॉल या टेनिस किसी का भी हो. आज सुबह से सिर में हल्का दर्द था, पर उसके कारण न तो दिनचर्या में कोई खलल पड़ा, न ही दवा लेनी पड़ी. देह से पृथकता का अनुभव होना शायद इसे ही कहते हैं. नन्हे ने उसकी सुविधा के लिए कम्प्यूटर के लिए नया मॉनिटर भेजा है. माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सॉफ्टवेयर भी खरीद लिया है. पिता जी को कविताओं की इ- बुक ‘शब्द’ भेजी,  कहने लगे, संसार में भी थोड़ा  ध्यान लगाए. कोविड के कारण पार्लियामेंट का सेशन आठ दिन पहले ही समाप्त हो गया है. किसानों का आंदोलन जारी है. उनके सुधार के बिल तो पास हो गए हैं. श्रमिकों के लिए भी कई कानूनों में सुधार किया गया है. 

सुबह वेदांत पर चर्चा सुनी, स्वामी सर्वप्रियानंद कितनी अच्छी तरह माया, जीव व ब्रह्म के बारे में बता रहे थे. ब्रह्म ही माया के कारण जगत प्रतीत होता है; जैसे आकाश वास्तव में शून्य है पर नीला प्रतीत होता है. ध्यान की गहराई में जब ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय तीनों एक हो जाते हैं. तब जो अनुभूति होती है, वह ब्रह्म है. जब जानने वाला तो हो पर जानने को कुछ न हो, तब जो जानना होगा, वह ब्रह्म है. जो कुछ जाना जा सकता है और जो कुछ जाना नहीं जा सकता, उन दोनों के पार है वह ! आज सुबह टाटा मोटर्स का आदमी आकर चेक ले गया ई वी के लिए. पिताजी को बताया तो उन्होंने कहा भविष्य में बिजली की गाड़ियाँ ही चलेंगी, उन्होंने भविष्य को देखकर कार का चुनाव करने के लिए नन्हे व जून को  बधाई दी. 

Thursday, January 19, 2023

एज लेस बॉडी टाइम लेस माइंड


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। सोने से पूर्व के अंतिम कार्यों का आरंभ हो चुका है। टहलने गए तो हल्की बूंदा-बांदी होने लगी, पर अब उन्हें इसका अभ्यास हो गया है। सुहानी हवा और बेहद हल्की झींसी को चेहरे पर महसूस करते घर के सामने वाली सड़क के अंत तक जाकर लौट आए। उसके आगे ही फ़ौवारे वाला पार्क है। दो दिन से पड़ोसी नहीं दिखे थे जबकि वह सुबह नियमित दो घंटे पैदल चलते हैं, आज दिखे तो बताया, खाने की मेज़ से कुछ लेते समय गिर गये थे, घुटने पर हल्की चोट थी। एक तरह से वृद्धावस्था भी दूसरा बचपन ले आती है, पर बचपन में चोट का पता नहीं चलता, इस समय बात विपरीत है।  आज से ‘देवों का देव महादेव’ पुनः देखना आरम्भ किया है। कुछ वर्षों पूर्व इसका कुछ भाग देखा था। शाम को ‘हिंदी कविता के हज़ार वर्ष’ पुस्तक में कविता के इतिहास के बारे में पढ़ा। काव्य और मानव का नाता बहुत पुराना है। पुरानी पुस्तकों में कविता के अतिरिक्त भी कितने विषयों को गद्य की अपेक्षा पद्य में लिखा गया है, जिसे याद रखना भी सरल है। 


नन्हे ने नेक्सन ईवी की टेस्ट ड्राइव बुक कर दी है। कम्पनी के लोग गाड़ी लेकर आएँगे। सुबह बिग बास्केट से सूखे मेवे आए, जून को खुद जाकर ख़रीदने का शौक़ पूरा करने में अभी समय लगेगा। भावनगर से सौंठ पाउडर आया, अमेजन उन्हें घर बैठ-बैठे पूरे भारत से समान लाकर दे देता है। 


अभी-अभी छोटे भाई से बात की। आजकल काम के सिलसिले में केरल में है। आज धोती पहनकर त्रिवेंद्रम के पद्मनाभ मंदिर गया था। उसे कभी-कभी ध्यान के अनोखे अनुभव होते हैं। बचपन से ही वह पूजा आदि  की तरफ़ आकर्षित था। उसने बताया कक्षा चार में उसके मस्तक में भौहों के मध्य एक कील चुभ गयी थी, जिसे मित्रों ने खींच कर निकाला, खून भी बहा पर बजाय रोने के वह ज़ोर से हँसने लगा था। शायद उसे पहला अतींद्रिय अनुभव तब हुआ था। उसके बाद वह कक्षा में सबसे पीछे बैठता था पर उसे कुछ सुनायी नहीं  देता था, तब निकट बैठा छात्र ज़ोर से हिलाकर कहता तब कुछ समझ में आता। अब वह ओशो के प्रवचन सुनकर और उनकी बतायी साधना से भीतर ऊर्जा का प्रवाह अनुभव करता है। अनंत ऊर्जा के स्रोत से तो सब जुड़े हैं पर उसका अनुभव कोई-कोई ही कर पाता है। 


आज भी घर के दाँयी तरफ़ का गोदाम तोड़ने की आवाज़ें आती रहीं। अब जेसीबी लगाया जाएगा। उसके बाद वहाँ निर्माण कार्य आरम्भ होगा अर्थात लम्बे समय तक इस शोर को सुनने का अभ्यास करना होगा। आज असम की एक पुरानी परिचिता से बात हुई , परसों उनकी माँ का देहांत हो गया। वह शाम को परिवार के साथ बैठकर चाय पी रही थीं, अचानक दिल का दौरा पड़ा; जबकि उन्हें कभी दिल का रोग नहीं हुआ था। जीवन क्षण भंगुर है कितनी बार वे यह बात सुनते हैं पर मानते नहीं, ऐसी घटनाएँ इसकी सत्यता सिद्ध करने आ जाती हैं। आज सुबह दीपक चोपड़ा की पुस्तक ‘सफलता के सात  आध्यात्मिक नियम’, मोबाइल पर सुनी। कल शाम उनकी एक अन्य पुस्तक ‘एज लेस बॉडी टाइम लेस माइंड’ पढ़नी आरंभ की है। उनके अनुसार चेतना में स्थित रहकर कोई भी अपने शरीर को स्वस्थ रख सकता है। व्यक्ति के सकारात्मक या नकारात्मक विचार अच्छे या बुरे हार्मोंस का निर्माण करते हैं। इस सृष्टि में पदार्थ ऊर्जा में व ऊर्जा पदार्थ में निरंतर बदल रही है।देह जो ठोस जान पड़ती है, वास्तव में तरंगों से ही बनी है। अणु या परमाणु तक आते आते पदार्थ खोने लगता है और अति सूक्ष्म ऊर्जा ही शेष रहती है।  यह ऊर्जा विचारों से नए-नए रूप धारण कर लेती है, वह जब भी दिखेगी, प्रकृति के रूप में ही दिखेगी।वह स्वयं ज्ञाता है और ज्ञेय नहीं हो सकती। उसका अनुभव ध्यान में ही किया जा सकता है। आज उनके साथ एक अठानवे वर्षीय एक वृद्ध महिला का साक्षात्कार सुना। उनकी बातें प्रेरणदायक थीं, वह अभी तक योग सिखाती हैं, नृत्य भी करती हैं। शाम को पापा जी से फ़ोन पर बात की, तो पहली बार उन्हें रिकार्ड भी कर लिया। उनकी बातों में भी जीवन के लम्बे अनुभवों का सार होता है। भक्ति और ज्ञान की चर्चा भी होती है।  


Tuesday, January 3, 2023

देवों की भूमि

बाहर वर्षा हो रही है। रात्रि के नौ बजने को हैं। शाम के ध्यान के बाद जब वे नीचे उतरे तभी से वर्षा आरंभ हो गयी, सो भोजन के बाद रात्रि भ्रमण के लिए नहीं जा सके। शाम का ध्यान गहरा था, गुरूजी के शब्द सीधे दिल की गहराई तक जा रहे थे, उसका असर था या दोपहर को देखी फ़िल्म का, मन कैसा पिघला जा रहा था। जून की ज़रा सी बात भी उसे प्रभावित कर गयी। मन होता ही ऐसा है, पल में तोला, पल में माशा ! जहाँ से मन ऊर्जा पाता है, वह पराशक्ति है। मन शब्दों का ही आश्रय लेता है यदि मौन का ले तो बचा रह सकता है। चेतना पहले श्वास में बदलती है फिर शब्दों में, यदि श्वास रुक जाए तो मन भी ठहर जाता है। आज पंत पर लिखा लेख काव्यालय में प्रकाशित कर दिया। शाम को सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, ‘फ़्रेश वर्ल्ड’, पुदीना लिया, जून ने चटनी पीस दी। सुबह बड़ी भांजी से बात हुई, उसने बताया, कैसे उसने अपने अंग्रेज़ी लघु उपन्यास ऑन लाइन प्रकाशित किए, पर मार्केटिंग नहीं कर पायी है।  एओएल की एक शोध कर्त्री द्वारा ‘अवसाद’ पर लिखे एक लेख का अनुवाद किया। कल श्राद्ध पर एक ज्योतिषाचार्य का वीडियो देखकर आलेख लिखना है। लेखन के ये कार्य उसके अनुभव क्षेत्र को बढ़ा रहे हैं, उसने मन ही मन गुरु जी का इस सेवा कार्य में सम्मिलित करने के लिए आभार व्यक्त किया।   


सुबह टहलने गए तो बादलों के पीछे से चाँद की ज्योति झलक रही थी। इस समय कितना सन्नाटा है, बाँयी ओर से जैसे झींगुर  बोलता है, एक ध्वनि आ रही है। सजग होते ही दाँयी तरफ़ से भी आने लगी है। सन्नाटा सधने लगा है कुछ-कुछ। गुरूजी दिन में दो बार ध्यान करवाते हैं। अक्सर वे व्यर्थ ही अपनी ऊर्जा वाणी के रूप में खर्च करते हैं। बाहर के मौन के साथ-साथ भीतर का मौन भी आवश्यक है, बल्कि ज़्यादा ही आवश्यक है। विचार ही कृत्य बनते हैं। वे जो पहले सोचते हैं वही तो बाद में कर्म रूप में फलित करते हैं। सोसाइटी के जिम में वस्त्रों की सेल लगी है, पर उनके पास इतने वस्त्र हैं कि शायद अगले दस वर्षों तक खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।  


संध्या भ्रमण के समय कोने वाले घर में एक छोटा बच्चा रोज़ मिलता है, हाथ हिलाता है। इतना ही बड़ा नन्हा था, उसे प्रैम में लेकर वे जाते थे तो एक पंजाबी महिला उसे देखकर बहुत खुश होती थीं, बाद में उस परिवार से अच्छी जान-पहचान हो गयी थी। जून के पैरों की जलन सौंफ, धनिया और मिश्री का मिश्रण खाने से काफ़ी ठीक है। असम में कोरोना फैल रहा है। सभी जगह यही हाल है। यह महामारी रुकने का नाम ही नहीं ले रही है , कितनों की जानें भी जा चुकी हैं। भारत में संक्रमितों की संख्या चार लाख हो गयी है। 


आज शिक्षक दिवस पर अनेक शिक्षिकाओं को कविता भेजकर शुभकामना दी। शाम को वर्षा के कारण छत पर टहलने गए तो देखा पास वाले गोदाम की छत हटायी जा रही थी। हो सकता है यहाँ कोई दुकान बने। वे इधर उधर की बातें करते हुए टहल रहे थे कि बात बचपन के दिनों तक पहुँच गयी। उसने जून को बताया, वे लोग कौन सी पत्रिकाएँ पढ़ते थे, रेडियो पर नाटक सुनना भी उन दिनों विशेष आकर्षण होता था, आँगन में या छत पर सभी लोग अपने बिस्तर पर लेटे होते थे तब रेडियो पर रात्रि नाटक का समय होता था।कल नन्हा और सोनू आएँगे, वे लोग टेस्ट ड्राइव के लिए जाएँगे। नन्हे को अब कार की आवश्यकता महसूस होने लगी है, अब ओला, ऊबर सब बंद हैं। संयोग की बात है कि आज के ही दिन एक वर्ष पहले वे असम में विक्टर बनर्जी से मिले थे और आज ही उनकी पहली फ़िल्म ‘देवभूमि’ देखी, जो केदारनाथ में फ़िल्मायी गयी है।    


Monday, December 26, 2022

होप और हम

सुबह उठे आकाश में तारे चमक रहे थे। दिन में धूप भी तेज थी। शाम को माली आया , एक सवा घंटे में सारे गमलों की निराई-कुड़ाई कर दी। बालसम में फूल आ रहे हैं। बगीचे में ही थे कि पड़ोसी छड़ी लेकर टहलते हुए दिखे, कहने लगे, पीछे की लाइन में एक व्यक्ति गिर गया, अस्पताल ले जाना पड़ा है, फ़ालिज का अटैक पड़ा है, उमर भी ज़्यादा नहीं है। सभी को स्वास्थ्य का ध्यान रखना कितना आवश्यक है। कोरोना काल में जीवन कितना क्षण-भंगुर हो गया है । सुबह देखा, गेस्ट रूम में कमांड टेप से लगायी पेंटिंग गिरी हुई थी, शायद तस्वीर वजन के हिसाब से टेप की शक्ति कम थी । शीशा टूट गया, नैनी ने बिना किसी भय के सफ़ाई कर दी। दीदी का फ़ोन आया दोपहर को, बच्चों की बातें बतायीं। बड़ी बिटिया अपनी वेबसाइट खोल रही है, छोटी ने बच्चे के पालन-पोषण के लिए जॉब छोड़ दी है। बड़ा भांजा अपनी कंपनी बंद कर के जॉब लेगा। छोटे की कम्पनी ठीक चल रही है। छोटी बहन और बहनोई आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्वयंसेवक बन गए हैं। मृणालज्योति की एक अध्यापिका से फ़ोन पर बात की, स्कूल बंद है, ऑन लाइन क्लासेज़ हो रही हैं। आज एक नया स्थानीय गेम खेला, लकड़ी का बना आधार है और कौड़ियों से खेलते हैं, बहुत रोचक लगा। लाओत्से की पुस्तक भी बहुत ज्ञानवर्धक और रोचक है, उपनिषदों से कम नहीं था उनका ज्ञान। 


रात्रि के नौ बजने को हैं। आज का इतवार काफ़ी अलग था अन्य दिनों की अपेक्षा। नसीरूद्दीन शाह की फ़िल्म ‘होप और हम’ देखी। बहुत अच्छी फ़िल्म है, एक परिवार के सपनों की कहानी, जिसमें एक पुरानी जर्मन फ़ोटो कॉपी मशीन का भी रोल है। शाम को चौलाई, जिसे यहाँ अमरनाथ का साग कहते हैं, दक्षिण भारतीय तरीक़े से बनाया। बहुत अच्छा बना है। कल इसे फ़ोटो सहित छोटी भाभी के फ़ेसबुक पेज पर प्रकाशित करेगी। नन्हे ने एक नया की बोर्ड, माउस तथा पैड लाकर दिया है, अब लिखने का काम करना सरल हो गया है। गुरुजी के श्राद्ध के बारे में लिखे लेख का अनुवाद किया। जून नियमित ध्यान करने लगे हैं तो भीतर की हलचल समझ में आने लगी है। उनके पैरों के तलवों में जलन हो रही थी, शाम को वे हरी घास पर नंगे पैर चलते रहे। सूर्यास्त के बाद आकाश का रंग ग़हरा लाल हो गया था।   


आज शिव सूत्र में घोरा, महाघोरा और अघोरा शक्ति के बारे में पढ़ा। घोरा मातृका शक्ति के कारण व्यक्ति ज़्यादा वाचाल हो जाता है, वह दूसरों को सलाह देता है, क्रोध करता है। महा घोरा के कारण जगत का चिंतन और उन्हीं के बारे में जानने की इच्छा जगती है अघोरा के कारण स्वयं के भीतर प्रवेश होता है, स्वाध्याय तथा साधना की तरफ़ मन जाता है। यदि कोई मातृका शक्ति के स्रोत की तरफ़ जाता है तो अघोरा अपना काम कर रही है। उसकी वाणी में अभी भी कितने दोष हैं। दोष दृष्टि तथा स्वयं को सही मानना, कटाक्ष करना आदि दोषों को अब तो त्याग देना चाहिए। परमात्मा की इतनी महान कृपा के बाद भी यदि कोई अपने संस्कारों को दग्ध नहीं करता तो उसको क्या कहा जाएगा। प्रधानमंत्री ने कल ‘मन की बात’ में खिलौनों की बात की तो कुछ युवकों ने शिकायत की। नीट व ज़ेईई परीक्षाओं की तिथि अभी तक तय नहीं हुई है।कोरोना के मरीज़ों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 


कल जून की सेवनिवृत्ति को पूरा एक साल हो जाएगा। तीन दशकों से भी अधिक समय उन्होंने असम में गुज़ारा पर ईश्वर की कृपा से उन्हें यहाँ भी हरियाली और वर्षा भरा माहौल मिल गया है। सुबह उठे तो तेज वर्षा हो रही थी, जब कुछ हल्की हुई तो वे छाता लेकर टहलने गए। 

गगन में वायु, 

वायु में अगन, 

अगन में नीर, 

नीर में धरा ! 

ओत-प्रोत हैं सब आपस में 

जैसे मन रहता है उसमें ! 

जो बसा सृष्टि में वैसे ही 

ज्यों गंध धरा में 

ज्योति अगन में 

स्वाद नीर में 

छुवन वायु में 

वह उसमें है जैसे कोई 

लहर सिंधु में !


Thursday, December 22, 2022

चौथ का चाँद


आज दोपहर पूर्व योग की सप्त क्रियाओं में से एक नेति क्रिया की थी, शाम से ही छींकें आ रही हैं, जब थोड़ा सा भी पानी भीतर नासिका में रह जाता है, तब ऐसा होता है।वर्षों पहले एक बार असम में विवेकानंद योग केंद्र में इसे सीखा था, तब से सप्ताह में एक बार तो कर ही लेती है। नेति के बाद ज़्यादातर कपालभाति करने से पानी निकल जाता है पर कभी-कभी कुछ रह जाता होगा। मंझले भाई ने घर में हुई गणेश पूजा का वीडियो  भेजा  है। गुरूजी ने गणेश चतुर्थी का महत्व व गणेश के जन्म की अनोखी कथा का अर्थ समझाया। जिनका अहंकार से भरा सिर शिव ने काटा तो ज्ञान युक्त सिर लगाया गया। कहते हैं चौथ का चाँद नहीं देखना चाहिए, पर रोज़ की तरह उसकी नज़र आकाश की ओर चली गयी और दर्शन  हो गए। 


आज सुबह नन्हा व सोनू आ गये थे। दोपहर को भोजन के बाद वे सभी एक स्टोर ‘लिव स्पेस’ गये, उन्हें अपने किचन व बेडरूम की अलमारी का दरवाज़ा ठीक करवाना है। सेल्स मैनेजर ने पावर पाईंट प्रस्तुति दी, नयी तकनीक आने से हर क्षेत्र में सब कुछ कितना बदल गया है । अमेजन से कमांड टेप आया है, मेहमानों के कमरे में चित्र लगाना है, अब दीवार पर कील ठोकने की ज़रूरत नहीं है।लगभग पाँच महीने बाद वे शहर की तरफ़ गये थे।हाथों में दस्ताने तथा चेहरे पर मास्क लगाकर। ट्रैफ़िक भी अब सामान्य हो गया है।वापसी में सोसाइटी में नयी खुली दुकान पर चाय पी तथा गणेश पूजा का कलात्मक पंडाल देखने भी गये। तीन दिन उनकी पूजा करने के बाद पूरी विधि से मुहूर्त देखकर कल विसर्जन का जुलूस भी निकलेगा। 


रात्रि के नौ बजे हैं, मन में सुबह सुने एक संत के वाक्य याद आ रहे हैं। कुछ लोग स्वयं को अणु मानते हैं, यह आणवीय मल है। अपूर्ण मानते हैं, यह मायीय मल है। अपूर्ण मानते हैं और उस अपूर्णता को दूर करने की इच्छा करते हैं, यह कार्मिक मल है। अविद्या, काम, कर्म यह तीनों ही बंधन के कारण हैं। वे अनंत हैं, सांत नहीं, वे पूर्ण हैं, अपूर्ण नहीं, वे सत्य हैं, ज्ञान हैं जब तक यह स्वयं का अनुभव नहीं बन जाएगा तब तक मानव को शांति का अनुभव नहीं होगा।नन्हे ने ‘मैजिक फ़्लावर्स पॉट सॉयल’ का दस किलो का एक पैकेट भिजवाया है। बड़े शहरों में मिट्टी भी ख़रीदनी होती है, उन्हें इसका भान नहीं था।  गमलों में भरकर बीज डाल दिए हैं, एक हफ़्ते में निकल जाएँगे। प्रधानमंत्री जी ने मोर का एक वीडियो पोस्ट किया है, कुछ लोगों को उस पर भी एतराज है।  


भारत ब्राज़ील से आगे निकल जाने वाला है, कोरोना के संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। शाम को वृद्ध पड़ोसी टहलते हुए मिले, कहने लगे, अब कोरोना से डरना छोड़ दिया है, जो पाना था पा लिया, अब क्या खोने को है ? एक पुरानी परिचिता से फ़ोन पर बात हुई। वह कोरोना के कारण अस्पताल में  हैं, शिकायत करती हुई सी कह रही थीं, मरीज़ों को देखने डाक्टर भी नहीं आता और घर के लोग भी दूर से देखकर खाना रखकर चले जाते हैं। नन्हे ने एक और गेम भेजा है। पिछले हफ़्ते वॉल एंड वॉरीअर भेजा था, जो जून रोज़ खेलते हैं। उसके बचपन में वे उसे खिलौने ख़रीदकर देते थे और अब वह उनका बचपन फिर से याद दिला रहा है। आज सुबह दुलियाजान की कम्पनी के हिंदी अनुभाग से भेजा गया पुरस्कार का ड्राफ़्ट मिला, वहाँ से आने से पूर्व कुछ रचनाएँ दी थीं पत्रिका के लिए। जून ने उसे बैंक में जमा कर दिया है। 


Monday, December 19, 2022

प्रकृति के सुकुमार कवि

मौसम आज भी बादलों भरा है. सुबह उठने पर पता चला बिजली ग़ायब है, तब से डीज़ल जेनरेटर से ही बिजली आ रही है। जून ने फ़ोन किया तो पता चला, कल शाम पाँच बजे तक विद्युत विभाग से बिजली बहाल होगी। मेट्रो का काम चल रहा है, शायद इस कारण कुछ समस्या हुई है। सुबह उठने से पूर्व एक स्वपन में कई परिजनों के साथ स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद लिया, आत्मा में सभी इंद्रियों की शक्ति समाहित है। स्वपन में तभी बिना आँखों के सुंदर दृश्यों का अवकोलन कर लेते हैं, बिना कानों के संगीत सुन  लेते हैं । काव्यालय में भाषा उत्सव होने वाला है, उसने सोचा है प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत के जीवन व काव्य के बारे में लिखेगी। नन्हे ने फ़ोटो भेजा है, अपनी बिल्लियों को हुड पहनाए हैं। उनके खेलने, पानी पीने, ऊपर चढ़ने, सोने आदि के लिए ढेर सारे उपकरण व खिलौने वह मँगवाता रहता है। बड़े भाग्यवान हैं दोनों। नन्हे ने उन दोनों के लिए एक नया गेम भी भेजा है, कल सीखेगी। बगीचे के लिए सोलर लाइट भी भिजवायी है। 


आज पापा जी से बात की, वह ठीक हैं, उत्साह से भरे हुए। नब्बे से एक वर्ष कम की उम्र  में भी वह उसकी कविताओं को फ़ेसबुक पर पढ़ते हैं। आज दोपहर बाद पंत का एक साक्षात्कार सुना। वह १९०० में जन्मे और १९७७ में उनकी मृत्यु हुई। २५ किताबें उन्होंने लिखीं। उनका व्यक्तित्तव अनोखा था, कोमलता का भाव भरे,  उनके केश लम्बे व घुंघराले थे।  आज दोपहर बाद वर्षा थम गयी, शाम को सूर्यास्त के चित्र उतारे। हर शाम अपने आप में बिलकुल नयी लगती है। विष्णु पुराण में दशरथ के मित्र जटायु की कथा सुनी, कितनी अद्भुत कथाएँ हैं ये, जिनमें मानव, देवता और प्राणी सबमें एक मैत्री का भाव है। अनेक वृक्षों व पौधों को भी पुराणों में कितना सम्मान मिला है। भारत की इसी संस्कृति से आकर्षित होकर तो युगों से अनेक लोग यहाँ आते रहे हैं। जून दोपहर को ‘लखनऊ सेंट्रल’ देख रहे थे।  जेल में कुछ संगीत प्रेमियों द्वारा एक बैंड बनाने पर आधारित है यह फ़िल्म। 


आज राजीव गांधी का जन्मदिन है, वह ज़िंदा होते तो ७६ वर्षों के होते। गणेश पूजा के उपलक्ष में उनकी सोसाईटी नापा में ‘पेंटालून’ का एक स्टाल लगा है, एक दिन बाद पूजा का पंडाल भी लग जाएगा। मोदक प्रतियोगिता भी होगी। असम में दुलियाजान में भी कोरोना के केस बढ़ गए हैं।पूरे भारत में ७०,००० केस मिले आज, जो एक दिन में दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं; पर रिकवरी रेट यहाँ काफ़ी अच्छा है।