Friday, September 8, 2023

झील के तट पर


रोज़ की तरह वे प्रात: भ्रमण के लिए गये और विशेष बात यह हुई कि वापस आकर कुछ देर साइकिल भी चलायी। नाश्ते के बाद सोसाइटी के पीछे वाली सड़क पर जून दूर तक कार चलाकर ले गये तो एक जगह गुलदाउदी के फूलों का खेत देखा। खिली हुई धूप में फूलों का रंग बहुत शोख़ लग रहा था, ढेर सारी तस्वीरें खींचीं। आज गुरुजी की ज़ूम मीटिंग थी, आयुष तंत्र की दवाओं पर शोध तथा उनके प्रचार के लिए। उसे ट्रांस्क्रिप्शन का काम करना था, फिर हिन्दी में अनुवाद भी। पापाजी को वह वार्तालाप अच्छा लगा, जो उसने उनके साथ की बातचीत पर लिखा था। कल बड़े भाई का जन्मदिन है, उसने उनके लिए भी एक कविता लिखी है। छोटे भाई की नातिन नयी मेहमान अभी अस्पताल से घर नहीं आयी है। पापाजी अभी कुछ दिन वहीं रहेंगे। छोटी भाभी ने अपनी माँ के साथ बिटिया और उसकी बिटिया की तस्वीर भेजी है, चार पीढ़ियों की एक साथ फ़ोटो बहुत सुंदर लग रही है। 


वर्ष के अंतिम माह का प्रथम दिन ! आज सुबह के सभी काम हो जाने के बाद वे निकट स्थित एक झील पर गये, कुछ जल पक्षी तैर रहे थे  और किनारे पर बैंगनी रंग के जंगली फूल शोभित हो रहे थे। तट पर लगे वृक्षों का सुंदर प्रतिबिंब झील के पानी में पड़ रहा था। दोपहर को छोटी बहन से बात हुई, उसे आज सुबह एक स्वप्न आया, गुरुजी ने अपने मस्तक का तिलक उसके मस्तक से स्पर्श कराया है, उसके माथे में सनसनी हो रही थी । वाक़ई यह बहुत सुंदर अनुभव है, इसे अनमोल मानना चाहिए। गुरु से किसी का संबंध अपनी आत्मा से संबंध जैसा होता है। 


रात्रि का समय है। कुछ देर पूर्व सोनू से बात हुई, कल वे लोग ब्रह्मपुत्र में क्रूज़ पर जा रहे हैं, ‘उमानंद’ द्वीप भी जाएँगे। उसे याद आया, पिछले वर्ष वे भी गये थे। अगले दिन वे डैफ़ोडिल नर्सरी भी जाने वाले हैं, जहां से उनके लटकाने वाले गमलों के लिये पिटुनिया के पौधे लेंगे। आज नापा स्थित एक किसान से जून ताजी पालक ख़रीद कर लाये। समाचारों में सुना, केरल और तमिलनाडु में एक और तूफ़ान आने की चेतावनी दे दी गई है। 


केरल में आये चक्रवात बुरेवी का असर बैंगलुरु में भी पड़ा है। आज सुबह से ही बादल बने हुए हैं। कुछ देर वर्षा भी हुई, इस मौसम में पहली बार स्वेटर निकाला। शाम को गुरुजी का लाइव सत्संग था, असम में सोचा करती थी, आश्रम जाकर सत्संग में भाग लेगी, पर एक वर्ष होने को है, अभी तक आश्रम सबके लिए खुला नहीं है। उनके बताये ध्यान वे रोज़ ही करते हैं। आज विश्व विकलांग दिवस है, मृणाल ज्योति में अच्छी तरह मनाया गया, उसने तस्वीरें देखीं, एक अध्यापक ने फ़ेसबुक पर वीडियो भी पोस्ट किया था। उस वे कई दिवस याद आ रहे थे, जब वह महिला क्लब की अन्य महिलाओं के साथ बच्चों के लिए उपहार लेकर जाती थी। कल रात्रि अजीब सा स्वप्न देखा। मन को यह बोध हुआ कि नाम-रूप दोनों भ्रम हैं। दोनों क्षणिक हैं, उनके प्रति आसक्ति दुख को उत्पन्न करने वाली है। इस जगत में कुछ भी स्थायी और स्वतंत्र नहीं है, सभी कुछ आपस में एक-दूसरे पर आश्रित है। 


आज नेवी डे है। मौसम आज भी ठंडा रहा दिन भर, हल्की वर्षा भी हुई।अगले हफ़्ते एक दिन के लिए  बड़ी ननद  और ननदोई आ  रहे हैं। उसी दिन शाम को नौ बजे आश्रम के स्वामी प्रणवानंद जी का ऑन लाइन कार्यक्रम है। शाम को एक पुराने परिचित की बिटिया का फ़ोन आया, एम डी की उसकी परीक्षा अब मार्च या अप्रैल में होग, कोविड के कारण ही यह देरी है। जबकि उसका छोटा भाई एक वर्ष की पढ़ाई कर चुका है। आज बौद्ध धर्म पर एक दो व्याख्यान सुने। शून्यता की परिभाषा समझ में आयी। वेदान्त का ब्रह्म ही बौद्धों का शून्य है। सुबह के भ्रमण में मन को शून्य पर टिकाने का अभ्यास सहज ही होता है। हल्का अंधकार होता है हर तरफ़ सन्नाटा, कुछ भी नहीं होता जो ध्यान खींचे। योग साधना के समय आजकल शंख प्रक्षालन के आसनों के कारण देह हल्की रहती है।


Wednesday, August 2, 2023

देव दिवाली की चमक

आज एक दिन और गुजर गया। जीवन कैसे पल-पल बीत रहा है। उन्हें यहाँ आये हुए एक वर्ष हो गया है। एक भविष्यवाणी के अनुसार उसके हाथ में साढ़े पंद्रह वर्षों का समय है। कितना कुछ करना है, करना था पर इधर दिन निकलता है उधर रात हो जाती है। सुबह-सुबह टहलते समय कितने सारे सुंदर विचार मन में उग रहे थे, पर अब एक भी याद नहीं है। उसी समय आकर लिख लेना ही उचित होगा। कल एक निकट संबंधी ने जून से ज़मीन ख़रीदने के लिए आर्थिक सहायता माँगी थी, पर दिन भर विचार करने के बाद शाम को उन्होंने अपनी असमर्थता जता दी। ज़मीन-मकान में पैसे लगाना अक़्लमंदी नहीं है। पहले ही दो जगह उन्होंने पैसे लगाये हुए हैं, जिसका जरा भी लाभ नहीं मिल रहा, यह वह जन स्वयं ही बता चुके थे। 


इस समय रात्रि के नौ बजे हैं। आज पहली बार उसने ज्वार के आटे का चीला बनाया, दीदी से बात हुई तो उन्होंने कहा, वह सिंघाड़े तथा कोटू के आटे का चीला भी बनाती हैं। पापा जी ने कहा, उन्होंने ‘कारवाँ’ पर दूसरी बार सारे गीत सुन लिए हैं। उनसे बात की तो अध्यात्म पर चर्चा हुई। उसने कुछ प्रश्न पूछे, जिसके उत्तर रिकॉर्ड कर लिए हैं, उन्होंने कुछ शेर भी सुनाये। उनके जन्मदिन पर यह बातचीत लिखकर एक तोहफ़े के रूप में उन्हें प्रस्तुत करेगी।सड़क पार सामने वाले घर में गृह प्रवेश की पूजा हो रही है। हरी -नीली-लाल बत्तियों से घर को और गेंदे के फूलों से द्वार को सजाया है।यह पूजा यहाँ रात भर चलती है शायद। आज तुलसी विवाह भी है। देव उठावनी एकादशी है। कितनी अद्भुत है भारत की संस्कृति; जहां  भगवान का विवाह एक पौधे से करते हैं, इसी के माध्यम से तुलसी की महत्ता बतायी गई है, उसके गुणों से परिचय कराया है। आज ‘महादेव’ में देवी ने अपने मन की पीड़ा बतायी तो शंकर भगवान एक बालक के रूप में आकर रोने लगे, वह अपनी पीड़ा किससे कहें ! अद्भुत गाथा है शिव-पार्वती की।


आज सुबह से ही यहाँ घने बादल छाये हैं, हवा भी तेज है। सुबह वे टहलकर आये तो बूँदे गिरने लगीं।चेन्नई में आये ‘निवार’ तूफ़ान का असर यहाँ पर भी हुआ है। बंगाल की खाड़ी से उठे इस तूफ़ान के कारण पुदुचेरी व आंध्र प्रदेश में भी भीषण वर्षा हो रही है। पापाजी से जो वार्तालाप उन्होंने किया था, उसे आज टाइप किया, एक साक्षात्कार के फ़ॉर्मेट में। लिखते समय रिकॉर्ड की हुई अपनी ही आवाज़ सुनी, जो स्वयं को ही पसंद नहीं आयी। अन्यों के कानों को कितना कष्ट देती होगी। उसे अपनी वाणी पर बहुत ध्यान देना चाहिए। इसी प्रकार अपनी लिखावट पर भी। दोनों ही मन की स्थिति को दर्शाते हैं। जून को जो वह लंबे लंबे भाषण देती है, वह उनके कानों को कितने अप्रिय लगते होंगे। उन्हें अपने बारे में कितनी ख़ुशफ़हमियाँ अथवा तो ग़लतफ़हमियाँ होती हैं, यही एक शब्द है जिसका विलोम भी वही अर्थ देता है। हर ख़ुशफ़हमी एक ग़लतफ़हमी ही तो होती है।  नन्हा व सोनू असम गये हैं, हवाई अड्डे पर कोविड के लिए उनकी जाँच हुई,  फ़्लाइट में भी काफ़ी सावधानी बरती गई। दोपहर को आर्ट ऑफ़ लिविंग का एक छोटा अनुवाद कार्य किया। गुरु जी पत्रकारों को संबोधित करने वाले हैं। वे बतायेंगे कि कोविड से बचने के लिए आयुर्वैदिक दवाओं तथा अन्य उपायों के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम होने से कैसे रोका जा सकता है। पिछले कुछ दिनों की तरह आज भी उसने कुछ कन्नड़ शब्द सीखे, प्रतिदिन कुछ शब्द सीखते-सीखते उन्हें भाषा समझ में आने लगेगी।  


कल देव दिवाली है। गुरुनानक देव का जन्मदिन भी।  उसे कुछ वर्ष पूर्व बनारस के घाटों पर देखी देव दिवाली स्मरण हो आयी। जब नौका में बैठकर उन्होंने सभी घाटों पर जलाये गये लाखों दीपकों का दर्शन किया था। शाम से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चल रहे थे और भव्य गंगा आरती भी देखी थी। सुबह उठते ही एक सुखद समाचार मिला, छोटा भाई नाना बन गया है। पापा जी भी भाई-भाभी के साथ पोती के घर गये हैं।जून का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, शारीरिक से अधिक मानसिक, वे अपने काम के दिनों की व्यस्तता में कितना खुश रहते थे। सेवा निवृत्ति के बाद संभवतः यह उदासी स्वाभाविक है उस व्यक्ति के लिए जो दिन-रात अपने कार्य के प्रति समर्पित रहा हो, जिसने और कुछ करने के बारे में सोचा ही न हो। उसने उन्हें कुछ सुझाव दिये पर जब तक कोई बात ख़ुद के दिल से न निकली हो उस पर अमल करना आसान नहीं है।    


रात्रि के नौ बजे हैं। आज का दिन काफ़ी जीवंत रहा। सुबह के भ्रमण व साइकिल चलाने के बाद वे जंगल की तरफ़ कार द्वारा लंबी ड्राइव पर गये। पहली बार गुलदाउदी के फूलों का विशाल बगीचा देखा। धूप में फूलों का रंग बहुत शोख़ लग रहा था। आकाश में कार्तिक पूर्णिका का चंद्रमा अपनी पूरी दमक के साथ सुशोभित है। टीवी पर देव दीपावली का आँखों देखा हाल देखा। मोदी जी का भाषण भी सुना। घाटों पर ग्यारह लाख से अधिक दीपक जलाये गये हैं। वाराणसी में काफ़ी बदलाव आ रहा है। गंगा का पानी स्वच्छ हो गया है।सारनाथ में भी लेजर शो दिखाया जाए


Wednesday, July 19, 2023

ध्वनि की ऊर्जा

आज शाम से ही वर्षा हो रही है। कुछ देर पहले नन्हे से बात हुई, उसने बताया दिवाली का उत्सव वे अभी तक मना रहे हैं। आज सुबह एक मित्र परिवार ने उन्हें नाश्ते पर बुलाया था, दोपहर को उन्होंने पड़ोसियों को लंच पर आमंत्रित किया, शाम को पुन: उन दोनों को एक सहकर्मी के यहाँ दिवाली की चाय पर जाना था। रात को नौ बजे से उनका नृत्य अभ्यास है, जो एक मित्र के विवाह के अवसर पर उन्हें करना है। आज दीदी ने वर्ष भर पूर्व  उनके साथ की गई हिमाचल की यात्रा का विवरण भेजा, पढ़कर वे सारे दृश्य आँखों के सम्मुख आ गये। उसने सोचा, वह भी डायरी में लिखे यात्रा विवरण को टाइप करके उन्हें भेजेगी । बड़ी ननद के विवाह की वर्षगाँठ पर उसने एक कविता लिखी ।कल एक सखी के माँ-पापा के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप एक छोटा सा आलेख लिखा था, उसने अपने परिवार जनों की प्रतिक्रियाएँ भेजी हैं, अब तक बीस आ चुकी हैं। उनका परिवार बहुत बड़ा है। उसे महसूस हुआ, शब्दों में कितनी ताक़त होती है। 


सुबह वे टहलने निकले तो भोर का तारा गाढ़े नीले आकाश पर दमक रहा था। हवा शीतल थी। रात की रानी की सुगंध दूर से ही आ रही थी। मुख्य सड़क के मध्य में एक लंबी क़तार में इनके पौधे लगे हैं। योगासन के अभ्यास के दौरान छत से दिखा सूर्योदय का दृश्य अनुपम था। उसी दौरान पुन: गायत्री परिवार के लाल बिहारी जी का मनोमय कोष की साधना पर दिया व्याख्यान सुना। उनकी वाणी में कितनी प्रखरता है, बहुत गहरी साधनाएँ उन्होंने की हैं। बाद में एक परिचित, जो इसी सोसाइटी के  निवासी हैं, मिलने आये थे, तमिलनाडु के हैं। हर सुबह दौड़ लगाते हुए मिलते हैं। वे सात बार विपासना का कोर्स कर चुके हैं। उनसे बात करते हुए उसे अपने विपासना अनुभव याद आ रहे थे, उसके लिए एक बार ही यह अनुभव करना पर्याप्त है।  


बाहर से कुछ आवाज़ें आ रही हैं। उनकी बैठक की दीवारों में पानी के रिसाव के निशान दिख रहे थे, इस समस्या से छुटकारे के लिए बाहर दीवारों के पास खुदाई का काम चल रहा है, एक बार फिर से जलनिरोधी प्लासतर करना होगा। आज दिन में दो बार ‘सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ । एक प्याला टूटा और खाने की मेज़ पर पानी से भरा गिलास उलट गया। दोनों बार दाहिने हाथ से, अर्थात हाथ पर मन का नियंत्रण नहीं था और मन पर ख़ुद का। नन्हा और सोनू विवाह में पहुँच गये हैं, उसके मित्र ने लिंक भेजा है, चाहे तो वे भी यहाँ से सम्मिलित हो सकते हैं।’देवों के देव’ में कार्तिकेय और गणेश के मध्य प्रतिस्पर्धा होने वाली है। गणेश ही विजयी होंगे, कार्तिकेय के मन में एक गहरा घाव है जो इंद्र ने उसे दिया है अथवा उसके जन्म की घटनाओं के कारण उसे मिला है। वह कई बार कैलाश छोड़कर जा चुके हैं, कोई न कोई उन्हें मनाकर वापस लाता है। 


सुबह वे जल्दी उठे। उठने से पूर्व उसे लगा जैसे किसी ने कहा हो, ध्वनि एक ऊर्जा है। प्रात: भ्रमण के दौरान इसी बात पर मनन करते हुए मंत्र जाप किया। हर शब्द  की तरंगों का शरीर पर असर होता है।ओम के उच्चारण का अति प्रभाव होता है, इसीलिए इस पर इतने शोध हो रहे हैं। हज़ारों वर्षों से ऋषि यह कहते आये हैं। शरीर तरंगों से बना है, तो ध्वनि की तरंगें उसे प्रभावित करें इसमें आश्चर्य भी क्या है ? भीतर निरंतर एक गुंजन चल रही है, उसे सुनें या ना सुनें, वह हो ही रही है। वह ध्वनि कहाँ से आ रही है, क्या वह प्राण ऊर्जा की गति के कारण है, जैसे बिजली की तारों से एक ध्वनि आती है। इस देह में न जाने कितने रहस्य छिपे हैं। गुरुजी के भगवद्गीता पर दिये प्रवचन का एक अंश सुना। वे गूढ़ विषयों को भी सरल भाषा में समझा देते हैं। शाम को एक निर्देशित ध्यान किया था, मन कितना हल्का हो गया था उसके बाद। जून को भी अच्छा लगा। अब वह पुन: कर रहे हैं। उन्हें अपने आप ध्यान के लिए बैठे देखकर अच्छा लगा। उन्हें ध्यान के महत्व का ज्ञान हो रहा है।  


आज साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था। सुबह सर्दियों की ठंड के साथ शुरू हुई। तापमान चौदह डिग्री था, वे जैकेट आदि से मुस्तैद होकर निकले। दोपहर को धूप निकल आयी थी। फूलों के चित्र उतारे, जो धूप में और भी शोख़ लग रहे थे। शाम को सूर्यास्त के चित्र  फ़ेसबुक पर प्रकाशित किए। आर्ट ऑफ़ लिविंग के अनुवाद कार्य के बाद  दोपहर को ब्लॉग पर लेखन  व पठन कार्य, लिखा कम, पढ़ा अधिक। हिमाचल की यात्रा का वृतांत पिताजी व दीदी दोनों को अच्छा लगा। नन्हे के मित्र ने विवाह के बाद एक उपहार भेजा है, बहुत बड़ा सा पैकेट है। उन्होंने अनुमान लगाया, उसमें क्या हो सकता है। 

   


Thursday, July 13, 2023

दिवाली के दीपक

दिवाली के दीपक 

रात्रि के पौने नौ बजे हैं। आज मौसम ठंडा है। सुबह वे टहलने गये तो तापमान सत्रह डिग्री था, जैकेट पहनकर नहीं गये थे, शुरू में ठंड लगी फिर तेज चलने से गर्माहट आ गई; साइकिल चलाने से तो ठंड भाग ही गई।आज विज्ञानमय कोष के बारे में सुना। अथाह ज्ञान है शास्त्रों में। मानव शरीर में कितना बल, ज्ञान और शक्ति का भंडार छुपा  है। इसी देह में जन्म लेकर कोई मानव देवता बन जाता है। अवतारी पुरुष, संत, साध्वी स्त्रियाँ सभी के पास तो वही मानव देह तथा मन, बुद्धि है, जिसे साधकर कोई भी चाहे तो अपने जीवन को उन्नत कर सकता है। दोपहर को कपूर तथा सिट्रेनेला की सुवास डालकर पहली बार मोमबत्तियाँ बनायीं। दिवाली पर जलकर वे प्रकाश तथा सुगंध  फैलायेंगी। उत्सव को तीन-चार दिन ही रह गये हैं। उनके पड़ोसी हुसूर जाकर ढेर सारे पटाखे लाए हैं, उन्हें लाने की ज़रूरत ही नहीं है, देख-सुन कर ही काम चल जाएगा। कुछ पिछले वर्ष के बचे हुए हैं। बहुत दिनों बाद छोटी बहन से बात हुई, कुछ उदास थी, पर हर दुख उन्हें आगे ले जाता है। गुरू माँ से ‘गुरु गीता; का पहला भाग सुना। कह रही थीं, यदि रात को स्वप्न आते हैं तो मन अभी भी विचारों से मुक्त नहीं है। उसे स्वप्न तो आते हैं पर कुछ न कुछ सिखाने के लिए, किसी न किसी समाधान के लिए। छोटी भांजी के जन्मदिन पर एक कविता लिखी।


आज धन तेरस है। सुनील इलेक्ट्रीशियन ने छत पर व गैराज में बिजली की झालरें लगा दी हैं। दिवाली के विशेष भोज सूची भी बनाकर वे दिवाली की ख़रीदारी करने गये और इसी एरिया में स्थित वृद्धाश्रम में मिठाई देने भी। फ़ेसबुक पर उसकी कविता की पापा जी ने सुंदर शब्दों में तारीफ़ की है। महादेव में गणेश को गज का सिर लगा दिया गया है, कितनी विचित्र गाथा है गणपति के जन्म की और शिव से उनके प्रथम मिलन की।वैसे शिव से मिलने के लिए सभी को अपना सिर कटवाना ही पड़ता है। 


आज नरक चतुर्दशी है यानि छोटी दिवाली, कल के लिए बैठक में विशेष सजावट की है। विशेष भोज की भी थोड़ी बहुत तैयारी कर ली है।बच्चे सुबह-सुबह आ जाएँगे। अभी फ़ोन किया तो पता चला वे घर से बाहर दिये जला रहे थे। छोटी बहन से बात की, वे लोग भी घर में लाइट लगवा रहे थे। आज वह प्रसन्न थी, इंसान का मन कितना नाज़ुक होता है। आत्मा दृढ़ होती है, जिसे कुछ भी छू नहीं पाता।


सुबह समय पर उठे, वातावरण में जैसे उत्साह फैला हुआ था। नन्हा व सोनू आये तो उन्हें रवा इडली का नाश्ता करवाया। दोपहर को पंजाबी छोले-चावल व आलू-परवल की लटपटी सब्ज़ी। शाम को विधिवत दिवाली की पूजा की, बाहर दीपक जलाये। एक-दूसरे को उपहार दिये। जून के लिए लाल सिल्क का कुर्ता लाए हैं वे और उसके लिए भी सिल्क की एक ड्रेस। वर्षों से इसी तरह उत्सव मानते आ रहे हैं, पर हर बार एसबी कुछ जैसे नया-नया सा लगता है। दीपकों के प्रकाश में सबके चेहरे कैसे किसी अनजानी ख़ुशी से दमकने लगते हैं। रात के भोज में नन्हे के कुछ मित्र आये। वे अपने साथ पटाखे लाये थे, सभी मिलकर बाहर जलाते रहे। उसने पनीर मसाला, सूरन के कोफ़्ते, ग्वारफली व आलू की सब्ज़ी, रायता और पुलाव बनाया, मिठाइयों की पूरी एक क़तार थी, पर सभी की ज़्यादा रुचि आतिशबाजी में थी।कुल मिलकर यादगार दिवाली रही। 


आज गोवर्धन पूजा है, अर्थात गायों की वृद्धि के लिए कामना करने का दिन, प्राचीन  काल में पशु धन से ही किसी की सपन्नता का भान होता था। आज साइकिल के गियर आये, एक्स बॉक्स पर कार रेस का गेम खेला। दोपहर को बच्चे वापस चले गये। शाम को तेज वर्षा हुई थी पर रात होते-होते रुक गई। इस समय पड़ोसी के यहाँ से बम फूटने की आवाज़ें आ रही हैं।संभवत: दिवाली के पटाखे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं और न ही उनका जोश ! 


Wednesday, July 5, 2023

पीले रंग की साइकिल


पीले रंग की साइकिल 


जीवन एक शांत नदी की धारा की तरह सुचारू रूप से चल रहा है। आज दोपहर को उसने गणेश जी की पाँच छोटी मूर्तियों पर रंग भरना आरंभ किया। महादेव में समुद्र मंथन हो गया है, किंतु अमृत का बँटवारा अभी शेष है। गायत्री के संस्थापक आचार्य राम शर्मा जी की पुस्तक “चेतन, अचेतन व सुपर चेतन” एक बार फिर पढ़नी आरंभ की है, जो वर्षों पूर्व महिला क्लब की एक एक वरिष्ठ महिला ने भेंट में दी थी। वह कहते हैं, विचार प्राणशक्ति की स्फुरणा है, यदि प्राणशक्ति प्रबल है तो विचार भी सुदृढ़ होंगे। 


आज शाम को आकाश पर बादलों के सुंदर रूप-रंग देखने को मिले। सारा आसमान जैसे रंगों से सराबोर हो गया था।वे टहलने गये थे तथा कुछ फल भी ख़रीदने थे, जून जब दुकान में गये, तो उसने तस्वीरें उतारीं। सुबह-सुबह मन ने यह निर्णय लिया था कि प्रकृति के सौंदर्य के चित्र खींचना और उन्हें प्रकाशित करना यदि इस भाव से हो कि इससे वातावरण में सात्विकता का प्रसारण होगा तो यह भी पूजा का एक कृत्य है। उनके सभी कार्य ईश्वर के लिए हों तो वे यज्ञ स्वरूप हैं। शाम को नन्हे का फ़ोन आया, वे लोग रात को आयेंगे। ठीक आठ बजे वे पहुँच गये। उसके लिए एक पीले रंग की सुंदर लेडीज़ साइकिल लाए हैं। सुबह या शाम वह सुविधानुसार उसमें अभ्यास कर सकती है। साइकिल पर बैठकर हवा को चेहरे पर महसूस करना उसे बचपन में बहुत भाता था। कक्षा सात में थी जब पहली बार पिताजी की बड़ी साइकिल पर सीखना शुरू किया था। अब वर्षों से नहीं चलायी है पर एक बार कोई सीख ले तो भूल नहीं  सकता। जून के पास भी नन्हे की गियर वाली साइकिल है। सोनू उसके लिए लाल छोटे फूलों वाला गाउन भी लायी है। उन्हें एक मित्र के विवाह में सम्मिलित होने कुर्ग जाना है। उसके लिए नृत्य का अभ्यास कर रहे हैं। कोई महिला कोरियोग्राफ़र हैं जो ऑन लाइन अभ्यास कराती हैं। आज सुबह उठी तो दिल में एक हल्की सी ख़लिश थी एक कामना की, जब भी वे आत्मा से नीचे उतर कर अनात्मा के साथ अपनी पहचान बना लेते हैं, तभी भीतर असंतोष उभरता है। बाद में चिंतन-मनन के द्वारा भीतर ही समाधान मिल गया। कर्ता भाव से ही मन बंधन में बंधता है। यही दुख का कारण है। स्वयं को परमात्मा का एक अंश मानकर कर्म होते देना है, पर फल की इच्छा नहीं रखनी। स्वयं को वह परदा मानना है जिस पर दृश्य आ रहे हैं और जा रहे हैं। देह के भीतर उत्पन्न होने वाले स्फुरण को उत्पन्न होते व अस्त होते हुए देखना ही आत्मा की तरफ़ कदम बढ़ाना है; जिसे कोई व्याकुलता नहीं होती, चाहे कितने ही स्फुरण उत्पन्न होकर नष्ट हो जायें, वह सदा पूर्ववत ही रहती है। सुबह साइकिल भी चलायी, बहुत हल्की चलती है। नाश्ते में मकई की रोटी खाकर बच्चे चले गये , उन्हें अपने तीन मित्रों के यहाँ जाना था। शाम को नन्हे का भेजा मोमबत्ती बनाने वाला बॉक्स खोला, जिसमें पूरी विधि लिखी है तथा शीशे की बोतलें भी दी गई हैं, जिसमें वे मोम को पिघलाकर डालने वाले हैं। पापा जी से बात की, अब वे स्वस्थ हैं। उन्होंने ट्रम्प व बाईडेन की बातें भी की। टहलने गये तो वही वृद्ध व्यक्ति मिले, उनका ड्राइवर उनकी बहुत शिकायत कर रहा था। उसे पता ही नहीं है, उनकी शिकायत करके वह अपना ही नुक़सान कर रहा है। 


रात्रि भ्रमण हो चुका है। वापस आकर मोबाइल हाथ में लिया तो समय का पता ही  नहीं चला। इधर-उधर करते-करते बहुत समय ले लेता है, जब कि उस समय का कुछ और उपयोग भी किया जा सकता है। आज सुबह तन्मात्रा पर जानकारी ली, पाँच तत्वों की जो सूक्ष्म शक्तियाँ हैं, इनकी इंद्रियजनित अनुभूति को तन्मात्रा कहते हैं। अभी भी पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं हुआ है। शब्द, स्पर्श आदि का सूक्ष्म रूप है या स्थूल रूप यह तन्मात्रा। जब वे कोई शब्द सुनते हैं तो मन में जो भाव उत्पन्न होता है वह है तन्मात्रा या वह शब्द है। कोई विशेष गंध न होकर शायद गंध मात्र को ही तन्मात्रा कहते हैं।इंद्रियों और तन्मात्राओं के मिश्रण से जो अनुभूति होती है, उसे ही पाने के लिए मनुष्य के विविध विचार और कार्य होते हैं। वह आजकल ‘मन’ के बारे में पुस्तक पढ़ा रही है, अंततः मन की साधना ही तन्मात्रा की साधना है।  


Thursday, June 29, 2023

गणपति की मूर्तियाँ

गणपति की मूर्तियाँ


आज पहली तारीख़ है, सभी को मासिक भत्ता दे दिया। कामवालियाँ, दूधवाला, फूलवाली, पेपरवाला, माली सभी को, पानी का बिल आना अभी शेष है। जून मोबाइल पर दिवाली पर देने के लिए मिठाई देख रहे हैं। ऑन लाइन के जमाने में दुकानें भी मोबाइल पर दिख जाती हैं। ‘देवों के देव’ में महादेव और कार्तिकेय के सुंदर संबंध के दृश्य देखे, बिना आसक्त हुए रिश्तों को निभाना आये तो इससे सुंदर कुछ भी नहीं ! पार्वती  को एक पुत्री की प्राप्ति हुई है, जिसका नाम अशोक सुंदरी है, यह बात पहले उसे ज्ञात नहीं थी। आज छोटी ननद से बात की, उन्होंने योग शिक्षक से योग सीखना आरंभ किया है, शाम को घर पर आकर एक घंटा अभ्यास कराता है। योग को जीवन का अंग बनाये बिना स्वस्थ रहना कठिन है। दोपहर को पिता जी से बात की। उन्हें बीच-बीच में बायें कूल्हे में दर्द होता है। छोटे भाई ने बताया, हफ़्ते में एक बार उन्हें इंजेक्शन लगाने नर्स आएगी। सुबह एक अजीब सा स्वप्न देखा। जिसमें ख़रगोश थे जो अपने बच्चों के पीछे भाग रहे थे और उनका अवशेष भक्षण कर रहे थे। पता नहीं क्या अर्थ है इसका, बाद में पढ़ा, ख़रगोश को स्वप्न में देखना शुभ माना जाता है। मन तो शंका करने में सिद्धहस्त है, नये विचार करने लगा, सो उठने में देर हो गई, जबकि हर स्वप्न जगाने के लिए आता है।  


दोपहर को एक उपहार मिला, सोनू ने भेजा है।जिसमें  गणपति की मूर्तियाँ बनाने के लिए सभी सामग्री दी गई है। प्लास्टर ऑफ़ पेरिस, मोल्ड और रंग ब्रश आदि भी। पहली बार वह गणेश की मूर्ति स्वयं बनाने वाली है। पिता जी का स्वास्थ्य अब बेहतर है, उन्होंने फ़ेसनुक पर उसकी एक कविता पर टिप्पणी की, इसी से पता चलता है। मंझले भाई का तबादला दिल्ली हो गया है, उसे डेढ़ वर्ष और जॉब में रहना है। इसके बाद वह भी सेवानिवृत्ति के विश्राम भरे सरल जीवन का आनंद लेगा, जैसा  वे आजकल ले रहे हैं। जून शाम को गरिष्ठ पराँठे खाना चाहते थे, उसने जरा सा टोका तो वह ख़फ़ा हो गये, बाद में उन्हें खिलाए पर एक बार मूड बिगड़े तो सही होने में थोड़ा समय तो लगता ही है। उसके पास अब मूड रहा ही नहीं, जो है भीतर सदा एकरस है ! 


सुबह नींद जल्दी खुली, जब वे टहलने गये, आकाश में तारे खिले थे, भोर का तारा बहुत चमकीला था और चंद्र दर्शन भी हुए। गुरुजी के प्रति मन कृतज्ञता से भर गया, भीतर समता स्थिर होती जा रही है, सब उन्हीं की कृपा है। शाम को उन्होंने शक्ति ड्राप तथा कबासुर औषधि व धन्य लक्ष्मी तरु के बारे में बताया। यह भी कि हर तरह के भय से मुक्ति ही साधना का परम लक्ष्य है। गायत्री परिवार के किन्हीं लालबिहारी जी से आनन्दमय कोष के बारे में सुना, बहुत अच्छा बोलते हैं। जे कृष्णामूर्ति को भी सुना, किसी ने उनसे पूछा, वह असंतुष्ट है, किसी भी तरह से उसे अपने भीतर की असंतुष्टि का जवाब नहीं मिला। जवाब में जे के ने  कहा, ज़्यादातर लोग असंतोष की इस भावना को पनपने ही नहीं देते, वे किसी न किसी उपाय से इसे दबा देते हैं। हम बहुत थोड़े से ही संतुष्ट हो जाते हैं पर यदि इसे जलती हुई ज्वाला बना लें तो एक दिन इसका उत्तर मिल ही जाता है। अब सवाल यह है कि क्या उसके भीतर की वह आग अब भी जल रही है या शांत हो गई है? वास्तव में एक बार यह आग किसी के भीतर जलती है तो सदा के लिए जलती रहती है। हाँ, इसे एक दिशा मिल जाती है। यह दुख का कारण नहीं रह जाती , एक गहरे संतोष का कारण बन जाती है। पर वह सन्तोष ऐसा नहीं है कि जिसे सदा के लिए अपने पास रख लिया जाये। यह तो फूल की तरह है, या प्रातः समीरण की तरह, यह अपने होने का अहसास भी देता है और सदा अप्राप्य भी बना रहता है। एक यात्रा है जो सदा ही चलती रहती है। 


Wednesday, June 28, 2023

शनि ग्रह का वलय

आज शाम को वे सोसाइटी के छोटे से सुपर मार्केट गये, नारियल, चना मसाला और टमाटर लेने थे। कल यहाँ पहली बार कंजका मनानी है। बच्चे भी आयेंगे। कल ही दशहरा भी है। पीछे वर्ष असम में मनाया था यह उत्सव। आज सुबह वे घर के बाहर थे और दरवाज़ा अंदर से बंद हो गया। जाली वाले दरवाज़े के क़ब्ज़े खोलकर आना पड़ा, बाद में उसे पुन: लगवा दिया, पर उस आधे घंटे में उसे खोलने के कितने सारे उपाय अपनाए। आज जून के केश उसने ख़ुद ही छाँट दिये। सोनू ने जून के लिए मण्डल कला पर एक पुस्तक तथा स्केच पेन का एक सेट भेजा है, जिसमें सुंदर डिजाइन बने हैं, जिनमें रंग भरने हैं। उन्होंने रंग भरना आरंभ भी कर दिया है।  


दशहरे का पर्व सोल्लास मनाया। सुबह पूजा का प्रसाद बनाया। प्राणायाम करते समय मनोमय कोष के बारे में सुना, ज्ञान का कोई अंत नहीं है।रावण की शिव स्तुति सुनी। महादेव का एक अंक देखा, जिसमें देवी काली का रूप धरती हैं, महादेव उनका क्रोध शांत करने के लिए नीचे लेट जाते हैं। एक सखी का साईं बाबा का भजन सुना, उसने आज ही रिलीज़ किया है यू ट्यूब पर। नन्हा और सोनू एक मित्र के साथ आये। दोपहर को महीनों बाद पनीर टिक्का बनाया। शाम को सूर्यास्त की तस्वीरें उतारीं, उससे पूर्व सुडोकू हल किया, अख़बार में पहेलिययाँ हल करना खबरें पढ़ने से भी ज़्यादा अच्छा लगने लगा है। दिन कैसे बीत जाता है, पता है नहीं चलता।  


अक्तूबर समाप्त होने वाला है, पर मौसम आज गर्म है। नीचे के कमरे ठंडे रहते हैं। देवों के देव, में कार्तिकेय का जन्म हो गया है, पर अभी वह अपने माता-पिता के पास नहीं आया है, जो जगत के भी माता-पिता हैं। दीपावली की सफ़ाई के शुभारंभ करने का  समय आ गया है। कुछ देर पूर्व टहलने गये तो बादलों में छिपे चंद्रमा के दर्शन हुए। कल शरद पूर्णिमा है। नन्हे ने टेलीस्कोप से वीनस देखने को कहा था, पर अभी आकाश पूरी तरह निर्मल नहीं हुआ है।कल रात्रि एक अद्भुत स्वप्न देखा, अनाहत चक्र पर कुछ तेज-तेज घूम रहा था, जैसे कोई चक्की चला रहा हो, फिर आज्ञा चक्र पर सुंदर दृश्य दिखने लगे। मानव के भीतर कितने रहस्य छिपे हैं। जे कृष्णामूर्ति को सुनना एक अलग ही अनुभव है। वह चीजों को बहुत गहराई से देखते हैं। दो दिनों से गायत्री परिवार के एक साधक को सुनना आरम्भ किया है, वह बिहारी हैं और उनका बोलने का ढंग बहुत रोचक है। वह प्राणायाम के गूढ़ रहस्यों के बारे में बताते हैं। इस विश्व में अनंत ज्ञान है, हम कुछ भी नहीं जानते, पहले ये वाक्य शब्द मात्र थे, अब प्रत्यक्ष हो रहे हैं। जून ने ‘सूटेबल बॉय’ देखना शुरू किया है, नेटफ़्लिक्स पर। वर्षों पूर्व उसने विक्रम सेठ की यह पुस्तक पढ़ी थी। कुछ पात्र बहुत अच्छे लगे थे। उनके पड़ोस में एक नया घर बनना आरम्भ हुआ है, अब शोर सुनने का अभ्यास भी डालना पड़ेगा।


आज रविवार का दिन अन्य दिनों की अपेक्षा व्यस्त गुजरा। कर्नाटक का राज्योत्सव दिवस है आज, जून ध्वजारोहण के कार्यक्रम में शामिल होने गये। कम ही लोग आये थे। उसने गमलों की देखभाल की, फूलों के नये पौधे लगाये। नैनी से सिट आउट का फ़र्श धुलवाया। दोपहर तक बच्चे भी आ गये। वे आज दिवाली के लिए दिये भी लाये। शाम को नयी गाड़ी की पूजा की। नारियल फोड़कर, धूप दिखाया, कपूर जलाकर आरती की। चॉकलेट का प्रसाद बाँटा। आम के पत्ते से गंगाजल का छिड़काव किया। पूजा के बाद सब टहलने गये, और वापस आकर टेलीस्कोप से शनि ग्रह के दर्शन किए, उसका वलय भी दिख रहा था। महादेव में कार्तिकेय ने युद्ध जीत लिया है, तारकासुर की मृत्यु हो गई। महादेव जब पुत्र को समझाते हैं, तो उनकी भाव मुद्रा में अत्यंत स्नेह भरा होता है।रात्रि भोजन में खीरा, टमाटर, गाजर के सैंडविच बच्चों ने ही बनाये। अब वे घर पहुँचने वाले होंगे।