Friday, July 19, 2024

‘द अनटेथर्ड सोल’

द अनटेथर्ड सोल


खिड़की से आती हुई ठंडी हवा के झोंके यहाँ पलंग तक आ रहे हैं, जहाँ बैठकर वह लिख रही है। आज भी वर्षा की भविष्यवाणी थी, पर हुई नहीं। एक और रविवार परिवार के साथ मिलकर मनाया। सुबह माली से आश्रम से लाए तुलसी और पोंसेतिया के पौधे लगवाए। माइकल की दूसरी किताब ‘द अनटेथर्ड सोल’ आ गई है, कुछ पन्ने पढ़े। उसमें भी यही कहा है, अपनी वास्तविक पहचान का विस्मरण नहीं करना है। स्वयं को आत्मस्थ रखना है, भूलना नहीं है कि वे कौन हैं ? वे बाहरी दृश्यों में स्वयं को इस तरह खो देते हैं कि अपने आपको ही भूल जाते हैं। विचारों और भावनाओं से स्वयं को तुष्ट करना चाहते हैं पर वे उनसे भी परे हैं। सुबह टहलते समय पुस्तक में ह्रदय चक्र के बारे में पढ़ी बातों पर ध्यान लगा रहा। 

आज संस्कारों के बारे में पढ़ा, किस तरह कोई वर्षों पुराना संस्कार जागृत होकर ह्रदय की धड़कन को बढ़ा सकता है। साधक को साक्षी भाव में रहकर उसे देखना है, प्रभावित नहीं होना है। संस्कार ऐसे ही छूटते जाते हैं और एक दिन भीतर शुद्ध चेतना ही रह जाती है। भय का संस्कार भी ऐसे ही निकल सकता है।आत्मस्थ रहने का प्रयास ही साधना है, वही पुण्य है और वही समाधि है। मौन से बहुत से काम आसानी से हो जाते हैं।आज मौसम ज़्यादा गर्म है, फागुन आने ही वाला है, अर्थात होली की रुत ! बचपन में कितने पापड- चिप्स बनते थे इन दिनों। शाम को पापाजी से बात हुई, उन्होंने कहा, उसे अपनी रचनाएँ अख़बार में छपने के लिए भेजनी चाहिए। वे मोदी जी की बहुत तारीफ़ कर रहे थे। बड़े भाई ने एक पुस्तक का लिंक भेजा है, ‘लिविंग ऑन द एज’, इस पुस्तक की समाप्ति पर उसी को पढ़ना शुरू करेगी। 


‘देवों के देव’ में जालंधर का आज अंत हो गया। शिव व पार्वती का पुनर्मिलन हुआ। प्रकृति और पुरुष का मिलन, जैसे मन और आत्मा का मिलन। मन प्रकृति का अंश है और आत्मा पुरुष का।सुबह टहलने गये तो जून ने कहा, उम्र के कारण उन्हें थकान का अनुभव हो रहा है। फिर उन्होंने दीपक चोपड़ा की पुस्तक ‘एजलेस बॉडी टाइमलेस माइंड’ के कुछ अंश उन्हीं की वाणी में सुने। वह कहते हैं, शरीर ठोस नहीं है, बल्कि तरंगों से बना है तथा प्रतिपल बदल रहा है। उसमें बदलाव लाता है मन, यदि मन सकारात्मक है तो शरीर में अच्छे रसायन उत्पन्न होंगे तथा रोग नहीं होंगे। यदि तनाव बना रहा तो हानिकारक रसायन उत्पन्न होंगे जो बुढ़ापे के लक्षण जल्दी ला सकते हैं। क्वांटम फ़िज़िक्स के अनुसार सभी पदार्थ ऊर्जा से ही बने हैं, अंततः वे ऊर्जा हैं, मन भी ऊर्जा है, जो देह पर हर क्षण प्रभाव डालती है।


आज आश्रम में हुए सत्संग में गुरुजी को सुना। उन्होंने कई प्रश्नों के उत्तर दिये। एक प्रश्न के उत्तर में बताया, सब कुछ ब्रह्म है, ब्रह्म ही सत्य है, शेष सब मिथ्या है, सब स्वप्न है अथवा तो शून्य है। इतना श्रेष्ठ ज्ञान इतने सारे लोगों को एक साथ वह दे देते हैं क्योंकि वह स्वयं उसमें स्थित हैं। जैसे कृष्ण ने आरंभ में ही अर्जुन को आत्मा का श्रेष्ठ ज्ञान दिया, पर वह समझ नहीं पाया। धीरे-धीरे कर्मयोग व भक्ति योग की बात करते हुए पुन: गुह्यतम ज्ञान दिया।सुबह योग साधना करते समय ‘वृद्धावस्था में वजन क्यों कम हो जाता है’, इसकी जानकारी एक वीडियो से ली, ताकि दीदी को कुछ सुझाव दे सके। 


जून के एक पुराने सहकर्मी के यहाँ गये आज सुबह, उन्होंने नींबू, इलायची और गुड़ का शरबत पिलाया। बातचीत के दौरान वह कहने लगे, कोरोना विष्णु का ग्यारहवाँ अवतार है, जो दुनिया में असमानता को दूर करने के लिए आया है। अमीर-ग़रीब हर देश को इसका क़हर झेलना पड़ा है। उन्हें साथ लेकर एक अन्य सहकर्मी के श्राद्ध में जाना था। वहाँ कई पुराने परिचितों से भेंट हुई। पता चला, जाने वाले को दर्द रहित बहुत आसान मृत्यु मिली, वह स्वयं गाड़ी चलाकर डाक्टर के पास सीने में हो रही घबराहट का इलाज कराने गये थे, जहाँ से लौट नहीं पाये। दो पुत्रों व पत्नी को छोड़ गये हैं, परिवार धीरे-धीरे संभल ही जाएगा। केले के पत्ते पर परोसा गया श्राद्ध का दक्षिण भारतीय भोज सोलह व्यंजनों से बना था।जीवन इसी आवागमन का नाम है।    

   


Tuesday, July 9, 2024

किनोवा की उपमा

किनोवा की उपमा 

सुबह फिर देर से नींद खुली। कल रात फिर एक दु:स्वप्न देखा। भांजी एक कार चला रही है, जिसमें पिछला दरवाज़ा खुला है। वह सुनती नहीं और तेज़ी से गाड़ी को ले जाती है। कार एक गड्ढे में गिर जाती है। स्वप्न के बाद नींद खुल गई, फिर देर बाद आयी। मन कितने स्वप्न बुन लेता है, फिर भाई को भी देखा, बचपन की कितनी बातें याद हो आयीं। पिछले जन्मों से भी जुड़ी हैं जिसकी तारें। सुबह उससे बात की, बिटिया ठीक है, पचास मंज़िल वाली इमारत में चौबीसवीं मंज़िल पर रहती है। आजकल वहाँ भी लॉकडाउन है, घर का सामान ऑर्डर करने से आ जाता है; यह भी बताया उसके समधी नाराज़ हैं, वक्त ही बताएगा, आगे क्या होने वाला है।शाम को जून के एक पुराने मित्र से उनकी बात हुई, उनकी बहू भी नाराज़ होकर घर छोड़कर चली गई है, बात तलाक़ तक पहुँव गई है। आजकल विवाह टूटना सामान्य बात होती जा रही है। ‘द सरेंडर एक्सपेरिमेंट’ पुस्तक उसने पूरी पढ़ ली है। बहुत अच्छी पुस्तक है, जो यह बताती है कि मानव के जीवन में होने वाले तनाव और चिंता का कारण बाहरी परिस्थितियाँ नहीं बल्कि उसके मन की यह धारणा है कि अपने जीवन को वह चला रहा है, जबकि यहाँ सब कुछ अपना आप हो रहा है, यदि कोई समर्पण के भाव से जीवन को जीना सीख ले तो अपनी ऊर्जा को व्यर्थ गँवाने की जगह उसका उपयोग अच्छी तरह कर सकता है। जून ने इसी लेखक की दूसरी किताब भी ऑर्डर कर दी है। वह आजकल चेतन भगत की एक किताब पढ़ रहे हैं, जो नूना को कम भाती है। 


सुबह उस समय अंधेरा ही था, जब वे टहलने गये; आकाश में बादल थे।छह बजे के समाचार सुने और फिर विविधभारती पर भजन। बचपन से घर में सुबह इसी तरह रेडियो के साथ होती थी। नाश्ते में किनोवा की उपमा बनायी, उसे पता ही नहीं था कि बथुआ के बीज को किनोवा कहते हैं, इससे होने वाले अनेक फ़ायदों के बारे में अवश्य सुना था।  आज वसंत पंचमी पर कविता पोस्ट की, और कंचन के फूलों की तस्वीरें उतारीं । दोपहर को जून ने गोभी व कुछ अन्य सब्ज़ियाँ डालकर चावल बनाये। उनकी पाककला में निखार आता जा रहा है, और उसे लिखने-पढ़ने का अधिक समय मिल जाता है।सुबह जून के एक पुराने सहकर्मी के देहांत का समाचार मिला, जो बैंगलुरु में ही रह रहे थे। नन्हे ने अति उत्साहित होकर बताया शनिवार को वे लोग मित्रों के साथ मैसूर के पास कैंपिंग के लिए जा रहे हैं, इतवार को लौटते समय आयेंगे और उन्हें अपने अनुभवों के बारे में बतायेंगे। कैंपिंग की बात सुनकर ही उसका मन भी कल्पना में प्रकृति के साथ एक हो गया है। वर्षों पहले उत्तरकाशी में नदी किनारे टहलते समय कुछ कैंप देखे थे, जब वे वहीं एक नये बने छोटे से होटल में रह रहे थे। शायद तभी नन्हे के मन में भी इस इच्छा का बीज पड़ा होगा, जो आज साकार हो रही थी।   


आज सुबह वे आश्रम गये। वहाँ कदम रखते ही एक अलग तरह का सुकून महसूस होता है। शाम को बहुत भीड़-भाड़ होती है, पर सुबह बहुत कम लोग थे, हरे-भरे रास्तों पर टहलते हुए प्रकृति के सान्निध्य का आनंद लिया, कुछ तस्वीरें उतारीं। बगीचे में सीढ़ियों पर बैठकर ध्यान किया। विशालाक्षी मंडप में कुछ समय बिताया। नारियल पानी पिया, आश्रम की नर्सरी से कुछ पौधे ख़रीदे। दोपहर होने को थी, सो विशाला कैफ़े में दोसा खाया। शाम को बड़े टीवी पर सत्संग का सीधा प्रसारण देखा। गुरु जी ने हँसते-हँसाते प्रश्नों के जवाब दिये, ध्यान कराया। एक क़व्वाली पर नृत्य की मुद्राएँ भी बनायीं। वह कितने सहज रहते हैं, बीच-बीच में बालों को संवारते हैं, हर प्रश्न के उत्तर में किसी न किसी तरह आत्मा की ओर लौटने की बात बताते हैं। जीवन में गुरु के पदार्पण के बाद ही यह आभास होता है कि वे जी तो रहे हैं लेकिन यह भी नहीं जानते कि जीवन का उद्देश्य क्या है ? उससे भी पहले, वे कौन हैं ? योग साधना द्वारा यह ज्ञात होने पर कि वे देह या मन नहीं हैं, बल्कि इनका आधार शुद्ध, बुद्ध आत्मा हैं, यह खोज समाप्त हो जाती है। अब जीवन पहले की तरह बेहोशी में तो नहीं चल सकता। मात्र देह धारण किए रहना तो आत्मा का ध्येय नहीं हो सकता। आत्मा की शक्तियों व उसके गुणों का अनुभव करना और उन्हें अभिव्यक्त करना हो सकता है। आज सुबह नापा में हो रहे ‘सूर्य नमस्कार’ के आयोजन में भाग लिया। जीवन में दूसरी बार १०८ बार सूर्य नमस्कार किया। इसके पूर्व एक बार असम में किया था। शाम को तेज वर्षा हुई; बादलों ने बरस कर जैसे पूरी तरह अपना जी हल्का कर लिया।  


Wednesday, June 19, 2024

इलेक्ट्रिकल फ़ॉल्ट

रात्रि के नौ बजने वाले हैं, कमरे में शीतल सुगंधित पवन बहकर आ रहा है।प्रातः सूर्योदय के सुंदर दृश्य भी देखे थे, कुदरत मानव को लुभाने के कितने अवसर जुटाती है पर वह है कि अधिकतर समय कमरों में बंद ही रहता है; न हो तो कुदरत के सौंदर्य को बिगाड़ने के फेर में लगा रहता है। सड़क चौड़ी करने के नाम पर कितने पुराने पेड़ काट दिये गये, जिन्हें बड़ा होने में वर्षों लगे थे, उन्हें एक दिन में ही धूल धुसरित कर दिया गया। नाश्ते में सहजन के पत्तों के पराँठे बनाये, जो घर आते सड़क किनारे के एक पेड़ से उसे आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने तोड़े थे। सहजन का वृक्ष भी प्रकृति का एक और वरदान है, इसके पत्ते, फूल और फल सभी गुणों से भरे हैं । दोपहर को एओएल का अनुवाद कार्य भेजा, समन्वयक ने कहा उसकी एक तस्वीर भी चाहिए, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने माँगी है। नन्हे की दी ‘माइकल ए सिंगर’ की पुस्तक ‘सरेंडर एक्सपेरिमेंट’ आगे पढ़ी, बहुत अच्छी है। नन्हे को इस तरह की पुस्तकों में रुचि है, पिछली बार उसने ‘कुंडलिनी’ नाम की एक पुस्तक दी थी; वर्षों पहले उसने इस्कॉन की पुस्तकें पढ़ना शुरू किया था, पर बाद में कॉलेज की पढ़ाई और मित्रों के साथ से सब छूट गया; पर उसे यक़ीन है एक दिन वह भी आत्मा की खोज में अवश्य जाएगा, हरेक को जाना ही पड़ता है। 


सोनू ने नये कुशन कवर भेजे हैं, जिस पर सुंदर गुलाबी फूल बने हैं। उनका फ्रिज भी आज ठीक हो गया। पहली बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उसके फ़ोटो के साथ आयुर्वेद पर लेख छपा है। कल से उन्होंने रात्रि भोजन का समय बदल दिया है, रात्रि भोजन और सोने के मध्य कम से कम दो घंटे का अंतर होना चाहिए, ऐसा कितनी ही बार स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सुना है। गहरी नींद लाने के लिए सोने से पहले योग निद्रा करना भी अच्छा है। शाम को गुरु जी का सत्संग सुना। उन्होंने कहा, व्यक्ति को चिंता नहीं चिन्तन करना चाहिए, अपने मन की गहराई में बसे ईश्वरीय प्रेम पर सदा भरोसा करना चाहिए। छोटे भांजे के लिये एक कविता लिखी, परसों उसका जन्मदिन है। आज एक पुरानी डायरी को विदा दे दी, इसी तरह एक-एक करके पुरानी वस्तुओं को विदा देनी है, ताकि अंतिम यात्रा तक बिलकुल ख़ाली हो जाये मन ! 


आज का दिन विचित्र अफ़रातफ़री में बीता। जिसकी शुरुआत कल रात साढ़े ग्यारह बजे से ही हो गई थी; जब अचानक उनकी नींद कुछ आवाज़ें सुनकर खुली। पहले लगा जैसे कुछ समान कहीं गिरा हो, पर जब रुक-रुक कर आवाज़ें आने लगीं तो समझ में आया कहीं इलेक्ट्रिकल फ़ॉल्ट है, एक-एक करके फ्यूज उड़ रहे हैं। जून नीचे गये तो पता चला, सॉकेट बॉक्स में चिंगारी निकल रही है, उन्होंने मेन स्विच बंद कर दिया। नीचे से आवाज़ें आनी बंद हुईं तो ऊपर भी आवाज़ें आयीं, फिर कुछ देर में सब शांत हो गया। कुछ भी समझ नहीं आया तो वे सो गये। पर सुबह साढ़े तीन बजे पुन: आवाज़ें आने लगीं, इस बार ऊपर का बोर्ड भी जलने लगा था। उन्हें पहले ही सारे घर का मेन  स्विच बंद कर देना चाहिए था। पर कहते हैं न ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ ! ख़ैर, सुबह वे अपने निर्धारित समय पर उठे, छह बजे इलेक्ट्रीशियन आया। दो-तीन घंटे लग गये पुन: बिजली बहाल होने में। इस बीच काफ़ी कुछ ख़राब हो गया। किचन की चिमनी, गूगल होम, होम ऑटोमेशन, मॉडेम, मेश आदि ख़राब हुए हैं। इसका कारण मेन न्यूट्रल में कुछ ख़राबी थी, जिसका ख़ामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। दिन भर कई लोग आते रहे, अभी चिमनी वाला कल आएगा। आज एक और समस्या हुई, लैप टॉप का चार्जर भी ख़राब हो गया है, अब डेस्क टॉप पर काम करना है।


आज वेलेंटाइन डे है, पुरानी लिखी एक कविता पोस्ट की, सोचा, अगले साल अवश्य ही नयी लिखेगी। सुबह कुछ पंक्तियाँ लिखीं थीं, पर टाइप नहीं कर सकी। दो दिन से नेट काम नहीं कर रहा। आज नन्हे ने नया राउटर लगा कर दिया है, पर डेस्क टॉप में नहीं आ रहा है।हॉट स्पॉट से लेना होगा। रात का देखा एक स्वप्न याद रह गया, जिसमें एक पुराने परिचित परिवार के एक सदस्य काफ़ी अस्वस्थ हैं, उन्हें बुलाया है।बच्चों के लिए सुबह नाश्ते में अप्पम बनाये। लंच में घर में उगायी पालक की सिंधी सब्ज़ी, यानी साई भाजी । शाम को वे चले गये, आज उन्हें एक महीने के लिए एक मित्र के घर में शिफ्ट होना है, उनके अपने घर में सिविल का काम होना है। मित्र अपने काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ है। प्रकृति हर समस्या का हल पहले से ही निकाल देती है।     




Tuesday, June 11, 2024

एयरो इंडिया शो


पिछले तीन दिनों से भोजन में किए सुधार का असर स्पष्ट दिखने लगा है। आज रात्रि भ्रमण में पैरों में अधिक जकड़न महसूस नहीं हुई। सुबह पड़ोसिन ने बताया, मेन गेट के पास तेंदुआ देखा गया। शहर में तेंदुआ के घूमने की खबरें सामान्य हो गई हैं। तीन-तीन बार लोगों ने अलग-अलग जगह देखा है। आजकल सोसाइटी के सभी पार्कों में रात भर बत्ती भी जलाकर रखी जाती है। उन्हें यह हिदायत दी गई, कि सुबह प्रकाश होने के बाद ही टहलने के लिए निकलें।आजकल नाश्ते में दही ओट्स खाने से भीतर तरावट महसूस होती है और रात को मस्तक पर चंदन लगाने से शीतलता का अनुभव होता है। बड़ी ननद का फ़ोन आया, गुजरात में बड़ी आयु वाले लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए सर्वेक्षण का कार्य आरम्भ हो गया है, पूछ रही थी, लगवानी चाहिए या नहीं। टीवी पर बैंगलुरु के येला हांका एयरफ़ोर्स स्टेशन पर होने वाले एयरो इंडिया शो में  हवाई जहाज़ और हेलीकॉप्टर के अलग-अलग फ़ार्मेशन में करतब देखे, कितना अद्भुत कार्य करते हैं फाइटर प्लेन्स के पायलट। एशिया का सबसे बड़ा यह शो हर दूसरे साल होता है। तीन दिन चलेगा, भारत के अलावा और देश भी इसमें भाग ले रहे हैं और पहली बार यह वर्चुअली भी दिखाया जा रहा है। 


रात्रि के नौ बजे हैं, आजकल रात को सोने से पूर्व किए जाने वाले कार्यों में दो-तीन कार्य और बढ़ गये हैं। वास्तव में नींद भी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंश है। छह-सात घंटे वे सोने में बिताते हैं तो उसके लिए समुचित तैयारी करनी ही चाहिए। जैसे सुबह उठकर वे दिन के लिए स्वयं को तैयार करते हैं। पैरों को धोना व उन पर वैसलीन या तेल लगाना उनमें से एक है। गर्म दूध में मुन्नका लिया आज। बचपन में दादाजी से सुना था इसके बारे में, जो हकीम थे।सुबह आयल पुलिंग का अभ्यास भी किया, जिसमें तिल के तेल को मुख में लेकर कुछ देर इधर-उधर घुमाना है फिर निकाल देना है। मसूड़े और दांत के लिए अच्छा है। एक पाइप लीक हो रहा था, जून ने पहले एम सील लगायी फिर मेटल पेंट भी, शायद यह काम कर जाये, नहीं तो प्लंबर को बुलाना पड़ेगा। नन्हे का फ़ोन आया, उसकी गरदन में दर्द हो गया था, शायद कंप्यूटर पर देर तक बैठने के कारण। वे लोग एक मित्र के यहाँ उसका नया घर देखने जा रहे थे। उसने काली प्लेट्स व कटोरियों का एक सेट भेजा है, उस दिन कार रैली में ऐसी ही प्लेट्स में खाना परोसा गया था। 


रात्रि के नौ बजने वाले हैं। आज मौसम बहुत सुहावना है। खिड़की और सिट आउट में खुलने वाले दरवाजे से  ठंडी हवा आ रही है। हवा में फूलों की गंध है, हरसिंगार और ओरेंज जास्मिन साल में कई बार खिलते हैं यहाँ। आज फ्रिज पूरी तरह बिगड़ गया। मेकैनिक आया था, उसने बताया कैपिसिटर जल गया है। अब सोमवार को ही ठीक हो पाएगा या उसके बाद। आज यहाँ वोल्टेज फ़्लक्चुएट हुआ था, किसी ने लिखा उनकी माइक्रोवेव ओवन ही जल गई। कल नन्हा स्टेब्लाइजर लाने वाला है। सारी सब्ज़ियाँ निकाल कर बाहर रखीं, भीगे कपड़े से ढक दी हैं, जैसे बचपन में माँ को देखा था, उन दिनों फ्रिज कहाँ होते थे। आज एक चित्र बनाया, ज़्यादा अच्छा नहीं बना पर रंग भरने में आनंद आ रहा था। मन अब ख़ाली रहना सीख  रहा है। जब वे ट्रेन में बैठ ही चुके हैं तब दौड़ना कैसा ? जब वे कुछ हैं ही नहीं तो करना कैसा ? जब वही करण-करावणहार है तो जो उसे कराना होगा, करा लेगा। उन्हें तो यही याद रखना है, ‘न ऊधो का लेना ना माधव का देना’ बस समय बिताना है, जब साँसें चुक जायेंगी तो चले जाएँगे चुपचाप ! 


आज सुबह भी पहले योग-साधना की, फिर टहलने गये, चंद्रमा की कुछ तस्वीरें उतारीं। शाम को आश्रम गये, गुरु जी का उत्तर देने का तरीक़ा कितना अनुपम है। जीवन जैसा है वैसा ही स्वीकार करते जाना है, और मन को ख़ाली रखना है। बच्चों ने एक छोटा नया फ्रिज भिजवा दिया है, जिसे कल सुबह ऑन करना है। नन्हे ने एक नयी किताब दी है, ‘द ‘सरेंडर एक्सपेरिमेंट’ यह भी आत्मा में स्थित होकर जीने का रास्ता दिखाती है। जीवन में जो मिले उसे स्वीकार करने का रास्ता दिखाती है। छोटे मन की शिकायतों से मुक्त होकर रहने का अमृत मार्ग भी सुझाती है। शाम को सासु माँ की एक तस्वीर और कविता व्हाट्स एप पर भेजी, आज नौ वर्ष हो गये उन्हें इस दुनिया से विदा लिए। असमिया सखी का फ़ोन आया, वे लोग उनके यहाँ आने का कार्यक्रम बना रहे हैं। 


Friday, May 31, 2024

चंदन का लेप

चंदन का लेप


आज रविवार है, माली आने का दिन, सो योगाभ्यास का अवकाश। उसने माली से सारे गमलों की निराई-गुड़ाई करवायी और ‘रात की रानी’ के पौधे ज़मीन में लगवाये। ‘मॉर्निंग ग्लोरी’ के गमले ऊपर सिट आउट में रखवाए हैं। बच्चे आये तो उन्हें नाश्ते में कटहल दोसा मिक्स से बना दोसा खिलाया। जून ने गेहूं का दलिया भी बनाया था, वह इसमें निपुण हो गये हैं। दोपहर बाद सब मिलकर दो मकान देखने गये, सोनू के माँ-पापा भी बैंगलुरु में आकर बसना चाहते हैं। शाम को चार बजे से ‘जोड़ों के दर्द’ पर डेढ़ घंटे के वेबिनार के एक सत्र में भाग लिया, जिस पर आधारित एक लेख उसे लिखना है।स्वस्थ रहने के लिए कितने ही नुस्ख़े और आदर्श जीवन शैली के बारे में वैद्य ने बताया। सुबह मुँह का स्वाद कुछ कड़वा सा था, ‘धौति’ क्रिया की। इस समय भी देह में ताप का अनुभव हो रहा है। वे आयुर्वैदिक अस्पताल जाने का विचार कर रहे हैं। 


आज फ़रवरी का प्रथम दिवस है।वसंत ऋतु दस्तक दे रही है। आम के बगीचे से भीनी-भीनी सुगंध बहती रहती है। सुबह वे टहलने गये तो आकाश पर तारे टिमटिमा रहे थे। वापस आकर ‘हेल्थ इन योर हैंड’ पुस्तक निकाल कर कुछ पन्ने पढ़े, उसमें लेखक ने सामान्य रोगों को दूर करने के कई सरल उपाय बताये हैं। आज भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं है। सुबह से सिर में हल्का दर्द है। इस समय मस्तक पर चंदन का लेप लगाया है, जो भीतर की गर्मी को खींच लेगा। जीरा-सौंफ वाला पानी पिया। कैस्टर आयल लिया। दिन  में  नारियल पानी व मट्ठा भी लिया था।शरीर में अग्नि तत्व बढ़ गया है। शाम को कुछ देर ‘चन्द्र नाड़ी प्राणायाम’ भी किया, ‘शीतली प्राणायाम’ भी। नाड़ी की गति बैठे रहने पर भी ९५ रहती है। चलते समय पैरों में जकड़न सी महसूस होती है। अचानक ही इतने सारे लक्षण आ गये हों, ऐसा नहीं है। पाचन क्रिया मंद रहने की समस्या तो कुछ दिनों से थी ही। ख़ैर, यह सब शरीर को हो रहा है, मन भी शरीर का ही सूक्ष्म हिस्सा है। पिछले दिनों रात को नींद ठीक से नहीं आयी, उसका असर रहा होगा।जो भी हो, आत्मा साक्षी भाव से सब कुछ देख रही है, उस पर कुछ भी असर नहीं हो रहा है।आज सुबह एक सखी से बात की, दोपहर को दीदी-जीजा जी से, शाम को भी एक परिचिता  से वार्तालाप हुआ, सभी से सामान्य बातें हुईं। दोपहर को ‘जोड़ों के दर्द’ पर लेख लिखना आरम्भ किया। ब्लॉग पर एक पोस्ट प्रकाशित की। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक बजट प्रस्तुत किया, जिसे बहुत सराहा जा रहा है। 


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। एक और दिन स्वास्थ्य की देखभाल करते बीत गया। सुबह कितना हल्का महसूस हो रहा था पर दोपहर बाद कुछ भारीपन लग रहा था। रात्रि भ्रमण के समय पैरों को भली प्रकार पता चला कि चलने के लिए  भी एक प्रयास करना पड़ता है। सुबह सवा चार बजे नींद खुल गई थी। सुबह सामान्य रही। याकुल्ट, नारियल पानी, ग्रीन टी तथा खीरा नींबू वाला पानी पिया दिन भर।संभवत: वजन भी बढ़ गया है। सारी समस्या इसी कारण हो रही है। इसे कम करने का उपाय करना होगा।छोटी भांजी के जन्मदिन के लिए लिखी कविता उसे भेज दी, बहन के साथ उसने दुनिया की सबसे लंबी ‘ज़िप लाइन’ में भाग लिया। शाम को नन्हे का फ़ोन आया, सोनू की मौसेरी बहन को एक और सर्जरी करानी पड़ेगी। उसे गॉल ब्लेडर में स्टोन हो गया था। 


आज एक संत को सुना, “आगे से जवाब देना, उल्टा बोलना, ज़ोर से बोलना, दूसरे की बात को न सुनना या नकार देना, ये सभी वाणी के दोष हैं, जिनसे साधक को बचना चाहिए। अहंकार ही आत्मा को प्रकट न होने देने में सबसे बड़ी बाधा है, और उपरोक्त सभी बातें अहंकार से उपजती हैं, न कि विवेक से।विवेक तो सदा आत्मा से युक्त रहता है, जो प्रेमस्वरूप है।” उसकी अस्वस्थता में उसका इतना ध्यान रखने वाले जून को जब वह कभी आगे से जवाब दे देती है तो उन्हें कितना बुरा लगता होगा। उनका धैर्य अपार है, जो उसकी सारी हिमाक़त चुपचाप सह लेते हैं और सुबह से शाम तक हर कार्य में उसकी सहायता करने को तत्पर रहते हैं। आज से बल्कि अभी से वह प्रण करती है कि उनकी हर बात को अपने लिए आज्ञा मानकर शिरोधार्य करेगी ताक़ि उसका अहंकार छूट जाये और आत्मा में स्थिति दृढ़ हो जाये; जो कि उसका वास्तविक स्वरूप है। उसका रोग भी तो शरीर के साथ स्वयं को जोड़कर देखने से ही हुआ है। भोजन के प्रति आसक्ति का ही यह फल है।


Tuesday, May 28, 2024

सोसाइटी में तेंदुआ

सोसाइटी में तेंदुआ


आज सुबह टहलते समय दिल की धड़कन कभी बढ़ती कभी घटती रही। छोटी बहन से बात हुई, जो डॉक्टर है, उसने एलएफटी टेस्ट अर्थात फेफड़ों की क्रिया का परीक्षण  व ईको टेस्ट कराने को कहा, साथ ही  कोरोना टेस्ट करवाने को भी। जीवन व्यक्ति की परीक्षा लेता है, मज़बूत बनाता है। शनिवार को डाक्टर से अपॉइंटमेंट लेने के लिए नन्हे से कहा है, कल उसने स्टॉक मार्केट पर एक और किताब भेजी है।पिछली किताब ही अभी दो-चार पन्नों से आगे नहीं पढ़ पायी है। पापा जी ने फ़ोन पर बताया, मंझले भाई की बिटिया को कनाडा में अच्छा जॉब मिल गया है। कनाडा जाने का शौक़ भारत में विशेष रूप से पंजाब के युवाओं में बढ़ता जा रहा है. कितने सपने लेकर हज़ारों युवा हर साल वहाँ जाते हैं. लेकिन नूना का का मन तो देश से दूर रहने की कल्पना से ही कांप जाता है. उसने मन ही मन भांजी के लिए प्रार्थना की. उसे यह बात भी खल रही थी कि विवाह के एक वर्ष बाद ही उसे जाना पड़ रहा है, वह भी अकेले। रिश्ते कितनी गहराई से भीतर तक धँसे होते हैं मन की माटी में. यदि किसी अपने को पीड़ा हो तो उसका आभास स्वयं को भी होता है. 


आज नींद देर से खुली, रात को नींद गहरी नहीं थी। सुबह ऑक्सीजन लेवल भी कम था। कोरोना की आशंका हुई तो डिस्पेंसरी में फ़ोन किया, कंपाउड़र ने कहा ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट चौबीस घंटे बाद मिलेगी, ३५०० रुपये लगेंगे। नन्हे ने प्रैक्टो के द्वारा डॉक्टर सविता राव से बात करवायी। उन्होंने कहा, माइल्ड स्टमक इन्फेक्शन है, उसी के कारण ये सारे लक्षण हो रहे हैं, दवा भी बतायी। दिल से जैसे बोझ उतर गया। शाम को छोटे भाई ने कहा, भांजी के ससुराल वाले उसके जाने से खुश नहीं हैं। जीवन कितना सुंदर हो सकता है, उसे लोग कितना जटिल बना लेते हैं। अज्ञान के कारण ही ऐसा होता है। जून उसके लिए दवा ले आये हैं, उम्मीद है दो-एक दिन में सब ठीक हो जाएगा। 


आज प्रातः भ्रमण के लिए निकले तो आकाश में गोल चंद्रमा चमक बिखेर रहा था। स्वास्थ्य ठीक नहीं है, जानकार जून बहुत ख़्याल रख रहे थे, सो तस्वीर खींचने पर कुछ नहीं कहा। रामदेव जी से सुना था, संस्कृत में एक श्लोक है, जिसका अर्थ है, हे प्रभु ! जिस प्रकार रोगी विनम्र रहता है, वैसे ही मुझे विनम्र बनाओ। वास्तव में रोग, रोगी को शांत व विनम्र रहना  सिखाता है, और उसके आस-पास के लोग भी उसका ध्यान रखते हैं। लोग सदा ही ऐसे विनम्र बने रहें तो कितना अच्छा हो। आज सुबह एक सूचना आयी, पार्क नम्बर दो में तेंदुआ देखा गया। काफ़ी देर तक लोग डर के कारण घरों से नहीं निकले, पर उसे लगता है, यह सुनी-सुनायी बात है। नन्हे ने भी लिखा है, प्रेस्टीज सोसाइटी में भी तेंदुआ निकला है। जंगल की भूमि जब मानव अधिग्रहण करने लगा है तो जानवरों के पास और चारा ही क्या है। इज़राइल दूतावास के पास बम विस्फोट हुआ है, अभी तक किसी ने इसकी ज़िम्मेदारी नहीं ली है। इज़राइल और हमास के बीच युद्ध न जाने कब तक चलता रहेगा।दोनों ही एक-दूसरे के अस्तित्त्व को नकारते हैं। इज़राइली दूतावास के राजदूत के नाम एक पत्र भी मिला है।इधर किसान आंदोलन अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। बॉर्डर पर हिंसा जारी है। आज शाम को बीटिंग रीट्रिट होना था, पर वे देख नहीं पाये, कल यू ट्यूब पर देख सकते हैं। 


आज बापू की पुण्य तिथि है। जिसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। सुबह रेडियो पर उनका एक सुंदर संदेश सुना। “प्रार्थना सुबह की कुंजी है और शाम की चटकनी” अर्थात सुबह उठकर प्रार्थना करें और रात सोने से पूर्व भी। पिछले दो-तीन दिनों से रात को नींद ठीक से नहीं आती, मन पर जैसे कोई बोझ है, कुछ करना है पर कर नहीं पा रह हैं। इसी का परिणाम था कि आज दोपहर बाद एओएल से फ़ोन आया, कल एक वेबिनार है, और उसे भाग लेना है। जून को पसंद नहीं आया, तो जैसे उनकी नकारात्मकता की तरंगें उसके भीतर सब कुछ अस्तव्यस्त करने लगीं। भौतिक रूप से भी शरीर में अजीब सी संवेदना हो रही थी और मानसिक रूप से भी। सेवा का जो काम उन्होंने स्वयं ही लिया है, जो वे सदा से करना चाहते थे, उसे करने का अवसर आये और वे न करें तो मन कैसे प्रसन्न रह सकता है। भीतर जो पीड़ा इतने दिनों से एकत्र हो रही थी, वह व्यक्त हो गई। इसमें व्यक्तिगत पीड़ा के साथ-साथ अन्य कितनों की पीड़ा है। भाई-भाभी व भांजी की पीड़ा, गणतंत्र दिवस पर जो हिंसा हुई उसकी पीड़ा, जून के असहयोग के कारण हुई की पीड़ा। संभव है आज नींद ठीक से आये। दुख ही मन को माँजता है, बहुत दिनों से मन की सफ़ाई नहीं हुई थी। दुख किनारे-किनारे जम गया था। एक कवि या लेखक का दुख ज़्यादा गहरा होता है, वह सबके लिए आँसू बहा सकता है, वह पूरी सदी का बल्कि पूरे युग का हिसाब मन में रखता है। देश में हो रही घटनाओं से वह कैसे अछूता रह सकता है। सब माया है पर परम या निरपेक्ष स्तर पर, सापेक्ष जगत में जिसमें वे जीते हैं, चीजें असर करती हैं। जून ने वादा किया है, वह कभी नाराज़ नहीं होंगे और आश्रम के काम के लिए कभी टोकेंगे नहीं। देखें, वह किस तरह अपने ये वचन निभाते हैं। निभा पाये तो वे दोनों ही सदा प्रसन्न रहेंगे।  


Wednesday, May 15, 2024

फूलों का तालाब

आज नेता जी की जयंती है। बंगाली सखी की बिटिया का जन्मदिन भी, उसे एक पुरानी तस्वीर भेजी, जिसमें सभी लोग हैं, पर उसने कुछ नहीं कहा तस्वीर देखकर, अवश्य उसे कुछ तो याद आया होगा। नन्हा व सोनू यहाँ आ गये हैं। कल सुबह छह बजे सभी को कार रैली में जाना है। आज दोपहर को लिखने के स्थान पर कल वाला चित्र पूरा किया, कोई चित्रकार भी रंगों के माध्यम से शायद अपने दिल की बात लिख रहा होता है। सुबह छोटे भाई का फ़ोन आया, वह अजीब सी कैफ़ियत में डूबा रहता है। प्रकृति का सान्निधय उसे अच्छा लगता है। अपने को देह द्वारा व्यक्त होते देखकर उसे अचरज भी होता है। हल्का-हल्का सा लगता है तन-मन दोनों ही। वह जहाँ भी जाता है अपने मधुर स्वभाव से मित्र बना लेता है तथा सबकी सहायता के लिए तत्पर रहता है। उसका जीवन गुरु के आशीर्वाद से एक वरदान बन गया है।जीवन कितना सिंपल है, ऐसा वह कह रहा था, और दूसरी तरफ़ उसका मन है जो अब भी कोई न कोई व्यर्थ बात सोच लेता है क्षण भर के लिए ही सही, तन भी भारी हो रहा है, क्यूँकि भोजन गरिष्ठ भी है और अधिक भी। परमात्मा का अनुभव कितना अनुपम है यह सब जानते-बूझते हुए भी मोह-माया कहाँ छूटती है ! आश्चर्य भी हो रहा है और हँसी भी आ रही है, यह लिखते हुए, जीवन तो उसका भी सिंपल है और सुन्दर भी !


आज सुबह वे चार बजे उठे और पाँच बजे तक नहा-धो कर तैयार थे। बच्चे पाँच बजे उठे और छह बजे के कुछ पल बाद टाटा नेक्सन के शोरूम के लिए निकल पड़े। आठ बजे रैली आरंभ हुई। एक कार यू ट्यूब का वीडियो बनाने के लिए और एक आयोजकों की अपनी कार भी साथ चल रही थी। दो घंटे बाद सभी कारें रामनगर स्थित एक कैफ़े में जाकर रुकीं। जहां स्वादिष्ट नाश्ता कराया गया। बाद में विजेता और उप विजेता के नामों की घोषणा हुई। वहाँ आये एक वृद्ध दंपति से परिचय हुआ। नन्हे ने और भी कई लोगों से बातचीत की। कुल मिलकर ईवी कार रैली का अनुभव अच्छा रहा। वापसी में वे एक गाँव के रास्ते से होकर लौटे तो फूलों की खेती देखने को मिली और कमल के फूलों से भरा एक तालाब भी। पिछले कुछ दिनों से पल्स रेट बढ़ा हुआ लग रहा था, उसने सोचा है,  सुबह अलार्म की आवाज़ से नहीं उठेगी। नींद जब पूरी हो जाएगी तो अपने आप ही खुल जाएगी। स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद उतनी ही ज़रूरी है जितना भोजन और व्यायाम। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है। कल इस बात को एक बार फिर अनुभव किया। रात को देखे स्वप्न इसकी गवाही देते हैं। एक सपने में कपड़ों का एक ढेर है जो सँभाले नहीं संभल रहा है।एक में एक विचित्र से बालक को देखा। 


सुबह सवा चार बजे नींद खुल गई। तापमान सत्रह डिग्री था, पर दिन अभी से गर्म होने लगे हैं, जबकि अभी जनवरी समाप्त नहीं हुआ है। छोटी बहन को विवाह की वर्षगाँठ पर कविता में शुभकामनाएँ भेजीं। गणतंत्र दिवस पर  एक रचना भी पोस्ट की है। किसान आंदोलन के बारे में एक वीडियो देखा। वहाँ कुछ अराजक तत्व भी हैं, लेकिन इतने बड़े देश में कुछ न कुछ विरोध तो स्वाभाविक है। ट्रैक्टर रैली भी दिल्ली में होकर ही रहेगी, ऐसा लग रहा है। दोपहर को ‘द व्हाइट टाइगर’ फ़िल्म का कुछ अंश देखा, भाषा बहुत अभद्र है। एक गाँव का व्यक्ति कैसा अपनी इच्छा शक्ति के बल पर शहर पहुँच जाता है और आगे क्या होता है, अभी देखना शेष है। शाम को वे पड़ोसी के यहाँ गये। उनके समधी साहब  को चोट लग गयी है, वह स्कूटर चला रहे थे कि किसी ने आगे के पहिये पर अपने स्कूटर से ही टक्कर मार दी। उनकी बाईं कलाई में फ़्रैक्चर हो गया है। उनका पुत्र कनाडा में रहता है, एक हफ़्ता बेटी के पास रहने आये हैं। पड़ोसन ने एकदम कड़क असम की चाय पिलायी। लगभग साल भर बाद उनके यहाँ चाय पी, कोरोना काल में जाने का सवाल ही नहीं था। अफ़्रीका में कोरोना के वायरस का नया स्ट्रेन मिला है; जबकि भारत में कोरोना केस काफ़ी घट गये हैं।    


आज की सुबह जितनी शानदार थी, दोपहर व शाम उतनी ही उदास करने वाली। सुबह मल्टी पर्पस कोर्ट में सोसाइटी के कुछ लोगों के साथ गणतंत्र दिवस के अवसर  पर होने वाली ‘योग साधना’ में भाग लिया। आठ बजे ध्वजारोहण हुआ, मुख्य अतिथि ने प्रेरणादायक भाषण दिया। उसे कविता पाठ करने का अवसर भी मिला। घर आकर नाश्ते के बाद टीवी पर परेड देखी। झांकियाँ, नृत्य सभी कुछ अतुलनीय था। राफ़ेल का प्रदर्शन भी शानदार था। दोपहर बाद जब समाचार देखने के लिए टीवी चलाया तो परेशान करने वाली खबरें आ रही थीं। लाल क़िले पर कुछ सिख तलवारें चला रहे थे, अपना झंडा लगा रहे थे। पुलिस की प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प हो रही थी। इतने दिनों तक शांतिपूर्वक चलने वाली ट्रैक्टर रैली अब हिंसक हो चुकी थी। शाम तक यही चलता रहा। इस समय रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। पता नहीं दिल्ली के हालात कैसे हैं । कितने पुलिस वाले घायल हुए, कितने किसान भी। गणतंत्र दिवस के दिन ऐसा होना देश की अस्मिता के लिए कितना अपमानजनक है।