दीवाली भी आकर चली गयी. घर फिर पहले का सा हो गया है, जो पहले जगमग-जगमग करने लगा
था. जून के एक मित्र ने बहुत सुंदर तस्वीरें उतारी हैं दीवाली भोज के दिन की. आज
भाई-दूज है. एक-एक करके सभी भाइयों से बात हुई. उत्सव एक पुल है जो परिवारों को
जोड़ता है. उत्सव एक डोर है जो दिलों को जोड़ती है या फिर उत्सव एक बहाना है निकटता
का अहसास दिलाने का, वरना आजकल किसी के पास फुर्सत नहीं है, दिल की बात कहने और
सुनने के लिए. उत्सव एक मंच है एकदूसरे के होने को याद कराने का. कल उन्हें यात्रा
पर निकलना है. आज सुबह कैसा अजीब सा स्वप्न देखा. कीचड़ और गोबर..इन्सान स्वयं ही
अपने लिए स्वर्ग और नर्क का निर्माण करता है. कल रात सोने से पूर्व देह कुछ भारी
लग रही थी शायद इसीलिए, इस समय भी तन हल्का नहीं है, शाम को योग करने से ही ठीक
होगा. सुबह जब जून ने कहा, उनके दांत का दर्द ठीक नहीं हुआ है, तो भीतर से कोई
प्रेरणात्मक शब्द बोलने लगा, वह स्वयं भी उन शब्दों को पहली बार सुन रही थी.
ज्यादातर समय तो वे सुने हुए शब्दों को ही दोहराते हैं. कभी-कभी ही ऐसे क्षण आते
हैं जब शब्द किसी गहरे स्रोत से आते हैं. इस समय शाम के चार बजने को हैं. बगीचे
में मालिन काम कर रही है और पाकघर में नैनी, दोनों को दीवाली का विशेष उपहार देना
है, कल जाने से पहले देगी. आज मृणाल ज्योति में बच्चों के लिए मिठाई व सूखे मेवे
भिजवाये. कल उस स्कूल में ले गयी थी जहाँ हफ्ते में एक बार योग कक्षा लेने जाती
है. दीवाली पर उन्हें जो उपहार मिले उन्हें बाँटने का इससे अच्छा उपाय और क्या हो
सकता था. नन्हे के पुराने वस्त्र भी दिए एक अन्य महिला को, जो गाँव में एक चिकित्सा
शिविर लगाने वाली हैं. आज ‘यूनिवर्स’ संस्था से संदेश भी आया जो वे बांटते हैं,
वही उन्हें मिलता है. परमात्मा उन्हें वही लौटाता है जो वे भीतर से बाहर फैलाते
हैं !
कल रात साढ़े दस बजे वे बंगलूरू नन्हे के घर पहुंच
गये. दोपहर बारह बजे असम से निकले थे. वह चश्मा घर पर ही भूल गयी सोचा था पढ़ने की
जरूरत तो रास्ते में पड़ेगी ही, जाते समय पहन कर ही जाना है, पर अभी तक हर समय
चश्मा पहनने की आदत नहीं पड़ी है, सो घर पर ही रह गया. यात्रा ठीक रही. ब्रह्मपुत्र
को आकाश से देखने एक अनुपम अनुभव था, तस्वीरें उतारीं. सुबह साढ़े छह बजे वे उठे तो
पता चला उसका फोन कार में ही छूट गया है. जून ने ड्राइवर को फोन किया, उसने दस
मिनट बाद ही बताया, फोन कार में है और वह एयरपोर्ट पर है. कुछ देर बाद दे जायेगा,
वाकई वह एक घंटे बाद दे गया, और एक पुराना चश्मा उसने रख लिया था, सो यह समस्या भी
हल हो गयी. यानि एक बार फिर तीर टोपी लेकर गया, गर्दन बच गयी. नन्हा और जून इस बात
पर चर्चा कर रहे हैं कि इस सोसायटी में उन्हें घर लेना है या नहीं. आज दोपहर को एक
मकान मालिक उनसे मिलने आ रहे हैं, इसी सोसायटी में उनका घर दूसरे ब्लॉक में है, जिसे
वह बेचना चाहते हैं. मौसम यहाँ ठंडा है. आज धूप भी नहीं निकली है. उसके मना करने
के बावजूद नन्हे ने सुबह के नाश्ते का आर्डर दे दिया है. सुबह की चाय के साथ उसने
लड्डू खिलाये जो वे बनाकर लाये थे.
मौसम आज भी ठंडा है, रुक-रुक कर वर्षा होती रही.
दोपहर को एक बार तो एक तेज गंध आई, बाद में पता चला मधुमक्खियों को भगाने के लिए
किसी ने बेगॉन स्प्रे करवाया था. काफी अधिक मात्रा में करवाया होगा, नीचे ढेर सारी
मधुमक्खियाँ मरी हुई पड़ी थीं. जून की आंख का कैट्रेक आपरेशन कल ठीक से हो गया. वे
नौ बजे घर से निकले थे. साढ़े दस बजे पहुंचे और साढ़े बारह बजे वापस घर आ गये थे.
समय-समय पर दवा डालनी है तथा काला चश्मा पहने रखना है, पानी से बचना है. आज सुबह
नाश्ते में उसने वेजरोल बनाये और राइस नूडल्स. कल सैंडविच बनाएगी. यहाँ कुछ ज्यादा
काम तो है नहीं. कम्प्यूटर पर कुछ देर काम किया, अभी शेष है. आज नन्हा देर से आएगा
शायद साढ़े नौ बजे तक.
रात्रि के नौ बजने वाले हैं. नन्हा आ गया है. मौसम आज भी फुहारों भरा है. दिन भर वे घर पर ही रहे. ‘बैटमैन’ की दूसरी फिल्म देखी, कल पहली देखी थी.
आज कोई फिल्म नहीं देखी, शाम को यहीं निकट ही मॉल गये
थे, अब दो दिन यहाँ और रह गये हैं, फिर घर जाना है. दोपहर को रामकृष्ण परमहंस की
किताब पढ़ी. नन्हे का एक मित्र और उसकी पत्नी भोजन पर आ रहे हैं. उसने दाल व सब्जी
बना दी है. जून ने रायता बना दिया है. वे लोग आने वाले होंगे. इसी हफ्ते नन्हे की
मित्र असम जा रही है. जून ने उससे कहा है, घर अवश्य आये, उनका दिल बहुत बड़ा है. दिन
में दो-तीन बार वे लोग नीचे उतर कर टहलने जाते हैं, ताज़ी हवा के लिए. फ्लैट्स में
हवा के आवागमन की सुविधा नहीं होती. हवा बंद ही रहती है, इसलिए उन्हें खुली हवा
में जाने का मन सदा ही बना रहता है. भविष्य में वे जिस घर में रहेंगे, वहाँ शायद
खुली हवा का आवागमन ज्यादा अच्छा होता हो !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.03.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2910 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
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