Wednesday, April 17, 2019

पीले फूलों की माला



साढ़े तीन बजने को हैं, दोपहर बारह बजे से ही लगातार वर्षा हो रही है. हर तरफ पानी ही पानी हो गया है लॉन में. बाढ़ से असम के कई जिले पहले ही कितने पीड़ित हैं, ऊपर से वर्षा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. प्रकृति की यह विनाश लीला इस सृष्टि चक्र का ही एक भाग है, मानव विवश है इसके आगे. आज एक वीडियो खोला तो एक वायरस का शिकार हो गयी. उसकी तरफ से कई मित्रों को अपने आप संदेश जाने लगे हैं. नन्हे को कहा है, वही कुछ सहायता कर सकता है. मैसेंजर से हट जाना ही ठीक रहेगा भविष्य में अथवा तो फेसबुक से ही. कल लाइब्रेरी से दो किताबें लायी. प्रणव मुखर्जी की एक ‘द ड्रामेटिक डिकेड’ और दूसरी अमेजन के बारे में हैं.

नन्हे ने सहायता की और उसकी तरफ से संदेश जाने बंद हो गये हैं. आज तरणताल में दोनों हाथों का प्रयोग करके तैरना सीखा. धीरे-धीरे ही सही कुछ बात बन रही है. सुबह उठी तो मन टिका था. आज तिनसुकिया जाना है, पूजा के उपहार खरीदने हैं. नैनी व माली के परिवारों के लिए. शिक्षक दिवस के उपहार भी खरीदने हैं. शाम को एक सखी के यहाँ चाय पर जाना है. क्लब की एक सदस्या ने फोन किया, उसे प्रेस जाने के लिए गाड़ी चाहिए. कल शाम वह बहुत परेशान थी. प्रेसिडेंट ने उसे फोन पर कुछ ऐसा कह दिया था जो उसे रास नहीं आया. कुछ देर बात करने के बाद वह खुश हो गयी, सारे दुःख उनके मन की कल्पना से ही बनते हैं और बढ़ते हैं. आज वैदिक टीवी देखा, सुना, कितना उपयोगी है यह साधकों के लिए. सुबह गुरूजी के साथ ‘सत्यं परम धीमही’ ध्यान किया. बड़ी भांजी से बात की, वह आजकल फेसबुक पर उदासी भरी पोस्टस् डालती है.

आज गणेश पूजा है, उन्होंने सुबह घर में गणपति की मूर्तियाँ सजायीं. लड्डू का प्रसाद बनाया. जून और उसने आरती की. नैनी ने पीले फूलों की माला बनाई. गणपति के प्रतीक की व्याख्या सुनी. उनके बड़े सिर, विशाल उदर और कानों, लंबी सूंड और उनकी सवारी, सभी के बारे में गुरूजी ने कितने सरल शब्दों में समझाया. पूजा का अर्थ है पूर्णता से उत्पन्न भाव, शुभता के प्रतीक गणपति उनके मनों को शुद्धता से भरें यही प्रार्थना उन्हें करनी है.

ग्यारह बजने को हैं. टीवी पर प्रधानमन्त्री के ‘मन की बात’ आने वाली है. आज धूप बहुत तेज है. प्रातः भ्रमण के समय ही सूरज की चमक आँखों को चुंधिया रही थीं. पीएम का सम्बोधन आरम्भ हुआ तो वे सुनने बैठ गये, अच्छा लगता है उनकी प्रेरणादायक बातें सुनना. राष्ट्रीय खेल दिवस के बारे में उन्होंने बताया और खेलों के महत्व के बारे में भी. नेवी में काम करने वाली छह महिलाओं का जिक्र किया जो तरिणी पर एक वर्ष के लिए विश्व भ्रमण पर जाने वाली हैं. शिक्षक दिवस पर भी वह एक अभियान चलाना चाहते हैं, जिसमें शिक्षा बदलाव के लिए हो और सीखना जीने के लिए हो. ‘जन धन योजना’ के कारण बैंकों में हुई बचत का जिक्र भी किया. जैन समाज के पर्व ‘पर्यूषण’ का महत्व बताया, जो क्षमा, मैत्री और अहिंसा का प्रतीक है. गणेश चतुर्थी का पर्व एकता, समता और शुचिता का पर्व है. ओणम प्रेम, सौहार्द, उमंग और आशा का संदेश देता है. सामाजिक समरसता का भी उल्लेख किया, जमैतुला हिन्द के कार्य कर्ताओं ने गुजरात के मन्दिरों और मस्जिदों की सफाई की. जाने कितने लोगों को कुछ करने की प्रेरणा देता है उनके संदेश.




Tuesday, April 16, 2019

लालकिले पर तिरंगा



आज नेट नहीं चल रहा है. लगातार वर्षा हो रही है. पिछले तीन दिनों से वे सुबह निकल नहीं पाते. जून के दफ्तर जाने के बाद जब वर्षा कुछ कम हुई, वह छाता लेकर भ्रमण पथ पर घूमने गयी. पांच-छह मजदूर वर्षा में भीगकर काम कर रहे थे, दो-तीन औरतें भी थीं. एक महिला अत्यंत बूढ़ी है पर उसे भीगने से सर्दी होने का जरा भी भय नहीं है. वह अक्सर कई बोरियां भरकर घास काटती है, अपने लिए या बेचने के लिए, पता नहीं. वर्षा में भीग रहे हैं मजदूर सो अलग पर उनके पास उचित उपकरण भी नहीं होते. सरकार की मदद इनके पास पहुँचे इसकी जिम्मेदारी कम्पनी को लेनी चाहिए. उसने सोचा चाय पिलाकर उनकी थोड़ी सी मदद कर सकती है, पर वे काम में व्यस्त थे और अब तक तो शायद वे चले ही गये हों. आज भी गुरूजी का प्रवचन सुना, हर बार सुनने पर कोई नई बात सुनने को मिलती है. वे पूरी बात सुनने का श्रम नहीं उठाते या तो उनकी क्षमता ही नहीं है. जब तक पिछले वाक्य को समझते हैं, एक वाक्य और बोला जा चुका होता है. कल जून का जन्मदिन है.

आज लालकिले से प्रधानमन्त्री का भाषण सुना, मन जोशीले भावों से भर गया है. उन्होंने कहा, हर भारतीय को शुभ संकल्प लेने हैं और उन्हें सिद्द होते हुए देखना है. आज देश में सकारात्मक माहौल बन रहा है. भारत की आजादी को सत्तर साल हो गये हैं और अब समय आ गया है कि हर भारतवासी अपने कर्त्तव्यों के प्रति सजग हो और अपने तौर पर कुछ न कुछ काम करे. वे स्वतंत्र भारत के नागरिक होने का हर लाभ उठाते हैं. देश को आगे बढ़ाने का जज्बा लेकर उन्हें साथ-साथ काम करना है. वे स्वच्छता के काम में अपना योगदान दे सकते हैं. देश की सुरक्षा के लिए काम करने वाले सैनिकों के लिए उनके दिलों में गर्व की भावना हो. देश के अंदर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हर किसी की है. सुबह वे लोग नेहरू मैदान भी गये. लोगों की भीड़ और तिरंगे के प्रति उनके प्रेम को देखकर सभी उल्लसित थे. उनकी सोच यदि सकारात्मक होगी तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा. पुराने कर्म अपना फल देंगे, पर वर्तमान में यदि वे सजग रहें और समभाव से उन्हें सहन करते जाएँ तो नये कर्म नहीं बंधेंगे. जून के जन्मदिन का भोज आज दोपहर को कुछ मित्रों के साथ किया.

कल ही जन्माष्टमी का उत्सव भी था, शाम को पूजा कक्ष की सफाई की. कृष्ण के चित्र पर माला चढ़ाई, कितने सुंदर लग रहे हैं कृष्ण फूलों के मध्य ! गुरूजी का जन्माष्टमी पर दिया विशेष वक्तव्य पढ़ा. देवकी देह का प्रतीक है और वसुदेव मन का. कृष्ण उनके ही भीतर जन्म लेते हैं, जब अहंकार नष्ट हो जाता है. अहंकार ही उन्हें आनंद से दूर रखता है. अभी-अभी क्लब की एक सदस्या का फोन आया. प्रेस जाने के लिए कह रही थी. इससे अच्छा है लेख ड्राइवर के हाथ ही भेज दिया जाये. उनका समय और श्रम बचेगा. जीवन कितना अनमोल है, यहाँ एक क्षण भी गंवाने जैसा नहीं है. कल दोपहर का भोजन गरिष्ठ था, रात को सिर में दर्द हो गया. सुबह नींद देर से खुली, वर्षा हो रही थी, सो आज भी टहलने नहीं जा सके. इस समय धूप निकली है.

आज पूरे एक सप्ताह के बाद तैरने गयी. अच्छा लगा, अब पानी में स्वयं को नियंत्रित करना आसान लग रहा है. धीरे-धीरे ही सही कुछ बात बन रही है. पानी में ठंड जरा भी नहीं लग रही थी, न ही गर्मी. आज सुबह उठी उसके पूर्व नींद खुल गयी थी पर तमोगुण की प्रधानता के कारण कुछ देर लेटी रही. सतोगुण में टिकना कभी-कभी सहज ही होता है पर कभी-कभी नहीं. यह असजगता की ही निशानी है. कल छोटी बहन से बात हुई, उसे दाहिनी आँख में कुछ चमकदार रंग दिखाई दिए, आँख की जाँच कराने को कहा है.


Friday, April 12, 2019

झीनी सी फुहार



अगस्त का आरम्भ वर्षा से हुआ है. सुबह वे हल्की फुहार में ही टहलने गये. बाद में वर्षा लगभग रुक गयी थी. आज उसने मोबाइल से खींची एक तस्वीर पर ‘सुप्रभात’ लिखकर व्हाट्सएप पर भेजा, अब कोई सूक्ति लिखना भी सीखना होगा. कल छोटी ननद की भेजी राखी मिली, सुंदर है. दोपहर को उसने भी कुछ राखियाँ बनायीं. आज बाजार जाकर डोरी लानी है, कल भी बनाएगी. इस वर्ष नैनी का पुत्र अस्वस्थ है. अपने हाथ से बनाने में भी अलग आनन्द है. सुबह उठी तो मुंह का स्वाद कटु था, पित्त बढ़ गया लगता है. परमात्मा क्लेशों से अछूता है, वे क्लेशों से ग्रस्त होते हैं. कल माली के पैर में तलवार से चोट लग गयी, टांके लगे हैं, उसका काम भी छूट गया है. जीवन एक संघर्ष है इन लोगों के लिए. आज एक पुराने परिचित का जन्मदिन है, उसने कल एक कविता लिखी उनके लिए जैसे पिछले कई वर्ष में लिखती आई है. बंगाली सखी ने बुलाया नहीं है, वह तो उसे जून के जन्मदिन पर बुलाने वाली है. सुबह ध्यान नहीं हुआ. मन में एक मौन तो निरंतर बना हुआ है. प्रत्यक चेतना का अनुभव होता है, परमात्मा उनके साथ है. उन्हें जो कर्म करने हैं, उसका संयोग तो वही बिठाता है. वे कर्म में अकर्म महसूस करें तो..कर्म की पकड़ छूटने लगती है.

बड़े भाई का फोन आया, उन्हें राखी मिल गयी है, फुफेरे भाई को भी. जून को पिछले दो तीन दिन से सर्दी लगी हुई है. कल सुबह पूल में उतरते समय उसे भी पानी ठंडा लग रहा था, शावर में भी पानी ठंडा लगा और तभी यह विचार आया कहीं ठंड न लग जाये और यही हुआ, कल रात से गले में दर्द था. आँख से पानी आ रहा है. तुलसी व अदरक ग्रीन टी को ओपरेटिव से लायी.

योग दर्शन में सुना, इस जन्म में वे जो कर्म करते हैं, उनके अनुसार ही अगला जन्म मिलता है. उनके संचित कर्मों में से ही कुछ कर्म नये जन्म का कारण होते हैं. जीवन में कुछ चीजें नियत हैं, कुछ अनिश्चित. उनका वर्तमान का पुरुषार्थ ही उसमें फेरबदल कर सकता है. यह भी सत्य है कि कर्म के मूल में यदि क्लेश होगा तभी कर्म का फल मिलता है. कर्मों के आधार पर ही के भोग मिलते हैं, आयु भी कर्मों के अनुसार कम या अधिक होती है..

सुबह से वर्षा हो रही है, सर्दी ठीक नहीं हुई, हीलिंग ध्यान किया कल की तरह. सुबह गुरूजी को सुना, शुद्ध चेतना में स्थित होकर वे अपने शरीर व मन को स्वस्थ रख सकते हैं. वे चाहें तो आत्मा में स्थित रहकर शांति, आनंद, प्रेम, सुख, शक्ति, ज्ञान तथा पवित्रता का अनुभव कर सकते हैं. और क्रमशः श्वसन तन्त्र, हृदय, रक्त वाहिनियाँ, पाचन तन्त्र, पेशी तन्त्र, नर्वस सिस्टम, तथा इन्द्रियों को स्वस्थ रख सकते हैं. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं.

आज भी सुबह वर्षा के कारण प्रातः भ्रमण के लिए नहीं गये. जून के जाने के बाद वह घर के सामने सड़क पार भ्रमण पथ पर टहलने गयी. श्री श्री का प्रवचन सुना. चेतना द्वारा शरीर का निर्माण, भरण पोषण तथा इलाज होता है. यदि मन चेतना से जुड़ा है, तो स्वस्थ है. मन जिस क्षण स्वयं में ठहर जाता है, ध्यान में स्थित होता है. मन के विकारों का प्रभाव ही देह पर पड़ता है. आत्मा से यदि देह सीधी जुड़ जाती है तो स्वस्थ होने लगती है. वापस आकर गुरूजी का गाइडेड मेडिटेशन किया. आज सर्दी काफी ठीक है. जून कल मुलेठी, काली मिर्च व मिश्री भी लाये. नैनी ने सरसों के तेल का नुस्खा बताया था, वह भी काम में लिया.


Wednesday, April 10, 2019

स्वच्छ भारत



सवा ग्यारह बजने को हैं. आज जून की मनपसन्द पकौड़ों वाली कढ़ी बनायी है. दो सप्ताह तक गाय के दूध की एकत्र की हुई मलाई से ‘घी’ बनाया और बचे हुए अंश में आता भूनकर गेहूँ का चूर्ण भी. सारी सुबह रसोईघर में ही बीत गयी जैसे. अभी-अभी एक परिचिता का फोन आया, स्व्च्छता पर कम्पनी की तरफ से आयोजित ‘स्लोगन प्रतियोगिता’ के बारे में बताया, उसने हिंदी में कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं, भाषा शुद्ध है या नहीं, पूछ रही थी. परसों यहाँ कम्पनी की तरफ से स्वच्छता पखवाड़ा मनाने के कार्यक्रम में ‘वाकाथन’ है यानि कुछ दूर तक बैनर लिए पैदल चलना है. रास्ते में गंदगी भी दिखेगी, उसे साफ नहीं करना है बस लोग साफ करें इसका प्रचार करना है. पता नहीं मनुष्य अपने आप को कब तक धोखा देता रहेगा. अचानक तेज वर्षा होने लगी है. घर के बाहर नाले में पानी भर जाता है जो वर्षा समाप्त होने के घंटों बाद तक भी बना रहता है, बड़े नाले से उसका सम्पर्क शायद टूट गया है. आज सिविल विभाग से कोई कर्मचारी देखने के लिए आया है. सुबह तरणताल गयी पर बहुत भीड़ थी, ठीक से अभ्यास नहीं हो पाया. कल से वह समय चुनेगी जब कम से कम लोग हों. कल मृणाल ज्योति की वार्षिक सभा है.

आज जुलाई का अंतिम दिन है. टीवी पर प्रधानमन्त्री का ‘मन की बात’ कार्यक्रम आ रहा है. वह कह रहे हैं, वर्षा मनोहारी है पर बाढ़ की विभीषिका भयंकर होती है. बरसात में हर वर्ष देश के कितने ही भागों में बाढ़ आती है. वह जीएसटी की बात भी कर रहे हैं. उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन तथा अगस्त क्रांति की बात भी कही. साथ ही कहा, इस वर्ष को संकल्प वर्ष के रूप में मनाएं तो पांच वर्ष में भारत का चित्र बदल जायेगा. संकल्प को सिद्धि में बदलना है. गणेश पूजा का जिक्र करते हुए कहा कि इस पूजा को मनाते हुए इस वर्ष सवा सौ वर्ष हो जायेंगे. प्रधान मंत्री कुछ ही देर में इतने सारे विषयों को लेते हुए इतना सार गर्भित भाषण देते हैं. महिलाओं के सशक्तिकरण की बात की तो साथ ही राखी बनाने वाले कारीगरों की भी.

अगले हफ्ते रक्षाबन्धन का त्यौहार है. अभी अभी मृणाल ज्योति से फोन आया, पूछ रही थी, क्या वह और कुछ अन्य महिलाएं उस दिन स्कूल आएँगी. राखियाँ अभी तक बन नहीं पाई हैं, पर तब तक बन जाएँगी, अन्यथा वे बाजार से भी खरीद सकते हैं. आज तैराकी में हाथ चलाना सिखाया, दांया हाथ उठाकर श्वास लेना है. अब लगता है कुछ आगे बढ़ रही है. आजकल योग दर्शन पर नियमित व्याख्यान सुन रही है, काफी कुछ स्पष्ट हो रहा है. आज शाम को योग कक्षा में ‘क्रिया’ के बारे में ठीक से बताना है. सुना कि अन्तरायों का अभाव होने लगता है जब आत्मदर्शन होता है. कोई कहता है अंतराय खत्म होने पर आत्मदर्शन होता है ! ‘व्याधि’ और ‘उपाधि’ आदि अंतराय ही उन्हें समाधि से दूर रखते हैं. योग के प्रभाव से ही वे स्वस्थ रहते हैं, यानि ‘स्व’ में स्थित रहते हैं. ‘स्व’ में प्रतिष्ठित होने पर ही वे जगत में अभय को प्राप्त होते हैं. चित्त की शुद्धि होने पर ही ‘स्व’ का दर्शन होता है. इन्द्रियों पर जय होने पर ही चित्त शुद्ध होता है. एकाग्रता में ही इन्द्रियों पर जय होती है और चित्त में आत्मा की झलक मिलती है.

Monday, April 8, 2019

महिला विश्वकप




सुबह तैरने गयी, पर आगे नया कुछ नहीं सीखा, अभ्यास किया, कल अवश्य ही पूरी चौड़ाई अपने आप तय करनी है, चाहे कुछ भी हो जाये. सुरक्षित बने रहने से उन्नति नहीं होगी. रविवार था सो जून  घर पर थे, नाश्ते में उन्होंने रवा डोसा बनाया. आज शायद महीनों बाद या वर्षों बाद साधना नहीं की. परसों बेसिक कोर्स का फालोअप है, देर तक अभ्यास हो जायेगा. नाश्ते के बाद हर सप्ताह की तरह पिताजी व दोनों ननदों से फोन पर बात की. छोटी ननद मुंडेश्वरी देवी के मंदिर जाने वाली थी, अब तक लौट आई होगी. दोपहर को योगदर्शन पर आचार्य सत्यजित की व्याख्या सुनी. प्रत्यक्ष और अनुमान से जब उन्हें आत्मा का अनुभव होता है, फिर उसे शब्दों से कहा जाता है, और सुनने वालों में उसे सुनकर जो वृत्ति उठती है, वह उसका ‘आगम’ है. ‘आगम प्रमाण वृत्ति’ भी इसी को कहते हैं. ब्लॉगस पर दो पोस्ट्स लिखीं. दोपहर की योग कक्षा में बच्चों को अंग्रेजी लिखने को कहा, उन्होंने काफी रूचि दिखाई. उसके बाद बाजार से नई इस्त्री खरीदी. एक सखी तथा नैनी के बेटे के लिए जन्मदिन के उपहार खरीदे. इस समय टीवी चल रहा है, आज महिला विश्वकप का फाइनल है. इंग्लैण्ड ने २२८ रन बनाये हैं भारत के दो विकेट गिर गये हैं. खिलाडियों का जोश देखते ही बनता है. दांत में अब दर्द नहीं है, पर सही निदान के लिए परसों डेंटिस्ट के पास तिनसुकिया जाना है.

आज सुबह कितने सुंदर वचन सुने थे, हर क्षण का उपयोग करना जो जान जाता है, वह जीवन का उपयोग करना सीख लेता है. जीवन व्यथा मुक्त हो यह ऐसी कथा इसकी बने ! उन्हें जो भी करना है, बेहतर करना है व्यर्थ कुछ भी नहीं करना है. उनकी चाल शाहों की हो और नींद अति गहरी और प्यारी हो. जो कुछ भी उनके पास शेष बचा है उसे बीज बनाकर बो दें. उनकी सारी ऊर्जा खिलने-खिलाने में लगे. धरती और गगन पर जब देव शक्तियाँ जागृत हों, परम से जुड़कर उस ऊर्जा को वे भीतर भर लें. उनकी नजर समाधान पर हो समस्या पर नहीं. उनकी दृष्टि शुभ हो, दृष्टिकोण शुभ हो, परमात्मा से मन जुड़ जाए. जब परमात्मा उनके भीतर उतर आते हैं तब वह उन्हें वह बुद्धि प्रदान करते हैं कि उनके विचार शुभ हों, भावनाएं शुभ हों, कल्पनाएँ शुभ हों, आचार व व्यवहार भी शुभ हों ! इन शब्दों में उतर कर उन्हें शुभता को धारण करना है. जो कर्म शक्ति दें, प्रेम दें वही कर्म उनके लिए हों, बल्कि कर्म उनके लिए कला बन जाएँ ! उनका जीवन भगवान के प्रसाद जैसा हो ! हर दिन त्यौहार बन जाये और हर कर्म पूजा !   

जून कल गोहाटी गये हैं. दिन भर व्यस्तता बनी रही. सुबह क्लब फिर एक सखी के यहाँ गयी, उसके पिताजी का आज सुबह देहांत हो गया. बंगाली सखी ने वहीं से फोन करके बताया, दुःख में इंसान दूरियां मिटा देते हैं. दस बजे मृणाल ज्योति जाना था. वहाँ एक समाज सेवी से मुलाकात हुई, वह स्कूल के पानी की जांच जून के विभाग की प्रयोगशाला में कराना चाहते हैं. वापस आकर भोजन किया फिर डेंटिस्ट के पास. परसों फिर बुलाया है. शाम को क्लब के प्रोजेक्ट स्कूल की पत्रिका के लिए मीटिंग थी. पूरे समय अध्यक्षा ही बोलती रहीं, उसे एकाध बार ही बोलने का मौका मिला. उनका काम करने का तरीका अलग है, उन्हें उनके स्वभाव को समझ कर ही व्यवहार करना होगा. लौटी तो तीन महिलाएं भजन गा रही थीं, उनके साथ कुछ देर बातें कीं. देर शाम को मूसलाधार वर्षा हुई. जून का फोन आया अभी कुछ देर पहले. वह ट्रेन में बैठ चुके थे. सुबह पहुंच जायेंगे. उसे क्लब जल्दी जाना होगा ताकि समय पर वापस आ सके.

Friday, April 5, 2019

बाड़ी में कुम्हड़ा



रात्रि के साढ़े नौ हुए हैं. शाम को योग कक्षा में आठ महिलाएं आईं थीं. उन्होंने गुरूजी की किताब ‘नित्यदिन के ज्ञानसूत्र’ भी पढ़ी. कल शाम को मीटिंग है सो चार बजे ही उन्हें बुलाया है. दोपहर को भी सर्वेंट लाइन से बच्चे व महिलाएं आये, गर्मी के बावजूद उन्होंने पूरे सेशन में भाग लिया. दोपहर को लंच में खीरा खाने के बाद दांत में दर्द शुरू हो गया, लौंग का तेल लगाया निरापद समझ कर, दर्द तो कम हो गया पर स्वाद की कणिकाएं ही जैसे नष्ट हो गयीं. किसी भी वस्तु का स्वाद नहीं आ रहा है, न मीठा, न खट्टा, न ठंडा..अर्थात स्वाद वस्तुओं में नहीं है, उनकी ग्रहण करने की क्षमता में है. सुबह बाजार भी गयी, राखियाँ बनाने का ढेर सारा सामान खरीदा है.   

परसों लाइब्रेरी से दो पुस्तकें लायी, काश्मीर पर आर.एस.दौलत की लिखी किताब पढ़कर वापस की. बरखा दत्त की किताब This Unique Land लायी है. जून के लिए OIL, पिछली किताब भी आयल वेल्स में हुए ब्लो आउट पर थी. BP के साथ यह दुर्घटना घटी थी, जिस पर बनी फिल्म भी जून ने देखी बाद में. आज महिला क्लब की मीटिंग है, हिंदी के लिए उसे ‘भाग लेने का’ पुरस्कार मिलेगा. पिछले तीन वर्ष तो प्रतियोगिता में भाग ही नहीं लिया, क्योंकि कमेटी में थी. आज मुरारीबापू के ओशो पर विचार सुने. ओशो ने तुलसी के बारे में कई बार कुछ कहा है, पर संत लोग किसी को एक बात से जज नहीं करते. वे बीस वर्ष के थे जब पहली बार मुम्बई में ओशो को सुनने गये थे. दूसरी बार पूना में सुना, देखा. लाओत्से के बारे में उन्होंने ओशो से ही जाना. दांत में हल्का सा दर्द अभी भी है. जून कल आ रहे हैं, शायद कल ही वे डेंटिस्ट के पास जा सकें. आज सुबह स्विमिंग के लिए गयी. कल रात तेज वर्षा हुई, पूल में पानी का स्तर बढ़ गया था.

जून सुबह आ गये, दो टॉप लाये हैं. एक तैरने की पोशाक पर पहनने के लिए दूसरा योग अभ्यास के समय पहनने के लिए. आज से योग दर्शन सुनना आरम्भ किया है. योग के तीन अर्थ हैं, एक जोड़ना, दूसरा समाधि, तीसरा संयमन ! योग दर्शन में योग का अर्थ है समाधि ! समाधि का अनुभव ही तो साधक का लक्ष्य है. ‘मोक्ष’ का अर्थ है छोड़ना, ‘अपवर्ग’ का अर्थ भी अलग होने में है, ‘केवल’ का अर्थ भी हटने का तात्पर्य देता है. समाधि का अर्थ है समाधान, समता रहे मन में और बढ़ती रहे. सम्यक रूप से और अधिक से अधिक समता को चित्त में धारण करना ही समाधि है. जो अच्छा हो और पूरा भी हो, ऐसा चित्त समाधि को प्राप्त होता है.

पौने ग्यारह बजे हैं. धोबी अभी-अभी आकर गया है, अपनी मेडिकल रिपोर्ट दिखा रहा था. उसे सुनाई कम देता है, इसलिए बात ज्यादातर एकतरफा ही होती है. पर हर बार कोई न कोई बात उसके पास होती है. नन्हा जब छोटा सा था तब से वह उनके घर आ रहा है. कान की शक्ति कम होने का न उसे अहसास है न ही कोई चिंता, बड़े आराम से जीवन चल रहा है उसका. आज उसने बाड़ी से मिला कुम्हड़ा बनाया है, एक और मिला है हरा और कोमल. कल शाम को पका हुआ कटहल काटा, बेहद मीठा है और स्वादिष्ट भी. जून को इसकी गंध पसंद नहीं है. उसने नैनी के घर रखवा दिया है. परसों संडे क्लास में बच्चों को देगी. आज को ओपरेटिव गयी, जीएसटी का जिक्र हो रहा था, सभी व्यस्त थे, उनका काम बढ़ गया है, कुछ दिनों में सामान्य हो जायेगा. सुबह तरणताल से लौट कर पोहा बनाया, ध्यान कहीं और था, सब्जी जल गयी. सुबह ड्राइवर भी कुछ देर से आया. कल शाम डेंटिस्ट ने कहा, अभी कुछ करना नहीं है, सुबह-शाम ठीक से देखभाल करनी है. कोई कर्म उदय हुआ है ऐसा लगा. राखी की कविता जून प्रिंट करके ले आये हैं, दोपहर को लिफाफे तैयार करेगी. शाम को क्लब में टेक्निकल फोरम में कोई वक्ता आयेंगे.

Wednesday, April 3, 2019

रुद्र पूजा



आज सुबह पहली बार तरणताल में उतरी, अच्छा लगा पानी में. तैरना आते-आते तो शायद वक्त लगेगा पर पानी साफ था और मौसम भी खुशगवार. वापस आकर सारे कार्य करते-करते आठ बज गये, जबकि नाश्ता जून ने बना दिया था. सोनू से बात की, उसने कहा नन्हे से एक वर्ष में एक आदत छोड़ने को कहा है. वह जैसे शिकायत कर रही थी, कोई भी पत्नी यही करती है. वह पति को सुधारना चाहती है. वैसे ही पति भी शायद यही करता है, दोनों के अपने-अपने तरीके होते हैं. हर आत्मा अपने जीवन को विकसित ही देखना चाहती है. उसे नन्हे पर पूरा विश्वास है क्योंकि वह उसका ही अंश है, जैसे परमात्मा को हर आत्मा पर विश्वास होता है. आज समधिन से भी बात हुई. वह ठीक हैं और तैयारी में व्यस्त हैं. जून और वह कल ही इसके बारे में बात कर रहे थे. कल रात्रि भोजन जून के एक सहकर्मी के यहाँ हुआ और उनकी माँ के हाथ की बनी सुस्वादु खीर भी ग्रहण की. बेहद खुशदिल हैं उनकी माँ. जून ने हरसिंगार की एक कटिंग उनके बगीचे के लिए भिजवाई. आज सुबह भी पेड़ के नीचे से जामुन उठाये, ज्यादातर तो गिरते ही पिचक जाते हैं और वहाँ की जमीन जामुनी हो गयी है.

परमात्मा गुरू बनकर भीतर से चेताता है. आज सुबह उठने से पूर्व देखा, उसके जूते पूजा की वेदी पर हैं. कितना शर्मनाक है यह, तैरना जाने से पूर्व उसने अनजाने में जूते उस खाने में रख दिए थे जिसमें लोग थैले रखते हैं, हो सकता है इसी कारण यह स्वप्न देखा हो. कई बार जल्दी के कारण या असावधानी वश वे स्टोर में किसी सामान को लेने वे चप्पल लेकर प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ पूजा का कोना भी है, पवित्रता का ध्यान नहीं रखते. कल से सचेत रहना है, अथवा तो ध्यान आदि के वक्त मन में परमात्मा के सिवा जो व्यर्थ का चिन्तन चलता है उसके प्रति संकेत हो सकता है. उनका जीवन जितना पवित्र बनेगा उतना ही परमात्मा की कृपा का अनुभव वे कर सकेंगे. आज तीसरा दिन था तैरना सीखते हुए, अब कुछ-कुछ समझ में आने लगा है. आज दो-तीन बार पानी भीतर गया पर यह तो होना ही था. कल काव्यालय से एक अन्य कविता के लिए पूछा है शायद अगले माह तक आये.

पिछले तीन दिन सात्विक व्यस्तताओं में बीते. शुक्रवार की सुबह ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ आश्रम से एक स्वामीजी आये, उनके घर पर ही ठहरे. कल शाम को सिलचर के लिए रवाना हुए. उन्होंने विभिन्न स्थलों पर चार रुद्र पूजाएँ करवायीं, एक एओल सेंटर में और तीन घरों पर. कल शाम जब वे जा रहे थे, कृतज्ञता और आदर से गला भर आया था, गुरूजी का कार्य करते हुए वह जगह-जगह जाते हैं और ज्ञान की बात सुनाते हैं. केरल के निवासी हैं, आरएसएस से जुड़े हैं, गीतांजलि पढ़ना उन्हें अच्छा लगता है, किताबों का भी शौक है, उनके पिता खेती करते हैं तथा भाई व्यापार. इडली खाकर और काफी पीकर उन्हें अपने घर की याद आ गयी. जून ने उन्हें बहुत प्रेम से नाश्ता खिलाया. उनके लिए वह एक कविता लिखेगी. शुक्र की शाम को सेंटर पर रूद्र पूजा थी. उसने सोचा, एक बार वे भी करवाएंगे अपने घर रूद्र पूजा, अगले वर्ष या उसके अगले वर्ष ! शनिवार को क्लब में अनोखी फिल्म ‘जग्गा जासूस’ देखी, अच्छी लगी. कल दोपहर बच्चे आये थे. जून आज तीन दिनों के लिए गोहाटी जा रहे हैं.

Monday, April 1, 2019

सफेद बैंगन



एक लंबा अन्तराल ! इतने दिनों में याद भी नहीं आया कि डायरी लेखन भी करने की वस्तु है. पौने ग्यारह बजे हैं. आज हवा बंद है. एक अजीब सी गंध भी है चारों तरफ, कटहल पक रहे हैं, जामुन पक चुके हैं, पिछले कई दिनों से वर्षा हो रही है, पत्ते सड़ गये हैं, सभी की मिली-जुली गंध है. कुछ देर पहले एक व्यक्ति आया, पूछ रहा था, क्या कटहल बेचने हैं ? उसके पूर्व तीन किशोर बालक आये थे, जामुन तोड़ने. कह रहे थे, बाजार में बेचेंगे. सौ रूपये प्रति किलो बिक रहे हैं. उसे याद आया पिछले वर्ष मृणाल ज्योति के एक अध्यापिका ने कहा था, वहाँ के बच्चों को पका कटहल खिलाने के लिए. उसे फोन करके कहा, वे लोग ले जा सकते हैं. आज भी सर्वेंट लाइन की महिलाओं को योग सिखाना है, पिछले मंगलवार को भी वे आयीं थीं. आज सुबह दांत के डाक्टर के पास गयी, फिलिंग कराने. अभी तक दांया गाल पूरी तरह से होश में नहीं आया है. अभी भी दांत में हल्का दर्द महसूस हो रहा है, शायद आरसीटी करनी पड़े भविष्य में. पित्त बढ़ गया है ऐसा लग रहा है. सबसे पहला लक्षण है आँख में जलन, शरीर में इरीटेशन जैसा कुछ. सिर में भारीपन और भी एकाध लक्षण. कल शाम को जामुन खाए, फिर मूंगफली. रात्रि भोजन में सरसों वाली अरबी. भोजन ही रोग का मुख्य कारण है. कल जून को भी जाना है डेंटिस्ट के पास.

नन्हे का जन्मदिन आने वाला है. जून ने उपहार तो पहले ही भेज दिया है उसे, उसके लिए कुछ लिखना है. दोपहर के भोजन के बाद जून को जल्दी जाना था, वह भी विश्राम करना टाल गयी, कम्प्यूटर पर लिखने के बाद सुस्ती भगाने के लिए एक कप चाय बनाकर पी है. आज ही जून ने कहा दफ्तर में अब वह ग्रीन टी ही लेते हैं. उसने उन्हें समर्थन दिया. कल शाम योग कक्षा में आने वाली महिलाओं ने कहा, उन्हें भी कटहल व जामुन चाहिए. माली से कह तुड़वाकर रखे हैं उसने. सुबह-सुबह नैनी बगीचे से ढेर सारी सब्जियाँ लायी, सफेद बैंगन भी और एक बड़ा सा कद्दू भी, सिंड्रेला की कहानी के लिए सारा सामान !

कल फिर कुछ नहीं लिखा. अब से सुबह ही लिखेगी. दिन भर के कार्यों की सूची भी बन जाएगी. आज घी बनाना है. मृणाल ज्योति के स्टाफ की लिस्ट बनानी है. तीन बजे वहाँ मीटिंग में जाना है, उनके वार्षिक अधिवेशन के लिए भी कविता लिखनी है. शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले उपहारों की सूची बनानी है. टीचर्स वर्कशॉप के लिए रूपरेखा बनानी है. आकाश पर बादल बने हैं, लग रहा है वर्षा कभी भी हो सकती है. कल गुरु पूर्णिमा है, वे सभी आर्ट ऑफ़ लिविंग केंद्र जायेंगे.

गुरू पूर्णिमा की स्मृतियाँ सुखद हैं. कल दोपहर भर गुरूजी के लिए लिखी गयी कविताएँ पढ़ीं और गीत गतिरूप की सहायता से उन्हें ठीक किया. शाम को सेंटर में गुरूपुजा में भाग लिया. ज्ञान के वचन सुने, ऐश्वर्य, बल, सुन्दरता, ज्ञान, कला तथा यश बढ़ाने की इच्छा जिनमें होती है, वे मन की क्षिप्त अवस्था वाले होते हैं. सत्व के साथ रज तथा तम भी उनमें समान मात्र में होते हैं, वे पुरुषार्थी होते हैं, पर उनका मन चंचल होता है. तमोगुण की अधिकता होने पर मन की मूढ़ अवस्था होती है. अधर्म, अज्ञान तथा अवैराग्य की तरफ व्यक्ति प्रवृत्त होगा. सत्व गुण की अधिकता होने पर मन एकाग्र अवस्था में होता है. जब साधक सत्व गुण के भी पार चला जाता है, तब समाधि अवस्था को प्राप्त होता है. उनके संचित कर्म बहुत ज्यादा हैं. उनमें से कुछ कर्मों का फल ही उन्हें इस जन्म में मिलता है. प्रारब्ध कर्म जब तक चलते हैं, तब तक जीवन है, जो नये कर्म वे करते हैं उन्हें क्रियमाण कर्म कहते हैं. उनके प्रति ही साधक को सदा सजग रहना है.