Wednesday, February 29, 2012

अकेलापन


कल शनिवार था वे शाम को एक जन्मदिन पार्टी में गए. सितम्बर का आखिरी दिन. आज जून को उम्मीद थी कि पे स्लिप मिल जायेगी, पर नहीं मिली, ज्यादातर एक दो दिन पहले ही आ जाती है, उन्हें बहुत इंतजार था. एक शादी में गिफ्ट देना था, फिर उसके मित्रों ने किसी तरह प्रबंध किया और सबने मिलकर एक उपहार दिया. उन्होंने सोचा कि भविष्य में इस तरह खर्च करना है कि वक्त जरूरत पड़ने पर कोई कमी न महसूस हो.
जून आज बाहर गया है. दोपहर नूना ने क्रोशिये का काम आगे बढ़ाया. कुछ देर किताब पढ़ी. उस का मन नहीं लग रहा. उनके घर के सामने एक नौकरीपेशा उड़िया लड़की रहती है. बहुत खुशमिजाज है. साथ में एक असमिया लड़की भी है जो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है. कुछ देर के लिये उनके घर गयी. घर में फोन भी नहीं है, पास में ही किसी के घर पर जून फोन करके उससे बात करता है. सुबह का खाना बच गया है, उसने सोचा कुछ बनाये या उसी से काम चला ले, यूँ बासी भोजन उसे जरा नहीं भाता, दस-बारह घंटे ही हुए हैं अकेले रहते और उसे लग रहा है जून को कई दिनों से नहीं देखा. 

Tuesday, February 28, 2012

रेडियो नाटक


दोपहर के तीन बजे हैं अभी, आज दोपहर उसने कुछ देर उसने किताब पढ़ी, क्रोशिये से मेजपोश आगे बनाया, जून के आने पर लस्सी बनायी और वे बाइक से नदी पर गए, मुख्यमंत्री आने वाले थे सो जगह-जगह पुलिस के सिपाही खड़े थे, वे पहले की तरह पुल पर खड़े होकर नदी को देर तक नहीं देख सके. ‘एक सच सारे जीवन का निर्णायक हो सकता है, पर कभी-कभी कितना कटु होता है कोई सच’ चंदामामा में से एक कहानी पढ़कर सुनाई उसे जून ने, उसी का अंतिम वाक्य था यह. विवाह  पूर्व लगभग हर शुक्रवार की रात वह रेडियो पर नाटक सुना करती थी, पर यहाँ नहीं सुन पाती है, सो जून ने उसे पढ़कर सुनाया. शाम को एक परिचित परिवार अपने दो बच्चों के साथ आया था, उन्हें बहुत अच्छा लगा.
आज उमा(महरी) नहीं आयी है. वह रेडियो पर समाचार सुनते हुए बर्तन साफ कर रही थी. अकाली दल को पूर्ण बहुमत मिला है, सुरजीत सिंह बरनाला पंजाब के मुख्यमंत्री बनाये गए हैं, अब उम्मीद करनी चाहिए कि पंजाब में फिर पहले की तरह शांति रहेगी. और भारत का सबसे समृद्ध राज्य होने का गौरव वह कायम रख सकेगा.  


Monday, February 27, 2012

गुलामी का दर्द



कल रात उसने एक अजीब स्वप्न देखा. वह आजाद भारत की नहीं पराधीन मुल्क में रहने वाली लड़की है. उनके कपड़े भी किसी और तरह के हैं. गुलामों की जिंदगी जीते हैं वे लोग. यदि सड़क पर जा रहे हों और सामने से कोई अंग्रेज उच्चाधिकारी आ रहा हो तो उन्हें पीछे जाना होता है, रास्ता देने के लिये. महिलाओं को परेशान करते हैं वे लोग. एक शाम उसे एक अँधेरी कोठरी में बितानी पड़ती है. खाने-पीने की वस्तुएं जो उन्हे दी जाती हैं शुद्ध नहीं होतीं. दबकर रहना होता है. उसने दीदी को भी देखा. एक पागल को भी जो चादर ओढ़कर( वह अंग्रेज था) घर में आवाज देता हुआ आता है, उसके माता-पिता भी आते हैं, वह उसके पिता से कुछ बात करते हैं, पुरानी-पुरानी सड़कें देखीं, बग्घियाँ देखीं. उठने के बाद देर तक इस स्वप्न की स्मृति बनी रही.
सुबह धोबी के बेल बजाने पर वे उठे, पूरे छह बजे थे. समाचारों में सुना कि पंजाब में मतदान आरम्भ हो गया है. पिछले हफ्ते मैक्सिको मनाने वाले भूकम्प में मरने वालों की संख्या चार हजार हो गयी है, कितने ही मलबे के नीचे दबे हुए हैं. 

Friday, February 24, 2012

तेल बचाओ, देश बढ़ाओ


आज मुहर्रम की छुट्टी है, सुबह से ही वे घर पर थे. घर में कई जगह से धूल व जाले साफ किये, कोने बहुत जल्दी गंदे हो जाते हैं यहाँ , छिपकलियाँ बहुत हैं और मकड़ियाँ मच्छर भी. दोपहर को पैदल घूमने बाहर निकले भी तो वर्षा हो रही थी. शाम को एक और असमिया परिवार से मिलने गए उनका भी नन्हा बेटा बहुत प्यारा था, रेशमी बाल पूरे माथे को ढके हुए थे. उसके जन्मदिन के फोटो देखे. घर आकर उन्होंने दिसम्बर में होने वाली यात्रा का हिसाब लगाया और तय किया कई अगले दो तीन महीने बहुत सम्भल कर खर्च करना होगा. जून अब स्वस्थ है, आज वह उसे हॉस्टल ले गया था दूर से वह कमरा भी दिखया जहाँ वह डेढ़ वर्ष रहा था और जहाँ बैठ कर उसने वे सारे पत्र लिखे थे. उसने तीन फाउंटेनपेन में स्याही भर दी है इतने दिनों से वे बॉल पेन से ही लिखते आ रहे थे.
आज शाम को क्लब में पेट्रोलियम कंसर्वेशन रिसर्च असोसिएशन (पी सी आर ए ) की तरफ से एक भाषण था. एक सरदार जी तेल बचाने के बारे में बोल रहे थे, फिर किन्हीं मिश्रा जी ने खाने की गैस बचाने के बारे में बताया पर यहाँ तो गैस दिन रात जलती रहती है, यहाँ के लिये उनकी बात का कोई महत्व नहीं था, फिर तीन-चार फिल्म दिखाई गयीं. जून की एक छोटी सी बात पर नूना को गुस्सा आ गया पर वह हँस कर टाल गया, दूसरा चेयर बैक भी कल पूरा हो जायेगा उसने लिखते समय सोचा. सोने गए तो छत के पंखे से तीन तरह की आवाजें आ रही थीं, बिजली विभाग में रिपोर्ट लिखा दी है शायद कल वहाँ के कर्मचारी ठीक करने आयें.  

Thursday, February 23, 2012

कोलम्बो का आकाश


आज सुबह फिर उठने में देर हुई, कल रात देर तक वे अपने-अपने बचपन की बातें करते रहे. दोनों के बचपन में कई बातें मिलती-जुलती लगती थीं. सबके बचपन एक से ही होते हैं पर बड़े होकर सब अपने-अपने दायरों में कैद हो जाते हैं. आज सुबह से ही पानी बहुत कम आ रहा था, बाद में बंद ही हो गया. कल नूना ने जून के साथ शर्त लगाई कि भारत-श्रीलंका क्रिकेट टेस्ट मैच में भारत जीतेगा पर मैच अनिर्णीत रहा. अब कल वन डे है इसमें तो भारत को जीतना ही चाहिए, उसने सोचा. कल वे एक असमिया परिवार से मिलने गए थे, उनका बेटा जिंजू बहुत प्यारा है, शर्मीला व शांत स्वभाव का.
आज इतवार है, सितम्बर माह भीगा भीगा ठंडा सा इतवार ! सुबह से आकाश में बादल छाये रहे, यहाँ भी और कोलम्बो के आकाश में भी, मैच देर से शुरू हुआ और कम रोशनी के कारण जल्द खत्म कर देना पड़ा. जून के साथ वह होमियोपैथिक डॉक्टर के यहाँ गयी थी. आज वे फिर एक परिचित के यहाँ गए नूना ने अपने हाथ से बनायी  टैटिंग की लेस उन्हें दी. उसके बाद वे मोटरसाइकिल से दूर तक घूमने गए, खुली सड़क पर इक्का-दुक्का वाहन थे. उसने वही पीला कुरता पहना था. शाम जैसे-जैसे बढ़ रही था मच्छर भी बढ़ रहे थे जो आँखों, बालों से टकरा रहे थे.

Wednesday, February 22, 2012

गणपति बप्पा मोरया



यह कमरा(ड्राइंगरूम+डाइनिंग रूम) जहाँ वह बैठी है, ठंडा है, बाकी दोनों कमरों की तुलना में. बाहर कितनी तेज धूप है, सुबह-सुबह काफ़ी ठंड थी. पुराने घर में धूप का पता ही नहीं चलता था, यहाँ इतन खिड़कियों के कारण रोशनी से भरा रहता है घर. सुबह नल में पानी नहीं आया पहली बार वह स्नान नहीं कर सकी. परसों वे तिनसुकिया गए थे, “शिवधाम” शिव मंदिर देखा पहली बार. भाई का पत्र आया है राखी मिल गयी है. वह चेयर बैक पर फूल काढ़ रही है आजकल. इस हफ्ते भी चार पत्र आये हैं, कोई हफ्ता ऐसा नहीं जाता जब एक या दो पत्र न आते हों.
आज जून ने दांत का एक्सरे कराया है, कहता है कि निकलवाना पड़ेगा, नूना को सोच कर ही डर लगता है, कितना पीड़ादायक होगा यह अनुभव. उसे याद आया माँ ने एक बार दांत निकलवाया था, चेहरा सूज गया था.
कल शाम वे गणेशोत्सव देखने गए थे, पंडाल में काफ़ी भीड़ थी. परसों विश्वकर्मा पूजा देखी, जगह जगह हाथी पर बैठे हुए विश्वकर्मा जी की मूर्तियां स्थापित की गयीं थीं. एक प्रदर्शनी व पूजा के कारण आजकल सब जगह बहुत भीड़ रहती है.  


Tuesday, February 21, 2012

पीला कुरता



आज सुबह साढ़े पांच बजे जून ने आवाज देकर उसे उठाया, उसके पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था परसों भी उसे कुछ पलों के लिये ऐसा दर्द उठा था पर आज तो वह ऑफिस भी नहीं जा पाया, लंच के बाद गया. वह कान के लिये भी और दवा लाया है. कल शाम वह बहुत उदास था, पर बाद में ठीक हो गया, दोपहर को उसकी एक बात नूना को रास नहीं आयी थी, पर वह जानती है कि उनका प्रेम इन छोटी-छोटी बातों से कहीं बड़ा है. उसने प्रार्थना की कि वह जल्दी से ठीक हो जाये. कल सुबह वह एक परिचिता के यहाँ भी गयी थी उनकी माँ का देहांत हो गया, कितनी उदास थीं वह, मृत्यु एक कटु सच्चाई है सबसे बड़ा सत्य है.
अगले दिन वे तिनसुकिया गए, पर पहले की तरह बस से नहीं, मोटरबाइक से, बहुत जल्दी पहुँच गए. रास्ते में वह सोच रही थी कि कल की गलतफहमी के बाद वे और निकट आ गए. जून ने तो जैसे तय कर लिया था कि उसे पीले रंग का कुरता खरीद कर ही देगा, कई दुकानों पर घूम-घूम कर मनपसंद पीला रंग का रुबिया का कपड़ा मिला. इस समय वह दोपहर बाद की इतवार की चाय बना रहा है, वह आजकल कभी कभार ही लिखता है, सो नूना ने भी लिखना बंद किया और चाय पीने लगी.

बंद खिड़कियों वाले मकान


आज सुबह बस का हॉर्न सुनाई दिया तो जून बाहर निकला, मोटरसाइकिल ठीक करानी थी सो उसे ही ले गया. नूना के लिये दस्ताने लाया है कपड़े धोने में उसके हाथ खराब न हो जाएँ इसलिए. उसका मन यहाँ नहीं लग रहा है कितना बंद-बंद लगता है खिड़की से बाहर देखने पर मकान ही मकान दिखाई देते हैं, बंद खिड़कियों वाले मकान. नूना ने ऐसा कहा तो जून भी उदास हो गया पल भर को, फिर वे शेष कामों में लग गए. शाम को सब कैलेंडर भी लगाये, अभी पर्दों के रिंग लगाने बाकी हैं. जोशीमठ से छोटे भाई का पत्र आया है. पड़ोस के किसी घर से ‘रजिया सुल्तान’ फिल्म के गाने बजने की आवाज आ रही है.
वह जानती है कि उसे यहाँ रहना अच्छा लगने लगेगा. सुबह के नौ बजे हैं वर्षा हो रही है जो टिन की छत पर गिरकर एक अद्भुत संगीत उत्पन्न कर रही है. कल रात जून ने प्रेमचन्द की पुस्तक 'अहंकार' पढ़नी शुरू की पर तीन-चार पेज पढ़ते ही सो गया. स्वप्न में वह लगभग रोज ही माँ, छोटी बहन व दीदी को देखती है. भाई की शादी की तिथि तय नहीं हुई है, वे उसमें जायेंगे.

Monday, February 20, 2012

नए घर में



कल शाम ही वे अपने घर आ गए थे. घर ! कितना प्रिय लगता है यह शब्द, जब इसके साथ अपना जुड़ा हो. दोपहर को ही जून का काम खत्म हो गया था. सारी सुबह नूना प्रेमचन्द की पुस्तक पढ़ती रही. दो सखियों की कहानी बहुत अच्छी लगी. कुछ देर मेजबान महिला की बातें सुनती रही, किस तरह उसके माता-पिता के देहांत के बाद मामा के यहाँ रहना पड़ा. आज ही उस नए घर की सफाई भी हो जायेगी जो उनका नया बसेरा बनने वाला है और एक दो दिनों में वे वहाँ चले जायेंगे.
शुक्रवार को जून दिन भर के लिये बाहर गया था, वह सामने वाले घर में आयी नन्ही बिट्टू से खेलने, दोपहर बाद लौटी तो वह भी उसके साथ चली आयी, दोनों सो गए. तभी उठे जब जून ने कालबेल बजाई. शनिवार को उन्होंने जीप के द्वारा कई चक्कर लगा कर सारा सामान नए घर में शिफ्ट किया, बड़ा सामान ट्रक से पहले ही आ गया था. शाम तक बहुत थक गए थे, पर करीने से सजा कमरा देखा तो सारी थकान उतर गयी.  

Friday, February 17, 2012

काश्मीर समस्या


राखी का त्यौहार आने वाला है. भैया का पत्र आया है आज उन्होंने अपना पता भी लिखा है, उनके मन में भी रक्षाबन्धन की बात रही होगी. धर्मयुग में काश्मीर पर एक लेख पढ़ा, मन क्षोभ से भर गया, हमारे देश का एक सुंदर प्रदेश आतंक का शिकार हो गया है. मानवता के हजार दुश्मन आज के  युग में पनप रहे हैं, हर जगह उन्हीं का तो राज है. भारत सरकार को शीघ्र ही कड़ा कदम उठाना होगा.
कल सुबह वे साढ़े पांच बजे ही उठ गए. उन्हें मोरान जाना था, कार में आगे वे बैठे थे पीछे और लोग भी थे, एक सीनियर भी, सो वे रास्ते भर ज्यादा बात नहीं कर सके. एक परिचित के यहाँ रुके. गृहणी के साथ उसकी गाँव में रहने वाली नन्द भी थी. अच्छे खुशमिजाज, मिलनसार लोग थे. दोपहर को नूना सो गयी और जून फील्ड चला गया. शाम को गर्मी बहुत थी सो पुनः स्नान किया. बाजार गए. बिजली नहीं थी पर कुछ देर में आ गयी. एक और दम्पति से मुलाकात हुई, श्रीमती को देखकर नूना को कक्षा ३ में पढ़ने वाली उसकी ट्यूशन की छात्रा की याद हो आयी वही लहजा है बोलने का आठ साल की बच्ची का और वही आवाज भी. नूना कुछ थक गयी थी पर जून के साथ ने उसे विश्वास दिला दिया कि अच्छा किया जो वह अकेले पीछे घर में नहीं रुक गयी.



Tuesday, February 7, 2012

यात्रा तीन दिन की


आज सुबह खबरों में सुना कि संत लोंगोवाल की मृत्यु हो गयी. किस तरह एक नेता जिसके पीछे हजारों लोग होते हैं एक हत्यारे की गोलियों का शिकार होकर दम तोड़ देता है. गाँधी हर युग में होते हैं और हर बार उन्हें जान देनी पड़ती है. आज सुबह से बार-बार वही खबरें आ रही हैं. जून आज पुनः अस्पताल गया था, विशेषज्ञ के पास. आज उसने अपनी बाइक भी साफ की, उसे बहनों की भेजी राखियाँ मिल गयीं. कितने दिन बाद आज शाम बादल छा गए और झमाझम वर्षा होने लगी. वे घर पर ही रहे.
अगले हफ्ते जून को तीन दिनों के लिये बाहर जाना है, नूना भी उसके साथ जायेगी. वे नया घर भी देख आये, अच्छा है पर इस घर से आत्मीयता सी हो गयी है, छोड़ते समय दुःख तो होगा ही. कितना परिचित लगता है इसका हर कोना, फिर उनके जीवन का यह पहला पडाव है जिसमें उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की है.

Sunday, February 5, 2012

पंजाब समस्या


कल रात उसने लिखा नहीं, बात कुछ विशेष नहीं थी, पर विशेष थी भी. शाम से ही वह दो बार छोटी-छोटी बात पर नाराज हुई, मूड ऑफ हो गया, बेबात ही कभी-कभी मन उदास हो जाता है पर उसके बाद ही खुशी का स्वाद भी बढ़ जाता है. कल पढ़ी पुस्तक का असर हो सकता है या कि उसे लगता है कि उसका जीवन अर्थहीन हो गया है. पहले अर्थयुक्त था ऐसा भी नहीं कह सकती. बस लगता है वह कुछ करती नहीं, या कि करना नहीं चाहती. खैर यह किस्सा बहुत लम्बा है. फ़िलहाल तो उसे कुछ और सोचना है, जून के कान का दर्द अभी भी ठीक नहीं हुआ. इस समय वह सो गया है नींद में दर्द खो गया होगा. अभी खबरों में सुना कि अकाली दल के नेता हरचंद सिंह लोंगोवाल पर हमला किया गया है. एक और बलि. पंजाब समस्या सचमुच कितनी उलझ गयी है. सुलझते-सुलझते रह जाती है. सिलाई का काम आज भी किया, कुछ शेष है. परिचितों से मेलमिलाप भी चल रहा है.
  

Saturday, February 4, 2012

प्रेमचन्द का गाँव


आज शाम को खबर मिली कि नया घर खाली हो गया है, संभवतः उन्हें एक हफ्ते में यह घर छोड़ना होगा. जून के कान में पानी चले जाने से संक्रमण हो गया है. उसे एक कान से कम सुनाई देता है. डॉक्टर ने जो इलाज बताया है कर रहा है पर बहुत दिन हो गए, फिर भी उसे पूरा विश्वास है कि एक दो दिनों में कान पूरी तरह ठीक हो जायेगा. नूना ने प्रेमाश्रम काफ़ी पढ़ ली है, उसे बहुत रोचक लगी यह पुस्तक. पढ़ते समय वह भी उन गांववासियों के बीच पहुँच जाती है, उपन्यास के नायक प्रेमशंकर को उस झोंपड़ी में बैठे हुए देखती है. सुबह बूंदाबांदी हो रही थी वह छाता लेकर घूमने गयी. आज सभी को पत्र लिखे दोनों ने. क्लब में व्ही,. शांताराम की एक पुरानी फिल्म थी 'आदमी' पर प्रिंट अच्छा नहीं था, सो वे लाइब्रेरी चले गए. दोपहर को एक ब्लाउज सिला नूना ने, लम्बाई थोड़ी कम रह गयी पर उसे लगता है कि अभ्यास करे तो वह अपने कपड़े सिल सकती है. 

Friday, February 3, 2012

आजादी की सालगिरह


पहली बार उसके जन्म दिन पर वे दोनों साथ हैं, आज नूना बेहद खुश है जैसे उसका ही जन्मदिन हो. दोपहर को उसने विशेष भोजन बनाया, उसके आने पर पूरी बनायी, और दोपहर को गुलाबजामुन बनाने का प्रयत्न किया जो बहुत मुलायम होने के कारण टूट गए, जून पेटीज लाया था बाजार से. बनारसी साडी पहनी उसने, फिर वे मोटरसाइकिल पर नदी तक घूमने गए, स्टेशन गए और फिर क्लब, जहाँ ज्वारभाटा फिल्म चल रही थी.
१५ अगस्त ! आजादी की ३८वीं सालगिरह, प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में घोषणा की है कि असम आन्दोलन समाप्त हो जायेगा, शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं. और इस तरह पिछले चार-पांच सालों से चली आ रही यह लड़ाई समाप्त होने को है. सचमुच यह बहुत प्यारा उपहार है राष्ट्र को. आज सुबह वे झण्डारोहण देखने तो नहीं जा सके वर्षा के कारण, बस ट्रांजिस्टर पर लालकिले पर हुए कार्यक्रम की रनिंग कमेंट्री सुनी. आयल मार्केट में खूब पटाखे चलाये गये, आवाज तो दिन में आ रही थी, शाम को बिकते हुए भी देखे. आज नूना पुष्पा सिंह के यहाँ गयी,, वही जिससे मिलकर उस दिन आयी थी, बेटा हुआ है, उसे लगा कितने अजीब लगते हैं बिल्कुल छोटे बच्चे.
  

पढ़ने पर राशन


आज
 वे बहुत खुश हैं, चहकते पंछियों की तरह, बहते झरनों की तरह. कल जून का जन्मदिन है. आज शाम वे बाजार गए थे उपहार लेना था, पर यहाँ मन के मुताबिक कुछ मिलता नहीं, छोटा सा बाजार है. बस रुमाल लिये, जबकि उसने नूना के लिये सलवार का कपड़ा ले दिया. उन्होंने सोचा है कि नवम्बर में या अगले वर्ष दक्षिण भारत की यात्रा पर जायेंगे. कल जापान एयरलाइन्स का बोईंग ७४७ दुर्घटना ग्रस्त हो गया, जिसमें ५२४ यात्री थे, उनमें से केवल चार यात्री बच गए हैं. पिछले दो ढाई महीनों में यह तीसरी विमान दुर्घटना है. दोपहर को बिजली नहीं थी, ऐसा बहुत कम होता है यहाँ, मानसरोवर के दोनों अंक लगभग पढ़ लिये हैं, पर अब सोचा है, पढ़ने पर राशन लगाना होगा, आँखों में दर्द होने लगा है. जून की आँखें अब ठीक हैं पर कान अभी भी पूरे नहीं. जून के छोटे भाई का खत आया है मुम्बई वाले मौसा नहीं रहे. 

Thursday, February 2, 2012

जन्मदिन


आज जून से उसकी छोटी सी लड़ाई हो गयी, वह उसके पैर की अँगुलियों के नाख़ून काटना चाहती  थी पर वह बार बार मना कर रहा था. कभी-कभी उसे लगता है कि वह उसे अपने बराबर की नहीं मानता, वैसे वह उसका बहुत ख्याल रखता है, पर उसे कमजोर या अबला समझता है, हो सकता है यह उसका भ्रम ही हो. पर वह गुस्से में उसे कुछ कह देने के फौरन बाद ही स्वयं परेशान होने लगती है, क्यों कह दिया उसे, अब वह क्या सोच रहा होगा, क्या अब वह पहले की तरह मेरा मित्र बना रहेगा. ये सारे सवाल उसे घेर लेते हैं. आज कई दिनों के बाद वह तैरने गया था, उसके कान में पानी चला गया था, सुबह आँख में भी चुभन थी, उसे उदास देखकर नूना को कितना दुःख होता है. इससमय वह सो रहा है. आज घर से उसके भाई का भेजा जन्मदिन का कार्ड आया है.

Wednesday, February 1, 2012

क्लब में टेलीविजन


आज उनके विवाह को पूरे सात महीने हो गए. कहाँ इंतजार के इतने वर्ष...और अब कैसे बीत गए यह सात महीने. कितनी खट्टी-मीठी यादें हैं इन सात माहों की, खट्टी कम मीठी ज्यादा. आज उसका मन शांत है, कहीं कोई उद्वेग नहीं, जैसे शांत पानी पर धीमे-धीमे नाव अपने लक्ष्य की ओर बहे जा रही हो. न तूफान का डर, न राह भटकने का. जून का साथ आश्वासन भरा है, सुरक्षा भरा. फिर उसमें भी इतना तो साहस है कि भविष्य का चाहे वह सुंदर हो या असुंदर, सामना कर सके. इन महीनों में एकाध बार उसका विश्वास डगमगाया है वैसा होने पर उसे दुःख भी हुआ, अब वैसा न हो इसकी चेष्टा भी करेगी उसने सोचा. दोपहर को एक किताब पढ़ती रही, रमेश बक्षी का उपन्यास ‘बैसाखियों पर टिकी इमारत’ नायक पर क्रोध आया उसे बेहद क्रोध. किताब पढ़ना शुरू करने के बाद बाकी सब भूल जाती है, कई आवश्यक कार्य रह गए अब उसने सोचा है कि सारे काम खत्म करने के बाद ही पढ़ना शुरू करेगी.
आज इतवार है, शाम को क्लब में टीवी पर एक पंजाबी फिल्म दिखाई जायेगी, ‘उडीकां’. सुबह ‘स्टार ट्रेक’ देखने भी वह गए थे. कितने दिनों के बाद नूना ने क्लब में टीवी देखा, पर उसे लगा उसके स्तर में कोई फर्क नहीं आया है, कार्यक्रमों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. इतने दिनों से घर से आये पत्रों से व पत्र-पत्रिकाओं में टीवी कार्यक्रमों के बारे में पढ़कर उसके प्रति जो आकर्षण पैदा हुआ था, वह केवल एक अच्छी फिल्म देखने तक ही रह गया है. कल यानि शनिवार को एक डिनर पार्टी थी, नूना ने पहली बार जून को अपने सहकर्मियों और उच्च अधिकारी के साथ देखा. वह काफ़ी उत्साहित लग रहा था, पार्टी के आयोजन में भी उसका योगदान था. नूना को बहुत अच्छा लगा और उसने मन ही मन दुआ की, कि वह इसी तरह सभी का प्रिय पात्र बना रहे.