Friday, July 29, 2022

पैशन फ़्रूट के पौधे


रात्रि भ्रमण के वक्त हवा के साथ हल्की फुहार बरस रही थी, चेहरे को उसका शीतल स्पर्श भला लग रहा था। आज एक बाल फ़िल्म देखी, “मैं कलाम हूँ" राजस्थान के एक गाँव में फ़िल्मायी गयी है। एक बालक के संघर्ष की कहानी, अब्दुल कलाम आज़ाद से प्रेरित होकर अपना नाम जिसने कलाम रख लिया था। आज उन्होंने शयन कक्ष के बाहर जो बरामदा है, उसमें दो बड़े गमलों में पैशन फ़्रूट के दो पौधे लगाए। उसकी बेल रेलिंग से होती हुई वर्टिकल गार्डेन के फ़्रेम में चढ़ जाएगी।एक पौधा नीचे भूमि में लगाना है। इसी सोसाइटी में रहने वाले दो व्यक्तियों ने ये पौधे उन्हें दिए हैं। आज आम के बगीचे में ‘एटूबी’ ने फ़ूड स्टाल लगाया था, पर कोरोना के कारण कम लोग गए होंगे। कल पूरी दुनिया में ढाई लाख से अधिक कोरोना के केस मिले। बड़ा भांजा व उसके चचेरा भाई कल अपने-अपने घर जा रहे हैं। चार महीनों से वे अनेक युवाओं की तरह घर से ही काम कर रहे थे, आगे भी लगभग चार महीने तो और घर पर रहना होगा। इस आपदा ने यह तो अच्छा किया है कि बिछुड़े हुए परिवारों को मिला दिया है। आज सुबह अच्छी नींद लाने के उपायों पर चर्चा सुनी। कुछ उपाय उन्होंने अपनाए भी हैं। कमरे में पूर्ण अंधकार होना चाहिए। सोने से दो घंटे पूर्व ही  पानी पी लें व भोजन कर लें। टीवी या मोबाइल एक घंटा पहले से न देखें। सोने से पूर्व स्नान करें या पैरों को धो लें। तलवों की मालिश करें। कोई पुस्तक पढ़ें या भ्रामरी प्राणायाम कर लें। योग निद्रा भी कर सकते हैं। जून ने अगले हफ़्ते तीन दिनों के आर्त ऑफ़ लिविंग के एक कोर्स के लिए ऑन लाइन फ़ॉर्म भर दिया है। गुरूजी कार्तिकेय भगवान पर बोलेंगे व ध्यान भी कराएँगे। वह कहते हैं मानव जीवन का सबसे बड़ा उपहार है ध्यान ! सुबह छोटे भाई से बात हुई, वह बहुत खुश है, परमात्मा से जिसकी लगन लग जाए वह सदा ही प्रसन्न है। 


कल की तरह आज वर्षा नहीं हुई, बादल बने और बिखर गए।  आज सूर्योदय व सूर्यास्त दोनों बादलों के अनूठे रंगों के कारण अति सुंदर थे। नींद के लिए कल जो उपाय किए थे, काम आए।कल से कर्नाटक में लॉक डाउन खुल रहा है। आज विष्णु पुराण में दिखाया गया कि रावण ने सत्ता के लिए अपनी बहन के पति को भी मार दिया था। कैसी मनोवृत्ति है रावण की, पता नहीं लोग उसे क्यों विद्वान कहते हैं; कभी रहा भी होगा तो उसने अपने ज्ञान का उपयोग तो नहीं किया। एक जापानी एनिमेशन फ़िल्म ‘इन दिस पार्ट ऑफ़ द वर्ल्ड’ का कुछ भाग देखा, द्वितीय विश्वयुद्ध की कहानी है। नायिका चित्रकला में निपुण है और विवाह के बाद ससुराल में घुलमिल जाती है। असम में जिस तेल कुँए में आग लगी थी, अभी तक बुझ नहीं पायी है। तीन विदेशी विशेषज्ञ बुझाते हुए थोड़ा सा जल भी गये। 


आज शाम को टहलते समय उन्हीं वृद्ध व्यक्ति से पुनः मुलाक़ात हुई, बगीचे में बैठे थे, कह रहे थे, उन्हें कोई चिंता नहीं है। उनका ड्राइवर चिंतित लग रहा था।उसका परिवार बिहार में है, यहाँ अकेला रहता है। वृद्ध ने बताया, दिल्ली में उनके यहाँ गुरू जी आए थे, मोहल्ले के पाँच सौ लोग पंक्ति बनकर खड़े हो गए थे, उनके दर्शन के लिए। रात के ग्यारह बज गये, खाना कब खाते। उनके पुत्र आर्ट ऑफ़ लिविंग के पूर्ण कालिक शिक्षक हैं। 


Tuesday, July 19, 2022

जापानी फिल्म -‘माई नेबर टोटोरो’,

 
आज शाम सोसइटी के अड्डा एप पर नोटिस आया कि पास वाले गाँव में  में भी कोरोना का एक मरीज़ मिला, जिसकी मृत्यु के बाद पता चला उसे यह रोग था। पंचायत ने वह इलाक़ा बंद कर दिया है, पिछला गेट भी बंद हो गया है, कल से नैनी का आना भी बंद हो जाएगा, सुबह का टहलना भी सीमित दायरे में होगा। बड़े ननदोई कल कोविड टेस्ट कराएँगे, उन्हें कई दिन से बुख़ार था। आइसोलेशन में ठीक हो जाने का इंतज़ार कर रहे थे। नन्हे से बात हुई, उसने कहा किसी भी वैक्सीन को आने में कई वर्षों का समय लगता है। कोविड की वैक्सीन जल्दी भी आयी तो एक-डेढ़ वर्ष का समय तो लगेगा। आज सुबह टहलने गये तो चाँद बादलों के पीछे से झांक रहा था। रात को हुई बारिश से सड़कें धुली-धुली थीं, पेड़-पौधे और वृक्ष भीगे हुए, हवा ठंडी थी. दूर पहाड़ियों पर रुकी हुई बदलियां एक मोहक दृश्य उत्पन्न कर रही थीं. सूर्योदय कई दिनों से नहीं दिखा। छोटी बहन के सुझाव पर दोपहर को एक अच्छी सी जापानी फ़िल्म देखी, ‘माई नेबर टोटोरो’, बहुत सुंदर है।जापानी लोग आत्माओं के अस्तित्त्व में बहुत यक़ीन रखते हैं। जादू-टोना, भूत-प्रेत और नदी, जंगल की आत्मा में भी। शाम को वर्षा हो रही थी सो टहलने नहीं  जा पाए।नन्हे  के लिए जन्मदिन की कविता लिखी। अभी कुछ देर पूर्व रात्रि भ्रमण से घर लौटे ही थे कि बूँदें बरसने लगीं। शाम को अनुपम खेर के साथ गुरूजी की बातचीत सुनी। बादलों की तस्वीरें उतारीं। 

कल नन्हे का जन्मदिन था, शाम को छह बजे के बाद वे लोग आ गए। दोपहर को बना मलाई कोफ्ता व मिठाई लाए थे, शाही टुकड़ा व हलवा भी जो उनकी मित्र ने भेजा था। आज यहीं से काम किया। अगले हफ़्ते फिर से लॉक डाउन लगने वाला है। यहाँ नापा में भी एक मरीज़ मिला है। सुबह टहलने गये तो आसमान में तारे थे तथा अष्टमी का चाँद चमक रहा था। ‘विष्णु पुराण’ में देखा, राजा दशरथ, कैकय के राजा की सहायता करने जाते हैं, जब रावण उन पर आक्रमण कर देता है। कैकेयी इस युद्ध में राजा की सारथी बनती है। कहते हैं रावण सीता के स्वयंवर में भी आया था। राजस्थान में सचिन पायलट ने विद्रोह कर दिया है, उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहिए था पर एक वरिष्ठ नेता को बना दिया गया था। 


आज बहुत दिनों बाद दिन भर में एक बार भी वर्षा नहीं हुई। दोपहर को गुरूजी ने ‘ऊर्जा स्तम्भ’ का ध्यान कराया, अंत में अग्नि जलती हुई दिखाई दी। बहुत दिनों बाद ब्रह्म सूत्र पर एक प्रवचन सुना, कितना स्पष्ट और सरल तरीक़ा है वक्ता का वेदांत समझाने का। ‘श्री कृष्णा’ में एक अद्भुत कथा सुनी, बलराम का विवाह रेवती से होना है, जिसका जन्म सतयुग में हुआ था, उसके पिता ब्रह्मलोक में गए तो ब्रह्मा जी ने कहा, पृथ्वी पर अब द्वापर युग का अंत है, बलराम से अपनी पुत्री का विवाह कर दीजिए। जब वे दोनों धरती पर आते हैं तो उनके शरीर अति विशाल हैं, सतयुग में आदमी बड़े क़द के होते थे। बलराम उन्हें अपने हल के सिरे से दबाते हैं और वह छोटी हो जाती हैं। संग्रहालय में  राणा प्रताप आदि के वस्त्र भी देखते हैं तो कितने विशाल नज़र आते हैं, लोगों के क़द अब घट गये हैं। 


आज लॉक डाउन का पहला दिन है। नन्हे ने बताया, मेड व कुक दोनों नहीं आए, योग कक्षा भी ऑन लाइन होगी । शाम को एक मलयालम फ़िल्म देखनी शुरू की, ‘सुजातयम सूफ़ियम’ ऐसा ही कुछ नाम है। केरल के सुंदर दृश्य हैं उसमें। सूफ़ी कल्चर का भी पता चला। फिल्म की भाषा नहीं समझ पाए पर अभिनय इतना सशक्त था कि सब समझ में आ गया. नायिका मूक है पर उसके पैरों में नृत्य समाया है, उसके हाथों में भी मुद्राएं सहज ही बनती हैं.