कल वे घर लौट आये, पिछले आठ-दस दिन यात्रा में बीते, बंगलूरु की यात्रा, जहाँ वे
नन्हे के घर पर रहे और अब तो वहाँ उनका खुद का घर भी बनने वाला है. साइनिंग अमाउंट
दे दिया गया है. मकान के मालिक काफी सुलझे हुए व्यक्ति हैं. उनकी पत्नी और वे खुद
ईशा फाउंडेशन के सद्गुरू को मानते हैं. उनका व्यवसाय भी गाँव के लोगों की मदद से
जुड़ा है. वह सोसाइटी भी काफी साफ-सुथरी है. वे वहाँ के फूलों और बगीचों को निहारते हुए दिन में कई
बार टहलते थे. अगले चार वर्षों में उनके कई चक्कर बंगलूरू के लगने वाले हैं. इस
बार आश्रम नहीं जा पाई, गुरूजी भी बाहर गये हुए हैं, आश्रम में नहीं थे. स्कूल में
पता चला मृणाल ज्योति के एक कर्मचारी को खेलते समय फेफड़े में चोट लग गयी है, वह अस्पताल
में हैं. शाम को वे उनसे मिलने जायेंगे. ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य प्रदान
करें.
पौने ग्यारह बजे हैं सुबह के. पिछले दो दिनों में
बहुत कुछ घट गया. मंगल को जून ने दांत निकलवाया था, दोपहर को वे आकर लेटे थे. उसके
सिर में हल्का दर्द था, सो कुछ देर खुली हवा में टहलने बाहर चली गयी. जून का फोन
बजा जो डाइनिंग टेबल पर रखा था. आवाज सुनकर उसने शीघ्रता से क्यारी को छलांग कर
आना चाहा पर पता ही नहीं चला, अगले ही क्षण वह धरा पर थी. फोन की स्क्रीन भी टूट
गयी और दायें पैर का घुटना छिल गया. यह सब कुछ क्षणों में ही हुआ. गनीमत है ज्यादा
चोट नहीं लगी. मन फिर भी शांत रहा. शाम को योग कक्षा भी ली और जून को भी शाम को
बताया जब फोन ने काम करना ही बंद कर दिया. कल सुबह वह बाजार से सामान लेकर आये थे,
तभी थैला लेकर सामान लेने रसोईघर से बाहर निकली और अगले ही क्षण जमीन पर थी. कुछ
भी समझ में नहीं आया कि क्या हुआ. जून को यही कहा, चक्कर आ गया था. नैनी के घर से
सभी हाल-चाल पूछने आ गये. नैनी की सास तो रोने ही लगी. कितने भोले दिल हैं इनके.
जितना आपस में लड़ते-झगड़ते हैं उतना ही प्रेम भी करते हैं. मन में कुछ छिपाकर नहीं
रखते. उसे लगता है, कोई प्रारब्ध कर्म उदय हुआ है, अथवा तो परमात्मा उसे कह रहे
हैं, हर क्षण सावधान रहे, एक पल के लिए भी उसे न भूले. सजगता न खोये. जून का दांत दर्द
अब ठीक है पहले से, अभी दवा ले रहे हैं. नन्हा कल रात घर वापस गया दो दिन होटल में
रहने के बाद. मौसम अब ठंडा हो गया है, दिन भर स्वेटर पहनने का मौसम..कल छोटी बहन से
बात हुई, उसे संबंधियों से निराशा हाथ लगी है, पर वह ज्ञान के पथ पर है सो इसे
अपने मोक्ष के लिए अच्छा ही मान रही है. मतभेदों को भुलाकर उन्हें एक होना है,
एकता में ही शक्ति है !
कल कुछ नहीं लिखा, सुबह मृणाल ज्योति गयी. नन्हा भी
अब इसका सदस्य बन गया है. विश्व विकलांग दिवस के कार्यक्रम के निमंत्रण कार्ड्स भी
लेने थे. फिजियोथेरेपी सेंटर में नई मशीनें आई हैं, लडकियों के लिए छात्रावास भी
बन रहा है. बाहर ही ऑफिस भी बन रहा है, उनका इरादा है कि अगले दो-तीन वर्षों में
एक दुकान तथा एक गेस्टहाउस भी खोल दें. मृणाल ज्योति एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है.
बुआ जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उसने फोन किया पर घंटी बजती रही, शायद वह सो रही
हों. उस दिन चचेरी बहन को फोन किया तो उसने भाई की बिगड़ती मानसिक हालत के बारे में
बताया. वे उसका इलाज करने को तैयार हैं, पर वह खुद नहीं करवाना चाहता. इन्सान की
बुद्धि ही जब उसका साथ छोड़ देती है, तब उसे कौन बचा सकता है ? दोपहर के बारह बजने
को हैं, जून अभी तक नहीं आये हैं, उसे भूख का अहसास हो रहा है, फ्राइड राइस बनाये
हैं आज. सुबह घर की साप्ताहिक सफाई करवायी और साप्ताहिक स्नान किया. मन का स्नान
संतों की वाणी सुनकर हुआ. परमात्मा की असीम कृपा उन पर बरस रही है, बस उसे महसूस
भर करना है.
निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत बहुत आभार !
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