अक्तूबर आरम्भ हुए चार दिन हो गये, आज
पहली बार डायरी खोली है. योग की दो कक्षाएं हो चुकी हैं. तीसरी सम्भवतः परसों सुबह
होगी. कल शाम शायद क्लब में पार्टी है, सो हॉल नहीं मिलेगा, ऐसा संयोजिका ने कहा,
इस ‘शायद’ का अर्थ वही जानती है. गुरूजी कहते हैं, इस दुनिया में हर तरह के लोग होते
हैं, सच्चे, कच्चे व..ज्ञानी सभी को साक्षी भाव से देखता है, व मस्त रहता है.
सामाजिक क्षेत्र में कदम रखने पर इन सबका सामना तो करना ही होगा. बच्चों को योग
सिखाना कितना सहज है, कितने मासूम होते हैं वे ! आज सुबह स्कूल में सिखाते वक्त
तितली के रूप में अस्तित्त्व फिर आया, वह तो यूँ भी हर क्षण, हर पल साथ ही है.
उसके ही नहीं, सबके साथ, वे सजग रहें तो उसका अनुभव सहज ही होता है. असजग होते ही
भीतर स्वप्न चलने लगता है, ऊर्जा व्यर्थ चली जाती है. कुछ भी हाथ नहीं आता. वह
परमात्मा अकारण ही दयालु है. प्रेम उसका स्वभाव है, शांति उसका वस्त्र है, ज्ञान
और शक्ति के रूप में वह परिपूर्ण है. सुख और पवित्रता उसके भीतर रचे-बसे हैं. वह
पतितपावन है. उसमें रहकर वे भी पवित्र हो जाते हैं. जीवन कितना अनमोल है यदि उसका
साथ हो, अन्यथा एक बोझ..ईश्वर उन सभी को सद्बुद्धि दे जो उससे विमुख हैं और
दुखपूर्ण हैं..ग्यारह बजने को हैं, कुछ देर में जून आने वाले हैं, उनका जीवन भी
समृद्धि की ओर जा रहा है. उन्हें तरक्की मिली है. कुछ ही दिनों में एसी कार भी मिल जाएगी.
कल दिन
भर व्यस्तता रही. शाम को क्लब गयी. आज भी दो मीटिंग्स हैं. पहली मृणाल ज्योति में
विश्व विकलांग दिवस के लिए और दूसरी महिला क्लब की. आज सुबह योग कक्षा में दो
महिलाएं ही उपस्थित थीं. कल व परसों
उन्हें घर पर आने को ही कहा है. मन कैसी शांति का अनुभव कर रहा है, किसी को कुछ
देने के बाद मन कैसा तृप्त हो जाता है. परमात्मा ही बंटता है जैसे..ऊर्जा ही तो
बंटती है. आज योगनिद्रा का अभ्यास कराया, यकीनन उन्हें अच्छा लगा होगा. कुछ देर
पहले असमिया सखी से बात की, आवाज से लगा वह काफी परेशान है. स्वास्थ्य ठीक न रहे
तो व्यक्ति का जीवन एक भार बन जाता है, लेकिन उन्हें अपने जीवन को सुंदर बनाने का
प्रयत्न प्रतिपल करना है. ईश्वर का अनुग्रह तो बरस ही रहा है.
कल की
दोनों मीटिंग्स अच्छी रहीं और अच्छा रहा आज का योग अभ्यास भी. आज चार लोग आये थे. सुबह
उठी तो गला कुछ खराब लग रहा था. कल शाम को तली हुई कुछ वस्तुएं खायीं, फिर वापस
आकर ठंडा पानी पिया, शायद इसी कारण. उपाय आरम्भ कर दिये हैं. तीर टोपी ही लेकर
जायेगा, गर्दन नहीं. आज एकादशी है, भोजन भी हल्का रहेगा. कल क्लब में ‘सेल’ है, सुबह
नौ बजे ही उन्हें जाना है. आज संध्या भी तैयारी हेतु जाना होगा. विश्व विकलांग
दिवस पर एक लेख लिखना है, जो एक बुलेटिन में छपेगा, जिसका भार उसे सौंपा गया है. बुलेटिन
में अन्य लेखों के लिए आग्रह पत्र भी लिखकर भेजने हैं. जब कोई किसी काम को करने
में सक्षम होता है, तभी अस्तित्त्व उसे उस
काम के लिए चुनता है.
कल का
आयोजन भी हो गया. उसने भी काफी कुछ खरीदारी की. अब दिसम्बर में उन्हें पुनः एक सेल
आयोजित करनी है. आज सप्ताहांत है, सुबह घर की साप्ताहिक विशेष सफाई भी हुई और तन
की भी, मन की तो हर क्षण होती है, जब चाहा
अमनी भाव में चले गये, वही उसकी सफाई है. अब परमात्मा और संसार दो नहीं रह गये
हैं, एक ही है सब. जून विशेष साप्ताहिक खरीदारी करने बाजार गये हैं. नैनी की छोटी
बिटिया का जन्मदिन है, उसके लिए उपहार भी लायेंगे. मृणाल ज्योति की मीटिंग कल होगी,
इतवार को वह व्यस्त रहती है, एक व्यस्तता और सही. जिसे स्वयं के लिए कुछ नहीं
चाहिए उसका सारा समय संसार के लिए या भगवान के लिए. एक सखी के परिवार के किसी
सदस्य ने एक बंगाली लघु फिल्म बनाई है, अच्छी लगी. बताया गया है, परिवार में
संस्कार कैसे एक पीढ़ी से दूसरी में जाते हैं. उसके भीतर जो ऊर्जा थी वही नन्हे को
मिली है, साहसी है वह भी और उसे भी अपनी ऊर्जा को सकारात्मक बनाना होगा, समय ही
सिखाएगा उसे ! महिला क्लब की प्रेसीडेंट का विदाई दिन भी नजदीक आ रहा है, उनसे
मिलकर कुछ जानकारी लेनी है. वह एक बेबाक, खरी-खरी सुना देने वाली महिला हैं.
रोबदार बुलंद आवाज है उनकी, अपने रुतबे का लाभ उठाती हैं और मस्त रहती हैं !
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01.03.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2896 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद