Thursday, January 30, 2014

पूजा का अवकाश


आज मंगलवार है और कल बुधवार, यानि वह दिन जब उन्हें अपने घर में सांस्कृतिक संध्या और रात्रि भोज का आयोजन करना है, लेकिन कोई भी कार्य बिना किसी बाधा के सम्पन्न हो जाये ऐसा कहीं हो सकता है ? जिन्हें निमन्त्रण दिया है वे यदि व्यस्त हों, उपस्थित न हो सकते हों तो सारा आयोजन ही व्यर्थ हो जाता है. पहले केवल एक परिवार के देर से आने की बात थी पर अभी जब दूसरी सखी ने भी कहा तो मन...बेचारा नाजुक सा मन मुरझा ही गया. एक दुःख, पीड़ा का अहसास हो रहा है, यह पीड़ा रिजेक्शन के कारण उत्पन्न हुई है. जिन्दगी में ऐसा कई बार हुआ है और होगा पर हर बार कचोट उतनी ही नई लगती है. शायद उसका मन कुछ ज्यादा ही sensitive है पर जिस बात पर वश नहीं उसे लेकर क्यों परेशान हुआ जाये जैसे कोई हाथ पर रखा कीड़ा झटक दे या जुल्फों से पानी झटक दे उसी तरह दिमाग से इस बात को झटक कर उत्सव की तयारी में जुट जाना चाहिए. वे यह उत्सव अपनी ख़ुशी को सबके साथ मिल कर  बाँटने के लिए मना रहे हैं, यदि कोई नहीं शामिल हो सकता तो कोई बात नहीं, वे तब भी प्रसन्न  रहेंगे. अभी मात्र साढ़े नौ हुए हैं, सारा दिन उसके सामने हैं अगर सुबह-सवेरे ही मन कुम्हला गया तो दिन ढलते-ढलते तो...

आज वे दिगबोई गये थे, कुल चार परिवार मिलकर पूजा देखने, दशहरे की दो छुट्टियाँ अभी शेष हैं. पिछले तीन दिन पूजा के उल्लास में कैसे बीत गये पता ही नहीं चला. बुधवार को उन्होंने रात्रि भोज का आयोजन किया था, जो खासा ठीक रहा बस ‘कोफ्ते’ कुछ ज्यादा मुलायम नहीं बने थे. उसके अगले दिन यानि कल वे तिनसुकिया गये उसने छोटी बहन की दूसरी बेटी के लिए ऊन खरीदी लाल रंग की बेबी वूल...एक सखी के बेटे के लिए एक ड्रेस और जून और स्वयं के लिए जूते. नन्हे ने पहली बार Gents beauty parlor में hair cut करवाए. जून का स्वास्थ्य थोड़ा सा नासाज है, वैसे भी छुट्टियों में आलस्य घेर लेता है, वह भी पिछले दिनों गरिष्ठ भोजन के कारण भारीपन का अनुभव कर रही थी.

एक खुशनुमा इतवार की सुबह ! हल्के बादल सुबह से ही थे, अभी-अभी रिमझिम वर्षा होने लगी, पर चंद घड़ियों की मेहमान थी, अब धूप निकल आई है. कल दोपहर उन्होंने ‘साहेब’ देखी, अनिल कपूर का अभिनय अच्छा है. कल रात्रि नन्हे ने ‘स्पीड’ देखी. जून और उसे नींद आ गयी पर वह  अकेले ही जग कर देखता रहा. उसका गृहकार्य अभी भी शेष है.

आज दस दिनों के बाद नन्हा स्कूल गया है, कल शाम से तैयारी कर रहा था, थोड़ा सा परेशान हुआ पर सुबह ठीक था. प्रोजेक्ट वर्क सभी पूरे कर लिए थे. कई दिनों बाद एकांत मिला है, सिर्फ चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई दे रही है. आज सुबह उसकी छात्रा आई थी, वह अभी और पढ़ना चाहती है, नूना को भी पढ़ना होगा, हिंदी कविता इतनी आसान नहीं कि बिना पढ़े ही पढाई जा सके, फिर उसके जाने के बाद जून ने, जो उसका बेहद ख्याल रखते हैं, तुलसी की चाय बनाकर दी, सुबह पहनने के लिए स्वेटर भी निकाल कर दिया था रात को. पड़ोसिन से उसके बेटे के प्रोजेक्ट के बारे में बात हुई, उनके विचार टकराए, पर इससे घबराना क्या ?  पीटीवी पर किन्हीं अदीब से गुफ्तगू सुनकर जहन में कई सवाल आ खड़े हुए, मसलन लोग किस बात पर यकीन करें, ईश्वर की सत्ता को किस सीमा तक स्वीकारें या नकारें या इस बात को बिलकुल ही नजर अंदाज कर दें. जीवन को सही रूप से जीने के लिए आधारभूत मूल्य क्या हैं ? कौन से आदर्श अपनाएं और किन नैतिक गुणों को अपनाएं. इस संसार में स्वयं को किस तरह योग्य बनाएं और अपनी योग्यता सिद्ध करें, जीवन किन बातों से सार युक्त बनता है और किन से सार हीन ! विश्वास और श्रद्धा का केंद्र क्या हो, बिना पतवार की नाव की तरह जीवन भर इधर-उधर न भटकते रहें. जीवन का उद्देश्य क्या हो? क्या जीवन के मार्ग में जो भी आए जो सहज प्राप्त हो उसे साधते चलना और स्वयं को उसके अनुकूल ढालना ही जीने की सच्ची कला नहीं ?  अपने आस-पास के लोगों, वातावरण और प्रकृति को खुशनुमा बनाना, उनके विकास में सहायक होना ही कर्त्तव्य नहीं, अपने समय का सदुपयोग कर विभिन्न कलाओं का सृजन कर मन को व्यर्थ के विचारों से मुक्त रखना ही क्या जीवन का साधन नहीं, नैतिक गुण और आध्यत्मिकता क्या स्वयंमेव ही नहीं समा जायेंगे ऐसे जीवन में जो स्वार्थ के दायरे से मुक्त हो. जहां द्वेष व परायेपन का अहसास न हो, जहां आलस्य व प्रमाद का स्थान न हो, जहाँ मन में सुख व शांति हो, जहां प्रियजनों के प्रति वास्तविक प्रेम हो, जहाँ मानसिक स्वतन्त्रता हो, सहज प्राप्य सम्पत्ति से पूर्णतया संतोष हो, लोभ, क्रोध और राग-द्वेष आदि दुर्गुणों से परे हो. वह लिख ही रही थी कि फोन की घंटी बजी, मुम्बई से जून के लिए कोई फोन था, उसने उन्हें दफ्तर का नम्बर दिया पर सम्भवतः जून वहाँ भी नहीं मिले.



Wednesday, January 29, 2014

हावड़ा ब्रिज - कोलकाता की शान


आज उनका टीवी खराब हो गया, टीवी के बिना दिन जैसा भी गुजरे रोज से काफी अलग होगा. टीवी उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. जून के अनुसार शाम तक ठीक हो जायेगा. कल शाम मीटिंग थी, क्लब में कुछ खा लिया, आठ बजे जब जून और नन्हा भोजन कर रहे थे, उसे जरा भी भूख नहीं थी, दस बजे उसे भूख लगी, उस समय कुछ खाना ठीक नहीं है यह सोचकर नहीं खाया, पर खाली पेट नींद काफी देर तक नहीं आ रही थी.

अब धूप में पहले की सी तेजी नहीं है. सुबह नाश्ता करने के बाद उसने नन्हे के लिए पेपर की छोटी-छोटी कारें बनायीं जो हावड़ा ब्रिज पर खड़ी की जाएँगी. उसका प्रोजेक्ट लगभग पूरा हो गया है, जिसे पिछले कई दिनों से वह और उसके मित्र मिलकर बना रहे थे. आज दो अक्तूबर है, बापू की १२८वी जयंती ! दोपहर को दूरदर्शन पर ‘गाँधी से महात्मा’, श्याम बेनेगल की फिल्म ‘Making of Mahatma’ का हिंदी रूपांतरण देखा. गाँधी दिल के और करीब हो गये. आज क्लब में कार्यक्रम है पर इतने बड़े महापुरुष के जीवन पर फिल्म देखने के बाद कुछ और देखना शेष नहीं रह जाता. बापू के पुत्रों को विशेषकर हरिदास को उनसे शिकायत रही, वैसे कुछ न कुछ शिकायत हर बेटे को अपने पिता से रहती ही है.

कुछ देर पहले छोटी बहन से फोन पर बात की, उसने अभी तक नवजात शिशु का नाम नहीं सोचा है, ३.४ केजी की गोरी सी बच्ची का नाम जो बड़ी बहन से कुछ मिलता-जुलता भी होना चाहिए. जून आज तिनसुकिया गये हैं, वापसी की टिकट के लिए, नहीं मिलने पर जाने की टिकट भी कैंसिल कर देंगे, सुनने पर यह वाक्य उसे कठोर लगा किन्तु यथार्थ यही है. आजकल बिना रिजर्वेशन के सफर करना उनके लिए असम्भव है, अपनी सुविधा की कीमत पर परिवार के साथ त्योहार में शामिल नहीं हुआ जा सकता. यह आधुनिक समाज की देन ही है जिसने एक ओर प्रगति की है दूसरी ओर कठिनाइयां भी बढ़ा दी हैं. घर से इतनी दूर रहने का खामियाजा ही समझ लें. पर यहाँ रहना उसे सदा से ही भाता रहा है और भाता रहेगा जब तक भी यहाँ रहना पड़े.

उसकी एक सखी बीएड करना चाह रही है, और उससे नोट्स मांग रही है. उसे आश्चर्य हुआ ऐसा कहते हुए वह बहुत निरीह लग रही थी, पहले कुछ ज्यादा ही उत्साहित थी. यही तो जिन्दगी है, जो कभी सिखाती है कभी झकझोरती है. हर दिन एक नया संदेश लेकर आता है. अगर कोई ध्यान से देखे और समझे तो !

कल सुबह जून को तिनसुकिया में कम्प्यूटर लिंक न होने के कारण वापस लौटना पड़ा पर उनके मित्र के छोटे भाई( जो एक ट्रेवल एजेंट बन गया है) ने टिकट ले ली है, उन्हें ख़ुशी तो हुई पर छोटी ननद उसी समय ससुराल जा रही है, उससे शायद मिलना न हो. शाम को वे टहलने गये मौसम में एक ठंडक सी आ गयी है और हरसिंगार के फूलों की महक भी. उनके हरसिंगार में अभी कलियाँ ही आई हैं. जून ने उस दिन गुलाबों की कटिंग भी कर दी है, अगले हफ्ते वे गोबर भी डलवा देंगे. कल शाम बल्कि रात को ही पड़ोसिन ने कागज की कारें बनाने के लिए कहा, पर उसके पास समय नहीं था, मना करने में अच्छा नहीं लग रहा था, पर किया, it means she is learning to be assertive, अपने वश से बाहर के काम को भी पहले वह ले लेती थी फिर चाहे कितना परेशान होना पड़े. जून अभी आने वाले हैं, उन्हें आज अस्पताल भी जाना है, उसके कान में हवा की कुछ खुसुर-पुसुर सी लग रही थी, आज सुबह से ठीक है, फिर भी कहा है न कि छोटे रोग की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए.  




Tuesday, January 28, 2014

PSLV-C1 भारत का पहला उपग्रह


दस बजने में कुछ ही मिनट शेष हैं, सोचा था उसने, कुछ देर संगीत का अभ्यास करेगी पर पीटीवी चल रहा है और कोई वजह नहीं कि वह इसे पसंद न करे, उर्दू जबान भी अच्छी लगती है और दिल को छू लेने वाली उनकी कहानियाँ भी. क्यों भाती हैं, यह पता नहीं, लेकिन एक अपनापन सा महसूस करती है. लगता है अपने बचपन के दिनों में लौट गयी है. Mind Trap पढ़कर भी बचपन याद आया था पर वे यादें उदास कर देने वाली हैं जैसे कि उस नन्ही उम्र में हुए अनुभव और सुने कटु वाक्य, ड्रेस के कारण सुने तीखे वाक्य, इन सबके साथ स्वयं ही जूझती बड़ी हुई अपनी उलझनें किसी के साथ बांटी हों ऐसा याद तो नहीं पड़ता, खैर...जो बीत गया सो बीत गया पर यह सही है कि उसका खामियाजा अभी तक भुगतना पड़ रहा है. वैसे MIND TRAP अच्छी किताब है, अपने आपको और आसपास के लोगों को समझने का तरीका सिखाती है, कहती है, nothing is good or bad, thinking makes it that. according to book well being has at least five requirements.
१.      fulfillment in our endeavors
२.      intimacy in relationship
३.      personal growth
४.      rest
५.      recreation
उसे लगता है किताब यह सिखा रही है कि किसी भी इन्सान को पूरी तरह खुश व स्वस्थ रहने के लिए अपनी भावनाओं और अपने आदर्शों को ध्यान में रखकर सजग होकर कृत्य करने चाहिए.
अभी कुछ देर पहले एक फोन आया उसे फोटोग्राफर को सूचित करना है अगली मीटिंग में आने के लिए. कई दिनों बाद माली ने आज लॉन की घास काटी है. कल शाम को एक सखी आई थी वे साथ साथ टहलने गये, वह मनोविज्ञान पढ़ चुकी है, घटनाओं का विश्लेषण कर सकती है, उससे बातें करना अच्छा लगता है. नन्हा स्कूल प्रोजेक्ट में हावड़ा ब्रिज बना रहा है. उसने आज एक मित्र के बस स्टैंड पर न आने पर उसे फोन किया, वह उसका ख्याल रखता है, दोस्ती निभाना सीख रहा है. आजकल हेयर स्टाइल भी बदल दी है उसने.

दीवाली पर घर जाने के लिए ठीक एक महीने बाद की उनकी रिजर्वेशन हो गयी है राजधानी में. कल दो पत्र लिखे, दीदी को कार्ड भेजा, बड़ी भांजी के लिए कार्ड लाना है अगले महीने उसका जन्मदिन है. आज सुबह इण्डोनेशिया में हुई विमान दुर्घटना के चित्र देखे, लोग जन्मते हैं, मरते हैं, किसी के चले जाने पर भी यह दुनिया ज्यों की त्यों रहती है. जब तक साँस तब तक आस, यह कितना सही है.

कल इतवार था, दोपहर को संजीव कुमार और जाहिदा की एक पुरानी फिल्म देखी, ‘अनोखी रात’ जिसके गीत अति मधुर थे. शाम को नन्हे का प्रोजेक्ट कार्य उसके मित्रों के सहयोग से अभी चल ही रहा था, कि एक मित्र का फोन आया, क्लब में डिनर के लिए निमंत्रित किया था, पर वहाँ कुछ भी पसंद का नहीं था सो वे पहली बार बाजार में एक होटल में भोजन के लिए गये, माहौल, बैठने का स्थान सभी कुछ ठीक था पर खाना संतोषजनक नहीं था, तेल और मसालों से भरपूर. आज सुबह टीवी पर PSLV_C1 के द्वारा भारत के प्रथम उपग्रह का अपने ही रॉकेट से छोड़े जाने का आँखों देखा हाल सुना, देखा.



Friday, January 24, 2014

इंदिरा गाँधी मुक्त विश्व विद्यालय


वर्षा की झड़ी जो कल दिन भर और शायद रात भर भी जारी थी, अभी भी जारी है, मौसम भीगा-भीगा सा ठंडा हो रहा है जैसे कोई पहाड़ी प्रदेश हो ऐसा उनका शहर लग रहा है. आज सुबह उसकी छात्रा संस्कृत टेस्ट के कारण नहीं आई, नन्हे का टेस्ट भी इस बार अस्वस्थता के कारण नहीं हो सका, अब वह ठीक है, कल रात देर तक पढ़ाई करता रहा, अपने आप पर निर्भर रहना उसने सीख लिया है. जून कल शाम नन्हे के लिए नाश्ता बनाते वक्त ऊँगली जला बैठे, परेशान हो गये थे, जब बाहर टहलते समय उन्होंने मन को भाएँ ऐसी बातें कीं तो उनका मूड बदल गया, हर इन्सान के भीतर एक बच्चा छिपा रहता है जो प्यार, दुलार और पुचकार तथा सुरक्षा चाहता है. आज सुबह तैयार होते वक्त उसे लगा कि जिन्दगी में कोई आकर्षण ही नहीं रह गया है, पर वह क्षणिक अनुभूति थी, जून और नन्हे के कारण जीना बहुत मोहक है.

‘We know and We know and We know but  world needs the clarity of our thoughts’. Each and every moment of life she needs some…noble thought, cute idea or virtue, a nice word or any good feeling or any new and special idea of any of the wonderful writers, poets and thinkers of this world. She lives in their ideas and drink the nectar of their words ! words always attract her and they do a wonderful job on her. She thinks no one else can do it for her. Sometimes others flatter her that makes  her happy bur at this moment she is ecstatic, means happy beyond the general sense of well being. She wants to help all those in need and want to sing with all the sweetness and depth of the heart.
….And then she forgot for sometime that freedom is not to misuse, one should follow some doe’s ant don'ts ! and she felt guilty about feeling guilty.

She read-
Surely the only thing that makes us healthy within is authenticity, living with truth. In the equanity of mind, the silent lake of consciousness reflects the majesty of our amazing intelligent universe.

आज भी मौसम खुशगवार है, पीटीवी पर टालस्टाय का लिखा एक ड्रामा देखा, किसी के जुर्म की सजा किसी को भुगतनी पडती है, एक परिवार की और खासतौर से उस व्यक्ति की दुःख भरी कहानी ! कल शाम उसने जून की मदद से हिंदी में सृजनात्मक लेखन के लिए इग्नू में एक कोर्स के लिए एक फार्म भरा. कल दोपहर से ही जून का मूड बहुत अच्छा था, शायद उस खबर का असर हो जो उन्होंने उसे नहीं बताई थी की उनके वे मित्र अब यहाँ से नहीं जा रहे हैं. वह वाकई बहुत खुश थे, उनके हाव-भाव और शब्दों से उसे लग रहा था. इस बार के बुलेटिन में उसका नाम फोन नम्बर के साथ आया है, दो फोन आ चुके हैं. कल लाइब्रेरी से एक नई किताब लायी, mind trap, जरूर अच्छी होगी. इस हफ्ते खतों के जवाब नहीं दे पायी है, एक खास तरह का आलस्य घेरता जा रहा है, जो कुछ कामों को टालता है और कुछ को करने की प्रेरणा देता है. और अब ग्यारह बजने वाले हैं, उसे फुल्के सेंकने हैं, दाल छौंकनी है, चावल बनाने हैं, सलाद काटना है, सब कुछ जून के आने से पहले पहले !

Thursday, January 23, 2014

हिंदी सप्ताह


यह कर देंगे, वह कर लेंगे, संकल्प नित नये बुनता है मन
सम्मुख है जो पल अपने जीना उसको सीख न पाए

अजीबोगरीब उलझनों में स्वयं को उलझा लेता है मन का पागल हिरण फिर उस जाल में से निकलने का प्रयास करता छटपटाता रहता है, मन की कैसी अजीब दुनिया है यह, इसी से निस्तार पाने के लिए ध्यान, योग साधना की खोज हुई होगी, मन में विचारों के बवंडर उठते ही रहते हैं, चारों ओर धूल ही धूल, कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं देता, धूल जब स्थिर होकर बैठ जाती है तब भी नहीं, इस उहापोह से निकलने के लिए j Krishnamurti इंटेलिजेंस को जगाने की बात करते हैं. इन्सान का मन असंतुष्ट सा क्यों रहता है, खोया-खोया सा, बिखरा-बिखरा सा, लुटा-पिटा सा. क्यों नहीं सदा एक सा रहता, शांत...स्वयं में डूबा हुआ, पर क्या वह भी पलायन नहीं होगा. किताबों से दूर जाना भी तो वह इसीलिए चाहती थी कि उनमें लिखी बातें भी दिमाग को एक दूसरी ही दुनिया में ले जाती हैं. वह भी तो एक मानसिक नशा हुआ या नहीं, वास्तविकता से दूर भागना ही तो नशा सिखाता है. जून कहीं ज्यादा स्थिर मना दिखाई देते हैं. वह सबल भी मालूम पड़ते हैं और वह कई बार न चाहते हुए भी उनकी हर बात मान लेती है.

आज नन्हा घर पर है, परसों शाम से ही उसे जुकाम ने परेशान किया है, सम्भवतः पिछले दिनों शाम को डेढ़-दो घंटे तैरने का परिणाम है. मौसम आज सोमवार को भी ठंडा है, उस दिन यानि शुक्रवार को उनके बगीचे के लिए आधा ट्रक गोबर आया था पर तब से लगातार वर्षा से बुरी तरह भीग गया है, अब धूप निकलने पर ही उसका उपयोग किया जा सकता है. कल सुबह जून उसे ‘हिंदी सप्ताह’ में कविता पाठ प्रतियोगिता में ले गये और दोपहर बाद अपना काम (रिपोर्ट आदि लिखना) करके उसे जीके पढ़ाते रहे. शाम को वे टहलने गये, चारों ओर शांति थी और नन्हा भी चुपचाप था, एक अनोखी निस्तब्धता का अहसास हो रहा था. कल आखिर उसकी क्रोशिये की जैकेट भी पूरी हो गयी. कल ‘विश्वकर्मा पूजा’ है, उन्हें जून के दफ्तर जाना है लंच के लिए, हर साल इस दिन वे डिपार्टमेंट जाते हैं, कुछ देर उनके रूम में बैठते हैं और फिर सामूहिक भोज होता है, पूजा सुबह ही हो जाती है.

उसने पढ़ा-
Meditation is total release of energy. When there is complete understanding of oneself, then there is the ending of conflict and that is meditation. It means awareness, both of the world and of the whole movement of oneself, to see exactly what is, without any choice, without any distortion. We can know ourselves in relationship, the observation of myself takes place only when there is response and reaction in relationship. To have a relationship with another without friction causes no wastage of energy. That is possible only when we understand what love is, and that is the denial of what love is not ie jealousy, ambition, greed, self centered activity.

All our life is based on thought which is measurable. It measures God, it measures its relationship with another through the image. It tries to improve itself according to what it should be. Meditation is the seeing of what is and going beyond it. When the body, mind and heart are completely one then one lives a different kind of life.

आज सुबह बहुत दिनों के बाद पीटीवी पर धारावाहिक देखा, ‘यह आजाद लोग’, दोनों देशों के हालात एक से हैं, समस्याएं एक सी हैं और लोगों के सोचने का ढंग एक सा है. एक अजीब सी कशमकश में ले जाकर ड्रामा वापस सतह पर ले आता है, जैसे कोई डूबते डूबते तैर कर वापस आ जाये. नन्हा आज स्कूल गया है, जून ने कुछ देर पहले पूछा, कुछ मंगवाना तो नहीं है बाजार से, उन्हें घर का ध्यान सदा रहता है. कल शाम जून दीपावली पर घर जाने के लिये बहुत उत्सुक हो रहे थे, बड़ी ननद के घर आने के कारण माँ-पिता इस बार नहीं आ पाएंगे. यात्रा की बातें करते-करते ही उनके मन पुलकित हो उठे, यात्रा सचमुच मन को जीवंत कर देती है.






Wednesday, January 22, 2014

किताबों की दुनिया


आज मौसम अच्छा है, ठंडी हवा, बादल और हरियाली ! गुलदाउदी के पौधों के लिए सहारे की जरूरत है, ज्यादा पानी पड़ने से पौधे तिरछे हो गये हैं. नैनी का लड़का बांस के खप्पचे तैयार कर  रहा है, फिर उन्हें बांधेगे और अब नीम की खली भिगोने का भी समय हो गया है. अभी-अभी उसी सखी से बात की, मन भर आया, अभी तो जाने की बात भर है, जब वास्तव में जा रहे होंगे तब... वे भी तो उन्हें उतना ही याद करेंगे. कुछ देर पूर्व पड़ोसिन से बात हुई उस दिन सैंडविच काटने के कारण एक सखी को बांह में दर्द हो गया था, उसे अस्पताल तक जाना पड़ा पर उसके साथ बात करने पर उस सखी ने यह बात नहीं बताई, शायद उसकी प्रतिक्रिया (कि वह बहुत नाजुक है) याद करके या उसकी तरह वह अपनी कमजोरी जाहिर न करना चाहती हो. शाम को वह घर पर ही रही स्वेटर बनाते हुए. अचानक उसे ध्यान आया यूँ अपने आप से बातें करते चले जाना कितना आसान है पर चिन्तन करना, सोचना-समझना कितना मुश्किल, हर पल मन पर नजर रखना यानि कि सब कुछ निरपेक्ष भाव से देखना शुरू करना, बिना किसी तुलना या भेद भाव के, और वह देखना ही सही सम्बन्धों का आरम्भ होगा. सुबह जून ने कहा, आलस्य के कारण शाम को उनके लिए उसने oats नहीं बनाये थे, बात कुछ हद तक सच भी थी पर चुभ गयी और अहम् का गुब्बारा पिचक गया, लोगों से कैसे पेश आयें कि न ही उन्हें दुःख हो, न ही स्वयं को, बातचीत करना दुनिया की सबसे बड़ी कला है जो स्वयं ही सीखनी पडती है, किसी भी स्कूल में नहीं सिखाई जाती.

क्लब में आज डिबेट है, कपड़े धोते समय मन में विचार आया क्या उसे सुनना सफल होगा, या फिर क्यों जाएँ वे सुनने ? उसकी दोनों सखियाँ नहीं जाना चाहतीं. उसके पास जाने का सबसे बड़ा कारण है लोगों को बोलते हुए सुनना, ऐसे तो टीवी पर हर दिन कितने ही लोगों को सुनते हैं पर अपने आस-पास के लोगों में से कुछ को अपने विचार रखते देखना सचमुच एक सुखद अनुभव होगा. मात्र सुनना और उन पलों की सुन्दरता को महसूस करना.

आज सुबह प्रमाद के कारण उठने में फिर देर हुई, जून तो जल्दी –जल्दी तैयार होकर दफ्तर चले गये पर वह सोचती रही कि दुनिया भर की किताबें पढने के बाद भी अगर उसमें इतना सा भी बदलाव नहीं आया तो व्यर्थ है पुस्तकों का पढना. स्वयं सोचना सीखना चाहिए. दूसरों के ज्ञान के सहारे अपनी नैया नहीं खे सकते. आधी से ज्यादा जिन्दगी बीत चुकी है पर सही मायनों में जीना अभी तक नहीं आया. ले दे कर कुल तीन प्राणी हैं घर में, उनमें भी आपस में कभी न कभी कोई टकराव हो ही जाता है चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, पर क्या यह अनुचित है? बात यह नहीं कि टकराव अनुचित है या नहीं, पर उसकी वजह उसकी नासमझी भी तो हो सकती है या सही संवाद का न होना भी, और ये बातें किताबों से पढकर नहीं सीखी जा सकतीं, सीख भी लें पर उसे अमल में लायें तो सही.

उसकी रोटी, जिसकी मेहनत, जिसका श्रम है ! आज घर कितना साफ लग रहा है, दर्शन पर किताबें पढने से अच्छा तो उन पर जमी धूल साफ करना है, मन हल्का है, तन शायद थका है पर यह थकान संतोष देती है, कुछ करने का संतोष. आज फोन पर किसी से कोई बात नहीं की, समय ही कहाँ था, कल शाम वे क्लब जाने के लिए तैयार हो रहे थे, एक परिवार मिलने आ गया, हंस कर अपने पतिदेव की शिकायत करना आगन्तुका की आदत है, उसकी नन्ही बेटी बातूनी हो गयी है, और पुत्र पहले की तरह है शर्मीला. कल जून ने बताया उन्हें एक पेपर प्रस्तुत करने दिल्ली जाना होगा. नन्हे की आजकल स्वीमिंग कोचिंग चल रही है, वह खुशदिल, शांत और मिलनसार बच्चा है, सुबह-सुबह उठने में उसे परेशानी होती है पर रात देर तक पढ़ सकता है.




Monday, January 20, 2014

मदर टेरेसा-ममता की मूर्ति


No more collections of concepts ! from today onward only factual life ! Today in the morning her student did not show up, she read J Krishnamurti ‘s dialogue with some unknown persons, they were not able to appreciate those things, he was trying to…oh no..saying but she thinks she has understood them well and that is why no more books, that take one in imaginary world, why to escape from day to day problems and enjoyments. Life is like that and they have to live it, can not escape it. If child is not studying much for his exam then being angry or annoyed is wasting the mental energy in something which is not going to help a bit.
She, read -
‘Most of persons realize, when they  dare look at it, that they are terribly lonely, isolated human beings. The self preoccupation which operates in daily life and relationship does bring this iso lation. If they understand that relationship between two human beings is the same as relationship with the rest of the world, then isolation, loneliness has quite a different meaning’.
She thought -
Their relationship is based on images, for many years she has built images about herself and about others, she has isolated herself through her activities, through her beliefs and so on. Images are formed when the mind is not attentive, and most of the time it is inattentive.

उसकी एक सखी जा रही है, वे लोग दिल्ली जा रहे हैं, पहली बार जब उसने यह बात सुनी थी तो दुःख हुआ था पर अब नहीं, उन्हें वे अक्सर याद तो किया करेंगे पर धीरे धीरे..वे यादें भी धुंधली पपड़ जाएँगी और जीवन यूँ ही चलता चला जायेगा. अभी-अभी उसने फोन किया, कितनी सुबहों को उन्होंने यहाँ वहाँ की हजारों बातें की हैं, कितनी शामें साथ बितायी हैं, एक मधुर सम्बन्ध जो दोनों परिवारों के मध्य पिछले कुछ वर्षों में बन गया था उसको दूरी सम्भवतः हल्का कर देगी, शायद न भी करे और दूर रहकर भी वे अच्छे मित्र बने रहें. कल रात बहुत जोरों की आँधी आयी, बिजली भी गायब है, कल शाम वे टहलने गये, मौसम थोड़ा ठीक ही हो गया था, आकाश में चाँद-तारे बहुत सुंदर लग रहे थे. जून के सिर में हल्का दर्द था उन्हें भी अपने मित्र के जाने का दुःख तो होगा ही. मदर टेरेसा के जीवन के बारे में नन्हे ने अपनी जीके की कॉपी में अख़बार से उतारा. उनकी अंत्येष्टि अगले शनिवार को होगी.  





Saturday, January 11, 2014

प्रिंसेस डायना


कल कुछ महिलाओं के साथ नूना क्लब की किन्हीं सदस्या के यहाँ गयी, जिनके पति रिटायर हो गये हैं. उन्हें लेडीज क्लब की तरफ से विदाई देनी थी. वह लिख रही थी कि एक कीड़ा पहले पंखे से टकराया फिर आकर उसपर गिरा, उस पल वह कुछ अस्त-व्यस्त सी हो गयी, उस दिन शाम को उनके माली ने विजिलेंस के आदमियों द्वारा उसकी दावली ले लेने व उसे लाठी से मारने की बात कही तो वह परेशान हो उठी थी, जून को भेजा, स्थिर नहीं रह पाती है हर स्थिति में, अर्थात sensitivity किसी हद तक बची हुई है. कल टीवी समाचारों में Princess Diana की मृत्यु की खबर सुनी तो स्तम्भित रह गयी, ज्यादा प्रचार ने ही उनकी जान ली, प्रेस फोटोग्राफर जो पीछे लगे थे, उन्हें अवश्य सजा मिलनी चाहिए.

कहीं से तेज दुर्गन्ध आ रही है, इतनी तेज कि उसमें साँस लेना भी मुश्किल है उसके लिए, पर बाहर बच्चे खेल रहे हैं, उन्हें खेल के सामने दुनिया की कोई बाधा बाधा नहीं लगती, उनके पड़ोसी भी टहल रहे हैं, शायद वह कुछ ज्यादा ही सेंसिटिव है. सामने वाले चाय बागान में शायद कोई जानवर मर गया है उसे उठाने कोई नहीं आया, दोचार दिन में खुद ही सड़कर मिटटी बन जायेगा मगर तब तक इस दुर्गन्ध को झेलना पड़ेगा.

कल उसकी पड़ोसिन भी उसके साथ गयी थी गाना सीखने, उसने अच्छा गाया और वह नर्वस होकर ठीक से न गा सकी, तभी से मन में वह बात घूम रही है, J Krishnamurti की किताब में ठीक ही पढ़ा था comparison is the sign of immature mind. कल शाम भी स्वयं को संयत न रख सकी और जून को एक पल के लिए परेशान कर दिया, आज सुबह अलार्म बजा तो एक झटके से उठ बैठी, पर ठीक नहीं लगा और एक पल को फिर लेटी तो आँख मुंद गयी. यूँ छोटी-छोटी बातें आत्मा को कलुषित करती चलती हैं और एक वक्त ऐसा आता है कि अपना चेहरा भी धुंधला दिखाई देता है. आज वह आंवले वाला बूढ़ा भी आया है, एक घंटा काम करके आंवले ले जायेगा. उनका पेड़ भी तो लद गया है इतना बोझ सहन नहीं कर पायेगा. आजकल वह ‘हरीश भिमानी’ की लता मंगेशकर पर  लिखी पुस्तक पढ़ रही है, लेखक ने बहुत मेहनत की होगी इसे लिखने में. जून कह रहे हैं शनिवार को वे प्रीति भोज का आयोजन करें, उस दिन ‘गणेश पूजा’ का अवकाश भी है. नन्हे के यूनिट टेस्ट चल रहे हैं, दो टेस्ट पूरी तरह ठीक नहीं हुए, कुछ देर परेशान रहा फिर भूल गया, काश वह भी इसी तरह जल्दी से भूलना सीख पाती, यूँ सीख तो रही है वह, मंझले भाई के पत्र में यहाँ आने का कोई जिक्र न पाकर थोड़ा उदास हुई थी पर एक घंटे बाद ही उसे पत्र का जवाब भी दे दिया. कल जिस दुर्गन्ध से बचने के लिए पहले वे क्लब गये फिर एक मित्र के यहाँ, आज वह नहीं आ रही है.

आज सुबह जून ने उठा दिया सो दीदी से बात कर पाई, उन्होंने पत्र भी भेजा है, कल रात्रि घर पर शेष सबसे बात की थी, नये घर में ‘गृह प्रवेश’ १३ फरवरी को हो रहा है, वे लोग जा तो नहीं सकते उपहार भेजेंगे. कल लाइब्रेरी से Fire and Rose किताब लायी है, उर्दू के आधुनिक शायरों की नज्मों से सजी हुई. उर्दू शायरी को उसी भाषा में पढ़ सकती तो बेहतर होता या फिर हिंदी में, पर अपने देश में अंग्रेजी का सहारा लिए बिना एक कदम भी आगे नहीं चल सकते. शनिवार को उनके यहाँ भोज का कार्यक्रम तो टल गया है, उसी दिन एक मित्र ने अपनी बेटी के जन्मदिन पर बुलाया है, उसी दिन क्लब में debate भी है. वे पहले क्लब जाकर फिर पार्टी में जायेंगे.






Tuesday, January 7, 2014

गुलजार की कविताएँ


आज सुबह से तन थका-थका लग रहा है, साथ ही मन भी, शायद नींद न पूरी होने से ऐसा हुआ है, पिछले तीन दिनों से सुबह साढ़े चार बजे उठ जाती है, नींद उससे थोड़ा पहले ही टूट जाती है. मौसम आज अपेक्षाकृत गर्म है, जबकि सुबह वर्षा हुई थी. कल शाम क्लब में एक सीनियर मेम्बर ने उससे हिंदी में कुछ लिखने व बोलने का काम दिया नृत्य-नाटिका के लिए, पर शायद उन्हें उसका बोलने का तरीका नहीं भाया, खैर...कोरस की तयारी ठीक चल रही है, मीटिंग का दिन आने में चार दिन शेष हैं, फिर वह नन्हे की पढ़ाई पर ध्यान दे पायेगी. कल दोपहर मुखड़े का अभ्यास किया, सोमवार को जाने से पहले अन्तरा करेगी. कल सुबह एक सखी से बात हुई तो उसे सुझाव देने बैठ गयी बागवानी के लिए, जो उसे शायद ही अच्छा लगा हो, भविष्य में ध्यान रखेगी. क्लब से लौटने में कल देर हो गयी थी, आकर नूडल्स बनाये पहली बार डिनर में, नन्हा और जून दोनों को पसंद आये. कल ptv में ‘यह आजाद मुल्क’ एक धारावाहिक का अंश देखा, दिल को झकझोर कर रख देने वाला एक मंजर था उसमें. सारे पात्र गहरे तक उतर जाते हैं उसके...काफी तीखा व्यंग्य भी था.

आज भी क्लब गयी थी, गाने का अभ्यास नहीं हुआ पर नृत्य कलाकारों के लिए चाय का प्रबंध उसे देखना था. कल भी आना है, परसों जन्माष्टमी है, वे लोग मन्दिर जायेंगे और एक मित्र के यहाँ भी, जहां वे घर पर मन्दिर सजाते हैं. उसने फोन करके जून को क्लब आने के लिए कहा, पर निकलने में थोड़ी सी देर हो गयी, सो वह उदास थे और उन्हें देखकर वह भी.

आज ही वह दिन है, जो उनके लिए महत्वपूर्ण है, अर्थात उनकी नई कमेटी के लिए, दस बजे उसे क्लब जाना है, दोपहर को शाम के लिए ढेर सारे सैंडविचेज बनाने हैं और शाम को तो जाना ही है. कल रात देर तक नींद नहीं आई, आज के लिए बातें सोचता रहा मन, सुबह अलार्म न बजने पर भी उसी मन ने उठा दिया. आज ठीक से पढ़ा सकी, विद्या निवास मिश्र का निबन्ध ‘मेरा गाँव मेरा घर’ बहुत अच्छा है. सुबह से ही सेक्रेटरी के तीन-चार फोन आ चुके हैं, वह उससे ज्यादा ही नर्वस हैं, वह इस वक्त अंश मात्र भी नर्वस नहीं है, जे कृष्णामूर्ति की पुस्तक, जो सौभाग्य से दोबारा मिल गयी है, में कई अच्छे सुझाव पढ़े, व्यक्ति को निरिक्षण करने, सुनने और समझने की कला सीखनी चाहिए और मन को हमेशा पूर्वाग्रहों से मुक्त रखना चाहिए.

आज की सुबह सामान्य दिनों की तरह ही गुजर रही है. सुबह उठी तो बादल थे, अँधेरा भी था, सूरज अभी भी बादलों के पीछे आराम कर रहा होगा. गुलजार की कविताएँ पढ़ीं, उनमें एक दर्द है और एक पहचान भी लगती है उनसे, शायद हर कवि मन एक सा धडकता है. अभी कुछ देर पूर्व उसी बातूनी सखी का फोन आया, छोटा बेटा अस्वस्थ है, वह खुद भी ठीक नहीं है, नौकरी करना क्या इतना आसान है, घर-परिवार अपना सुख-आराम सब कुछ भुलाना पड़ता है. नैनी के बेटे ने साइकिल ठीक करने के लिए सहायता मांगी है, कल दोपहर को बैक डोर पड़ोसिन आई थी, उसे यह पता भी करना था कि वह नैनी को कितने पैसे देती है, उसने अहसास दिलाया कि वह ज्यादा दे रही है. ईश्वर ने इतनी सामर्थ्य दी है तभी यह सम्भव है. कल शाम दस दिनों के बाद घर पर रहना भला लग रहा था. जून कल खेलने भी जा पाए.


Sunday, January 5, 2014

राखी का त्योहार


मुझसे काफ़िर को तेरे इश्क ने यूँ शरमाया
तुझको देख के दिल धड़का तो खुदा याद आया

टीवी पर संगीत का सुरीला कार्यक्रम ‘सारेगामा’ आ रहा है. आज दोपहर भी वह गयी थी, राग यमन सिखाया, बहुत कठिन था, सुर पकड़ में नहीं आ रहे हैं. अभ्यास करने से शायद वह किसी हद तक गा पायेगी. संगीत के जादू ने अपने बस में किया है तो वही आवाज में असर भी लायेगा. कभी ये शब्द कितने अनजाने थे पर अब अपने से लगते हैं. आज सुबह उसकी स्टूडेंट नहीं आई तो कुछ पंक्तियाँ लिखीं उस वक्त,

लालकिले की प्राचीर से तिरंगा
जब फर फर लहराता है

कोटि कोटि हृदयों की आशाओं के साथ
कोटि कोटि दिलों में हिलोरें जगाता है

अस्तित्व का प्रतीक गौरव अस्मिता का  
पहचान हमारी सारे जग से कराता है

अख़बार पढ़े तो आजकल हर पेज पर हिंसक वारदातें ही पढने को मिलती हैं. इन्सान कहाँ जा रहा है, इस अंधी दौड़ का कोई तो अंत होगा. रक्षा बंधन के कारण आज नन्हे का स्कूल बंद था, ‘जागरण’ में भारत के पुराने रीति-रिवाजों के बारे में डॉ पंडया के भाषण के कारण उसने नन्हे और जून दोनों को राखी बाँधने को कहा, जून लेकिन दफ्तर जाने से पूर्व उतार गये, देखा-देखी नन्हे ने भी वही किया. ‘जागरण’ में भारत के गौरवपूर्ण अतीत और सुनहरे भविष्य की बात सुनकर विश्वास करने को जी नहीं चाहता. जहाँ हिंसा इतनी गहरे पैठ चुकी हो और भ्रष्टाचार जीवन का अंग बन चुका हो, होकर भी वहाँ सद्गुण अर्थहीन हो जाते हैं. असम में फिर वही तनाव और अराजकता का वातावरण है, जो कुछ वर्ष पहले था जब राष्ट्रपति शासन की घोषणा करनी पड़ी थी. अभी कुछ देर पूर्व भगवद गीता में पढ़ा कि जो कुछ भी हो रहा है वह इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड के विशाल क्रियाकलाप का एक अंश मात्र है और इसको न हम रोक सकते हैं न कम कर सकते हैं. आज सुबह उसने oat porridge बनाई, जून को बहुत पसंद है पर उसे उतनी नहीं.

कल से उनके कोरस की रिहर्सल भी शरू हो गयी है, ‘साज’ फिल्म का गीत है, जो १५ अगस्त को ही फिल्म में गाया गया था. शाम को छह बजे क्लब गयी, वापस आते-आते आठ बज गये, ये कुछ दिन कैसे बीत जायेंगे, सम्भवतः एक मोहक याद बनकर साथ रह जायेंगे. रात होने पर गीत का मन ही मन अभ्यास करते हुए नींद कब आँखों में भर आती है पता ही नहीं चलता. नन्हा और जून को थोड़ा और करीब आने का मौका मिल रहा होगा. जून उनकी शाम की चाय के लिए नाश्ते का इंतजाम करते हैं और उस दिन की चाय के लिए भी सारा सामान लायेंगे, उन्हें यह काम बोझ नहीं बल्कि अच्छा लग रहा है उसकी तरह. आज भी मौसम कल की तरह मेहरबान है, पिछले कई दिनों से कोई पत्र आदि नहीं आया है, रेलवेज बंद है, आये दिन आंतकवादियों के बम विस्फोटों के कारण ट्रेनें रोक दी गयी हैं. आज हिंदी में व्याकरण पढ़ाया, उसे लगा सिखाते हुए वह खुद भी काफी कुछ सीख रही है.




Friday, January 3, 2014

स्वर्ण जयंती समारोह


अभी-अभी भगवद् गीता का वह श्लोक पढकर आ रही है जहां भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, उन्हें श्रद्धा से भेंट की गयी एक पत्ती भी अति प्रिय है, एक स्नेह भरा हृदय...और कुछ नहीं चाहिए ईश्वर को, अब तो वैज्ञानिक भी ईश्वर की सत्ता को मानने लगे हैं. बिग बैंग का प्राइम कॉज कहें या गॉड कहें कोई सुपर पावर तो है ही, और हमारे मन में उन असीम सम्भावनाओं का खजाना छिपा है जो इस रहस्य को खोल सकती हैं. ध्यान का महत्व और भी बढ़ जाता है. कल क्लब में डिब्रूगढ़ विश्व विद्यालय से आये प्रोफेसर राज का भाषण बहुत रोचक था, अन्तरिक्ष व ब्रह्मांड के बारे में नई जानकारियां मिलीं, कई सुप्रसिद्ध वैज्ञानिकों के विचार जानने को मिले. आज शाम को कोई मेहमान आयेगा शायद सुबह से ही बैठक में फूल सजाने की प्रेरणा हो रही है.

आज जून का जन्मदिन है और कल हमारे देश का भी जन्मदिन यानि जश्ने आजादी कल मनाया जायेगा. यहाँ कर्फ्यू रहेगा सुबह ६ बजे से दोपहर १२ बजे तक. कैसी विडम्बना है भारत में रहकर वे यहाँ झंडा आरोहण में भाग नहीं ले सकते. यूँ देखा जाये तो देश भक्ति मन में होनी चाहिए  अगर झंडा नहीं भी फहरा सके तो क्या ?

आज आजादी की पचासवीं सालगिरह के शुभ अवसर पर उसका मन भारतीय होने पर गर्व अनुभव कर रहा है और वह पूरे दिल से यह चाहती है कि जितनी बार भी उसका जन्म इस धरती पर हो भारत ही उसका देश हो ! टीवी पर आधी रात को हुए संसद के विशेष अधिवेशन की रिकार्डिंग आ रही है. कल रात ११ बजे तक वह जगी फिर नींद ने घेर लिया. मल्लिका साराभाई का नृत्य और ए आर रहमान का गीत संगीत दोनों ही भव्य थे. कल शाम को जून के जन्मदिन की छोटी सी पार्टी अच्छी रही सिवाय एक बात को छोड़कर, नैनी ने पहले ही चाय बनाकर रख दी और वह कड़क हो गयी. गल्ती उसी की थी, पर सब अपने लोग थे जो किसी ने कुछ नहीं कहा. आज सुबह  लालकिले की प्राचीर से प्रधान मंत्री का भाषण सुना, जो प्रेरणादायक होने के साथ कमियों की ओर ध्यान दिलाने वाला था. इस समय भीम सेन जोशी का आवाज में ‘वन्दे मातरम्’ यह प्रसिद्ध गीत बज रहा है जो बंकिम चन्द्र ने आजादी की लड़ाई के दौरान लिखा था. कुछ गीत अमर हो जाते हैं जैसे इक़बाल का तराना, सारे जहाँ से अच्छा..गांधीजी, नेहरु और सुभाष चन्द्र बोस के भाषणों के अंश सुने और मन उनके सम्मुख स्वतः झुक गया. लता मंगेशकर के गाए गीत की अभी प्रतीक्षा है. आज रात star टीवी  पर Train to Pakistan आएगी और १५ अगस्त का दिन बीत जायेगा.

आज इतवार है, कल शाम से ही वह कुछ परेशान है. कारण वह जानती है पर उसका निवारण नहीं कर पा रही है. उस दिन उन्होंने वह फिल्म देखी, सामान्य ही लगी उसे. कल शाम वे मेला देखने गये, आज सुबह उसने तिरंगा सैंडविच बनाया और दिखाने के लिए सेक्रेटरी के यहाँ ले गयी, उन्हें पसंद आया और कुछ देर पहले उनका फोन आया कि वह स्टेज की सजावट की जिम्मेदारी भी ले, हॉल का प्रबंध तो वह दख ही रही थी अब यह काम....शायद यही उसकी परेशानी का सबब  है और एक बात और उसे परेशान कर रही है, पिछले कुछ दिनों से हिंसा की घटनाएँ बढ़ गयी हैं, उल्फा और बोडो दोनों ने ही असम के निर्दोष लोगोंपर हमले तेज कर दिए हैं, इन्सान कहाँ जा रहा है, इस अंधी दौड़ का कहीं तो अंत होगा. उसने ईश्वर से प्रार्थना की, वह उन्हें सही मार्ग दिखाए.

कैसी है यह विडम्बना
हँसते हैं अधर, पर आँखों में अश्रु आते भर
इक हाथ उठा, इक हाथ बढ़ा
दोनों का लक्ष्य भिन्न मगर
हिंसा का कैसा चला दौर
आजाद मुल्क आजाद फिजां
फिर क्यों न बने यह सबका घर



Thursday, January 2, 2014

स्विमिंग गाला में मस्ती


 आज उसे पहली बार कमेटी की मीटिंग में जाना है, कुछ देर पूर्व जून ने फोन पर जो कुछ कहा उस पसंद नहीं आया और उसे उनसे नाराज होने का पूरा हक है क्योंकि कई बार वह कह चुकी है कि अस्वस्थ होना और उसके बहाने अपने कर्त्तव्यों से पीछे हटना उसे जरा भी पसंद नहीं, न ही उसका प्रचार करना, शायद इसलिए कि उसे किसी की सहानुभूति नहीं चाहिए, शायद इसलिए कि उसका स्वाभिमान इतना बड़ा है कि अस्वस्थता में भी झुकना नहीं चाहता, या शायद इसलिए कि  बीमार होने को वह अपना दोष मानती है, फिर अपना दोष अन्यों के सामने स्वीकार कर लेना क्या इतना आसान है, जून इस बात को नहीं समझ पाते हैं, उन्हें अपनी अस्वस्थता को भी बढ़ा-चढ़ा कर बताना पसंद है तो...खैर !  नन्हे को बस में बैठाने के बाद कुछ देर पड़ोसिन से बात करती रही, उसने स्कूल के अध्यापकों के बारे में कुछ बातें कहीं, लेकिन बच्चों को अपने घरों से भी तो अच्छे संस्कार मिलना जरूरी है. आज सुबह कपड़े भी इस्तरी किये और शेष सारे कार्य भी. कल RD में Martha की कहानी पढकर इतना भी नहीं कर सकती तो कुछ नहीं कर सकती. अभी कुछ देर पूर्व सेक्रेटरी का फोन आया, उन्होंने पहला कार्य सौंपा है. जून ने फोन करके सॉरी कहा है, अब उसे कोई शिकायत नहीं है.

It was a marvelous experience. There she was among the talented ladies of town.  They were so able and dedicated to this club, and tea was also very high ! she liked every thing there. Earlier she had spent  almost one hour in calling all the winner and Runner up of all the sports, then told the details to secretary. She thinks Jun and Nanha ara also enjoying her new job. She was not  nervous and even suggested Tri colour sandwiches for the meeting. Job of arrangement of mike and all other things in monthly meeting is given to her and she thinks she should be able to do it nicely. Now her  health is fine and mind is also fresh. Jun takes good care.

Sunday afternoon, jun is sleeping, Nanha is studying and after putting Vaseline on hands and polish on  nails she picked this diary. While applying nail polish she thought of future, after say 15 years…then also she will take care of herself like these days. One should always do . yesterday they went to see the swimming gala in club,  Nanha participated in two events. In the evening Nanha went to see the children movie, “Jingles all the way” with their neighbor, they went to friend’s place,they gave them cold  coffee to drink  but it  was too heavy for her delicate stomach, jun also could not sleep nicely. On Friday they saw ‘One fine day’, it was a nice movie based on the events of a day in the life of two one parent family. The kids were charming so was the smile of young lady. Last evening she read few pages of some shrilankan writer, he is against all kind of beliefs and even meditation. Bible is the most dangerous book for children in his view.

कल दिन भर वर्षा होती रही थी, शायद रात को भी हुई हो, इस वक्त पंखे की भी जरूरत नहीं हो रही है. आज सुबह दीदी का फोन आया, वह चंडीगढ़ से बोल रही थीं, बड़ी भांजी का दाखिला हो गया है, वह पेइंग गेस्ट की तरह एक परिवार में रहेगी, उसे सी ए की कोचिंग की सुविधा भी वहाँ मिलेगी. दीदी खुश थीं और भांजी भी यकीनन होगी. भविष्य की ओर पहला कदम बढ़ाया है अपने बलबूते पर उसने. Really she is brave girl. कल रात स्वप्न में माँ-पिता को देखा, वे यहाँ आये हैं. कल दिन में ही वे उन्हें याद कर रहे थे. सुबह बगीचे से लगभग एक किलो भिन्डियाँ तोड़ी, जिस रफ्तार से वे तोड़ नहीं पाते उससे दुगनी रफ्तार से उग रही हैं, कुछ तो आकार में एक फिट से कुछ ही कम होंगी. अमरुद भी बहुत लगे हैं पर वे जून ही आकर तोड़ेंगे.