Thursday, December 28, 2023

टाटा टी सेंटर

अभी-अभी उसने कुछ नये पौधों को पानी पिलाया है। मॉर्निंग ग्लोरी की पौध बहुत अच्छी तरह बढ़ रही है। इसे रोज़ पानी देना होता है। डहेलिया व पिटुनिया के जो पौधे धूप की तरफ़ हैं, वहाँ भी पानी दिया। नन्हे ने कुछ और गमले भेजे हैं, जून शिकायत कर रहे थे कि इतने सारे पौधों को पानी देते-देते वह पहले ही थक जाते हैं। आज पंचायत के दफ़्तर गये थे, वहाँ हिन्दी या अंग्रेज़ी समझने वाला कोई नहीं था, स्थानीय भाषा न जानने पर भी वह परेशान हो रहे थे।  कहने लगे, अपने प्रदेश में रहना कितना अच्छा होता। बाद में वे दोनों धूप में टहलने गये, जिसका रेशमी स्पर्श भीतर तक सहला रहा था, शाम तक वह सामान्य हो गये थे। इंसान का दिल बहुत नाज़ुक होता है, दुनिया की सबसे नाज़ुक वस्तु ! आज सुबह वे सोसाइटी के एक घर से सूखे मेवे ख़रीद कर लाये।उन्हें आश्चर्य हुआ, महिला की तराज़ू ठीक से काम नहीं कर रही थी, बस अंदाज़ से ही उन्होंने सामान तोल दिया था । 


रात्रि के नौ बजे हैं। बायीं तरफ़ के पड़ोस के घर से आवाज़ें आ रही हैं। उनके यहाँ रात का ख़ाना बनना इस समय शुरू होता है। एक दिन देर रात को उसकी नींद खुली, शायद ग्यारह बजे होंगे, सड़क पर कुछ लोग टहलते हुए ज़ोर-ज़ोर से बातें करते जा रहे थे। वह मन ही मन मुस्कुरायी, शायद निशाचर इन्हें ही कहते हैं।आज सुबह वे टहलने गये थे तो रास्ते में जीवन के लक्ष्यों के बारे में बात चल पड़ी । जून ने कहा, वह बिना किसी अधिक परेशानी के सहज जीवन जीना चाहते हैं और आरामदेह मृत्यु भी। यानी जीवन की अंतिम श्वास तक स्वस्थ रहना चाहते हैं। उनके शब्द  थे, जैसे कि चाय पीते-पीते लुढ़क गये !  उसे हँसी आयी, अर्थात आख़िर तक भी चाय नहीं छूटने वाली  ! उसने कहा, वह भी ऐसा ही चाहती है, पर इसके लिए कुछ करना तो पड़ेगा। नियमित व्यायाम, योग, प्राणायाम, सात्विक भोजन, अच्छी पुस्तकें पढ़ना, सेवा को भी स्थान देना होगा। वापस आते-आते सकारात्मकता से मन भर गया था। पौधों की निराई की, स्वाध्याय किया, दिन भर उत्साह बना रहा। आर्ट ऑफ़ लिविंग का अनुवाद कार्य किया, संयोजक ने कहा, एक दिन सभी अनुवादकों की भेंट गुरुजी से करवाने का प्रबंध वह कर रहा है।  


आज क्रिसमस का त्योहार है। उसने नापा के सेल्स ऑफिस में क्रिसमस की सजावट के चित्र उतारे। उनकी लेन में एक घर के सामने टॉय शॉप का पुतला लगा है, जहां बच्चे खिलौने ख़रीद सकते हैं। शहर में उनकी एक से अधिक दुकानें हैं।व्हाट्स एप और फ़ेसबुक पर अनेक संदेशों का आदान-प्रदान किया। नन्हे ने बताया, वे लोग टाटा टी सेंटर में चाय पीने गये, सोनू ने केक बनाये थे, जो वह अनाथ बच्चों के एक आश्रम में उनके लिए ले गई। यू ट्यूब पर ईसामसीह के जीवन पर आधारित एक फ़िल्म देखी, कितने दुख उन्हें दिये गये, उन्होंने सब स्वीकार किया। अद्भुत है उनकी जीवनगाथा, सुंदर हैं उनकी कहानियाँ, जो अपनी बात समझाने के लिए वे लोगों को सुनाते थे !  


आज का दिन विशेष रहा। शनिवार को वैसे भी साप्ताहिक सफ़ाई का दिन होता है, और साप्ताहिक विशेष स्नान का भी। ग्यारह बज गये थे जब सारे काम ख़त्म होने के बाद वह तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे उतरी। अचानक देखा, सोनू के माता-पिता बैठे थे, नन्हा और वह किचन में चाय बना रहे थे। उसे आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी हुई, कोरोना के बाद पहली बार किसी मेहमान के आने की ख़ुशी। सब ने मिलकर लंच में पुलाव, सब्ज़ी और रायता बनाया, डिनर में पास्ता, सूप व सलाद। 


आज इतवार का दिन भी सबके साथ बिताया। पंचायत के चुनाव की वजह से नैनी सुबह जल्दी आ गयी, उसे वोट देने जाना था। प्रातः भ्रमण के लिए जब वह निकली तब कोहरा छाया था। वातावरण बहुत मोहक लग रहा था। वापस आकर जून के साथ मिलकर दक्षिण भारतीय नाश्ता बनाया। दस बजे तक  नन्हा सभी को लेकर आया, साथ में माली भी था। दोपहर तक नये गमले तैयार करके पौधे लगाये। वह गया तो सभी ने मिलकर भोजन बनाया। कुछ बोर्ड गेम्स भी खेले, शाम को टहलने गये, और दिन कैसे बीत गया, इसका भान ही नहीं हुआ।


Thursday, December 14, 2023

लैवेंडर के बीज

आज ‘विजय दिवस’ मनाया जा रहा है। सन ७१ में आज ही के दिन बांग्ला देश का जन्म हुआ था। पाकिस्तानी सेना ने आत्म समर्पण कर दिया था। प्रधानमंत्री ने विजय चौक पर मशाल जलायी। उन्होंने ‘१९७१’ फ़िल्म देखी, भारत के कुछ सिपाही जो पाकिस्तान में रह जाते हैं, उनके दुखद प्रवास की कहानी। किसान आंदोलन अभी भी जारी है। आज कन्नड़ भाषा के कुछ और शब्द सीखे, बट्टा- वस्त्र, आदिगे- रसोई, चिक्का-छोटा।नये माली से कन्नड़ में बात की, एक वाक्य ही सही, इतवार से काम पर आएगा। नन्हे ने कुछ और गमले मँगवाये हैं, उनके टैरेस गार्डन के लिए।एक मून लाइट लैंप भी भेजा है, उसे चार्ज किया। रंग बदलती है उसकी सतह, बहुत सुंदर लगता है। 


आज पूरे नौ महीने बाद एक घंटे के लिए वे आश्रम गये, जो कोरोना के कारण इतने महीनों से बंद था। लोग बहुत कम थे। गुरुजी का सत्संग अभी एक महीने बाद ही आरम्भ होगा। ब्रिटेन में कोरोना का नया वेरियेंट मिला है, जो तेज़ी से फैलता है। वहाँ फिर से लॉक डाउन लग गया है। भतीजी को उसके जन्मदिन पर छोटी सी कविता भेजी, उसने छोटा सा थैंक्यू लिख कर जवाब दिया। कविता की कद्र कम को ही होती है शायद, कविता कोई क्यों लिखता है, शायद जब कोई खुश होता है तो ख़ुशी बाँटना चाहता है। नाश्ते में आज मूँगदाल के चीले बनाये। उसने सोचा है, शनिवार के दिन कोई न कोई चित्र बनाएगी। इतवार बच्चों के नाम रहता है। सोम से शुक्र हर दिन एक ब्लॉग को समर्पित रहेगा। इस तरह सभी पर बात धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ेगी। सुबह वे दोनों ननदों को याद कर रही थी, कि एक-एक करके उनके फ़ोन आ गये, टेलीपैथी इसी को कहते हैं शायद। सुबह नैनी आयी तो बहुत उदास थी। शायद घर में झगड़ा हुआ था। पीकर आये पति ने उसे चोट पहुँचायी थी। न जाने कितनी महिलाएँ इस तरह अत्याचार सहती हैं, जबकि वह कमाती है, छह घरों में काम करती है। बहुत खुश रहती है और मन लगाकर काम करती है।  


अभी नन्हे से बात हुई, कल इतवार है, वह दोपहर को पास्ता बनाने को कह रहा है। सोनू कुछ हफ़्तों के लिए माँ के घर गई है। आज सुबह सोलर पैनल की सफ़ाई की। नैनी आज पूर्ववत थी, उसे देखकर अच्छा लगा। बातों-बातों में जून ने कहा, वे बोर हो गये हैं। उसने सोचा, जो जगत से बोर हो जाएगा, वह यदि भीतर नहीं मुड़ा तो उसके जीवन में रस नहीं रहेगा। कोरोना ने न जाने कितने लोगों को बोर और उदास कर दिया है। 


नन्हा आया तो उनके भावी नये पड़ोसी बैठे थे। उन्होंने अपने घर के बारे में कई रोचक बातें बतायीं। उनका घर दुमंज़िला होगा, जिसमें स्वीमिंग पूल होगा और छत पर एक से अधिक बगीचे। होम थियेटर तथा एक बड़ा सा मंदिर। उनके सपनों का घर जब तक बन कर तैयार नहीं जाता, उन्हें शोर तथा अन्य असुविधाएं झेलनी पड़ेंगी, इसके लिए वह शुरू से ही क्षमा माँगने आये थे। 


सुबह सवा चार बजे नींद खुली। समय की धारा बहती जा रही है। वह नींद और सपनों में वक्त गुज़ार देते हैं अथवा तो इधर-उधर के कामों में। सुबह टहलते समय भ्रमण-ध्यान किया। शीतल पवन चेहरे को सहला रही थी, आकाश में तारे चमक रहे थे और वातावरण पूर्णतया शांत था। ऐसे में मन स्वतःही एकाग्र हो जाता है। आज उसने लैवेंडर के बीज बोए हैं। शायद एक हफ़्ते में पौध निकल आयें। नन्हे के भेजे हुए गमले आ गये हैं, इतवार को वह मिट्टी लेते हुए आएगा। जून ने कोकोपीट व खाद भी मँगवा दी है।नाश्ते के बाद वे वोटर कार्ड बनवाने पंचायत के दफ्तर गये, पर संबंधित महिला कर्मचारी नहीं मिली। शाम को पिताजी से बात हुई, वे तीन हफ़्तों बाद दिल्ली से घर लौट आये हैं। रास्ते का विवरण बताया, कैसे ढाबे पर रुके, पेट्रोल भरवाया, सब्ज़ियाँ ख़रीदीं। उन्हें मिले उपहारों के बारे में बताया। घर आकर वह बहुत खुश हैं। किसान आंदोलन ख़त्म होने का  नाम ही नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल में बीजेपी अगले चुनावों की तैयारी में अभी से लग गई है।       


Friday, December 1, 2023

क्वार्ड बाइक का रोमांच

रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं, सब तरफ़ सन्नाटा है, केवल पंखे की हल्की सी आवाज़ आ रही है। दिन भर शोर सुनने की आदत हो गई है, उनके घर के दायें-बायें दोनों तरफ़ के घरों में काम चल रहा है। धूल व शोर से बचने के लिए वे दिन भर खिड़कियाँ बंद करके रहते हैं, पर इस समय खुली हैं।अचानक फ़ोन की घंटी बजी, एक विज़िटर को अप्रूव किया, अमेजन डिलीवरी है शायद, नन्हे ने कुछ भेजा होगा। घर बैठे ही ख़रीदारी करने की जो सुविधा मिली है आजकल, सभी उसका पूरा लाभ उठा रहे हैं। पहले ही उसके लिए रंग और कैनवास की तीन कॉपी मंगाकर रख दी हैं नन्हे ने । वे अभी कुछ देर पहले टहल कर आये हैं। हवा ठंडी थी, दिसम्बर का मध्य आ चुका है, पर यहाँ अभी तक चाहे एक नंबर पर ही सही, पंखा चलता है। उससे पहले डिनर में सूप और मुकरु लिए। दोपहर को लेखन का कुछ कार्य किया, छोटे भांजे के लिए एक कविता भी लिखी। पिटुनिया के दो पौधे मुरझा गये थे, उन्हें बदला, पीछे वाले बगीचे में भी काम करवाया, उन्हें दवा-पानी दिया। पौधे भी बच्चों की तरह होते हैं, ध्यान न दें तो पनप नहीं पाते। सुबह धनिया और पालक के बीज बोए, शायद एक हफ़्ते में अंकुर निकल आयेंगे।आज एक पुरानी परिचिता को फ़ोन लगाया, देर तक बातें हुईं, और अचानक शाम को एक अन्य परिचिता का फ़ोन अपने आप आ गया। वे जो देते हैं, वह लौटकर उनके पास ही आता है, यह सही है, उसे ऐसा लगा। 


आख़िर आज कामवाली आयी, घर की सफ़ाई भली प्रकार से हुई।दोपहर को मुख्य घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उसने जाते हुए वर्ष का लेखा-जोखा लिखा। योग वसिष्ठ का अध्ययन पुन: आरम्भ किया है। यह दुनिया एक स्वप्न ज़्यादा  कुछ नहीं है, ऐसा ही तो होना भी चाहिए। यह एक खेल है, एक लीला है, आनंद का प्रस्फुरण है, तरंगों का उठना-गिरना है, रस है जो अबाध बह रहा है। इसमें ज़्यादा फँसने की ज़रूरत नहीं है। अघोरा, घोरा और घोरतारा शक्तियों का खेल, शब्दों का एक मायाजाल, जिनसे वे व्यर्थ ही प्रभावित होते रहते हैं। शब्द जहां से निकलते हैं, वहाँ पहुँच जाओ तो चैन ही चैन है।  


आज का इतवार काफ़ी अलग रहा। सुबह टहलने गये तो वॉकिंग मैडिटेशन किया, पता ही नहीं चला, पचास मिनट कैसे बीत गये। वापस आकर कुछ पंक्तियाँ लिखीं, कल टाइप करेगी। बच्चे दस बजे के बाद आये। दोपहर के बाद नन्हा क्वार्ड बाइक चलाने ले गया। काफ़ी रोमांचक अनुभव था। जून ने थोड़ी दूर तक ही चलायी। वह और नन्हा एक गाँव में गये, ऊँची-नीची कच्ची सड़क पर लगभग आधा घंटा चलायी।ढेर सारी तस्वीरें खींची। एक कार्यक्रम में टीवी पर सुना, कल राजकपूर का जन्मदिन है और शैलेंद्र की पुण्यतिथि। दोनों ने कई फ़िल्मों में साथ काम किया था। शाम को छोटी बहन से बात हुई, उसकी दोनों बेटियाँ क्रिसमस की छुट्टियों में घर आयी हैं। छोटी स्टैटिसटिक्स में एमएसी कर रही है, बड़ी जॉब कर रही है, संगीत भी सीख रही है और वह एक सप्ताह के लिए भारत भी आना चाहती है।देश से दूर रहकर देश की ज़्यादा याद आती है। यहाँ भी क्रिसमस की चमक नज़र आने लगी है। सामने वाली लाइन में दो घरों में लाइट और स्टार लग गये हैं। शाम को रोज़ की तरह सूडोकू हल किया, अब अभ्यास होने के कारण अधिक समय नहीं लगता, पहले दस से बीस मिनट उसमें लग जाते थे। एक सखी का फ़ोन आया, उसके बेटे की कोर्ट मैरिज हो गई है, सामाजिक विवाह अगले वर्ष होगा। वक्त बदलता है तो प्रथाएँ भी बदल जाती हैं। किसानों के आंदोलन का आज बीसवाँ दिन है, सरकार का कहना है वह बात करने के लिए तैयार है, यदि वे सुझाव लेकर आयें।