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Friday, December 12, 2014

गोहाटी की बाढ़

सुबह के पौने चार बजे हैं. वह तैयार है. कल इस वक्त वह घर पर तैयार हो रही थी. साढ़े चार बजे उनकी बस रवाना हुई. रास्ते में दो-तीन बार किसी न किसी कारण बस को रुकना पड़ा, गन्तव्य पर देर से पहुँचे. पहुंच कर भी सामान आदि रखकर सत्संग स्थल तक पहुंचने में काफी समय लग गया. जब वे पहुँचे तो कार्यक्रम समाप्ति पर था. गुरूजी ने दो-तीन भजन ही उनके सामने गए, फिर वे बेसिक कोर्स के अपने शिक्षक से मिले. वापस आकर भोजन ग्रहण किया और सो गये. उसे गेस्ट हॉउस में जो कमरा मिला है उसमें और कोई नहीं है, सो वह सुबह जल्दी उठकर तैयार हो सकी. उन्हें पांच  बजे निकलना है. अभी-अभी एक सखी का फोन जगाने के लिए आया. कल गुरूजी की आवाज सुनकर अच्छा लगा पर वे सम्पूर्ण कार्यक्रम नहीं देख पाए सो जैसे कुछ अधूरा सा रह गया हो ऐसा लगा. यहाँ की सडकों पर नाव चलाने जितना पानी भर गया था. वर्षा की वजह से वहाँ बैठने इंतजाम भी व्यर्थ हो गया था. वर्षा यदि आज सुबह न हो तो ईश्वर की उन पर मेहरबानी होगी पर यह तो वही जानता है कि उनका भला किसमें है !  

रात्रि के दस बजे हैं. कुछ देर पहले ही वे लौटे हैं. आज उसने श्री श्री के दर्शन निकट से किये. उनकी मुस्कान अद्भुत थी, वापस आकर उसके हाथों में कंपकंपी दिखी. वे शाम को चार बजे नये सत्संग स्थल शंकर कला क्षेत्र के लिए यहाँ से निकले, मार्ग पूछते-पूछते पहुँचे. रास्ता कल की तरह खराब था और कल की वर्षा के कारण सड़कों पर पानी भरा हुआ था. कला क्षेत्र की इमारत व ओपन एयर थियेटर बहुत कलात्मक ढंग से बना है. कीर्तन चल रहा था कि उसे जैसे किसी ने कहा कि निकट जाकर मिल लो. अपने साथ आये लोगों के समूह को अनदेखा करते हुए, स्वयं सेवक की मनाही की परवाह न करते हुए वह किसी आवेग में स्टेज पर चढ़ ही गयी. मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर प्रणाम किया और गुरूजी ने भी मुस्कान से उत्तर दिया. उसी तरह क्षण भर में लौट आयी. गेस्ट हॉउस तक की वापसी का रास्ता इस सुखद घटना की स्मृति में कैसे कट गया पता ही नहीं चला. अभी रात्रि भोजन नहीं हुआ है, उसे विशेष भूख तो नहीं है पर सबके साथ नीचे हाल में जाना तो होगा. यह यात्रा उसके लिए अविस्मरणय बन गयी है.

आज सुबह भी समय से पहुंच गये थे, उसे काफी आगे जगह भी मिल गयी थी. सुदर्शन क्रिया पूरी तो नहीं हो पाई, लोग बहुत थे और वर्षा भी हो रही थी, पर गुरूजी की आत्मा को छूकर निकली प्रभावपूर्ण वाणी दिल पर अद्भुत प्रभाव डाल रही थी. उनकी वाणी और दृष्टि दोनों ही प्रभावपूर्ण हैं. उसके पास प्यारी सी एक मारवाड़ी लड़की बैठी थी जो एडवांस कोर्स भी कर चुकी है. वे दस बजे तक वापस गेस्ट हॉउस आये जो बेहद सुंदर है. आस-पास पहाड़ दीखते हैं. यहाँ कम्पाउंड में कई सुंदर पेड़ हैं. उसने कुछ किताबें, कैसेट भी लिए. कुल मिलाकर गोहाटी आना सफल रहा है. ब्रह्मज्ञानी की दृष्टि मिलना कोई कम बात नहीं. अब क्रिया करते वक्त वह ज्यादा सचेत रह पायेगी. आज जून और नन्हे से फोन पर बात की. दो दिनों में लग रहा है कि कई दिनों से घर नहीं देखा. अब कल रात को सम्भवतः आठ बजे तक वे घर पहुँचेंगे.

आज फिर वह जल्दी उठकर तैयार हो चुकी है. कल रात कुछ अजीब दृश्य व स्वप्न उसके मन के पन्नों पर अंकित हुए. गुरू को इतने निकट से देखा तो कुछ प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी. पहले तो स्टेज से उतरते ही उसके हाथ काँपे पर शीघ्र ही ठीक हो गये. रात को सोने से पहले ध्यान में देखा एक पहाड़ी पर चढ़ रही है. पर बार-बार फिसल कर पीछे गिर जाती है. कोशिश फिर भी जारी है. दूसरे दृश्य में एक साथ अनेक लोगों को खड़े-खड़े एक प्रवाह में बहते देखा. स्वप्न में एक छोटी बच्ची को देखा जिसे विज्ञापन फिल्म में काम करवाया जाता है, वह पसंद नहीं करती. “पापा ये सब एड करवाते हैं और वह उसे पकड़ कर रो रही है. वह शायद उसकी माँ है या वह बच्ची ? एक और स्वप्न में उनके यहाँ काम करने वाले एक कर्मचारी पर वह पूरा भरोसा करने लगी है. ये दृश्य इतने स्पष्ट थे और भाव इतनी शिद्धत से महसूस किये गये थे कि..अभी अभी जून ने फोन किया उनकी आवाज थोड़ी उदास थी. उसके बिना घर अधूरा लग रहा होगा उन्हें !   





Tuesday, October 9, 2012

किताबों का सेट



उन्हें घर आए तीसरा दिन है, जब से वे आए हैं बादल बने हुए हैं. कल दिन में उमस थी पर आज मौसम ठंडा है. यात्रा सुखद रही. अभी तक घर पूर्णरूप से व्यवस्थित नहीं हो पाया है. आज नन्हे का स्कूल में पहला दिन था, अच्छा रहा. उसने जरा भी परेशान नहीं किया अर्थात वह एक बार भी परेशान नहीं हुआ. बल्कि पूरी तरह आनंद उठाया उसने. कल बकरीद की छुट्टी है. दोनों घर पर पत्र लिखेगी तो सब बातें लिखेगी, उसने सोचा. आज उन्हें एक जगह रात्रि भोज में जाना है. अब तैयार होना है.
आज भी वर्षा हो रही है, कल रात भर होती रही. सुबह के पौने छह हुए हैं, यही वक्त सही है डायरी लिखने का, जून को उठाकर आयी है, दस-पन्द्रह मिनट बाद ही वह उठेंगे. नन्हे का स्कूल बंद है. बहुत दिनों बाद उसने आज व्यायाम किया, कितना हल्का लग रहा है, उसने तय किया है जब तक यहाँ है नियमित करेगी. वहाँ नहीं कर पाती थी, छोटी सी जगह और इतने सरे लोग. यहाँ कितना खुला-खुला है, जहां जब चाहे बैठो, जब चाहे लेट सको. वहाँ हर बात का समय देखना होता था. कल वे क्लब में फिल्म देखने गए, कहानी तो वही पुरानी थी, पर पर कुछ दृश्य सचमुच अछे थे, हँसाने वाले, पर कहीं-कहीं समझ नहीं आ रहा था हँसें या रोयें. सोनू पूरे वक्त बैठा रहा, आखिर में उठ गया लेकिन फिर आके बैठ गया.

कल उनके कुछ पैसे खो गए, आज सुबह जब दफ्तर जाते समय जून ने पर्स देखा तो नदारद, लगता है कल कमीज की जेब में रह गए, और कपड़े धोते समय..महरी से पूछा तो उसने साफ मना कर दिया. परसों वे तिनसुकिया गए थे, अनुभव अच्छा नहीं रहा, कार से उतरते ही वर्षा होने लगी जिसने घूमने का सारा मजा किरकिरा कर दिया. जून के कभी-कभी अजीब व्यवहार के कारण वे नन्हे की बरसाती भी नहीं खरीद सके. समझ नहीं आता कि वह किस दुकान में कैसा व्यवहार करेंगे. फिर इतनी सारी मिठाई, आधा किलो काजू वाली नमकीन और काजू खरीद लिए, इतने रुपयों का सिर्फ खाने का सामान, उसे सबल देखना चाहते हैं वह, अभियान शुरू किया है इन दिनों. पिछले दिनों उसका वजन कुछ तो कम हुआ ही है, जो विवाह के बाद नन्हे के होने के बाद बढ़ा था. उसे कम से कम पचास का तो होना चाहिए पर उससे ज्यादा नहीं. जब से वे यहाँ आए हैं उसका वजन एक केजी तो बढ़ गया होगा. नन्हे का स्कूल में चौथा दिन था, खूब बातें बनाता है, स्कूल के बारे में उसकी राय अच्छी है, दोस्त बनाना चाहता है पर शायद उसके साथ बैठने वाला बच्चा हिंदी भाषी नहीं है. जून आज उसके लिए मंगाई किताबों का सेट लेकर आएंगे पोस्ट ऑफिस से.

कल जून ने कहा कि चार बजे जब वह आयें उसके पहले उसे व टिफिन भी तैयार रहना चाहिए. अभी तक महरी नहीं आयी है, पानी भी नहीं आ रहा है, स्नान भी लगता है, देर से ही होगा. आज सुबह छोटी बहन को पत्र लिखा, कार्ड भी भेजा. उसका जन्म दिन आ रहा है, आज शायद उसका परीक्षा परिणाम निकल गया होगा पर उन्हें तो दस दिन बाद ही पता चलेगा. कल से मौसम गर्म है. नन्हा स्कुल गया है, घर शांत रहता है आजकल ग्यारह बजे तक, कितना बोलता है आजकल वह, कितने नए शब्द सीख रहा है. कल शाम उनका एक परिचित परिवार मिलने आया था. सब कुछ सामान्य है, अपनी गति से अबाध रूप से चल रहा है, पर स्वप्नों का कोई अर्थ होता है, या कल रात देखे नाटक का परिणाम है, हाँ, यही सत्य है.