Showing posts with label दुर्गा पूजा. Show all posts
Showing posts with label दुर्गा पूजा. Show all posts

Saturday, July 22, 2017

दिगबोई गोल्फ फ़ील्ड


सुबह जून ऑफिस गये तो वर्षा हो रही थी, उसने एक घंटा ‘वर्षा ध्यान’ करते हुए बिताया, मन को अपने घर में कितना सुकून मिलता है. सुकून यानि एक ऐसा रस जो कभी घटता-बढ़ता नहीं. गणेश पूजा का उत्सव कल यहाँ सम्पन्न हो गया, अब दुर्गा पूजा के उत्सव की तैयारी है. दो दिन बाद मृणाल ज्योति जाना है, अपने स्कूल भी, इस बार शिक्षक दिवस मनाना है. उसके लिए एक कविता लिखनी होगी. उसने मन ही मन वे सभी बातें भी दोहरायीं जो वह भूमिका में बता सकती है. महान शिक्षाविद् डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में सन बासठ से यह दिवस मनाया जा रहा है. यह दिन शिक्षकों के उस अथक परिश्रम की याद दिलाता है जो वे विद्यार्थियों के हित के लिए अनवरत करते हैं. इस दिन विद्यार्थी अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं. समाज को उन शिक्षकों का ऋणी होना चाहिए जो बच्चों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाकर उन्हें जीवन में निरंतर विकास के योग्य बनाते हैं. बच्चों को शिक्षित करना, संस्कारित करना, जीवन का निर्माण करना शिक्षक का ही कार्य है. कल से उसने गणित पढ़ाना शुरू किया है, अच्छा लग रहा है, धीरे-धीरे सब याद आ रहा है. जीवन कितना-कितना लुटाता है. उनकी ही झोली छोटी होती है जो समेट नहीं पाते वे.

आज सुबह सुना साधक को शास्त्र इसलिए पढ़ने चाहिए कि वे उन्हें उनकी स्थिति से अवगत कराते रहें. वर्षों पहले पहली बार ‘योग वशिष्ठ’ पढ़ी थी. आज से पुनः पढ़ना आरम्भ कर रही है. परमात्मा अनंत है, उसको जानना तो असम्भव है. उसकी एक झलक मात्र ही मिल जाती है कभी-कभी, वह भी उसकी कृपा से ! अगले हफ्ते मेहमान आ रहे हैं, वे लोग आयें तो उन्हें किसी असुविधा का सामना न करना पड़े उन्हें इसका ध्यान रखना होगा. नैनी के घर से झगड़ने की आवाजें आ रही हैं, नशा करके घर के आदमी लड़ने की सिवा कर ही क्या सकते हैं, नर्क इसी को कहते हैं.

पिछले दिनों कई अद्भुत स्वप्न देखे. कल स्वयं को देखा जब बहुत छोटी थी. एक-एक करके सारे संस्कार मिट रहे हैं. उनका दर्शन ही उनसे मुक्त कर सकता है. अभी भाई का फोन आया, वे लोग ट्रेन में बैठ चुके हैं, यात्रा का आरम्भ हो चुका है. कल वह यहाँ होगा परिवार के साथ, यह बात ही कितना सुकून देती है. कल के बाद पांच दिन एक सुखद स्वप्न की तरह बीत जायेंगे.

आज पूरे पांच दिन बाद कुछ लिख रही है. जिस दिन वे आये शाम को उन्हें लेकर आस-पास का इलाका दिखने ले गयी, फिर अगले दिन सुबह ही सैर करने वे रोज गार्डन गये, अभी कुछ ही पल हुए थे कि वर्ष शुरू हो गयी, घर आकर भी वे सभी देर तक भीगते रहे और गाते रहे, बचपन की स्मृतियाँ सजीव हो उठीं. उसके बाद वह उन्हें क्लब तथा को ओपरेटिव स्टोर ले गयी. शाम को जून ने आयल क्लेक्टिंग स्टेशन दिखाया. बाद में चाय बागानों में घूमने गये, सभी ने खूब तस्वीरें खिंचायीं. तीसरे दिन सब दिगबोई गये, जहाँ संग्रहालय, दिगबोई पीक, गोल्फ फील्ड तथा शताब्दी पार्क देखा. गोल्फ फील्ड में छोटी-छोटी पहाड़ियों से ढलानों पर लुढकते हुए नीचे आने के वीडियो बनाये जो वर्षों बाद देखने पर भी मन को हर्षित करेंगे. चौथे दिन वे सभी अरुणाचल प्रदेश गये, पांचवे दिन आगे की यात्रा के लिए वे सभी गोहाटी चले गये. परसों विश्वकर्मा पूजा है.   


Wednesday, March 14, 2012

एक पत्र


इतवार को वे तिनसुकिया गए थे पूजा देखने, बहुत भीड़ थी. दुर्गापूजा के कितने सुंदर पंडाल सजाये गए थे. उससे पहले घर की सफाई की, जून ने छत व दीवारों की, नूना ने फर्श की. फिर नाश्ता बनाया और तैयार होकर निकले. एक फिल्म देखी, शाम को घर लौटे तो बहुत थकान थी.
जून को फिर से जाना पड़ा सात दिनों के लिये और एक बार फिर दिन में दो या तीन बार फोन पर मुलाकात का सिलसिला. नूना को वे दिन याद आये जब वे साथ थे, जैसे दूध में शक्कर, इस तरह घुल गए थे और अब यह अकेलापन उसे ज्यादा खल रहा था. जैसे सब कुछ होते हुए भी सब अधूरा अधूरा सा हो. उसने फोन पर बात की तो लगा जैसे कि कितने दिनों बाद उसकी आवाज सुन रही है. दिन में दूध और सेब खाकर रही पर शाम होते होते सर में दर्द होने लगा. अगले दिन सुबह सोकर उठी तो लगा सब ठीक था. दिन में वह उड़िया पड़ोसिन मिलने आयी थी बहुत बातें की, उसके पास एक खजाना है जैसे बातों का.
उसने एक पत्र लिखा जून को और कहा कि इस बार वह पिछली बार की तरह उदास नहीं है बल्कि नियमित दिनचर्या का पालन कर पा रही है. रात को मच्छरदानी लगाकर सोयी सो नींद भी अच्छी आयी. लाइब्रेरी गयी किताबें पढीं, क्रोशिया बनाया और उसका इंतजार किया फोन पर. और इसी तरह पूरा सप्ताह बीत गया.