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Monday, June 11, 2012

जीवन इक स्वप्न



जुलाई का पहला दिन...इस महीने की कितनी प्रतीक्षा किया करते थे वे लोग बचपन में. नयी कक्षा, नयी किताबें और कभी नया स्कूल भी. छोटी बहन का जन्मदिन भी तो जुलाई में पड़ता है और अब उस नवांगतुक का भी इसी माह में आने वाला है, डॉक्टर के अनुसार पांच दिन रह गए हैं, क्या जाने कोई लेकिन कब ? कल से बेहद गर्मी है, ऊपर से बिजली चली गयी, दोपहर ढाई बजे आयी, पर शाम को मौसम अच्छा था, वर्षा हुई और उसके बाद का धुला-धुला आकाश और धुला हुआ वातावरण.
आज उसकी बेचैनी बढ़ गयी है, पता नहीं और कितना इंतजार करना पड़ेगा, अभी तो कुछ भी परिवर्तन महसूस नहीं होता. उसने जून से कहा तो वह उसे समझाने लगा, स्नेह लुटाने लगा, उसे खुश करके ही माना. कितना सम्बल देता है उसका साथ. सच ही तो कहता है वह, कभी भी  निराशावादी नहीं होना चाहिए, जो भी सामने आये उसे खुशी-खुशी ग्रहण करना ही होगा. आशंका, चिंता को जन्म देती है. उसने निश्चय किया कि अब वह भी खुले-खुले मन से उस घड़ी का इंतजार करेगी न कि यह सोचते हुए कि जाने क्या होगा. शाम को जून ने लॉन में फिर कुछ देर काम किया, रोज आधा घंटा करने से कुछ ही दिनों में सफाई हो जायेगी. आज सुबह उठी तो एक स्वप्न देख रही थी, उसे अंग्रेजी की परीक्षा देने जाना है पर पेन नहीं मिल रहा है, बॉल पेन तो है पर काला पेन जो उसके छोटे भाई ने दिया था वही खोज रही है, शेष सभी परिवार जनों को भी देखा.
एक और नए दिन का शुभारम्भ ! अत्यंत सुंदर सुबह है आज की, शीतल, स्वच्छ, मधुर. जून को छाता लेकर जाना पड़ा, उस समय वर्षा हो रही थी, शायद रात भर बादल बरसते रहे. कल बहुत दिनों बाद चाची जी का खत आया, भाभी का भी दो दिन पहले आया था. जून घर समय पर आ गया था, वह चाहता तो है, पर आजकल बिल्कुल पढ़ाई नहीं कर पाता, यदि वह पक्का निश्चय करले तो कम से कम एक घंटा तो पढ़ ही सकता है, उसने सोचा, आज से वह बैठेगी उसके साथ पूरा एक घंटा.
  

Tuesday, April 10, 2012

नव जीवन


दिसम्बर का आरम्भ हो गया है. पिछले कई दिनों से उसने डायरी नहीं लिखी. कितनी ही बातें हो गयी है इस मध्य. पिछले हफ्ते वह अस्वस्थ रही कारण वही, अब ठीक है, डाक्टर की बताई दवाएं ले रही है. इसी माह उन्हें घर जाना है. वे दोनों बहुत खुश हैं. जुलाई के प्रथम दस दिनों में से कोई भी दिन हो सकता है जब वह मेहमान उनके सम्मुख होगा जीता जागता, उनके सपनों का केन्द्र, जो अब उनके भीतर है. अभी उन्होंने किसी को नहीं बताया है पर एक न एक दिन तो पता चल ही जायेगा. जून को अपने बॉस को बताना पड़ा था क्योंकि वह उसे बाहर भेज रहे थे. पिछ्ले दिनों वह कितनी अस्वस्थ थी, जून उसे छोड़ कर नहीं जाना चाहता था. वह भी चाहती है कि अब उन्हें हर पल एक साथ ही रहना चाहिए, ताकि वे हर परिवर्तन को साथ-साथ महसूस कर सकें.