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Tuesday, August 27, 2024

ड्रोन की उड़ान


ड्रोन की उड़ान 

आज रविवार था, सामान्य दिनों से काफ़ी अलग रहा। सुबह वे जल्दी उठकर टहलने गए, सब तरफ़ सन्नाटा था, हवा ठंडी थी और आकाश में नारंगी रंग का चाँद चमक रहा था।अनादि काल से  चंद्रमा मानव को आकर्षित करता आया है, इसे मन का देवता भी कहा गया है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि सोम के रूप में यह वनस्पति जगत को रस प्रदान करता है, जो उनके विकास के लिए अति आवश्यक है।घर आकर प्राणायाम और कुछ आसन किए, ये भी तो मानव को हज़ारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों ने प्रदान किए थे, समय के साथ मानव ने उसमें कुछ परिवर्तन किए हैं पर मूल स्रोत तो प्राचीन ग्रंथ हैं। नूना ने नाश्ते में मेथी के पराँठे बनाये और जून ने सोनू के प्रमोशन की ख़ुशी में खीर बनायी।दोनों ही बच्चों को पसंद आयी। नन्हा ड्रोन उड़ाने के लिए जाने वाला था, सभी को साथ ले गया, सब ठीक चल रहा था कि उसका एक पंख टूटकर गिर गया और बहुत खोजने पर भी नहीं मिला। उसके अधरों पर मुस्कान तैर गई, लगभग हर बार ड्रोन उड़ाने पर कुछ न कुछ खो जाता है, और फिर काफ़ी समय उसे ढूँढने में लगता है।एक बार तो पूरा ड्रोन ही किसी की बगिया में और दूसरी बार किसी की छत पर जाकर गिर गया था। बगिया वाला महीनों बाद उन्हें मिला और छत के लिए सीढ़ी मँगवानी पड़ी थी। मकान मालिक शहर से बाहर गये हुए थे। वापस आये तो देखा, सोसाइटी के क्लब हाउस में बाटा के जूतों की सेल लगी थी। कुछ ख़रीदारी की, नन्हे ने अपने पैर की स्कैनिंग करवायी, फ़्लैट फ़ीट का पता चला, अब वह जूते में लगाने के लिए एक डिवाइस ख़रीद सकता है, जिससे पैर को आराम मिलेगा।उसने एड़ी के लिए एक सपोर्ट लिया। इन सब की पहले उन्हें जरा भी जानकारी नहीं थी।


आज से घर में सिविल का काम शुरू हुआ है, नन्हे ने बताया उनके यहाँ भी कुछ काम होना है। मज़दूर सुबह ग्यारह बजे आये और शाम को गये।अगले दो हफ़्ते ऐसे ही चलेगा। लीकेज की समस्या से बचने के लिए छत व उसकी दीवारों पर एक जलरोधी पेपर चिपका कर उस पर पेंट भी करवाना है। आज बायीं तरफ़ के पड़ोसी परिवार सहित उनकी छत से अपने घर की छत की ढुलाई देखने आये थे।इसके पहले उन्होंने न जाने  कितने ही घर बनते हुए देखे होंगे पर अपने घर की हर बात अनोखी लगती है।आज से कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई हैं। दिल्ली में बड़े भाई ने लगवा ली है ।


रात्रि के नौ बजने को हैं, जून बिस्तर पर लेट चुके हैं। दिन भर घर में चल रहे काम की निगरानी रखते-रखते भी थोड़ी थकान स्वाभाविक है। आज शाम को टहलते समय फूलों की सुंदर तस्वीरें उतारीं। आजकल बोगेनविलिया अपने पूरे शबाब पर है। सुबह एक ऐप के ज़रिए सूर्योदय का वीडियो बनाया था। कल संभव हुआ तो सूर्यास्त का वीडियो बनाएगी।शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, वे लोग कल आ रहे हैं, बेटी की परीक्षा है, परसों चले जाएँगे। जून मेहमानों के लिए बेकरी शॉप से  दो केक और एक गार्लिक ब्रेड लाए हैं।


कल रात एक अनोखा स्वप्न देखा। गुरुजी आश्रम में भ्रमण कर रहे हैं। असम की एक पुरानी मराठी सखी भी वहाँ है जून और वह दूर से देखते हैं। सखी उसे बुलाती है और गुरुजी से परिचय कराती है। वह उनके चरणों का स्पर्श करने के लिए झुकती है, पहले अपने हाथों से उनके दोनों पैरों का, फिर मस्तक से बारी-बारी पहले बायें फिर दायें पैर का। फिर वह उस उठने को कहते हैं। उस क्षण में जैसे मन बहुत हल्का हो गया था और समर्पण के बाद की एक निश्चिंतता का अनुभव हुआ।वर्षों पहले गुरुजी से मिलकर केवल हाथ जोड़कर नमस्कार ही किया था, कभी पैरों को स्पर्श करने का भाव ही नहीं जगा, अहंकार तब मिटा ही नहीं था, अब लगता है वह घड़ी निकट आ गई है। 


आज शाम को आश्रम से प्रसारित हो रहा सत्संग देखा-सुना। दिन में एओएल से आया एक अनुवाद कार्य किया, आलेख का शीर्षक था ‘शिव तत्व’। इस आलेख में गुरु जी ने एक जगह कहा है , शिव अविनाशी शून्य तत्व है, वह ऐसा अंधकार है जो अपने भीतर सृजन की क्षमता छिपाए है, हर मन की गहराई में वही सो रहा है, साधना के द्वारा उसको  जगाना है।शिव ही बाहर सदगुरु बन कर आता है, जिसके आने से जीवन में नया मोड़ आता है, वह सदा नयी राह दिखाता है। शिव ही ज्योति पुंज सम आत्म तत्व है जो अंधकार को भेद कर प्रकटना चाहता है। अभी कुछ देर पहले ‘देवों के देव-महादेव' धारावहिक में देखा, शिव तांडव स्रोत की रचना रावण ने किस घटना के कारण की थी। सचमुच रावण कितना बड़ा विद्वान था और कवि भी, लेकिन उसके अहंकार ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।  वैक्सीन लगने के बाद वे भी आश्रम जाना शुरू करेंगे। 


आज शाम को वृद्ध अंकल ने, जो उन्हें अक्सर संध्या भ्रमण के समय मिल जाते हैं,  अपनी गाड़ी में लिफ्ट दी, वह उनके घर भी आना चाहते थे, पर ड्राइवर ने उनके बेटे का हवाला देकर मना कर दिया। अंकल की आँखों की विवशता देखकर अच्छा नहीं लग रहा था पर कुछ भी किया नहीं जा सकता था। ड्राइवर की बात वे कैसे टालते, जो रोज़ शाम को उन्हें गाड़ी में बिठाकर बगीचे के पास उतार देता है और जब छड़ी के सहारे वे टहलते हैं तो उनके साथ-साथ चलता है।मेहमान नहीं आ पाये, सखी के पतिदेव की पीठ में दर्द हो गया था। अब गार्लिक ब्रेड के सैंडविच उन्हें अकेले ही खाने होंगे।मौसम आजकल दिन में गर्म रहता है पर सुबह ठंडी रहती है अभी भी। अभी-अभी एक दुखद समाचार सुना, असम की एक परिचिता का, जो उसके पास एक बार योग सीखने भी आयी थी, हृदय की सर्जरी के बाद देहांत हो गया।जीवन क्षण भंगुर है, वह बार-बार याद दिलाता है, पर वे रोज़ की आपा-धापी में इसे भूले रहते हैं। 



Thursday, May 2, 2024

गट्टे की सब्ज़ी

गट्टे की सब्ज़ी 


आज सुबह टहलने गये तो तापमान १६ डिग्री था, जैकेट पहनने का दिन, कभी-कभी २० या इक्कीस रहता है तो वे नहीं पहनते। समाचारों में सुना, दिल्ली का तापमान १ डिग्री हो गया है, यहाँ उसकी कल्पना करना भी कठिन है। इतनी ठंड में उन लोगों का क्या होता हिगा, जिनके पास पक्के घर नहीं है या घर ही नहीं हैं। आश्रम में अगले महीने एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छोटी बहन ने फ़ेसबुक पर संदेश पोस्ट किया है। वहाँ प्रतिदिन सत्संग हो रहा है। गुरुजी ने विश्व में लाखों लोगों को योग के पथ से जोड़ा है, ऐसा कार्य ईश्वरीय कृपा  के बिना नहीं हो सकता। अभी-अभी जे कृष्णामूर्ति द्वारा ध्यान की सुंदर परिभाषा सुनते-सुनते ही मन ध्यानस्थ होने लगा। ‘देवों के देव’ में आज दधीचि मुनि के त्याग की गाथा सुनी। उसे लगता है, वे लोग समाज के लिए कुछ विशेष नहीं कर पा रहे हैं। परमात्मा ही उन्हें राह दिखाएगा, अर्थात उनका शुद्ध ‘मैं’, यानि वे ‘स्वयं’ ! हर किसी को अपना मार्ग स्वयं ही तो चुनना होता है। परमात्मा हर किसी के द्वारा स्वयं को ही अभिव्यक्त कर रहा है ! कोई कितना उसे प्रकट होने देगा, उतना ही उसका जीवन सुंदर होगा !! 


आज सुबह मौसम सुहावना था। अपने निर्धारित स्थान पर चौकीदार को छोड़ कर पूरे रास्ते भर कोई नहीं मिला। रात की रानी की सुगंध दूर से ही आने लगी थी, सम्पूर्ण क्यारी  छोटे-छोटे श्वेत फूलों से भर गई है।जो बल्ब के प्रकाश में दिखायी दे रही थी। सड़क पर अंधेरा था। नैनी आज जल्दी आ गई, कन्नड़ सिखाने में उसे आनंद आता है, वह धीरे-धीरे कुछ शब्द सीख रही है।नाश्ते के बाद वे सब्ज़ी ख़रीदने गये, बेबी कॉर्न, कुंदरू, अरबी, आँवले आदि कुछ नयी सब्ज़ियाँ मिलीं, जो पास की दुकान में नहीं मिलतीं। जून को अब ईवी चलाने में दिक्क्त नहीं होती। इतवार को ईवी कार रैली है, नन्हा उसमें जाने को कह रहा है। यह भी बताया, उसका पैथोलॉजिस्ट मित्र असम जाने वाला है, उसे मेडिकल कॉलेज में जॉब मिला गया है, वहाँ वह आगे पढ़ाई भी कर सकता है।ऐसे ही लोग अपने शोध कार्य और श्रम के द्वारा समाज के लिए नयी खोज कर पाते हैं, उनके परिश्रम का लाभ मानवता को मिलता है। असम की एक हिन्दी लेखिका पूनम पांडेय की किताब में कुछ कहानियाँ पढ़ी, जो असम के लोक जीवन पर आधारित हैं।कल किसानों से एक बार फिर सरकार की बात होने वाली है, शायद कुछ हल निकल आये। 


आज मॉर्निंग ग्लोरी का पहला फूल खिला रानी कलर का सुंदर फूल ! धीरे-धीरे सभी गमलों में फूल आयेंगे, और जब बेलें ऊपर चढ़ जायेंगी तब और भी सुंदर लगेंगे। भीतर कैसी गुनगुन सुनायी दे रही है। जब मन शांत हो तभी यह अखंड गूंज सुनायी देती है। छोटी ननद का फ़ोन आया, वह गट्टे की सब्ज़ी बना रही थी। ख़ुद उसे बनाये हुए बरसों हो गये हैं। बचपन में माँ के हाथों की बनी पकौड़े की सब्ज़ी भी खायी थी। उसके बाद कभी मौक़ा नहीं मिला, सोचती है, क्यों न एक दिन उसी तरह बनाकर बच्चों को खिलाए। शाम को गुरुजी को सुना, वह प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे, कितने सटीक और प्रभावशाली ढंग से वह प्रश्नों के उत्तर देते हैं। आज वे उन्हीं वृद्ध व्यक्ति से मिले, कह रहे थे, अगले हफ़्ते घर भी आयेंगे।सौ बरस के हो गये हैं, कहने लगे, “आदमी थक जाता है एक उम्र में, जीवन और मृत्यु अपने हाथ में तो है नहीं।” पता नहीं कुछ लोग लंबा क्यों जीते हैं और कुछ अल्पायु में ही कालग्रसित हो जाते हैं। सुबह छोटे भाई से बात हुई, कह रहा था, मृत्यु के रहस्य को छोड़कर जगत में कुछ जानने को नहीं रह गया है। वह ध्यान में गहरा उतरने लगा है। बहुत मस्त रहता है। दीदी ने उसके लिखे एक भजन के बारे में कहा है, वह अवश्य प्रसिद्ध होगा। उसकी एक सखी ने अपनी मधुर आवाज़ में उसे गाया था, जो व्हाट्सेप पर पोस्ट कर दिया था; सब को अच्छा लगा, भाई ने कहा है उसे अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करे।    


नौ बजने वाले हैं, जून ठीक नौ बजे बत्ती बंद करने को कहेंगे। उसके पूर्व ही आज का लेखा-जोखा लिख लेना है। सुबह आकाश पर बदली थी। आर्ट ऑफ़ लिविंग के फिटनेस चैलेंज का अंतिम दिन था। जून ने मॉर्निंग ग्लोरी के फूलों की तस्वीरें उतारीं। बाद में वे ढेर सारे फल लाए। काव्यालय की संस्थापिका ने एक अंग्रेज़ी कविता का अनुवाद पोस्ट किया, उसे अखरा तो उसने भी एक अनुवाद किया और उन्हें भेजा। जिसे उन्होंने फ़ेसबुक पर पोस्ट कर दिया। एक चित्र बनाना आरम्भ किया है। ‘ध्यान’ पर एक पुस्तक का  अध्ययन भी शुरू किया है। जीवन एक लय में आगे बढ़ रहा है, जैसे सुबह और शाम, वसंत और पतझड़ आते-जाते हैं, वैसे ही उनके दिन और रात कुछ नये-नये अनुभव देकर बीत जाते हैं।  इसी मधुर भाव में जीने का नाम जीवन है शायद !