Thursday, May 2, 2024

गट्टे की सब्ज़ी

गट्टे की सब्ज़ी 


आज सुबह टहलने गये तो तापमान १६ डिग्री था, जैकेट पहनने का दिन, कभी-कभी २० या इक्कीस रहता है तो वे नहीं पहनते। समाचारों में सुना, दिल्ली का तापमान १ डिग्री हो गया है, यहाँ उसकी कल्पना करना भी कठिन है। इतनी ठंड में उन लोगों का क्या होता हिगा, जिनके पास पक्के घर नहीं है या घर ही नहीं हैं। आश्रम में अगले महीने एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छोटी बहन ने फ़ेसबुक पर संदेश पोस्ट किया है। वहाँ प्रतिदिन सत्संग हो रहा है। गुरुजी ने विश्व में लाखों लोगों को योग के पथ से जोड़ा है, ऐसा कार्य ईश्वरीय कृपा  के बिना नहीं हो सकता। अभी-अभी जे कृष्णामूर्ति द्वारा ध्यान की सुंदर परिभाषा सुनते-सुनते ही मन ध्यानस्थ होने लगा। ‘देवों के देव’ में आज दधीचि मुनि के त्याग की गाथा सुनी। उसे लगता है, वे लोग समाज के लिए कुछ विशेष नहीं कर पा रहे हैं। परमात्मा ही उन्हें राह दिखाएगा, अर्थात उनका शुद्ध ‘मैं’, यानि वे ‘स्वयं’ ! हर किसी को अपना मार्ग स्वयं ही तो चुनना होता है। परमात्मा हर किसी के द्वारा स्वयं को ही अभिव्यक्त कर रहा है ! कोई कितना उसे प्रकट होने देगा, उतना ही उसका जीवन सुंदर होगा !! 


आज सुबह मौसम सुहावना था। अपने निर्धारित स्थान पर चौकीदार को छोड़ कर पूरे रास्ते भर कोई नहीं मिला। रात की रानी की सुगंध दूर से ही आने लगी थी, सम्पूर्ण क्यारी  छोटे-छोटे श्वेत फूलों से भर गई है।जो बल्ब के प्रकाश में दिखायी दे रही थी। सड़क पर अंधेरा था। नैनी आज जल्दी आ गई, कन्नड़ सिखाने में उसे आनंद आता है, वह धीरे-धीरे कुछ शब्द सीख रही है।नाश्ते के बाद वे सब्ज़ी ख़रीदने गये, बेबी कॉर्न, कुंदरू, अरबी, आँवले आदि कुछ नयी सब्ज़ियाँ मिलीं, जो पास की दुकान में नहीं मिलतीं। जून को अब ईवी चलाने में दिक्क्त नहीं होती। इतवार को ईवी कार रैली है, नन्हा उसमें जाने को कह रहा है। यह भी बताया, उसका पैथोलॉजिस्ट मित्र असम जाने वाला है, उसे मेडिकल कॉलेज में जॉब मिला गया है, वहाँ वह आगे पढ़ाई भी कर सकता है।ऐसे ही लोग अपने शोध कार्य और श्रम के द्वारा समाज के लिए नयी खोज कर पाते हैं, उनके परिश्रम का लाभ मानवता को मिलता है। असम की एक हिन्दी लेखिका पूनम पांडेय की किताब में कुछ कहानियाँ पढ़ी, जो असम के लोक जीवन पर आधारित हैं।कल किसानों से एक बार फिर सरकार की बात होने वाली है, शायद कुछ हल निकल आये। 


आज मॉर्निंग ग्लोरी का पहला फूल खिला रानी कलर का सुंदर फूल ! धीरे-धीरे सभी गमलों में फूल आयेंगे, और जब बेलें ऊपर चढ़ जायेंगी तब और भी सुंदर लगेंगे। भीतर कैसी गुनगुन सुनायी दे रही है। जब मन शांत हो तभी यह अखंड गूंज सुनायी देती है। छोटी ननद का फ़ोन आया, वह गट्टे की सब्ज़ी बना रही थी। ख़ुद उसे बनाये हुए बरसों हो गये हैं। बचपन में माँ के हाथों की बनी पकौड़े की सब्ज़ी भी खायी थी। उसके बाद कभी मौक़ा नहीं मिला, सोचती है, क्यों न एक दिन उसी तरह बनाकर बच्चों को खिलाए। शाम को गुरुजी को सुना, वह प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे, कितने सटीक और प्रभावशाली ढंग से वह प्रश्नों के उत्तर देते हैं। आज वे उन्हीं वृद्ध व्यक्ति से मिले, कह रहे थे, अगले हफ़्ते घर भी आयेंगे।सौ बरस के हो गये हैं, कहने लगे, “आदमी थक जाता है एक उम्र में, जीवन और मृत्यु अपने हाथ में तो है नहीं।” पता नहीं कुछ लोग लंबा क्यों जीते हैं और कुछ अल्पायु में ही कालग्रसित हो जाते हैं। सुबह छोटे भाई से बात हुई, कह रहा था, मृत्यु के रहस्य को छोड़कर जगत में कुछ जानने को नहीं रह गया है। वह ध्यान में गहरा उतरने लगा है। बहुत मस्त रहता है। दीदी ने उसके लिखे एक भजन के बारे में कहा है, वह अवश्य प्रसिद्ध होगा। उसकी एक सखी ने अपनी मधुर आवाज़ में उसे गाया था, जो व्हाट्सेप पर पोस्ट कर दिया था; सब को अच्छा लगा, भाई ने कहा है उसे अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करे।    


नौ बजने वाले हैं, जून ठीक नौ बजे बत्ती बंद करने को कहेंगे। उसके पूर्व ही आज का लेखा-जोखा लिख लेना है। सुबह आकाश पर बदली थी। आर्ट ऑफ़ लिविंग के फिटनेस चैलेंज का अंतिम दिन था। जून ने मॉर्निंग ग्लोरी के फूलों की तस्वीरें उतारीं। बाद में वे ढेर सारे फल लाए। काव्यालय की संस्थापिका ने एक अंग्रेज़ी कविता का अनुवाद पोस्ट किया, उसे अखरा तो उसने भी एक अनुवाद किया और उन्हें भेजा। जिसे उन्होंने फ़ेसबुक पर पोस्ट कर दिया। एक चित्र बनाना आरम्भ किया है। ‘ध्यान’ पर एक पुस्तक का  अध्ययन भी शुरू किया है। जीवन एक लय में आगे बढ़ रहा है, जैसे सुबह और शाम, वसंत और पतझड़ आते-जाते हैं, वैसे ही उनके दिन और रात कुछ नये-नये अनुभव देकर बीत जाते हैं।  इसी मधुर भाव में जीने का नाम जीवन है शायद !  


9 comments:

  1. ध्यानस्थ हो गया या हो रहा है एक सपना या परिकल्पना जैसा लगता है कैसे कर लेते होंगे लोग | कुछ विशेष होता होगा जरूर | सुन्दर |

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    1. ध्यान में होना तो मानव जीवन की अनमोल उपलब्धि है, जैसे मुस्कान। मुस्कान अधरों पर छाती है, ध्यान मन की मुस्कान है, स्वागत व आभार !

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  2. वाह! अनीता जी ,बहुत खूब।

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    1. स्वागत व आभार शुभा जी !

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  3. बहुत बहुत आभार यशोदा जी !

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  4. हर किसी को अपना मार्ग स्वयं ही तो चुनना होता है।

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  5. सही कहा है आपने कविता जी, स्वागत व आभार !

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