सन् अठानवे में TTC Phase1(शिक्षक कोर्स) भी कर लिया और उसके बाद से पूर्णकालिक शिक्षिका
हैं और सदा यात्रा करती रहती हैं, सरल स्वभाव है, रंग गोरा है, मीठा बोलती हैं,
धीरे-धीरे बोलती हैं, उसे उन्होंने मन्त्र दीक्षा दी है. स्नेहमयी हैं, मस्त हैं
और प्रसाद पूरी रुचि से ग्रहण करती हैं. गुरूजी के प्रति पूर्ण समर्पित हैं, कहती
हैं कि वे सब कुछ जानते हैं. सहज समाधि कहाँ हुआ, किसके घर हुआ, उसे तो सुनकर ही
सिहरन होने लगी. सद्गुरू के साथ उन्हें भी कृपा के कई व्यक्तिगत अनुभव हुए हैं. वह
जादूगर हैं..ईश्वर से अभिन्न हैं, ऐसे महापुरुष, महात्मा कभी-कभी ही होते हैं,
बिरले ही होते हैं. वह एक सखी के यहाँ बैठी थी, उनकी प्रतीक्षा कर रही थी कि सहज
ध्यान होने लगा. सद्गुरू का भावपूर्वक स्मरण करते ही वह भीतर अनुभूत होने लगते
हैं, वह एक ही सत्ता है, वह कैसी अनोखी सत्ता है..जितना रहस्य खुलता जाता है, उतना
ही बढ़ता जाता है.
आज बैसाखी है, पंजाब का त्यौहार ! फसलों और मेलों का उत्सव
! कुछ लोगों को उसने SMS संदेश भेजा है. कल से बीहू की छुट्टियाँ हैं. जून का दर्द
अभी तक ठीक नहीं हुआ है. पूरा एक महीना होने को है. आज वह न तो टहलने गये न ही
सुबह प्राणायाम, व्यायाम आदि कर पाए.
बीहू का पहला अवकाश. मौसम आज खुला है. धूप के दर्शन हो रहे
हैं. कल रात जून को दर्द के कारण नींद नहीं आ रही थी. उनकी छाती में दायीं ओर
पसलियों में दर्द होता है, दिल की धड़कन भी महसूस होती है. कल डिब्रूगढ़ दूसरी बार
गये इसी सिलसिले में. इस वक्त भी लेटे हैं. मानव का बस, बस थोड़ी दूर तक ही चलता
है, रोग, बुढ़ापा और मृत्यु के सामने उसका कोई बस नहीं चलता. इस समय दोपहर के साढ़े
बारह बजने को हैं. वह सहज ध्यान करने बैठी तो दुनिया भर के विचार आने लगे, पहले कुछ
शारीरिक व्यायाम करके ध्यान करने बैठो तो सहज ही होता है !
योग शिक्षिका का SMS आया है –
“छोटे से जीवन में छोटी सी
मुलाकात थी प्यार भरी
आज आपका शब्दों का गुलदस्ता पाया मैंने और समर्पित किया
उनको जो मुझे बनाये आप जैसे उनके प्यारों के लिए !”
उसे जवाब लिखना है –
माना छोटी सी थी मुलाकात
दिल ने दिल से कर ली बात,
आपका जीवन जन-जन अर्पित
सृष्टा को है पूर्ण समर्पित !
शांति सरलता की जो मूरत
सदा प्रेम झलकाती सूरत,
नृत्य भरा कदमों में जिनके
याद रहेगी उनकी मन में !
मस्त चाल अनोखी मुद्रा
सजल नयन विश्वास भरा,
सारी पूजाएँ, अर्चना
हों एक के लिए सदा !
आपके माध्यम से सद्गुरु के विषय में जानने को मिला. नेट पर उन्हें सुनने का मौक़ा भी मिला, एक स्वर्गिक अनुभव था. इसलिए सद्गुरु का स्मरण करते ही उन्हें अनुभूत करना अपने अंदर मैं समझ सकता हूँ.
ReplyDeleteजून से लगता है बिछड़े हुए मिला हूँ. स्वस्थ हों, यह शुभकामना है.बैसाखी के सन्देश प्यारे लगे!
स्वागत व आभार ! बैसाखी के संदेश आपने पढ़ लिए जो लिखे ही नहीं थे..सचमुच रहस्यपूर्ण है यह सृष्टि..
ReplyDeleteबैसाखी के विषय में सोचा और संदेश प्यारे लगे लिखा... बैसाखी डिलीट करना रह गया! क्षमा!!
ReplyDelete