मन में कितने विचार आजकल आते हैं कि भैया-भाभी के आने
पर वे क्या-क्या करेंगे. उन्हें सिलसिलेवार लिख लेना ठीक होगा. मंगल की शाम उन्हें
चिड़वा-मटर व मिठाई के बनारसी नाश्ते से
स्वागत कर रोज गार्डन में सांध्य भ्रमण के लिए ले जायेंगे. बुधवार सुबह दलिए,
परांठे व खीर के उत्तर भारतीय नाश्ते के बाद तैयार होकर सब दिगबोई जायेंगे. शाम को
लौटकर कुछ आराम के बाद कोई बोर्ड गेम खेलेंगे. गुरुवार को सुबह किसी दक्षिण भारतीय
नाश्ते के बाद वे फोटो सेशन करेंगे, फोटो देखना व खींचना. दोपहर का भोजन व आराम के
बाद तेल का कुआं, चाय बागान, काली बाड़ी तथा ट्रेनिंग सेंटर दिखाने ले जायेंगे. उसी शाम
को एक घंटा भजन गायन व नृत्य. शुक्रवार सुबह चायनीज नाश्ते के बाद बाजार, दोपहर
बाद एक पुरानी हिंदी फिल्म देखेंगे फिर जल्दी, कुछ विशेष पर हल्का भोजन करके उन्हें
छोड़ने स्टेशन जायेंगे. यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो ऐसा ही होगा. पीछे वाले घर में
रहने वाली नैनी की लड़की की शादी है. शोर आ रहा है, काफी इंतजाम चल रहे हैं. कभी
लगता है कि यह फिजूलखर्ची है, उधार लेकर खर्चा करना कहाँ की अक्लमंदी है फिर लगता
है कि इसी बहाने परिवार एकत्र होता है. विवाह की अहमियत पता चलती है, खुशियाँ बढती
हैं. पिछले दो-तीन सालों से उसकी बात पक्की थी पर लगन मुहूर्त ठीक नहीं मिलता रहा
होगा. उसे उसके लिए उपहार निकाल कर रखना है. ध्यान में स्मरण आया कि उन्हें
डाइनिंग टेबल के लिए रनर की जरूरत है. ध्यान में खाली होना होता है, उस शून्य में
न जाने कहाँ से कोई ख्याल आ जाता है, धीरे-धीरे ध्यान की समझ बढ़ने लगी है. सबसे
जरूरी है श्रद्धा तथा विश्वास उस सुहृद के प्रति, शेष सब अपने आप होने लगता है.
उसकी कृपा तो प्रतिक्षण बरस रही है वह मन चाहिए जो सुमन हो ! जिसमें स्वयं के
उद्धार की कामना जग गयी हो. जून आज जल्दी आने वाले हैं. कल रात उन्होंने कितनी
सुंदर बात कही कि कहीं वही तो उसकी आत्मा नहीं है ? वह भी बदल रहे हैं, भक्ति का
रंग उन पर भी चढ़ रहा है. सद्गुरु से दृष्टि मिली या नहीं पर उनकी कृपा अवश्य हो
रही है. उसकी प्रार्थनाओं का असर भी..
दो बजे हैं दोपहर के, भैया-भाभी की फ्लाइट डिब्रूगढ़ में उतर चुकी होगी, और
एक-डेढ़ घंटे में वे यहाँ पहुंच जायेंगे ! वे कितने दिनों से उनकी प्रतीक्षा कर रहे
हैं. रिश्तों की मिठास अनोखी होती है. उसने उनके स्वागत के लिए तिलक व आरती का
प्रबंध किया है. आज मौसम भी खुशनुमा है, चैत का पहला नवरात्र भी है. आज सुबह-सुबह
एक नवरात्र अच्छी कविता पढ़ने को मिली. शायद तभी शब्द सहज ही उतर रहे हैं डायरी में-
भैया-भाभी आ रहे, बिटियों
के संग आज
दिल में उठी उमंग का, एक यही
तो राज !
छोटी भाभी साथ है, दुगना
है उल्लास
पलक पांवड़े बिछ रहे, वन
में खिला पलास !
दिल्ली व आसाम का, हुआ
मिलन है आज,
शुभ दिन आया शुभ घड़ी, हुआ
चैत आगाज !
सुमन खिले चहुँ दिशा में,
ऋतु नरेश का राज
हर्षित है आराधिका, रेखा
क्षितिज की लाल !
छोटी भाभी साथ है, दुगना है उल्लास
ReplyDeleteपलक पांवड़े बिछ रहे, वन में खिला पलास !
दिल्ली व आसाम का, हुआ मिलन है आज,
शुभ दिन आया शुभ घड़ी, हुआ चैत आगाज !
सुमन खिले चहुँ दिशा में, ऋतू नरेश का राज
..वाह! बहुत खूब। .. स्वागत तैयारी हो तो ऐसे। . पढ़कर ही इतना मजा आ रहा है हमें, तो आने वालों को निश्चित ही बड़ा मजा आएगा
हार्दिक शुभकामनाएं सबको
स्वागत व आभार कविता जी..आपको भी शुभकामनायें !
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