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Thursday, May 11, 2017

चेरी टमाटर


आज भी बादल बने हैं आकाश पर, ठंडी हवा बह रही है. पिताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा. बुढ़ापा एक रोग है, उस पर कई रोग शरीर को लग जाते हैं. बुढ़ापा आने पर मृत्यु का भय भी सताता है और भी न जाने क्या-क्या घटता है मानव के मन के भीतर, पर जो अपने आप को जान लेता है, वह बच जाता है, जगत में कितने ही लोग ऐसे हुए हैं, जो जीवन और मृत्यु के रहस्य को समझ कर मुक्त हो गये हैं.

पिछले तीन दिन व्यस्तता के कारण कुछ नहीं लिखा. दो दिन क्लब की कुछ सदस्याओं से मिलने गयी, उनकी विदाई के लिए कविता लिखने के लिए कुछ बातें जाननीं थीं. एक दिन होली थी, आज भी गगन पर बदली है. पिताजी अपेक्षाकृत बेहतर हैं. वृद्धा आंटी अभी तक अस्पताल में हैं. कल रात को एक अनोखा स्वप्न देखा. उसने एक छोटी कन्या का हाथ पकड़ा है, पर देखते-देखते वह घुटनों के बल चलती हुई दूर निकल जाती है पर उसका हाथ, हाथ में ही रह जाता है, घबरा कर उसे देखती है तो पता चलता है वह अधजला है, उसे छोड़ देती है और अगले ही पल शरीर से बाहर होने का अनुभव घटता है, देह से कुछ शोर करता हुआ बाहर निकलता है, घूमकर लौट आता है, पूरे वक्त होश बना हुआ था. कल की तरह पहले भी एक बार देह से बाहर का स्वप्न देखा था. परसों एक सुंदर रंगीन तितली को देखा था जिसे वह पकड़ना चाहती है. उसके रंग इतने चमकदार थे कि..कैसे अनोखे से स्वप्न..कुछ कहने कुछ बताने आते हैं पर रहस्य ज्यों का त्यों बना ही रहता है. आज क्लब में मीटिंग है, तीन महिलाओं के लिए तीन कविताएँ भी पढ़नी हैं. सभी तो यहाँ एक डोर से बंधे हैं..परमात्मा की डोर से..

अप्रैल का प्रथम दिन ! पिछले दो दिन फिर व्यस्त रही. शनिवार को घर में सफाई में, कल रात की पार्टी की तयारी में. अच्छा रहा कल रात्रि का आयोजन, सभी लोग आये थे, विवाहित और अविवाहित, तीन नन्हे बच्चे भी थे. अभी कुछ देर पहले मृणाल ज्योति स्कूल से आयी, उन्हें होली की मिठाई दी, रंग लगाया और योग-व्यायाम कराया. यकीनन उन्हें अच्छा लगा होगा, बगीचे के चेरी टमाटर भी ले गयी थी और एक लौकी भी. जून बाजार होकर आने वाले हैं, नैनी के बेटी के लिए एक स्कूल बैग, पानी की बोतल तथा एक कापी लेकर, आज ही उसका दाखिला थोड़ी दूर स्थित एक घर में चलने वाले स्कूल में कराया है.


पिताजी बाहर कुर्सी पर बैठे-बैठे सो रहे थे. उसने जब कहा, थोड़ी देर लेट जाएँ तो कहने लगे, हाँ, परेशान हो रहे हैं वे. क्या कोई ऐसा भी समय आता है जब दुःख से बचने की भी जरूरत महसूस नहीं होती. कोई अपने दुखों से बच सकता है फिर भी नहीं बचता, कैसे विडम्बना है यह. मौसम आज भी बदली भरा है, ठंडा है, सुबह ढेर सा पानी पिया. होली के बाद से ही भोजन गरिष्ठ हो रहा था, मिठाई भी जिसमें शामिल थी, पानी तन की एक औषधि है, जैसे वायु एक औषधि है मन की, शायद अग्नि औषधि है आत्मा की ! इसी महीने एक सखी की बिटिया का जन्मदिन है, उसके लिए कविता लिखनी है एक ! 

Sunday, July 31, 2016

दर्द का अनुभव


सन् अठानवे में TTC Phase1(शिक्षक कोर्स) भी कर लिया और उसके बाद से पूर्णकालिक शिक्षिका हैं और सदा यात्रा करती रहती हैं, सरल स्वभाव है, रंग गोरा है, मीठा बोलती हैं, धीरे-धीरे बोलती हैं, उसे उन्होंने मन्त्र दीक्षा दी है. स्नेहमयी हैं, मस्त हैं और प्रसाद पूरी रुचि से ग्रहण करती हैं. गुरूजी के प्रति पूर्ण समर्पित हैं, कहती हैं कि वे सब कुछ जानते हैं. सहज समाधि कहाँ हुआ, किसके घर हुआ, उसे तो सुनकर ही सिहरन होने लगी. सद्गुरू के साथ उन्हें भी कृपा के कई व्यक्तिगत अनुभव हुए हैं. वह जादूगर हैं..ईश्वर से अभिन्न हैं, ऐसे महापुरुष, महात्मा कभी-कभी ही होते हैं, बिरले ही होते हैं. वह एक सखी के यहाँ बैठी थी, उनकी प्रतीक्षा कर रही थी कि सहज ध्यान होने लगा. सद्गुरू का भावपूर्वक स्मरण करते ही वह भीतर अनुभूत होने लगते हैं, वह एक ही सत्ता है, वह कैसी अनोखी सत्ता है..जितना रहस्य खुलता जाता है, उतना ही बढ़ता जाता है.  

आज बैसाखी है, पंजाब का त्यौहार ! फसलों और मेलों का उत्सव ! कुछ लोगों को उसने SMS संदेश भेजा है. कल से बीहू की छुट्टियाँ हैं. जून का दर्द अभी तक ठीक नहीं हुआ है. पूरा एक महीना होने को है. आज वह न तो टहलने गये न ही सुबह प्राणायाम, व्यायाम आदि कर पाए.

बीहू का पहला अवकाश. मौसम आज खुला है. धूप के दर्शन हो रहे हैं. कल रात जून को दर्द के कारण नींद नहीं आ रही थी. उनकी छाती में दायीं ओर पसलियों में दर्द होता है, दिल की धड़कन भी महसूस होती है. कल डिब्रूगढ़ दूसरी बार गये इसी सिलसिले में. इस वक्त भी लेटे हैं. मानव का बस, बस थोड़ी दूर तक ही चलता है, रोग, बुढ़ापा और मृत्यु के सामने उसका कोई बस नहीं चलता. इस समय दोपहर के साढ़े बारह बजने को हैं. वह सहज ध्यान करने बैठी तो दुनिया भर के विचार आने लगे, पहले कुछ शारीरिक व्यायाम करके ध्यान करने बैठो तो सहज ही होता है !
योग शिक्षिका का SMS आया है –

छोटे से जीवन में छोटी सी
मुलाकात थी प्यार भरी
आज आपका शब्दों का गुलदस्ता पाया मैंने और समर्पित किया उनको जो मुझे बनाये आप जैसे उनके प्यारों के लिए !  

उसे जवाब लिखना है –

माना छोटी सी थी मुलाकात
दिल ने दिल से कर ली बात,
आपका जीवन जन-जन अर्पित
सृष्टा को है पूर्ण समर्पित !

शांति सरलता की जो मूरत
सदा प्रेम झलकाती सूरत,
नृत्य भरा कदमों में जिनके
याद रहेगी उनकी मन में !

मस्त चाल अनोखी मुद्रा
सजल नयन विश्वास भरा,
सारी पूजाएँ, अर्चना
हों एक के लिए सदा !