भारत में जब लोग
सुबह की चाय पी रहे होंगे वे नहा धो कर सिंगापुर का डेढ़ सौ साल पुराना प्रसिद्द
बोटैनिकल गार्डन देखने निकल पड़े I होटल से कुछ दूर ही
MRT(Mass Rapid Transit) स्टेशन था,
जहाँ से एक मददगार स्थानीय महिला की सहायता से स्वचालित मशीन से जुरोंग ईस्ट की
टिकट ली, वहाँ से बस द्वारा अपने गंतव्य पर पहुँचे I यूँ तो ६४ हेक्टेयर में फैला २००० ट्रॉपिकल पौधों का
घर, झीलों में तैरते हंसों तथा मूर्तियों से सजा पूरा बगीचा ही दर्शनीय है, उन्हें
सबसे अधिक आकर्षित किया ‘नेशनल ऑर्किड गार्डन’ ने, जहाँ रंगों की अनोखी छटा बिखरी हुई थी I कई दशकों से यहाँ ऑर्किड्स की हाइब्रिड किस्में उगायी जाती रही हैं I पीले रंग के हर शेड में, बैंगनी, लाल, गुलाबी, सफ़ेद,
यानि कि सभी शोख रंगों में ऑर्किड्स का मानो एक खजाना था, जो मंत्रमुग्ध कर रहा था I यहाँ बच्चों के लिये भी एक आकर्षक पार्क है I जब घूमते-घूमते पैरों ने जवाब दे दिया तो वापस लौटे I उसी दिन कुछ विश्राम के बाद साइंस सिटी देखने निकले,
जहाँ विज्ञान के आधुनिकतम विषयों को सैकड़ों नमूनों के द्वारा रोचक ढंग से दर्शाया
गया है. जीनोम प्रदर्शनी, माइंड’स आई तथा काइनेटिक गार्डन दर्शनीय हैं I ओमनी थिएटर में सागरीय जीवों पर एक IMAX फिल्म देखी, जिसमें नाचते हुए सर्पों का दृश्य अनोखा
था I
इतिहास बताता है कि युरोपियन सिंगापुर में आये इससे पूर्व यह मलय प्रायद्वीप
का भाग था I १८१९ में ब्रिटिश ईस्ट
इंडिया कंपनी ने ‘सर स्टैमफोर्ड रैफल्स’ (जिन्हें आधुनिक सिंगापुर का संस्थापक कहा
जाता है व जिनकी श्वेत संगमरमर की प्रतिमा उन्होंने सिंगापुर रिवर के तट पर सिटी टूर
के दौरान देखी) के नेतृत्व में एक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किया, जो बाद में
ब्रिटिश हुकूमत का एक प्रमुख आर्थिक तथा सामरिक केन्द्र बन गया I द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुछ समय के लिये
जापानियों के अधिकार में चले जाने के अलावा सिंगापुर १९६३ तक ब्रिटेन का भाग रहा,
तब यह मलेशिया में शामिल हो गया, किन्तु दो वर्षों के बाद १९६५ में स्वतंत्र
राष्ट्र के रूप में कॉमनवेल्थ तथा UNO में दाखिल हुआ I आज अमीर देशों की सूची में सिंगापुर का स्थान विश्व
में पाचवां तथा एशिया में तीसरा है I दिल्ली की आबादी से तिहाई आबादी वाला तथा क्षेत्रफल में आधे से भी कम वाला यह
शहर-राष्ट्र दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है I यह ६३ छोटे-छोटे द्वीपों
से मिल के बना है, जुरोंग तथा सेंटोसा
द्वीप अपेक्षाकृत बड़े हैं I एक वर्ष में यहाँ लगभग १० मिलियन पर्यटक आते हैं I यहाँ का मुख्य आकर्षण है
सुंदरता तथा मेहमाननवाजी I यह पर्यटकों के लिये पूर्णतया सुरक्षित स्थान है I यहाँ चीनी, भारतीय, मलय
तथा युरेशियन लोग रहते है, मंडारिन, तमिल, मलय तथा अंगरेजी यहाँ की राष्ट्रीय
भाषाएँ है I सिंगापुर में वाहनों की
संख्या बहुत अधिक है, इसके बावजूद यहाँ प्रदूषण नहीं है I सारा शहर एक बगीचा नजर
आता है, हरा-भरा तथा साफ-सुथरा I
अगले दिन वे सिटी टूर पर निकले I आर्ट हाउस, पार्लियामेंट हाउस, विक्टोरिया थिएटर, फुलर्टन होटल देखते हुए वे मर्लिन पार्क में रुके, जहां अर्धमत्स्य तथा अर्धसिंह के रूप में ८.६ मीटर ऊँचा
श्वेत मर्लिन का बुत है I सिंगापुर का अर्थ ही है सिंह का पुर या नगर, सिंह की एक विशाल मूर्ति सेंटोसा
द्वीप में भी है I नेशनल म्यूजियम, एस्प्लेनेड पार्क, वार मेमोरियल पार्क, चाइना टाउन, जेम
फैक्ट्री अदि दिखाने के बाद फ्रांसिस उन्हें सिंगापुर फ्लायर ले गया, १६५ मीटर
ऊँचा यह व्हील लन्दन के व्हील से भी ऊँचा है I ऊँचाई से सागर में लंगर डाले अनेकों जहाज देखे I सिंगापुर पोर्ट दुनिया के
व्यस्ततम पोर्ट्स में से एक है I यह विश्व का चौथा विदेशी मुद्रा विनिमय केंद्र है I सिंगापुर रिवर ‘मरीना बे’
में सागर से मिलती है, यहाँ स्थित है आधुनिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना एस्प्लेनेड
थिएटर, जिसके विशाल कंसर्ट हॉल में एक शाम पश्चिमी शास्त्रीय संगीत सुना, वह एक
अविस्मरणीय अनुभव था I
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति आशापूर्णा देवी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteस्वागत व आभार हर्षवर्धन जी !
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