अंततः वह दिन आ गया, आज उन्हें यात्रा पर निकलना है, मन में
उत्साह है और जोश भी, यात्रा अपने आप में सम्पूर्ण जीवन है, तरह-तरह की
परिस्थितयों से गुजरना, लोगों से मिलना और यात्रा का आरम्भ व अंत, जैसे कि जीवन
में होता है. सुबह वर्षा के कारण नींद जल्दी खुल गयी. बादल गरज भी रहे थे और बरस
भी रहे थे, नन्हे ने आज सुबह से सभी कार्यों में सहयोग दिया है जिससे कि बाकी बचे
समय में वह कम्प्यूटर गेम खेल सके. जैन मुनि ने आज बताया, जिस सुख को लोग बाहर
खोजते हैं वह उन्हें अन्तर्मुखी होकर अपने भावों, संवेदनाओं और विचारों को समझ कर
ही मिल सकता है. बाबाजी ने सहज स्वभाव की बात की तो नानक की यह बात उसे याद आई, ‘थापिया
न जाई, कीता न होई, आपे आप सुरंजन सोई’ ! जैसे फूल अपने आप खिलता है, अंतर से ख़ुशी
स्वयंमेव निकलनी चाहिए, वह ख़ुशी जो अंतर्मन को तो प्रकाशित करे ही बल्कि अपने बाहर,
इर्द-गिर्द भी खुशबू फैला दे. जैसे तुलसी दास ने कहा है, रामनाम का दीया अधरों पर
रखने से अंतर्मन के साथ-साथ बाहर भी उजाला फैलता है. देहरी पर रखे दीपक की भांति.
मौसम उनका पूरा साथ दे रहा है. अप्रत्यक्ष रूप से ईश्वर उनके साथ है. वह तो हमेशा
ही उनके सिरों पर अपना हाथ रखे हुए है.
It is a pleasant morning. They reached Guwahati
at 4.15 am in the morning, she was dreaming then but got up around five fifteen
due to continuous flow of passengers in and out both. They are in first coupe
so every next moment some one comes or goes. Nanha is still in bed on upper berth. She went for a stroll with jun and they bought a newspaper, which he is
reading now. Yesterday when they left home it was raining, reached station before time, waited for some time and train came on right time.
Mrs singh their co passenger is a well educated soft spoken garwali lady, they
talked about her favourite subject hills of Garwal for one hour in empty coupe,
drinking tea and viewing the greenery of
Assam till they
reached first stop. Then she read the book, Meditation, till soup and dinner
was served. It was nice, soup
and dinner both but article in the book
was superb, it gave inner peace, inspiration and insight to her mind and she
came to know once again that all things, relationships and possessions are
subject to change and decay.
रात को वे सोये तो उनकी
ट्रेन बरौनी में थी और सुबह उठे तो इलाहबाद आ गया था, रात भर वह आराम से सोयी जैसा
कि सदा रेल यात्रा में उसके साथ होता है. नन्हा अभी भी सो रहा है, जून और वह चाय
ले चुके हैं, उनके अन्य सहयात्री भी सुबह उठने वालों में से हैं, पर मिसेज सिंह अभी
भी सो रही हैं, शायद उनकी तबियत ठीक नहीं है क्योंकि ज्यादातर समय वह सोती रही
हैं. घर पर सभी को उनकी प्रतीक्षा होगी, शाम तक वे घर पहुंच जायेंगे और जैसा कि
उसने सोचा है उनका हर दिन एक खास दिन हो इस तरह से रहेंगे. ईश्वर हर क्षण उनके साथ
है, सभी जाने-अनजाने उस परम सत्ता की ओर खिंचे चले जा रहे हैं पर उसने सचेत होकर
उसका मार्ग चुना है, इस विशाल ब्रह्मांड में हर ओर उसी की सत्ता का प्रसार है,
उनका अल्प जीवन, अल्प बुद्धि, अल्प समझ उसे मात्र प्रेम के द्वारा ही समझ सकती है,
प्रेम का प्रतिदान प्रेम ही होता है.
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