Wednesday, July 2, 2014

लाल बाग़ के फूल



आज सुबह आठ बजे वे बैंगलोर पहुंच गये. इस होटल का सुंदर प्रवेश द्वार काले पत्थर का बना है. कल शाम मदुराई के रेलवे स्टेशन पर एक बूढ़ी स्त्री की अजीब सी भाव-भंगिमा व विद्रूपता भरी हँसी बेचैनी उत्पन्न कर रही थी. जल्दी ही ट्रेन आ गयी और वे आरामदेह यात्रा के बाद कर्नाटक राज्य की राजधानी गार्डन सिटी आ पहुंचे. पहली नजर में शहर सामान्य ही प्रतीत हुआ, स्टेशन से होटल के मार्ग में गंदगी भी दिखी. स्नान व नाश्ते के बाद शहर देखने निकले. जब आमने-सामने स्थित विधान सभा तथा उच्च  न्यायालय की विशाल शानदार इमारतें तथा उनके बाहर सुंदर बगीचे दिखे तब बैंगलोर का स्वच्छ व हरा-भरा रूप देखने को मिला. ‘विश्वसरैया विज्ञान संग्रहालय’ उनका प्रथम पड़ाव था, जहाँ बच्चों को बहुत आनन्द आया. संध्या काल में क्रिसमस के कारण यहाँ के बाजार सजे हुए थे. एमजी रोड पर सांता क्लाज बना एक व्यक्ति सभी को आकर्षित कर रहा था. संगीत का शोर ट्रैफिक के शोर को दबा रहा था. ‘कावेरी आर्ट एंड हैंडीक्राफ्ट सेंटर’ में चन्दन की विशाल व लघु मूर्तियाँ दर्शनीय हैं. तीन सौ एकड़ में फैले ‘कब्बन पार्क’ में स्थित बाल उद्यान व अजायबघर में बच्चों के साथ बड़े भी आनन्दित हुए.  

आज प्रातः वे मैसूर के लिए रवाना हुए. मैसूर महल की शाही शानोशौकत देखकर सभी दंग रह गये. ऊंचे-ऊंचे विशाल हॉल, लम्बे गलियारे व संगमरमर के फर्श, झाड़फानूस व लकड़ी की अद्भुत नक्काशी सभी कुछ आकर्षक थे. उन्हें प्राचीन भारत की संपदा व भव्यता देखकर गर्व हो रहा था. महल की दीवारों पर लगे राज घराने की महिलाओं व पुरुषों के चित्र भी आकर्षक थे. अगला पड़ाव था टीपू सुल्तान व हैदर अली के किलों के अवशेष तथा मकबरे. किले के प्रांगण में एक मन्दिर भी था, जहाँ काफी भीड़ थी.

मैसूर से कुछ दूर लगभग दो हजार वर्ष पुराना चामुंडा देवी का मन्दिर है. मन्दिर के मार्ग में काले पत्थर की विशाल नंदी बैल की मूर्ति दर्शनीय है. कावेरी, हेमवती तथा लक्ष्मण तीर्थ नदियों के संगम पर बने वृहत कृष्णा सागर बाँध को देखते हुए लगभग डेढ़ किमी पैदल चलकर वे विश्व प्रसिद्ध वृन्दावन गार्डन पहुंचे. जहाँ फूल तो अधिक नहीं थे किन्तु जगह-जगह फौवारे व स्वच्छ जल की झीलें मोहक लग रही थीं. किनारे पर लगी रंगीन बत्तियों की छाया पानी पर पड़ने से तो उनकी आभा और बढ़ गयी थी. संगीतमय फौवारों तथा थिरकती रोशनियों का जादू सब पर छा गया था. पूरा बगीचा लोगों के हुजूम से भरा हुआ था.

आज वे किड्स कैम्प तथा इस्कॉन मन्दिर देखने गये थे. बच्चों के लिए किड्स कैम्प में ढेर सारे आकर्षण थे. एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित फूलों व बगीचों से सजे संगमरमर से बने विशाल तिमंजिला इस्कॉन मन्दिर में ‘हरे कृष्ण हरे राम’ की धुन गूँज रही थी. राधा-कृष्ण की सुंदर मूर्तियों के दर्शन कर उन्होंने प्रसाद लिया और ‘लाल बाग’ का रुख किया. जितना विशाल है यह बाग उतना ही रोचक है इसका इतिहास. इसको पहले-पहल हैदर अली ने १७६० में बनवाना आरम्भ किया था. दो सौ चालीस एकड़ में फैले इस बाग को बाद में टीपू सुल्तान ने विकसित किया. यहाँ स्थित लंदन के क्रिस्टल पैलेस की झलक दिखाते ग्लास हाउस में चल रही पुष्प प्रदर्शनी देखकर सभी के दिल बाग-बाग हो  गये.  

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